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Algebra of Sets

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1.समुच्चय का बीजगणित का परिचय (Introduction to Algebra of Sets),समुच्चय का बीजगणित कक्षा 11 (Algebra of Sets Class 11):

  • समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets) को छात्र-छात्राएं जाने अनजाने दैनिक जीवन में प्रयोग करते रहते हैं।जैसे विद्यार्थी पुस्तके लाने के लिए बाजार जाते हैं तो वे पुस्तकों की दुकान पर जाते हैं।यदि उन्हें अध्ययन करना होता है तो लाइब्रेरी या वाचनालय जाते हैं।कोई दवा लेनी हो तो दवाई की दुकान पर जाते हैं।इस प्रकार भिन्न-भिन्न चीजों के लिए भिन्न-भिन्न दुकान या स्थान पर जाते हैं।एक ही प्रकार की वस्तुएँ अथवा उद्देश्य के लिए एक ही दुकान या भवन में जाते हैं।अतः यह कहा जा सकता है कि पुस्तकों की दुकान पर केवल पुस्तकें,कपड़े की दुकान पर केवल कपड़ा,दवाई की दुकान पर केवल दवाई मिलती है।पुस्तकों की दुकान पर पुस्तकों का संग्रह,दवाई की दुकान पर दवाइयों का संग्रह,कपड़े की दुकान पर कपड़ों का संग्रह,चश्मे की दुकान पर चश्मों का संग्रह है।इन्हीं को गणितीय भाषा में समुच्चय (Set) कहा जाता है।उपर्युक्त सभी या कुछ की संकल्पना का प्रयोग विद्यार्थी जाने-अनजाने में करते रहते हैं।समुच्चय बनाने के लिए यह आवश्यक है कि उन सभी चीजों में कोई विशेष गुणधर्म हो।अर्थात् यदि कुछ कपड़ा,कुछ पेन,कुछ पुस्तकों के संग्रह को समुच्चय नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इनमें अलग-अलग गुण हैं।इनमें कोई एक विशिष्ट समान गुणधर्म होने पर ही इन्हें समुच्चय कहा जा सकता है।कुछ विशिष्ट समुच्चयों के उदाहरण निम्न हैं:प्राकृत संख्याओं का समुच्चय,सप्ताह के दिनों का समुच्चय,वर्ष के सभी महीनों का समुच्चय,लाइब्रेरी में गणित की पुस्तकों का समुच्चय,अंग्रेजी वर्णमाला के स्वरों a,e,i,o,u का समुच्चय इत्यादि।
  • इस प्रकार समुच्चय को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है।’सुपरिभाषित वस्तुओं के संग्रह को समुच्चय कहते हैं।
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2.समुच्चय सिद्धान्त का इतिहास (History of Set Theory):

