6 Top Techniques to Fulfill Wishes
1.इच्छाओं को पूरी करने की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques to Fulfill Wishes),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Fulfill Desires for Students):
- इच्छाओं को पूरी करने की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques to Fulfill Wishes) का यह दूसरा भाग (part-2) है।इच्छाओं के साथ प्रयत्न और दृढ़ता जुड़ती है तभी वे पूरी हो पाती हैं।शुभ और अच्छे उद्देश्य के लिए ही इच्छाएं करें और उनको पूरा करने का प्रयास करें।
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2.महान् गणितज्ञों के जीवन से सीखें (Learn from the lives of great mathematicians):
- बहुत से लोग निराशाओं के कारण अपनी भगवदीय शक्तियों को संकुचित कर लेते हैं।वे यह नहीं जानते कि अपनी निर्धनता,अच्छे मित्रों का अभाव,असफलता,अनगिनत निराशाओं की कल्पना करके वे स्वयं अपनी उन्नति के मार्ग में बाधा खड़ी कर लेते हैं।इस प्रकार आप कभी अपनी आशाओं से अधिक ऊपर नहीं उठ सकते।अपनी इच्छाओं पर विश्वास नहीं करेंगे तो वह कभी पूरी नहीं होंगी।अपनी शक्तियों पर पूरा विश्वास कीजिए।भगवान ने हमारे मन में,हमारे हृदय में वे ही इच्छाएँ उत्पन्न की हैं जिन्हें पूरा कर सकते हैं।भगवान ने हम सब मनुष्यों को सुंदर और शक्तिशाली शरीर इसीलिए दिया है कि हम अपनी महान् और छिपी हुई शक्तियों को पहचान कर,न केवल अपने जीवन को महान बनाएं,बल्कि इस संसार को भी सुंदर बनाने का प्रयास करें,संसार को नया संदेश दें,जो भगवान ने आपको देने के लिए भेजा है।आप दुनिया में व्यर्थ नहीं आए हैं आपका जीवन व्यर्थ गंवाने के लिए नहीं है।
- निराशा और कठिनाइयां तो आती ही रहती हैं।इनसे घबराना नहीं चाहिए।रास्ते में अनेक प्रकार की अड़चनें आती है।लोग आपको यदि मूर्ख,पागल या सनकी कहते हैं तो कहने दें,उनकी परवाह मत कीजिए।लोग तो कहते ही हैं।जितने भी महापुरुष हुए हैं,सभी के रास्ते में अड़चनें आयी हैं।लोगों ने उन्हें मूर्ख,पागल और समाज-विरोधी तक कहा है।महान् गणितज्ञ आर्किमिडीज,गणितज्ञा हाईपेटिया,चार्ल्स सी फ्रास्ट,यूक्लिड,गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक अलहसन सभी को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बड़े-बड़े कष्ट झेलने पड़े।आज ऐसा कौन-सा गणितज्ञ,वैज्ञानिक,महापुरुष या महान् विचारक नहीं है,समय पर जिसकी आलोचना न हुई हो।बड़े-बड़े शोधकर्त्ताओं,आविष्कारकों को लोगों ने सनकी,पागल और समाज विरोधी तक कह डाला है।
- आप भी अपनी आत्मा की आवाज को सुनते हुए आगे बढ़ते चले जाइए।धैर्य और विश्वास लेकर अपने जीवन लक्ष्य को मजबूती से पकड़े रखें।एक पल के लिए भी लक्ष्य को आंखों से ओझल न होने दें।आपका सुनहरा भविष्य आपके सामने है जो आपकी प्रतीक्षा में है।वही आपके भाग्य का सितारा है।उसी के प्रकाश में बढ़ते चले जाइए अंधकार को चीरते हुए निरंतर सौंदर्य और प्रकाश की ओर।
- मान लीजिए कि आपको अपना मनोवांछित कार्य नहीं मिल रहा है,मजबूरी में या अपने प्रियजनों का मन रखने के लिए या माता-पिता की आज्ञानुसार घर का काम चलाने के लिए आप वह कार्य कर रहे हैं जो आपकी कल्पना के अनुरूप नहीं,तो आप धैर्य रखिए,चिंतित मत होइए,परेशान मत होइए,अपने लक्ष्य को मत भूलिए।अपने उद्देश्य को मत भूलिए।अरुचिकर काम करते रहिए मगर फिर भी अपने असली उद्देश्य को याद रखिए।उस लक्ष्य को पाने के लिए भी बराबर कोशिश करते रहिए।यही विश्वास और परिश्रम एक दिन आपको अपने मनचाहे लक्ष्य तक पहुंचा देगा।
