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Update for Basic Math Students in 10th

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1.10वीं में बेसिक मैथ के छात्रों के लिए अपडेट (Update for Basic Math Students in 10th),10वीं में बेसिक मैथ लेने वाले 11वीं में ऐच्छिक मैथ ले सकेंगे (Students Who Have Taken Basic Mathematics in Class 10 Will be Able to Take Optional Maths in Class 11):

  • 10वीं में बेसिक मैथ के छात्रों के लिए अपडेट (Update for Basic Math Students in 10th) जारी किया गया है।सीबीएसई बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं में बेसिक मैथ लेकर उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए गणित विषय से पढ़ाई करने की छूट को जारी रखने का फैसला किया है।
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2.बेसिक मैथ वाले छात्रों के लिए अपडेट (Update for Basic Math Students):

  • सीबीएसई (CBSE):केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए दसवीं में बेसिक मैथ लेकर उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को छूट जारी रखने का फैसला किया है।इस छूट के अनुसार अब ऐसे छात्र-छात्रा 11वीं कक्षा में गणित को ऐच्छिक विषय के रूप में चुन सकते हैं।परंतु इसके लिए स्कूल प्रमुखों पर यह जिम्मेदारी डाली है कि वे सुनिश्चित करें कि बेसिक मैथ से दसवीं में उत्तीर्ण छात्र-छात्रा में,11वीं
  • में गणित विषय पढ़ने की क्षमता और योग्यता है तभी उन्हें गणित विषय चुनने की अनुमति दी जाए।
    सीबीएसई (CBSE) ने स्पष्ट किया है कि स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या (एनसीएफ-एसई) की सिफारिश के आधार पर अध्ययन की नई योजना लागू होने के बाद यह निर्णय लागू नहीं होगा।
  • सीबीएसई बोर्ड (CBSE) ने स्पष्ट किया है कि 2026 की बोर्ड परीक्षा के लिए उम्मीदवारों की सूची (एलओसी) के लिए एक बार विषय भर दिए जाने के बाद,प्रस्तावित विषयों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।बोर्ड ने कहा है कि स्कूलों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को अभिभावकों/छात्र-छात्राओं तक पहुंचाएं ताकि तदनुसार उचित कार्यवाही की जा सके।
  • बोर्ड ने स्कूलों से कहा है कि ऐसे छात्र-छात्राओं को 11वीं कक्षा में गणित (041) पढ़ने की अनुमति देने से पहले संस्थान/स्कूल विषय भर दिए जाने के बाद कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।बोर्ड ने स्कूलों से कहा है ऐसे छात्र-छात्राओं को 11वीं कक्षा में गणित पढ़ने की अनुमति देने से पहले संस्थान स्कूल के प्रमुख को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्र-छात्राओं ने 11वीं कक्षा में गणित (041) पढ़ने की योग्यता और क्षमता है।
  • सीबीएसई बोर्ड परीक्षा नियम:सीबीएसई ने कोविड-19 के बाद सबसे पहले इस नियम में छूट की शुरुआत की और पिछले तीन शैक्षणिक सत्रों में छूट को बढ़ाया। सीबीएसई (CBSE) के नियमों के अनुसार,केवल वे छात्र-छात्राएं जिन्होंने दसवीं में गणित का मानक (Standard Math) पढ़ा है,उन्हें 11वीं में गणित लेने की इजाजत है।जिन छात्राओं ने बेसिक मैथ का विकल्प चुना है,उन्हें सीनियर सेकेंडरी स्तर पर केवल अनुप्रयुक्त गणित (Applied Mathematics) पढ़ने की अनुमति है।
  • सीबीएसई बोर्ड (CBSE) ने बताया कि मार्च 2020 में समाप्त होने वाले शैक्षणिक सत्र से माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के लिए गणित के दो स्तर (Level) शुरू किए गए हैं।गणित मानक (Standard) उन छात्र-छात्राओं के लिए है जो वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर गणित (041) चुनना चाहते हैं और गणित (बेसिक) उन छात्र-छात्राओं के लिए है जो उच्च स्तर पर गणित का अध्ययन करने के इच्छुक नहीं है।
  • वैसे आधुनिक तकनीकी के युग में यह अपडेट तो छात्र-छात्राओं को न्यूज़ चैनल,इंटरनेट के जरिए अभिभावकों व छात्र-छात्राओं को मिल चुकी होगी।आजकल अनपढ़ व्यक्ति भी मोबाइल रखता है,इसलिए इंटरनेट की दुनिया से जुड़ा रहता है।परंतु हम इस अपडेट को इसलिए बता रहे हैं कि छात्र-छात्राएं कुछ खास बातों का ध्यान रखें जिससे उनको गणित विषय चुनने का पछतावा न हो।

