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4 Best Tips for Yoga Nidra

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1.योगनिद्रा की बेहतरीन 4 टिप्स (4 Best Tips for Yoga Nidra),योगनिद्रा की 4 टाॅप टिप्स (4 Top Tips for Sleep Caused by Yogic Meditation):

  • योगनिद्रा की बेहतरीन 4 टिप्स (4 Best Tips for Yoga Nidra) विद्यार्थियों के साथ-साथ जॉब करने वालों,सामान्य व्यक्तियों तथा योग-साधना में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी है।यों निद्रा स्वास्थ्य तथा मानसिक विश्राम का आधार स्तंभ है।भगवान के वरदानों में नींद की व्यवस्था अन्यतम है।किसी को लगातार जगाए रखना अर्थात् न सोने देना दुनिया में प्रचलित क्रूरतम सजाओं में से एक है।कल्पना करें यदि भगवान इस सारी सृष्टि में से केवल नींद को हटा लें तो यह दुनिया कुछ ही दिनों में एक विशाल पागलखाने में परिवर्तित हो जाएगी।
  • थका-मांदा विद्यार्थी अथवा व्यक्ति स्फूर्ति और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए निद्रा की शरण में ही जाता है।प्राणी जगत से लेकर वनस्पति जगत तक सभी प्रकृति द्वारा नियत समय पर निद्रा के शरणागत बन जाते हैं।वस्तुतः हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य निद्रा पर अत्यधिक निर्भर है।
  • इस आर्टिकल में योगनिद्रा के बारे में बताया गया है।यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए तो समाधि का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।छात्र-छात्राओं के लिए योगनिद्रा परम उपयोगी है अतः उनको ध्यान में रखकर इसे लिखा गया है।
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2.बच्चों के लिए योग उपचार कैसे उपयोगी है? (How is Yoga Treatment Useful for Children?):

