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Mathematicians with Classic Personality

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1.गणितज्ञ जिनके व्यक्तित्व कालजयी हैं (Mathematicians with Classic Personality),कालजयी व्यक्तित्व (Timeless Personality):

  • गणितज्ञ जिनके व्यक्तित्व कालजयी हैं (Mathematicians with Classic Personality) अर्थात् Timeless व्यक्तित्व हैं जिन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा,उनके कृतित्व,उनकी खोजों और उनके द्वारा गणित एवं अन्य विषयों में रचे गए ग्रंथ।
    हमारे देश भारत में गणितज्ञों के जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है परंतु उनके कृतित्व,खोजों और ग्रन्थों के बारे में जानकारी मिल जाती है।इसका सबसे बड़ा उदाहरण है शून्य की खोज और दाशमिक पद्धति के 0 से 9 अंकों की खोज भारत में हुई।परंतु इसके रचयिता भारतीय गणितज्ञ की ठोस जानकारी आज तक उपलब्ध नहीं हुई है और यह भी एक अनुमान ही है कि 0 से 9 तक के अंकों का आविष्कार ईसा की पहली शताब्दी तक हो चुकी थी।
  • इसलिए जिनके बारे में फुटकर रूप से ज्ञात है उन गणितज्ञों के कृतित्व का संक्षिप्त उल्लेख किया जाएगा।
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2.कालजयी व्यक्तित्व से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Timeless Personality?):

  • सृष्टि के प्रवाह में अनेक व्यक्ति जन्म लेते हैं,जीवन जीते हैं और फिर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं,अनंतकाल से यही व्यवस्था चली आ रही है।अनंत आत्माओं के आगमन में कौन किसको याद रख पाता है,परंतु इनमें कुछ ऐसे व्यक्तित्व भी हैं,जिनके जीवन की स्याही कभी धुंधली नहीं पड़ती।वे सदा चमकते रहते हैं और वर्तमान से भी ज्यादा आने वाले कल के लिए अपना उजला,शुभ्र एवं धवल प्रकाश बिखरते रहेंगे।काल का प्रचंड प्रवाह जिनको बहा न सका जिनके,20-30 वर्षों को हजार-हजार वर्ष भी ओझल एवं धूमिल न कर सकें,उन व्यक्तित्वों के परिष्कृत व्यक्तित्व का यही सुफल है।
  • ऐसे व्यक्तित्व तारों भरे आसमान में एक अलग चमकते हुए ध्रुवतारा के समान हैं।उनकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती; क्योंकि उनके आदर्श औरों से भिन्न होते हैं।वे केवल उच्च आदर्श एवं उत्कृष्ट विचारों के लिए जीते हैं।उनका जीवन संकीर्ण स्वार्थपरता के लिए नहीं,बल्कि त्याग,बलिदान एवं सदाचार जैसे मूल्यों के लिए समर्पित होता है।उनका जीवन एक सीमित दायरे में सिमटा हुआ नहीं होता,बल्कि उनका जीवन व्यापक एवं विराट होता है।उनका दृश्य जीवन जितना व्यापक होता है,अदृश्य जीवन उससे भी अधिक विस्तृत होता है और इसलिए उनके कृतित्व का संपूर्ण आकलन कर पाना संभव नहीं हो पाता।
  • महान व्यक्तित्व संपन्न जीवन का मूल्य व्याख्यान,प्रवचन एवं उपदेश देने में निहित नहीं होता,बल्कि सर्वप्रथम उसे अपने जीवन में उतारने एवं हृदयंगम करने में होता है।व्यष्टि में समष्टि है।समष्टि की इस समग्रता का अनुभव व्यक्तित्व की अंतश्चेतना में होता है।इस एहसास में जीने वाले को यह सहज समझ होती है कि बटोरने की अपेक्षा छोड़ने का मूल्य है।संग्रह के बदले अपरिग्रह का कर्म अधिक महत्त्वपूर्ण है।स्वार्थ के स्थान पर परमार्थ का मर्म विचारणीय एवं करणीय है।जलाने की अपेक्षा जलने का मूल्य अधिक है।शासन की अपेक्षा अकिंचन का मूल्य है।ये मूल्य आज भी हैं,कल भी थे और कल भी रहेंगे।यह मूल्य कालजयी हैं।जिन्होंने मूल्यों का आस्थापूर्वक आचरण किया,वे इतिहास पुरुष बन गए।जिन्होंने केवल मूल्यों पर प्रवचन किए,आचरण नहीं किया,वे इतिहास के गर्त में समा गए।