- आर्किमिडीज ने गणित और विज्ञान में अनेक खोजें की।उस समय साधन सुविधाएं सुलभ नहीं थी फिर भी वे निराश नहीं हुए।उसने आत्मविश्वास नहीं खोया।उसके इसी आत्मविश्वास और दृढ़संकल्प ने उसे आगे बढ़ाया।अपने आविष्कार में सफल होकर उसने संसार का महानतम गणितज्ञ होने का गौरव प्राप्त किया।
- जो व्यक्ति अपने सपनों पर ऐसा अटूट विश्वास लेकर आगे बढ़ता है उसके लिए सफलता के द्वार सदा खुले रहते हैं।आत्मविश्वास एक अमरदीप है,ऐसा अमरदीप जिसके उज्जवल प्रकाश में आगे बढ़ते रहें।कितना ही अंधेरों से भरा,बीहड़ों से गुजरने वाला रास्ता क्यों ना हो,इसमें घबराने की क्या आवश्यकता है,जब आपके हाथों में अमरदीप है।इन विकट रास्तों पर स्वयं प्रकाश होता चला जाएगा।मंजिल पर जब आप पहुंचेंगे तो प्रकाश भी तो साथ पहुंचेगा-आत्मविश्वास के दीपक का उज्जवल प्रकाश।
3.गणितज्ञों के चमत्कारिक आविष्कार (The Miracle Inventions of Mathematicians):
- वरमौण्ट (अमेरिका) में मोची का कार्य करने वाले चार्ल्स सी फ्रास्ट एक साधारण व्यक्ति थे।साधारण मनुष्य से वे एक महान् गणितज्ञ बने थे।कैसे? यह कोई चमत्कार या दैवी शक्ति का करिश्मा न था,न फ्रास्ट के भाग्य का चमत्कार था।यह फ्रास्ट का 10 वर्ष तक नियमपूर्वक गणित का अध्ययन,उनकी हार्दिक इच्छा,आंतरिक प्रेरणा,आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का परिणाम था।
- यही भगवदीय प्रेरणा एक बार प्रत्येक मनुष्य को मिलती है।सभी मनुष्यों को भगवान का यह संदेश मिलता है।यही संदेश उसका पथ-प्रदर्शक बनकर उसे ठीक-ठीक राह पर ले जाता है।जो मनुष्य भगवान के संदेश को जीवन में अपना लेता है;उसकी इस आशा का पालन करता है,वह महान् बन जाता है।आप भी महान् क्यों नहीं बन सकते? संसार के जितने गणितज्ञ हैं।आप उनको देखें।उनके अतीत के इतिहास पर नजर डालें।देखें कि वह क्या थे और क्या बन गए? आप देखेंगे कि सभी साधारण परिवारों में जन्मे थे।सभी ने आपकी और हमारी तरह ही कष्ट झेले हैं।उन्होंने महान् बनने का सपना देखा,हार्दिक इच्छा की,आत्मविश्वास संजोया और प्रयत्न करते-करते आगे बढ़ते गए।सफलता के द्वार उनके लिए खुलते चले गए।जिस सफलता के,जिस उन्नति के शिखर पर पहुंचने के वे सपने देखा करते थे,उसी पर पहुंच गए।
- शून्य और अंकों के आविष्कारक भारतीय गणितज्ञ,ज्यामितीय शोधों को तार्किक आधार प्रदान करने वाले यूक्लिड,लघुगणक के आविष्कारक जाॅन नेपियर (John Napier),समकोण त्रिभुज पर आधारित बौधायन प्रमेय,निर्देशांक पद्धति के खोजकर्त्ता रेने देकार्ते पहले स्वप्नद्रष्टा ही थे।पहले उन्होंने सपने देखे होंगे,कल्पना की होगी और फिर अपनी कल्पनाओं को साकार रूप देने के प्रयत्न किए।आत्मविश्वास के साथ वे संघर्ष में जुट गए थे।जितने भी महान् गणितज्ञ हुए हैं,वे सबके सब आत्मविश्वासी थे।मानवता की जिन्होंने किसी रूप में सेवा की है,उन्होंने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए,मंजिल को सदा आंखों के आगे रखा है।लक्ष्य सदा आंखों के सामने रहना चाहिए।जहां विश्वास रुक जाएगा,वहां सफलता भी रुक जाएगी।विश्वास ही तो विलक्षण शक्ति है जो सफलता का कारण बनता है।
4.भीतर की प्रेरक शक्ति है भगवदीय वरदान (The driving force within is the blessing of God):
