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Linear Transformation in Vector Space

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1 1.सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra):

1.सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra):

सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space) के इस आर्टिकल में अस्तित्व प्रमेय,परिमित विमीय सदिश समष्टियों के कुछ गुणधर्म तथा रैखिक रूपान्तरण के बारे में तथा इन पर आधारित उदाहरणों का अध्ययन करेंगे।
अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem):
प्रमेय (Theorem):1.प्रत्येक परिमित विमा वाले सदिश समष्टि का एक आधार होता है।
(Every finite dimensional vector space has a basis).
उपपत्ति (Proof):माना कि V(F) एक परिमित विमा वाला सदिश समष्टि है।यह भी माना कि S=\left\{v_1, v_2, \cdots, v_m\right\} एक परिमित V का उपसमुच्चय इस प्रकार का है कि L(S)=V. हम यह मान सकते हैं कि O \notin S 
यदि S एकघाततः स्वतन्त्र है,तब S स्वयं V का आधार है अन्यथा यदि S एकघाततः परतन्त्र है,तब एक सदिश v_i \in S का अस्तित्व इस प्रकार का है जिसको पूर्वगामी सदिशों के एकघाततः संचय में व्यक्त किया जा सकता है।
यदि इस सदिश v_i  को S से निकाल दें तब S-\left\{v_i \right\}=S^{\prime} जिसमें m-1 सदिश है,भी V को जनित करता है अर्थात् V=L(S’).इसको सिद्ध करने के लिए यदि v \in V तब L(S)=V \Rightarrow v=\alpha_1 v_1+\alpha_2 v_2+\cdots+\alpha_m v_m
परन्तु v_i=\beta_1 v_1+\beta_2 v_2+\cdots+\beta_{i-1} v_{i-1}
इस v_i के मान को v के मान में प्रतिस्थापित करने पर

v=\alpha_1 v_1+\alpha_2 v_2+\cdots+\alpha_i \left(\beta_1 v_1+\beta_2 v_2+\cdots+\beta_{i-1} v_{i-1}\right) +\alpha_{i+1} v_{i+1}+\cdots+\alpha_m v_m
अतः v को v_1, v_2, \ldots v_{i-1}, v_{i+1}, \ldots, v_m के एकघाततः संचय में व्यक्त कर सकते हैं।
इसलिए S’, V को जनित करता है अर्थात् L(S’)=V
यदि S’ एकघाततः स्वतन्त्र है, तब S’, V का आधार है अन्यथा यदि S’ एकघाततः परतन्त्र है,तब उपर्युक्त विधि की पुनरावृत्ति द्वारा हम एक नया समुच्चय प्राप्त कर सकते हैं जिसमें m-2 सदिश है और v को जनित करता है।
उपर्युक्त विधि की पुनरावृत्ति परिमित बार करने पर एक S का उपसमुच्चय जो कि एकघाततः स्वतन्त्र है,प्राप्त करते हैं जो कि V को जनित करता है।
अधिक से अधिक यह हो सकता है कि हमारे को S का वह उपसमुच्चय प्राप्त हो जिसमें केवल एक ही अवयव हो।यह अवयव शून्य सदिश नहीं है [चूँकि O \notin S ] तथा V को जनित करता है।हम जानते हैं कि एकल अशून्य सदिश एकघाततः स्वतन्त्र होता है,इसलिए यह V का आधार होगा।
प्रमेय (Theorem):2.परिमित विमीय सदिश समष्टि V के कोई भी दो आधारों में अवयवों की संख्या समान होती है
(Any two basis of a finite dimensional vector space V consists of same number of elements).
उपपत्ति (Proof):माना कि V फील्ड F पर परिमित विमीय सदिश समष्टि है।
यदि \left\{v_1, v_2, \ldots, v_m\right\} तथा \left\{u_1, u_2, \ldots u_n\right\} सदिश समष्टि के दो आधार हैं तो हमें सिद्ध करना है कि m=n
क्योंकि सदिश समुच्चय \left\{v_1, v_2,\ldots ,v_m\right\}, V(F) का आधार है इसलिए V का प्रत्येक अवयव आधार के अवयवों का एकघाततः संचय है।अतः

u_1=\alpha_1 v_1+\alpha_2 v_2+\cdots+\alpha_m v_m, \alpha_i \in F \\ \Rightarrow \left\{u_1, v_1, v_2, \ldots, v_m\right\}
एकघाततः आश्रित है।

