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Why Should Girls Take Up Mathematics?

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1.लड़कियों को गणित विषय क्यों लेना चाहिए? (Why Should Girls Take Up Mathematics?),लड़कियाँ गणित क्षेत्र में क्यों उपेक्षित हैं? (Why are Girls Neglected in Mathematics?):

  • लड़कियों को गणित विषय क्यों लेना चाहिए? (Why Should Girls Take Up Mathematics?) इसके अनेक उत्तर हो सकते हैं।आधुनिक युग में प्रगतिशील महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पिछड़ना नहीं चाहती है।राजनीति का क्षेत्र हो,कला का क्षेत्र हो,विज्ञान,टेक्नोलॉजी या गणित अथवा अन्य कोई क्षेत्र हो।प्रायः हर क्षेत्र में लड़कियों ने घुसपैठ कर ली है तथा पुरुषों से मुकाबला करने में मैदान में उतर आई हैं।कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जिसमें लड़कियों का प्रवेश नाम मात्र का है अथवा बहुत कम है जैसे कुश्ती का क्षेत्र,गणित का क्षेत्र इत्यादि जबकि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें काफी बढ़ी हुई है जैसे संगीत,नृत्य,कला,अभिनय,कंप्यूटर,आईटी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) इत्यादि।
  • जिन क्षेत्रों में लड़कियों का प्रवेश बहुत कम है उसकी मिसाल पश्चिम के समृद्ध विकसित देशों की देना बेमानी होगा क्योंकि विदेशों में लड़कियां अथवा महिलाएं क्या-क्या कर रही हैं या वहां क्या-क्या हो रहा है उसकी तुलना परंपरावादी भारतीय समाज से नहीं की जा सकती।जब लड़कियों की संख्या कुल छात्र-छात्राओं का लगभग आधा हिस्सा है तो फिर उनकी भागीदारी भी उसी अनुपात में प्रत्येक क्षेत्र में बढ़नी चाहिए।
  • कुछ क्षेत्रों जैसे कुश्ती,खेलकूद,पुलिस इत्यादि में उनकी भागीदारी कम होने का कारण समझा जा सकता है।क्योंकि इन क्षेत्रों में भद्दी-भद्दी टिप्पणियां सुनने को मिलती हैं।जैसे पुलिस विभाग को ही लें तो पुलिस में निचले स्तर के कांस्टेबल,सिपाही अत्यन्त अभद्र तथा बातचीत एवं व्यवहार में बेढंगे होते हैं।महिला पुलिसकर्मियों को उस समय बड़ी उलझन का सामना करना पड़ता है जब उनकी उपस्थिति में छोटे रैंक के पुरुष पुलिसकर्मी बातचीत और सम्बोधन में गंदी गालियों का इस्तेमाल करते हैं।गालियाँ उनके व्यवहार में इस तरह घर कर गयी हैं कि संबोधन करते समय उन्हें ध्यान नहीं रहता है कि उनके आसपास महिला सहयोगी भी है।
  • गणित के क्षेत्र में तो ऐसी समस्याओं से दो-चार नहीं होना पड़ता है फिर इस क्षेत्र में न आने का कारण क्या है? पहला कारण तो यह है कि लड़कियों की योग्यता,क्षमता तथा प्रतिभा का कम मूल्यांकन किया जाता है।लड़कियों को अधिकतर आर्ट्स विषय (हिन्दी,इतिहास,भूगोल,राजनीति शास्त्र इत्यादि) दिलवाए जाते हैं जो उनकी सामर्थ्य एवं क्षमता से बेहद कम होता है।
  • दूसरा कारण यह है कि अभिभावकों का यह दृष्टिकोण होता है कि लड़कियों को घर के चूल्हे-रसोई तथा घर-गृहस्थी ही तो सम्हालनी है,हालांकि सभी अभिभावक ऐसा नहीं सोचते हैं।
  • तीसरा कारण यह है कि लड़कियों के साथ गणित के क्षेत्र में प्रवेश करने पर भेदभाव किया जाता है (Sex Discrimination)।समान पद के लिए लड़कियों की नियुक्ति होने पर कम वेतन दिया जाता है तथा पदोन्नति में भी भेदभाव किया जाता है।क्योंकि कम्पनी के प्रबन्धक यह भलीभाँति जानते हैं कि बच्चों और परिवार की ज्योंही जिम्मेदारी महिलाओं पर आती है तो महिलाएं नौकरी छोड़कर परिवार के दायित्वों को सम्हालती है।
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2.गणित में लड़कियां अपेक्षित क्यों हैं? (Why are Girls Neglected in Mathematics?):

