Shakuntala Devi Became’Human Computer’by Answering Maths Questions
Shakuntala Devi Became’Human Computer’by Answering Maths Questions
इस आर्टिकल में बताया गया है कि गणित के सवालों को कम्प्यूटर से भी तेज गति से हल करके शकुंतला देवी ‘मानव कम्प्यूटर’ बनी। गणित के क्षेत्र में ऐसे कई आश्चर्यजनक उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनको देख सुनकर हम आश्चर्यचकित हो जाते हैं। श्री निवास रामानुजन भी ऐसे ही गणितज्ञ हुए हैं। कई बालक-बालिकाओं में जन्मजात प्रतिभा होती है जो शुरू से ही मेधावी होते हैं जो शुरू से ही मालूम पड़ जाती है । जबकि कुछ बालकों में जन्मजात प्रतिभा सामान्य ही होती है परन्तु उनकी प्रतिभा को निखारा जाए तो प्रतिभाशाली होते हैं। इन सब उदाहरणों तथा भारतीय ऋषि-मुनियों के विचारों से निष्कर्ष निकालें तो यह मानना पड़ता है कि कि जिनमें पूर्व जन्म में प्रतिभा होती है अर्थात प्रखर बौद्धिक क्षमता होती है, वर्तमान जन्म में उनकी प्रतिभा का परिचय शुरू से ही हो जाता है । जिनमें जन्मजात प्रतिभा होती है उस पर ध्यान देकर यदि उस प्रतिभा को ओर तराशा जाए अर्थात् निखारा जाए तो गणित के क्षेत्र में वे अपना अतुलनीय तथा आश्चर्यजनक परिणाम दे सकते हैं ।गणित के क्षेत्र में ऐसी प्रतिभाओं को पहचानकर उनको विशेष प्रशिक्षण दिलवाया जाए और उनको हर का सहयोग व सहायता प्रदान की जाए तो गणित के क्षेत्र में आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। गणित विषय एक ऐसा विषय है जिसका हर विषय की प्रगति में योगदान है। चाहे वह विषय विज्ञान,तकनीकी, कम्प्यूटर साइंस, भूगोल, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र अर्थात् चाहे जो विषय हो गणित के बिना अधूरे हैं। पुन: वर्तमान युग में ज्यों-ज्यों कम्प्यूटर साइंस, तकनीकी का क्षेत्र व उपयोग बढ़ता जा रहा है, गणित की आवश्यकता महसूस की जा रही है। अमेरिका जैसे विकसित देश भारत तथा भारत जैसे विकासशील देशों की गणितीय प्रतिभाओं का उपयोग करके इतनी उन्नत स्थिति पहुँच चुका है जिससे पूरी दुनिया में उसका डंका बजता है और उसकी तूती बोलती है। इसी कारण अमेरिका में गणितीय प्रतिभाओं की माँग लगातार बढ़ती जा रही है। इसलिए भारत के प्रबुद्ध व्यक्तियों और सत्ता में बैठे नेताओं को इस बात पर विचार-मंथन करने की आवश्यकता है तथा गणित की प्रतिभाओं को देश व देश के लिए तकनीकी के विकास में उनका महत्त्व समझकर उन्हें यथोचित बढ़ावा देने की जरूरत है। विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में गणित की प्रतिभाओं को पहचानकर हर तरह की मदद करके उनकी प्रतिभा का उपयोग देश व देश के लिए तकनीकी के विकास में किए जाने की जरूरत है। यदि हम सच्चे अर्थों में भारत को जगतगुरु के रूप में तथा विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होना देखना चाहते हैं तो इसके लिए हमें हमारे देश की प्रतिभाओं को सम्मानित करना होगा, उनको बढ़ावा देना होगा उनकी हर प्रकार से मदद व सहयोग करना होगा।
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lesser known facts about shakuntala devi the human calculator
Shakuntala Devi Mathematician |
शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को मैसुरु में हुआ था। उनके पिता सर्कस के कलाकार थे। जब वह सिर्फ 3 सालों की थी तो उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को भांप लिया था। उनके पिता ने सर्कस छोड़ दिया और बेटी को अपने साथ रोड शोज में ले जाने लगे जहां उन्होंने अपनी बेटी की कैलकुलेशन की प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जब वह सिर्फ 6 साल की थीं तो मैसुरु यूनिवर्सिटी में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। आइए उनके बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं…
3.कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ दिया(Left the computer behind)–
उन्होंने साल 1977 में साउदर्न मेथॉडिस्ट यूनिवर्सिटी, डल्लास में 201 अंकों की एक संख्या का महज 50 सेकंडों में 23वां वर्गफल निकाल दिया। इसी सवाल को हल करने में यूनिवैक कंप्यूटर ने 62 सेकंड लिया था यानी उन्होंने कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ दिया। उनके जवाब को चेक करने के लिए अमेरिकी ब्यूरो को यूनिवैक कंप्यूटर के लिए एक खास प्रोग्राम लिखना पड़ा।
4.सवाल जिसका जवाब देकर गिनेस बुक ऑफ रेकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ(After answering the question, the name was recorded in the Guinness Book of Records)-
सवाल जिसका जवाब देकर गिनेस बुक ऑफ रेकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ,तीन साल बाद 18 जून, 1980 को उन्होंने गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया। उन्होंने 13 अंकों की दो संख्याओं 7,686,369,774,870 और 2,465,099,745,779 का गुणनफल सिर्फ 28 सेकंड में निकाल दिया। इसका जवाब था 18,947,668,177,995,426,462,773,730।
5.…जब उनके जवाब को गलत ठहराया गया(When his answer was rejected)-
5 अक्टूबर, 1950 को बीबीसी की हॉस्ट लेसली मिशेल ने उनको मैथ एक जटिल सवाल दिया। शकुंतला देवी ने सेकंडों के अंदर उसको हल कर दिया। लेकिन उनका जवाब मैच नहीं हो पाया। बाद में पता चला कि शकुंतला देवी का ही जवाब सही था और असल जवाब गलत था।
6.मुश्किल सवालों का पलक झपकते जवाब(Blink of hard questions)-
1976 में एक आर्टिकल में उनकी विलक्षण प्रतिभा पर प्रकाश डाला गया था। उसमें लिखा था कि आपको जितना समय सवाल करने में लगता, उतने देर में वह आपको 18,81,32,517 का घनमूल या इससे भी बड़ी संख्या का घनमूल बता देतीं। अगर आप किसी सदी की तारीख बताकर दिन पूछते तो वह बता देतीं कि फलां तारीख को कौन सा दिन था।
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7.शकुंतला देवी की किताबें(Books of Shakuntala Devi)-
उन्होंने किताबें भी लिखीं। उन्होंने समलैंगिकों पर The World of Homosexuals लिखी जो भारत में समलैंगिकों की स्टडी के लिए पहली विस्तृत पुस्तक थी। उन्होंने ज्योतिषशास्त्र और याददाश्त बढ़ाने पर भी किताबें लिखीं.
8.शकुन्तला देवी का राजनैतिक सफर(Shakuntala Devi’s political journey)-
उन्होंने राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई थी। 1980 के आम चुनाव में वह दो सीटों, मुंबई साउथ और मेदक (अब तेलंगाना में), से चुनाव लड़ी थीं। मेदक में उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में वह 6,514 वोटों के साथ नौवें नंबर पर रही थीं।
9.शकुन्तला देवी के जीवन पर फ़िल्म(Film on the life of Shakuntala Devi)-
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Vidya Balan Film Abhinetri |