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Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City

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1 1.आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City),आईआईटी और नीट-यूजी के लिए कोटा शहर कोचिंग हब कैसे बना? (How Did Kota City Become Coaching Hub for IIT and NEET-UG?):

1.आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City),आईआईटी और नीट-यूजी के लिए कोटा शहर कोचिंग हब कैसे बना? (How Did Kota City Become Coaching Hub for IIT and NEET-UG?):

  • आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City) कैसे बन गया? इसके अनेक कारण है जिससे लाखों छात्र-छात्राएँ आकर्षित होकर कोटा शहर में कोचिंग के लिए रुख करते हैं।
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2.कोटा में कोचिंग के लिए नींव कैसे लगी? (How did the foundation of coaching come about in Kota?):

  • हाल ही कोटा शहर में हुई आत्म-हत्याओं तथा भयंकर मंदी (30%) के कारण यह शहर पूरे देश में सुर्खियों में आ गया है।
    कभी कोटा शहर कोटा स्टोन,कोटा की साड़ियों तथा औद्योगिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध रहता था।कोटा शहर  मध्यप्रदेश व गुजरात प्रदेश के बॉर्डर से लगता हुआ राजस्थान की सीमा के अंतिम छोर पर स्थित है।इस कारण यहाँ यूपी,बिहार,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,गुजरात,हरियाणा,उड़ीसा सहित कई राज्यों के छात्र-छात्राएं इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग के लिए तैयारी करने हेतु भारी संख्या में आते हैं।
  • पहले यह शहर कोटा स्टोन तथा औद्योगिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध था।इसलिए यहां उद्योगपतियों की बसावट तेजी से बढ़ी।उद्योगपति अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए उत्सुक थे।नौकरी-पेशा वाले लोग भी अपने बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा दिलाना चाहते थे।उद्योगपतियों और नौकरी पेशा की इस डिमांड और नब्ज को कुछ जागरूक लोगों ने समझा और वहां पर कोचिंग क्लासेस शुरू की गई।शुरू में 20 से 80 छात्र-छात्राओं का आईआईटी और नीट-यूजी में यहां से चयन होने के कारण सनसनी फैल गई।फिर तो यहां कोचिंग संस्थानों के मालिकों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।कड़ी मेहनत से वर्ष-प्रतिवर्ष आईआईटी और नीट-यूजी में छात्र-छात्राओं के चयन के कारण यह शहर एकदम से सरपट दौड़ने लगा।
  • कोचिंग के लिए मेंटल एनवायरमेंट तैयार किया,बच्चों की परफॉर्मेंस पर ध्यान दिया जाने लगा,उनके वीकली टेस्ट लेना शुरू किया,नई तकनीक का समावेश किया और वर्ष-प्रतिवर्ष अपनी ग्रोथ करता गया।इस प्रकार यह शहर एजुकेशन कैपीटल के नाम से जाना जाने लगा।आज कोटा के संस्थान देश में सबसे बेस्ट समझ जाते हैं इसी कारण इसे एजुकेशन इंडस्ट्री,कोटा फैक्ट्री या कोटा जंक्शन के नाम से पुकारा जाने लगा।
  • आज कोटा शहर के 6 उत्कृष्ट संस्थान ऑफलाइन और ऑनलाइन कोचिंग उपलब्ध कराते हैं।ऐप के जरिए आईआईटी और नीट-यूजी के अभ्यर्थियों को क्वेश्चन के आंसर उपलब्ध हो जाते हैं।अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो जाती है।यानी फिजिकल क्लास के साथ बाहर भी छात्र-छात्राओं से ऐप के जरिये कनेक्टिविटी रहती है। भारी संख्या में छात्र-छात्राओं को यहाँ भेजने के कारण टीचर्स व पैरेंट्स का मेंटल दबाव रहता है और इस दबाव की वजह से छात्र-छात्राएं आत्महत्या करने लगे हैं (सलेक्शन ना होने के कारण)।इस शहर में लगभग दो लाख छात्र-छात्राएँ आईआईटी/जेईई या नीट-यूजी की कोचिंग के लिए बाहर से छात्र-छात्राएं आते हैं।इनमें से मुश्किल से 2% छात्र-छात्राओं का चयन हो पाता होगा।यही कारण है कि पिछले एक-दो वर्ष में इस शहर से छात्र-छात्राओं का मोह भंग हो गया है और यह कोचिंग व्यवसाय भयंकर मंदी का सामना कर रहा है।कम से कम 30% की गिरावट आई है जिससे शहर की फलती-फूलती कोचिंग अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लगा है।अब पीक पॉइंट पर पहुंचने के बाद कोचिंग व्यवसाय का ग्राफ नीचे जा रहा है।

