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How to Get Pinnacle of Mathematics?

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1.गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (How to Get Pinnacle of Mathematics?),छात्र-छात्राओं के द्वारा गणित का अध्ययन करके शिखर पर पहुँचने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Reach Top by Studying Mathematics):

  • गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (How to Get Pinnacle of Mathematics?) अर्थात् ऐसी कौनसी रणनीति अपनाई जाए अथवा अपने अंदर ऐसा कौनसा गुण धारण किया जाए जिससे गणित का अध्ययन करके शीर्ष पर पहुंचा जा सके।छात्र-छात्राओं में जोश होता है अतः प्रारंभ में जब वह गणित का अध्ययन करना प्रारंभ करता है तो जल्दी से जल्दी गणित का अध्ययन पूरा कर लेना चाहता है।गणित लेने और गणित विषय का अध्ययन करने के लिए बहुत से लोग हतोत्साहित भी करते हैं।उत्साहित करने वाले तथा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाले बहुत कम लोग होते हैं।फलस्वरूप छात्र-छात्राओं का जोश ठंडा पड़ जाता है।प्रारंभ में तो उत्साहित करने वाली नगण्य ही होते हैं।परंतु यदि छात्र-छात्राएं अपनी संकल्पशक्ति और आत्म-विश्वास के बल पर आगे बढ़ता जाता है और उसे सफलताएं मिलनी लग जाती है तो धीरे-धीरे उसको उत्साहित तथा प्रेरित करने वाले लोग जुड़ते जाते हैं।
  • छात्र-छात्राएं यदि जोश के साथ होश भी रखें तथा स्वयं अपने आपको प्रेरित करते रहें और हतोत्साहित करने वालों पर ध्यान न दें तो कोई कारण नहीं है कि वह गणित में उच्च स्थान प्राप्त न कर सकें।यदि गणित का अध्ययन करते हुए शिखर पर पहुंचने का संकल्प न हो तो न तो गणित की पढ़ाई जारी रह सकती है और न ही गणित की पढ़ाई करने वाला कोई विद्यार्थी मिलेगा।केवल गणित में ही क्यों हर क्षेत्र में जैसे विज्ञान,खेल,संगीत,भजन,राजनीति,समाज सेवा इत्यादि में शिखर पर स्थान खाली ही रहता है और योग्य छात्र-छात्राएं आत्मविश्वास के बल पर उस स्थान पर पहुंच ही जाते हैं।
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2.गणित के शिखर पर न पहुंचने के कारण (Reasons for not Reaching the Pinnacle of Mathematics):

