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How Do Students Get Rid of Depression?

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1.छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Depression?),गणित के छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Math Students Get Rid of Depression?):

  • छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Depression?) विशेषकर गणित के छात्र-छात्राएं गणित के सवाल व समस्याएं हल न होने पर उदास हो जाते हैं।उदासीनता अथवा अवसाद साधारण से लेकर गंभीर स्तर तक का होता है।गंभीर उदासीनता से पीड़ित छात्र-छात्रा अथवा व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है,उसके शरीर और मस्तिष्क की प्रतिक्रियाएं धीमी पड़ जाती हैं और वह खुद अपनी कटु आलोचना करने लगता है।उसके मन में सुख,सफलता या प्रसन्नता की तनिक भी ज्योति नहीं रहती।ऐसे व्यक्ति को अपना इलाज कराने के लिए किसी मनोचिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।
  • इस आर्टिकल में मध्यम या हल्के स्तर के अवसाद या उदासीनता की समस्या पर विचार करेंगे जिससे प्रायः छात्र-छात्राएं पीड़ित रहते हैं।हल्की उदासीनता के लक्षण हैंःउत्साह में कमी,अकेलापन महसूस करना,हीनता का भाव होना,जीवन एक भार-सा महसूस होना,सान्त्वना का अभाव,दुःख तथा अशांति।हलकी उदासीनता के शिकार व्यक्ति प्रायः कहते हैं, “क्या फायदा पढ़ने से? कोई चीज कभी नहीं सुधरेगी।मैं एक असफल छात्र-छात्रा अथवा व्यक्ति हूँ।
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2.आशा द्वारा उदासी से छुटकारे का उपाय (How to Get Rid of Sadness by Hope):

  • उदासीनता या अवसाद का सबसे अच्छा उपाय हैःआशा,सफलता और सुख-शान्ति पाने की आशा।आप मन में जितनी अधिक और सघन आशा की ज्योति जगायेंगे उतनी ही शीघ्र आपकी उदासीनता भागेगी।आशावादी बने रहने की आदत से आप स्थायी रूप से प्रसन्न रहने वाला व्यक्तित्त्व विकसित कर सकते हैं।इसे प्रारंभ करने का बहुत सरल तरीका है कि सुबह आंख खुलते ही अपने आप से आशावादी बातें कहिए।उदाहरण के लिए, “आज का दिन बहुत शुभ है।आज मैं अध्ययन का बहुत सा काम निपटाऊँगा।मैं दिनभर में अपने अध्ययन कार्य को निपटा दूंगा।
  • दिनभर इसी प्रकार की आशावादी बातें अपने आपसे कहते रहिए और अध्ययन में व्यस्त रहिए।बीच में आपसे कोई गलती हो जाए या कोई आपकी आलोचना करे तो भी उदास मत होइए।ऐसे मौकों पर अपने आपसे कहिए कि गलती तो महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे महापुरुषों से भी हुई थी।मैं अपनी गलती से शिक्षा लूँगा और अध्ययन को बेहतरीन तरीके से करूँगा।
  • आशाभरी बातें कहने से हमारे मन के विचार आशावादी बनने लगते हैं।इन्हें दोहराते रहने से वे हमारे मस्तिष्क द्वारा विचार करने की प्रक्रिया के अंग बन जाते हैं।इसके फलस्वरूप ये विचार उदासी और अवसाद को दूर करते हैं।आशाभरे विचारों को मन में बार-बार लाने से हमारा मनोमस्तिष्क उन्हें अपना अनिवार्य अंग बना लेता है।
  • आप यह विचार कर सकते हैं कि बिना अध्ययन किए और अध्ययन में बिना सफलता प्राप्त किए कैसे आशाभरी बातें सोची जा सकती है? वस्तुतः मन से आशाभरी बातें उस समय ही करना ज्यादा जरूरी होता है,जब चारों ओर घोर उदासी छाई हुई हो।उसी समय इस सच्चाई को समझा जा सकता कि घोर अंधेरे के बाद हुए दिन का प्रकाश फैलना शुरू होता है।यही प्रकृति का नियम है।इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति कभी दुःख,कष्ट और नाकामयाबी से परेशान या उदास नहीं होते हैं।
  • इस दृष्टिकोण को अपनाने का यह मतलब नहीं है कि अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं की उपेक्षा करदें या उनकी ओर ध्यान तक न दें।परंतु मन में आशा बनाए रखने से हम इन समस्याओं और बाधाओं का सामना करने और उन पर विजय पाने में सफल हो सकते हैं।उदासी या अवसाद अथवा दुःख को हटाने की कारगर विधि अपनाइए।सदैव आशावादी रहिए।इससे आपको ऐसी शक्ति और संतुलन प्राप्त होगा जो अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों को हल करने में सहायता करेगा।जहां छात्र-छात्राओं को असफलता का सामना करना पड़ता है वहीं आशा की मशाल थामे छात्र-छात्राओं को सफलता अवश्य मिलती है।
  • निस्संदेह अध्ययन में अनेक कटु सत्यों का सामना करना पड़ता है परंतु आशा की किरण कठोर-से-कठोर बाधा को भस्म कर देती है।आशाओं से भरा मस्तिष्क वाला छात्र-छात्रा अध्ययन में आने वाली बड़ी-से-बड़ी कठिनाई पर विजय पाकर ही दम लेता है।अतः अपने आपको,अपने मन को आशा भरे विचारों की शक्ति से बलवान बनाइए।इससे निश्चय ही आपके उत्साह और आपको अध्ययन कार्य को करने की ऊर्जा में वृद्धि होगी।
  • आप केवल शरीर और मन ही नहीं है बल्कि आप शरीर,मन से ऊपर (आत्मस्वरूप) हैं।प्रायः हममें से अधिकांश अपने को शरीर या मन ही समझते हैं।मन में जो विचार चलता रहता है,हम उसे अपना मान कर वैसा ही भाव अनुभव करते हुए प्रतिक्रिया करने लगते हैं।अतः अपने को मन का मालिक समझिए गुलाम नहीं।अपने मन के विचार को देखिए और यदि वह हानिकारक है तो उसे अपनी विवेक बुद्धि के अनुसार बदल डालिए।आप जिस विचार को अपने व्यक्तित्त्व का विकास करने के लिए आवश्यक समझते हैं,उसी को मन में दोहराइए।याद रखिए कि एक सफल और सुखी जीवन के लिए आशावादी विचार पहली आवश्यकता है।सदा उदास रहने की आदत से छुटकारा पाने के लिए शरीर,मन और आत्मा को फिर से शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है।
  • यह कार्य सही प्रकार भोजन,चिन्तन,ध्यान-प्रार्थना और जीवन प्रणाली अपनाने से संभव होता है।जिस तरह पियानों के तारों में ढीलापन आने पर उसकी ट्यून को ठीक करने वाला एक-एक तार को उचित रीति से कसता है,उसी प्रकार अपने व्यक्तित्त्व को आशा और विश्वास से पूर्ण बनाने के लिए एक-एक विचार को सही रूप देना पड़ता है।

