10 Ways of How to Boost Memory Power
1.स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए के 10 तरीके (10 Ways of How to Boost Memory Power),स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं? (How to Increase Memory Power?):
- स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए के 10 तरीके (10 Ways of How to Boost Memory Power) के आधार पर स्मरण शक्ति बढ़ाने की केमिस्ट्री जान सकेंगे।स्मरण शक्ति की जरूरत युवा,बालक,वृद्ध,विद्यार्थी तथा जाॅब करने वाले एम्प्लाॅईज,गृहिणी आदि सभी को पड़ती है।जीवन में आगे बढ़ने के लिए होशपूर्वक कार्य करना,मन की एकाग्रता,मन को विकारों से मुक्त करना,स्मरण शक्ति,बौद्धिक बाल को बढ़ाना तथा आध्यात्मिक ज्ञान आदि की सबसे अधिक भूमिका होती है।स्मरण शक्ति के बारे में अनेक लेख लिखे जा चुके हैं,आप उन्हें पढ़कर स्मरण शक्ति बढ़ाने की तकनीक जान सकते हैं।आइए इस लेख में कुछ अतिरिक्त सामग्री पढ़ते हैं।
- यह लेख छात्र-छात्राओं की परीक्षा के दृष्टिगत रखते हुए लिखा गया है,यह उनको स्मरणशक्ति को बढ़ाने में मदद करेगा।
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2.स्मरण शक्ति की कमी कौन महसूस करता है? (Who feels a lack of memory?):

10 Ways of How to Boost Memory Power
- स्मरण शक्ति की कमी की शिकायत वृद्ध ही नहीं,युवा व्यक्ति विशेषकर विद्यार्थी भी करते पाए जाते हैं।इस कमी से वे परीक्षा में उत्तीर्ण होने से लेकर व्यावसायिक तथा दैनिक कामकाजों में बड़ी अड़चन महसूस करते हैं। बहुधा इसे कोई रोग मान लिया जाता है और उसके निवारण के लिए तरह-तरह के औषधि उपचारों तथा पुष्टाई सेवन का सिलसिला चलता है।
- उपचार करने से पूर्व विस्मृति का कारण जानने की आवश्यकता है,साथ ही यह समझना भी उपयोगी है कि मस्तिष्क में स्मृति को संग्रह करने वाली,सुरक्षित रखने वाली संरचना कैसी है? मोटर की मशीन और उसके चलाने की विधि ठीक तरह समझ ली जाए;तो उसके संचालन में जो व्यवधान आते हैं,उनमें से अधिकांश का निवारण सहज ही हो जाता है।
- स्मरण शक्ति प्रायः अपने स्थान पर यथावत रहती है।बचपन के प्रारंभिक और वृद्धावस्था के अंतिम दिनों को छोड़कर शेष प्रौढ़-परिपक्वावस्था में स्मृति का स्तर प्रायः समान ही रहता है।स्मरण रखने की प्रक्रिया में अंतर पड़ जाने से हमें उसकी मात्रा घट-बढ़ जाने का भ्रम होने लगता है।यदि स्मरण रखने की पद्धति का ज्ञान हो और स्मरण तंत्र की संरचना ध्यान में रखते हुए तदनुरूप घटनाओं को स्मरण रखने की विधि-व्यवस्था बना ली जाए,तो फिर स्मृति संबंधी उतनी शिकायत ना रहे,जैसी आमतौर से रहती है।यों हर मनुष्य दूसरों की अपेक्षा कुछ ना कुछ तो न्यूनाधिकता हर बात में रहती ही है।