अतः सभी \alpha_i शून्य नहीं हो सकते,मान लो \alpha_i \neq 0 तब

v_1=\alpha_1^{-1} \left(u_1-\alpha_2 v_2 \ldots \ldots-\alpha_m v_m\right)
अब हम सिद्ध करेंगे कि समुच्चय S_1=\left\{v_{1},v_{2} \ldots \ldots ,v_{m} \right\} सदिश समष्टि V(F) का आधार है।यदि v \in V तब v=\beta_1 v_1+\beta_2 v_2+\cdots+\beta_m v_m, \beta_i \in F [ \because\left\{v_1, v_2, \ldots, u_m\right\} आधार है ]

=\beta_1\left[\alpha_1^{-1} \cdot\left(u_1-\alpha_2 v_2 \ldots-\alpha_m v_m\right)\right]+\beta_2 v_2+\ldots+\beta_m v_{m} \\ =\left(\beta_1 \alpha_1^{-1}\right) u_1+\left(\beta_2-\beta_1 \alpha_1^{-1} \alpha_2\right) v_2+\ldots \ldots \ldots+\left(\beta_i-\beta_1 \alpha_1^{-1} \alpha_i\right) v_i+\ldots+ \left(\beta_m-\beta_1 \alpha_1^{-1} \alpha_m\right) v_m
अतः S_1, V को जनित करता है।
पुनः इसके अतिरिक्त

\beta_1 u_1+\beta_2 v_2+\cdots+\beta_m v_m=0 \\ \Rightarrow \beta_1\left(\alpha_1 v_1+ \alpha_2 v_2+\cdots+\alpha_m v_{m}\right)+\beta_2 v_2+\cdots+\beta_m v_n=0 \\ \Rightarrow \left(\beta_1 \alpha_1\right) v_1+\left(\beta_1 \alpha_2+\beta_2\right) v_2+\ldots+\left(\beta_1 \alpha_m+\beta_m\right) v_m=0 \\ \Rightarrow \beta_1 \alpha_1=\beta_1 \alpha_2+\beta_2=\ldots \ldots=\beta_1 \alpha_m+\beta_m=0
क्योंकि \left\{v_1, v_2, \ldots \ldots v_m\right\}, V(F) के आधार होने के कारण एकघाततः स्वतन्त्र है।
क्योंकि \alpha_1 \neq 0, \beta_{1} \alpha_1=0 \Rightarrow \beta_{1}=0 अतः समीकरणों में \beta_{1}= 0 प्रतिस्थापित करने परः

\beta_2=\beta_3=\ldots \ldots=\beta_m= 0
अतः एकघाततः स्वतन्त्र है।
(i) S_{1}, V(F) को जनित करता है तथा (ii) एकघाततः स्वतन्त्र है।
अतः, V(F) का एक आधार है।
पुनः u_2=\gamma_1 u_1+\gamma_2 v_2+ \ldots \ldots +\gamma_m v_{m}, \gamma_i \in F
जहाँ सभी गुणांक \gamma_i शून्य नहीं हैं।
अब यदि \gamma_{1} \neq 0 और अन्य सभी शून्य हों तो

