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3 Tips to Achieve Perfection in Maths

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1.गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths),गणित का ज्ञान प्राप्त करने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Complete Knowledge of Mathematics):

  • गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths) बेजोड़ तथा अद्वितीय हैं।गणित के अध्येता को पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।बहुत से छात्र-छात्राओं की प्रवृत्ति होती है कि वे गणित में संदर्भित विषय के बारे में जानने का प्रयास नहीं करते हैं।उदाहरणार्थ एनसीईआरटी की दसवीं की गणित में कुछ प्रश्नावली इस तरह की दी हुई है जिसमें यह लिखा होता है कि यह प्रश्नावली परीक्षा के दृष्टिकोण से नहीं है।इस सूचना को पढ़कर बहुत से विद्यार्थी उस प्रश्नावली को हल नहीं करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।
  • इसी प्रकार 9वीं से 12वीं कक्षा की गणित की पुस्तकों में प्रसंगवश कुछ गणितज्ञों के चित्र छपे हुए रहते हैं।विद्यार्थियों उन गणितज्ञों के बारे में जानने का प्रयास नहीं करते हैं।उनके मन में यह प्रश्न उठता ही नहीं है कि यह गणितज्ञ का चित्र यहां क्यों दिया गया है? गणित की पाठ्यपुस्तक में इस चित्र को छापने का लेखक का क्या उद्देश्य है? जैसे कक्षा 12वीं की गणित के प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन में आर्यभट का चित्र दिया गया है।अंत में त्रिकोणमिति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि दी गई है। परीक्षा में चूँकि इसके सम्बन्ध में नहीं पूछा जाता है। अतः विद्यार्थी न तो भारतीय गणितज्ञ आर्यभट के बारे में जानने की जिज्ञासा प्रकट करते हैं और न ही त्रिकोणमिति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पढ़ते हैं।
  • उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि ऐसे विद्यार्थी केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से पढ़ते हैं।परीक्षा के दृष्टिकोण से गणित का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया जाना संभव नहीं है।ऐसे कैंडिडेट को किसी अवसर पर अथवा साक्षात्कार में इससे संबंधित प्रश्न पूछा जाए तो बगलें झांकने लगते हैं।
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2.गणित में खोजपूर्ण प्रवृत्ति रखें (Keep Exploratory Instincts in Mathematics):

  • खोजपूर्ण प्रवृत्ति को एक बोध कथा के द्वारा समझते हैं।मनीराम नाम का एक बहुत बुद्धिमान होलसेल पुस्तक विक्रेता था।वह पुस्तकें प्रकाशकों से खरीदता तथा खुदरा विक्रेताओं को पुस्तकें बेचता था।वह बहुत सहृदय था चाहे नौकर तथा कर्मचारी हो।उसने अपने व्यवसाय में मदद के लिए तो पढ़े-लिखे युवकों को रख रखा था।उन दोनों युवकों की शैक्षिक योग्यता समान थी परंतु उनके वेतन में अंतर था।एक युवक जिसका का नाम परख था उसका वेतन पन्द्रह हजार तथा दूसरा युवक जिसका नाम विवेक था उसका वेतन 25000 था।अपना वेतन कम होने के कारण परख उदास रहता था।एक दिन उसने मनीराम से कहा कि दोनों की योग्यता समान है तथा दोनों एक साथ ही नौकरी लगने के बावजूद उसे कम वेतन क्यों दिया जाता है जबकि विवेक को अधिक वेतन दिया जाता है।मनीराम ने कहा कि समय पर वह इसका जवाब देगा।
  • एक दिन एक प्रकाशक अपनी गाड़ी में पुस्तकें लेकर बेचने के लिए उस कस्बे के बाजार में आया। मनीराम ने परख से कहा कि वह जाकर तलाश करे कि उसकी गाड़ी में क्या है? वह तेजी से दौड़कर गया और वापस आकर उसने बताया कि गाड़ी में पुस्तकें हैं।मनीराम ने कहा कि उस गाड़ी में कौन-कौनसी पुस्तकें हैं,तब परख उसका जवाब नहीं दे पाया।
  • तब मनीराम ने विवेक को बुलाया और वही बात उसे कही की वह पूछकर आए कि गाड़ी में क्या है? विवेक लगभग 1 घंटे बाद आया।तब परख ने कहा कि जो काम उसने 5 मिनट में किया है वह विवेक ने एक घंटे में किया है।मनीराम ने परख की बात को अनदेखा करते हुए पूछा कि गाड़ी में क्या है? विवेक ने उत्तर दिया कि उसमें पुस्तकें है।वह बहुत बड़े प्रकाशक सीबीएस पब्लिशर्स दिल्ली की गाड़ी थी।उसमें गणित के अच्छे लेखकों की पुस्तकें हैं,इसके अलावा प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु गणित व तर्कशक्ति की पुस्तकें थी।मैंने पुस्तकों पर बट्टा (Discount) पूछा,तब मुझे भाव ठीक लगा।तब मैंने थोड़ी बहस करने के बाद सौदा पक्का कर लिया।
  • परंतु तुमने बहुत देर कर दी।तब विवेक बोला कि सौदा पक्का करते समय मुझे पता था कि गोदाम पूरा भरा हुआ है।तब मैंने गोदाम के पास ही मकान वाले से एक कमरा किराये पर ले लिया और सारी पुस्तकें खरीद कर गोदाम में उतरवा दिया।मुझे पता था कि इन पुस्तकों की भारी डिमान्ड आ रही है।तब रास्ते में आते हुए मैंने जितने भी खुदरा पुस्तक विक्रेता थे उनको सूचित कर दिया कि आप द्वारा डिमांड की गई पुस्तकें आ गई है।इसलिए इतना समय लग गया है।
  • इस बोध कथा से यही शिक्षा मिलती है कि हमें पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए खोजपूर्ण प्रवृत्ति रखनी चाहिए।
  • आज जाॅब उन्हीं को मिलता है अथवा उन्हीं की डिमाण्ड है जो खोजपूर्ण प्रवृत्ति रखता है,नया करने का साहस रखता है,कम्पनी अथवा व्यवसाय के हित में स्वयं निर्णय ले सकता है।विद्यार्थी को भी पुस्तकें पढ़ते समय खोजपूर्ण प्रवृत्ति रखनी चाहिए। अर्थात् जहां तक हो सके,जितना भी हो सके गणित में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। परंतु ऐसे विद्यार्थी बहुत कम होते हैं।पुस्तकों में,पासबुक्स में,संदर्भ पुस्तकों में अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी होती है जिससे पढ़ने में अधिकांश छात्र-छात्राएं दिलचस्पी नहीं लेते हैं।