  • (1.)आजकल हर क्षेत्र में पुराने व्यक्ति अपना स्थान कायम कर लेता है।नए छात्र-छात्राएं पुराने स्थापित गणितज्ञों के मुकाम को देखकर होसला खो देते हैं।जबकि कई छात्र-छात्राएं अध्यवसाय तथा पुरुषार्थ के बल पर प्राचीन दिग्गजों को पीछे धकेल देते हैं।
  • (2.)छात्र-छात्राएं जब यह सोच लेते हैं कि गणित का अध्ययन करना अव्यावहारिक अथवा असंभव है तो शिखर पर पहुँचना तो दूर रहा गणित का सामान्य ज्ञान भी नहीं प्राप्त कर पाते हैं।
  • (3.)छात्र-छात्राएं जब यह सोच लेते हैं कि साधन-सुविधाओं के बल पर ही शिखर पर पहुंचा जा सकता है जैसे गणित शिक्षक का अभाव,कोचिंग संस्थान का अभाव,गणित पुस्तकों का अभाव इत्यादि।ऐसी स्थिति में भी छात्र-छात्राएं आगे नहीं बढ़ पाते हैं।वस्तुतः शिखर पर पहुंच न सकने का कारण साधन-सुविधाओं की कमी न होकर,उपलब्ध साधन-सुविधाओं का उचित उपयोग कर सकने की क्षमता का अभाव होता है।
  • (4.)अपने से वरिष्ठ गणितज्ञों,गणित अध्यापकों के अनुभवों का लाभ न उठा पाना।कई छात्र-छात्राएं अहंकार और आलस्य के कारण अपने से मेधावी छात्र-छात्राओं,शिक्षकों तथा गणितज्ञों से गणित में आगे बढ़ने के लिए विचार-विमर्श नहीं करते हैं फलतः वे पिछड़ जाते हैं।
  • (5.)गणित का अध्ययन करने के लिए लगातार कठिन परिश्रम न कर पाना तथा उथले प्रयासों से ही सफलता की कामना करना।अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनवरत कठोर परिश्रम करने वाला अपनी मंजिल पा ही लेता है।
  • (6.)गणित के अध्ययन के लिए उत्साह की कमी।शिखर पर पहुंचने के लिए छात्र-छात्राओं के मन में कभी भी तृप्त न होने वाला उत्साह और दृढ़ निश्चय होना चाहिए।
  • (7.)गणित के अध्ययन में शिखर पर न पहुंचने वालों की गलतियों तथा कमजोरियों से सीख न लेना भी हमारे आगे बढ़ने के रास्ते को अवरुद्ध कर देता है।जो छात्र-छात्राएं गणित का अध्ययन करते हुए यह भी जानकारी करते हैं कि जो गणित के शिखर पर नहीं पहुंच सके वे क्यों नहीं पहुंच सके थे।उन्होंने जो गलतियां की उनसे बच कर चलते रहने पर शिखर पर पहुंचा जा सकता है।
  • (8.)गणित का अध्ययन करने तथा उत्साहजनक परिणाम प्राप्त न होने पर बहुत से व्यक्ति और छात्र-छात्राएं ऐसे मिलेंगे जो आपको हतोत्साहित करते हों।यदि आपने उनकी बातों को गंभीरता से लिया होगा तो आप गणित के शिखर पर नहीं पहुंच सकेंगे।सदैव याद रखिए कि कोई भी छात्र-छात्रा जन्म के समय अपने मस्तिष्क पर यह लिखाकर नहीं आता कि वह उच्चतम शिखर प्राप्त करेगा।वस्तुतः शिखर पर पहुंचने पर समस्त आरोप-प्रत्यारोप,दोषों,कमियों,समस्याओं और कठिनाइयों को मिटाने की विलक्षण क्षमता होती है।जिस समय आप गणित का अध्ययन करते-करते शिखर पर पहुंच जाएंगे तो सब तरफ से एक ही स्वर सुनाई देगा कि इसे कहते हैं लगन और आत्म-विश्वास।
  • (9.)शिखर पर पहुंचने तक धैर्य न रखना।कोई भी कार्य समय से पहले नहीं होता है तथा उस कार्य का पूरा मूल्य चुकाए बिना सिद्धि प्राप्त नहीं होती है।परंतु कुछ छात्र-छात्राएं जल्दबाज होते हैं वे जल्दी से जल्दी गणित में खोज कार्य के कर्ता,पीएचडी धारक,गणितज्ञ इत्यादि बन जाना चाहते हैं इसलिए उन्हें असफलता हाथ लगती है।

3.गणित के शिखर पर पहुंचने के उपाय (Ways to Reach the Pinnacle of Mathematics):