\gamma_{1} u_1-u_2=0
जिससे u_1,u_2 एकघाततः स्वतन्त्र नहीं है जो कि दिए हुए प्रतिबन्ध का खण्डन है।
मान लो \gamma_2 \neq 0 तब

v_2=\gamma_2^{-1} u_2-\gamma_2^{-1}\left(\gamma_1 u_1+\gamma_3 v_3+\ldots+\gamma_m v_1\right)
हम उपर्युक्त प्रकार सिद्ध कर सकते हैं कि

S_2=\left\{u_1, u_2,v_3, \ldots, v_m\right\}
v को जनित करता है।इसके अतिरिक्त

\delta_{1} u_1+\delta_{2} u_2+\delta_3 u_{3}+\ldots+\delta_m v_m=0, \delta_i \in F \\ \Rightarrow \delta_1 u_1+\delta_2\left(\gamma_1 u_1+\gamma_2 v_2+\cdots+\gamma_m v_m\right)+\delta_{m} v_m=0 \\ \Rightarrow \left(\delta_1+\delta_2 \gamma_{1}\right) u_1+\left(\delta_2+\delta_2 \gamma_2\right) v_2+\ldots+ \left(\delta_n+\delta_2 \gamma_m\right) v_m= 0 \\ \Rightarrow \delta_1+\delta_2 \gamma_1=\delta_2 \gamma_2=\ldots=\delta_2 \gamma_m+\delta_m=0
क्योंकि \left\{u_1, v_1, \ldots, v_m\right\} एकघाततः स्वतन्त्र है।
अब क्योंकि \gamma_2 \neq 0 अतः \delta_2 \gamma_2=0 \Rightarrow \delta_2=0 और अन्य समीकरणों में \delta_2=0 प्रतिस्थापित करने पर

\delta_1=\delta_3=\ldots \delta_m=0
अतः एकघाततः स्वतन्त्र है,फलतः S_{n-1}=\left\{u_1, u_2, \ldots u_{n-1}, v_n, \ldots, v_m\right\},V(F) का आधार है।इस विधि की पुनरावृत्ति द्वारा
S_{n-1}=\left\{u_1, u_2, \ldots, u_{n-1}, v_n, \ldots, v_m\right\},V(F) का आधार है।तब

u_n=\lambda_1 u_1+\lambda_2 u_2+\cdots+\lambda_{n-1} u_{n-1}+\lambda_n v_ n+\ldots \ldots+\lambda_m v_{m}
अर्थात् m-(n-1) \geq 1 \Rightarrow m \geq n
इसी प्रकार \left\{u_1, u_2, \ldots, u_n\right\} को आधार मानकर तथा  \left\{u_1, u_2, \ldots, u_n\right\} को एकघाततः स्वतन्त्र मानकर हम सिद्ध कर सकते हैं कि m \leq n
अतः m=n
परिमित विमीय सदिश समष्टियों के कुछ गुणधर्म (Some Properties of Finite Dimensional Vector Spaces)
प्रमेय (Theorem):3.किसी n विमीय सदिश समष्टि V(F) के कोई भी n+1 या इससे अधिक सदिशों के समुच्चय एकघाततः परतन्त्र होते हैं।
(In an dimensional vector space V(F), every set containing n+1 or more vectors of V is L.D.)
उपपत्ति (Proof):यहाँ सदिश समष्टि V की विमा n है।इसलिए इसके लिए इसके आधार में n रचक सदिश (रचक) होंगे।सदिश समष्टि के आधार की परिभाषानुसार V के किसी भी एकघाततः स्वतन्त्र समुच्चय में अधिक से अधिक n सदिश (रचक) हो सकते हैं।इससे स्पष्ट है कि यदि सदिशों (रचकों) की संख्या n+1 या इससे अधिक होगी तब वह एकघाततः परतन्त्र होंगे।
प्रमेय (Theorem):4.किसी परिमित विमीय सदिश समष्टि V(F) का कोई भी एकघाततः समुच्चय उसके आधार का अंश होता है (अर्थात् इसको बढ़ाकर आधार बनाया जा सकता है)।
(Every L.I. subset of a finitely generated vector space V(F) forms a part of a basis V (i.e. it can be extended to form a basis of V).
उपपत्ति ( Proof):माना कि सदिश समष्टि V(F) की विमा n है तथा इसका आधार \left\{v_1, v_2, \ldots, v_n\right\} है तथा समुच्चय \left(u_1,u_2, \cdots, u_n\right\}, V का एकघात स्वतन्त्र उपसमुच्चय है।
अब समुच्चय S_1=\left\{u_1, u_2, \ldots u_m, v_1,v_2,\ldots v_{n}\right\} पर विचार करते हैं।स्पष्टतः L(S_{1})=V और चूँकि u_1, u_2,\ldots ,u_m  को v_1, v_2, \ldots, v_n एकघाततः संचय के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, इसलिए समुच्चय एकघाततः परतन्त्र है इसलिए में कम से कम एक अवयव ऐसा विद्यमान होगा जो

