How to Forget Bitterness of Past?
1.अतीत की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How to Forget Bitterness of Past?),भविष्य निर्माण करने के लिए अतीत की कड़वाहट को भूलें (Forget Bitterness of Past to Build Future):
- अतीत की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How to Forget Bitterness of Past?) अतीत की कड़वाहट को भूलें बिना आगे प्रगति,विकास अथवा भविष्य का निर्माण नहीं किया जा सकता है।क्योंकि कड़वाहट की यादें,जब भी हम पढ़ते हैं तो हमारे मस्तिष्क में घूमती रहती हैं।
- हम अध्ययन करने में मन की एकाग्रता कायम नहीं कर पाते हैं।यदि जॉब करते हैं तो जाॅब को पूर्ण समर्पण के साथ नहीं कर पाते हैं।फलस्वरूप अध्ययन या जाॅब को बेहतरीन तरीके से नहीं कर सकते हैं।
- आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article:How Do We Forget Bitter Things of Past?
2.अतीत की कड़वाहट पीछा नहीं छोड़ती है (The bitterness of the past does not leave behind):
- अतीत की कड़वाहट भरे पल हमारा पीछा नहीं छोड़ते।यही यादें हमें पीड़ित एवं परेशान करती रहती हैं।हम तमाम प्रयास करते हैं,लेकिन ये यादें हमें पीछे खींचती रहती हैं।हमारा जीवन वर्तमान के धरातल पर रहता है,पर हम जीते उस अतीत के साथ हैं,जिसकी यादें हमारे मन-मस्तिष्क को कुरेदती रहती हैं।इस कशमकश में हम तनाव,ग्लानि एवं विषाद से घिर जाते हैं,जिससे हमारे संबंध एवं कार्य-क्षमता,दोनों प्रभावित होते हैं।
- मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इंसान अपने अतीत की सुनहली एवं सुखद घटनाओं के स्थान पर दुःखद एवं पीड़ित करने वाले क्षणों को अधिक याद करते हैं,अर्थात् व्यक्ति सहज ही दुःखों से आसक्त होता और उन्हें भूल नहीं पाता।मन सदा पीड़ा देने वाले उन क्षणों के साथ इतना तादात्म्य स्थापित कर लेता है कि वह उन्हें छोड़ता ही नहीं,बारंबार याद करता रहता है।हमारे साथ किसने अच्छा किया है,वह याद नहीं रहता; जितना कि हमारे साथ बुरा हुआ है,वह याद रहता है।इन दुःखद क्षणों को याद करते-करते हम अपने संबंधों को अनजाने ही प्रभावित करते रहते हैं।
- मनोवैज्ञानिक मैथ्यु सेक्सटाॅन का कहना है कि हम अपने संबंधों की खटास एवं पीड़ा को अपने जेहन में जिंदा रखना चाहते हैं।इन्हें समाप्त नहीं करते,बल्कि इनको जिंदा रखने के लिए उनका पोषण करते हैं।इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिक डेविडसन कहते हैं कि यदि व्यक्ति किसी घटना को लगातार और लंबे समय तक याद करता रहे तो वह दीर्घकालिक स्मृति (LTM) में परिवर्तित हो जाती है;अर्थात् वह अचेतन में चली जाती है और जैसे ही हम इस संदर्भ में सोचने लगते हैं,तो हमारे मन-मस्तिष्क में अतीत की वह घटना इस रूप में चलचित्र के समान चलने लगती है और हम उन भीषण घटनाओं के साथ जीने के लिए विवश होते हैं।
- रिचर्ड मेकनली के अनुसार कहें तो डराने वाली,भय एवं आतंकित करने वाली बुरी यादें मस्तिष्क के एमाइगेडला नामक संवेदनशील स्थान पर संगृहीत हो जाती हैं।जब हम इन यादों को खुरेदते हैं तो इनमें संबंधित घटनाओं की यादें हमारे जेहन में ताजी हो जाती हैं और हमें डराती हैं एवं आतंकित करती हैं।क्रिस ब्रोवीन के अनुसार,जब हम दर्द भरी यादों एवं दुःखद घटनाओं को याद करते हैं तो हमारे शरीर में जैव-रासायनिक क्रियाओं में भारी वृद्धि हो जाती है।इस दौरान लगभग 1500 जैव-रासायनिक क्रियाएं क्रियान्वित होने लगती हैं।इनमें से कुछ क्रियाएं शरीर एवं मन के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध होती हैं।इनसे हमारा मन अत्यंत प्रभावित होता है।