3.उदासी से छुटकारे का उपाय आत्मविश्वास (Self-confidence is the Way to Get Rid of Sadness):

  • अपने आत्मिक अनुभव को गहरा करने से हमें अपने व्यक्तित्त्व का विकास करने की प्रेरणा मिलती है।अपने मन को अपने प्रति विश्वास से भर दो।इससे आपको जीवन की पराजयों और उदासीनता पर नियंत्रण पाने की आश्चर्यजनक शक्ति प्राप्त होगी।
  • वास्तव में इस जीवन का सबसे बड़ा सत्य यह है कि आत्म-ज्ञान को भी कदम-कदम करके उस स्तर तक विकसित किया जा सकता है जहाँ हम अपने आपको संसार के बंधनों से मुक्त कर सकें।जीवन के प्रत्येक अवसाद या उदासी से उठाने वाली शक्ति से संपर्क होने से प्राप्त महान अनुभव से बड़ा कुछ नहीं हो सकता।
  • नियमित अभ्यास से अपने विचारों को ऐसा बनाओ कि सांसारिक बातों या चीजों से ऊपर रहते हुए जीवन व्यतीत कर सको।इससे आप कभी उदास,दुःखी या अवसाद ग्रस्त नहीं होंगे।इसी विचार को श्रीमद्भगवद्गीता के छठवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है किः
  • “जितात्मनः प्रशांतस्य परमात्मा समाहितः।
    शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः।।”
  • अर्थात् शीत,उष्ण,सुख-दुःख तथा मान व अपमान में जिस आत्मजयी पुरुष के अंतःकरण की प्रवृतियां भलीभांति शान्त है,ऐसे स्वाधीन आत्मा वाले पुरुष के ज्ञान में सच्चिदानंदघन परमात्मा सम्यक प्रकार से स्थित है अर्थात् उसके ज्ञान में परमात्मा के सिवाय अन्य कुछ है ही नहीं।
  • परंतु अवसाद,उदासी और दुःख के विचारों से मन को मुक्त करने के लिए धैर्यपूर्वक लम्बे अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है।इसे आत्म-विश्वास के बिना अकेले (मन के द्वारा) नहीं कर सकते।अधिकांश छात्र-छात्राएं जो उदासी व अवसाद से ग्रस्त हैं उन्हें वास्तव में न दवाई की जरूरत है और न शल्य चिकित्सा की,उन्हें केवल आत्म-विश्वास की आवश्यकता है।दूसरे शब्दों में जो छात्र-छात्राएं जिन रोगों से अपने को ग्रस्त बता रहा है वे अस्वस्थ विचारों को रखने के कारण हुए हैं।
  • ऐसे विद्यार्थी जो बीमारी से ग्रस्त हैं वे शारीरिक से अधिक मानसिक रूप से ग्रस्त होते हैं।परीक्षा में मिलने वाली है असफलता,जाॅब न मिलने अथवा परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त न होने जैसी परेशानियों के कारण सदा उदास रहते हैं।वे भविष्य को लेकर भी परेशान रहते हैं।उसके मस्तिष्क में रहने वाली उदासी,दुःख और चिंताभरे विचारों के कारण ही अनेक बीमारियां घेर लेती है।मनोचिकित्सक ऐसे विद्यार्थियों को हानिकारक विचारों से छुटकारा दिलवाकर स्वस्थ कर देते हैं।
  • हमारे अवचेतन और अचेतन मस्तिष्क में अपार शक्ति छिपी हुई है।धर्मग्रंथों में जिस आत्मा को परमात्मा का अंश कहा गया है,उसकी शक्ति मानव के मनोमस्तिष्क से भी कहीं अधिक है।मनुष्य की इन छिपी हुई मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों का वर्णन विश्व के प्रत्येक धर्मग्रन्थ में मिलता है।संकट पड़ने पर मनुष्य की ये आध्यात्मिक शक्तियां उसके अपने आत्म-विश्वास का आधार पाकर जागृत होकर सहायता करती है।
  • जिसे अपने आप पर विश्वास है,उसके पास हर वस्तु है और जिसके पास आत्मविश्वास नहीं,उसके पास कुछ भी नहीं।यह विश्वास ही है जो परमात्मा के नाम पर चमत्कार करता है,आत्म-विश्वास ही जीवन है और सन्देह मृत्यु।
  • आत्म-विश्वास का अर्थ अहंकार नहीं है बल्कि अपनी क्षमताओं,अनुभवों तथा सामर्थ्य व आत्मिक शक्ति पर विश्वास ही आत्मविश्वास है।

4.उदासी से छुटकारे के अन्य उपाय (Other Ways to Get Rid of Sadness):