u_1, u_2, \ldots, u_m, v_1, v_2, \ldots, v_{k-1}
(अर्थात् पूर्वगामी सदिशों) के एकघाती संचय है।साथ ही v_k \notin S क्योंकि S एकघात स्वतन्त्र है।
अब v_{k} को निष्कासित करते हैं तथा इस प्रकार एक-एक करके निष्कासित करते जाते हैं।इस प्रकार हमें एकघाततः स्वतन्त्र समुच्चय अवयव प्राप्त होगा जिसमें u_1, u_{2}, \ldots \ldots, u_{m} अन्तर्विष्ट होंगे और जो सदिश समष्टि V की विस्तृति करेगा i.e. V का आधार होगा।
अब चूँकि v_{i} एकघाततः स्वतन्त्र है,अतः प्रत्येक B_{i} निष्कासित नहीं होगा।फलतः परिणामी आधार प्रत्येक B_{i} को समाहित करेगा।
प्रमेय (Theorem):5.माना V(F) एक n विमीय सदिश समष्टि है,तब V(F) के n एकघाततः स्वतन्त्र सदिशों का कोई भी समुच्चय V का एक आधार होता है।
(Let V(F) be a vector space of dimension n, then every set of n L.I. vectors is a basis of V).
उपपत्ति (Proof):माना कि दिए हुए सदिश समष्टि V(F) का उपसमुच्चय

S=\left\{v_1, v_2, \cdots, v_n\right\}
एकघाततः स्वतन्त्र समुच्चय है जिसकी विमा n है।यदि S, V का आधार नहीं है,तब S का इस प्रकार विस्तार किया जा सकता है कि V का आधार बन सके।इस स्थिति में विस्तारित आधार में n से अधिक सदिश होंगे जबकि विमा (dim)V=n से स्पष्ट है कि V के प्रत्येक आधार में ठीक n सदिश विद्यमान हैं।इसलिए हमारी अभिधारणा नियम विरुद्ध है।अतः S सदिश समष्टि V का आधार अवश्य होगा।
प्रमेय (Theorem):6.माना V(F) एक n विमीय परिमित सदिश समष्टि है, तब V का कोई उपसमुच्चय जिसमें n अवयव हों तथा समष्टि V का जनक हो, तो वह उसका आधार भी होगा।
(Let V(F) be n-dimensional finite vector space, then a subset of V of n vectors span the space V, then it will also be a basis.)
उपपत्ति (Proof):माना S=\left\{v_1, v_2, \cdots, v_n\right\} समष्टि V का ऐसा उपसमुच्चय है कि L(S)=V
अब केवल दो स्थितियाँ हो सकती हैंः
(i) S एकघाततः स्वतन्त्र है या (ii) S एकघाततः परतन्त्र है।
स्थिति (i) में S, V का आधार होगा,स्थिति (ii) में S का एक उचित उपसमुच्चय S’ अवश्य ऐसा विद्यमान होगा कि S’, V का आधार बनेगा।
परन्तु इस स्थिति में n से कम अवयव होंगे जो कि V के n विमीय सदिश समष्टि होने का विरोधाभास है।फलतः S का एकघाततः स्वतन्त्र होना आवश्यक है अर्थात् समुच्चय S सदिश समष्टि V का आधार है।
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2.सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण के साधित उदाहरण (Linear Transformation in Vector Space Solved Examples):