3.कोटा में कोचिंग उद्योग (Coaching Industry in Kota):

  • यहां कोचिंग उद्योग की वजह से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है।हर साल लाखों बच्चे बाहर से यहां कोचिंग के लिए आते हैं।यहाँ का कोचिंग उद्योग हजारों करोड रुपए में पहुंच चुका है।करीब 5 हजार करोड़ का कोचिंग व्यवसाय सालाना होता है और सरकार को कोचिंग इंडस्ट्री से करीब 700 करोड़ का टैक्स हर साल प्राप्त होता है।यहां 5000 से ज्यादा बच्चे फुलटाइम कोचिंग करते हैं।यहाँ कोचिंग केंद्र में दो लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होती हैं।लोगों को रोजगार के साथ कोचिंग में अच्छी सैलरी मिल रही है।बड़े कोचिंग संस्थानों में प्रत्येक छात्र-छात्रा की सालाना फीस (जेईई-मेन) 40000 से डेढ़ लाख तक है।बाहर के बच्चे कोटा में हाॅस्टल या पेइंग गेस्ट के रूप में रहते हैं।बच्चे भारी मात्रा में कपड़े और किताबें खरीदते हैं।हर साल यहां 50 से 60 लाख किताबों की बिक्री होती है।हर स्टूडेंट किताबें और स्टेशनरी पर करीब ₹10000 तक खर्च करता है।
  • किराए पर रहने वाले विद्यार्थी खाने पर लगभग प्रतिवर्ष ₹50000 तक खर्च करते हैं।यातायात (आने जाने) पर भी विद्यार्थियों को हररोज लगभग ₹50 खर्च करने पड़ जाते हैं।यहां बच्चे हर साल काफी नई साइकिलें भी खरीदते हैं।
    कोटा में NEET-UG कोचिंग की फीस ₹50000 से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक हो सकती है जो कोचिंग संस्थान और कोर्स की अवधि पर निर्भर करती है।कई संस्थान 11वीं व 12वीं के लिए यानी 2 वर्ष का एक साथ पैकेज प्रदान करते हैं जबकि कुछ संस्थान केवल 11वीं कक्षा या 12वीं कक्षा के लिए अलग-अलग पैकेज प्रदान करते हैं।कोर्स की अवधि एक साल या 2 साल के कोर्स की फीस अलग-अलग हो सकती है।कुछ कोचिंग संस्थान वैकल्पिक शुल्क (अतिरिक्त शुल्क) जैसे प्रवेश शुल्क,सामग्री शुल्क,टेस्ट सीरीज शुल्क आदि अलग से लेते हैं।
  • यहाँ बच्चों और पेरेंट्स के सेशन भी लिए जाते हैं।बच्चों को सेशन में बताया जाता है कि कैसे रिलेक्स हों,अध्ययन कैसे करें,मानसिक दबाव से मुक्त होने के लिए क्या करें,बच्चों की काउंसलिंग की जाती है,आपस में एक-दूसरे का सहयोग कैसे करें,डेली क्लास में प्रैक्टिस करवाई जाती है।अनुभवी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत अथवा पेशेवर लाभ के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देते हैं और उन्हें प्रेरित करते रहते हैं।
  • भारत की जनसंख्या 140 करोड़ है अतः हर बच्चे के पेरेंट्स और बच्चा स्वयं भी चाहता है कि उसको अच्छा जाॅब मिले,इसके लिए उन्हें प्रतिस्पर्धा में उतरना पड़ता है यानी इस प्रतिस्पर्धा से बचा नहीं जा सकता है।जो पेरेंट्स परिपक्व और समझदार हैं वे प्रतियोगिता की अंधी दौड़ से बच्चे को बचाए रखते हैं।
  • इन्हीं सब के कारण यह कोटा का कोचिंग व्यवसाय फल-फूल रहा था जिसे अब ग्रहण लगना शुरू हो गया है।कोई समय में काशी (वाराणसी) को शिक्षा नगरी कहा जाता था,देश के लोग वहां पढ़ने में अपना गौरव समझते थे।परंतु उस शिक्षा में और कोटा की शिक्षा में जमीन आसमान का फर्क है।काशी में विद्वान तैयार होते थे परन्तु कोटा में आपको जाॅब के लिए तैयार किया जाता है।जाॅब भी सभी को नहीं मिल पाता है।इसलिए काशी का आज भी नाम है परंतु शिक्षा को केवल व्यवसाय समझने की परिणति बुरी ही होती है।पीक पाइंट पर पहुंचने पर उसका पतन शुरू हो जाता है।शीर्ष पर पहुंचने के लिए तो कड़ी मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है परंतु लुढ़कने में समय नहीं लगता है।देखते हैं एजुकेशन कैपिटल अपने स्थान पर कब तक काबिज रहता है,यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समावेश नहीं हुआ तो पतन निश्चित है।