3.शिक्षा संस्थानों के प्रमुख कैसे निर्णय लें? (How do the heads of education institutions make decisions?):

  • जो छात्र-छात्राएं बेसिक मैथ लेकर उत्तीर्ण हो चुके हैं और 11वीं गणित विषय लेना चाहते हैं।दरअसल गणित विषय का स्काॅप का आकर्षण छात्र-छात्राओं को गणित विषय लेने के लिए मजबूर करता है।निश्चित ही गणित विषय में भविष्य अच्छा है,परंतु उन्हीं छात्र-छात्राओं के लिए जो इसको पढ़ने की क्षमता,योग्यता और रुचि रखते हैं।अतः संस्थानों के प्रमुख को अपने स्तर पर स्टैंडर्ड मैथ के लेवल का प्रश्न-पत्र तैयार करके उनकी परीक्षा लेनी चाहिए और उत्तर-पुस्तिका को अपने शिक्षा संस्थान के गणित टीचर से जांच करवानी चाहिए।यदि छात्र-छात्रा स्टैंडर्ड मैथ में प्रथम श्रेणी से उच्च मार्क्स अर्जित करता है तो उसे गणित विषय का चुनाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए।अब यह आवश्यक नहीं है कि प्रश्न-पत्र प्रिंटिंग प्रेस में छपा हुआ हो।जिस प्रकार बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र-छात्राओं का वीकली टेस्ट,मासिक टेस्ट या रैंकिंग टैस्ट आदि लिए जाते हैं और उनकी परफॉर्मेंस जांच की जाती है।उसी प्रकार प्रश्न-पत्र तैयार कर उनकी परफॉर्मेंस जांच करनी चाहिए।
  • परीक्षण में वस्तुनिष्ठता रखनी चाहिए।उन्हें इस लोभ से बचना चाहिए कि छात्र-छात्रा गणित विषय लेगा तो फीस अधिक वसूल की जा सकेगी।यह ध्यान रखना चाहिए कि छात्र-छात्राओं का हित सर्वोपरि है और अन्य बातें सेकेंडरी है।छात्र-छात्राओं का हित सोचने वाले शिक्षा संस्थानों की ही साख बढ़ती है,केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण रखने वाले शिक्षा संस्थान की क्रेडिट एक न एक दिन सच्चाई सामने आने पर गिरती चली जाती है।इस प्रकार प्रश्न-पत्र तैयार करने और परीक्षा लेने तथा जाँचने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा क्योंकि कुछ छात्र-छात्राएं ही अपना निर्णय बदलते हैं यानी बेसिक मैथ के आधार पर गणित विषय लेना चाहिए।संभवत वे बेसिक मैथ में अच्छे मार्क्स प्राप्त करने के कारण भी अपना निर्णय बदलते हों परंतु वस्तुस्थिति तो स्टैंडर्ड मैथ के पेपर से ही पता चल पाएगी।
  • यदि शिक्षा संस्थान इस प्रकार के टेस्ट लेने में यह समझते हों कि इसमें ज्यादा वक्त लगेगा,हालांकि ऐसा सोचना सही नहीं है कि वक्त लगेगा,तो इसका दूसरा विकल्प भी है।छात्र-छात्रा के बेसिक मैथ के साथ-साथ विज्ञान विषय तथा अन्य विषयों के प्राप्तांक को देखा जाए।साथ ही गणित और विज्ञान के विषय के टीचर से उस छात्र-छात्रा के गणित की क्षमता व योग्यता की पूछताछ की जाए।यदि संस्था प्रधान को पॉजिटिव रिपोर्ट मिलती है तो उसके आधार पर भी छात्र-छात्रा को गणित विषय लेने की अनुमति दी जा सकती है।वस्तुतः किसी भी गणित टीचर,जो छात्र-छात्रा को पढ़ा चुका है,से छात्र-छात्रा की वास्तविक स्थिति छिपी हुई नहीं रहती है।उसे पता रहता है कि कक्षा में कौनसे छात्र-छात्रा गणित में होशियार हैं,कौनसे मध्यम स्तर के हैं और कौनसे बिल्कुल फिसड्डी हैं।हालांकि किसी भी छात्र-छात्रा की 100% सही-सही परफॉर्मेंस बता सकना तो मुश्किल है लेकिन फिर भी 80-90% हद तक किसी भी छात्र-छात्रा की परफॉर्मेंस एक निपुण गणित शिक्षक द्वारा बताई जा सकती है।ये दोनों आधार ऐसे हैं जिनके आधार पर संस्था प्रमुख निर्णय ले सकते हैं।