Example:1.मान लो प्रतिचित्रण f, V_{2}(R) से स्वयं पर निम्न प्रकार से परिभाषित हैः f\left(v_1, v_2\right)=\left(\alpha v_1+\beta v_2, \gamma v_1+\delta v_2\right), \forall \alpha, \beta \in R तब सिद्ध करो कि f, V_{2}(R) की स्वयं पर समाकृतिकता है।
(Let f: V_2(R) \rightarrow V_2(R) defined as then prove that f is homomorphism (linear mapping) from to itself.)
Solution:f एकैकी हैः
माना कि a=\left(a_1, a_2\right), b=\left(b_1, b_2\right)  तथा a, b \in V_2(R)
तब f(a)=f(b) \\ \Rightarrow f\left(a_1, a_2\right)=f\left(b_1, b_2\right) \\ \Rightarrow\left(\alpha a_1+\beta a_2 \cdot, \gamma a_1+\delta a_2\right)= \left(\alpha b_1+\beta b_2 ,\gamma b_1+\delta b_2\right) \\ \Rightarrow \alpha a_1+\beta a_2=\alpha b_1+\beta b_2, \alpha a_1+\delta a_2=\gamma b_1+\delta b_2 \\ \Rightarrow a_1=b_1, a_2=b_2 \Rightarrow\left(a_1, a_2\right)=\left(b_1, b_2\right)
f एकैकी प्रतिचित्रण है।
f-आच्छादक हैः
चूँकि प्रत्येक \left(\alpha v_1+\beta v_2, \gamma v_1+\delta v_2\right) \in v_2(R) के लिए \left(v_1, v_2\right) \in v_2(R) में ऐसा अवयव विद्यमान होगा कि

f\left(v_1, v_2\right)=\left(\alpha v_1+\beta v_2, \gamma v_1+\delta v_2\right)
f आच्छादक प्रतिचित्रण है।
f रैखिक प्रतिचित्रण हैः
R (फील्ड) के कोई दो अवयव \alpha_{1} तथा \alpha_{2} के लिए

