Honesty is an Invaluable Quality
1.ईमानदारी अमूल्य गुण है (Honesty is an Invaluable Quality),ईमानदारी इंसान का अमूल्य गुण (Honesty is an Invaluable Quality of Human Being):
- ईमानदारी अमूल्य गुण है (Honesty is an Invaluable Quality) इंसान का।ईमानदारी का तात्पर्य है कि सच्चाई,विश्वसनीयता,नेक नीयत,खरापन,अपने वादे का पक्का आदि।विद्यार्थी अध्ययन करने के प्रति ईमानदार होना चाहिए तभी उसका अध्ययन फलीभूत होता है।
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2.विद्यार्थी अध्ययन के प्रति ईमानदार रहे (Students should be honest about their studies):
- विद्यार्थी अध्ययन के प्रति ईमानदार रहेगा तो वह सच्चे तन,मन से परिश्रम करेगा।अपने माता-पिता से अध्ययन करने के लिए जो वादा करेगा उसे पूरा करेगा।केवल दिखावटी तौर पर अध्ययन नहीं करेगा।कुछ विद्यार्थियों की आदत होती है कि वे माता-पिता को खुश करने के करने तथा मनोवांछित वस्तु प्राप्त करने के लिए उनके सामने झूठ-मूठ पुस्तक को खोलकर बैठ जाएंगे और यह दिखावा करेंगे कि वह पढ़ रहा है।असफल हो जाएंगे या फेल हो जाएंगे तो मगरमच्छ के आंसुओं की तरह रोएंगे,विलाप करेंगे।माता-पिता को विश्वास दिलाएंगे कि उसने कड़ी मेहनत की थी,अध्ययन करने के लिए रात-दिन एक कर दी थी,कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी,पेपर भी अच्छा हुआ था परंतु क्या करूं,कैसे मैं असफल हो गया।
- जो विद्यार्थी अध्ययन के प्रति ईमानदार नहीं रहते और शुरू से ही झूठ-पाखंड,फरेब सीख जाते हैं वे सोचते हैं की घड़ियाली आँसू बहाकर माता-पिता की आंखों में धूल झोंक देंगे और अपना मतलब सिद्ध कर लेंगे।यानी माता-पिता की कमाई पर ऐश आराम करना,मौज मस्ती करना,अय्याशी करना आदि करके अपने जीवन को गुजारना और स्वयं कुछ भी करना-धरना नहीं,माता-पिता के सामने लंबी-चौड़ी हांकना।मैं अध्ययन में सफल नहीं हुआ तो क्या हुआ,मैं ये कर दूंगा,वो कर दूंगा,जीवन में अध्ययन करना ही सब कुछ नहीं है,जीवन में अनेक लक्ष्य है जिससे तरक्की की जा सकती है।
- ऐसे विद्यार्थी यह सोचते हैं की माता-पिता व दूसरों को धोखा दे रहे हैं और उसमें सफल हो रहे हैं।वस्तुतः ऐसे विद्यार्थी दूसरों को नहीं बल्कि स्वयं को धोखा दे रहे हैं,स्वयं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि एक-न-एक दिन ऐसे विद्यार्थियों की पोल खुल जाती है,सच्चाई उनके सामने आ जाती है,उनके कारनामे सामने आ जाते हैं और ऐसे विद्यार्थी तब माता-पिता,समाज,मित्रों और दूसरों की नजरों से गिर ही जाते हैं,स्वयं अपनी नजरों से भी गिर जाते हैं।सच्चाई सामने आने के बाद उनको किसी का सहारा नहीं मिलता है,सब उनका साथ छोड़ देते हैं,इधर-उधर भटकते रहते हैं यदि फिर भी नहीं संभले तो उनका जीवन नरक तुल्य हो जाता है।ठोकर खाकर भी जो नहीं संभालता है वह सूखे ठूँठ की तरह होता है।
- विद्यार्थी अपने अध्ययन के प्रति सच्चा,ईमानदार होना चाहिए।माता-पिता,शिक्षकों से जो भी वादा करे उसे सच्चे दिल से,पूरी ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए।पूरी ईमानदारी और सच्चे दिल से किए गए कार्य में हो सकता है शुरू में सफलता न मिले लेकिन एक न एक दिन ईमानदारी का फल मीठा ही होता है।पूरी ईमानदारी से अध्ययन करने पर वह सफल होता है और माता-पिता व लोगों का विश्वास जीतता है।ऐसे विद्यार्थियों की विश्वसनीयता बढ़ती जाती है।अध्ययन करने का अर्थ इतना ही नहीं है की परीक्षा में सफल होता रहे बल्कि अपने आपमें अनेक नैतिक गुणों व चरित्र का विकास भी होना चाहिए।
