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Importance of Set and Function in Math

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1.गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math),आधुनिक गणित में समुच्चय और फलन के अध्ययन का महत्त्व (Importance of the Study of Sets and Functions in Modern Mathematics):

  • गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math) तब मालूम हुआ जबकि परंपरागत गणित में छात्र-छात्राओं को अरुचि,नीरसता,उबाऊपन महसूस हुआ।आधुनिक गणित में समुच्चय,फलन तथा संबंध की संक्रियाओं को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया।इसके अलावा भी अनेक टॉपिक्स जैसे समूह,वलय,सदिश,रैखिक प्रोग्रामन,प्रायिकता,ग्राफ सिद्धांत,अवकलन,समाकलन को शामिल किया गया।पूर्व में गणित को केवल गणना कार्य (जोड़,बाकी,गुणा,भाग) तक ही सीमित मानने के कारण अंकगणित की प्रधानता थी।गणित की मूलभूत शब्दावली में भी प्रतीकों (Symbols),चिन्हों (Signs),संकेतन (Notations) को सम्मिलित करके गणितीय संक्रियाओं को बोधगम्य और आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया।गणित को भाषा के बजाय अभाषिक स्वरूप देने से गणित में भ्रम की स्थिति को समाप्त किया गया।
  • आधुनिक गणित में समुच्चय भाषा को शामिल करने से गणित का विकास होने के साथ-साथ रुचिकर तथा दैनिक जीवन में गणित का उपयोग सम्भव हुआ है।
  • समुच्चय तथा फलन का दैनिक जीवन से गहरा संबंध है।जैसे एक परिवार के सभी सदस्य एक समुच्चय है।बावजूद इसके समुच्चय तथा फलन में कई ऐसी कांसेप्ट हैं जिनको शिक्षक द्वारा ठीक से स्पष्ट न करने के कारण विद्यार्थी को समझने में परेशानी होती है।जैसे सारणीबद्ध (रोस्टर रूप) व  समुच्चय निर्माण रूप को स्पष्ट न करने के कारण विद्यार्थी इनको एक ही समझने लगते हैं।
  • फलन के प्रांत (Domain),सहप्रांत (Codomain),परिसर (Range),आश्रित चर (Dependent Variable),स्वतंत्र चर (Independent Variable) को स्पष्ट न करने के कारण फलन जटिल लगने लगता है।इनको समझे बिना समुच्चय और फलन का अध्ययन करते रहते हैं।आगे उच्च स्तर की जटिल गणनाओं को समझने में उन्हें कठिनाई महसूस होती है।यदि इन बेसिक बातों को शुरू में स्पष्ट करके आगे बढ़ा जाए तो समुच्चय,फलन तथा बीजगणित जटिल विषय नहीं बल्कि रोचक विषय लगेगा।गणित में समुच्चय और फलन का निम्नलिखित महत्त्व है:
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2.उच्च गणित के अध्ययन में सहायक (Helpful in the Study of Higher Mathematics):

  • गणितीय संरचनाओं का निर्माण समुच्चय एवं उसके अवयवों के लिए परिभाषित संक्रियाओं तथा सम्बन्धों द्वारा होता है।इन संक्रियाओं और संबंधों के संदर्भ में से संरचना जिन गुणधर्मों को प्रकट करती है वे हमारे उत्तरोत्तर अध्ययन का विषय होती है।उदाहरणार्थ द मार्गन नियम (De Morgan’s Laws),संघ (Union) तथा सर्वनिष्ठ (Intersection) के गुणधर्म प्रायिकता का अध्ययन करते समय उपयोग किए जाते हैं।
  • इसी प्रकार समुच्चय,संबंध व फलन के प्रारंभिक गुणधर्मों का उपयोग उच्च गणित में होता है।उच्च गणित अर्थात् एडवांस्ड बीजगणित के टॉपिक्स समूह (Group),वलय (Ring),यूक्लिडियन वलय (Euclidean Rings),सदिश समष्टि (Vector Spaces),फील्ड एक्सटेंशन (Field Extensions) इत्यादि में समुच्चय,फलन की बेसिक बातों तथा गुणधर्मों का उपयोग होता है।
  • उदाहरणार्थ अमूर्त बीजगणित के टाॅपिक ग्रुप समाकारिता (Group Homomorphism) में समाकारिता (Homomorphism or Morphism),अन्तरकारिता (Endomorphism),एकैकी समाकारिता (Monomorphism),आच्छादक समाकारिता (Epimorphism),तुल्याकारिता (Isomorphism) को समझने से पूर्व फलन के प्रकार एकैकी (one-one function),आच्छादक (onto or Surjective function),एकैकी आच्छादक (one-one onto or bijection) इत्यादि को समझना आवश्यक है।