4.कोटा कोचिंग हब बनने के कारण (Reasons for Kota becoming a coaching hub):

  • कोटा शहर के कोचिंग हब के मुख्य कारण हैं:उत्कृष्ट कोचिंग संस्थानों की मौजूदगी,उच्च सफलता दर,नई तकनीक का समावेश,शिक्षण सामग्री की उपलब्धता,एकेडमिक उत्कृष्टता,बच्चों को अधिक प्रतियोगी बनाना,व्यावसायिक दृष्टिकोण आदि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कोटा की पहचान औद्योगिक नगरी के स्थान पर अब कोचिंग इंडस्ट्रीज के रूप में हो गई है।इसलिए आज के युवा कोटा जाने की बात करता है और कोटा की ही राह पकड़ता है।

(1.)उत्कृष्ट कोचिंग संस्थानों की मौजूदगी (Presence of excellent coaching institutes):

  • उत्कृष्ट कोचिंग संस्थानों से तात्पर्य है कि उसकी फैकल्टी अर्थात पढ़ाने वाले टीचर्स उत्कृष्ट श्रेणी के और अनुभवी हैं।फैकल्टी बराबर छात्र-छात्राओं का ध्यान रखती है,डेली प्रैक्टिस करवाती है,वीकली टेस्ट लेती है और घर यानी हॉस्टल या किराए के कमरे पर भी छात्र (कोचिंग समय के अतिरिक्त) रहते हैं तो उनसे ऐप के जरिए जुड़ी रहती है।फैकल्टी यानी टीचर्स तो कड़ी मेहनत करते ही हैं साथ ही साथ छात्र-छात्राओं को भी कड़ी मेहनत के लिए तैयार करते हैं।वहां ऐसा एनवायरमेंट मिलता है कि छात्र-छात्रा स्वयं ही कड़ी मेहनत करने का आदी हो जाता है।चारों तरफ एक ही जुनून देखने को मिलता है कि प्रतियोगिता परीक्षा में अपना बेस्ट से बेस्ट देने के लिए अपने आपको प्रिपेयर करना है।वस्तुतः किसी भी परीक्षा में तैयारी या विद्या को ग्रहण करने की सबसे मुख्य धुरी छात्र-छात्रा और दूसरी धुरी शिक्षक ही होता है,इसके बाद में पाठ्यक्रम,अध्ययन सामग्री आदि का नंबर आता है।छात्र-छात्राओं को अध्ययन सामग्री के लिए भी बाहर भटकना नहीं पड़ता है,कोटा में ही अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो जाती है।फैकल्टी फिजिकल क्लास में ही छात्र-छात्राओं की समस्याओं को सॉल्व कर देती है।उनका एक ही फोकस रहता है अध्ययन,अध्ययन और केवल अध्ययन।उनके लिए 24×7 हेल्पलाइन अर्थात सप्ताह के प्रत्येक दिन 24 घंटे हेल्पलाइन मिलती है। उन्हें (छात्र-छात्रा को) लर्निंग के लिए कड़ी मेहनत के लिए तैयार करते हैं।वहाँ जितने भी कोचिंग सेंटर्स हैं उनमें तगड़ी प्रतिस्पर्धा है।