  • भारतीय समाज में ऐसे लोग बहुत कम लोग हैं जो लड़की के जन्म पर प्रसन्न होते हैं।वस्तुतः लड़कियां,लड़कों की अपेक्षा पर्याप्त मेहनती और कर्मठ होती हैं।वे लड़कों की तरह आलस्य नहीं करती हैं।गणित जैसे विषय में कर्मठ,मेहनती और धैर्यवान की आवश्यकता होती है।
  • गणित विषय लेने पर लड़कियां उच्च पदों पर नियुक्त होती हैं तो कुछ अभिभावक यह सोचते हैं कि उनके लिए योग्य वर हेतु दहेज देना पड़ेगा इसलिए सामान्य शिक्षा दिलवाकर ही अपने कर्त्तव्य की इतिश्री करना चाहते हैं।इसका समाधान तो यह है कि ऐसे घर में लड़की की शादी करनी ही नहीं चाहिए जो दहेज की आकांक्षा रखते हों या ऊट-पटांग मांग रखी जाती है।लड़के वालों में सभी परिवार ऐसे नहीं होते हैं जो दहेज की मांग करे ही।
  • प्रायः देखा जाता है कि लड़के की शिक्षा-दीक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाता है मसलन उनको कौनसा विषय दिलवाया जाए जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो तथा कौनसे विषय में प्रगति और विकास के अवसर ज्यादा हैं।अभिभावकों की आकांक्षा यह होती है कि उनका बच्चा गणित या विज्ञान विषय लेकर उन्नति करे परन्तु लड़कियों की तरफ वे उदासीन रहते हैं।लड़के में भले ही गणित लेने जितनी योग्यता या सामर्थ्य न हो परंतु फिर भी उसे गणित या विज्ञान विषय दिलवाने की सोच होती है।
  • लड़के असफल हो जाते हैं तो उनके लिए कोचिंग या ट्यूटर की व्यवस्था की जाती है जबकि लड़की को सही विषय दिलाने की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है।ऐसी स्थिति में उन्हें प्रोत्साहन देना तो दूर है बल्कि उनके मार्ग में आनेवाली तमाम तरह की बाधाओं का समाधान करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।कुछ परिवार इसके अपवाद हो सकते हैं।
  • बालिका की प्रतिभा गणित के क्षेत्र में है तो भी अभिभावक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं।वे शिक्षा भी केवल इसलिए दिलाते हैं ताकि वर ढूंढने में परेशानी न हो।उनकी सोच यह होती है कि आखिर लड़की को घर ही तो संभालना है।वह पढ़कर क्या करेगी?
  • प्रगति का वास्तविक मार्ग है परंपरागत सोच से बाहर निकलना,जब परंपरागत सोच से हटकर कुछ अच्छी और ऊँची बात सोचें।बच्चों की प्रतिभा को पहचानना तथा उसे सही रूप से शिक्षा देना महिलाओं के हाथ में होता है परंतु महिलाएं यह कार्य पूरी योग्यता व दक्षता के साथ तभी निभा सकती हैं जबकि उनकी प्रतिभा का विकास ठीक से हुआ हो,वे शिक्षित होंगी।
  • लड़कों के मुकाबले में भी गणित विषय में लड़कियों को अकुशल तथा अक्षम माना जाता है।इसलिए लड़कियों में गणितीय प्रतिभा होते हुए भी उसे शिक्षा पूरी करवाने के नाम पर कोई भी विषय दिलवा दिया जाता है तो लड़कियां हीन भावना महसूस करती है।
  • किसी भी क्षेत्र में आधुनिक युग में गणित का प्रारंभिक ज्ञान होना आवश्यक है।गणित के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन में लड़कियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।आज गणित व विज्ञान विषय लेकर बहुत सी लड़कियाँ इंजीनियर,पायलट,डाॅक्टर तो बन ही रही हैं साथ ही एक कुशल गणित अध्यापिका,गणित प्राध्यापक,गणितज्ञा,गणित में रिसर्च करने में भी लड़कियों की रुचि बढ़ी है और वे इसे सफलतापूर्वक निभा रही हैं।