  • जर्मन गणितज्ञ जाॅर्ज केन्टर (Georg Canter 1845-1918) ने सर्वप्रथम समुच्चय सिद्धान्त के आधार पर गणितीय विश्लेषण का विकास किया।आधुनिक समुच्चय सिद्धान्त के अधिकांश भाग का जन्मदाता जार्ज केन्टर को माना जाता है।केन्टर ने समुच्चय की संकल्पना को पूर्णता प्रदान की और इसलिए समुच्चय सिद्धान्त का पितामह कहा जाता है।समुच्चय सिद्धान्त पर उनके शोधपत्र 1847 ईस्वी से 1897 ईस्वी के बीच के किसी समय में प्रकाश में आए।उनका समुच्चय सिद्धान्त अध्ययन उस समय हुआ जब वे a_{1}\sin{x}+a_{2}\sin{2x}+a_{3}\sin{3x}+. .. के रूप की त्रिकोणमितीय श्रेणी का अध्ययन कर रहे थे।
  • 1847 ईस्वी में अपने एक शोध पत्र में यह प्रकाशित किया कि वास्तविक संख्याओं को पूर्णांकों के साथ एक-एक संगतता में नहीं रखा जा सकता।1897 ईस्वी के उत्तरार्ध में अमूर्त समुच्चयों के विभिन्न गुणधर्मों को दर्शाने वाले उनके अनेक शोध पत्र प्रकाशित हुए।
  • कैंटर (Georg Cantor) के शोध को एक अन्य विख्यात गणितज्ञ रिचर्ड डेडीकाइन्ड (Richard Dedekind) (1831 ईस्वी-1916 ईस्वी) ने प्रशंसनीय ढंग से स्वीकार किया.लेकिन क्रोनेकर (Kronecker) (1810-1893 ईस्वी) ने अपरिमित समुच्चयों को,उसी प्रकार से लेने के लिए जिस प्रकार परिमित समुच्चयों को लिया जाता है,उनकी भर्त्सना की.एक दूसरे जर्मन गणितज्ञ Gottlob Frege ने शताब्दी की समाप्ति पर समुच्चय सिद्धांत को तर्कशास्त्र के नियमों के रूप में प्रस्तुत किया.उस समय तक संपूर्ण समुच्चय सिद्धांत सभी समुच्चयों के समुच्चय के अस्तित्व की कल्पना पर आधारित था.विख्यात अंग्रेज दार्शनिक बर्ट्रेण्ड रसेल (Bertand Russel) (1872 ईस्वी-1970 ईस्वी) थे जिन्होंने 1902 ईस्वी में बतलाया कि सभी समुच्चयों के समुच्चय के अस्तित्व की कल्पना एक विरोधोक्ति को जन्म देती है.इस प्रकार रसेल (Russel) की विख्यात विरोधोक्ति मिली.पाल आर हाल्मोस (Paul R. Halmos) इसके बारे में अपनी पुस्तक ‘Naive Set Theory’ में लिखा है कि ‘कुछ नहीं में सब कुछ समाहित है’.
    इन सभी विरोधोक्तियों के परिणामस्वरुप समुच्चय सिद्धांत का पहला अभिगृहीतीकरण 1908 ईस्वी में Ernst Zermelo द्वारा प्रकाशित किया गया. 1922 ईस्वी में अब्राहम फ्रैंकल (Abraham Fraenkel ) ने एक दूसरा प्रस्ताव भी दिया.1925 ईस्वी में जॉन वॉन न्यूमैन (John Von Neumann) ने नियमितीकरण का अभिगृहीत स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया.इसके बाद 1937 ईस्वी में Paul Bernays ने संतोषजनक अभिगृहीतीकरण प्रस्तुत किया.इन अभिगृहीतों में सुधार,कर्ट गोडेल (Kurt Godel) द्वारा 1940 ईस्वी में अपने मोनोग्राफ में प्रस्तुत किया गया.इस सुधार को वॉन न्यूमैन-बर्नेज़ (Von Neumann-Bernays) (VNB) अथवा गोडेल-बर्नेस (Godel-Bernays) (GB) का समुच्चय सिद्धांत कहते हैं.
  • इन सभी कठिनाइयों के बावजूद,कैन्टर (Cantor) के समुच्चय सिद्धांत को वर्तमान काल के गणित में प्रयोग किया जाता है.वास्तव में आजकल गणित के अधिकांश संकल्पनाएँ तथा परिणामों को समुच्चय सैद्धांतिक भाषा में प्रस्तुत करते हैं।

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3.समुच्चय सिद्धांत का बीजगणित (Algebra of Sets):