  • (1.)छात्र-छात्राओं तथा व्यक्ति में असीम क्षमताएं हैं।उन क्षमताओं को विकसित करके गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है।
  • (2.)गणित की इतनी विषयवस्तु की खोज करने और गणित का विकास करने में इने-गिने गणितज्ञों का ही योगदान है।अधिकांश छात्र-छात्राएं सामान्य ढर्रे का जीवन जीते हैं।यदि वे भी अपने अंदर निहित शक्तियों और संभावनाओं को तराशने,निखारने,उभारने में लग जाए तो गणित में अद्भुत सफलताएं हासिल कर सकते हैं।
  • (3.)कुछ छात्र-छात्राओं की धारणा होती है कि महान गणितज्ञों को अनुकूल परिस्थितियां मिलने के कारण ही वे आगे बढ़ सके हैं।परन्तु यह धारणा गलत है।वस्तुतः गणित के शिखर पर पहुंचना अनुकूल,प्रतिकूल परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करता है और न ही उपयुक्त अवसरों की प्राप्ति पर निर्भर करता है।बल्कि अपने अंदर कूट-कूटकर विश्वास भरा हो और अपनी सामर्थ्य तथा साधनों पर विचार करते हुए आगे बढ़ा जाता हो तभी अध्ययन के शिखर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।
  • (4.)अपने ऊपर आत्म-विश्वास कि वह गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है।अर्थात् आत्म-विश्वास उस दूरदर्शिता का नाम है जिसके साथ  संकल्पशक्ति और साहस भी जुड़ा होता है।ऐसे आत्मविश्वासी छात्र-छात्राएं गणित के अध्ययन में आलस्य,लापरवाही व प्रमाद नहीं करते हैं बल्कि मनोयोग,तन्मयता,तत्परता और कठिन परिश्रम के बल पर गणित के शिखर पर जा विराजते हैं।
  • (5.)गणित के अध्ययन के प्रति पूर्ण निष्ठा,लगन और तन्मयतापूर्वक आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहने पर प्रगति करते हुए वह मुकाम हासिल कर सकते हैं जो कुछ चुने हुए गणितज्ञों तथा महामानवों को नसीब होता है।इस बीच कई असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है परंतु उससे विचलित नहीं होना चाहिए।
  • (6.)अपने शुभचिंतकों के प्रेरणा और प्रोत्साहन तथा स्वयं प्रेरित कठिन परिश्रम से हमारे अन्दर इतना आत्म-विश्वास जागृत हो जाता है कि जिसके बल पर गणित में असाधारण कार्य संपन्न किया जा सकता है।
  • (7.)ऐसे अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं जिनके आधार पर यह सिद्ध होता है कि गणित में शिखर पर पहुंचना परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करता है बल्कि स्वयं पर निर्भर करता है,संकल्पशक्ति और दृढ़ इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है।जब हम गणित का अध्ययन करने के लिए कमर कस कर खड़े हो जाते हैं तो आगे से आगे सफलता मिलने लगती है।इसके बाद एक नहीं अनेक हाथों का सहयोग-सहायता मिलने लगती है।वह अपने संकल्पशक्ति से गणित के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण कर लेता है।इस आकर्षण शक्ति का स्रोत आत्मविश्वास है।उसे अपने आप पर,अपनी सामर्थ्य पर इतना विश्वास होता है कि गणित के अध्ययन करने के दौरान आनेवाली कठिनाइयों,असुविधाओं के रहते हुए भी अपनी क्षमता और सामर्थ्य के बल पर उपयुक्त दिशा में चलता है,प्रगति कर लेता है।

4.गणित के शिखर पर पहुंचने का दृष्टांत (The Parable of Reaching the Pinnacle of Mathematics):