- समझा जाता है कि बचपन में स्मरण शक्ति तीव्र होती है और पीछे आयु बढ़ने के साथ-साथ मंद होती जाती है,पर वस्तुतः ऐसी बात है नहीं।छोटी आयु में मस्तिष्क के ऊपर बोझ कम रहता है,विचारणीय प्रश्न कम रहते हैं,घटनाएं,संवेदनाएं और समस्याएं भी उन दिनों थोड़ी ही रहती हैं,फलतः बोझ कम रहता है और जो सोचना,याद रखना है,वह आसानी से निपट जाता है,किंतु बड़े होने के साथ-साथ कार्य क्षेत्र बढ़ता जाता है,साथ ही स्मरण रखने,निष्कर्ष निकालने,निर्णय करने का भार भी ऐसी दशा में बहुत काम करते रहने पर भी कुछ में अधूरापन रह जाना अप्रत्याशित नहीं।जो कुछ सही रीति से पूरा हो गया,उसकी ओर तो ध्यान दिया नहीं गया,पर जो कमी रह गई,उसी को मस्तिष्क की कमजोरी या स्मरण शक्ति की कमी मान लिया गया।ऐसे ही प्रसंगों को लेकर दिमागी शक्ति घट जाने की बात सोच ली जाती है और चिंता होने लगती है,जबकि वस्तुतः वैसा कुछ होता नहीं।
3.विस्मृति के मुख्य कारण (The main causes of forgetfulness):
- विस्मृति का बहुत बड़ा कारण है,उपेक्षा।जिस विषयवस्तु,बात या संदर्भ में अन्यमनस्कता होती है,वहाँ उथला ध्यान दिया जाता है और स्मृति की परतों पर अंकन बहुत ही हल्का-धुंधला हो पाता है।उसके मिटने में देर नहीं लगती।इसके विपरीत जिन प्रसंगों में अपनी दिलचस्पी होती है उन्हें ध्यानपूर्वक सुना,देखा और समझा जाता है,फलतः उनके मानस चित्र अधिक स्पष्ट बनते हैं और स्मृति पटल पर इसका अंकन इतना गहरा हो जाता है कि आवश्यकतानुसार उसे फिर पूर्ववत देखा जा सके।यों समय बीतने के साथ-साथ सभी स्मृतियां धुंधली पड़ती जाती हैं,फिर भी जिन्हें मनोयोगपूर्वक अपनाया गया है,उसकी रेखाएं,छवि अमिट न सही,चिरस्थायी तो बनी ही रहती हैं।
- छात्र-छात्राओं और दिमागी काम करने वालों को विस्मृति की ज्यादा शिकायत रहती है क्योंकि स्मरण शक्ति की उन्हें ही अधिक जरूरत पड़ती है।दरअसल उपेक्षा के अलावा छात्र-छात्रा की विषयवस्तु को पढ़ने में अरुचि हो,अनुत्साह हो तो उस विषयवस्तु को याद रखना कठिन होता है।कोई छात्र-छात्रा गणित में प्रखर व तेजस्वी होता है तो उस विषय के प्रति उसका लगाव,लगन होती है अतः वह बार-बार अभ्यास करता है।किसी छात्र-छात्रा की विज्ञान में रुचि होती है तो रासायनिक सूत्र,पदार्थों के नाम,आवर्त सारणी,तत्वों के नाम ऐसे बोल देता है जैसे उसके मस्तिष्क में किसी ने उक्त विषयवस्तु को रिकॉर्ड,संचित या फीड कर दिया हो।
- मस्तिष्क को लगातार काम न लेने पर भी मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है और जो याद किया होता है उसे भी भूल जाते हैं।जिस प्रकार किसी बर्तन को साफ नहीं करते हैं तो उस पर मिट्टी,कचरा जमा हो जाता है और उसकी चमक खत्म होती प्रतीत होती है उसी प्रकार मस्तिष्क की कार्य प्रणाली है।मस्तिष्क को लगातार काम में लेते रहने से विषयवस्तु और चीजें तथा घटनाक्रम तरोताजा रहते हैं और याद रहते हैं।
