6 Best Tips on How to Empower Students
1.विद्यार्थी सशक्त कैसे बनें की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips on How to Empower Students),विद्यार्थी के सशक्त बनने की 6 तकनीक (6 Techniques to Empower Students):
- विद्यार्थी सशक्त कैसे बनें की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips on How to Empower Students) के आधार पर विद्यार्थी सशक्त बनने की कला जान सकेंगे साथ ही अभिभावक विद्यार्थी को सशक्त कैसे बना सकेंगे यह जाना जा सकता है।विद्यार्थी सशक्त बनेंगे तभी वे बड़े बदलाव ला सकेंगे।
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2.आधुनिक विद्यार्थी की दिशा (The Modern Student’s Direction):
- भारत में नहीं दुनिया के अधिकांश देशों के स्कूलों में स्टूडेंट्स केवल ज्ञान ही नहीं हासिल कर रहे हैं बल्कि उनमें आइडिया भी विकसित हो रहे हैं।ऐसे आइडियाज जिसे वे आसपास और सोसाइटी में देखना चाहते हैं।खुद विद्यार्थियों को तथा पेरेंट्स व देश के अग्रणी नेताओं को उनकी खूबियों,उनकी शक्तियों को पहचानने की जिम्मेदारी है।उनकी काबिलियत व क्षमताओं को समझने की जरूरत है।साथ ही विद्यार्थी को और हमें भी उनकी क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है ताकि उनके आइडिया हकीकत बन सकें।उन्हें गाइड करके सही दिशा देने की जरूरत है ताकि उनमें भटकाव पैदा ना हो,उनकी एनर्जी नेगेटिव और विध्वंसात्मक कार्यों में न लगे।देश के विकास और सकारात्मक कार्यों में लग सके।
- उनके आइडिया के आधार पर बिजनेस मॉडल को डेवलप किया जा सकता है।और वे अपनी एनर्जी को राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगा सकते हैं।अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं।इस प्रकार वे एक जिम्मेदार नागरिक बनकर देश में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
- इसके लिए विद्यार्थी को अपनी नींव को मजबूत बनाना होगा।नींव को मजबूत बनाने की एक खास प्रक्रिया होती है।प्रैक्टिकल लाइफ,एजुकेशन लाइफ को डेवलप करने पर पूरी नजर रखना अनिवार्य है।आपको रणनीति बनाकर उस रणनीति पर चलना होगा।रणनीति का एनालिसिस भी करते रहना होगा अर्थात् रणनीति कहां सफल हो रही है और कहां विफल हो रही है इस पर नजर रखनी होगी।
- आइडिया और प्लानिंग के साथ यह भी जरूरी है कि आइडिया को साकार करें और प्लानिंग को क्रियान्वित करें।आइडिया साकार तब होते हैं जब आपमें काबिलियत,कड़ी मेहनत और संघर्ष करने का माद्दा हो। इन सबके लिए धैर्य रखना जरूरी है।जोश के साथ होश में होना भी जरूरी है।मजबूत और टिकाऊ नींव तभी तैयार हो सकेगी।तकनीक का सहारा भी जरूरी है।आधुनिक युग में ज्ञान के साथ तकनीक को जानना भी जरूरी है।बिना ज्ञान के विद्यार्थी तकनीक हासिल कर भी ले तो जैसे कंपास के बिना जहाज भटक जाता है वैसे विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाता है।
- वस्तुतः आज की भाग-दौड़ और प्रतिस्पर्धा के युग में कई विद्यार्थी तनाव में आ जाते हैं और घबराहट में उनका ज्ञान-ध्यान और आइडिया धरे के धरे रह जाते हैं तथा आसान व सुविधायुक्त लगने वाली जिंदगी जटिल हो जाती है,सुविधाएँ जी का जंजाल बन जाती हैं।ऐसे समय में पेरेंट्स और मार्गदर्शक की जिम्मेदारी है कि उन्हें हौसला रखने के लिए प्रेरित करें और इन परिस्थितियों से निकलने के उपाय बताएं।
- विद्यार्थियों को संबल प्रदान करना और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की कला सिखाना भी जरूरी है।केवल पढ़ाकू बनाने से जिंदगी की न तो नैया पार हो सकती है और न ही समाज व देश के लिए वे उदाहरण बन सकते हैं।आज कई युवा उद्यमियों के उदाहरण हमारे सामने है जिन्होंने अपने आइडियाज को साकार किया है,उनसे हम प्रेरणा ले सकते हैं।
