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4 Best Tips to Achieve Success in Job

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1.जॉब में सफलता प्राप्त करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Achieve Success in Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips for Candidates to Get Success in Job):

  • जॉब में सफलता प्राप्त करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Achieve Success in Job) में उन कुछ प्रमुख योग्यताओं और निपुणताओं का उल्लेख किया गया है जिनका व्यवसाय जगत में आज के दौर में आवश्यक है।हालांकि इस छोटे से लेख में जॉब के लिए आवश्यक प्रमुख योग्यताओं,कौशल,सूझबूझ व व्यवहारिक ज्ञान को समाहित करना तो संभव नहीं है परंतु इनके आधार पर आपको अपनी दिशा का ज्ञान होने का संकेत अवश्य मिल मिलेगा।
  • शैक्षिक वातावरण में हमारा ध्यान ज्यादातर डिग्री हासिल करने,किताबी ज्ञान प्राप्त करने इत्यादि पर ही रहता है फलतः हम व्यवहारिक ज्ञान,कौशल,सूझबूझ जैसे अनेक पहलुओं से अछूते रह जाते हैं।इन पहलुओं का विकास न हो पाने के कारण जाॅब को पूरी दक्षता के साथ संपन्न नहीं कर पाते हैं।जब आप कंपनी में कर्मचारी/अधिकारी का पद ग्रहण करते हैं तो सबसे प्रमुख बात यह है कि आपको अपने अंदर कंपनी/विभाग के हित में सोचने की आदत डाल लेनी चाहिए।वरना इसका प्रभाव कंपनी पर तो पड़ेगा ही साथ ही आपकी तरक्की के रास्ते भी बंद हो जाएंगे।हो सकता आपकी अयोग्यता के कारण,आप ठीक से काम नहीं कर रहे हैं,आपको पद के अनुकूल ज्ञान नहीं है,आप अपने अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों से काम नहीं ले पा रहे हैं तो इन परिस्थितियों में आपको कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
  • आपको यह याद रखना पड़ेगा कि अब आप केवल विद्यार्थी नहीं रहे हैं जहां कोई जिम्मेदारी नहीं होती है और स्वतंत्रता रहती है।हालांकि एक जिम्मेदार विद्यार्थी को भी अपने दायित्त्वों का पालन करना पड़ता है।परंतु वहां जिम्मेदारी का इतना शक्ति के साथ पालन नहीं करना पड़ता है।दूसरा फर्क यह है कि एक छात्र के रूप में कुछ अलग तरह की जिम्मेदारी होती है जबकि एक कर्मचारी के रूप में कुछ अलग तरह की जिम्मेदारी होती है।
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2.जाॅब को बेहतरीन तरीके से करें (Do the Job in the Best Way):