3.लड़कियाँ गणित के क्षेत्र में आगे बढ़े (Girls Should Move Forward in the Field of Mathematics):

  • गणित का अध्ययन करने के लिए कठिन परिश्रम,कर्मठता तथा धैर्य की आवश्यकता होती है।लड़कों की तुलना में लड़कियों में कठिन परिश्रम करने की आदत और धैर्य ज्यादा होता है वहीं वे गणित विषय को गंभीरता से भी लेती हैं।
  • गणित विषय लड़कियों को इसलिए भी लेना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में पुरुषों के एकाधिकार को तोड़ा जा सके और गणित को लोकप्रिय बनाया जा सके।
  • गणित जैसे जटिल विषय को आमतौर पर लड़कियां कैसे ले सकती हैं? यदि लड़कियों के मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो,इरादे पक्के हों तो गणित में आने वाली मुश्किलें भी आसान बन जाती है।इसके लिए अभिभावकों को भी लड़कियों को उत्साहित करना चाहिए।यदि माता-पिता व अभिभावक लड़कियों की शिक्षा-दीक्षा के कायल रहें तो उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवाई जा सकती है।
  • लड़कियों में लड़कों से कतई कम प्रतिभा नहीं है।लेकिन उनकी प्रतिभा ज्यादातर छिपी ही रह जाती है।माता-पिता भी सहयोग कम ही करते हैं क्योंकि पढ़ाई के बाद उनको लड़कियों के विवाह की चिंता सताने लगती है।लड़कियों को चाहिए कि स्वयं अपने अंदर छिपी हुई गणितीय प्रतिभा को पहचानने की कोशिश करें।समाज के तानों और उपवास की परवाह न करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।
  • गणित में लगन और मेहनत से वह मुकाम हासिल किया जा सकता है जिससे माता-पिता,अभिभावक,समाज और देश का गौरव बढ़ सके।
  • लड़कियों में चुनौतियों का सामना करने तथा दूरदर्शिता का भी गुण है जो गणित विषय लेने पर एक से एक आने वाली चुनौतियों का बेहतर ढंग से मुकाबला करने के लिए मौलिक गुण है।
  • गणित विषय लेने के बाद जाॅब मिलने पर आकर्षक पैकेज मिलता है जो उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक है।गणित विषय लेने पर इंजीनियरिंग,आईआईटी अथवा अन्य कोई कोर्स करने पर जिन पदों पर नियुक्ति मिलती है वे जाॅब आकर्षक हैं क्योंकि उन जाॅब को करने पर अधिकार एवं ग्लैमर (आकर्षण,चकाचौंध) प्रदान करता है।
  • लड़कियों में मानवता का एक ऐसा गुण होता है जो जॉब करते हुए शिकायत करने के लिए आने वाले व्यक्ति को निराश नहीं करता है।क्योंकि आमतौर पर यह माना जाता है कि लड़कियां लड़कों के मुकाबले स्थिति को बेहतर ढंग से संभाल सकती हैं।
    गणित विषय या गणित क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी ज्यों-ज्यों बढ़ेगी तो लड़कियों में जागरुकता भी आएगी।
  • लड़के अपने मित्रों के साथ अक्सर मौज-मस्ती करते रहते हैं अथवा बाजार में घूमते रहते हैं।जबकि लड़कियां घर पर रहती हैं और इस प्रकार उनके पास पढ़ने-लिखने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।गणित में प्रगति के लिए अक्सर समय की कमी महसूस होती है जो लड़कियों को कभी महसूस नहीं होती है क्योंकि वे फालतू के कार्यों में अपने समय को नष्ट नहीं करती हैं।
  • गणित और विज्ञान ने जो प्रगति की है और विश्व में जो परिवर्तन शीघ्रता से हो रहे हैं उन्हें एक पढ़ी-लिखी,सुशिक्षित लड़की अच्छी तरह जान सकती है क्योंकि वह जागरूक होती है।पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं को वह निरन्तर पढ़कर अपने ज्ञान को बढ़ाती है।इसके विपरीत अनपढ़ लड़की छोटी-छोटी बातों पर दूसरों पर निर्भर रहती है।न तो अपने बच्चों का ठीक से पालन-पोषण कर सकती हैं और अज्ञान के कारण वह कई अनर्थ भी कर सकती है।