  • बाल्यावस्था या किशोरावस्था मनुष्य जीवन की वे अवस्थाएं हैं,जिनमें होनेवाले परिवर्तन,घटित होनेवाली घटनाएँ उस बच्चे के ऊपर असर डालती हैं।इस अवस्था में यदि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनमें जीवन जीने के प्रति सही दृष्टिकोण का विकास किया जाए,आने वाले तनाव चुनौतियों से परिचित कराते हुए उनसे निपटने के लिए उचित समाधान बताया जाए,उनके शारीरिक,मानसिक,भावनात्मक व आध्यात्मिक विकास के लिए जरूरी सूत्रों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाए तो निश्चित रूप से उनका जीवन फूल की तरह खिल सकता है।
  • वर्तमान में बच्चों की स्थिति से सभी परिचित हैं।छोटे से बच्चों की जिन मुस्कराहटों को देखकर लोग अपने गमों को भुला देते हैं और उनके साथ बच्चे जैसा बनाकर व्यवहार करते हैं,जब वही बच्चे जिंदगी की बढ़ती राहों पर अपने कदम बढ़ाते हैं तो आनेवाली परेशानियों का सही समाधान न पाने,तनाव झेलने व उचित सहारा न मिल पाने के कारण उनके चेहरे की मुस्कराहट न जाने कहां चली जाती है।
  • हर माता-पिता की अपने बच्चों से बहुत सी अपेक्षाएं होती हैं।वे उन्हें हर क्षेत्र में सफल देखना चाहते हैं।उन्नति के शिखरों को छूते हुए देखना चाहते हैं।अपने जीवन में वे जो नहीं कर पाए,वह अपने बच्चों से पूरा करवाने की चाहत रखते हैं।ये चाहते,अपेक्षाएं बुरी नहीं है,लेकिन यदि बच्चे उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते या कहीं भी असफल होते हैं तो उन्हें तीखी झिड़कियां,ऊलाहने मिलते हैं,जो उनके कोमल मन पर ऐसी अमिट छाप छोड़ देते हैं,जिसे वे पूरी जिंदगी में अपने मन से नहीं मिटा पाते।वहीं उनको मिलने वाले प्यार व दुलार का स्पर्श भावनाओं को पोषण देता है,जो मिलने वाले जख्मों पर मलहम का काम करता है।
  • बच्चे सही मायने में अपना विकास कैसे करें? उनकी मुस्कराहट और कैसे खिले? उनका शारीरिक व मानसिक विकास कैसे अच्छा हो? इन प्रश्नों के समाधान में योगाभ्यासों में एक अभ्यास योगनिद्रा है।इसके अभ्यास से न केवल शारीरिक व मानसिक विकास होता है,अपितु आध्यात्मिक विकास में भी सहायता मिलती है, ऐसा योगाचार्यों का मत है।बच्चों की पढ़ाई में जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है,वह है उनकी स्मृति क्षमता।स्मृति क्षमता जिस बच्चे की जितनी अधिक होती है,वह उतने ही कम प्रयास में अधिक से अधिक चीजें याद कर लेता है और जल्दी सीख लेता है।स्मृति क्षमता के साथ-साथ स्थिरता एवं एकाग्रता का होना जरूरी है,नहीं तो स्मृति तेज होने के बावजूद बच्चे स्थिरता व एकाग्रता के अभाव में कुछ अधिक नहीं सीख पाते।उनका स्वभाव वैसे ही चंचल प्रकृति का होता है।जहां उनका मन करता है,वहीं जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  • अतः इस संदर्भ में प्राणायाम अभ्यासों में एक भ्रामरी प्राणायाम है,जिसके अभ्यास से न केवल स्मृति क्षमता बढ़ती है,बल्कि स्थिरता,एकाग्रता भी बढ़ती है।इसके साथ-साथ ओम उच्चारण का अभ्यास छिपी हुई मानसिक क्षमताओं को उभारने में सहयोग करता है।दिनभर किए गए कार्यों से उत्पन्न शारीरिक्त थकान व मानसिक तनाव को दूर करने के लिए यदि योगनिद्रा का सहारा लिया जाए तो यह न केवल थकान व तनाव को दूर करती है,अपितु नई ऊर्जा से भी भरपूर करती है।
  • अतः भ्रामरी प्राणायाम (6 मिनट),योगनिद्रा (7 मिनट),ओम उच्चारण (5 मिनट) तथा अंत में शांति पाठ का अभ्यास के चमत्कारिक लाभ मिलते हैं।विभिन्न छात्र-छात्राओं का प्रारंभिक परीक्षण से समान अंतिम परीक्षण किया गया तो यह देखा गया कि बच्चों ने प्रारंभिक एवं अंतिम परीक्षण के दौरान मानसिक प्रसन्नता अनुभूति के मध्यमान के मान में 14.31 से 18.11 स्तर की वृद्धि हुई तथा सामान्य बुद्धि के मध्यमान के मान में 124 से 140.23 स्तर की वृद्धि हुई।इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि भ्रामरी प्राणायाम,योगनिद्रा एवं ओम् का उच्चारण के योगाभ्यास से छात्र-छात्राओं की मनोवैज्ञानिक प्रसन्नता-अनुभूति तथा सामान्य बुद्धि में सार्थक वृद्धि हुई।
  • भ्रामरी प्राणायाम करने से एक ओर तो फेफड़े फूलते हैं,जिससे वायुकोशों में प्राणवायु का आदान-प्रदान ठीक प्रकार से हो जाता है तथा डायफ्राम ऊपर-नीचे होने से आमाशय की अच्छी मालिश होती है तो दूसरी ओर इसके गुंजन से मस्तिष्कीय कार्य क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।विभिन्न कार्यों में मस्तिष्क को शांत,स्थिर व एकाग्र करने में भी इस अभ्यास से मदद मिलती है।
  • मस्तिष्क से शरीर के विभिन्न अंग-अवयवों तक नाड़ी-परिपथ बने हुए हैं।जो बाहरी सूचनाओं,संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं तथा मस्तिष्क के आदेशों को अंग-अवयवों तक पहुंचाते हैं।योगनिद्रा के समय व्यक्ति की सभी मांसपेशियों को शिथिल करके सकारात्मक संकल्प के साथ चेतना को काल्पनिक दृश्यों में ले जाया जाता है,जो उसके मन व चेतना के विकास के साथ-साथ वांछित लक्ष्य की पूर्ति में सहयोग करते हैं।
  • इसी तरह ओम् के उच्चारण से निकली तरंगे शरीर की तरंगों से मिलकर शरीर को शक्तिशाली बनाती हैं,मन को एकाग्र करती हैं व ऊर्जावान बनाती हैं।इस प्रकार किए गए उपर्युक्त यौगिक अभ्यास के द्वारा ठीक प्रकार से पाचक रसों का स्राव होता है।प्राणायाम के द्वारा श्वसन क्रिया की सही प्रक्रिया परिचालित होती है।योगनिद्रा व ओम् उच्चारण द्वारा सकारात्मक भावों का विकास मन-मस्तिष्क के लिए धनात्मक परिणाम प्रस्तुत करते हैं तथा शारीरिक व मानसिक क्षमताओं को बढ़ाते हैं,जिससे बच्चे आने वाले तनाव का सही प्रबंधन कर पाने में सक्षम व समर्थ बनते हैं।

