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What is unfair means in exam in hindi

1.परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग क्या हैं? (What is unfair means in exam in Hindi),परीक्षा में अनुचित साधनों के क्या कारण और प्रभाव हैं? (What causes and effects of unfair means in examination?):

  • what is unfair means in exam अर्थात इस वीडियो में परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग (what is unfair means in exam)न करने के बारे में बताया गया है । अनुचित साधनों का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए और उसके दुष्परिणाम क्या है ,के बारे में बताया गया है ।
  • परीक्षा में अनुचित साधन क्या है  कई छात्र-छात्राएं परीक्षा में करते हैं। वे परीक्षा की तैयारी करते नहीं है। ओर अनुचित साधनों जैसे नकल करना,परीक्षक को धमकाकर नकल करना,परीक्षा से पूर्व प्रश्न-पत्र प्राप्त करने की जुगत लगाना, बोर्ड कर्मचारियों को रिश्वत देकर अंकतालिका में अंक बढ़वाना जैसे कार्यों में लिप्त पाए जाते हैं।
  • via https://youtu.be/gjN3mHJGnBI

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    2.परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग क्या हैं? (What is unfair means in exam in Hindi),परीक्षा में अनुचित साधनों के क्या कारण और प्रभाव हैं? (What causes and effects of unfair means in examination?):

    • वर्तमान काल में शिक्षा प्रणाली परीक्षा केंद्रित व डिग्री हासिल करने वाली हो गई है।शिक्षा का उद्देश्य नौकरी प्राप्त करने से जोड़ लिया गया है और नौकरी के लिए डिग्री की आवश्यकता है तो स्वाभाविक है कि विद्यार्थी येन केन प्रकारेण डिग्री करना चाहते हैं।
    • नौकरी (सरकारी) प्राप्त करने के पीछे अधिकांश युवाओं का मकसद होता है कि वेतन अधिकतम मिलता है और काम कम करना पड़ता है।छुट्टियां खूब मिल जाती है।7 घंटे की सर्विस है।सरकारी नौकरी को सेवा करने के उद्देश्य से बहुत कम युवा चुनते हैं।
    • सरकारी नौकरी प्राप्त की जा सके इसके लिए माता-पिता तथा अभिभावक बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते हैं।बालकों को शिक्षा अर्जित करते समय जब अधिक से अधिक सुविधाएं दी जाती है तो बालक ओर अधिक सुविधाओं की मांग करने लगते हैं जिससे बालकों की सुविधा भोगी प्रवृत्ति होती जाती है।धीरे-धीरे बालक परिश्रम करने से जी चुराने लगता है।सरकारी नौकरी में परिश्रम नहीं करना पड़ता है।
    • बालक जब देखते हैं कि नौकरियों के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है और डिग्री प्राप्त करने के लिए उनमें परिश्रम का अभाव पाया जाता है तो वे डिग्री हासिल करने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।
    • परीक्षा पास करने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।अनुचित साधनों में शामिल हैं साथी विद्यार्थियों की काॅपी से नकल करना,परीक्षा प्रश्न-पत्र प्राप्त करने की तिकड़म भिड़ाना,अपने स्थान पर किसी अन्य विद्यार्थी को बिठाकर परीक्षा दिलाना,शिक्षकों तथा प्रधानाध्यापकों को डराना-धमकाना,नकल करने हेतु पर्चियां तैयार करके ले जाना,अपने अन्य साथियों से नकल की पुस्तक परीक्षा केंद्र पर मँगवाना।
    • ऐसे अनुचित साधनों का प्रयोग करना अपराध है तथा बच्चों को उक्त कार्य में लिप्त पाए जाने पर परीक्षा से वंचित करना,आगामी वर्षों में परीक्षा देने पर रोक लगाना तथा सजा के प्रावधान हैं जिससे बालकों का भविष्य चौपट हो सकता है।सामाजिक रूप से माता-पिता,अभिभावकों तथा बालकों की निन्दा होती है।
    • बालक शुरू से भोले-भाले तथा अबोध होते हैं परंतु अभिभावकों व शिक्षकों की उदासीनता,बालकों में असफल होने के भय के कारण अनुचित साधनों का प्रयोग करने लगते हैं।यदि उन्हें समझाया जाए कि परीक्षा में फेल होने से ज्यादा नुकसानदायक परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करना है।परीक्षा में फेल होने से केवल एक साल बर्बाद होता है जबकि परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने तथा पकड़े जाने पर भविष्य खराब होता है तथा सामाजिक रुप से निंदा होती है सो अलग।
      जो बालक परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं उनमें धीरे-धीरे अन्य बुराइयां भी प्रवेश करती जाती है जैसे धोखाधड़ी,बेईमानी,चोरी करना,झूठ बोलना,चालाकी करना इत्यादि।
    • कोई समय था जब प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी मिल जाती थी परंतु आज समय यह है कि प्रमाण-पत्र के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना होता है।इसलिए योग्यता नहीं है तो केवल डिग्री या प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी हासिल नहीं की जा सकती है।अब नौकरी तथा निजी व्यवसाय दोनों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होता है। इसलिए कर्मठ व्यक्ति ही सफलता अर्जित कर पाता है।अतः गलत तरीके अपनाना स्वयं के साथ-साथ अभिभावकों तथा लोगों के साथ विश्वासघात करना है।इसलिए सही मायने में पुरुषार्थ व ज्ञान-संपदा ही असली योग्यता है।
    • बालकों को पढ़ाना आवश्यक है परंतु इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि उनको अनुचित साधनों से परीक्षा पास करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।इसके बजाय यथार्थ स्थिति को समझते हुए उन्हें परिश्रमपूर्वक पास करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।यदि परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और हमारा अनुमान हो कि परीक्षा पास करना व पढ़ना-लिखना बालक के वश में नहीं है तो उन्हें कोई हुनर सीखाना चाहिए।बालकों को येन-केन प्रकारेण पढ़ाना और पैसा खर्च करना व्यर्थ है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने की महत्त्वाकांक्षा बालक की होती है तथा अभिभावक भी चाहते हैं कि बालक अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो परन्तु अनुचित साधनों का प्रयोग करके उत्तीर्ण होना बुद्धिमत्ता नहीं है।अभिभावकों को चाहिए कि अनुचित साधनों का प्रयोग करने के बजाय उनको परिश्रमपूर्वक परीक्षा उत्तीर्ण करने में सहायक बने।वस्तुतः विद्याध्ययन करना एक प्रकार का योगाभ्यास है।उसमें छल-कपट का प्रयोग करना तो महान् सम्भावनाओं से अपने आपको वंचित करना है।योग भ्रष्ट होना है।अपना पतन का मार्ग चुनना है।
    • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग क्या हैं? (What is unfair means in exam in Hindi),परीक्षा में अनुचित साधनों के क्या कारण और प्रभाव हैं? (What causes and effects of unfair means in examination?) के बारे में बताया गया है।

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