f\left(\alpha_1 a+ \alpha_2 b\right)=f\left[\alpha_1\left(a_1, a_2\right)+\alpha_2\left(b_1, b_2\right)\right] \\ =f\left[\left(\alpha_{1} a_1, \alpha_{1} a_{2}\right)+\left(\alpha_2 b_1,\alpha_2 b_2\right)\right] \\ =f\left(\alpha_1 a_1+\alpha_{2} b_1, \alpha_{1} a_2+\alpha_{2} b_2\right) \\ =\left[ \alpha\left(\alpha_1 a_1+\alpha_2 b_1\right)+\beta\left(\alpha_1 a_2+\alpha_2 b_2\right), \gamma\left( \alpha_1 a_1+\alpha_2 b_1\right)+\delta \left(\alpha_1 a_2+\alpha_2 b_2\right)\right] \\ =\left[\left(\alpha \alpha_1 a_1+\beta \alpha_1 a_2\right)+\left(\alpha \alpha_2 b_1+\beta \alpha_2 b_2\right),\left(\gamma \alpha_1 a_1+\delta \alpha_1 a_2\right)+\left(\gamma \alpha_2 b_1+\delta \alpha_2 b_2\right)\right] \\ =\alpha_1\left(\alpha a_1+\beta a_2, \gamma a_1+\delta a_2\right)+\alpha_2\left(\alpha b_1+\beta b_2, \gamma b_1+\delta b_2\right) \\ =\alpha_1 f(a)+\alpha_2 f(b)
अतः प्रतिचित्रण f,V_2 से स्वयं पर एकैक समाकारिता है।
Example:2.सिद्ध करो कि f: V_2(R) \rightarrow R जहाँ f: :(a, b) \rightarrow(a+1, b+1) एकघाती निरूपण नहीं है।
(Prove that f: V_2(R) \rightarrow R where f: (a, b) \rightarrow(a+1, b+1) is not linear transformation.)
Solution:माना कि a=\left(a_{1},a_2\right) ; b=\left(b_1, b_2\right) \\ (a, b) \in V_2(R) तथा \alpha, \beta \in R तब f(a \alpha+b \beta)=f\left[\alpha\left(a_1, a_2\right)+\beta \left(b_1, b_2 \right)\right] \\ =f\left[\left(\alpha a_1, \alpha a_2\right)+\left(\beta b_1, \beta b_2\right) \right] \\ =f\left(\alpha a_1+ \beta b_1, \alpha a_2+\beta b_2\right) \\ =\left(\alpha a_1+\beta b_1+1, \alpha a_2+\beta b_2+1\right) \\ =\left(\alpha a_1+1, \alpha a_2+1\right)+\left(\beta b_1, \beta b_2\right) \\ f(a \alpha+b \beta) \neq \alpha f(a)+\beta f(b)
अतः एकघाती निरूपण नहीं है।
Example:3.माना M_{m n}, फील्ड F पर समस्त m×n कोटि की मैट्रिक्सों का सदिश समष्टि है और यह भी माना कि \left[a_{ij}\right], फील्ड F पर m×n कोटि की मैट्रिक्स है तब f: M_{m n} \rightarrow M_{n m}
जहाँ F\left(\left[b_{i j}\right]\right)=\left[a_{i j}\right]\left[b_{i j}\right]+\left[b_{i j}\right] \in M_{m n}
तब सिद्ध करो कि f, एकघाती प्रतिचित्रण है।
(Let be a vector space over the field F and let \left[a_{ij}\right] be m×n matrix over F.Define a function  f: M_{m n} \rightarrow M_{n m} by

F\left(\left[b_{i j}\right]\right)=\left[a_{i j}\right]\left[b_{i j}\right]+\left[b_{i j}\right] \in M_{m n}
Solution:f एकैकी हैः
माना u=\left[b_i j\right], v=\left[Q_{i j}\right] तथा u, v \in M_{m n}(f) \\ f(u)=f(v) \\ \Rightarrow f \left(\left[b_{i j}\right]\right)=f\left(\left[ c_{ij} \right]\right) \\ \Rightarrow\left[a_{ij}\right] \left[b_{i j}\right]=\left[d_{i j}\right]\left[c_{i j}\right] \\ \Rightarrow\left[a_{i j}\right]=\left[d_{i j}\right],\left[b_{i j}\right]=\left[c_{ij}\right] \\ \Rightarrow u=v
अतः f एकैकी प्रतिचित्रण है।
f-आच्छादक हैः
चूँकि \forall \left[b_{i j}\right] \in M_{mn}(F) \left[a_{ij}\right]\left[b_{i j}\right] \leftarrow M_{mn}(F)
यहाँ \left[a_{ij}\right]\left[b_{i j}\right] का f के अन्तर्गत पूर्व प्रतिबिम्ब \left[a_{ij}\right] है इसलिए f आच्छादक प्रतिचित्रण है।
यदि \alpha, \beta \in R \\ f(\alpha u+\beta v)=f\left[\alpha\left[a_{i j}\right]+\beta\left[c_{i j} \right]\right] \\ =f\left[\left[\alpha a_{i j}\right]+\left[\beta c_{i j}\right]\right] \\ =f\left[\alpha_{i j}+\beta a_{i j}\right] \\ =\left[a_{i j}+\beta c_{i j}\right]\left[d_{i j}\right] \\ =\left\{\left[\alpha_{a i j}\right]+\left[ \beta a_{i j}\right]\right\}\left[d_{i j}\right] \\ =\left\{\alpha \left[a_{i j}\right]+\beta\left[c_{i j}\right] \right\}\left[d_{i j}\right] \\ =\alpha\left[a_{i j}\right]\left[d_{i j}\right]+\beta\left[c_{i j}\right]\left[d_{i j}\right] \\ \Rightarrow f(\alpha u+\beta v) =\alpha f(u)+\beta f(v)
अतः प्रतिचित्रण f, M_{mn}(F) से स्वयं पर एकघाती प्रतिचित्रण है।