4.छात्र-छात्रा अपना आंतरिक मूल्यांकन करें (Students should do their internal assessment):

  • अभिभावक यदि पढ़े-लिखे हैं और आधुनिक युग में अधिकांश अभिभावक पढ़े-लिखे मिल ही जाएंगे तथा छात्र-छात्रा स्वयं भी अपना आंतरिक मूल्यांकन अपने स्तर पर कर सकते हैं।केवल गणित के स्काॅप से आकर्षित होकर या बेसिक मैथ में अच्छे अंक पाकर,अथवा किसी के देखा-देखी या स्टेटस मैन्टेन के लिए गणित विषय लेने का निर्णय नहीं लेना चाहिए।बेसिक मैथ का पेपर औसत स्तर का आता है जो इस बात का पैरामीटर तय नहीं कर सकता है कि छात्र-छात्रा को गणित विषय लेना चाहिए या नहीं।
  • आजकल ऑनलाइन गणित के बोर्ड प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराने वाले अनेक टूल मिल जाएंगे।आप ऑनलाइन टूल के द्वारा अपनी परफॉर्मेंस जांच कर सकते हैं कि आप कितने पानी में हैं? एक प्रश्न-पत्र से पता नहीं चल पाता है तो दो या तीन पेपर देकर अपनी ठीक-ठीक जांच कर लेनी चाहिए यानी संशयग्रस्त स्थिति में कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए।अपने निर्णय में बदलाव के लिए ठोस तार्किक,तथ्यात्मक और वास्तविक आधार होना चाहिए।दसवीं कक्षा छात्र जीवन के भविष्य को तय करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।क्योंकि दसवीं कक्षा के परिणाम के आधार पर ही अधिकांश छात्र-छात्राएं अपने भविष्य की दिशा तय करते हैं।
  • अक्सर कुछ छात्र-छात्राएं एक-दूसरे के देखा-देखी या स्टेटस मेंटेन करने के क्रम में गणित विषय का चुनाव कर लेते हैं।जब बिना मजबूत गणित की पृष्ठभूमि के इस विषय का चुनाव करते हैं तो 12वीं बोर्ड परीक्षा में ही उनकी हालत पतली हो जाती है और आगे उन्हें विषय परिवर्तित करना पड़ता है।यदि जैसे-तैसे 12वीं में उत्तीर्ण हो भी जाते हैं तो कॉलेज में उनकी हवा टाइट हो जाती है और प्रथम वर्ष में उन्हें दिन में तारे नजर आने लगते हैं।या तो अनुत्तीर्ण हो जाते हैं और फिर विषय परिवर्तित करना पड़ता है।बीएससी भी लौट पड़कर जैसे-तैसे उत्तीर्ण हो गए तो उनका भविष्य गणित विषय में कैसे बन सकता है?
  • दूसरा आंतरिक मूल्यांकन का तरीका यह है कि स्टैंडर्ड मैथ के पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्र खरीद लें और घर पर ही जैसे परीक्षा देते हैं वैसे ही और उतने ही समय में प्रश्न-पत्र को हल करें।हल करने के बाद या तो स्वयं वस्तुनिष्ठ आधार पर जांच करें।अथवा अपनी कक्षा के होशियार (गणित में) छात्र-छात्रा से उस उत्तर-पुस्तिका की जांच करवा लें।यदि संभव हो तो अपने गणित टीचर से जांच करवा सकते हैं।यदि प्रथम श्रेणी से उच्च अंक प्राप्त करते हैं तो आप गणित विषय लेने की योग्यता रखते हैं।यदि नहीं प्राप्त कर पाते हैं तो एक-दो प्रश्न-पत्र और देकर पूरी तरह आश्वस्त हो लें कि वाकई में आप गणित में कमजोर है या निपुण है।उत्तर-पुस्तिका दूसरों से जांच करवानी चाहिए होशियार छात्र-छात्रा या टीचर से क्योंकि दरअसल हम स्वयं अपनी उत्तर-पुस्तिका जाँच करते हैं तो अंक देने में बहुत उदार होते हैं अर्थात वस्तुनिष्ठ तरीके से अपनी उत्तर-पुस्तिका की जांच नहीं कर पाते हैं।
  • दूसरों से अपने उत्तर-पुस्तिका जांच करवाने में हमारा अहंकार आगे आड़े आता है क्योंकि हम नहीं चाहते कि हमारी असलियत दूसरों को पता चले।हां,दूसरों की उत्तर-पुस्तिका हमें जाँचने के लिए दे दी जाए तो हम उसमें अनेक गलतियां निकाल देंगे।क्योंकि हम दूसरों की गलतियां देखने में सिद्धहस्त हो चुके हैं,उनमें गलतियां निकालने में रस मिलता है क्योंकि इससे हमारा अहंकार बढ़ता है हालांकि जो गलतियां हम दूसरों की उत्तर-पुस्तिका में खोजते हैं, वे गलती हमारी उत्तर-पुस्तिका में भी होती है पर उन पर हमारी नजर नहीं पड़ती,ऐसी स्थिति में वस्तुनिष्ठ परीक्षण कैसे हो सकता है?