3.विविधता में एकता के स्वरूप का प्रदर्शन (Display of the Nature of Unity in Diversity):

  • गणित गणितीय संरचनाओं का अध्ययन है।कोई भी संरचना किसी एक समुच्चय के अवयवों और उस पर की जानेवाली संक्रियाओं से उत्पन्न होती है।जब हम किसी संरचना का अध्ययन करते हैं तो इसका तात्पर्य संक्रियाओं के परिणामस्वरुप उत्पन्न गुणधर्मों के अध्ययन से है।
  • भिन्न-भिन्न समुच्चयों को लेकर उसके अवयवों पर की जाने वाली भिन्न-भिन्न संक्रियाओं में ये संरचनाएँ गुणधर्मों के पैटर्न को दर्शाती है।यह विविधता में एकता गणित के स्वरूप को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है।गणितीय प्रारूप केवल एक समस्या का समाधान नहीं करता अपितु अनेक समस्याएँ इसी द्वारा हल हो जाती है।
  • अपर प्राइमरी व माध्यमिक स्तर पर प्राकृत संख्याओं,पूर्ण संख्याओं,परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं की संरचना का अध्ययन करते हैं।ये संरचनाएँ ग्रुप,रिंग,फील्ड और वेक्टर स्पेस को समझने में मदद करती है।पूर्ण संख्याएँ एक योगात्मक ग्रुप और रिंग का उदाहरण है।वास्तविक संख्याएं एक फील्ड का उदाहरण है।यद्यपि ऐतिहासिक दृष्टि से प्राकृत संख्याओं,शून्य,धनात्मक संख्याओं और ऋणात्मक पूर्ण संख्याओं की उत्पत्ति के भिन्न कारण है तो भी उनकी आवश्यकता आधुनिक बीजगणित में पैटर्न के विकास हेतु स्वाभाविक है।दूसरे शब्दों में ग्रुप,रिंग, फील्ड और वेक्टर स्पेस हमें इस बात को दर्शाती है कि हम गणित में जिन प्रणालियों का अध्ययन करते हैं वे मूल संरचनाओं के भिन्न-भिन्न उदाहरण हैं। उनमें एक मूलभूत समरूपता है।इस मूलभूत समरूपता का अनुभव करने के लिए बीजगणितीय संरचनाओं का अध्ययन अनिवार्य है।इस प्रकार हमें विविधता में एकता का दर्शन होता है।

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4.समतल ज्यामिति के अध्ययन में सहायक (Helpful in the Study of Plane Geometry):

  • प्रतिच्छेदन (Intersection),समीकरण तथा असमीकरण के सत्य समुच्चय (आयत एवं त्रिभुज के संदर्भ में),रैखिक समीकरणों के प्रकार,मैट्रिक्स,अदिश राशि का अध्ययन,सम्मिश्र संख्याओं के प्रमेय आदि समतल ज्यामिति के आधार बनते हैं।

5.प्रतिदिन के जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान (Solving Problems Related to Everyday Life):

  • किसी भी वस्तु की किसी दी हुई दर से खरीदते समय फलन की धारणा उसमें निहित है।किन्हीं दो संख्याओं को जोड़ने या गुणा करने में भी फलन की धारणा व्यक्त है।
  • जब किसी एक वस्तु का परिमाण दूसरी वस्तु पर आधारित होता है जैसे किसी अस्पताल में खर्च किया गया धन मरीजों की संख्या पर निर्भर करता है तो हम फलन की धारणा का उपयोग करते हैं। जीवन के अधिकांश कार्यकलापों संबंधी निर्णयों को हम संबंध और फलन का अनुप्रयोग करते हैं।समुच्चय,संबंध और फलन को गणित की एकीकरण करने वाली धारणा कहा जा सकता है।
  • किसी शिक्षा संस्थान में कुछ विद्यार्थी गणित,कुछ विद्यार्थी एकाउंटेंसी तथा कुछ विद्यार्थी गणित व अकाउंटेंसी दोनों विषय पढ़ते हैं।विद्यार्थियों में प्रत्येक या तो गणित या एकाउंटेन्सी पढ़ता है।कुल विद्यार्थी जानने में समुच्चय का उपयोग किया जाता है।इस प्रकार दैनिक जीवन में बहुत सी समस्याओं को दो समुच्चयों के संघ (Union) और सर्वनिष्ठ (Intersection) का प्रयोग करके हल करते हैं।