- कई बार छात्र-छात्रा या दिमागी काम करने वाले व्यक्ति अनावश्यक बातों को दिमाग में ठूँसते रहते हैं उससे भी स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।जिस प्रकार फसल में खरपतवार पैदा हो जाती है और फसल को नुकसान पहुंचाती है।उसी प्रकार अनावश्यक बातों से दिमाग भर जाता है और आवश्यक बातें विस्मृति में चली जाती हैं।विद्यार्थी के लिए आवश्यक है अपनी कोर्स की पुस्तकें और सत्साहित्य पढ़ना।अब यदि छात्र-छात्रा उपन्यास पढ़ेगा,मूवी देखेगा या सोशल मीडिया पर अनावश्यक बातों को पढ़ेगा तो स्वाभाविक है कि वे चीजें तो याद रह जाएंगी परंतु कोर्स की पुस्तकें न पढ़ने से वह याद नहीं हो पाएगी।इसी कारण छात्र-छात्रा किसी मूवी के एक-एक घटनाक्रम को ध्यान से देखकर और फिर बिना देखे हूबहू उसका वर्णन कर देता है।
- कई विद्यार्थी पढ़ाई के प्रति लापरवाही बररते हैं,आलस्यवश पुस्तकों को पढ़ते नहीं है,पढ़ते हैं तो ऊपरी तौर पर पढ़ते हैं।आलस्य व लापरवाही के कारण कोर्स की बातें याद नहीं करते हैं,सोचते हैं अभी तो परीक्षा बहुत दूर है,अभी पढ़कर क्या करेंगे,पढ़ेंगे तो भूल जाएंगे।अतः परीक्षा के निकट जब पढ़ते हैं तो उन्हें विषयवस्तु,पाठ समझ में नहीं आता है।फलतः वे सीरीज या पासबुक से पढ़ते हैं और बिना समझे ही रटने लगते हैं।रटना मुश्किल होता है तो शिक्षकों से पूछते हैं कि आप तो महत्त्वपूर्ण प्रश्नों और सवालों को बता दें जिससे मैं उनको याद करके उत्तीर्ण हो जाऊं।
- कई विद्यार्थी ऊपरी और सरसरी तौर पर पढ़ते हैं,ऊपरी तौर से पढ़ी हुई बातें कुछ समय तक याद रहती है लेकिन बाद में उसे वे भूल जाते हैं।आप जितनी गहराई से और ध्यान देकर पढ़ेंगे उतनी ही अधिक उसकी छवि मस्तिष्क में अंकित होती जाएगी।किसी भी विषयवस्तु को लंबे समय तक याद रखने के लिए उसकी पुनरावृत्ति करते रहने के साथ-साथ बार-बार अभ्यास करना पड़ता है।
- कुछ विद्यार्थियों में मानसिक विकृति होती है इस वजह से भी वे विषयवस्तु को याद नहीं कर पाते हैं।कुछ मानसिक विकृतियाँ ऐसी होती है जिन्हें दवा,इलाज से दूर किया जा सकता है तथा कुछ मानसिक विकृति ऐसी होती हैं जो जीवन भर रहती हैं,स्थायी रूप से।पागलपन,दौरे पड़ना आदि ऐसे कारण है जिनकी वजह से विद्यार्थी की स्मरण शक्ति बिल्कुल कमजोर रहती है।
4.मन ही मन दुहराएं (Repeat in your mind):
- विद्यार्थी जिस विषयवस्तु को याद करें तो उसे मन ही मन दुहराया करें।खाली समय में मन ही मन दुहराने से उसकी स्मृति बनी रहती है।अक्सर थ्योरीटिकल बातों,सूत्रों,समीकरणों को मन ही मन दुहराना फायदेमंद रहता है।सवालों को तो लिखकर अभ्यास करने से ही पुनरावृत्ति हो सकती हैं।अतः यह ध्यान रखें कि जिस विषयवस्तु को मन ही मन दोहराया जा सकता है उन्हें मन ही मन दोहराएं।जिन्हें लिखकर पुनरावृत्ति की जा सकती है उन्हें लिखकर पुनरावृत्ति करें।पहले दो दिन से,फिर सप्ताह के बाद,उसके बाद पाक्षिक और फिर महीने बाद मन ही मन दोहराने का क्रम रखें और समयान्तराल में दोहराने की अवधि बढ़ाते जाएं।बीच-बीच में फुटकर रूप से उसके कुछ अंशों को दोहराते रहना चाहिए।मन ही मन दोहराते रहने से कुछ समय बाद आप खुद यह देखकर चमत्कृत हो जाएंगे कि विषयवस्तु की इतनी जबरदस्त पकड़ हो जाती है कि उसको आप शुरू से लेकर अंत तक बिना भूले लिख सकते हैं,सुना सकते हैं।