- बहुत से व्यक्ति सोचते हैं कि वे अपनी शक्ति से बढ़ रहे हैं जबकि सच तो यह है कि हमें आगे बढ़ाने वाली एक भीतर की प्रेरक शक्ति है।जब तक भीतर की प्रेरक शक्ति नहीं रहती तब तक मनुष्य किसी कार्य में भी दिल लगाकर कार्य नहीं करता।भीतर की इस शक्ति या प्रेरणा को आप महत्त्वाकांक्षा कह लें या भगवदीय शक्ति।आगे बढ़ाने वाली यही शक्ति है।संसार में आप क्यों आए हैं?कभी आपने सोचा है? आप भगवान के संदेश को मानवता के लिए लाए हैं।वही संदेश आपको देना है।जीवन की महानता को मत भूलिए।सत्य को जीवित रखने की आपके ऊपर भारी जिम्मेदारी है।
- जीवन की महानता को भूल जाते हैं।लक्ष्य चूँकि उन्हें सामने नजर नहीं आता,इसलिए वे किसी भी ओर चल पड़ते हैं,भटक जाते हैं लक्ष्य से।अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए किसी को भी हानि पहुंचा देते हैं।वे दूसरों के दुःखों का कारण बन जाते हैं।ऐसे लोग अपनी इच्छाओं के लिए दूसरों का गला काटने का प्रयास करते हैं।आगे बढ़ने का यह तरीका गलत है।आगे बढ़िए बल्कि दौड़िए…..किंतु अपने विश्वास से,अपनी शक्ति से…… अपने पाँवों पर विश्वास करके।दूसरों को धक्का देकर नहीं,चोट पहुंचाकर या गिराकर उनसे आगे निकलने का प्रयास मत कीजिए।संसार में बहुत-सी चीजों का निर्माण महान् आविष्कारकों ने किया है,जिनका उपयोग हम कर रहे हैं।कागज न होता तो क्या होता? संख्याओं का आविष्कार ना होता,निर्देशांक ज्यामिति,त्रिकोणमिति,कैलकुलस नहीं होती तो जीवन कितना कष्ट पूर्ण होता।
- जिन्होंने गणित और विज्ञान में ये सब आविष्कार किए हैं,उन्होंने बड़े कष्ट झेले हैं।बहुत से मामलों में तो वे स्वयं अपने आविष्कारों से लाभ नहीं उठा पाए? उन्होंने मानवता के लिए ही सब कुछ किया है।आज उनके द्वारा किए गए आविष्कारों व शोधों का उपयोग हम कर रहे हैं।उसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए हम और आप आए हैं।पूर्वजों ने जो कार्य हमारे लिए किए हैं उन्हीं को हम अगली पीढ़ियों के लिए आगे बढ़ायें।उनके अधूरे कार्यों को पूरा करें।
- जीवन की तमाम इच्छाएं,सारे स्वप्न हमें अपनी मंजिल पर पहुंचाते हैं।लेकिन ऐसा तभी होता है जब हम विश्वास के साथ उनके पीछे अपनी शक्तियां लगाते हैं।ईमानदारी और सत्यनिष्ठा ऐसी चीजे हैं जिनका प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता।ईमानदारी और सच्चे व्यक्ति के यश की खुशबू चारों ओर फैलती है।
- जो लोग जाॅब में ईमानदार रहते हैं,भले ही वे देर में पदोन्नत हों,होते अवश्य हैं।उन्हें वेतन वृद्धि के साथ यश भी मिलता है।जबकि बेईमान भ्रष्टाचार करके धन कमाने के साथ यश नहीं कमा सकता।सच बोलने वाले ही अन्त में सफलता का मुख देखते हैं।झूठ बोलकर कोई सफलता पा भी लेता है तो वह सफलता अस्थायी होती है।वह सदा सुखी नहीं रह सकता।स्थायी सुख,शांति और धन प्राप्त करने में ईमानदार ही सफल होता है।
- झूठ बोलने वाले और बेईमानी करने वाले लोग कुछ दिनों तक तो मौज में रहते हैं,लाभ में रहते हैं,धन बटोर लेते हैं,परंतु शीघ्र उनकी पोल-पट्टी खुल जाती है।उनकी साख गिर जाती है,जाॅब में पदोन्नत नहीं होते हैं और अंत में कंपनी या संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
5.अधिकांश लोगों की वास्तविकता (The reality of most people):
- लोग जापान की बनी चीजों को इंग्लैंड की और अमेरिका की बनी चीजों को आयरलैंड की बताकर बेचते हैं।हर चीज में मिलावट कर देते हैं,विष खरीदेंगे तो उसमें भी मिलावट होती है।यही कारण है कि अब किसी को किसी पर विश्वास नहीं रह गया है।प्रत्येक व्यक्ति हर चीज पर संदेह करता है।अधिकांश कम तौलते हैं।बाजार से खरीदी हुई कोई चीज पूरी नहीं उतरती।