  • एक बार आप किसी भी कंपनी में जॉब प्राप्त कर लेते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कितने क्वालिफाइड (Qualified) हैं,आप कितने अच्छे हैं,कितने बुरे हैं,कंपनी का प्रोडक्ट कितना अच्छा है? परंतु यदि आप ग्राहक को संतुष्ट नहीं करते हो,ग्राहक की समस्या का समाधान करने की कोशिश नहीं करते हो तो इसका परिणाम पूरी कंपनी पर,कंपनी की क्रेडिट (साख) पर तथा सभी पर पड़ेगा।यानी कंपनी का व्यवसाय ठप पड़ सकता है।लेकिन कर्मचारी/अधिकारी आपस की प्रतिस्पर्धा में एक-दूसरे पर दोषारोपण करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें कंपनी के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ने की तरफ ध्यान नहीं रहता है।
  • महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि कौन सही है,कौन गलत है,सबसे महत्त्वपूर्ण है कंपनी का कामकाज बेहतर तरीके से हो,ग्राहक सन्तुष्ट हो।आपसी झगड़े में कम्पनी का काम चौपट हो सकता है।किसी भी अभ्यर्थी का उद्देश्य यह होना चाहिए कि काम को बेहतर तरीके से निपटाएं।
  • कई बार अधिकारी का नजरिया अलग तरीके का होता है और कर्मचारी का अलग।ऐसी स्थिति में कम्पनी अखाड़ा बन जाती है और आपस में मनमुटाव पैदा होता है।याद रखें कर्मचारी व अधिकारी के हित आपस में जुड़े रहते हैं,अगर आप कंपनी के हित में काम करते हैं तो बहुत कुछ खोना भी करना पड़ सकता है सबसे मुख्य चीज जो आपको खोनी चाहिए वह है आपका ईगो (अहंकार)।अपने सहकर्मियों व अधिकारियों से घुलमिल जाएंगे तो जॉब करने में संतुष्टि मिलेगी और कंपनी भी तरक्की करेगी तथा कंपनी की तरक्की में ही आपकी तरक्की शामिल है।
  • कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी को विरोध की स्थिति में दोनों को ऐसा हल खोजना चाहिए जिससे दोनों सहमत हों और कंपनी का भी फायदा हो।विरोध तथा लड़ाई-झगड़ा तभी होता है जब हम किसी बात का इश्यू बना लेते हैं और अपने आपको ही सही समझते हैं।
  • यदि आप मिलकर काम नहीं करेंगे तो निश्चित कार्य से अधिक या उससे बेहतर काम नहीं करेंगे।कर्मचारी व अधिकारी एक-दूसरे के दृष्टिकोण और विचारों की कद्र करेंगे तथा एक-दूसरे की इच्छाओं,समस्याओं को समझने का प्रयत्न करेंगे तो बेहतर परिणाम निकलते हैं।
  • कंपनी का प्रोडक्ट,मशीनें तथा साख कितनी ही बड़िया हो परन्तु कम्पनी का सम्पूर्ण कार्य कर्मचारी व अधिकारियों के माध्यम से ही पूर्ण होता है।अतः ग्राहक से ही नहीं बल्कि कर्मचारी व अधिकारी आपस की आदतों,व्यवहार व ज्ञान को समझें और किसी भी बात को मिलकर सुलझाएं।
  • गलती अधिकारी से हो या कर्मचारी से हो सबके सामने फट पड़ना उचित नहीं है बल्कि अकेले में गलती पर बात करें परंतु प्रशंसा करनी हो तो सबके सामने करें।
  • असहमति के लिए क्रोध व झगड़ा-फसाद करना ठीक नहीं है।आप दूसरे से जो व्यवहार पसंद करते हैं उससे पहले वैसा ही व्यवहार आपको दूसरों के साथ करना होगा।इससे आपस में सहमति बनाने में मदद मिलेगी।वस्तुतः हम अपनी असहमति का बखान इस तरह से करते हैं कि सामने वाला भी अपनी बात पर अड़ जाता है।तर्क के द्वारा ही किसी को सहमत नहीं कराया जा सकता है बल्कि सहमति के लिए एक-दूसरे को समझना भी आवश्यक होता है।
  • क्रोधावेश में किया गया कोई भी कार्य गलत ही होता है।हमें अपने व्यक्तिगत विचार,रुचियां और भावनाओं को जाॅब से बाहर ही रखना चाहिए,यही आपसी सम्बन्धों को बेहतर बनाने का तरीका है।इसके लिए अपने आपको अनुशासन और कठोर नियंत्रण में रखना होगा।अपनी असहमति प्रकट करने में भी व्यवहार कुशल होना चाहिए अर्थात् पहले असहमति के बिन्दु पर दूसरे व्यक्ति के पक्ष को सुना जाए और जहां तक हो सके उससे सहमति प्रकट करें।
  • इसके पश्चात जिन बातों में मतभेद है वे उसे बताएं और विस्तार से समझाएं कि आपके विचार उनसे अलग क्यों है? साथ ही उनसे कहें कि वह आपका पक्ष समझने का प्रयास करें।किसी के विचारों को बदलने का यह बेहतर तरीका है।
  • प्रतिदिन एक ही ढर्रे से काम न करें क्योंकि एक ही ढर्रे से काम करने का यह मतलब नहीं है कि काम करने का वह तरीका ही सबसे अच्छा है।एक ही तरीके से काम करने पर बोरियत हो जाती है जिससे काम करने की परफॉर्मेंस पर बुरा प्रभाव पड़ता है।काम करने के तरीके में बदलाव करते रहें जिससे वह रोचक बना रहे और उसे बेहतर तरीके से कर सकें।इसके लिए अपने अधिकारी व सहकर्मियों से सुझाव भी ले सकते हैं।

3.अपनी गलतियों में सुधार करें (Correct Your Mistakes):