  • समुच्चय सिद्धांत में संघ तथा प्रतिच्छेदन दो महत्वपूर्ण संक्रियाएं हैं।ये संक्रियाएं संख्या पद्धति की जोड़ तथा व्यवकलन संक्रियाओं से अनेक बातों में समान है।संख्या सिद्धांत के तीन नियम:क्रमविनिमेयता (Commutativity),साहचर्यता (Associativity) तथा बंटनशीलता (Distributivity) समुच्चय सिद्धान्त के लिए भी लागू होते हैं।किंतु संख्या सिद्धांत तथा समुच्चय सिद्धांत में कुछ असमानताएं भी हैं।उदाहरणार्थ समुच्चय सिद्धांत में कोई समुच्चय A हो तो {A}\cup{A}=A,{A}\cap{A}=A होते हैं किंतु संख्या सिद्धांत में a+a=a या a.a=a नहीं होते हैं।
  • समुच्चय सिद्धांत के उपर्युक्त समानताओं तथा असमानताओं के आधार पर कहा जा सकता है कि समुच्चय सिद्धांत के मूलभूत सिद्धांत संख्या सिद्धांत से लिए गए हैं तथा उन्हें आधुनिक बीजगणित की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है।
  • समुच्चय सिद्धान्त का व्यापक रूप से बीजगणित,ज्यामिति,विश्लेषण (Analysis) तथा अनुप्रायोगिक गणित में प्रयोग होता है।आज की गणित में समुच्चय सिद्धांत को गणित की रीढ़ की हड्डी की संज्ञा दी जा सकती है।यह भविष्य की गणितीय भाषा है।
    समुच्चय सिद्धांत आधुनिक गणित की भाषा है। समुच्चय की भाषा ने आधुनिक गणित के अनेक विषयों के एकीकरण में सहायता की है।समुच्चय सिद्धांत की संकल्पनाओं तथा भाषा ने परंपरागत गणित की कमियों को पूरा कर आधुनिक गणित को एक व्यापक आधार प्रदान किया है तथा गणित के विकास को व्यवस्थित एवं गतिशील बनाया है।
  • समुच्चय सिद्धान्त ने नवीन गणित को जन्म दिया है तथा बीजगणित एवं ज्यामिति की संकल्पनाओं को संक्षिप्त भाषा प्रदान की है।समुच्चय भाषा की सहायता से अमूर्त प्रत्ययों की प्रभावी ढंग से अभिव्यक्ति संभव हुई है।
  • समुच्चय सिद्धान्त हमारे जीवन की प्रक्रियाओं एवं संबंधों को आधार बनाकर विकसित किए गए हैं। बालक जब छोटा होता है तब से वह (1)सदस्य हैं (Belongs to),(2)क्रम (Order),(3)रिक्त समुच्चय (Empty Set),(4)समूह (Group),(5)सम्बन्ध (Relation) आदि संकल्पनाओं को अपने वातावरण में देखकर समझने लगता है।
  • परिवार उसके लिए समुच्चय है तथा मां,बाप,भाई,बहन उसके सदस्य (members) हैं। प्रत्येक घर का व्यक्ति उस समुच्चय का सदस्य है तथा सदस्यों में परस्पर संबंध है।कुटुम्ब के बड़े सदस्य,छोटे सदस्य आदि बालक को क्रम (Order) का आधार प्रदान करते हैं।कुटुम्ब के बाहर के व्यक्ति कुटुंब के सदस्य नहीं है।इस प्रकार हम देखते हैं कि बालक जन्म से ही समुच्चय सिद्धांत के विचारों से परिचय प्राप्त करता है।
  • अतः समुच्चय सिद्धांत हमारे जीवन के वास्तविक अनुभवों के आधार पर निर्मित हुए हैं तथा हमारे वास्तविक सम्बन्धों को समुच्चय की भाषा में व्यवस्थित ढंग से प्रगट किया गया है।यह धारणा निराधार है कि बालक समुच्चय सिद्धांत को समझ नहीं पाते हैं।वास्तविकता यह है कि बालक समुच्चय,सदस्यता,कम्र संबंध,रिक्त समुच्चय आदि के विचारों से अप्रत्यक्ष रूप से परिचित होते हैं। समुच्चय सिद्धांत की संकल्पनाएं उनके लिए नयी नहीं है।समुच्चय सिद्धांत बालकों के मनोविज्ञान के अनुरूप है।
  • जोड़,बाकी,गुणा,भाग की संक्रियाओं को समझने में समुच्चय सिद्धांत ने अत्यधिक सहायता की है।समुच्चय की भाषा की सहायता से गूढ़ विचारों को संक्षिप्त एवं सरल भाषा में लिख सकते हैं।

4.समुच्चय सिद्धांत (Set Theory):

(1.)समुच्चय की परिभाषा (Definition of Set):

  • सुपरिभाषित वस्तुओं के संग्रह को समुच्चय कहते हैं।समुच्चय में सम्मिलित वस्तुओं को समुच्चय के सदस्य कहते हैं।

(2.)समुच्चय के उदाहरण (Examples of Sets):