3.गणित में भारतीय कालजयी व्यक्तित्व (Indian Classics in Mathematics):

  • भारत में आर्यभट (Aryabhatta) गणित में ऐसे महान योद्धा थे जिन्होंने \pi का मान ज्ञात करने की समस्या का सर्वप्रथम समाधान किया।उन्होंने आर्यभटीय पुस्तक में वर्ग का क्षेत्रफल,चतुर्भुज का क्षेत्रफल,वृत्त का क्षेत्रफल,गोले का क्षेत्रफल ज्ञात करने की विधियों एवं सूत्रों का वर्णन इस पुस्तक में किया गया है।आर्यभट प्रथम को बीजगणित का जन्मदाता माना जाता है।आर्यभटीय में \left(\text{अ+ब}\right)^{2}=\text{अ}^{2}+2\text{अ ब}+\text{ब}^{2} का सूत्र दिया हुआ है तथा समीकरणों के हल ज्ञात करने की विधियों का उल्लेख किया गया है।ax^{2}-bx=c प्रकार के समीकरणों को हल करने का प्रथम प्रयास आर्यभट प्रथम ने किया।समीकरणों के साथ-साथ सर्वसमिकाओं का भी प्रयोग किया।
  • आर्यभट प्रथम ने घातकर्ण,क्षेत्रफल,वर्गमूल,वृत्त,बीजीय-समीकरण,तत्समंकों आदि पर जो कुछ लिखा है वह आधुनिक गणित के विकास की आधारशिला माना जाता है।
  • महान गणित ब्रह्मगुप्त (Bramgupta) का उदाहरण भी प्रेरक एवं प्रासंगिक है।ब्रह्मगुप्त ने अंकगणित में पूर्ण संख्याओं,भिन्नों,श्रेढ़ियों,ब्याज,समतल आकृतियों,परछाई मापने संबंधी समस्याओं का विस्तृत विवेचन किया।यदि किसी त्रिभुज की भुजाएं a,b,c हों तो त्रिभुज का क्षेत्रफल \sqrt{s(s-a)(s-b)(s-c)} होगा जहां s=\frac{1}{2}(a+b+c) है।इस सूत्र के आविष्कार ब्रह्मगुप्त थे।ब्रह्मगुप्त ने निम्नांकित सूत्र दिए ‘यदि वृत्तीय चतुर्भुज के विकर्ण x और y हों तो
    x=\sqrt{\frac{ad+bc}{ad+cb}(ac+bd)}
    y=\sqrt{\frac{ad+cd}{ac+bd}(ad+bd)}
  • छिन्नक के आयतन के सूत्र:
    (1.)व्यावहारिक मान M_{2}=\left(\frac{\sqrt{A_{1}}+\sqrt{A_{2}}}{2}\right)^{2}\times h जिसमें A_{1} और A_{2} आधारों के क्षेत्रफल हैं।
    (2.)औत्रमान (अधिक शुद्ध) M_{2}=\left(\frac{A_{1}+A_{2}}{2}\right)\times h
    (3.)सूक्ष्ममान =\frac{1}{3}+\left(M_{1}-M_{2}\right)M_{3}=\frac{1}{3} +\left(M_{1}+2M_{2}\right)
    =\frac{h}{6}\left(A_{1}+A_{2}\right)=\frac{h}{6}\left(\sqrt{A_{1}}+\sqrt{A_{2}}\right)^{2}
    =\frac{h}{6}\left(\sqrt{A_{1}}+\sqrt{A_{2}}\right)^{2}
    =\frac{h}{3}\left(A_{1}+A_{2}+\sqrt{A_{1}A_{2}}\right)
  • ज्या का मान निकालने के लिए निम्न सूत्र दिया:
    \text{ ज्या }\left(\frac{\pi}{2}-\frac{\theta}{2}\right)=\sqrt{1-\text{ ज्या }^{2}-\frac{\theta}{2}}
  • इन्हें गणित रत्न की उपाधि दी जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।इन्होंने ब्रह्मस्फुट सिद्धांत व खंड साधक नामक कृति लिखी है।
  • भास्कराचार्य द्वितीय (Bhaskaracharya) का गणित में समर्पण उनकी कृति सिद्धांत शिरोमणि के प्रथम भाग लीलावती को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है।भास्कराचार्य द्वितीय ने अनंत की कल्पना की,उन्होंने बताया कि किसी संख्या में 0 का भाग देने पर अनंत आता है।भास्कराचार्य ने बताया कि किसी ऋणात्मक राशि का वर्गमूल नहीं होता,क्योंकि यह एक वर्ग नहीं होती है।इस प्रकार उन्होंने वास्तविक संख्याओं के निकाय के विकास के लिए आधारशिला रखी।गोलाध्याय में लिखा गया सूत्र
    \cos{\left(A\pm B \right)}=\sin{A}\sin{B}\mp \cos{A} \cos{B}
    को प्रतिपादित करता है।इसी श्लोक का उपयोग कर निम्नांकित सूत्र ज्ञात किया गया:
    \sin{\left(\frac{A-B}{2}\right)}=\frac{1}{2}\left[\left(\sin{A}+\sin{B}\right)^{2}+\left(\cos{A}-\cos{B}\right)^{2}\right]^{\frac{1}{2}}
  • भास्कराचार्य में दो गुण देखने को मिलेंगे,एक तो वे परिश्रमी थे और दूसरे उनमें उत्साह था।69 वर्ष की आयु में करण-कुतूहल की रचना से यही सिद्ध होता है कि वे सच्चे अर्थों में कर्मयोगी थे।
  • गणितज्ञ महावीराचार्य (Mahaviracharya) ने गणित सार-संग्रह में n वस्तुओं में से r वस्तुओं को एक साथ लेकर संचय (combination) ज्ञात करने के लिए सामान्य सूत्र दिया है वह निम्न है:
    ^{n}C_{r}=\frac{n(n-1)(n-2)------(n-r+1)}{1\times 2\times 3\times------\times r}
  • इस सूत्र के आविष्कारक संसार के सर्वप्रथम गणितज्ञ महावीराचार्य ही थे।लघुत्तम समापवर्त्य की कल्पना पहले महावीराचार्य ने ही की थी।गणित में उनके योगदान के कारण उन्हें गणित का भास्कर कहा जा सकता है।भारतीय गणितज्ञों के जीवन का अवलोकन किया जाए तो यह विदित होता है कि वे गणित में ही नहीं बल्कि अध्यात्म,धर्म,नीति,दर्शन आदि का ज्ञान भी रखते थे और अपने आचरण में उनका पालन करते थे।