5.11वीं में बेसिक मैथ वालों के लिए छूट का निष्कर्ष (Conclusion of exemption for basic math students in 11th):

  • वस्तुतः दसवीं बेसिक मैथ लेकर उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को 11वीं में गणित विषय लेने का निर्णय सोच-समझ कर लेना चाहिए क्योंकि सोच-समझ कर लिए गए निर्णय अक्सर सही लिए जाते हैं और बाद में पछतावा नहीं होता है।एक विद्यार्थी गणित में पढ़ाई करता है और अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सका और यह निर्णय लेता है कि उसे गणित विषय नहीं लेना चाहिए तो उसका निर्णय सही है।परंतु एक विद्यार्थी गणित के प्रश्न-पत्र में नकल करके अच्छे अंक प्राप्त कर लेता है और कहता है कि उसने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं गणित विषय लेना चाहिए तो उसका निर्णय सही नहीं है।नकल करके प्रश्न-पत्र में अच्छे अंक प्राप्त करना अलग बात है और गणित विषय की पढ़ाई करके सही उत्तर लिखकर अच्छे अंक प्राप्त करना अलग बात है और सही मायने में यही सही निर्णय है।नकल करके अधिक अंक प्राप्त करना वास्तव में अधिक अंक पाना नहीं बल्कि दूसरों की ही नहीं अपनी खुद की आंखों में धूल झोंकना है।
  • ऐसी बात नहीं है कि बेसिक मैथ लेने वाले गणित विषय लेने के लिए सभी नाकाबिल होते हैं।परंतु अपनी काबिलियत को मापने का मापदंड परीक्षा (मूल्यांकन) ही तो है।अब यह मूल्यांकन प्रश्न-पत्र हल करके किया जाए,मौखिक परीक्षा लेकर की जाए,साक्षात्कार के आधार पर किया जाए,एमसीक्यू (MCQ) टाइप प्रश्नों को हल करके किया जाए या अन्य तरीके से अथवा एक से अधिक तरीके अपनाकर किया जाए या गणित के टीचर से सुझाव लेकर किया जाए तो वह तरीका तार्किक,तथ्यात्मक तथा उचित होता है।
  • यदि आत्मनिष्ठ आधार पर निर्णय लिया जाएगा तो उसके परिणाम अच्छे नहीं हो सकते हैं क्योंकि जब वह गणित विषय की पढ़ाई करेगा और उसको सवाल हल करने के लिए कहा जाएगा तो बगले झांकने लगेगा।और तब (12वीं या कॉलेज में) यह प्रमाणित हो जाएगा कि जो भी उस समय (11वीं में) निर्णय लिया गया था वह गलत था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी,उसका भविष्य मझधार में हिचकोले खाता रहेगा।वह कभी इसको,कभी उसको और कभी अन्य को इसके लिए जिम्मेदार ठहराता है।
  • भगवान की सर्वश्रेष्ठ कृति मनुष्य की जीवन यात्रा अद्भुत और विलक्षण है।मनुष्य जीवन में भी छात्र जीवन सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि छात्र जीवन में पूरे जीवन की नींव लगती है।परंतु छात्र जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को समझ पाना साधारण बुद्धि वाले के लिए संभव नहीं है।इसीलिए हम काउंसलर,माता-पिता,मित्रों और शिक्षकों से परामर्श लेते हैं।इन सबकी एक राय नहीं होती बल्कि छात्र को अलग-अलग सुझाव मिलते हैं इसलिए वह अनिर्णय की स्थिति में रहता है।बेसिक मैथ वालों में किन-किन को मैथ लेनी चाहिए,इसी तरह के कई और भी अवसर ऐसे आ जाते हैं जब किसी निर्णायक स्थिति में पहुंच पाना आसान नहीं होता।इस दुविधा का कारण होता है हमारा मन,जो भावनाओं से भरा होता है दूसरी ओर हमारे कर्त्तव्य का भी हमें भान होता है।निस्संदेह ऐसे वक्त में भावनाओं का ज्वार तीव्र होता है पर विवेकशील छात्र-छात्रा ऐसे वक्त में भी कर्त्तव्य से विमुख नहीं होता।कर्त्तव्य पालन सर्वोपरी समझता है।
  • भावना वश किया गया काम क्षणिक प्रसन्नता दे सकता है पर कर्त्तव्य भूलकर किया गया काम बाद में ग्लानि से भर देता है।ऐसे कई विद्यार्थियों के उदाहरण है जब भावना वश गलत काम किए गए।भावना पर नियंत्रण न कर पाने वाला मन का गुलाम हो जाता है जबकि मन को अपना गुलाम बनाना चाहिए।यह साधना है तो दुष्कर,पर असंभव नहीं।यदि छात्र-छात्रा कर्त्तव्य समझकर कोई भी कार्य करेगा,निर्णय लेगा तो गलत नहीं होगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में 10वीं में बेसिक मैथ के छात्रों के लिए अपडेट (Update for Basic Math Students in 10th),10वीं में बेसिक मैथ लेने वाले 11वीं में ऐच्छिक मैथ ले सकेंगे (Students Who Have Taken Basic Mathematics in Class 10 Will be Able to Take Optional Maths in Class 11) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित से नहीं डरना चाहिए (हास्य-व्यंग्य) (Do Not Afraid of Math) (Humour-Satire):

