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Maths Professor Ram Prakash Bambah

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1.गणित प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा (Maths Professor Ram Prakash Bambah),गणितज्ञ प्रोफेसर आर पी बांबा का योगदान (Mathematician Professor Bambah’s Contribution):

  • गणित प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा (Maths Professor Ram Prakash Bambah) जो पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति और ट्रिब्यून के पूर्व सदस्य रह चुके हैं,का 26 मई को सुबह 99 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया।उनकी दो पुत्रियाँ बिंदु ए बाम्बा और सुचारु खन्ना हैं।
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2.प्रोफेसर राम प्रकाश बाबा की अंतिम इच्छा (Prof. Ramprakash Bambah’s last wish):

  • प्रोफेसर रामप्रसाद बांबा को प्रद्मभूषण और गणित के लिए रामानुजन पदक से नवाजा जा चुका है।गणित में विशेषकर संख्याओं के प्रति उनका लगाव था।जैसे गणित में सब कुछ स्पष्ट होता है 2+2=4, इस प्रकार गणित में अस्पष्टता जैसी कोई चीज नहीं है उसी प्रकार आर पी बांबा के जीवन में बिल्कुल स्पष्टता थी।उन्होंने युवाओं के जीवन को नकारात्मक से सकारात्मक बनाया।हमेशा सीखने की ललक और गणित में योगदान के बीच एक बेहतरीन संतुलन स्थापित किया।गणित की बहुत सी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया।उन्होंने संख्याओं की ज्यामिति में योगदान ही नहीं दिया बल्कि पंजाब विश्वविद्यालय की नींव लगाने,शिक्षा और संस्थान के निर्माण में अद्वितीय योगदान दिया।
  • वे आखिरी समय तक न केवल गणितज्ञ ही थे बल्कि एक वैज्ञानिक भी थे और इसका प्रमाण है कि विज्ञान में शोध के लिए अपना शरीर का दान कर दिया।परिवार वालों ने भी उनकी इच्छा में रोड़े नहीं अटकाये बल्कि उनकी इच्छा का सम्मान किया।ऐसे ऋषि दधीचि दुनिया में बहुत कम होते हैं जो मरने पर भी अपनी अस्थियों का मानवता के लिए दान कर देते हैं।पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति जैसे उच्च पद पर रहने के बावजूद भी उन्होंने सादगीपूर्ण जीवन जिया और इसी प्रकार दुनिया से महाप्रयाण कर गए।उनके परिवार के सदस्य,अनेक परिचित और मित्र श्रद्धांजलि देने के लिए उनके निवास पर एकत्रित हुए और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।उनकी छोटी बेटी सुचारु ने बताया कि जीवित रहते हुए ही उन्होंने सबको अपने शरीर को दान करने की इच्छा जताई थी।अस्वस्थ होने पर उन्होंने अस्पताल में न जाने का निर्णय लिया,उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि अस्पताल में भर्ती होने के बजाय घर पर शांतिपूर्वक रहने को प्राथमिकता देंगे।वे अंत तक कर्मयोगी की तरह निष्काम कर्म करते रहे।
  • पंजाब विश्वविद्यालय में उनकी आत्मा बसती थी,उन्होंने आखिरी समय तक इस विश्वविद्यालय का ख्याल रखा।उनके जीवन में गणित रच-बस गई थी,गणित के बारे में ही वे चिंतन-मनन करते रहते थे।अक्सर यूट्यूब पर गणित से संबंधित नई-नई जानकारियां जुटाते रहते थे और चाहते थे कि पंजाब विश्वविद्यालय में गणित के छात्र-छात्राएँ भी उन्हें जाने,समझें और उनकी गणित में रुचि पैदा हो।वे ट्रिब्यून समाचार पत्र से भी जुड़े रहे थे।ट्रिब्यून ट्रस्ट के सदस्य रह चुके थे।हमेशा छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते थे कि उन्हें यूट्यूब पर वीडियो देखने चाहिए जिससे गणित के बारे में उनकी जानकारी बढ़ सके साथ ही ट्रिब्यून अखबार को पढ़ने के लिए उनकी उत्सुकता बढ़ाते रहते थे।हमेशा गणित की जानकारी प्राप्त करने के लिए उत्सुक बने रहते थे,अंतिम समय तक भी उनमें गणित के प्रति प्रेम देखने को मिला।ऐसे गणितज्ञ विरले ही होते हैं,जो गणित को इतना प्रेम करते हों,गणित के लिए जिए और गणित के लिए मरे।