4.गणित में पाश्चात्य कालजयी व्यक्तित्व (Western Timeless Personality in Mathematics):

  • आर्किमिडीज (Archimedes) को गणित का जनक कहा जाता है तो इसका कारण उनकी कुशाग्र बुद्धि थी तथा गणित के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग कर दिया।आर्किमिडीज ने सोने की शुद्धता,उत्प्लावक नियम तथा गणित में अनेक खोजें की।गणित में खोज करने में इतने तल्लीन रहते थे कि साइराक्यूज के सेनापति और सैनिक का न तो डर था और न अपने जीवन से मोह था।गणित के प्रति प्रेम को वाणी से नहीं,आचरण में उतारकर भी सिद्ध कर दिया।अतः इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर हमेशा के लिए उनका त्याग और बलिदान अंकित हो गया।इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है अतः उन्हें गणित का अन्यय प्रेमी कहा जा सकता है।
  • गणितज्ञ हाईपेटिया (Hypatia) का बलिदान भी अभूतपूर्व ही था।ईसाई धर्मान्धों ने गणितज्ञा हाईपेटिया को सिकंदरिया (अलेक्जेंड्रिया) के पुस्तकालय को आग लगाकर उसको बाहर घसीटा और जिंदा ही जला दिया।वह प्राचीनकाल में एकमात्र महिला गणितज्ञा थी।वह बहुत ही उच्चकोटि की गणितज्ञा थी।इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की ईसा के दूसरी शताब्दी के उत्तरार्ध में अलेक्जेंड्रिया में गणितज्ञ डायोफैंट्स द्वारा लिखी गई बीजगणित पर उसने टीका लिखी थी।ऐसी उच्च कोटि की महिला विदुषी थी,वह अलेक्जेंड्रिया की अकादमी में अरस्तु का दर्शन भी पढ़ाती थी।इस प्रकार एक महान ‘गणित देवी’ का निधन हो गया।
  • ज्यामिति का जनक यूक्लिड (Euclid) को माना जाता है।वे भी निर्भीक और संघर्षशील व्यक्तित्व से संपन्न थे।उनकी अमर कृति ‘एलिमेंट्स’ हजारों वर्षों से आज भी पढ़ाई जाती रही है,ऐसा तार्किक आधार प्रदान किया था।दरअसल वे केवल मनोरंजन के लिए गणित नहीं पढ़ते थे और मनोरंजन के लिए गणित की खोजें नहीं की।पिता की धन संपत्ति का लोभ भी उन्हें नहीं डिगा सका।निर्भीक इतने थे कि छात्र-छात्राओं को ही नहीं बल्कि शासक को भी स्पष्ट जवाब देने की क्षमता रखते थे।राजा टॉलमी ने यूक्लिड से पूछा क्या ज्यामिति सीखने का कोई आसान तरीका है तो यूक्लिड ने स्पष्ट जवाब दिया:”राजन,’ज्यामिति सीखने के लिए कोई राजमार्ग’ नहीं है!” वास्तव में वे ‘ज्यामिति शिरोमणि’ ही थे जिनकी ज्यामिति ढाई हजार सालों से आज तक विद्यालयों में चलती आ रही है।
  • प्रख्यात गणितज्ञ कार्ल फ्रेडरिक गाउस (Carl Friedrich Gauss) इतने प्रतिभाशाली और मेधावी थे की छोटी सी कक्षा में ही गणित शिक्षक ने संख्याओं का योग 100 पदों तक का योग करने के लिए कहा तो फौरन प्राकृत संख्याओं के योग के सूत्र से हल करके बता दिया।जबकि उस समय उस सूत्र का ज्ञान किसी छात्र-छात्रा को भी नहीं था।उन्होंने संख्या सिद्धांत पर ग्रंथ लिखा।उसने सारणिकों (Determinants),काल्पनिक राशियों (imaginary number),द्विपद समीकरणों (Binomial Equations) के हल निकाले।अनंत श्रेणियां के अभिसरण (convergence of infinite series) का आविष्कार किया तथा दीर्घकाल फलनों के द्विकावर्तता (Double Periodicity of Elliptic Functions) सिद्ध की।वास्तव में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को देखकर उन्हें ‘महान मेधावी गणितज्ञ’ कहा जा सकता है।