3.ईमानदार व्यक्ति की सबको आवश्यकता (Everyone needs an honest person):
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों,विभिन्न विभागों में सच्चे और ईमानदार नियोक्ता को ही नहीं बल्कि बेईमान व्यापारी व व्यवसायियों को भी ईमानदार कर्मचारी व अधिकारी की आवश्यकता होती है।उन्हें कामचोर,बेईमान व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं होती है।जिन कंपनियों की साख अच्छी है,जो व्यवसायी अपनी व्यवसाय की नींव मजबूत करना चाहते हैं उन्हें पता होता है कि कंपनी अथवा व्यवसाय की मजबूत नींव ईमानदार कर्मचारी/अधिकारियों के आधार पर ही लग सकती है।किसी भी एक कर्मचारी/अधिकारी द्वारा बेईमानी करने,काम के प्रति ईमानदार ना होने,कामचोर होने पर उसका प्रभाव कंपनी की साख पर पड़ता है।ऐसे कर्मचारी व अधिकारी कंपनी व व्यवसाय की साख को गिराते हैं।
- उदाहरणार्थ किसी कस्टमर के काम को किसी कर्मचारी ने लटका दिया,उससे वादे पर वादा कर रहा है और उसका काम नहीं कर रहा है।ऐसा कस्टमर 10 अन्य व्यक्तियों को बतायेगा कि उस कंपनी और व्यवसाय में काम को कैसे टरकाया जाता है,कैसे कस्टमर को मूर्ख बनाया जाता है।इस प्रकार वे 10 व्यक्ति फिर 10-10 व्यक्तियों को बताएंगे।कंपनी और व्यवसाय की साख धीरे-धीरे गिरती जायेगी।अब आप अनुमान लगा लीजिए कि एक व्यक्ति के बेईमान होने पर किसी कंपनी व व्यवसाय की साख पर कितना फर्क पड़ता है तो अनेक व्यक्ति बेईमान व कामचोर होंगे तो उस कंपनी का दिवाला निकालने में कितना समय लगेगा और कितनी जल्दी वह कंपनी तथा व्यवसाय मार्केट से गायब हो जाएगी।
- आर्थिक मंदी तथा विपरीत समय में कंपनी व व्यवसाय के ईमानदार और कर्मठ कर्मचारी तथा अधिकारी ही उसको टिकाये रखते हैं और आर्थिक मंदी व विपरीत समय से बाहर निकलने में कामयाब होते हैं।अतः ईमानदार और कर्मठ कर्मचारी तथा अधिकारी ही किसी कंपनी व व्यवसाय की वास्तविक संपत्ति होते हैं।वे ही कंपनी और व्यवसाय को शिखर पर पहुंचाने का माद्दा रखते हैं।जो व्यवसायी और प्रबंधक इस बात को जानते हैं वे हमेशा ईमानदार,नेक और कर्मठ कर्मचारियों व अधिकारियों को लेने के लिए लालायित रहते हैं।
- कर्मचारियों व अधिकारियों की संख्या,लंबे-चौड़े कारोबार से व्यवसाय या कंपनी तरक्की नहीं करती है बल्कि गुणवत्ता से युक्त कर्मचारियों व अधिकारियों की टीम ही उन्नति सुनिश्चित करती है।ईमानदार विद्यार्थी,अभ्यर्थी,कर्मचारी व अधिकारी की हर कहीं पूँछ रहती है,वे मार्केट की डिमांड में हमेशा बने रहते हैं,कहीं भी,कभी मात नहीं खाते हैं।
- एक ईमानदारी का गुण विकसित हो जाता है तो इसके सहारे अन्य गुण भी धीरे-धीरे विकसित होते जाते हैं।ठीक इसी तरह यदि आपने एक अवगुण को पकड़ लिया तो अन्य दुर्गुणों का प्रवेश भी होता जाता है,आप अन्य दुर्गुणों को भी अपनाते जाते हैं।सभी गुण आपस में जुड़े रहते हैं।ईमानदारी के साथ आपमें सच्चाई,लगन,धैर्य,कर्मठता,विवेक आदि का विकास होता चला जाता है।
- अच्छे गुणवान व्यक्ति,कर्मचारी व अधिकारी का पता देर से चलता है लेकिन एक बार ऐसे व्यक्ति का पता चल जाता है तो उसका सानिध्य प्राप्त करना हर कोई चाहता है,उससे संपर्क व मेल-जोल बढ़ाना हर कोई चाहता है क्योंकि उसके गुणों की कीर्ति चारों तरफ बढ़ती जाती है जो सबको अपनी ओर आकर्षित करती है।अतः विद्यार्थी को शुरू से ही ईमानदारी व अच्छे गुणों के विकास पर ध्यान देते रहना चाहिए ताकि आप एक नेक व सच्चे इंसान बन सकें।