6.विभिन्न संक्रियाओं के हल करने में सहायक (Helpful in Solving Various Operation):

  • समुच्चय के प्रतिच्छेदन (Intersection) का प्रयोग करके दो या दो से अधिक संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य (LCM) तथा महत्तम समापवर्तक (HCF) ज्ञात करने में किया जा सकता है।उदाहरणार्थ 20,50,75 का लघुत्तम समापवर्त्य व महत्तम समापवर्तक निम्न प्रकार ज्ञात करें करेंगे:
    20 के सर्व संभव गुणनखण्डों का समुच्चय A={1,2,4,5,10,20}
    50 के सर्वसम्भव गुणनखंडों का समुच्चय B={1,2,5,10,50}
    75 के सर्वसम्भव गुणनखंडों का समुच्चय C={1,3,5,15,25,75}
    A\cap{B}\cap{C}={1,5}
    सबसे बड़ा गुणनखण्ड 5 है अतः HCF=5
  • लघुत्तम समापवर्त्य:
    20 के गुणजों का समुच्चय (Set of Multiples) A={20,40,60,80,100,120,140,160,180,200,220,240,260,280,300,…}
    50 के गुणजों का समुच्चय B={50,100,150,200,250,300,…}
    75 के गुणजों का समुच्चय C={75,150,225,300,…}
    A\cap{B}\cap{C}={300,…}
    अतः लघुत्तम समापवर्त्य (LCM)=300
  • इसी प्रकार त्रिभुज समरूप हैं अथवा नहीं।यह हम सर्वनिष्ठ का प्रयोग करके ज्ञात कर सकते हैं। उदाहरणार्थ:त्रिभुज ABC के कोणों का समुच्चय={60,20,100}
    त्रिभुज PQR के कोणों का समुच्चय= {20,100,60}
    {ABC}\cap{PQR}={60,20,100}
  • अतः दोनों त्रिभुज समरूप है।
  • (i)समुच्चय व फलन के विभिन्न सूत्रों की सहायता से गणित की समस्याएं आसानी से हल की जा सकती हैं।
  • (ii)उच्च गणित में समुच्चय सिद्धांत तथा फलन आधारभूत नियमों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
  • (iii)समुच्चय सिद्धांत के द्वारा बीजगणित तथा गणित के तथ्यों को बहुत संक्षिप्त तथा सरलता से व्यक्त किया जा सकता है।
  • (iv)अपने दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न समस्याओं के हल समुच्चयों के संघ (Union) और सर्वनिष्ठ (Intersection) पर आधारित सूत्र n(A\cup{B})=n(A)+n(B)-n(A\cap{B}) से आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।जैसे प्रायिकता के सवालों को उपर्युक्त सूत्र तथा डी मोरगन नियम (De Morgan Laws) का प्रयोग करके हल किया जा सकता है।
  • (v)समुच्चय सिद्धांत तथा फलन के परिणामों की सत्यता में कोई संदेह नहीं रहता है।इसके परिणामों को आसानी से परखा जा सकता है।
  • (vi)आधुनिक गणित को रोचक,वस्तुपरक तथा गतिशील बनाने में समुच्चय सिद्धांत तथा फलन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math),आधुनिक गणित में समुच्चय और फलन के अध्ययन का महत्त्व (Importance of the Study of Sets and Functions in Modern Mathematics) के बारे में बताया गया है।

7.बुद्धिमान होने का सूत्र (हास्य-व्यंग्य) (Formula To be Wise) (Humour-Satire):

  • एक मित्र (दूसरे मित्र से):यार आजकल मैं बहुत परेशान हूं।
  • दूसरा मित्र:क्यों क्या हुआ?घर पर सब ठीक तो है। भाभी जी से झगड़ा तो नहीं हुआ।
  • पहला मित्र:नहीं यार,बात यह नहीं है।दरअसल मेरा बच्चा गणित पढ़ने में बहुत कमजोर है।उसको ट्यूटर पढ़ाने घर पर आता है फिर भी होशियार नहीं हो रहा है।किसी अच्छे ट्यूटर का नाम बताओ।
  • दूसरा दोस्त:ट्यूटर लगाने से कुछ भी नहीं होने वाला नहीं है।ट्यूटर को ट्यूशन फीस से मतलब है,पढ़ाई कराने से नहीं।ऐसा करो तुम अपने बेटे का नाम विवेक रख लो।फिर देखना,कितनी फुर्ती से सवाल हल करेगा।