3.आर पी बांबा की शिक्षा और करियर (R. P. Bambah’s Education and Career):

  • आर पी बांबा का जन्म जम्मू के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था लेकिन अपनी प्रतिभा के कारण इतने अधिक प्रसिद्ध हुए।उन्होंने लाहौर के सरकारी कॉलेज की मास्टर डिग्री में 600 में से 600 अंक हासिल करके सबको चकित कर दिया।इसके बाद वे पीएचडी के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए और पीएचडी (शोध) मात्र 2 वर्ष में पूरा कर लिया जबकि अनेक व्यक्ति पीएचडी करने में अनेक वर्ष लगा देते हैं।
  • आर पी बांबा ने प्रोफेसर हंसराज गुप्ता के साथ मिलकर होशियारपुर में पंजाब विश्वविद्यालय में गणित विभाग की स्थापना की।बाद में इसे चंडीगढ़ शिफ्ट कर दिया गया,जहां यह विश्वविद्यालय में पहला एडवांस्ड स्टडी सेंटर बना।
  • उन्होंने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर 5 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया,इसके बाद वे पंजाब यूनिवर्सिटी लौट आए,यहां पर उन्होंने 1985 से 1991 तक कुलपति के पद को सुशोभित किया।उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने नई ऊंचाइयों को छुआ।उनके छात्र-छात्राएं आज भी उनको एक सौम्य शिक्षक के रूप में याद करते हैं,उनका व्यवहार बहुत ही सरल था तथा वे उनको (छात्र-छात्राओं को) गणित की कठिन से कठिन समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करते रहते थे।
  • वर्तमान पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु विग ने कहा है कि उनके निधन से छात्र-छात्राओं,विश्वविद्यालय और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।पंजाब विश्वविद्यालय सितंबर में पंजाब स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स की शताब्दी और प्रोफेसर बांबा के 100वें जन्म दिवस का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा था।आर पी बांबा अपने 100वें जन्म दिवस को मनाने से अधिक पंजाब स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स की शताब्दी मनाने के लिए सेमिनार आयोजित करने के लिए उत्सुक और प्रयासरत थे।
  • उनकी एक पूर्व छात्रा प्रोफेसर राजिंदर जीत हंस-गिल के अनुसार आर पी बांबा जीवन के इस अंतिम पड़ाव में भी गणित की गुत्थियों और समस्याओं को हल करने के बारे में चिंतन-मनन करते थे।उसने कहा कि उनके निधन से हम सभी को सदमा लगा है।पिछले बुधवार को जब वह उनसे मिली थी,तो दोनों ने गणित पर भी विशद चर्चा की थी।वे अस्वस्थ थे लेकिन फिर भी जटिल गणितीय अवधारणाओं की पेचिदगियों के बारे में चर्चा से ऐसा प्रतीत ही नहीं हुआ कि वे अस्वस्थ हैं।महान् गणितज्ञों की यही विशेषता होती है कि वे हमेशा गणित के शोध में,चिंतन-मनन में इतने खो जाते हैं कि उन्हें उनका खुद का भी ख्याल नहीं रहता है।
  • प्रोफेसर आर पी बांबा ने गणित में इतना योगदान दिया है,जिसकी मिसाल संसार में चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलती है।वह केवल गणितज्ञ ही नहीं थे बल्कि सच्चे अर्थों में एक इंसान और महामानव थे।उनका हर किसी से गर्मजोशी से मिलना,विनम्र व्यवहार और मिलनसार व्यवहार को वे लोग याद करेंगे जो व्यक्तिगत रूप से उनसे मिल चुके हैं।आज उनका शरीर नहीं है परंतु वे अपने कृतित्व,अपने शोध और अपने लेखों आदि के द्वारा जीवित रहेंगे।वस्तुतः कोई भी व्यक्ति अपने कार्य के द्वारा जीवित रहता है और प्रसिद्धि पाता है;जन्म स्थान अथवा जन्मतिथि के नाम से नहीं।इसलिए महत्त्वपूर्ण किसी महान प्रतिभा का जन्म स्थान अथवा जन्म काल नहीं होता है बल्कि उसके द्वारा किए गए महान् कार्य होते हैं।एकमात्र पंजाब यूनिवर्सिटी में गणित विभाग की स्थापना ही उनको अमर रखने के लिए पर्याप्त है।