  • सबसे बढ़िया बात तो यह है कि गलती हो ही नहीं अर्थात् प्रथम बार ही काम सही तरीके से हो जाए क्योंकि पहली बार काम सही तरीके से करने के बजाय गलती को सुधारने में ज्यादा समय लगता है।काम करते समय अपने काम की समीक्षा करते रहें तथा अपनी कमजोरियों का पता स्वयं लगाएं।अक्सर हमारी अपनी गलती की तरफ नजर तब जाती है जब दूसरे हमें अपनी गलती बताते हैं।अपनी गलती को ढूंढने का अच्छा तरीका यह है कि आप अपने काम को दूसरे के नजरिए से देखें।
  • गलतियां इसलिए होती है क्योंकि हम दूरदर्शिता से काम नहीं लेते हैं।दूसरा गलती बताए तो उस पर आक्रोशित होने के बजाय उसे सहजता से स्वीकार करें और उसमें सुधार करें।आप देखेंगे कि धीरे-धीरे गलतियों में सुधार करने से आपके काम में निखार आएगा।आप अपनी गलतियों और खूबियों का विश्लेषण करें,ऐसा करने से आपमें सुधार होता जाएगा।
  • कई बार छोटी-छोटी गलतियां भी राई का पहाड़ बन जाती है और उन्हें सुलझाना बहुत मुश्किल होता है।बार-बार गलतियां करने  से कर्मचारी व अधिकारी में टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है।अतः शुरू में छोटी-छोटी गलतियों को रोक दें।छोटी-छोटी गलतियों को रोकने का तरीका यह है कि काम पूरा करने के बाद उसको पूरी तरह से एक बार फिर से जांच लें तथा जहाँ भी त्रुटि हुई है उसमें सुधार कर दें।
  • कई बार कर्मचारी व अधिकारियों को बार-बार समझाने पर भी गलतियों में सुधार नहीं कर पाते हैं और गलतियां करने की पुनरावृत्ति करते रहते हैं।कर्मचारी/अधिकारी यह चाहते हैं कि अपनी त्रुटि खुद ही सुधार लें।बार-बार त्रुटियाँ करने का अर्थ है कि आपका मन जाॅब करने पर केन्द्रित नहीं है अर्थात् जाॅब को कामचलाऊ तरीके से करते हैं,जाॅब से प्यार नहीं करते हैं।
  • लोगों से जुड़ी हुई समस्याओं को एकदम से नहीं सुलझाया जा सकता है।यदि आज आप एक समस्या को हल कर दोगे तो कल नई समस्या खड़ी हो जाएगी।इस प्रकार गलतियां होती रहती हैं,समस्याएं आती रहती है परंतु आपको उनको गंभीरतापूर्वक हल करना चाहिए,सुधार करना चाहिए।
  • जो व्यक्ति जॉब करता है उससे गलती होना स्वाभाविक है परंतु कुछ लोग गलती करने से डर जाते हैं और कोई न कोई बहाना बना लेते हैं।कई कर्मचारी व अधिकारी तो इतने जिद्दी होते हैं कि अपनी गलती को स्वीकार करते ही नहीं है।गलती स्वीकार न करना अपनी तरक्की,विकास व प्रगति को रोकना है।ऐसे व्यक्ति जो अपनी गलती को नहीं स्वीकार करते हैं वे किसी से सम्मान भी प्राप्त नहीं करते हैं।गलती को स्वीकार करने वाले का ही सम्मान किया जाता है और ऐसा वही व्यक्ति कर सकता जो साहसी होता है।
  • ऐसे कस्टमर से भी वास्ता पड़ सकता है जो उज्जड़ और गंवार है परंतु आपको धैर्यपूर्वक सबकी बातों को सुनना है।आपको उनकी समस्याओं का समाधान करना है।यदि आप लोगों को समझने का प्रयास करेंगे तो आप एक संवेदनशील कर्मचारी व अधिकारी हैं।रुखे,कटुभाषी व संवेदनहीन कर्मचारी व अधिकारियों के लिए कम्पनी में ही नहीं बल्कि कहीं भी जगह नहीं है।संवेदनशील कर्मचारी व अधिकारी लोगों से स्वयं पहल करके पूछता है कि उनको क्या परेशानी है और यथासम्भव उसका समाधान भी करता है

4.जाॅब से संबंधित महत्वपूर्ण बातें (Important Things Related to the Job):