Example:4.यदि तत्समक प्रतिचित्रण f: v \rightarrow v जहाँ f(v)=v ; \forall v \in V हो तो सिद्ध करो कि f एकघाती प्रतिचित्रण है।
(If the identity mapping f: v \rightarrow v defined by f(v)=v ; \forall v \in V[/katex] prove that f is linear transformation)
Solution:माना कि a_1=v, b_{1}=u तथा a_1, b_1 \in V
और \alpha, \beta \in R तब 

f\left(\alpha a_1+\beta b_1\right)=f(\alpha v+\beta u) \\ =\alpha v+\beta u \\ \Rightarrow f\left(\alpha a_1+\beta b_1\right)=\alpha f\left(a_1\right)+\beta f\left(b_1\right)
फलतः f समष्टि v से u पर एकघाती (रैखिक) रूपान्तरण है।
Example:5.यदि प्रतिचित्रण f_{a} : V_{3}(R) \rightarrow V_{3}(R) जो कि निम्न प्रकार परिभाषित है

f_a(x, y, z)=(x, y, a z), a \neq 0
एक a \in R तथा a नियत है तो सिद्ध करो कि f एकैकी समाकारिता स्वयं पर है।
(If f_{a} : V_{3}(R) \rightarrow V_{3}(R) defined as f_a(x, y, z)=(x, y, a z), a \neq 0 where a is fixed in R.Prove that f is an isomorphism of V_{3}(R) onto itself.)
Solution:माना \alpha=\left(x_1, y_1, z_1\right) ,\beta=\left(x_2, y_2 z_2\right) f_a एकैकी हैः

f_a(\alpha)=f_a(\beta) \\ \Rightarrow \left(x_1, y_1, a z_1\right)=\left(x_2, y_2, az_2\right) \\ \Rightarrow x_1=x_2, y_1=y_2, a z_1=a z_2 \\ \therefore z_1=z_2
जबकि a \neq 0
अतः \alpha=\beta
\therefore f_{a} एकैकी प्रतिचित्रण है।
f_{a} आच्छादक हैः
यहाँ (x, y , az) का f_{a} के अन्तर्गत पूर्व प्रतिबिम्ब (x,y,z) विद्यमान है इसलिए आच्छादक प्रतिचित्रण है।
f_{a} एकघाती (रैखिक) प्रतिचित्रण हैः

c \alpha+\beta=\left(c x_1+x_2, c y_1+y_2, c z_1+z_2\right) \\ \therefore f_a(c \alpha+\beta) =\left[\left(c x_1+x_2, c y_1+y_2, a\left(c z_1+z_2\right)\right]\right. \\ =c\left(x_1, y_1, a z_1\right)+\left( x_2, y_2, a z_2\right) \\ =c f_a(\alpha)+f_a(\beta)
अतः प्रतिचित्रण f_a, V_3(R) से स्वयं पर एकैकी समाकारिता है।
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra) को समझ सकते हैं।

3.सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण पर आधारित सवाल (Questions Based on Linear Transformation in Vector Space):

