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Educational VS Technical Education2025

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1.शैक्षिक बनाम तकनीकी शिक्षा 2025 (Educational VS Technical Education2025),शैक्षिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कौनसी अपनाएं? (What to Adopt in Educational Education and Technical Education?):

  • शैक्षिक बनाम तकनीकी शिक्षा 2025 (Educational VS Technical Education2025) अर्थात् कौनसी शिक्षा अर्जित करें और क्यों? आज हम बिना लक्ष्य तय किए हुए केवल डिग्री लेने के उद्देश्य से शैक्षिक शिक्षा अर्जित करते जा रहे हैं और लाखों की संख्या में छात्र-छात्राएं डिग्री लेकर बेरोजगारों की फौज में खड़े हो जाते हैं।
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2.स्कूली शिक्षा और तकनीकी शिक्षा (School Education & Technical Education):

  • हर छात्र-छात्रा को साक्षर करना तो जरूरी है और इस दृष्टिकोण से स्कूली शिक्षा अर्जित करना आवश्यक है परंतु उससे भी ज्यादा जरूरी है बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना,ज्ञान प्रदान करना और चरित्रवान बनाना।स्कूली शिक्षा से केवल छात्र-छात्रा साक्षर बनता है और सामान्य ज्ञान अर्जित करता है।तकनीकी शिक्षा अर्जित करने के लिए स्कूल के स्तर तक सामान्य शिक्षा अर्जित करना जरूरी है।
  • हायर एजुकेशन यानी कॉलेज,विश्वविद्यालय और पीएचडी आदि की शिक्षाएं केवल उन छात्र-छात्राओं को दिलवायी जानी चाहिए जो ज्ञान अर्जित करना चाहते हैं,प्रतिभाशाली हैं और शोध करना चाहते हैं अथवा प्रशासनिक सेवाओं में जाने के काबिल हैं।अब प्रश्न यह होता है कि इतनी बड़ी जनसंख्या में से छंटनी करके कॉलेज और विश्वविद्यालय की शिक्षा दी जाए तो बाकी इतने अधिक बच्चों का क्या किया जाए? ऐसे बच्चों को तकनीकी शिक्षा,हस्तकला अथवा किसी हुनर को सिखाने में लगाया जाए।परंतु तकनीक शिक्षा के लिए संस्थान आईआईटी,पॉलिटेक्निक,इंजीनियरिंग कॉलेज और आईआईटीज बहुत ही सीमित मात्रा में छात्र-छात्राओं को प्रवेश दे सकते हैं क्योंकि ये सीमित मात्रा में ही हैं।
  • इसका विकल्प यह है कि समाजसेवी,दान दाता,व्यवसायियों और सरकारों को तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऐसे संस्थान खोलने चाहिए।वास्तव में छँटनी कॉलेज शिक्षा के लिए होनी चाहिए परंतु छँटनी की जाती है तकनीकी शिक्षा व किसी को सीखाने के लिए।दूसरा विकल्प यह है सभी शिक्षा संस्थानों में कंप्यूटर शिक्षा तथा हुनर सीखाने के लिए टीचर की व्यवस्था हो।कंप्यूटर शिक्षा तो सभी अर्जित कर सकते हैं परंतु यहाँ हुनर सीखाने में एक समस्या यह है कि किसी भी सामान्य विद्यालय में केवल एक या दो हुनर की व्यवस्था की जा सकती है।अब कुछ बच्चों की रुचि उन एक या दो हुनर सीखने में नहीं है तो फिर उन्हें कैसे कुछ सिखाया जाए?
  • तीसरा विकल्प यह है की माता-पिता अपने बच्चों की प्रतिभा और रुचि को समझ कर उन्हें कुछ ना कुछ हुनर शुरू से सिखाएं।जैसे किसी बच्चे की लेख लिखने या कंप्यूटर सीखने या भजन,संगीत,नृत्य,खेल,बागवानी,बिजली मरम्मत आदि में किसी न किसी में रुचि है तो किसी एक क्षेत्र में उसे हुनर सिखाने की व्यवस्था करें।यदि रोजाना एक घंटे भी अपनी हाॅबी या हुनर सीखने में लगाए तो स्कूल की शिक्षा अर्थात् सीनियर सेकेंडरी स्कूल उत्तीर्ण करते-करते बच्चा अपनी हाॅबी अर्थात् किसी न किसी हुनर में पारंगत हो जाएगा।
  • यहाँ समस्या यह है कि प्राचीन काल की तरह माता-पिता बच्चों की परवरिश नहीं करते हैं।वे धन कमाने में इतने व्यस्त रहते हैं कि बच्चों को काबिल बनाने की तरफ उनका ध्यान ही नहीं जाता है।वे स्कूल के भरोसे रहते हैं जबकि आजकल के स्कूल व्यावसायिक हो गए हैं,स्कूल के संचालकों को कोई मतलब नहीं हैं कि बच्चा हुनर सीख रहा है या नहीं,चारित्रिक गुणों को धारण कर रहा है या नहीं।उन्हें तो बस अपना सिलेबस कंप्लीट करना होता है।