  • (1.)गलती होने पर कोई डांटता-डपटता है तो भी सन्तुलन न खोएं।गलती के कारण को ढूंढने की कोशिश करें।एक-दूसरे पर भड़कने से कोई फायदा नहीं है।
  • (2.)छोटे-छोटे कामों जैसे फाइलों को सही जगह पर रखना,आवश्यक निर्देशों,प्रपत्रों व आदेशों को उचित फाइल में नत्थी करना ताकि समय पर इधर-उधर ढूंढना न पड़े और आपका समय बचे।आपको जितना काम दिया गया है उससे अधिक काम करने का प्रयास करें ताकि आपको कोई कामचोर न समझे।
  • (3.)आधुनिक युग में कर्मचारी व अधिकारी को हर काम के लिए निर्देश व आदेश देने की जरूरत नहीं पड़ती है।वही कर्मचारी/अधिकारी श्रेष्ठ समझा जाता है जो कंपनी/विभाग के हित में निर्णय लेता है और काम करता है।इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कंपनी/विभाग के नियमों को तोड़े।
  • (4.)जो लक्ष्य आपको दिया गया है उसे समय सीमा में करने की भरपूर चेष्टा करें।यदि लक्ष्य को पूरा करने में कम्पनी के नियम बाधक बन रहें हैं तो तत्काल उसे करने के लिए अपने अधिकारी से उचित आदेश प्राप्त कर लें।तात्पर्य यह है कि काम के बजाय परिणाम केंद्रित होकर काम करें।
  • (5.)हमेशा काम में लगे रहने वाले तथा समय की कमी उन्हें ही महसूस होती है जो काम को व्यवस्थित ढंग से नहीं करते हैं,काम में गड़बड़ियां करते रहते हैं।समय पर गड़बड़ियों को ठीक कर लेंगे तो अत्यधिक परिश्रम से बच सकेंगे।पहले ही गड़बड़ी होने को भांप लें और उसमें सुधार कर लें।

5.जाॅब में सफलता का दृष्टांत (A Glimpse of Success in the Job):

  • एक बार किसी कंपनी के औचक निरीक्षण करने के लिए एक उच्चाधिकारी आए।उन्होंने कंपनी के कार्यालय का मुआयना करके उनमें से कुछ कर्मचारियों का चयन करके अपने पास बुलाया।उनसे संबंधित जॉब के बारे में पूछताछ की।उनमें एक कर्मचारी अपने जॉब के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया।उच्चाधिकारी ने उस कर्मचारी की तत्काल छँटनी कर दी और कंपनी के मैनेजर को उसके गांव तक का यात्रा भत्ता व बकाया वेतन देने के निर्देश दे दिए।
  • थोड़ी देर बाद जब कर्मचारियों के साथ उनकी वार्ता समाप्त हो गई तो उच्चाधिकारी ने देखा कि वह कर्मचारी अभी भी कार्यालय के आसपास घूम रहा है।अधिकारी तत्काल उस कर्मचारी के पास पहुंचे और नाराज होते हुए बोले कि मैंने तुम्हारी छँटनी कर दी है फिर तुम यहाँ क्यों घूम रहे हो? अब यहां तुम्हें जॉब नहीं मिलने वाला है,अपने घर जाओ और कहीं दूसरी जगह जॉब तलाश करो।तब उस कर्मचारी ने विनम्रतापूर्वक कहा कि सर आप नाराज मत हो।मुझे अपने घर जाने का किराया और बकाया वेतन दिया है वह वास्तविकता से कुछ अधिक है इसलिए मैं यह अतिरिक्त राशि लौटाने के लिए कार्यालय के कैशियर को खोज रहा हूं।
  • उच्चाधिकारी उसकी बात सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हुए फिर कुछ सोचकर बोले,मैंने तुम्हें कम्पनी में वापस नियुक्त कर दिया है।तुम ईमानदार और चरित्रवान हो।अपने जाॅब के बारे में तुम्हें कम ज्ञान है जिसे दूर करने की व्यवस्था कर दी जाएगी किन्तु चरित्रवान कर्मचारी को पाना बहुत कठिन है तो फिर मैं चरित्रवान कर्मचारी को खोने का संकट खड़ा क्यों करूं? मैनेजर को उच्चाधिकारी ने हिदायत दे दी की इसकी जाॅब में कमजोरी को खुद दूर करेंगे।
  • वस्तुतः आज निजी व सरकारी कार्यालयों में चरित्रवान कर्मचारियों व अधिकारियों के चयन करने की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है।यही कारण है कि भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी है।जाॅब के लिए सर्वोपरि पात्रता ईमानदारी व चरित्रता होती है।चरित्रवान अपने अन्दर कर्मठता और समर्पण को भी पैदा कर लेते हैं और यही किसी भी संस्थान,कंपनी व विभाग की प्रगति व विकास के लिए जरूरी है।
  • जॉब में अकुशलता को बार-बार अभ्यास करके,ज्ञानार्जन करके,अध्ययन करके दूर किया जा सकता है परंतु चारित्रिक दुर्बलता संस्थान व कर्मचारियों को हर प्रकार की हानि पहुंचाती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जॉब में सफलता प्राप्त करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Achieve Success in Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips for Candidates to Get Success in Job) के बारे में बताया गया है।