8.गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math),आधुनिक गणित में समुच्चय और फलन के अध्ययन का महत्त्व (Importance of the Study of Sets and Functions in Modern Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:रिक्त समुच्चय किसे कहते हैं? (What is the empty set called?):

उत्तर:रिक्त समुच्चय एक अद्वितीय समुच्चय है।रिक्त समुच्चय की संकल्पना समुच्चय सिद्धांत में विशेष महत्त्व की है।समुच्चय सुपरिभाषित वस्तुओं का संग्रह है।ऐसा भी संभव है कि जिस संग्रह की हम बात कर रहे हों उसमें कोई अवयव ही नहीं हो।समुच्चय की भाषा में हम कहते हैं:
प्राकृत संख्याओं का समुच्चय,सम संख्याओं का समुच्चय,पूर्ण संख्याओं का समुच्चय आदि।किंतु इसी विचार श्रृंखला का दूसरा पक्ष यह भी है कि भाज्य संख्याओं के समुच्चय में अभाज्य संख्याएँ नहीं होती;सम संख्याओं के समुच्चय में विषम संख्याएँ नहीं होती इत्यादि।इनसे समुच्चयों में रिक्तता का बोध होता है।रिक्त समुच्चय उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी समुच्चय में कोई सदस्य न हो।इसके प्रतीक \phi{} या { } हैं।

प्रश्न:2.संघ तथा सर्वनिष्ठ समुच्चय के मुख्य गुणधर्म कौनसे हैं? (What are the main properties of Union and Intersection sets?):

उत्तर:(i)साहचर्य नियम (Associative Law):
\left(A\cap{B}\right)\cap{C}=A\cap{\left(B\cap{C}\right)}
\left(A\cup{B}\right)\cup{C}=A\cup{\left(B\cup{C}\right)}
(ii)क्रमविनिमेय नियम (Commutative Law):
A\cap{B}=B\cap{A}
A\cup{B}=B\cup{A}
(iii)वर्गसम नियम (Idempotent Law):
A\cap{A}=A
A\cup{A}=A
(iv)तत्समक नियम (Identity Law):
A\cap{U}=A;A\cup{\phi{}}=A
A\cup{U}=U;A\cap{\phi{}}=\phi{}
(v)बंटन नियम (Distributive Law):
A\cap{\left({B}\cup{C}\right)}={\left(A\cap{B}\right)}\cup{\left(A\cap{C}\right)}
A\cup{\left({B}\cap{C}\right)}={\left(A\cup{B}\right)}\cap{\left(A\cup{C}\right)}

प्रश्न:3.समुच्चय के मुख्य पूरक नियम कौन-कौनसे हैं? (What are the main complementary rules of the set?):

उत्तर:(i)डी मार्गन नियम (De Morgan Laws):
{A\cap{B}}^{'}={A^{'}}\cup{B^{'}}
{A\cup{B}}^{'}={A^{'}}\cap{B^{'}}
(ii)पूरक नियम (Complement Laws):
A\cap{A^{'}}=\phi{}
A\cap{A^{'}}=U
\phi{}^{'}=U;U^{'}=\phi{}

प्रश्न:4.द्विचर संक्रियाएँ किसे कहते हैं? (What is the binary operation called?):

उत्तर:ऐसी संक्रियाएँ जिन्हें सम्पन्न करने के लिए दो अवयवों की आवश्यकता होती है द्विचर संक्रिया कहलाती है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math),आधुनिक गणित में समुच्चय और फलन के अध्ययन का महत्त्व (Importance of the Study of Sets and Functions in Modern Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Importance of Set and Function in Math

गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व
(Importance of Set and Function in Math)

Importance of Set and Function in Math

गणित में समुच्चय और फलन का महत्त्व (Importance of Set and Function in Math) तब मालूम हुआ
जबकि परंपरागत गणित में छात्र-छात्राओं को अरुचि,नीरसता,उबाऊपन महसूस हुआ।
आधुनिक गणित में समुच्चय,फलन तथा संबंध की संक्रियाओं को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया।

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