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3.गणित का गंभीरता पूर्वक अध्ययन करें (Study Mathematics Seriously):

  • गणित का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए गणित का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करें।किसी भी टॉपिक को पढ़ते समय इन प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करें।इस टॉपिक का लेखक कौन है?इस टाॅपिक की खोज किस अवसर पर और कैसे की? उस लेखक के मौलिक विवरण को कहां से और कैसे प्राप्त किया जा सकता है? क्या गणित के इस टॉपिक को अन्य कहीं अतिरिक्त सामग्री के लिए पढ़ा जा सकता है? इस प्रकार की प्रवृत्ति रखने को गणित में गम्भीरतापूर्वक अध्ययन करना कहा जाता है।गंभीरतापूर्वक अध्ययन करने से गणित की सामग्री न केवल याद रहती है बल्कि गणित में महारत हासिल होती है।मनुस्मृतिकार ने लिखा है कि “जैसे-जैसे मनुष्य शास्त्रों का गहन अध्ययन करता जाता है,वैसे-वैसे उसके रहस्यों को जानता जाता है।उसका ज्ञान बढ़ता जाता है और ज्ञान से उसमें विवेक जाग्रत होता है,आत्मविश्वास बढ़ता है।”
  • बहुत से छात्र-छात्राएं गणित से माध्यमिक,उच्च माध्यमिक,स्नातकोत्तर तथा पीएचडी करते हैं।परंतु उनमें से कितने छात्र ऐसे हैं जो यह जानते हैं कि गणित की परिभाषा क्या है,गणित के जनक कौन है,गणित की विषय सामग्री की खोज करने में किन-किन महान गणितज्ञों का योगदान है?गणित का दैनिक जीवन में क्या उपयोग है? गणित का प्रारंभ कैसे,कब और किसके द्वारा किया गया है?
  • यह ठीक नहीं है कि छात्र-छात्राएं केवल ऊपरी तौर पर गणित का अध्ययन करें।गंभीरतापूर्वक अध्ययन न करने पर उसका सदुपयोग नहीं कर सकते हैं। कोई भी अवसर अथवा जाॅब साक्षात्कार होने पर हमें अयोग्य ठहरा दिया जाता है।गणित से संबंधित परीक्षा चाहे लिखित हो,मौखिक हो अथवा साक्षात्कार हो छात्र-छात्राओं को गणित से संबंधित अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करते रहना चाहिए। किसी भी टॉपिक से संबंधित जितने भी प्रश्न होते हैं उनका उत्तर जानने का प्रयास करना चाहिए।

4.गणित के टाॅपिक को समझ कर हल करें (Understand and Solve the Topic of Mathematics):