4.ईमानदारी इंसान का अमूल्य आभूषण (Honesty is the priceless ornament of man):
- ईमानदारी का जीवन में क्या मूल्य है,इसे वही जान सकता है जिसने ईमानदारी को अपने जीवन में अपना रखा है।वास्तव में ईमानदारी इंसान का सबसे मूल्यवान आभूषण है और यह एक ऐसा आभूषण है जिसे न कोई चुरा सकता है और न छीन सकता है।दुनिया के किसी भी बाजार में बेचकर उसकी मनचाही कीमत हासिल की जा सकती है।
- वह दिन सबसे अभिशप्त मानना चाहिए,जब इंसान के दिल में बेईमानी से एक भी रुपया हासिल करने का विचार उत्पन्न हुआ हो।
- जिस व्यवसाय में आप आशा रखते हैं कि बिना परिश्रम के,बिना कुछ व्यय किए अधिक लाभ हो जाएगा,अथवा आपके परिश्रम और व्यय से कुछ अधिक प्राप्ति होगी,वह व्यवसाय बेईमानी और अपमान का व्यवसाय समझें,चाहे वह सौदा सट्टे का हो,लॉटरी का हो,अथवा किसी भी ऐरे-गैरे काम का।
- जिस अवसर पर आप ऐसे धन को काम में लाते हैं जो अपना नहीं है,चाहे वह थोड़े दिनों के लिए काम में लाया गया हो,तो समझिए कि उस समय आप भयानक रूप से बेईमानी के निकट पहुंच रहे हैं।
- ऐसे लोग बहुत कुछ बहुत तेजी से अर्जित करते हैं,और जिस तेजी से वह धन अर्जित करते हैं,उनका वह धन उसी तेजी से बर्बाद हो जाता है।बेईमानी के लिए कहीं कोई ठिकाना नहीं है।बेईमान चाहे कितनी भी सफलता क्यों ना अर्जित कर ले,लेकिन उसका मन बार-बार उसे यह एहसास दिलाता रहता है कि वह एक नितांत असफल व्यक्ति है।क्योंकि यदि उसमें सफलता अर्जित करने के गुण होते,तो वह बेईमानी के रास्ते पर न चलता बल्कि ईमानदारी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ता चला जाता।इसीलिए कहा गया है कि ईमानदारी मनुष्य का वह आभूषण है जो उसके तन को ही नहीं,मन को भी सुंदर बना देती है।
- जैसे आभूषण व रत्नों से शरीर की सुंदरता बढ़ती है और प्रत्येक व्यक्ति का मन मोह लेता है लेकिन यह सुंदरता अस्थायी है।यह सुंदरता तभी तक आकर्षक लगती है जब तक व्यक्ति को देखते हैं और थोड़ी समय बाद इस सुंदरता का आकर्षण खत्म हो जाता है।परन्तु ईमानदारी तो ऐसा आंतरिक गुण है जो हमारी आंतरिक और बाहरी दोनों सुंदरता को बढ़ाता है।ईमानदार व्यक्ति बहुत प्यारा लगता है।वह सभी का मन मोह लेता है।यह सुंदरता स्थायी सुंदरता है जिसका आकर्षण कभी खत्म नहीं होता है।ईमानदार व्यक्ति आंखों से ओझल हो जाता है तो भी मन में बसा रहता है।
- परंतु नेकी मात्र निषेधक हो,वह निर्मूल्य ही होगी।दफ्तरों के चपरासियों,कर्मचारियों और अधिकारियों को मात्र इसलिए उन्नति नहीं मिलती की दफ्तर का काम करते हैं,बल्कि इसलिए मिलती है कि साहस,सावधानी,योग्यता और कुशलता से काम करते हैं।
जिस भाँति इंसान धोखा देता और झूठ बोलता है,यदि इसी भाँति संसार में प्राकृतिक वस्तुएं भी धोखा देने और झूठ बोलने लगें,यदि पहाड़,समुद्र,दरिया सभी धोखेबाज बन जाए,यदि हरी-भरी दिखाई देने वाली धरती में हम बीज डालें और प्रतिकार में फसल न मिले,सुंदर प्रतीत होने वाले दृश्य मरुस्थल हो जाएं,गुरुत्वाकर्षण पर भरोसा न रहे,सितारे अपनी कक्षा में नए रहें,अणु अपने नियमानुकूल काम न करें,सोचो तो,कि यदि ऐसा हो जाए तो हमारी क्या दशा होगी।इस ब्रह्मांड,सृष्टि और विश्व की गति क्या होगी? क्या यह विश्व,ब्रह्मांड कायम रह सकता है,क्या यह सृष्टि इतनी सुंदर दिखाई देती है,वह सुंदर रह सकेगी?