3.अतीत की कड़वाहट की यादों से मन-मस्तिष्क पर प्रभाव (Effects on the mind from memories of past bitterness):
- निरंतर हताशा भरा चिंतन करने से शरीर में ग्लूकोकॉर्टिकाॅयड नामक रसायन की वृद्धि होती है और मस्तिष्क का स्मृति केंद्र हिप्पोकेंपस सक्रिय हो जाता है।इसे हमें उस समय की बातें याद आने लगती हैं,जो हमारे वर्षों पहले घटी थी।चूँकि मन नकारात्मकता से भरा होता है इसलिए अतीत की अच्छी बातें तो याद आती नहीं,बल्कि हमें परेशान एवं आशंकित करने वाली बातें याद आने लगती हैं।इससे मस्तिष्क की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है।हिप्पोकेंपस पर दबाव बढ़ने से यह सिकुड़ने लगता है।जब यह प्रभावित होता है तो सबसे बड़ी क्षति हमें यह उठानी पड़ती है कि नई स्मृतियों का संग्रहण बंद हो जाता है,अर्थात् हम वर्तमान की घटनाओं को घट जाने के बाद भूलने लगते हैं।
- नकारात्मक चिंतन एवं स्मृतियों से तनाव बढ़ता है और तनाव बढ़ने से शरीर में कार्टीसोल नामक हाॅर्मोन का स्राव बढ़ जाता है।इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली क्षमता घट जाती है और परिणामस्वरूप शरीर में संक्रामक रोग,सर्दी-जुकाम का खतरा बढ़ जाता है।यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो कई प्रकार के कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है।आशंकित एवं डराने वाली बातों से शरीर में एण्डोर्फीन हाॅर्मोन का स्तर कम होने लगता है।
- इसकी कमी से हमारी दर्द सहने की क्षमता कम हो जाती है,अर्थात् हम सामान्य दर्द को भी झेल नहीं पाते।इससे ऑर्थराइटिस एवं अन्य गंभीर बीमारियों के होने का खतरा होने लगता है।
- मनोवैज्ञानी कैथेरीन का कहना है कि अतीत की सारी बातें अपने आप में परेशानी खड़ी करने वाली नहीं होती हैं।परेशानी तो तब होती है,समस्या तो तब बनती है,जब ये बोझ बनकर हमारे मनोमस्तिष्क को झकझोरने लगें,हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करने लगें।इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार होते हैं; क्योंकि ढेर सारी बेकार की बातों को,तथ्यों एवं घटनाओं को हम अपने मन में अनावश्यक ही बनाए रखते हैं।इन बातों पर विफलता,गुस्सा,दुश्मनी,पश्चाताप,अपराधबोध,अतृप्ति,असंतोष आदि की परत चढ़ी रहती है।ये नकारात्मक सोच प्रकारान्तर से हमारे व्यक्तित्व का अविभाज्य अंग बनकर हमे संचालित एवं नियंत्रित करने लगती है और जीवन एक भयावह बोझ बन जाता है।कभी-कभी तो हमें स्वयं से घृणा होने लगती है।
4.विद्यार्थी कड़वाहट के जाल में कैसे फँसते हैं? (How do students fall into the trap of bitterness?):
- अक्सर विद्यार्थी से अध्ययन के दौरान कोई समस्या हल नहीं होती है अथवा कोई सवाल हल नहीं होता है तो उसको समझने के लिए अपने सहपाठियों या मित्रों से पूछता है।सहपाठी या मित्र स्वयं अध्ययन कर रहे हों अथवा अन्य किसी कारणवश उसकी समस्या या सवाल का हल नहीं बताते हैं तो उनमें आपस में कड़वाहट पैदा हो जाती है।