  • कोई छात्र-छात्रा तथा व्यक्ति अपने उदासी,दुःख,अवसाद से छुटकारा पाकर उत्साह और शक्ति से पूर्ण हो सकता है इसके लिए कुछ बातों का पालन करना आवश्यक है।उत्साह,शक्ति और आनन्द पाने की अदम्य और ज्वलन्त इच्छाशक्ति,सबकुछ करने की लगन,आत्मिक शक्ति,परमात्मा या आध्यात्मिक शक्ति में पूर्ण विश्वास,लम्बी अवधि तक लगातार प्रार्थना,आत्मसुझाव (auto suggestion) और भगवान का ध्यान करने,तत्परता इत्यादि।
  • उदासी एक मनोवृत्ति है।आप उदास इसलिए होते हैं क्योंकि मन में उदासी के विचार होते हैं।इन्हें किस प्रकार बदला जाए,इसकी एक प्रभावशाली रीति अपने मन के विचारों को खुशनुमा विषयों या चीजों की ओर मोड़ देना है।परमात्मा के प्यार और उसकी दयालुता में पूर्ण विश्वास का विचार संसार की सबसे महान शक्ति है।जिसने निरंतर अभ्यास द्वारा इसे अपने मन में बसा लिया,समझ लीजिए कि उसने अनंत प्रसन्नता को प्राप्त कर लिया।
  • सदैव यह विचार रखिएःपरमात्मा मेरे साथ है।वह मेरी सहायता और मार्गदर्शन कर रहा है।मैं सर्वोत्तम पाने की आशा करता हूं,उसे पाने के लिए सर्वोत्तम कर्म करता हूं।परमात्मा मुझे सर्वोत्तम प्रदान करेगा।इस विचार को एक दृढ़ विश्वास में बदलिए और आप देखेंगे कि बड़ा-से-बड़ा संकट भी कोई-न-कोई लाभ या ज्ञान देकर आराम से निकल जाएगा।
  • इन तीन बातों का पालन करोःपहली सही विचार करो,दूसरी सही विश्वास करो यानी सत्य पर विश्वास करो और तीसरी सही कर्म करो।
  • एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग करेंःएकांत में बैठकर जितने भी दुःख या परेशानी के विचार हो सकते हैं,उनको अपने मन में लाइए।यह गिनिए कि आपके पास क्या-क्या नहीं है? दूसरे लोगों के द्वारा किए गए खराब व्यवहार को याद रखिए।इस बारे में अधिक बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि दुःख,चिंता या उदासी और विचारों पर ध्यान देते ही वे खुद-ब-खुद आने लगते हैं,बस जरा सी आप कोशिश करें।थोड़ी देर बाद आप अस्वस्थ हो जाएंगे।अब आप उदासी,दुःख,व चिन्ता के विचारों का स्मरण करना बंद कर दें।परमात्मा की कृपा और उसके द्वारा आपको जो अच्छी-अच्छी चीजें या वरदान मिले हैं,उन पर ध्यान लगाइए।आप स्वास्थ्य,प्रसन्नता और सफलता से भरे विचारों को मन में लाइए।थोड़ी देर बाद आप अपने आपको तरोताजा व स्वस्थ महसूस करने लगेगें।
  • अन्तिम उपाय है कि दूसरों की उदासी तथा दुःख को दूर करने में रुचि लीजिए,उसे दूर करने का प्रयत्न कीजिए।यह प्रेम आपको इतनी शक्ति देगा कि न केवल आपके हानिकारक भाव दूर होंगे वरन् मानसिक सुख-शांति भी प्राप्त होगी।इसीलए प्रेम को परमात्मा कहा गया है।महात्मा गांधी तो दीन-दुखियों की सेवा को ही परमात्मा की सेवा कहा करते थे।विश्व विख्यात नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने जो कि एक साधारण स्त्री थी रोगियों,कोढ़ियों और दुःखी जनों की सेवा कर जीवन में जो सुख-सफलता एवं मानसिक शांति प्राप्त की है,वह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