  • गणित के पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति करना एक साधना है।कुछ छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षाओं तथा स्नातक स्तर पर सीरीज व साॅल्वड पेपर्स से सवालों के हल, प्रमेयों,सिद्धांतों को बिना समझे रट लेते हैं।इस प्रकार से गणित का ज्ञान प्राप्त करने से आत्मविश्वास में वृद्धि नहीं होती है और न ही गणित का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
  • बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि पुस्तकों को उलट-पुलट करते रहो।उलट-पुलट कर पढ़ने का तात्पर्य है कि गणित के प्रमेयों,सिद्धांतों को समझ कर पढ़ो।कोई बात बिना समझी हुई न रह जाए। गणित के कोई भी तथ्य,सिद्धांत,प्रमेय तथा सवाल आपके ध्यान से छूट न जाए।गणित का पूर्ण ज्ञान व जानकारी रखने वाला छात्र-छात्रा आत्मविश्वास तथा उत्साह से परिपूर्ण होता है।वह गणित के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करता है। वह चाहता है कि उसे अपने ज्ञान को प्रकट करने का अवसर मिले।ऐसा विद्यार्थी हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहता है।विषय को समझकर पढ़ने से समय और श्रम की बचत होती है क्योंकि वह एक बार में ही टाॅपिक को ठीक से समझकर हल करता है।
  • गणित को जितना अधिक समझकर हल किया जाएगा गणित विषय का ज्ञान उतना ही पूर्ण,व्यापक तथा ठोस होगा।अपूर्ण गणित का ज्ञान वाला छात्र-छात्रा हमेशा उपहास,उपेक्षा तथा अयोग्य ठहरा दिया जाता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths),गणित का ज्ञान प्राप्त करने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Complete Knowledge of Mathematics) के बारे में बताया गया है।

5.गणित होमवर्क में गलती का तर्क (हास्य-व्यंग्य) (The Logic of a Mistake in Math homework)(Humour-Satire):

  • गणित मैडम (छात्रा से):समझ में नहीं आता है कि तुमने गणित के सवालों में इतनी गलतियां कैसे की? जबकि मैंने तुम्हें हर सवाल हल करवाया है।
  • छात्रा (गणित मैडम से):मैडम ये गलती मैंने अकेले ने नहीं की है।इस प्रश्न-पत्र के सवालों के हल को मैंने पासबुक,सॉल्वड पेपर्स में भी देखा है।उनमें भी ऐसे ही हल किया हुआ है।इस गलती में पासबुक,सॉल्वड पेपर्स के लेखक भी भागीदार है।

6.गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths),गणित का ज्ञान प्राप्त करने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Complete Knowledge of Mathematics) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित में महारत हासिल करने का मंत्र क्या है? (What is the Mantra to Master Mathematics?):

उत्तर:गणित में महारत हासिल करने के लिए किसी एक गुण का होना ही पर्याप्त नहीं है।इसमें पारंगत होने के लिए सृजनात्मक चिंतन,एकाग्रता,सद्बुद्धि,नियमित अध्ययन व अभ्यास,जिज्ञासा,लगन,उत्साह,रुचि,जुनून,समर्पण जैसे कई फैक्टर्स का योगदान होता है।

प्रश्न:2.गणित का छात्र-छात्रा आगे क्यों नहीं बढ़ पाता है? (Why a Student is not Able to Move Forward in Mathematics?):

उत्तर:गणित के छात्र-छात्रा को आगे न बढ़ने के कई कारण है।परंतु मुख्य कारण चिंतन में विरोधाभास का होना है।प्रत्येक छात्र-छात्रा पहले यह सोचता है कि वह महान गणितज्ञ बन सकता है परंतु इसके बाद वह यह भी सोचने लगता है कि गणित जैसे विषय में महान नहीं बन सकते हैं।छोटा लक्ष्य निर्धारित करके छोटा बनना उसको स्वीकार नहीं होता और बड़ा लक्ष्य निर्धारित करते समय उसके मन में संशय रहता है।इस प्रकार वह लक्ष्यहीन और उद्देश्यहीन होकर भटकता रहता है।

प्रश्न:3.सही लक्ष्य निर्धारित कैसे करे? (How to Set the Right Goal?):

उत्तर:गणित में सही लक्ष्य निर्धारित करते समय छात्र-छात्रा को सर्वप्रथम अपनी क्षमता,योग्यता तथा अपने आपको आँकना जरूरी होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths),गणित का ज्ञान प्राप्त करने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Complete Knowledge of Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Tips to Achieve Perfection in Maths

गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स
(3 Tips to Achieve Perfection in Maths)

3 Tips to Achieve Perfection in Maths

गणित में पूर्णता हासिल करने की 3 टिप्स (3 Tips to Achieve Perfection in Maths)
बेजोड़ तथा अद्वितीय हैं।गणित के अध्येता को पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
बहुत से छात्र-छात्राओं की प्रवृत्ति होती है कि
वे गणित में संदर्भित विषय के बारे में जानने का प्रयास नहीं करते हैं।

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