3.स्कूली शिक्षा (Schooling):

  • परीक्षा स्कूल के पाठ्यक्रम का नियमित हिस्सा होता है।प्रत्येक स्कूल का अपना एक तरीका होता है।अधिकांश स्कूलों में समय-समय पर होने वाली अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाएं होती हैं।बहुत से स्कूलों में अब तिमाही,छमाही और वार्षिक परीक्षाएं होती है,के साथ नियमित रूप से साप्ताहिक परीक्षाएं भी होती हैं।सप्ताह में होने वाली और साल के बीच में होने वाली परीक्षाओं (बोर्ड की परीक्षा के अलावा) को मान्यता दी जाती हैं,जिनके अंक वार्षिक परीक्षा में जोड़े जाते हैं और यह तय किया जाता है कि छात्र अगली कक्षा में जाने लायक है या नहीं।इसलिए छात्र का नियमित होना तथा पूरे साल ठीक से पढ़ना जरूरी होता है।बहुत सी प्राइवेट स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए पाक्षिक,मासिक टेस्ट,अर्द्धवार्षिक व प्री बोर्ड की परीक्षा ली जाती है परंतु वार्षिक परीक्षा में इनके अंक नहीं जुड़ते हैं।ये छात्र-छात्राओं की परफॉर्मेंस सुधारने के लिए ली जाती हैं।
  • हर कक्षा के लिए एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है।पाठ्य पुस्तकों से पढ़ाने के साथ-साथ अनेक टीचर नोट्स देते हैं या बनवाते हैं।रोज छात्र-छात्राओं को होमवर्क दिया जाता है,ताकि जो कक्षा में पढ़ा है,उसका वह अभ्यास कर सकें।छात्र-छात्राओं को घर में जरूर पढ़ना चाहिए और स्वयं भी नोट्स बनाने चाहिए।स्वयं के द्वारा बनाए गए नोट्स के अनेक लाभ होते हैं।
  • स्कूल में रोज उपस्थित होना एवं दिए गए होमवर्क को पूरा करना भी जरूरी है।कई स्कूलों में प्रोजेक्ट्स के रूप में अतिरिक्त कार्य भी दिया जाता है।इसे बेहतर रूप से करना चाहिए।अगर जरूरत हो तो परिवार के सदस्यों की मदद भी ले सकते हैं।
  • पढ़ने की अच्छी आदत स्कूल में ही पड़ती है।बच्चों में ये आदत डालने में अभिभावक बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।यहां तक की अच्छे बोर्डिंग स्कूलों में जहां माता-पिता मदद के लिए नहीं होते हैं,वहां टीचर बच्चों में पढ़ने की रुचि पैदा करते हैं।इसके अलावा बच्चों को बिना बड़ों की मदद के स्वयं पढ़ने की आदत भी सिखाई जाती है।ये आदतें बड़े होकर बहुत फायदा देती हैं।
  • कक्षा में एकाग्र रहने का बहुत फायदा होता है।अच्छे नोट्स एक गुण की तरह होते हैं।लाइब्रेरी जाने की आदत और विषय से संबंधित अन्य पुस्तकें पढ़ना भी बहुत लाभदायक है।उनसे व्यावहारिक और चारित्रिक अनेक बातें सीखने को मिलती हैं।जो छात्र-छात्रा आरम्भ  में ही अपना एक लक्ष्य बना लेते हैं और पढ़ने के इच्छुक होते हैं,वे हमेशा अच्छा करते हैं।अगर कोई चीज नहीं आती तो टीचर से पूछने में सकुचाते नहीं हैं।
  • एक अच्छा छात्र जानता है कि उसके सहपाठी ही उसके प्रतिद्वन्द्वी हैं।सभी अव्वल आने की कोशिश में लगे हैं।हालांकि इस समय कुछ भी दांव पर नहीं लगा होता है।अगर सारे ही छात्र अच्छे होते हैं,तो बिना अपने सहपाठियों को नुकसान पहुंचाएं विशेष अंक हासिल कर सकते हैं।स्थिति को ज्यादा सकारात्मक ढंग से देखने का तरीका यह है कि छात्रों को दूसरे सहपाठियों से प्रतियोगिता करने के बजाय स्वयं को ही अपने प्रतियोगी के रूप में देखना चाहिए।जितना ज्ञान हो सके वह ग्रहण करना और हर बार अच्छे अंक लाना ही उसका लक्ष्य होना चाहिए।
  • अगर छात्र-छात्रा कक्षा में नियमित और दिए गए कार्य को करता है,तो उसे परीक्षा से तनाव नहीं होता।सफाई से लिखना,सही भाषा का प्रयोग करना और लापरवाही से हुई गलतियों से बचकर अच्छे अंक ला सकते हैं।स्कूल के परीक्षा भवन का माहौल परिचित होता है,इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है।कुछ दबाव हमेशा परीक्षा से जुड़े होते हैं,पर जो नियमित रूप से पढ़ते हैं और तनावमुक्त रहते हैं;उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।उपर्युक्त विवरण के आधार पर छात्र-छात्राओं को सत्रारम्भ से (अर्थात् अभी से) अपने लक्ष्य को तय करके योजना बनाकर अध्ययन प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि पाठ्यक्रम को समय पर पूरा कर सकें और उसका रिवीजन भी कर सकें।