  • दैनिक जीवन में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जिससे वस्तुओं के संग्रह का बोध होता है।
    जैसे (i)कक्षा (ii)परिवार (iii)सेना (iv)टीम (v)वर्ष (vi)पुस्तकालय (vii)झुंड (viii)भीड़ (ix)सप्ताह (x)बारात (xi)खजाना (xii)प्राकृत संख्याएं (xiii)जंगल (xiv)अनाथालय (xv)कोचिंग सेंटर (xvi)बगीचा
    उपर्युक्त शब्दों से संग्रह (Collection) का बोध होता है।

(3.)समुच्चय संकेतन (Set Notation):

  • समुच्चय की भाषा में संकेतों का प्रयोग किया जाता है।संकेतों की सहायता से सम्बन्धों या विचारों को संक्षिप्त रूप में सरलता से व्यक्त किया जा सकता है।
  • चिन्हों,प्रतीकों अथवा संकेतों में गणितीय भाषा को प्रकट करना आधुनिक युग में संभव हुआ है।इसलिए आधुनिक युग (19वीं शताब्दी के प्रारंभ अब तक) में गणित की तीव्र गति से विकास हुआ है।इतनी तीव्र गति से हुआ है कि गुणोत्तर रूप से इसकी विषयवस्तु में वृद्धि हुई है।इसकी अनेक शाखाओं का प्रादुर्भाव हुआ है।वर्तमान समय में सामान्य जनता से उच्च गणित का बिल्कुल संपर्क ही नहीं है।यहां तक कि गणित के सामान्य छात्र भी इसकी शाखाओं और इसकी विषयवस्तु (Content) से ठीक से परिचित नहीं है।
  • प्राचीन काल में गणित को भाषा में व्यक्त किया जाता था।भाषा के वाक्यों का अर्थ एकसा नहीं होता है।जैसे Solution को रसायन विज्ञान में विलयन तथा गणित में हल (समाधान) कहा जाता है।परंतु चिन्हों,प्रतीकों तथा संकेतों का अर्थ स्थिर होता है।अतः आधुनिक युग में गणितज्ञ गणित की विषय सामग्री को चिन्हों,प्रतीकों तथा संकेतों में व्यक्त करते हैं।उच्च गणित की पुस्तकों में चिन्हों (signs),प्रतीकों (Symbols) तथा संकेतों (Notations) की भरमार है।इन चिन्हों, प्रतीकों तथा संकेतों को समझे बिना उच्च गणित की विषयवस्तु को नहीं समझा जा सकता है।इसमें कोई संदेह नहीं कि इन चिन्ह,प्रतीकों तथा संकेतों से गणित की विषय सामग्री समृद्ध हुई है तथा भाषा की अपेक्षा चिन्हों,प्रतीकों व संकेतों से गणित की विषयवस्तु को समझने में सरलता है।
    कंप्यूटर से बहुत सी जटिल गणनाओं तथा बड़ी से बड़ी गणनाओं का हल तत्काल इसीलिए मिल जाता है।कंप्यूटर में इतनी तीव्र गति से समस्याओं का हल आधुनिक गणित के अनुप्रयोग से ही संभव हुआ है।समुच्चय भाषा के प्रतीक एवं संकेतन के कारण नवीन गणित का तीव्र गति से तथा उत्तरोत्तर विकास हुआ है।पारंपरिक गणित में गणित की नई शब्दावली,प्रतीकों,चिन्हों,संकेतों,संरचनाओं इत्यादि का निर्माण कर परंपरागत गणित को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया है।नवीन गणित में बीजगणित एवं ज्यामिति के एकीकृत स्वरूप को अधिक महत्त्व दिया गया है।
  • समुच्चय की संकल्पना गणित की सभी शाखाओं की आधारभूत संकल्पना है।सम्बन्धों,फलनों,अनुक्रमों,ज्यामिति,प्रायिकता सिद्धांत आदि की आधारशिला में इसका विशेष महत्त्व है।समुच्चयों के अध्ययन के अनेक अनुप्रयोग तर्कशास्त्र,दर्शनशास्त्र इत्यादि में है।
  • समुच्चय में फलन की संकल्पना एक लंबे अंतराल में विकसित हुई है।इस संदर्भ में आर डेकार्टेज (R. Descarts),जेम्स ग्रेगरी (James Gregory),एल आयलर (L. Euler),लैबनीज (Lebenitz),जोसेफ फोरियर (Joseph Fourrier) तथा जार्ज कैन्टर (George Cantor) आदि के नाम प्रमुख हैं।
    (i)समुच्चय का प्रतीक { }
    (ii)सदस्य है (Belongs to) \in{}
    (iii)उपसमुच्चय (Subset) \subset{}
    (iv)रिक्त समुच्चय (Empty Set) \phi{}
    (v)संघ (सन्धि) (Union) \cup{}
    (vi)प्रतिच्छेदन (Intersection) \cap{}
    (vii) सार्वत्रिक समुच्चय (Universal Set)U
    (viii)प्राकृतिक संख्याओं का समुच्चय (Set of Natural Numbers) N
    (ix)पूर्णांकों का समुच्चय (Set of Integers) Z
    (x)परिमेय संख्याओं का समुच्चय (Set of Rational Numbers) Q
    (xi)वास्तविक संख्याओं का समुच्चय (Set of Real Numbers) R
    (xii)धन पूर्णांकों का समुच्चय (Set of Positive Integers) Z^{+}
    (xiii)धन परिमेय संख्याओं का समुच्चय (Set of Positive Rational Numbers) Q^{+}
    (xiv)धन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय (Set of Positive Real Numbers) R^{+}
    (xv)उपसमुच्चय नहीं (Not Subset) \not\subset{}