5.विषयवस्तु को बोलकर सुनाएं (Speak out about the subject matter):
- अपने सहपाठी या बहन-भाई,माता-पिता अथवा किसी भी व्यक्ति को जो आपका सहयोग करता है,उसे याद किया हुआ समय-समय पर बोलकर सुनाएं।यदि बोलकर सुनाने में आप अटक जाते हैं तो उसे फिर से याद करें और जब भी मौका मिले अपने मित्र,सहपाठी या अन्य को बोलकर सुनाएं।इस प्रकार बार-बार बोलकर सुनाने से भी पुनरावृत्ति होती है और पढ़ा हुआ याद रहता है और इस प्रकार विषयवस्तु को लंबे समय तक याद रखना आसान हो जाता है।याद रहता है और बोलकर सशक्त तरीके से अभिव्यक्त कर पाते हैं तो आत्मविश्वास बढ़ जाता है।यदि कोई सहपाठी विषयवस्तु को समझाने के लिए कहता है तो उसे मौखिक और लिखित रूप से समझाएं।दूसरों को विषयवस्तु को समझाने से भी विषयवस्तु याद रहती है।कई बार तो दूसरों को समझाने से कुछ बातें जो हमें समझ में नहीं आती है वे स्पष्ट हो जाती हैं और दिमाग में उसकी स्पष्ट छवि बन जाती है।
6.पढ़ाते समय एकाग्रचित्त रहें (Stay focused while teaching):
- यह बात कि एकाग्रचित्त होकर पढ़ना चाहिए जितनी जरूरी है,उतनी ही जरूरी यह भी है कि आप पढ़ते समय एकाग्रचित्त होकर सुनें।अध्यापक की प्रत्येक बात को पूर्ण एकाग्रचित्त होकर सुनें और जिन बातों को जोर डालकर बताते हैं या जिन बातों की पुनरावृत्ति करते हैं उन्हें अपनी नोटबुक पर नोट कर लें।नोटबुक पर नोट की गई बातों और पाठ्यपुस्तक को पढ़ने के बाद उसके आधार पर नोट्स बनालें ताकि समय-समय पर उनकी पुनरावृत्ति कर सकें।एकाग्रचित होकर जब आप किसी विषयवस्तु को सुनते हैं तो वह समझ में तो ठीक से आ जाती है साथ ही मस्तिष्क में उसकी छवि भी ठीक से अंकित हो जाती है।यदि सहपाठी या मित्र भी आपको कोई पाठ समझ रहा हो और वह आपके काम की है तो उसे एकाग्रचित्त होकर सुनें।पुनरावृत्ति करने के अनेक तरीके हैं,उन तरीकों से आप अध्ययन करेंगे तो बोरियत महसूस नहीं होगी और बदलाव से सरसता बनी रहेगी। यों भी किसी विषय को पढ़ने में हमें बोरियत तभी महसूस होती है जब हम उस विषय को दिल से नहीं पढ़ते हैं।
7.शांत वातावरण में पढ़ें (Read in a calm environment):
- हम किसी विषय को स्थायी रूप से तभी समझ पाते हैं और याद कर पाते हैं जब शांत वातावरण में पढ़ते हैं।जितना अधिक वातावरण में डिस्ट्रक्शन,व्यवधान होगा उतना ही अधिक आप विषय को कम समझ पाएंगे और याद नहीं हो सकेगा।मन का एकाग्र होना तो सबसे ज्यादा जरूरी है परंतु बाह्य वातावरण भी शांत रहना जरूरी है।आज के समय में जनसंख्या तो बढ़ गई है साथ ही अनेक सुख-सुविधाओं और विलासिता की वस्तुएं बढ़ गई हैं।सुबह से शाम शोर-शराबा,कोलाहल के बीच अध्ययन करना पड़ता है जिससे एकाग्रता सध नहीं पाती है।अतः सुबह के शांत वातावरण में अध्ययन किया जाए तो पढ़ा हुआ ठीक से याद हो जाता है।