5.उदास छात्र का दृष्टांत (The Parable of a Depressed Student):

  • एक छात्र मित्र के घर पहुंचा तो मित्र को उदास और गंभीर मुद्रा में पाया जबकि वह मित्र बड़ा खुशमिजाज और जिंदादिल स्वभाव का था।उसने मित्र से पूछा,क्या बात है मित्र?यूं सूरत लटकाए क्यों बैठे हो? क्या किसी से लड़ाई-झगड़ा हो गया।
    क्या बताऊं यार बड़ा नुकसान हो गया।
  • वह छात्र बोला नुकसान कैसे हो गया? मैंने तो सुना है तुम्हारा चयन जेईई-एडवांस में हो गया है।मित्र बोला मैंने दुबारा आईआईटी के लिए जेईई-मेन व एडवांस परीक्षा दी थी।पहली बार मेरा चयन आईआईटी रूड़की (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।इस बार इस आशा से दुबारा जेईई परीक्षा दी थी कि मेरा चयन आईआईटी बॉम्बे या आईआईटी दिल्ली के लिए हो जाएगा।परीक्षा की तैयारी के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।परंतु काउंसलिंग में इस बार मेरा चयन आईआईटी जोधपुर के लिए हुआ है।इस प्रकार मुझे बहुत बड़ा नुकसान हो गया।
  • इस प्रकार के छात्र-छात्राएं जो प्राप्त है उसकी खुशी को भुला देते हैं और जो प्राप्त नहीं है उसे प्राप्त न कर पाने के दुःख से दुःखी और उदास रहते हैं।उदासी का दूसरा नाम है डर,बेचैनी और अशांति। भविष्य को अंधकार में देखना और प्रस्तुत विपत्ति को अगले दिनों ओर अधिक बढ़ती हुई सोचना एक ऐसा स्वनिर्मित संकट है जिसके रहते अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त करना शायद ही संभव हो सके।
  • जीवन का पौधा आशा के जल से सींचे जाने पर ही बढ़ता और फलता-फूलता है।उदासी और अवसाद के अंधकार से उसका अस्तित्व ही संकट में पड़ जाता है।
  • उज्जवल भविष्य के सपने देखते रहने वाला आशावादी ही उनके लिए रणनीति बनाता है।प्रयत्न करता है,साधन जुटाता है और सफल होता है।यह सही है कि कई बार आशावादी सपने टूटते हैं,बिखरते हैं और गलत साबित होते हैं पर साथ ही यह भी सत्य है कि सुहाने सपनों का आनंद कभी झूठा नहीं होता है।यह आनंद तब तक हमारे अंदर बना रहता है जब मनोरथ पूरा नहीं होने पर भी उस उपलब्धि जैसा ही उल्लास बनाए रहे।यह सुहाने सपनों का आनन्द जब अभ्यास में आता है तब इतना मधुर होता है कि उसे मधुर बनाए रखने के लिए कठिन से कठिन कर गुजरने की हिम्मत की जा सके।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Depression?),गणित के छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Math Students Get Rid of Depression?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित को हल करने के लिए दया करो (हास्य-व्यंग्य) (Have Mercy on Solving Math) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक (छात्र से):यह लो गणित की पुस्तक,इसमें मैंने प्रश्नावली चिन्हित कर दी है।सुबह दो घंटे,शाम को दो घंटे और रात को दो घंटे तक इनका अध्ययन करना और सवालों को हल करना।
  • छात्र:सर (sir),मुझ पर दया कीजिए मैं कमजोर छात्र हूँ और मेरे से इतनी कड़ी मेहनत नहीं हो सकेगी,मैं इतना समय नहीं पढ़ सकता हूँ।