3.विद्यार्थी अपने आइडियाज को समझें (Students understand their ideas):
- जिन विद्यार्थियों के मन में जिज्ञासा होती है उनके दिमाग में नए-नए आइडियाज आते हैं यदि उन आइडियाज को साकार कर लिया जाए तो उनमें बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।ये आइडियाज अपने सब्जेक्ट से संबंधित भी हो सकते हैं और अपने आसपास के वातावरण को देखकर भी जन्म ले सकते हैं।जैसे विद्यार्थी संख्या पद्धति का अध्ययन कर रहा है तो उसके दिमाग में आइडिया आ सकता है की संख्याओं का जन्म कैसे,कब और कहां हुआ? यदि वह इनका ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करता है तो उसके ज्ञान में वृद्धि होती है,गणित में निपुण होता चला जाता है।यदि आइडिया को साकार नहीं करता है,केवल विचार ही करता रहता है तो उसके गणित के ज्ञान में वृद्धि नहीं हो सकती है।
- इसी प्रकार आप अपने आसपास के वातावरण को देखते हैं,आपके आसपास शिक्षा की उपलब्धता कम है या आसपास नशाखोरी की प्रवृत्ति है अथवा असमानता है इस स्थिति में बदलाव के लिए आपके दिमाग में आइडिया आ सकते हैं।आप जिस स्थिति को लेकर चिंतित हैं जैसे असमानता हो,तो उसे बेहतर बनाने की सोचने लगते हैं।यह आइडिया न केवल व्यक्तिगत रूप से विद्यार्थी के लिए लाभदायक है बल्कि देश के लिए बेहतर है।जैसे छात्र-छात्राओं का निर्माण होगा देश की तस्वीर भी वैसी ही बनेगी।
- आइडियाज की वास्तविक शक्ति का तभी पता चलता है जब वह एक्शन के रूप में परिवर्तित होता है।इसलिए अपने आइडियाज की पावर को समझें और उन्हें साकार करने की कोशिश करें।विचारों से आचरण प्रभावित होता है और आचरण से स्वभाव और संस्कार बनते हैं।दुनिया में वे लोग असफल होते हैं जो केवल विचार ही करते रहते हैं और उसके अनुसार कर्म नहीं करते हैं और दूसरे जो कर्म ही करते रहते हैं लेकिन विचार बिल्कुल ही नहीं करते हैं।
- विचारों से समस्याओं का समाधान तभी निकलता है जब आप उसके अनुसार एक्शन करते हैं।केवल सोचते रहने से दिमाग में समाधान की पिक्चर तो बन जाती है परंतु समाधान वास्तविक रूप से तभी हो पाता है जब उसे कार्यरूप में परिणत करते हैं।आपके विचार और कड़ी मेहनत दोनों में संतुलन बनाए रखना होगा।विचारों के अनुसार खाका तैयार करें और खाका पर अमल करेंगे तो आपमें बदलाव आएगा और आप अपने आप को बेहतरीन महसूस करेंगे।आप उन्नति और विकास करते हैं।
आप अपने आप को बदलेंगे तो परिवार में बदलाव आएगा और परिवार में बदलाव से समाज और देश में बदलाव होगा।एक-एक बूंद से घड़ा भरता है और एक-एक व्यक्ति से मिलकर राष्ट्र का निर्माण होता है। - आप अपनी ताकत को पहचानें और अपनी ताकत के प्रति अटूट विश्वास रखिए।आपके विचारों और आपकी कड़ी मेहनत करने की क्षमता ही तो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा सकती है।इस मंजिल तक पहुंचने के लिए आपको किसी सहायता की अपेक्षा नहीं है।आपका आत्मविश्वास ही वह आधारशिला है,नींव का पत्थर है,जिस पर आप सफलता का बहुमंजिला भवन खड़ा कर सकते हैं।जिस प्रकार बीज से वट-वृक्ष उत्पन्न होने की प्रक्रिया में बीज को खाद की गर्मी और सड़न सहन करनी पड़ती है।कष्टों के मूक सहन में महान बनने की शक्ति उत्पन्न होती है।विद्यार्थी-वर्ग शांतिपूर्वक जितनी बाधाओं को पार करेगा,जितना कष्ट झेलेगा जीवन में उतना ही सफल होता जाएगा।जो विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंकों को देखकर अपने कठिन परिश्रम के बाद जिस आनंद का अनुभव करता है,उसके शतांश का भी आनंद लाभ क्या वह विद्यार्थी कर सकता है जो यह नहीं जानता की कड़ी मेहनत किस चिड़िया का नाम है?
