Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics
Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics
1.खेलने दें बच्चों को ताकि हों मैथ्स में तेज का परिचय (Introduction to Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics)-
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Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics |
इस आर्टिकल में बताया गया है कि यदि आप गणित में प्रखर तेजस्वी होना चाहते हैं तो आपको खेल तथा व्यायाम का नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए। भारतीय ऋषि-मुनियों ने इस बात का पहले ही पता लगा लिया था इसलिए वे शिक्षा देते समय खेल, व्यायाम व योगासन को महत्त्व देते थे और युवक-युवतियों को इसका अभ्यास कराते थे। अष्टांग-योग के आठ अंगों में आसन अर्थात् व्यायाम को भी महत्त्व दिया गया है । खेल व योगासन से शरीर की इन्द्रियों का विकास होता है। मन व तन स्वस्थ रहता है और बुद्धि प्रखर होती है। इसलिए युवाकाल को ऋषियों ने ब्रह्मचर्य आश्रम कहा है और इसे संयम, शक्ति-संचय, कठोर परिश्रम और साधना का समय बताया है। कमजोर व रोगी शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास नहीं होता है। इसलिए युवाकाल कठोर तप, साधना, शक्ति-संचय,श्रम व पुरुषार्थ करके संयमपूर्ण जीवन जीने का है। जो युवाकाल में कष्ट उठाता है उसे पूरे जीवन भर कष्ट नहीं उठाना पड़ता है और जो युवाकाल को मौज-मजे व मस्ती तथा ऐशोआराम में गुजारता है उसे जीवन भर कष्ट व दुख: उठाना पड़ता है ।ऐसे युवक-युवतियां युवाकाल में धुम्रपान, शराब, नशीले पदार्थों तथा दवाओं का सेवन करता है, वह कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाता है उसके मस्तिष्क का ठीक से विकास नहीं होता है और ऐसे विद्यार्थी गणित में फिसड्डी रहते हैं।
जो युवक-युवतियां अष्टांग योग के अंगों क्रमशः यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, समाधि का नियमपूर्वक पालन करता है और इनके अनुसार अपना जीवन व्यतीत करता है और इन अष्टांग योग के आठ अंगों के पालन करने का अभ्यास करता है उसका मस्तिष्क प्रखर व तेजस्वी होता है। ऐसे विद्यार्थी गणित में होनहार व मैधावी होते हैं। गणित के सवालों को हल करना उनके लिए चुटकियों का काम है। परन्तु विद्यार्थी केवल खेल व व्यायाम करने से ही गणित में तेजस्वी नहीं हो सकता है बल्कि खेल,आसन व प्राणायाम के साथ यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा इत्यादि का भी अभ्यास करना होगा। यदि खेल व व्यायाम से ही कोई प्रखर व तेजस्वी होता तो सभी खिलाड़ियों का मस्तिष्क अत्यधिक विकसित होता परन्तु यदि हम अवलोकन करें तो जितने भी महापुरुष, गणितज्ञ और वैज्ञानिक हुए हैं वे कोई भी महान खिलाड़ी नहीं हुए हैं। हाँ खेल का कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है और इसलिए उसको अष्टांग योग में स्थान दिया गया है परन्तु यदि योग के अन्य अंगों का पालन नहीं करेंगे तो हमारा शरीर तो शक्तिशाली हो जाएगा। मस्तिष्क को प्रखर व तेजस्वी बनाने के लिए योग के अन्य अंगों का पालन भी करना होगा तभी हम गणित में प्रखर व तेजस्वी हो सकेंगे ।
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2.खेलने दें बच्चों को ताकि हों मैथ्स में तेज(Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics)-
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Let the Children Play so That They are Sharp in Mathematics |
Reported by: Indo Asian News Service, Updated: 14 अगस्त, 2015
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे गणित के धनी हों तो उन्हें खेलने का समय जरूर दें। शोधकर्ताओं ने जाना है कि फिटनेस से मस्तिष्क संरचना का विकास होता है जो गणित पर स्किल्स को बढ़ाता है और इससे जुड़ी हुई अचीवमेंट्स में योगदान देता है।
शोध दर्शाता है कि जो बच्चे एरोबिकली फिट हैं, उनके मस्तिष्क में कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत सेरेब्रम (ग्रे मेटर) बहुत ही पतली होती है जो गणित के बेहतर प्रदर्शन का एक मुख्य कारक होती है।
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अमेरिका में इलिनॉय यूनिवर्सिटी में प्रमुख शोधकर्ता लौरा चैड्डोक-हेमैन ने कहा, ‘ग्रे मैटर का पतला होना पूर्ण रूप से गठित स्वस्थ्य मस्तिष्क का रूप है। इसका मतलब है कि मस्तिष्क अनावश्यक संपर्को को समाप्त कर आवश्यक संपर्को को मजबूत करता है।’
शोधकर्ताओं ने 9 और 10 साल के 48 बच्चों पर अध्ययन किया। इन सभी बच्चों का ट्रेडमिल पर फिटनेस परीक्षण हुआ। इन सभी में आधे बच्चे एरोबिक फिटनेस के लिए 70 प्रतिशत तक फिट थे और आधे बच्चे 30 प्रतिशत तक फिट थे।
शोधकर्ताओं ने एमआरआई का उपयोग कर बच्चों के गणित, पढ़ने और वर्तनी के कौशल का परीक्षण कर उनके मस्तिष्तक को जांचा। एरोबिक फिटनेस के लिए 70 प्रतिशत तक फिट बच्चों में ग्रे मेटर अधिक पतली होने से बेहतर गणित प्रदर्शन के अनुरूप था।
यह अध्ययन ‘प्लोस वन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।