  • गणित में शिखर एक ऐसा शिखर है जो निरंतर ऊँचा उठता रहता है और कभी खाली नहीं रहता है।उस पर हर छात्र-छात्रा पहुंचने की सामर्थ्य रखता है।यदि छात्र-छात्राएं सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने की सामर्थ्य रखता है तो एक न एक दिन सफलता उनके कदम चूमेगी।हालांकि गणित के शिखर पर पहुँचना दुष्कर और कठिन साध्य है परंतु चिंतन-मनन और कठोर परिश्रम (अभ्यास) से उसे पाया जा सकता है।शिखर पर पहुँचने के लिए कितनी ही कड़ी प्रतियोगिता हो परंतु तेजस्वी व मेधावी छात्र-छात्राएं उसे प्राप्त कर ही लेते हैं।इसमें देर भले लग जाए इसलिए आशावाद का सहारा नहीं छोड़ना चाहिए।
  • एक गणित का छात्र था परन्तु जब वह देखता था कि प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले गणित के विद्यार्थी के 95-96% अंक आए हैं तो वह असमंजस में पड़ जाता था कि इतने अंक कैसे अर्जित कर सकते हैं।जब उसने गणित में शोध कार्य और पीएचडी करने की इच्छा प्रकट की तो उसके सहपाठियों तथा लोगों ने यह कहकर हतोत्साहित किया कि गणित के शोध कार्य में कोई भविष्य नहीं है।गणित के शोध कार्य में इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा है कि नए छात्र-छात्रा तथा सामान्य श्रेणी के छात्र-छात्रा टिक ही नहीं पाते हैं।
  • इस क्षेत्र में पहले से ही जमे जमाए खुर्राट गणितज्ञ बैठे हुए हैं जो नए गणितज्ञ को टिकने ही नहीं देते हैं।ऐसा सुनकर वह छात्र निराश हो गया।उसने सोचा कि मैं इतने अधिक अंक प्राप्त नहीं कर सकूंगा जिससे गणित में पीएचडी करके गणितज्ञ बना जा सकता हो।गणितज्ञ प्रखर,तेजस्वी और प्रचण्ड पुरुषार्थ के बल पर ही बना जा सकता है।इस प्रकार तो मैं अपने स्वप्न को पूरा न कर सकूँगा।
  • गणित के शिखर पर पहुंचना तो दूर रहा,मैं गणित में पीएचडी करके साधारण सा गणितज्ञ भी न बन पाऊँगा।
    एक दिन गणित के अध्यापक ने उसको प्रेरित करते हुए कहा कि जिन छात्र-छात्राओं के अधिक अंक आते हैं उनसे तुम किस बात में भिन्न हो? याद रखो गणित के शिखर पर स्थान हमेशा रहता है और शिखर पर पहुंचने वाले छात्र-छात्राएं इसी पृथ्वी पर जन्म लेते हैं किसी अन्य लोक में नहीं।वे न तो आसमान से टपकते हैं और न आसमान से उतरते हैं।सृष्टि का स्रष्टा प्रत्येक छात्र-छात्रा को समस्त विभूतियां देकर भेजता है।
  • गणित अध्यापक के उक्त प्रेरक शब्दों ने छात्र के आत्म-विश्वास को जगा दिया।धीरे-धीरे उसने कठिन परिश्रम,अध्ययन,मनन-चिन्तन में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए अपने ज्ञान को बढ़ाया।उसके परीक्षा में प्राप्तांक धीरे-धीरे बढ़ने लगे।अपने अंदर विश्वास पैदा होने और धीरे-धीरे सफलता की ओर चढ़ने पर उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होने लगी।एक दिन सचमुच वही छात्र गणित के शिखर पर पहुंच गया और अपने लिए सुरक्षित स्थान प्राप्त कर लिया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (How to Get Pinnacle of Mathematics?),छात्र-छात्राओं के द्वारा गणित का अध्ययन करके शिखर पर पहुँचने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Reach Top by Studying Mathematics) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित की प्रतियोगिता में हार (हास्य-व्यंग्य) (Defeat in Mathematics Competition) (Humour-Satire):

  • रविशंकर:एक गणित की प्रतियोगिता में मैंने इतना बढ़िया प्रश्न-पत्र किया कि सबके सब छात्र-छात्राएं मेरे से हारकर परीक्षा को छोड़कर भाग गए।
  • उमरावःअरे! यह कैसे संभव हुआ? तुम तो गणित में बिल्कुल फिसड्डी हो।
  • रविशंकरःदरअसल मैंने गणित का प्रश्न-पत्र परीक्षा से पहले ही प्राप्त करके गणित शिक्षक से सवालों के उत्तर प्राप्त कर लिए और मैंने सारे सवाल हल कर दिए।

6.गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (Frequently Asked Questions Related to How to Get Pinnacle of Mathematics?),छात्र-छात्राओं के द्वारा गणित का अध्ययन करके शिखर पर पहुँचने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Reach Top by Studying Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित के शिखर पर पहुंचने में मन का क्या योगदान है? (What is the Contribution of the Mind in Reaching the Pinnacle of Mathematics?):