4.कष्टों को सहकर सशक्त बनें (Be Empowered by Suffering):
- जिसने जीवन के कसाले नहीं झेले,वह क्या जाने कि बाधाओं पर विजय-सुख किस चिड़िया का नाम है? जिसने कड़ी धूप में यात्रा नहीं की,वह क्या जाने की वृक्ष की शीतल छाया कितनी आनंददायिनी होती है? कठिन परिश्रम करने और जीवन के सामान्य भोगों से विरत रहने के उपरांत जिस छात्र-छात्रा को परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का सुख मिलता है,वही बता सकता है कि वास्तविक आनंद एवं आत्म-संतुष्टि किसे कहते हैं।
- शिक्षा वही सार्थक है जो बालक में अंतर्निहित संभावनाओं का उद्घाटन करती है।समस्त मन्तव्यों की एक ही अवधारणा है-हम लघुत्व में सीमित रहकर संतुष्ट न हों,महत्व के प्रति प्रयत्नशील रहे,क्योंकि महान बनने के लिए हमने जन्म लिया है।
महान् बनने की छटपटाहट द्वारा प्रेरित मनुष्य ही दुनिया में वे कार्य कर सके हैं जिनके कारण मनुष्य सभ्यता एवं संस्कृति के प्रस्तुत स्तर को प्राप्त हो सका है।ये समस्त कार्य विद्यार्थियों ने ही किए हैं।महानता के पथ पर अग्रसर होने के लिए कुछ-कुछ इस प्रकार के संकल्प की आवश्यकता अपेक्षित रहती है-“मेरे भीतर का अंधकार प्रकाश की ज्वाला से जल जाए तथा मेरी आंखों के आगे से अज्ञान का पर्दा हट जाए और मैं विकास के उच्चतम शिखर पर पहुंच जाऊं।” समस्त विद्यार्थियों के लिए कुछ भी भारी नहीं रह जाता है।कहावत है घोड़े के लिए घर कितनी दूर है।छात्र-छात्राएं अपने भीतर खुदाई करें।उनको वहां श्रेष्ठता का स्रोत प्रवाहित होता हुआ मिलेगा।बराबर खोदते रहो,वह निरंतर प्रवाहमान एवं विकासमान बना रहेगा,परंतु खुदाई शुरू करने के पहले यह निश्चित कर लें कि हमें श्रेष्ठता के किस पक्ष को प्राप्त करना है,क्योंकि श्रेष्ठता के उतने ही आयाम हैं जितने आसमान में तारे हैं। - लक्ष्य प्राप्ति के प्रति उतावलापन ना दिखाएं।लक्ष्य जितना ही महान होगा,वह उतना ही दूरस्थ होगा और उसकी ओर ले जाने वाला मार्ग उतना ही अधिक कंटकाकीर्ण एवं संकट से घिरा होगा।
- कौन नहीं जानता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और अदम्य उत्साह के अभाव में न श्रेष्ठ संकल्प संभव है और ना कोई संकल्प सिद्ध हो सकता है? ‘उत्साह ही बलवान होता है,उत्साह से बढ़कर कोई दूसरा बल नहीं है,उत्साही पुरुष के लिए संसार में कोई वस्तु दुर्लभ नहीं है,जो सफलता प्राप्त करने के लिए दृढ़ इच्छा रखता है,उसके लिए पर्वत की ऊँचाईयाँ तथा सागर की गहराइयों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।यदि ऐसा ना होता तो ना एवरेस्ट की ऊँचाईयों पर विजय प्राप्त की जा सकती थी और न अंटार्कटिका पर तंबू लगाए जा सकते थे और ना चंद्रमा की मिट्टी हमको देखने को मिल सकती।
- प्रत्येक विद्यार्थी के भीतर ऊर्जा का भंडार उसी प्रकार है जिस प्रकार तिल में तेल का तथा अरणि में अग्नि का।तेल एवं अग्नि के प्रकटीकरण के लिए संघर्षण अपेक्षित है।इसी प्रकार अंतर्निहित शक्ति के उद्घाटन के लिए बाधाओं एवं कठिनाइयों से संघर्ष अपेक्षित है।हम विश्वास करें,वह बीज के समान वट-वृक्ष रूपी शक्ति हमारी नियति है,उस हेतु समस्त संभावनाएं हमारे भीतर मौजूद है।हमारे छात्र-छात्राएं उनके उद्घाटन में सर्वथा समर्थ हैं।