5.ईमानदारी के दृष्टांत (Parables of Honesty):
- एक ग्रामीण स्कूल की बात है कि एक गणित अध्यापक ने एक कठिन-सा सवाल हल करने के लिए छात्रों को दिया।कक्षा में काफी छात्र-छात्राएं थे।सबसे आगे बैठा छात्र उत्तर न दे सका,फिर दूसरा,तीसरा,चौथा,अंतिम पंक्ति के छात्र-छात्राओं में से कोई भी हल न कर सका।अंतिम छात्र की बारी आई जो फिसड्डी छात्र था।उसने उस सवाल को हल कर दिया,उससे अध्यापक की संतुष्टि हो गई।तब वह छात्र सवाल हल करके सबसे अग्रिम पंक्ति में प्रथम स्थान पर जा बैठा जो उससे सभी तरह से कुशल और योग्य थे वे उसके बाद में बैठे।तब गणित अध्यापक ने वही सवाल ब्लैक-बोर्ड पर हल किया।फिसड्डी छात्र जो अब श्रेणी में सबसे आगे हो गया था,बोल उठा-“गुरुजी! मैं इस सवाल के उत्तर की इकाई आपने जो लिखी है वह नहीं लिखी बल्कि गलत लिखी है।उत्तर की इकाई गलत लिखी है।इतना कहकर वह छात्र वहां से उठकर सबसे पीछे जाकर बैठ गया,जहां से उठकर वह आगे आया था।सबसे आगे आने में उसने इतनी तीव्रता नहीं दिखाई थी,जितनी अंतिम क्रम पर वापस लौटने में दिखाई।वह छात्र इतना ईमानदार था कि जो काम उसने नहीं किया,उसका श्रेय पाने वह भी सर्वथा तत्पर नहीं हुआ।
- एक निर्धन व्यक्ति के पास गणित के संबंध में एक अत्यंत उत्तम पुस्तक थी।चूँकि उसकी स्थिति बड़ी दयनीय थी,उसने वह पुस्तक ₹100 में बेच डाली,हालांकि बाजार में उसकी कीमत ₹600 पड़ती।खरीदने वाला मन में बड़ा प्रसन्न हुआ की ₹600 का माल सौ में पटा लिया।
- उस खरीदार का मुकाबला एक अन्य खरीदार से करो।उसकी कहानी इस प्रकार है-एक वृद्धा महिला के पास एक प्रति श्रीमद्भागवत गीता की टीका थी।उसने एक सज्जन को बताया कि वह उस पुस्तक को ₹100 में बेचने को तैयार है;किंतु जवाब में उस सज्जन ने लिखा कि अगर पुस्तक (गीता की टीका) संपूर्ण है तो बाजार में उसका मूल्य ₹1000 है और वह उसे एक प्रतिष्ठित पुस्तकालय में 1000 में बिकवा देगा।किताब सचमुच संपूर्ण निकाली और उस वृद्धा को ₹1000 मिल गए।इस प्रकार के व्यवसाय मानवता के स्तर को उच्चशिखर पर प्रदान करते हैं।
- आज जिस बात की संसार को सर्वाधिक आवश्यकता है,वह यह है कि युवक लोग कश्मीरी कारखाने में बनी हुई शाल (ऊनी) को विदेशी कारखाने में बुने हुए वस्त्र कहकर लोगों को धोखा ना दें।लुधियाना की बनी हुई जर्सी को जापान की बनी कहकर न बेचें।संसार को आवश्यकता है ऐसे शिक्षकों की जो विद्यार्थियों की समस्या को नहीं समझकर ऐसा ना जताएं कि हम उसका पूरा समाधान कर सकते हैं;आवश्यकता ऐसे लोगों की,जो प्रतिभा जिस युवक-युवती में नहीं है उन पर अनुचित प्रयोग न करें।ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो गुप्त सभाएं करके या अनुचित साधन अपनाकर जनता को धोखा न दें।ऐसे शिक्षण संस्थानों की जरूरत है,जो मात्र अपनी फीस कमाने के लिए छात्र-छात्राओं को अपने जाल में न फंसाए अर्थात् हम आपका जेईई में,नीट में आदि में प्रवेश करा देंगे।