4.गणित विषय लेने का दृष्टान्त (Illustration of Taking Mathematics Subject):

  • गणित विषय सीखने और पढ़ाने के लिए लड़के-लड़कियों में समानता का व्यवहार करना चाहिए।बौद्धिक रूप से यह विचार सुलझा हुआ तथा अच्छा लगता है परंतु व्यावहारिक रूप से इस पर विचार करें तो यह कार्य कठिन लगता है।इसका कारण यह है कि हमारी परम्परागत सोच और मानसिकता।हालांकि उन्नति के लिए शिक्षा को आवश्यक माना जाता है।अतः स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए बीसवीं शताब्दी में स्त्री-शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया गया।फलतः स्त्री-शिक्षा में तीव्रता आई और लोगों की मानसिकता में परिवर्तन हुआ परंतु अभी केवल साक्षरता में वृद्धि से ही मानसिकता को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
  • वैदिक काल में स्त्रियों की दशा उन्नत थी।उन्हें समाज में सम्मानीय स्थान प्राप्त था।स्त्रियाँ राजनीति में भाग लेती थी,पर्दा प्रथा नहीं थी।स्त्रियों का विवाह बाल्यावस्था में न होकर यौवनावस्था में सम्पन्न किया जाता था।शिक्षा में स्त्रियाँ शास्त्रों,संगीत,नृत्य तथा ललित कलाओं की शिक्षा ग्रहण करती थी।कुछ ऐसे भी उदाहरण प्राप्त हुए हैं जिनसे ज्ञात होता है कि स्त्रियाँ सैनिक शिक्षा भी ग्रहण करती थी।धार्मिक अनुष्ठान स्त्री के बिना सम्पन्न नहीं किए जाते थे।विश्वपारा,अपाला,घोषा,मैत्रेयी,गार्गी इत्यादि इस काल की कुछ विदुषी स्त्रियां थी।परंतु इसके बाद स्त्रियों की दशा में लगातार गिरावट आई।आज भी कुछ स्त्रियां ऐसी है जो कि स्त्रियों की ही विरोधी हैं।
  • एक गांव में एक बार एक गणितज्ञ किसी परिवार की कुशलक्षेम पूछने दूसरे गाँव में गए।वहाँ उस परिवार की गृहिणी भोजन पका रही थी।उसने अपने पुत्र को चुपड़ी हुई रोटी तथा अपनी पुत्री को बिना चुपड़ी हुई रोटी परोसी।गणितज्ञ ने जब ऐसा देखा तो स्वाभाविक रूप से उस महिला से प्रश्न पूछा कि क्या लड़की को चुपड़ी हुई रोटी खाना पसंद नहीं है।तब उस महिला ने कहा कि ऐसी बात नहीं है बल्कि लड़का तो बड़ा होने पर घर को सम्हालेगा और लड़की को तो परायी करनी है।
  • गणितज्ञ उनको भलीभांति जानता था।इसलिए उसने पूछा कि तब तो इनकी शिक्षा में भी भेदभाव किया जाता होगा।महिला ने कहा कि पुत्र को तो गणित (विज्ञान) विषय दिलवाना है तथा लड़की को आर्ट्स विषय दिलवा देंगे तो भी काम चल जाएगा जबकि लड़की पढ़ने में भी होशियार थी।तब गणितज्ञ ने उस महिला को फटकारा तथा इस प्रकार का भेदभाव करने से मना किया।तब वह महिला संभल गई और गणितज्ञ से कहा कि आगे वह किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगी।
  • लड़का गणित विषय लेकर सीनियर सैकण्डरी परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया और आगे पढ़ाई करना छोड़ दिया हालांकि अगले वर्ष उसने जैसे-तैसे सीनियर सेकेंडरी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली परंतु वह आगे नहीं पढ़ा।दूसरी तरफ लड़की ने बीएससी तक पढ़ाई की और अच्छे अंको से उत्तीर्ण हुई।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लड़कियों को गणित विषय क्यों लेना चाहिए? (Why Should Girls Take Up Mathematics?),लड़कियाँ गणित क्षेत्र में क्यों उपेक्षित हैं? (Why are Girls Neglected in Mathematics?) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित पढ़ाने की ज्यादा फीस (हास्य-व्यंग्य) (Higher Fees for Teaching Mathematics) (Humour-Satire):