  • हरि के पिताजी उसे समझा रहे थे।पिताजी:बेटा,गणित से घबराना नहीं चाहिए,अब भी मौका है तू 11वीं में गणित ले ले।
  • हरि:पर पिताजी बेसिक मैथ में ही बहुत कम नंबर हैं।
  • पिताजी:तू तो शेर का पुत्र है,फिर भी गणित से डरता है।
  • हरि:हाँ,पिताजी गणित के टीचर भी यही कहते थे कि तू गधा ही है (जानवर की औलाद है),तू यह सरल सा सवाल हल नहीं कर सका।

7.10वीं में बेसिक मैथ के छात्रों के लिए अपडेट (Frequently Asked Questions Related to Update for Basic Math Students in 10th),10वीं में बेसिक मैथ लेने वाले 11वीं में ऐच्छिक मैथ ले सकेंगे (Students Who Have Taken Basic Mathematics in Class 10 Will be Able to Take Optional Maths in Class 11) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कर्त्तव्य किसे कहते हैं? (What is a duty?):

उत्तर:करने योग्य हितकारी और अनिवार्य कर्मों को कर्त्तव्य (Duty) कहते हैं।

प्रश्न:2.बेसिक मैथ वालों को गणित लेने की छूट क्यों दी गई है? (Why are basic maths allowed to take up maths?):

उत्तर:गणित के दो लेवल अभी पिछले तीन-चार वर्ष से ही किए गए हैं।बेसिक मैथ वाले छात्र-छात्रा 11वीं में गणित विषय नहीं ले सकते जबकि स्टैंडर्ड मैथ वाले छात्रा-छात्रा गणित ले भी सकते हैं और नहीं भी।कई बार छात्र-छात्रा सही चुनाव करने का निर्णय नहीं ले पाता परन्तु जब परिणाम (रिजल्ट) सामने आता है तो उसे अपनी भूल का पता चलता है,अतः इस भूल के सुधार के लिए अभी तक यह छूट दी जाती रही है।

प्रश्न:3.बेसिक मैथ वाले कैसे जाने कि वे गणित ले सकते हैं? (How do basic math students know they can take math?):

उत्तर:गणित विषय का चुनाव करते समय अपनी रुचि,सामर्थ्य,योग्यता और आवश्यकताओं पर विचार कर लें और ऊपर दिए गए सुझाव के अनुसार अपना मूल्यांकन करें।अपने संस्कार,अपने विचार और अपने वातावरण पर भी विचार कर लें।एक बार गणित विषय लेने का निर्णय कर लें तो उसमें पारंगत होने के लिए भरपूर प्रयास करें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा 10वीं में बेसिक मैथ के छात्रों के लिए अपडेट (Update for Basic Math Students in 10th),10वीं में बेसिक मैथ लेने वाले 11वीं में ऐच्छिक मैथ ले सकेंगे (Students Who Have Taken Basic Mathematics in Class 10 Will be Able to Take Optional Maths in Class 11) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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