- दरअसल विद्यार्थी काल जीवन निर्माण की नींव होती है।ऐसी स्थिति में यदि विद्यार्थी अपनी अपरिपक्वता के कारण आपस में द्वेष,कड़वाहट मन-मस्तिष्क में पाल लेता है तो दूसरे विद्यार्थी का नुकसान होने की बजाय विद्यार्थी खुद को उससे अहित होता है।
- जब भी वह अध्ययन करता है,स्वाध्याय करता है तो उसके मन-मस्तिष्क में अतीत की वे कड़वी बातें रह-रहकर याद आती रहती है जिससे उसका अध्ययन प्रभावित हो जाता है।धीरे-धीरे विद्यार्थी में द्वेष की भावना,ईर्ष्या आदि उसके मन पर काबिज हो जाती है।
- विद्यार्थी यह समझ ही नहीं पाता है कि उसे पढ़ा हुआ याद क्यों नहीं रहता है,क्यों किसी समस्या का हल नहीं कर पाता है।दरअसल मन-मस्तिष्क कुविचारों,कड़वी बातों,ईर्ष्या,द्वेष आदि मनोविकारों से खाली रहता है तभी वह श्रेष्ठ तरीके से अध्ययन,मनन-चिंतन,स्वाध्याय कर सकता है।अतीत की कड़वाहट के कारण विद्यार्थी वर्तमान में नहीं जीता है।ऐसा विद्यार्थी या तो भूतकाल में जीता है या भविष्य काल में जीता है।
- मन भूतकाल या भविष्यकाल में भ्रमण करता रहता है तो मन एकाग्र नहीं होता है।वर्तमान में जीना ही मन की एकाग्रता है।भूतकाल या भविष्य काल में जीने से मन की एकाग्रता भंग हो जाती है।
5.अतीत की कड़वाहट को भूलने के उपाय (Ways to forget the bitterness of the past):
- कड़वाहट से बचने के लिए हमें सर्वप्रथम ऐसी यादों एवं विचारों से बचना चाहिए जो हमें नकारात्मकता से भर देते हैं।बुरी आदतों से बचने के लिए एवं बुरी आदतों से निजात पाने के लिए हमें किसी श्रेष्ठ कार्य (अध्ययन,स्वाध्याय आदि) को मन लगाकर करना चाहिए,जिसमें हमारी रुचि हो।हमें अपने दैनिक क्रियाकलाप में वांछित परिवर्तन लाना चाहिए,जैसे-भोजन एवं निद्रा के समय को निश्चित एवं निर्धारित करना चाहिए।दिनचर्या निर्धारित होने से मन शांत एवं स्थिर रहता है एवं अनावश्यक तनाव देने वाला चिंतन मन का साथी नहीं बन पाता।सही दिनचर्या के साथ ही समय निकालकर श्रेष्ठ साहित्य का अध्ययन भी करना चाहिए,ताकि हमारा मन सकारात्मक सोच से सरोबार हो।
- अतीत की कड़वाहट से बचने के लिए हमें वर्तमान में जीने का अभ्यास डालना चाहिए।जो वर्तमान को सँवार लेता है,वह अतीत की भूलों का सुधार करके भावी भविष्य को सुनहला एवं बेहद खूबसूरत एवं उज्जवल बना लेता है।जीवन बड़ा बहुमूल्य एवं खूबसूरत है,उसे केवल वर्तमान के पलों एवं क्षणों से सजाया एवं सँवारा जा सकता है।अतः हमें अपनी समस्त ऊर्जा वर्तमान में ही खपानी चाहिए।यही सुखी जीवन का रहस्य है।
- विद्यार्थी जीवन में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित हो जाती है कि हमें एक-दूसरे पर क्रोध आने लगता है।परंतु यदि गुस्से और कड़वी बातों,विवादों को मन में रखे रहने पर ये मन में स्थायी घर बना लेते हैं और मन को अंदर ही अंदर से खोखला करने लगते हैं,अतः एक-दूसरे को माफ करना सीखें।क्योंकि शरीर व मन पर कुविचारों,दुर्भावनाओं का डेरा बन जाने पर हमारी योग्यता में,निपुणता में ह्रास होने लगता है।इसके कारण स्मृति कमजोर होना,अपने द्वारा पढ़ी हुई बातों को भूल जाना,एकाग्र ना हो पाना,अशांत व उद्विग्न रहना जैसी समस्याओं से घिरे रहते हैं।
- अतः किसी भी विवाद,कड़वी बात,दुर्भावनाओं,कुविचारों की गाँठे मन में नहीं बांधनी चाहिए।जिस प्रकार पेड़ से पुराने पत्ते गिरकर नए पत्ते आते हैं।उसी प्रकार कड़वी बातों,पुरानी विवाद की बातों को भूलकर नए सिरे से जीवन व्यतीत करना चाहिए।