5.आलीशान ठाठ-बाट से लड़की व उसके माता-पिता के साथ धोखाधड़ी (Those Who cheated the girl and her parents with a luxurious pomp and show),मायाजाल से लड़की और लड़की के माता-पिता को ठगने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (A way to cheat a girl from the illusion)(Humor-Satire):

  • भौतिक चकाचौंध से सावधान!ठगने वालों ने नए-नए तरीके निकाल लिए हैं।मेरे मित्र ने कहा कि जयपुर में मेरे मित्र व उसकी लड़की के साथ धोखाधड़ी हो गई।मैंने उनसे पूरी बात करने के लिए कहा।उन्होंने कहा कि मेरे मित्र की लड़की कॉलेज में पढ़ती थी।एक दिन एक परिवार लड़की का रिश्ता करने के लिए आ गए।बाहर से दिखने में पढ़े-लिखे थे।जैसा की परंपरा है गोत्र वगैरह मिलाने के बाद बात आगे बढ़ी।उन महोदय ने अपने प्लाट का नंबर व पता देकर उनसे घर-परिवार और लड़के को देखने के लिए कहा।2 दिन बाद लड़की के माता-पिता वहां गए।उन्होंने लड़के को देखा और उससे बातचीत करने के बाद वे संतुष्ट हो गए।मेरे मित्र के मित्र ने कहा कि लड़की कॉलेज में पढ़ रही है।इसलिए अभी कुछ समय ठहरना होगा।लड़के के माता-पिता बोले कि लड़की को आगे पढ़ाने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमें लड़की से नौकरी करवानी नहीं है।हमारे पास सब कुछ है,किसी बात की कमी नहीं है।उनके प्लॉट व अंदर की साज-सज्जा की शान-ए-शौकत देखकर ऐसा लग रहा था कि वह बहुत धनाढ्य है।तब लड़की के माता-पिता बोले आपकी कोई डिमांड है क्या? लड़के के माता-पिता बोले हमारी कोई डिमांड नहीं है।हम लड़की के साथ कोई सौदा नहीं कर रहे हैं। यह तो दो दिलों,दो परिवारों के मिलन की बात है। लड़की के माता-पिता उनके सौम्य व्यवहार से बहुत प्रभावित हुए।रिश्ता पक्का हो गया।लड़की और लड़के के परिवार की उपस्थिति में शादी विधिवत संपन्न हो गई।लड़की को विदा कर दिया गया। लड़की के माता-पिता निर्धन थे परन्तु लड़के के माता-पिता की शान शौकत देखकर उन्होंने दहेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।लगभग 2 माह बाद लड़की पीहर आ गई।तीन-चार माह तक लड़के वालों ने कोई खबर नहीं ली तो लड़की के पिता स्वयं गए।परंतु वहां का नजारा देखकर सकते में आ गए।क्योंकि उस प्लॉट में तो कोई ओर सज्जन रह रहे थे।जब उनसे तथा आसपास के लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि वे कभी के खाली करके चले गए हैं।लड़की के पिता के पास कोई सबूत नहीं था।उन्होंने उनका पता लगाने की हर सम्भव कोशिश की परंतु कोई पता ठिकाना नहीं मिला।उन्होंने लड़की की इज्जत के साथ खिलवाड़ तो किया ही साथ ही दहेज का सामान ले गए सो अलग।
  • आजकल पढ़-लिखकर युवा डिग्रीधारी (Qualified) ही होता है शिक्षित (Educated) नहीं होता है।इस प्रकार के युवा जो डिग्रीधारी हैं अपने आप को बुद्धिमान समझते हैं।अर्थात् ऐसे युवाओं के अनुसार बुद्धिमान का अर्थ है अहंकार, धूर्तता,चालाकी,छल-कपट,अन्याय पूर्ण आचरण करना,लोगों की आंखों में धूल झोंकना,ठगना,बेवकूफ बनाना।
  • इस घटना ने हमें झकझोर दिया।साथ ही यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि आदमी को बहुत अधिक सीधा-सादा भी नहीं होना चाहिए।साथ ही ऐसे लोगों के साथ चाणक्य के श्लोक ‘शठे प्रति शाठयं समाचरेत्’अर्थात् शठ के प्रति शठता का व्यवहार ही करना चाहिए क्योंकि सीधेपन और सरलता से ऐसे लोग नहीं मानते हैं।ऐसे धूर्त लोग औढ़ी हुई सौम्यता अर्थात् दिखावटी सौम्यता रखते हैं।अंदर से कपटी,दुष्ट,बेहद चालाक,अहंकारी तथा अपराधी किस्म के होते हैं।
  • उपर्युक्त विवरण में समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets),समुच्चय का बीजगणित कक्षा 11 (Algebra of Sets Class 11) के बारे में बताया गया है।