4.गणितज्ञ आर पी बांबा का सम्मान (Mathematician R.P. Bambah honoured):

  • पंजाब विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रोफेसर आर पी बाम्बा ने विश्वविद्यालय पर,छात्र-छात्राओं तथा समाज पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय तथा गणित विभाग को नई ऊंचाइयों पर लेकर गए।वे एक दयालु,कर्त्तव्यनिष्ठ सच्चे इंसान ही नहीं थे बल्कि गणितज्ञ व वैज्ञानिक की भावना को साकार करते थे।अपने शरीर को दान करने का उनका निःस्वार्थ निर्णय ज्ञान को आगे बढ़ाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • शिक्षाविद के रूप में उनकी पारी शानदार रही है और चिरस्मरणीय रहेगी।प्रोफेसर बांबा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध गणितज्ञ के रूप में वास्तव में शानदार पारी खेली।भारत सरकार ने उनके कार्यों के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया था तथा गणित में योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया।इसके अलावा देश-विदेश में सर्वोच्च शैक्षणिक मान्यता और अनेक पुरस्कार मिले थे।
  • 1957 में अंग्रेजी के जूनियर लेक्चरर के तौर पर ज्वाइन करने वाले एक प्राध्यापक को प्रोफेसर बांबा को जानने का सौभाग्य मिला।प्रोफेसर बांबा द ट्रिब्यून ट्रस्ट में पहले शामिल थे,उक्त प्रोफेसर (अंग्रेजी) भी 2001 में ट्रस्ट में शामिल हुए तो प्रोफेसर बांबा को करीब से जानने का मौका मिला।प्रोफेसर बांबा ने डेढ़ दशक तक ट्रस्ट की सेवा के बाद 2010 में स्वेच्छा से पद छोड़ दिया।जो भी उन्हें जानते थे वे उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रभावित थे।प्रोफेसर बांबा सितंबर में 100 वर्ष के हो जाते परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था।हम सभी को उनके शानदार कार्य के लिए जश्न मनाना चाहिए।भगवान ऐसी महान आत्मा को सद्गति प्रदान करें,ऐसी हम सभी की प्रार्थना है।

5.महान गणितज्ञ आर पी बाम्बा में गुण (Qualities in the great mathematician R.P. Bambah):

(1.)संघर्षमय जीवन (life full of struggle):

  • प्रोफेसर बांबा का जन्म देश की गुलामी वाले काल में हुआ और अंग्रेजों के शासनकाल में ही उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई थी।निश्चित ही उस समय भारत में शिक्षण संस्थानों का अकाल ही था।अतः प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को विदेशों में जाकर अध्ययन करने में अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ता था।अंग्रेज अपने आप को शासक समझते थे और भारतीयों को गुलाम।इसलिए वे पढ़े-लिखे भारतीयों को भी अंग्रेजों के बराबर समझने के लिए तैयार नहीं थे।
  • इन सबके बावजूद बांबा लाहौर काॅलेज से पढ़ने के बाद पीएचडी के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए।मध्यवर्गीय परिवार के लिए विदेश में जाकर पढ़ाई करना और गुलामी की दशा में पढ़ना तो और भी दुष्कर था।ऐसी कोई विरली आत्मा और प्रतिभाशाली मनुष्य द्वारा कर सकना संभव होता है।इस दुनिया में तब की बात तो अलग है आज भी सरकारी सुविधाएं मिलने के बावजूद जीवन की कठिनाइयों और विपत्तियों से संघर्ष करते हुए प्रतिभाएं घुटने टेकने के लिए मजबूर हो जाती हैं।
  • परंतु प्रोफेसर बांबा ने विषम परिस्थितियों के बावजूद अपनी प्रतिभा,जीवट,अथक प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर संघर्ष करते रहे और जिस कार्य (भारत में गणित को शीर्ष पर पहुंचाना तथा पंजाब विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों पर पहुंचाना आदि) को भी हाथ में लिया उसे पूरा किया।आज विज्ञान और गणित में जो पौधा तैयार हुआ है उसके पीछे ऐसे महान गणितज्ञों के त्याग,तप और संघर्ष द्वारा ही संभव हो सका है।निश्चित ही उनके जीवन से संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती रहेगी।