5.कालजयी व्यक्तित्वों का निष्कर्ष (Conclusion of Timeless Personalities):

  • रेखागणित के अनेक सिद्धांतों के आविष्कारक यूक्लिड पिता के विरोध करने पर ज्यामिति का अध्ययन व खोज करना छोड़ देते तो दुनिया को ज्यामिति के उच्च सिद्धांतों के लाभ देने में सफल नहीं होते।पिता के संपत्ति के लोग में फंस जाते तो छोटे लोभ में बड़े लाभ से वंचित रह जाते।
  • कार्ल फ्रेडरिक गाउस के पिता मजदूरी करते थे,वे यही चाहते थे कि उनका पुत्र भी मजदूरी करे और पिता की चली होती तो गाउस इससे ज्यादा न कर पाते।अतः  जीवन के प्रारंभ में बालकों को ट्यूशन पढ़ाकर जीवन-निर्वाह किया और एक दिन महान गणितज्ञ बने।
  • महान गणितज्ञ पाइथागोरस गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए 32 वर्षों तक विभिन्न देशों मिश्र,इराक,ईरान और भारत की खाक छानते फिरे और इटली के क्रोटोना (Crotona) नगर में एक विद्यालय की स्थापना की।60 वर्ष की उम्र में शादी की।यहीं विद्यालय में गणित और दर्शनशास्त्र पर व्याख्यान देना प्रारंभ किया।आज गणित में उनके योगदान के कारण विश्व के गणित प्रेमी पाइथागोरस से परिचित हैं।
  • महान् गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक आइजक न्यूटन की माता ने पति की मृत्यु होने पर न्यूटन को दादी के संरक्षण में छोड़कर पुनर्विवाह कर लिया था।न्यूटन का जीवन असफलताओं के गर्भ में समाकर सफलता के शिखर पर चढ़ा।अल्प शिक्षाकाल में ही समाकलन तथा अवकलन गणित (integral differential calculus) की रचना की तथा विज्ञान में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का पता लगाया जिसने उनको अमरत्व प्रदान किया।
  • यदि इन महान गणितज्ञों और ऐसे ही अन्य गणितज्ञों का त्याग,तप और बलिदान ना होता तो सभ्यता के साथ गणित का विकास नहीं हुआ होता और आज हम जिस प्रगति के स्तर को प्राप्त कर सके हैं शायद वह प्राप्त नहीं कर पाते,सम्भवतः आज की सभ्य मानव जाति आधुनिक दशा में न पहुंच पाती क्योंकि संपूर्ण गणित और वैज्ञानिक क्षेत्र अछूता रह जाता।
    बटोरना सहज नहीं है,जलाने में साहस की अपेक्षा है,शासक बनने के लिए प्रचुर चातुर्य की जरूरत है,पर जिनमें यह साहस है,क्षमता है और इसके बावजूद जो बटोरते नहीं,जलाते नहीं,राज्य नहीं करते,मूल्यों का विश्वास उन्हीं में दीप्तिमान होता है।जिनमें क्षमता और साहस ही नहीं,उनमें मूल्य का प्रकाश कहां से और कैसे प्रदीप्त होगा।
  • मारने वाला वीर हो सकता है,लेकिन वहीं श्रेष्ठ उद्देश्यों के लिए स्वयं को उत्सर्ग करने वाला महावीर होता है।महावीर वह जो काम,क्रोध,लोभ,मोह रूपी रिपुओं से परास्त नहीं होता,बल्कि अपने अविचल संयम से उन्हें निरुत्तर करा देता है।इसी कारण प्रारब्धों के प्रवाहवश अपनी गर्दन कटाने वाले आर्किमिडीज ने सहर्ष आत्म-बलिदान कर दिया।
  • मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान उसके ऊँचे उद्देश्यों एवं धार्मिक मूल्यों के प्रति निष्ठा से होती है,अनुकूल समय में इस तरह के पथ पर चलने का प्रवचन देने वाले तो बहुधा मिल जाते हैं,परंतु प्रतिकूल परिस्थितियों में सच्चे आदर्शों के प्रति अडिग निष्ठा दिखाने का साहस दिखाने का साहस विरले ही कर पाते हैं और सृष्टि के प्रवाह में अपने अस्तित्व की छाप भी ऐसे ही व्यक्तित्व छोड़ पाते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ जिनके व्यक्तित्व कालजयी हैं (Mathematicians with Classic Personality),कालजयी व्यक्तित्व (Timeless Personality) के बारे में बताया गया है।