4.कॉलेज शिक्षा एवं परीक्षा (College Education & Examination):

  • जिन छात्र-छात्राओं ने यह तय कर लिया कि उन्हें कॉलेज शिक्षा अर्जित करनी है और वे इसके लिए योग्य हैं तो उन्हें अभी से गंभीरतापूर्वक तैयारी करनी चाहिए। जब छात्र-छात्राएं स्कूल से कॉलेज में पहुंचते हैं,तो पहले स्वतंत्रता के अनुभव का आनंद उठाते हैं।कुछ प्रोफेशनल कॉलेजों के सिवाय,जहां बहुत अनुशासन होता है और वे सिर्फ पैसों से मतलब रखते हैं,बहुत ही कम ऐसा होता है कि कोई छात्र-छात्रा कक्षा में अनुपस्थित ना हुआ हो।इससे अधिकतर छात्र-छात्राओं पर गलत प्रभाव पड़ता है और वे गैर-जिम्मेदार हो जाते हैं।जब उपस्थिति का रिकॉर्ड लिया जाता है,तब छात्र-छात्राओं को अपनी गलती का अहसास होता है।
  • इस देश में कॉलेज की अधिकांश पढ़ाई व्यर्थ जाती है। अगर आप अपने प्रयास और माता-पिता के धन को बेकार नहीं करना चाहते हैं,तो स्वयं से कुछ सरल प्रश्न पूछें।क्या मुझे कॉलेज जाने की जरूरत है? वहां जाकर क्या मुझे लाभ होगा? क्या वहां जाने का मेरे पास कोई निश्चित उद्देश्य है? अपने अभिभावक व मित्रों से पूछें।कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्रा का मानसिक विकास औसत से अधिक होना चाहिए।
  • जैसे आपके पास स्कूल की अपेक्षा जाने की जहां-कहीं भी ज्यादा आजादी होती है,वहीं आपके पास यह निर्णय लेने की भी आजादी होती है कि आप आगे पढ़ना चाहते हैं या नहीं।अगर आप कॉलेज केवल डिग्री प्राप्त करने के इरादे से ही नहीं जा रहे हैं,वरन अधिक ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं और आपको जीवन में कुछ करने की इच्छा है,तो आपको ऐसा करने के लिए स्कूल से ज्यादा मेहनत यहां करनी होगी।
  • कॉलेज में बहुत ज्यादा परीक्षा नहीं होती है।अगर होती है,तो कोई भी उसके बारे में गंभीर नहीं होता।अगर आप वास्तव में ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं,तो आपको गंभीरता से पढ़ना होगा।सबसे पहले उस साल जो पाठ्यक्रम पूरा करना है,उसके बारे में जानें।जरूरत की पुस्तकें ढूंढ कर उन्हें खरीदें।दूसरा,कॉलेज के अध्ययन की तालिका के बारे में जानें।लेक्चरार और प्रोफेसरों को जानें।नियमित रूप से क्लास में जाएं।तीसरा,जो कॉलेज में पढ़ाया गया है,उसको घर जाकर पढ़ें।लाइब्रेरी जाएं और जितना हो सकता है,पढ़ें।स्वयं के नोट्स बनाएं।स्वयं के नोट्स को रिवीजन करना आसान होता है और आत्मसात भी होता है।समझ में ना आने पर अध्यापकों से पूछें।
  • जब आप नियमित रूप से पढ़ेंगे,तो धीरे-धीरे आप अपने पसंदीदा विषय के बारे में जानते जाएंगे।आपका निजी प्रयास ही मदद करेगा।निजी अनुशासन आपका सबसे बड़ा गुण है।जो परीक्षा वहां होती है,वह साल में एक बार ली जाती है।जैसे ही तिथि का पता चले,नोट कर लें।उन्हें अपने लिखने की मेज या शीशे पर चिपका दें।
  • फाइनल परीक्षा से पहले दो हफ्ते की छुट्टियां अवश्य दी जाती हैं।एक-एक करके सारे विषयों को दोहराने के लिए इनका प्रयोग करें।अगर आपने अच्छे नोट्स बनाएं हैं,तो पढ़ना आसान हो जाएगा।पिछले साल के टेस्ट पेपरों को देखें।उन्हें हल करें।इससे न सिर्फ विषय को दोहराने में आसानी होगी,वरन परीक्षा पत्र को लिखने का अवसर भी मिलेगा।लिखने का अभ्यास हो जाने से जब आप परीक्षा भवन में बैठते हैं,तो उससे मदद मिल जाती है।परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र को सावधानीपूर्वक पढ़ें।सोचकर अच्छी लिखावट व भाषा का प्रयोग करते हुए उत्तर लिखें।खत्म होने के बाद दोबारा पेपर को जांचें।इस प्रकार उपर्युक्त रणनीति के अनुसार अभी से योजना बनाकर उस पर अमल करना प्रारंभ कर देंगे तो परीक्षा का दबाव नहीं रहेगा।आप शान्त चित्त और एकाग्रता के साथ पूर्ण आत्मविश्वास से परीक्षा के प्रश्न-पत्रों को हल कर सकेंगे।

5.प्रोफेशनल कॉलेज परीक्षा (Professional College Examination):