(2.)गणित के प्रति प्रेम (Love of Mathematics):

  • दूसरा गुण उनसे यह सीखने को मिलता है कि उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र गणित विषय को चुना।गणित के प्रति उनकी अंतिम समय तक दीवानगी देखने को मिलती है। 99 वर्ष की अवस्था में शरीर की इन्द्रियाँ साथ छोड़ देती हैं।सुनना और देखना कम हो जाता है परंतु उनमें ऐसे लक्षण नजर आए नहीं आए।पिछले बुधवार को उनकी छात्रा प्रोफेसर राजिंदर जीत हंस-गिल उनसे मिली तो उन्होंने गणित की समस्याओं पर आपस में चर्चा की।जो मनुष्य अपने काम के प्रति इतना प्रेम रखता है,काम से प्रेम करता है वही शिखर पर पहुंच सकता है,उसी की साधना फलित होती है।अपने कार्यकाल के दौरान वे गणित का कितना अभ्यास करते थे,इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।उन्हें गणित की समस्याओं को हल करने में असीम आनंद की अनुभूति होती थी।गणित का अध्ययन इतना डूब कर करते थे,तभी वे जीवन में इतनी ऊंचाई तक पहुंच सके थे।
  • सामान्य गणित के प्रोफेसर या अन्य विषयों के शिक्षक,प्राध्यापक सेवानिवृत्ति के बाद अपने कार्य से छुटकारा पा लेते हैं और उनको अपने पेशे से दिलचस्पी नहीं रहती है।ऐसा विरला उदाहरण ही देखने को मिलता है जो 99 वर्ष (अंतिम समय) की अवस्था में भी गणित की समस्याओं को सुलझाने और उस पर चर्चा करने की ललक रखता है।उनके इस गुण से हमें यही सीख मिलती है कि हमें भी अपने कार्य से प्रेम करना चाहिए और उसे दिल से करें,बोझ समझकर न करें।केवल वेतन के बदले काम करने वाला अपने काम की ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता है।उन्होंने गणित का गहन अध्ययन किया और पीएचडी की उपाधि हासिल की।निश्चित ही उनके सामने व्यावसायिक एवं आर्थिक समस्याएँ खड़ी हुई और उनका बखूबी सामना करते हुए अपने काम में लग रहे।

(3.)मानवीय गुणों का विकास (Development of Human Qualities):