7.छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Get Rid of Depression?),गणित के छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Math Students Get Rid of Depression?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या मुसीबतों और असफलताओं से उदास होना गलत है? (Is It Wrong to be Depressed by Troubles and Failures?):

उत्तर:छात्र-छात्राओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि समस्याएं,कठिनाइयां उनके व्यक्तित्त्व को निखारने के लिए आवश्यक है।जो छात्र-छात्राएं मुसीबतों और असफलताओं में हिम्मत हार जाते हैं वे आगे नहीं बढ़ सकते हैं।जो कठिनाइयों,समस्याओं को एक अवसर के रूप में देखते हैं उनको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।छात्र-छात्राओं को आए दिन सवालों को हल करने और अध्ययन करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।वे उन्हें हल करते हैं तभी सफलता का स्वाद चख सकते हैं।जो छात्र-छात्राएं गणित को हल करने और अध्ययन में जटिलताओं व समस्याओं को हल करते समय आशावादी रहता है वही वास्तव में पुरुषार्थी है।

प्रश्न:2.छात्र-छात्राएं कठिनाई में किस प्रकार की मानसिकता रखें? (What Kind of Mentality should Students Have in Difficulty?):

उत्तरःछात्र-छात्राओं को सफलता अर्जित करनी है तो धैर्य पूर्वक कठिन परिश्रम करके कठिनाइयों का समाधान करना है।ऐसी मनःस्थिति वही छात्र-छात्रा रख सकता है जिसने आशावाद को अपने स्वभाव का अंग बना लिया है।जरा सी कठिनाई आने पर ही विचलित हो जाना और उन्हें बहुत बड़ी कठिनाई मान कर चलने वाले मानसिक संतुलन खो देते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं सफलता के लिए जितनी क्षमता,सामर्थ्य व इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है उसे जुटा सकना ही असंभव है।

प्रश्न:3.क्या उदासी दूर करने के लिए शराब की लत लग जाती है? (Is Alcohol Addictive to Relieve Sadness?):

उत्तर:कुछ छात्र-छात्राएं उदासी दूर करने के लिए गलत तरीके शराब व मादक द्रव्यों का सेवन करने लग जाते हैं।एक बार जब शराब या मादक द्रव्य की लत लग जाती है तो शराब का लती शराब की एक बूंद चखने या ड्रग्स की थोड़ी सी मात्रा लेने के बाद अपने मन से नियंत्रण खो देता है।वह उस समय तक शराब पीता रहता है,जब तक पूरी तरह बेहोश होकर नहीं गिर पड़ता है या उसकी तबीयत खराब नहीं हो जाती।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Depression?),गणित के छात्र-छात्राएं उदासी से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Math Students Get Rid of Depression?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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