  • जब तक छात्र-छात्राएं प्रोफेशनल कॉलेज में प्रवेश लेते हैं,वे अनगिनत परीक्षाओं से गुजर चुके होते हैं।ऐसे अनेक छात्र-छात्रा होते हैं,जो करियर के लिए न्यूनतम बुनियाद के स्तर को भी नहीं पा पाते हैं।केवल जो छात्र-छात्रा प्रोफेशनल ज्ञान और योग्यता पाने के प्रति गंभीर होते हैं,वही सफल हो पाते हैं।
  • दूसरे कॉलेज की अपेक्षा प्रोफेशनल कॉलेजों का वातावरण भिन्न होता है।एक खास विषय को पढ़ाना होता है।किसी एक विषय में विशिष्टता हासिल करने से पहले अन्य विषय संबंधित विषयों की जानकारी होना भी बहुत जरूरी होता है।अध्यापक अपने विषयों के विद्वान होते हैं।कोई अपनी कक्षा से बाहर निकाले जाने की स्थिति में या पढ़ाई के अतिरिक्त समय के लिए एक बड़ी राशि अदा करके ही अनुपस्थित रहने की बात सोच सकता है।
  • सभी कक्षाओं में जाना अनिवार्य होता है।विभिन्न विषयों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करना भी महत्त्वपूर्ण होता है।इसका अर्थ है,ज्यादा से ज्यादा समय लाइब्रेरी और बुकशॉप में गुजारना।इसका अर्थ है,उन पत्रिकाओं से ज्यादा से ज्यादा जानकारी बटोरना,जो लेटेस्ट ट्रेंड के बारे में लिखती हैं।यही नहीं,अच्छे नोट्स बनाना भी अनिवार्य है।इसलिए,कॉलेज के बाद अधिक समय इसी प्रयास में बीतता है।
  • इन कॉलेजों में शिक्षा सर्वांगीण विकास के उद्देश्य को ध्यान में रख कर दी जाती है।यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि किसी ज्ञान या योग्यता को छात्र किस तरह ग्रहण करता है।इन संस्थानों में दी जाने वाली शिक्षा का आकलन किसी बड़ी परीक्षा द्वारा नहीं होता है,पर समय-समय पर अनेक छोटी परीक्षाएँ होती रहती हैं।प्रत्येक कदम छात्र-छात्रा को अगले उच्च कदम के लिए तैयार करता है।
  • अगर ट्रेनिंग के दौरान प्रैक्टिकल योग्यता की जरूरत होती है,तो शिक्षा का कुछ हिस्सा खास लैब व वर्कशॉपों में दिया जाता है।हर किसी को उपकरण पकड़ना या प्रैक्टिकल करना नहीं आता,पर इसे अभ्यास के द्वारा सीखा जा सकता है।समझ ना आने पर पूछने से हिचकिचाएं नहीं।कई छात्र-छात्राओं को यह लगता है की बाद में इन प्रयोगों की जरूरत नहीं पड़ेगी;इसलिए इसे वे गंभीरता से नहीं लेते हैं।यह सही नहीं है।ये कार्य कठिन लगने के बावजूद छात्र-छात्रा को किसी विशेष अनुबंध को समझने में मदद करते हैं।आगे चलकर जीवन में बहुत फायदा होता है।