- कर्त्तव्य का ध्यान किसी को नहीं है।समाज में जिन्हें महत्त्वपूर्ण समझा जाता है,जिनके पीछे सारा समाज चलता है,वे भी देखने में कुछ और असलियत में कुछ और हैं।इसका प्रभाव सारे समाज पर बुरा पड़ता है।गुणात्मक रूप से बुराई बढ़ती है।शासन संभालने वालों में घूसखोर हैं,झूठे आश्वासन देकर ठगने वाले हैं,भ्रष्टाचरण करने वाले हैं।समाज में जागरूक प्रहरी बनने वाले लेखकों,कवियों,पत्रकारों और विचारकों में अश्लील,झूठ और सनसनीखेज लिखने व कहने वाले हैं।
- हमारे राजनेताओं को ही लें।इनमें एक से एक भ्रष्ट हैं।नित नए घोटाले हो रहे हैं।जिस नेता का नाम जितने बड़े घोटाले में आ जाता है,वह उतना ही बड़ा नेता माना जाता है।आज इनकम टैक्स का रैड पड़ने को प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।यह बड़ा अधिकारी,उद्योगपति होने का गौरव हासिल कराता है।एक कत्ल करने वाले को हिकारत की नजर से देखा जाता है जबकि सैकड़ो मजलूम और निर्देषों का कत्ल करने वाले सम्मान के पात्र बन जाते हैं।बड़े पदों पर बैठा दिए जाते हैं।कहने का तात्पर्य यह है कि इस दुनिया में भ्रष्ट,झूठे,मक्कार व दगाबाजों और बेईमानों की कमी नहीं है।लेकिन यह अधिक दिनों तक नहीं चल पाता।वक्त की आंधी एक दिन सब कुछ तहस-नहस कर देती है।हमें ईमानदार,कर्त्तव्यनिष्ठ और जागरूक व्यक्ति की भाँति आगे बढ़कर दुनिया में सफलता का दीप जलाना है।लोगों को दिखाना है कि भगवान ने हमें जो यह जीवन दिया है…… हमें इसे व्यर्थ ही नहीं गँवाना है,बल्कि हम भी कुछ करने के लिए इस दुनिया में आए हैं और कुछ करके ही रहेंगे जिससे दुनिया सदियों तक हमें याद रखें।सत्य का दीपक सदा जलता रहता है,उसे एक तो क्या,सैकड़ों आँधियाँ मिलकर भी नहीं बुझा सकतीं।
6.सफलता का दृष्टांत (Parable of Success):
- एक छात्र बहुत ही हट्टा-कट्टा था।वह पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल भी नहीं करता था।परंतु रैंकिंग टेस्ट में वह हमेशा अच्छे अंक प्राप्त करता था।गणित शिक्षक और प्राचार्य आश्चर्यचकित रहते थे।दरअसल गणित शिक्षक तथा क्लास टीचर की अनुपस्थिति में वह छात्र-छात्राओं को डराता धमकाता था कि वह नकल करेगा तो कोई उसके बारे में बताएगा नहीं।अन्यथा वह उनको स्कूल के बाहर मारेगा-पीटेगा।अन्य छात्र-छात्राएं डर के मारे उसके बारे में कुछ भी नहीं बोलते।
- शिक्षक उन छात्र-छात्राओं से पूछता कि यह नकल करता है क्या,तो वे मौन रह जाते थे और कुछ भी नहीं बोलते,कुछ छात्र-छात्राएं बोल देते थे कि हमें नहीं मालूम।
- एक बार एक नए छात्र ने प्रवेश लिया।वह छात्र सत्यनिष्ठ और निर्भीक था।अध्ययन में कठिन परिश्रम करके ही अंक अर्जित करता था।बहुत मेधावी छात्र था।उस छात्र के आते ही उस नकलची छात्र ने कहा कि यदि उसे इस कक्षा में पढ़ना है तो मेरे साथ मिलकर रहो अर्थात् तुम भी नकल कर लिया करो अन्यथा चुपचाप रहना,मेरे बारे में किसी भी शिक्षक को सच मत बताना।
- उस छात्र ने कहा कि वह झूठ नहीं बोलेगा क्योंकि जो कुछ तुम करते हो वह गलत है।यदि शिक्षकों ने कभी मुझे पूछा तो मैं सच-सच बता दूंगा।कुछ अन्य छात्र जो नकलची छात्र की हाँ में हाँ मिलाते थे बोले कि इससे कोई टीचर क्या पूछेगा,तुम तो निश्चिंत रहो।