समझदारी इसी में है कि विवादास्पद बातों को मिल-बैठकर सुलझा लेना चाहिए,किसी भी बात का इश्यू नहीं बनाना चाहिए। - उपर्युक्त आर्टिकल में अतीत की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How to Forget Bitterness of Past?),भविष्य निर्माण करने के लिए अतीत की कड़वाहट को भूलें (Forget Bitterness of Past to Build Future) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:Do Not Think Bad of Anyone
6.कमजोर छात्र द्वारा सवाल हल करने की युक्ति (हास्य-व्यंग्य) (Tips for Solving Problems by a Weak Student) (Humour-Satire):
- एक कमजोर छात्र ने होशियार छात्रा से कहा कि मैं तुमसे ज्यादा तारीफों से सवाल हल कर सकता हूं।
- होशियार छात्र:कैसे?
- कमजोर छात्र बोला:पहले तुम बताओ।
- होशियार छात्र बोला:मैं अपने दिमाग से और शिक्षक से पूछ कर इन दो तरीके से सवाल हल कर सकता हूं।
- कमजोर छात्र:मैं गणित अध्यापक,पासबुक,संदर्भ पुस्तकों और मित्रों से पूछकर इन चार तरीकों से सवाल हल कर सकता हूं।
7.अतीत की कड़वाहट को कैसे भूलें? (Frequently Asked Questions Related to How to Forget Bitterness of Past?),भविष्य निर्माण करने के लिए अतीत की कड़वाहट को भूलें (Forget Bitterness of Past to Build Future) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.आपस में विवाद क्यों होता है? (Why do we have a dispute among themselves?):
उत्तर:हर विद्यार्थी तथा व्यक्ति के विचार,भावनाएं, मान्यताएं तथा आदतें एवं स्वभाव अलग-अलग होते हैं।परंतु जब हम एक-दूसरे के विचारों,भावनाओं,मान्यताओं आदि का सम्मान नहीं करते तथा अपने-अपने विचार,मान्यताओं को दूसरों पर थोपना चाहते हैं तो विवाद होता है।दूसरा व्यक्ति इसे थोड़े समय के लिए तो सह सकता है,लेकिन लंबे समय तक नहीं;क्योंकि यह सब करना उसके लिए एक घुटन भरी जिंदगी को जीने के समान होगा।
प्रश्न:2.समझदार होने का आकलन कैसे किया जाए? (How to assess being wise?):
उत्तर:समझदार होने का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि कौन कितना सहनशील है? कितना धैर्यवान है? उत्तेजक परिस्थितियों में भी कितना शांत रह सकता है?
प्रश्न:3.समझदारी के अभाव में कैसी स्थिति पैदा हो जाती है? (What kind of situation arises in the absence of understanding?):
उत्तर:समझदारी के अभाव में साधारण सी बातें,छोटी-छोटी बातें भी बड़े विवाद का रूप ले लेती हैं।जब व्यक्ति की मनःस्थिति शांत होती है और कारणों को ढूंढा जाता है तो उनमें ऐसी कोई गंभीर बात नहीं होती है,जिसके कारण लड़ाई-झगड़ा हो और एक-दूसरे को क्षमा न किया जा सके,लेकिन फिर भी अहंकारवश लोग एक-दूसरे को माफ नहीं करते हैं और आपस में लड़ते रहते हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अतीत की कड़वाहट को कैसे भूलें? (How to Forget Bitterness of Past?),भविष्य निर्माण करने के लिए अतीत की कड़वाहट को भूलें (Forget Bitterness of Past to Build Future) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here | |
5. | Facebook Page | click here |
6. | click here |
Related Posts
About Author
Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.