  • उनमें मानवीय गुणों का भी विकास हुआ।संघर्ष,जुनून,कठिन परिश्रम आदि ने उनके अन्दर अनेक मानवीय गुणों का विकास कर दिया।यही कारण था कि विज्ञान के विद्यार्थियों के शोध के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण शरीर दान कर दिया।आधुनिक युग तकनीकी और विज्ञान का युग है।ऐसे युग में मानवीय संवेदना मुरझा गई है।परंतु उनमें मानवीय संवेदना भी देखने को मिलती है।आज मानवीय गुणों की बात करने वाले,माननीय गुणों को आचरण में उतारने वाले को अन्धविश्वासी,पाखंडी,लकीर को पीटने वाला,रूढ़िवादी,दकियानूसी समझते हैं।जो ऐसा समझते हैं वे पूर्वाग्रह से ग्रसित रहते हैं,वे माननीय गुणों का महत्त्व क्या जानें? कहा भी गया कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
  • प्रोफेसर बांबा में विनम्रता,सौम्यता और सरलता देखने को मिलती है।उनके छात्र-छात्राएं स्वयं उनके इन गुणों का वर्णन करते हैं,इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है।प्रसिद्धि और खबरों में बने रहने से दूर वे अपने काम पर ध्यान देते थे।ऐसे बहुत कम गणितज्ञ और वैज्ञानिक हुए हैं जिनमें मानवीय संवेदना रही हो।यही कारण है कि इस पृथ्वी को नष्ट करने के लिए एक से एक घातक हथियारों का निर्माण किया जा रहा है।मानवता और विज्ञान एक दूसरे के पूरक है।
  • कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि जब सब तरफ बेईमानी,झूठ-कपट,भ्रष्टाचार और ऐयाशी का बोलबाला है तो हम ईमानदारी,सच्चाई,सदाचार और नियम संयम का पालन कैसे कर सकते हैं।हमें यह याद रखना चाहिए कि इस संसार में सभी लोग अपने-अपने कर्मों और कर्मों के फल से बंधे हुए हैं।जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।हमें तो यह सोचना चाहिए कि हम क्या भोगना चाहते हैं? प्रोफेसर बांबा के जीवन चरित्र से यही सीख मिलती है कि इस जमाने में भी माननीय संवेदना के साथ गणित और विज्ञान का विकास किया जा सकता है,किया जाना चाहिए।
  • उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जबकि उनके द्वारा अधूरे छोड़े गए कार्यों को पूरा किया जाए।उनके आदर्श को सामने रखकर ऐसा किया जा सकता है।
    उपर्युक्त आर्टिकल में गणित प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा (Maths Professor Ram Prakash Bambah),गणितज्ञ प्रोफेसर आर पी बांबा का योगदान (Mathematician Professor Bambah’s Contribution) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित के प्रोफेसर का जादू (हास्य-व्यंग्य) (Magic of Mathematics Professor) (Humour-Satire):

  • छात्र (गणित के प्रोफेसर से):सर,मेरे यह गणित का सवाल समझ में नहीं आ रहा है।
  • गणित का प्रोफेसर:डंडे को गणित की पुस्तक के चारों ओर घुमाकर,फिर छात्र के सिर के चारों ओर घुमाते हैं।
  • छात्र:सर,यह क्या कर रहे हो?
  • गणित प्रोफेसर:मैंने जादू के डंडे से पूरी गणित तुम्हारे दिमाग में सेट कर दी है।अब इस दिमाग को बिल्कुल भी काम में मत लेना वरना सेटिंग बिगड़ जाएगी।

7.गणित प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा (Frequently Asked Questions Related to Maths Professor Ram Prakash Bambah),गणितज्ञ प्रोफेसर आर पी बांबा का योगदान (Mathematician Professor Bambah’s Contribution) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्रोफेसर आर पी बांबा की मुख्य विशेषता क्या थी? (What was the main feature of Professor R. P. Bambah?):

उत्तरःअपनी प्रतिभा,विनम्रता,संस्थागत समर्पण का असाधारण मिश्रण था जिसके कारण उन्होंने अनगिनत छात्र-छात्राओं,शिक्षकों और प्रशासकों को प्रेरित किया।वे अंतरराष्ट्रीय ख्याति के प्रोफेसर थे।

प्रश्न:2.प्रोफेसर आर पी बांबा का मुख्य योगदान क्या है? (What is the main contribution of Professor R. P. Bambah?):

उत्तर:उनके मार्गदर्शन में पंजाब विश्वविद्यालय देश का पहला उन्नत गणित अध्ययन केंद्र बन गया-एक मील का पत्थर जिसने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्थिति को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाया।उन्होंने संख्या सिद्धांत और असतत ज्यामिति,विशेष रूप से जाल आवरण,रामानुजन के टाऊ फंक्शन में बांबा ने अग्रणी कार्य किया,जिसने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की।उन्होंने भारतीय गणित को विश्व मंच पर ऊंचा उठाया।

प्रश्न:3.प्रोफेसर बांबा का निधन कब हुआ? (When did Professor Bambah die?):

उत्तर:प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा का निधन सोमवार सुबह 26 मई 2025 को हो गया।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित प्रोफेसर राम प्रकाश बांबा (Maths Professor Ram Prakash Bambah),गणितज्ञ प्रोफेसर आर पी बांबा का योगदान (Mathematician Professor Bambah’s Contribution) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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