(1.)सिद्ध कीजिए कि प्रतिचित्रण f: V_2(R) \rightarrow V_2(R) जहाँ f(x, y)= (x \cos \theta-y \sin \theta, x \sin \theta+y \cos \theta) से परिभाषित समष्टि V_{2}(R) पर एक तुल्यकारिता है।
(Show that the mapping f: V_2(R) \rightarrow V_2(R) defined by f(x, y)= (x \cos \theta-y \sin \theta, x \sin \theta+y \cos \theta) is an isomorphism on V_{2}(R).)
(2.)यदि प्रतिचित्रण f : V(F) \rightarrow V^{\prime}(F) एकैकी आच्छादक रैखिक प्रतिचित्रण हो तो सिद्ध कीजिए कि f^{-1} : V(F) \rightarrow V(R) भी रैखिक प्रतिचित्रण होगा।
(If the mapping f : V(F) \rightarrow V^{\prime}(F) will also be a linear mapping f^{-1} : V(F) \rightarrow V(R))
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra) को ठीक से समझ सकते हैं।

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4.सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Frequently Asked Questions Related to Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्न:1.रैखिक रूपान्तरण की परिभाषा दीजिए। (Define Linear Transformation):

उत्तरःमाना कि फील्ड R पर U तथा V दो समष्टियाँ हैं।तब किसी प्रतिचित्रण f : u \rightarrow v को U से V में समाकृतियाँ (homomorphism) अथवा रैखिक रूपान्तरण (linear transformation) कहते हैं यदि
(i)f(u_{1}+u_{2})=f(u_{1})+f(u_{2}) \forall u_{1} u_{2} \in U
(ii)f(\alpha u)=\alpha f(u) \forall \alpha \in f \text { तथा } u \in U
उपर्युक्त प्रतिबन्ध (i) तथा (ii) एक प्रतिबन्ध में परिवर्तित करने परः
f\left(\alpha u_1+\beta u_2\right) =\alpha f\left(u_1\right)+\beta f\left(u_2\right) \forall \alpha, \beta \in F
तथा u_1,u_2 \in U
उपर्युक्त से स्पष्ट है कि U से U’ में परिभाषित एक रैखिक प्रतिचित्रण U के सभी रैखिक (एकघाती) सम्बन्ध को U’ में परिभाषित करता है।इसी कारण वश इसे रैखिक रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न:2.रैखिक संकारक की परिभाषा दीजिए। (Define Linear Operator):

उत्तरःमाना कि V(F) एक सदिश समष्टि है तब फलन f : v \rightarrow V,V का रैखिक संकारक कहलाता है यदि f\left(\alpha v_1+\beta v_2\right) =\alpha f\left(v_1\right)+\beta f\left(v_2\right) \forall \alpha, \beta \in F एवं \forall v_1, v_2 \in \gamma अर्थात् यदि f रैखिक रूपान्तरण V से V में है तब f, V का रैखिक संकारक होता है।

प्रश्न:3.समाकारिता की अष्टि की परिभाषा दीजिए। (Define Kernel of Homomorphism):

उत्तरःयदि V(F) तथा W(F) दो सदिश समष्टियाँ हैं तथा f : v \rightarrow w एक रैखिक प्रतिचित्रण है तब समुच्चय K=\left\{v \in V \mid f(v) 0^{\prime}\right\} जहाँ O’, W का तत्समक अवयव है, K रैखिक प्रतिचित्रण (समाकृतिकता) f  की अष्टि (kernel) कहलाती है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space),बीजगणित में अस्तित्व प्रमेय (Existence Theorem in Linear Algebra) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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Linear Transformation in Vector Space

सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण
(Linear Transformation in Vector Space)

Linear Transformation in Vector Space

सदिश समष्टि में रैखिक रूपान्तरण (Linear Transformation in Vector Space) के इस आर्टिकल
में अस्तित्व प्रमेय,परिमित विमीय सदिश समष्टियों के कुछ गुणधर्म तथा रैखिक रूपान्तरण के बारे में

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