  • छात्रा (गणित शिक्षिका से):मैडम केवल इस छोटी सी गणित की पुस्तक पढ़ने की इतनी ज्यादा फीस लोगी।
  • गणित शिक्षिका:कोई बात नहीं मैं फीस कम कर देती हूं और गणित का कोर्स परीक्षा के बाद तक पूरा करा दूंगी।

6.लड़कियों को गणित विषय क्यों लेना चाहिए? (Frequently Asked Questions Related to Why Should Girls Take Up Mathematics?),लड़कियाँ गणित क्षेत्र में क्यों उपेक्षित हैं? (Why are Girls Neglected in Mathematics?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या लड़कियों की गणित शिक्षा में कोई सुधार नहीं हुआ है? (Hasn’t Girls’ Mathematics Education Improved?):

उत्तर:स्वतंत्रता के बाद मताधिकार के साथ शिक्षा में सुधार करने के लिए स्त्रियों को समान अधिकार दिए गए हैं।हाल के वर्षों में कई लड़कियां गणित विषय लेकर इंजीनियर,पायलट तथा विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं।बहुत सी महिलाएँ गणित शिक्षिका,प्राध्यापक भी बनी हैं।गणित में रिसर्च करने हेतु गणित में पीएचडी भी करती हैं।उनसे लड़कियों को प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।

प्रश्न:2.क्या गणित में महिला को कोई सर्वोच्च पुरस्कार मिला है? (Has the Woman Received Any of the Highest Awards in Mathematics?):

उत्तर:गणित का नोबेल ऑफ मैथ ऐबल प्राइज (Abel Prize) कहा जाता है।वह पुरस्कार महिला गणितज्ञा करेन उहलेनबेक (Karen Uhlenbeck) को मिला है जो कि एक महिला को मिलना शुभ संकेत है।इससे महिलाएं उत्साहित हुई हैं और महिलाओं का रुझान गणित विषय की ओर बढ़ा है।

प्रश्न:3.गणित में लड़कियों के पिछड़ने का मूल कारण क्या है? (What is the Root Cause of Girls Lagging Behind in Mathematics?):

उत्तर:महिलाओं के गणित में ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में पिछड़ने का मूल कारण है स्त्री शिक्षा का अभाव।जो नारी शिक्षा ग्रहण करने में रुचि नहीं लेती है या जिनके अभिभावक नारी शिक्षा पर ध्यान नहीं देते हैं वे नारियां पिछड़ी हुई रह जाती हैं।स्त्री और पुरुष समाज के दो प्रमुख स्तंभ है।एक के बिना दूसरे का विकास अधूरा है।भारतीय समाज में नारी का महत्वपूर्ण स्थान है।वास्तव में नारी के बिना समाज की कल्पना ही अधूरी है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लड़कियों को गणित विषय क्यों लेना चाहिए? (Why Should Girls Take Up Mathematics?),लड़कियाँ गणित क्षेत्र में क्यों उपेक्षित हैं? (Why are Girls Neglected in Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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