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6.भगवान से गणित में उत्तीर्ण हेतु प्रार्थना (हास्य-व्यंग्य) (Pray to God to Pass Math Exam) (Humour-Satire):

  • एक छात्रा (प्रार्थना के दौरान जोर-जोर से कहती है):हे भगवान!मुझे इस बार गणित विषय में कैसे भी उत्तीर्ण कर देना।
  • बेटी की आवाज सुनकर माँ दौड़कर आई और बोलीःधीरे बोल,भगवान बहरे थोड़े ही है।
  • छात्रा:हाँ मां,लेकिन पड़ोस में रहने वाले तथा मुझे गणित पढ़ाने शिक्षक तो बहरे हैं ना।

7.जॉब में सफलता प्राप्त करने की 4 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Best Tips to Achieve Success in Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips for Candidates to Get Success in Job) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.जाॅब पर मजबूत पकड़ कैसे कर सकते हैं? (How Can You Get a Strong Grip on the Job?):

उत्तर:(1.) जैसे ही कोई समस्या शुरू हो तो तुरंत उसका समाधान कर दो।शुरुआत में ही समस्या का समाधान कर दोगे तो बड़ी परेशानी का कारण नहीं बनेगी।समस्या का मूल कारण है किसी काम को सही विधि से करने का ज्ञान न होना तथा उससे संबंधित तथ्यों का उपलब्ध न होना।सही जानकारी से लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
(2.)काम को पिछले दिन से बेहतर करने का प्रयास करें।यदि आप नहीं जानते हैं तो पुस्तकों का अध्ययन कीजिए।उन लोगों के बारे में पता लगाने की कोशिश करें जो आप जैसी समस्याओं का आपसे बेहतर तरीके से हल निकाल रहे हैं।उनके काम करने का तरीका पता करके उसे अपने काम में ढालने की कोशिश करें।
(3.)अपने काम को इस तरह से करें कि वह अद्वितीय हो।अर्थात् अपने जॉब के मामले में आप एक उदाहरण बनने का प्रयास करें।इसके लिए आपको अपने जॉब के बारे में जानने की तीव्र उत्कण्ठा रहनी चाहिए।उससे संबंधित जानकारी जहां से भी मिले उसे प्राप्त कर अपने आपमें सुधार करते रहे।

प्रश्न:2.क्या सलाह लेना सही है? (Is It Right to Take Advice?):

उत्तर:अपने जाॅब को बेहतर तरीके से करने के लिए सलाह लेना अच्छा है।इससे आपके बारे में यह धारणा बनती है कि आप जॉब से कितना प्यार करते हैं।लेकिन कई कर्मचारी/अधिकारी सलाह लेने में इसलिए संकोच करते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि अन्य कर्मचारी/अधिकारी यह सोचेंगे कि उसे अपने जॉब के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।वस्तुतः जॉब के बारे में संपूर्ण जानकारी किसी को नहीं होती है।वे पुस्तकों,अन्य लोगों से सलाह लेकर,वेबसाइट्स से जानकारियां जुटाकर ही ज्ञान प्राप्त करते हैं और आगे बढ़ते हैं।

प्रश्न:3.संस्थान में अपना जॉब सुरक्षित कैसे रखें? (How to Keep Your Job Safe in the Institute?):

उत्तर:आपको अपनी सृजनात्मकता को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।सृजनात्मकता का कार्य कलात्मक कार्यों में ही उपयोग नहीं होता है बल्कि व्यवसाय व अन्य कामकाज में भी इसका भरपूर उपयोग होता है।आपमें कोई न कोई सृजनात्मक प्रतिभा छुपी हुई रहती है।उसे पहचानकर अपने जाॅब में निखार ला सकते हैं।आपका कौशल ओर उत्कृष्ट होकर सामने आता है। मान लीजिए आप अपने जाॅब को करने में 70% दक्ष हैं।परन्तु सृजनात्मकता के द्वारा यदि आप अपने कौशल में 15% की वृद्धि करते हैं तो इसका नतीजा अच्छा ही होगा।आपके काम करने के तरीके को पसंद किया जाएगा और इसका लाभ यह होगा कि आप अपने पद को सुरक्षित करने में सफल होंगे।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जॉब में सफलता प्राप्त करने की 4 बेहतरीन टिप्स (4 Best Tips to Achieve Success in Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब में सफलता प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips for Candidates to Get Success in Job) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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