(2.)उच्च सफलता दर (High success rate):

  • दूसरा कारण है उच्च सफलता की दर।अव्वल तो वहाँ टॉप छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिलता है।जब टीचर्स कड़ी मेहनत करते हैं,छात्र-छात्राएं कड़ी मेहनत करते हैं,डेली प्रैक्टिस करते हैं,वीकली टेस्ट देते हैं,माॅक टेस्ट देते हैं,प्रैक्टिस सेट को हल करते हैं और उसके आधार पर परफॉर्मेंस में सुधार करते रहते हैं फलस्वरूप उन कोचिंग सेंटरों में से काफी संख्या में छात्र-छात्राएं आईआईटी के लिए क्वालीफाई करते हैं (जेईई-मेन व एडवांस परीक्षा देकर),इसी प्रकार मेडिकल क्षेत्र में नीट-यूजी में भी काफी संख्या में छात्र-छात्रा चयनित होते हैं।इन चयनित छात्र-छात्राओं की फोटो सहित ये कोचिंग संस्थान सोशल मीडिया,अपनी वेबसाइट पर प्रोपेगेंडा करते हैं,अखबारों में भी आप इनकी फोटो देखते ही होंगे।इस प्रकार उच्च सफलता की दर के साथ उसका लाभ लेने के लिए चारों ओर उनका प्रचार-प्रसार करते हैं फलस्वरूप छात्र-छात्राएं आकर्षित होकर कोटा की ओर रुख करते हैं।कोई भी कोचिंग संस्थान छात्र-छात्राओं को कितनी ही कड़ी मेहनत करवाता हो परंतु छात्र-छात्रा और अभिभावक किसी भी कोचिंग सेंटर के उत्कृष्ट होने या ना होने का पैरामीटर इसी आधार पर करते हैं कि उस संस्थान से कितने छात्र-छात्राओं का सलेक्शन हुआ।हालांकि सफलता का पैरामीटर एक मात्र परिणाम नहीं होता है परंतु सामान्य जनमानस और अभिभावक इसी पैरामीटर पर आकलन करते हैं और पैरामीटर की चर्चा ही नहीं होती है।

(3.)नई तकनीक का समावेश (Inclusion of new technology):

  • तीसरा कारण है नई तकनीक समावेश।आज शिक्षण पद्धति ऑनलाइन होती जा रही है विशेषकर कोरोना संक्रमण की शुरुआत से तेजी से बदलाव आया है।इन कोचिंग संस्थानों ने इस नब्ज को पहचान लिया है।यही कारण है कि इन्होंने अपनी खुद की वेबसाइट डेवलप कर ली है और ऐप के जरिए ये फिजिकल क्लास (ऑफलाइन) के साथ-साथ ऑनलाइन क्लास भी लेते हैं।छात्र-छात्राओं को घर बैठे 24×7 हेल्पलाइन उपलब्ध कराते हैं।इस प्रकार जब तक छात्र-छात्रा कोचिंग करता है तब तक वह ऑफलाइन क्लास और ऑनलाइन क्लास के जरिए जुड़ा रहता है।ये स्वयं की शिक्षण सामग्री,नोट्स,प्रॉब्लम सेट आदि उपलब्ध कराते रहते हैं जिससे छात्र-छात्रा लगातार अध्ययन से जुड़ा रहता है और मोटिवेट होता रहता है।शिक्षण सामग्री बहुत ही उत्कृष्ट श्रेणी की होती है जो उम्दा टीचर्स द्वारा तैयार की जाती है।तात्पर्य यह है कि समय के साथ इन्होंने अपने आपमें बदलाव किया है,जो समय के साथ बदलाव नहीं करता है वह तकनीकी के इस युग में पिछड़ जाता है।यही कारण है की ये कोचिंग सेंटर इतने तगड़े कंपटीशन में भी टिके हुए ही नहीं है बल्कि टॉप कोचिंग सेंटर्स में इनकी गिनती होती है।जहां आईआईटी कॉलेज हैं वहां भी कोचिंग सेंटर हैं,जबकि कोटा में कोई आईआईटी कॉलेज नहीं है,इसके बावजूद कोटा के कोचिंग सेंटर्स की टक्कर में आईआईटी कॉलेज वाले स्थानों के कोचिंग सेंटर्स भी नहीं है।