6.समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets),समुच्चय का बीजगणित कक्षा 11 (Algebra of Sets Class 11) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.सेट के बीजगणित का क्या अर्थ है? (What is mean by Algebra of Sets?):

उत्तर:गणित में,सेट के बीजगणित,सेट के बीजगणित की गणितीय संरचना के साथ भ्रमित नहीं होने के लिए, सेट के गुणों और नियमों,संघ,प्रतिच्छेदन और पूरकता के सेट-सैद्धांतिक संचालन और सेट समानता और सेट समावेशन के संबंधों को परिभाषित करता है (defines the properties and laws of sets, the set-theoretic operations of union, intersection, and complementation and the relations of set equality and set inclusion)। 

प्रश्न:2.समुच्चयों के बीजगणित का क्या अर्थ है? (What is meant by algebra of sets?):

उत्तर:समुच्चय का बीजगणित संख्याओं के बीजगणित का समुच्चय-सैद्धांतिक एनालॉग है।यह संघ,प्रतिच्छेदन और पूरकता (intersection and complementation) के सेट-सैद्धांतिक संचालन और समानता और समावेश के संबंधों का बीजगणित (the set-theoretic analogue of the algebra of numbers) है।

प्रश्न:3.सेट के लिए प्रतीक क्या हैं? (What are the symbols for sets?):

गणित सेट सिद्धांत प्रतीक
प्रतीक प्रतीक नाम अर्थ
{ }       सेट।          अवयवों का एक संग्रह
A ∪ B संघ            अवयव जो सेट A या सेट B से संबंधित हैं
A ∩ B प्रतिच्छेदन   अवयव जो दोनों सेटों A और B से संबंधित हैं
A⊆B  सबसेट           सबसेट में सेट के बराबर कुछ या सभी अवयव होते हैं

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets),समुच्चय का बीजगणित कक्षा 11 (Algebra of Sets Class 11) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Algebra of Sets

समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets)

Algebra of Sets

समुच्चय का बीजगणित (Algebra of Sets)
को छात्र-छात्राएं जाने अनजाने दैनिक जीवन में प्रयोग करते रहते हैं।
जैसे विद्यार्थी पुस्तके लाने के लिए बाजार जाते हैं
तो वे पुस्तकों की दुकान पर जाते हैं।
यदि उन्हें अध्ययन करना होता है तो लाइब्रेरी या वाचनालय जाते हैं।

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