ऐसे उपदेशकों की जरूरत है जो बड़ी-बड़ी फीस प्राप्त करने की अपेक्षा आत्मा और परमात्मा की आवाज सुनें एवं उस पर आचरण करें;लोगों की वाहवाही लूटने की ओर ही ध्यान ना दें।ऐसे व्यापारियों की जरूरत है जो मीटर में 33\frac{1}{3} और क्विंटल में 100 किलो ही दें।ऐसे संवाददाताओं की आवश्यकता है जो केवल संपादक महोदय की संतुष्टि के लिए गंदे,झूठे और अपमानजनक लेख न लिखें।ऐसे मर्दों की जरूरत है जो यह न कहें कि चूँकि अमुक व्यक्ति ऐसा करता है,अतः मैं भी वैसा ही करता हूं।ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो बेईमानी के किसी भी काम को लाभकारी न मानें।
- उपर्युक्त आर्टिकल में ईमानदारी अमूल्य गुण है (Honesty is an Invaluable Quality),ईमानदारी इंसान का अमूल्य गुण (Honesty is an Invaluable Quality of Human Being) के बारे में बताया गया है।
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6.कमजोर खड़ा हो जाए (हास्य-व्यंग्य) (Stand Weak) (Humour-Satire):
- टीचर:जो भी गणित में कमजोर हो वह खड़ा हो जाए।चार-पांच बार कहने पर एक छात्र खड़ा हो गया।
- टीचर:तो तुम कमजोर हो?
- छात्र:जी नहीं सर।
- टीचर:फिर क्यों खड़े हो गए?
- छात्र:सर,आप अकेले ही इतनी देर से खड़े थे,इसलिए अच्छा नहीं लग रहा था।
7.ईमानदारी अमूल्य गुण है (Frequently Asked Questions Related to Honesty is an Invaluable Quality),ईमानदारी इंसान का अमूल्य गुण (Honesty is an Invaluable Quality of Human Being) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.स्वाभिमान के साथ और कौन-से गुण होते हैं? (What other qualities do self-respect consist of?):
उत्तर:ईमानदारी,वचन का पालन और उदारता-ये तीन गुण ऐसे गुण हैं जो स्वाभिमान के साथ अनिवार्य रूप से रहते हैं।अतः ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।
प्रश्न:2.देश की दशा ईमानदारी के बिना कैसी होती है? (What is the state of the country without honesty?):
उत्तर:जिस देश के नेतृत्वकर्ता,विद्वान,बुद्धिजीवी और श्रेष्ठ लोग अपनी बुद्धि का प्रयोग ईमानदारी के साथ करना छोड़ देते हैं,वह देश इस प्रकार से दीन-हीन और नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है।
प्रश्न:3.ईमानदार व्यक्ति का स्तर कैसा होता है? (What is the standard of an honest person?):
उत्तर:ईमानदार व्यक्ति चाहे जितना निर्धन क्यों न हो,अपनी निर्धनता और दरिद्रता के बावजूद वह मानव समूह में शासक के स्तर का होता है।
ज्यामिति में एक ही सरल-सीधी रेखा और नैतिकता में ईमानदारी सबसे संक्षिप्त मार्ग है।
प्रश्न:4.भगवान की सर्वोत्तम कृति क्या है? (What is God’s best creation?):
उत्तर:भगवान की सर्वोत्तम कृति ईमानदार इंसान है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा ईमानदारी अमूल्य गुण है (Honesty is an Invaluable Quality),ईमानदारी इंसान का अमूल्य गुण (Honesty is an Invaluable Quality of Human Being) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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