- विद्यार्थी अपने आप को सशक्त भी बना सकता है जबकि वह अपनी शक्ति की पहचान करेगा।बिना सशक्त हुए वह कोई भी कार्य करने में समर्थ नहीं हो सकता है।सशक्त हुए बिना वह एक लुंजपुंज मिट्टी का लोथडा है। यदि सशक्त है,समर्थ है,योग्य है तब कितनी भी कठिन परीक्षा हो उसमें सफल होगा।नित्य अपने आप को अपनी सशक्तता में वृद्धि करते करते रहना चाहिए,तभी उसके जीवन की सार्थकता है।
5.बीते हुए कल से ना चिपके (Don’t cling to the past):
- सूर्य समस्त प्रकाश एवं जीवनी शक्ति का स्रोत है।वह अत्यन्त विस्तृत और विशाल है।वह मूर्तिमंत्र जीवन है। वह दिनभर तपने के बाद रात्रि में विश्राम करता है।सोने के लिए जाते समय वह लोक को विरामदायनी रात्रि प्रदान कर जाता है।सूर्य प्रातः अरुण रूप होकर नवजात बालक के समान उदय होता है।उसका दर्शन आशा,आनंद एवं स्फूर्ति का हेतु होता है।यदि हम भी सूर्य की भाँति नित्य नवीन उत्साह एवं स्फूर्ति लेकर प्रातः सोकर नहीं उठ सकते हैं? हम जीवन को तभी नया प्रकाश प्रदान कर सकते हैं जब हम सूर्य की भांति चिर नवीन स्फूर्ति के साथ निरंतर तपते हुए कार्यरत बने रहें।सूर्य निरंतर चलता रहता है? उसके साथ समय व्यतीत होता रहता है।सूर्य न पीछे मुड़कर देखता है और न बीता हुआ समय वापस आता है।
- यदि हम सूर्य की भाँति नित्य नवीन उत्साह लेकर अपने लक्ष्य की और अग्रसर होना चाहते हैं तो हमें यह कथन स्मरण रखना चाहिए कि जीवन में सफल होने के लिए हम बीते हुए कल से शिक्षा ले सकते हैं,परंतु सदैव सोचें यही कि आने वाले कल क्या करना है।बीते हुए कल से ना सूर्य चिपकता है,न आप उससे चिपकने की बात सोचें।विश्वास रखिए आपका अपने आने वाला कल बहुत महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी होगा।गुलाब का फूल अल्पजीवी होता है,परंतु वह यदि अपने जीवन की स्वल्पता को तुच्छता समझ बैठे,तो उसका खिलना एवं वायुमंडल को सुरभित करना समाप्त हो जाए।विश्व प्रपंच का एक परमाणु भी यदि अपनी तुच्छता का अनुभव करके निष्क्रिय हो जाए तो विश्व की परमाणु श्रृंखला खंडित हो जाए और प्रलयकालीन दृश्य उपस्थित हो जाए।जो छात्र-छात्रा प्रकृति के इस नियम के अनुसार जीवन को महत्त्वपूर्ण समझकर उत्साहपूर्वक नहीं जीते हैं,वे मानों नए जन्म की तमन्ना में खुदकुशी कर लेते हैं।उस विद्यार्थी का जीवन धन्य है जो पूरे प्रयत्न के साथ जीता है और विगत जीवन पर संतोष का अनुभव करता है।
- एक विद्यार्थी अध्ययन करके ज्ञान अर्जित करता है और उसके ज्ञान में वृद्धि होती जाती है।जितना उस विद्यार्थी का ज्ञान बढ़ता जाता है उतनी ही उसकी क्षमता और शक्ति बढ़ती जाती है जिससे वह उच्च कक्षाओं में पढ़ने के काबिल होता है।इस तरह उसका विकास दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता जाता है।आप किसी भी गणितज्ञ और वैज्ञानिक का इतिहास उठाकर देखें तो बचपन में ये साधारण स्तर के विद्यार्थी थे।लेकिन उन्होंने घोर परिश्रम किया,सूझबूझ के साथ काम लिया और भाग्य ने यानी उसके पूर्व शुभकर्मों ने उसका साथ दिया और वे उन्नति करते चले गए।हमारे देश में आज जितने भी उच्च कोटि के गणितज्ञ और वैज्ञानिक है उनके बाप-दादा साधारण स्थिति वाले ही मिलेंगे।