- यदि विद्यार्थी की सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है तो भी उसे ऐसे कक्ष का चयन करना चाहिए जहां शोर-शराबा,कोलाहल और किसी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन ना हो।बाहर का वातावरण तो शांत होना ही चाहिए साथ ही मन ही मन में भी उथल-पुथल न मची हुई हो,मन का शांत रहना भी जरूरी है।शांत मन से ही अध्ययन किया हुआ याद रहता है,याद किया हुआ अधिक अवधि तक संचित रहता है।
8.ध्यान और एकाग्रता से स्मृति (Memory from Meditation and Concentration):
- विद्यार्थी तथा व्यक्तियों का जिस काम को करने की तरफ ध्यान और एकाग्रता रहती है वही काम ठीक से होता है।यदि आप अध्ययन पर ज्यादा और एकाग्रतापूर्वक ध्यान देंगे तो अध्ययन की तरफ आपकी सारी मानसिकता और विचार शक्ति केंद्रित हो जाएगी।अध्ययन में जितनी अधिक तीव्रता,स्थिरता और शक्ति लगाई जाएगी,उतनी गहराई और मजबूती से अध्ययन या पाठ,सूत्र,सवाल,थ्योरी आदि हमारी स्मृति पटल पर अंकित हो जाएगी।आप किसी भी चीज को याद रखने के लिए,अपना पाठ याद रखने के लिए अपना पूरा ध्यान पाठ पर ही केंद्रित रखें यह बहुत जरूरी है और ऐसा आप तब ही कर सकते हैं जब आपका ध्यान अध्ययन पर ही केंद्रित हो और जब आप एकाग्रचित्त हो सकें।आपके मन में अन्य कोई विचार उसी प्रकार न आ सके जिस प्रकार साउन्ड प्रूफ कमरे में अन्य कोई ध्वनि प्रवेश नहीं कर पाती।अच्छी स्मरण शक्ति के लिए एकाग्रचित्त और मन का स्थिर होना बहुत जरूरी है ताकि आप अच्छी और साफ रिकॉर्डिंग कर सकें।आप जितनी एकाग्रता से कोई बात याद करेंगे वह उतनी ही मजबूती से आपकी स्मृति का हिस्सा बन जाएगी।एक बात आप समझ लें कि जैसे किसान खेत में सिर्फ फसल को ही रहने देता है बाकी घास-फूस और फालतू पौधों को निकाल फेंकता है वैसे ही आप भी अपने दिमाग में विद्या की फसल तथा अन्य उपयोगी बातों को ही रहने दें बाकी कचरा कूड़ा यानी हानिकारक एवं बुरे विचारों को दिमाग में ना टिकने दें।
- आपको भी चाहिए कि आप अपने कोर्स की किताबों को पूरे मनोयोग से और सब तरफ से ध्यान हटाकर पूरे एकाग्रचित्त होकर पढ़ा करें और बार-बार नियमित रूप से दोहराते रहें।स्मरण शक्ति तेज हो और विद्या प्राप्ति की लगन हो यही तो विद्यार्थी की पहचान है।
9.मन को विकारों से मुक्त करें (Free the mind from disorders):
- स्मृति की तरह विस्मृति भी हमारे लिए एक वरदान की तरह है।उपयोगी बातें याद रखें और आवश्यकता के समय सहायक बनें,यह उत्तम है।इसी प्रकार यह भी ठीक है कि द्वेष-दुर्भाव और शोक-संताप की कटु स्मृतियाँ धुंधली होते-होते विस्मरण स्तर तक जा पहुंचे।क्रोध,हानि,वियोग आदि की स्थिति में मन जितना उद्विग्न होता है,यदि उतना ही संताप बना रहे,तो जीवन कठिन हो जाए।मस्तिष्क में करोड़ ग्रंथों के समा सकने जितना स्मृति क्षेत्र है,पर क्षण-क्षण में जो विविध जानकारियाँ मस्तिष्क को मिलती रहती हैं,उनका विस्तार तो स्मृति क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक है।ऐसी दशा में पुरानों को हटाकर ही नयों को जगह मिल सकती है।रेलगाड़ी के मुसाफिरखानों में बैठे यात्री यदि वहीं जम बैठें,तो नए आगंतुकों को जगह कहां मिलेगी?