उत्तर:जो छात्र-छात्राएं मन से हार मान लेता है वह आधी बाजी पहले ही हार जाता है।जबकि मनोबल के सहारे साधारण से असाधारण बनते हैं और कम योग्यता होते हुए भी मेधावी छात्र-छात्राओं से आगे निकल पड़ते हैं।अपने को दीन-हीन,कमजोर मानने वालों का मनोबल गिरा रहता है।वह गणित में आगे से आगे प्रगति नहीं कर सकता है।जो अपनी सहायता स्वयं नहीं करता है उसकी सहायता के लिए भगवान भी आगे नहीं आते हैं।जो अपने मनोबल और पराक्रम को बचपन से साधने में लग जाता है वह किसी भी कठिनाई और संकट को पार कर जाता है।ऐसे छात्र-छात्राएं प्रगति पथ पर आगे से आगे बढ़ते जाते हैं।उच्च मनोबल के सहारे ही स्वतंत्र निर्णय लेकर ही शिखर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।जबकि मनोबल के अभाव वाले छात्र-छात्राएं दूसरों का मुंह ताकते रहते हैं,अवसर की प्रतीक्षा करते रहते हैं और सफलता अनायास ही आ टपके इसकी प्रतीक्षा करते रहते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं भाग्यवादी बन जाते हैं या काल्पनिक सफलताओं के लोक में विचरण करते रहते हैं।

प्रश्न:2.आत्म-विश्वास से क्या तात्पर्य है? (What do You Mean by Self-confidence?):

उत्तर:अपनी आंतरिक शक्तियों पर दृढ़ विश्वास जो छात्र-छात्राओं को सफलता के शिखर पर पहुंचा सकती है।आत्म-विश्वास ऐसी शक्ति है जो कम साधनों के द्वारा भी महान् से महान् कार्य को सम्पन्न करा देती है।महान लोगों ने आत्मविश्वास के बल पर असंभव से लगने वाले कार्यों को भी संभव कर दिखाया है।आत्म-विश्वास में आत्मबल,दृढ़ इच्छाशक्ति,संकल्पशक्ति सम्मिलित रहती है।यदि आप आप यह सोचते हैं कि आप छोटे हैं,आप शक्तिहीन हैं,आपमें सामर्थ्य नहीं है तो इससे आप अपने भविष्य को अंधकारमय बना देते हैं।इसके बजाय यदि आप यह सोचते हैं कि आप कर्मशील हैं,साहसी हैं,पुरुषार्थी हैं,आप स्वस्थ हैं तो कितना भी मुश्किल कार्य हो तो उसे संपन्न कर सकते हैं।भगवान की दी हुई शक्तियों को सदैव क्रियाशील रखने का नाम ही आत्मविश्वास है।आत्मविश्वास का अर्थ है अपनी परिस्थितियों और समस्याओं का हल अपने आप ढूंढना।अपने हाथ-पैर,दिमाग,बुद्धि तथा आत्मिक शक्ति का सदुपयोग करना आत्म-विश्वास है।बाहरी लोग आपको सहायता-सहयोग देकर ऊँचा नहीं उठा सकते हैं इसके लिए तो आपको अपनी शक्तियों का सहारा लेना पड़ेगा।

प्रश्न:3.क्या दूसरों का सहयोग लेना गलत है? (Is it Wrong to Seek the Cooperation of Others?):

उत्तर:आत्मविश्वास का यह अर्थ नहीं है कि आप दूसरों का सहयोग-सहायता से अपने को अलग कर ले।दूसरों से सीख लेना और उचित परामर्श लेना बंद कर दें।दूसरों का सहायता-सहयोग वहीं लेना चाहिए जिस कार्य को भरपूर प्रयत्न करने पर भी आप नहीं कर सकते परंतु अपने स्वाभिमान को दुर्बल न होने दे।दूसरों पर इतना निर्भर न हो जाएं कि आप बिल्कुल ही अकर्मण्य हो जाए।स्वयं कुछ न करना और कदम-कदम पर दूसरों पर आश्रित रहने से मानसिक दुर्बलता तथा आत्मिक पतन हो जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (How to Get Pinnacle of Mathematics?),छात्र-छात्राओं के द्वारा गणित का अध्ययन करके शिखर पर पहुँचने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Reach Top by Studying Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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गणित के शिखर पर कैसे पहुँचे? (How to Get Pinnacle of Mathematics?)
अर्थात् ऐसी कौनसी रणनीति अपनाई जाए अथवा अपने अंदर ऐसा
कौनसा गुण धारण किया जाए जिससे गणित का अध्ययन करके शीर्ष पर पहुंचा जा सके।छात्र-छात्राओं में जोश होता है

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