- कुछ समय बाद परीक्षा हुई और नकलची छात्र के अच्छे अंक आए।गणित शिक्षक व प्राचार्य ने अपने कक्ष में बुलाकर नए छात्र को सच-सच बताने के लिए कहा।तब उस नए छात्र ने कहा कि कक्षा के सारे छात्र उससे डरते हैं।उसने भी मुझे धमकी दी है कि यदि वह सच बता देगा तो वह उसे जान से मार डालेगा।लेकिन मैं हकीकत से मुंह नहीं फेर सकता हूँ।मुझे जान से भी मार दिया जाएगा तो कोई परवाह नहीं है।वह छात्र हर टेस्ट में (गणित के साथ अन्य विषयों में) नकल करता है।
- प्राचार्य ने उस नकलची व उद्दण्डी छात्र को स्कूल से बहिष्कृत कर दिया और नए छात्र को कक्षा का मॉनिटर बना दिया।सभी शिक्षक,गणित शिक्षण व स्कूल के प्राचार्य उसकी निडरता से अत्यधिक प्रभावित हुए।
उपर्युक्त आर्टिकल में इच्छाओं को पूरी करने की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques to Fulfill Wishes),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Fulfill Desires for Students) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:How Do Students Control Their Desires?
7.गणितज्ञ की याददाश्त (हास्य-व्यंग्य) (Mathematician’s Memory) (Humour-Satire):
- विदेशी छात्र-छात्राओं ने सुन रखा था कि भारत के गणितज्ञों की याददाश्त बहुत तेज होती है।एक बार एक विदेशी छात्र एक गणितज्ञ के पास गया,उस समय गणितज्ञ ध्यान मग्न थे।विदेशी छात्र ने प्रणाम किया और बोला:महाशय,क्या आप जोड़ कर सकते हैं।
- जवाब मिला:हां,बच्चे।
- विदेशी छात्र दस साल बाद आया और सीधा उसी गणितज्ञ के पास पहुँचा।हाथ जोड़े और पूछा:किस तरह के जोड़।
- गणितज्ञ ने कहा:सभी तरह के जोड़,बच्चा।
8.इच्छाओं को पूरी करने की 6 टॉप तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 6 Top Techniques to Fulfill Wishes),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Fulfill Desires for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.सफल होने का क्या रहस्य है? (What is the secret to success?):
उत्तर:मनुष्य की जैसी अच्छी-बुरी इच्छा होती है,वह उसी के अनुसार अपनी समस्त शक्तियों को लगा देता है और उसमें सफल होता है।मनुष्य की जैसी इच्छा होती है,वह वैसा ही बनता चला जाता है।
प्रश्न:2.इच्छाशक्ति निर्बल क्यों पड़ जाती है? (Why does willpower weaken?):
उत्तर:एक निश्चय पर पहुंचने के बाद कार्य (अध्ययन अथवा अन्य) प्रारंभ किया जाता है,परंतु कुछ समय बाद ही कोई अन्य प्रलोभन सामने आ जाता है।फिर वही पहले वाली अनिश्चय की स्थिति उत्पन्न हो गई।यदि मनुष्य इस नए प्रलोभन का शिकार हो गया,तो उसकी इच्छाशक्ति निर्बल पड़ जाती है।अतः किसी भी कार्य का निश्चय करने के बाद डिगना नहीं चाहिए।
प्रश्न:3.प्रलोभनों के अतिरिक्त कौन-सी बाधाएँ सामने आ जाती हैं? (What obstacles come apart from temptations?):
उत्तर:अपने निश्चय पर अटल रहने में प्रलोभनों के अतिरिक्त अनेक अप्रत्याशित बाधाएँ,कठिनाइयां आ जाती हैं।मनुष्य कितना ही दूरदर्शी व कल्पनाशील हो परंतु किसी भी कार्य में सामने आने वाली कठिनाइयों का शत-प्रतिशत अनुमान लगा लेना असम्भव है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा इच्छाओं को पूरी करने की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques to Fulfill Wishes),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Fulfill Desires for Students) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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