- ऐसा इसलिए हुआ कि उन गणितज्ञों और वैज्ञानिकों ने विद्यार्थी काल में उन्नति और विकास के लिए कोई बाकी नहीं छोड़ी।व्यवस्थित जीवन शैली,नियम-संयम और सूझबूझ से काम करने का परिणाम अच्छा ही होता है।परिणाम मिलने में देर हो सकती है पर अंधेर नहीं हो सकती।जो विद्यार्थी धुन का पक्का होता है,अपने लक्ष्य में जुटा रहता है और ज्ञान का उपयोग करने में लगा रहता है वह दरअसल सशक्त होता चला जाता है,उसकी शक्ति बढ़ती चली जाती है।जो ऐसा नहीं करता उसके ज्ञान का दिवाला निकल जाता है,उसकी हालत पतली होती चली जाती है और अशक्त होता चला जाता है।यदि आप अध्ययन करते रहेंगे,ज्ञान अर्जित करते रहेंगे और उसका उपयोग भी करते रहेंगे तो ठीक वक्त आने पर आप भरपूर शक्ति के मालिक होंगे,बड़े गणितज्ञों की तरह आप शक्तिमान होंगे,समर्थ होंगे।ज्ञान अर्जित करने और उसका उपयोग करने में संतुलन बनाए रहेंगे तो आप सशक्त रहेंगे।इस अनुशासन और संतुलन को बनाए रखें।
- उपर्युक्त आर्टिकल में विद्यार्थी सशक्त कैसे बनें की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips on How to Empower Students),विद्यार्थी के सशक्त बनने की 6 तकनीक (6 Techniques to Empower Students) के बारे में बताया गया है।
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6.विद्यार्थी का सशक्त बनना (हास्य-व्यंग्य) (Empowering Student) (Humour-Satire):
- दिनेश:कोचिंग के टीचर ने मुझे कहा था कि वह मुझे हर कंपटीशन के लिए सशक्त बना देगा।
- भव्य:तो क्या वह ऐसा कर सका?
- दिनेश:हां,उसका बिल चुकाने के लिए मुझे अपना घर बेचना पड़ा।
7.विद्यार्थी सशक्त कैसे बनें की 6 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6 Best Tips on How to Empower Students),विद्यार्थी के सशक्त बनने की 6 तकनीक (6 Techniques to Empower Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.विचार और शक्ति में कैसे तालमेल होता है? (How do thoughts and power reconcile?):
उत्तर:विचार नहीं सशक्त विद्यार्थी ही आगे बढ़ता है,परंतु विचार शक्ति का उपयोग करता है।ज्ञानवान विद्यार्थी ही शक्ति का सही उपयोग करना जानता है और ज्ञान व शक्ति से ही वह सशक्त होता है।
प्रश्न:2.विद्यार्थी के सशक्त ना होने का क्या परिणाम है? (What is the result of the student not being empowered?):
उत्तर:अपनी शक्ति का उपयोग न करने से विद्यार्थी असक्त ही होता है और ऐसा सशक्त विद्यार्थी भी कदम-कदम पर अपमान सहन करता है,काठ के भीतर रहने वाली आग को लोग आसानी से लाँघ जाते हैं,किंतु जलती हुई अग्नि को नहीं।
प्रश्न:3.अशक्त विद्यार्थी किसके समान है? (What is a disabled student like?):
उत्तर:अशक्त विद्यार्थी शव के समान है अर्थात प्राण रहित होता है।सशक्त विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा विद्यार्थी सशक्त कैसे बनें की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips on How to Empower Students),विद्यार्थी के सशक्त बनने की 6 तकनीक (6 Techniques to Empower Students) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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