  • सैद्धांतिक कार्य के लिए जिस तरह परीक्षा होती है,वैसे ही प्रयोगात्मक योग्यता के लिए होती है।बाहर के कॉलेज में दोनों तरह अध्यापक परीक्षा लेते हैं।कई बार बाहरी अनुबंध भी छात्र-छात्राओं को दिए जाते हैं।इसके लिए उन्हें आँखों देखी जानकारी हासिल और काम करने के लिए फैक्ट्रियां और व्यापारिक स्थानों में जाना पड़ता है।अंत में विभिन्न तथ्यों पर अपनी निजी राय देते हुए एक रिपोर्ट तैयार करते हैं।प्रोफेसर उस रिपोर्ट पर एक लंबा वक्तव्य पेश कर फिर अंक दे सकता है।
    प्रोफेशनल कॉलेज छात्र-छात्राओं को विभिन्न नौकरियों के लिए तैयार करते हैं।इन कोर्स से ज्यादा लाभ उठाने के लिए आप कड़ी मेहनत कर सकते हैं।
  • प्रोफेशनल कॉलेजों में सीट बहुत कम होती है।अतः प्रवेश परीक्षा के द्वारा चयन किया जाता है।चयनित अभ्यर्थियों को ही उक्त कॉलेजों में प्रवेश मिलता है।मैनेजमेंट,इंजीनियरिंग,डॉक्टर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि प्रोफेशनल कॉलेजों द्वारा तैयार किए जाते हैं।प्रोफेशनल कोर्सेज को गंभीरतापूर्वक पूर्ण करना चाहिए,इनको स्कूल व कॉलेज की शिक्षा की तरह नहीं लेना चाहिए तभी आपका व्यक्तित्व निखर सकता है,विकसित हो सकता है।आपको इन प्रोफेशनल कॉलेजों में परफॉर्मेंस के आधार पर ही विभिन्न कंपनियाँ आपसे कॉलेज प्लेसमेंट के लिए संपर्क करती है।यदि आपकी परफॉर्मेंस अच्छी है तो आपको अच्छा वेतन पैकेज मिल सकता है।जो अभ्यर्थी गंभीर नहीं होते हैं उनको अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,कंपनियां भी या तो उनकी छँटनी कर देती है अर्थात् उन्हें कोई ऑफर नहीं दिया जाता,यदि ऑफर मिलता भी है तो साधारण पैकेज पर संतोष करना पड़ता है।अतः इसे गंभीरता से लें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में शैक्षिक बनाम तकनीकी शिक्षा 2025 (Educational VS Technical Education2025),शैक्षिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कौनसी अपनाएं? (What to Adopt in Educational Education and Technical Education?) के बारे में बताया गया है।