- स्मृति और मस्तिष्क का तारतम्य समझने के लिए हमें यह भी जानना चाहिए कि ज्ञानेंद्रिय की सहायता से मस्तिष्क को अनेकों प्रकार की जानकारियां हर घड़ी प्राप्त होती रहती हैं।इसमें अधिकांश वे होती हैं,जो स्थिति का परिचय देकर अपना काम समाप्त कर देती है।उस जानकारी का यदि कुछ सीधा प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ता है और उसकी कुछ प्रतिक्रिया नहीं होती है,तो वे विस्मृति की,रद्दी की टोकरी में जा पड़ती है और सदा के लिए समाप्त हो जाती है।कुछ जानकारियां ऐसी हैं,जिनसे निपटना है,तो शरीर के अन्य कल-पुरजों को वैसा आदेश मिलता है और तदनुसार हलचल होती है,जैसे पैर में मच्छर काटे,तो मस्तिष्क उसके निवारण के लिए हाथ को आज्ञा देता है और वह तत्काल उस स्थान पर पहुंचकर मच्छर पर आक्रमण करता है।ऐसी जानकारियां जली हुई दियासलाई की तरह अपना सामूहिक प्रयोजन पूरा करके विस्मृति के गर्त में चली जाती है।संग्रह तो थोड़ी-सी ही की जा सकती हैं।मस्तिष्क में इतनी जगह नहीं है कि हर घड़ी इंद्रियों की सहायता से जो ज्ञान प्राप्त होता है,उनमें से सभी को अर्जित किया जा सके,तो भी जो महत्त्वपूर्ण है,उसे सुरक्षित रखे जाने की इस छोटे किंतु सुविस्तृत भंडार में पर्याप्त जगह है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए के 10 तरीके (10 Ways of How to Boost Memory Power),स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं? (How to Increase Memory Power?) के बारे में बताया गया है।
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10.स्मरण शक्ति बढ़ाने का टॉनिक (हास्य-व्यंग्य) (Tonic to Boost Memory Power) (Humour-Satire):
- टीचर (बच्चों से):स्मरण शक्ति कैसे बढ़ती है।
- सुधा:सर,शंखपुष्पी टॉनिक से।
- टीना:सर,मेमोरी पावर कैप्सूल से।
- वंदना:सर सारस्वतारिष्ट सिरप से।
- तनु:सर बादाम तेल से।
- गुड्डू:अखरोट और पाँचों मगज से।
- टीचर:सिर पड़कर अरे! इसे ही मेमोरी बढ़ती तो अमीरों के सभी लड़कों की मेमोरी तेज होती।मेमोरी ध्यान,एकाग्रता और बार-बार अभ्यास से बढ़ती है।
- बच्चे:सर हमने समझा,आप मेमोरी बढ़ाने वाले टॉनिक का नाम पूछ रहे हैं।
11.स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए के 10 तरीके (Frequently Asked Questions Related to 10 Ways of How to Boost Memory Power),स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं? (How to Increase Memory Power?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.स्मरण की सच्ची कला क्या है? (What is the true art of memorization?):
उत्तर:स्मरण की सच्ची कला ध्यान की कला है।
प्रश्न:2.बुरी बातों की विस्मृति कैसे होती है? (How do bad things get forgotten?):
उत्तर:कोई ऐसी स्मृति नहीं है जिसे समय न भुला दे,कोई ऐसी पीड़ा नहीं है जिसे मृत्यु समाप्त न कर दे।
प्रश्न:3.पढ़े हुए को लंबे समय तक याद कैसे रखें? (How to remember what you read for a long time?):
उत्तर:जो बात लंबे समय तक हमारे ध्यान में नहीं आती उसे हम भूल जाते हैं और जो बातें हमारे ध्यान में बराबर आती रहती हैं वे याद रहती हैं।अपने कोर्स की किताबों को पूरे मनोयोग से और सब तरफ से ध्यान हटाकर पूरे एकाग्रचित होकर पढ़ा करें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए के 10 तरीके (10 Ways of How to Boost Memory Power),स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं? (How to Increase Memory Power?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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