(4.)एकेडमिक उत्कृष्टता (Academic Excellence):

  • चौथा कारण है एकेडमिक उत्कृष्टता।इसका तात्पर्य है कि इन कोचिंग सेंटर्स में शिक्षक उत्कृष्ट श्रेणी के विद्वान हैं,कोई आईआईटी किया हुआ है,कोई प्रोफेसर है और इनके पास अच्छी शैक्षणिक योग्यता है।यहां तक कि जो छात्र-छात्रा यहाँ टॉप रहा है परंतु जिसका चयन आईआईटी वगैरह में नहीं हुआ है तो अच्छी शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करके इन संस्थानों में नियुक्त हो जाता है।यानी ये शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं करते हैं।ये टीचर्स अपने विषय के ज्ञाता होते हैं,यहाँ तक कि एक ही विषय के पढ़ाने वाले भी अलग-अलग टीचर्स मिल जाएंगे।जैसे जिस टीचर को त्रिकोणमिति में महारत है वह त्रिकोणमिति पढ़ाएगा,जिसे अवकलन गणित में महारत हासिल है वह अवकलन गणित पढ़ाएगा।इस प्रकार एकेडमिक उत्कृष्टता के कारण भी कोटा शहर कंपटीशन में टिका हुआ है।

(5.)बच्चों को अधिक प्रतियोगी बनाना (Making children more competitive):

  • पांचवा कारण है छात्र-छात्राओं को अधिक प्रतियोगी बनाना।छात्र-छात्रा कितने भी निम्न स्तर से उठ कर आया हो लेकिन इन कोचिंग संस्थानों में प्रवेश करते ही उन्हें प्रतिदिन प्रैक्टिस कराके,वीकली टेस्ट लेकर,मॉक टेस्ट लेकर,प्रॉब्लम सेट को हल कराकर अधिक से अधिक प्रतियोगी बनाने की कोशिश की जाती है।कोचिंग संस्थान के मालिक इस बात पर बराबर निगरानी रखते हैं और देखते हैं कि छात्र-छात्राओं की परफॉर्मेंस में इंप्रूवमेंट हो रहा है या नहीं।यदि छात्र-छात्रा में सुधार नहीं हो रहा है तो उसका कारण पता लगाया जाता है तथा यदि टीचर्स की तरफ से कमी रह गयी है तो टीचर्स अपने आपमें सुधार करते हैं,यदि छात्र-छात्रा स्वयं की लापरवाही से सुधार नहीं कर रहा है तो उसे सुधार करने के लिए पॉजिटिव सजेशन दिए जाते हैं।छात्र-छात्राओं को बताया जाता है कि ये परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाली परीक्षाएँ नहीं है वरन प्रतियोगी परीक्षाएं हैं।इसलिए जमकर मेहनत करने और प्रैक्टिस की निरंतर आवश्यकता है।अपने सवालों,प्रश्नों को हल करने की गति बढ़ानी है।इन परीक्षाओं में ऐसे सवाल व प्रश्न आते हैं जिनमें सही उत्तर और करीब-करीब सही उत्तर के बीच बहुत कम अंतर होता है अतः बुद्धिमत्ता से पहचानने की तकनीक सिखाई जाती है।इन परीक्षाओं में अच्छा करने के लिए छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारी रखने की आवश्यकता है।

(6.)व्यावसायिक दृष्टिकोण (Business Approach):

  • छठवाँ कारण है व्यावसायिक दृष्टिकोण।इन कोचिंग सेंटर में परीक्षा की तैयारी ज्ञान और विद्या सिखाने के लिए नहीं करवाई जाती है बल्कि लक्ष्य केंद्रित तैयारी करवाई जाती है।लक्ष्य केंद्रित तैयारी के लिए व्यावसायिक दृष्टिकोण रखना जरूरी है ताकि छात्र-छात्रा सिलेबस की तैयारी करते हुए,पढ़ते हुए भटके नहीं यानी अपने लक्ष्य पर (आईआईटी,जेईई,नीट आदि) पर नजर गड़ा कर रखे और उस लक्ष्य को प्राप्त करने में आने वाली रूकावटों को हटाते जाए तो इसका मतलब है कि आपका दृष्टिकोण व्यावसायिक है।