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6.पुस्तकों से कुश्ती (हास्य-व्यंग्य) (Wrestling with Books) (Humour-Satire):

  • नकुल:भाई शिवा,तुम कल अपने कमरे में पुस्तकों का बोरा उठाए हुए उठक-बैठक क्यों कर रहे थे?
  • शिवा:अरे यूं ही,मैं तो आधुनिक शिक्षा से कुश्ती लड़ने का,अपने अंदर साहस पैदा कर रहा था।

7.शैक्षिक बनाम तकनीकी शिक्षा 2025 (Frequently Asked Questions Related to Educational VS Technical Education2025),शैक्षिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कौनसी अपनाएं? (What to Adopt in Educational Education and Technical Education?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.स्कूली शिक्षा में क्या ध्यान रखें? (What to keep in mind in schooling?):

उत्तर:परीक्षा स्कूल जीवन का हिस्सा है।स्कूल शिक्षा जीवन की बुनियाद रखती है अतः नियमित रूप से पढ़ने और कड़ी मेहनत करने की आदत डालें।परीक्षा में,सफाई से लिखें और लापरवाहीवश होने वाली गलतियों से बचें।सत्रारम्भ से ही तैयारी प्रारंभ कर दें जिससे परीक्षा के तनाव से बच सकें।

प्रश्नः2.कॉलेज शिक्षा के क्या मंत्र हैं? (What are the mantras of college education?):

उत्तर:कॉलेज में पढ़ने का मतलब आजादी से घूमना, फिरना,मस्ती करना नहीं बल्कि स्कूल से भी अधिक कड़ी मेहनत करें।नियमित रूप से पढ़ें।नोट्स बनाएं,हो सके तो कोई स्किल भी सीखें जिससे कॉलेज शिक्षा पूरी होते ही बेरोजगारी का सामना न करना पड़े।

प्रश्न:3.प्रोफेशनल परीक्षा को कैसे दें? (How to take the professional exam?):

उत्तर:प्रतियोगिता का युग है अतः अपने कोर्सेज को करने में पूरी दिलचस्पी लें।सेमेस्टर में हर विषय में अच्छे अंक प्राप्त करें।कोई पेपर बैक न रखें।पूर्ण दक्षता के साथ प्रेक्टिकल प्रोग्रामों में हिस्सा लें।सफल होने के लिए किताबों से प्यार होना बहुत जरूरी है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा शैक्षिक बनाम तकनीकी शिक्षा 2025 (Educational VS Technical Education2025),शैक्षिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में कौनसी अपनाएं? (What to Adopt in Educational Education and Technical Education?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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