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6.अक्ल मांगने से क्या फायदा? (हास्य-व्यंग्य) (What is Use of Asking for Wisdom?) (Humour-Satire):

  • पत्नी:मुझे ₹10000 देते जाना,मोबाइल फोन खरीदना है।
  • गणित शिक्षक:तुम्हें रुपए की नहीं,अक्ल की जरूरत है।
  • पत्नी:परंतु आपसे अक्ल मांगने से क्या फायदा क्योंकि वह आपके पास है ही नहीं।

7.गणितज्ञ जिनके व्यक्तित्व कालजयी हैं (Frequently Asked Questions Related to Mathematicians with Classic Personality),कालजयी व्यक्तित्व (Timeless Personality) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित चक्र चूड़ामणि की उपाधि किसे दी गई? (Who Was Given the Title of Maths Chakra Churamani?):

उत्तर:गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त को उनके गणित में योगदान को देखकर प्रसिद्ध गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने उन्हें ‘गणित चक्र चूरामणि’ की उपाधि दी।

प्रश्न:2.गणितज्ञों का राजकुमार किसे कहा जाता है? (Who is Called the Prince of Mathematicians?):

उत्तर:कार्ल फ्रेडरिक गाउस को गणितज्ञों का राजकुमार कहा है।गाउस के मित्र बोलिए से गाउस के बारे में विचार व्यक्त करने के लिए कहा गया तो बोलिए ने उत्तर दिया ‘यूरोप का सबसे बड़ा गणितज्ञ’ और उसका अनुमान ठीक ही निकला।

प्रश्न:3.गणितज्ञ गणेश प्रसाद का गणित में क्या योगदान है? (What is the Contribution of Mathematician Ganesh Prasad to mathematics?):

उत्तर:उनका पहला-खोज निबंध ‘दैर्ध्य फलनों (Elliptic Functions) और गोलीय हरात्मक (Spherical Harmonics) का’ मैसेंजर ऑफ मैथमेटिक्स’ नामक पत्र में छपा था।उन्होंने विद्वानों की भूल निकाली और उनको चेक किया।
निबंधों के अतिरिक्त आपने उच्च कोटि के 11 भौतिक गणित ग्रन्थों की रचना की जिनमें से कई भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों की उच्च कक्षाओं में पाठ्य-पुस्तकों के रूप में पढ़ाये जाते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणितज्ञ जिनके व्यक्तित्व कालजयी हैं (Mathematicians with Classic Personality),कालजयी व्यक्तित्व (Timeless Personality) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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