(7.)शिक्षण सामग्री की उपलब्धता (Availability of teaching materials):

  • जेईई-मेन एवं एडवांस,नीट आदि प्रतियोगिता परीक्षा के लिए संदर्भ पुस्तकों,प्रैक्टिस सेट,माॅडल पेपर्स,पिछले वर्षों के पेपर्स,सीरीज,नोट्स आदि शिक्षण सामग्री के लिए कहीं बाहर नहीं भटकना पड़ता बल्कि कोटा में ही शिक्षण सामग्री उपलब्ध हो जाती है।इसके अतिरिक्त कोचिंग सेन्टर्स स्वयं भी अपने प्रैक्टिस सेट,नोट्स आदि शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराते हैं।ये मुख्य कारण हैं इसके अलावा अन्य कारण भी हैं।जैसे प्रतियोगिता एनवायरनमेंट,आवागमन के साधन,विभिन्न राज्यों से जुड़ा होना आदि।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City),आईआईटी और नीट-यूजी के लिए कोटा शहर कोचिंग हब कैसे बना? (How Did Kota City Become Coaching Hub for IIT and NEET-UG?) के बारे में बताया गया है।

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5.कोचिंग हब कोटा (हास्य-व्यंग्य) (Coaching Hub Kota) (Humour-Satire):

  • कोटा के तीन गप्पी बातें कर रहे थे।पहला गप्पी:मेरी कोचिंग सेंटर में इतनी जबरदस्ती तैयारी करवाई जाती है कि 3 महीने में तो जेईई-एडवांस में उत्तीर्ण हो जाता है।
  • दूसरा गप्पी:हमारे कोचिंग में तो इतनी तैयारी करवाई जाती है कि एक महीने में ही बिना पढ़े जेईई-एडवांस क्लियर कर लेता है।
  • तीसरा गप्पी:मेरे कोचिंग सेंटर में तो ऐसी प्रक्रिया है कि इधर आप कोचिंग में प्रवेश लो और उधर से आईआईटी कॉलेज का कॉल लेटर तत्काल मिल जाता है।

6.आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Frequently Asked Questions Related to Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City),आईआईटी और नीट-यूजी के लिए कोटा शहर कोचिंग हब कैसे बना? (How Did Kota City Become Coaching Hub for IIT and NEET-UG?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कोटा में रहने के लिए अतिरिक्त खर्च कितना है? (How much does it cost to stay in Kota?):

उत्तर:हॉस्टल:5000 से 10000 रुपए प्रतिमाह,पीजी(पेइंग गेस्ट):3000 से ₹6000 प्रतिमाह,भोजन:3000 से 6000 प्रतिमाह,पुस्तकें और अध्ययन सामग्री:5000 से 15000 प्रतिमाह।

प्रश्न:2.कोटा का नया नियम क्या है? (What is the new rule of Kota?):

उत्तर:कोचिंग संस्थानों में बैच और कक्षा का आकार सीमित रहेगा।प्रत्येक बैच में छात्रों की संख्या को प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा और इसे कोचिंग की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा

प्रश्न:3.छात्र-छात्रा कोटा क्यों नहीं जा रहे हैं? (Why are students not going to Kota?):

उत्तर:कोटा के प्रेशर कुकर माहौल,यहाँ तीव्र प्रतिस्पर्धा और उच्च दबाव वाली परीक्षाओं का छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव आदि के कारण अब छात्र-छात्राएं नहीं जा रहे हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा आईआईटी/नीट-यूजी के लिए कोचिंग हब कोटा शहर (Coaching Hub for IIT/NEET-UG Kota City),आईआईटी और नीट-यूजी के लिए कोटा शहर कोचिंग हब कैसे बना? (How Did Kota City Become Coaching Hub for IIT and NEET-UG?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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