3.योगनिद्रा की महत्ता (Importance of Yoga Nidra):

  • जागरण के महत्त्व से तो सभी परिचित हैं।महर्षि  पतंजलि कहते हैं की निद्रा भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।
  • मन की वह वृत्ति जो अपने में किसी विषयवस्तु की अनुपस्थिति पर आधारित होती है,निद्रा कहलाती है।यह निद्रा की सार्थक और यथार्थ परिभाषा है।नींद के अलावा हर समय मन अनेक विषय वस्तुओं से भरा रहता है।भारी भीड़ होती है मन में।विचारों की रेलमपेल,अंतर्द्वंद्वों की धक्का-मुक्की,क्षण-प्रतिक्षण हलचल मचाए रहती है।कभी कोई आकांक्षा अंकुरित होती है तो कभी कोई स्मृति मन के पटल पर अपना रेखाचित्र खींचती है,यदा-कदा कोई भावी कल्पना अपनी बहुरंगी छटा बिखेरती है।हमेशा ही कुछ ना कुछ चलता रहता है।यह सब तभी होता है,जब सोए रहते हैं,गाढ़ी नींद में।मन का स्वरूप और व्यापार मिट जाता है,केवल होते हैं आप अपने क्षुद्रतम रूप में बिना किसी उपाधि और व्याधि के।
  • नींद के कारण बड़े असाधारण और आश्चर्यजनक होते हैं।कोई इन्हें समझ ले और संभाल ले तो बहुत कुछ पाया जा सकता है।ऐसा होने पर साधकों के लिए यह योगनिद्रा बन जाती है,जबकि सिद्धजन इसे समाधि में रूपान्तरित कर लेते हैं।दिन के जागरण में जितनी गहरी साधनाएं होती हैं,उससे कहीं अधिक गहरी और प्रभावोत्पादक साधनाएं रात्रि की नींद में हो सकती हैं।वैदिक संहिताओं में अनेक प्रकरण ऐसे हैं,जिनसे इसका महत्त्व प्रकट होता है।
  • ऋग्वेद के रात्रि सूक्त में कुशिक-सौभर व भारद्वाज ऋषि ने रात्रि की महिमा का बड़ा ही तत्त्वचिंतनपूर्ण गायन किया है।इस सूक्त के 8 मंत्र निद्रा को अपनी साधना बनाने वाले साधकों के लिए नित्य मननीय हैं।इनमें से छठवें मंत्र में ऋषि कहते हैं:हे रात्रिमयी चित्तशक्ति,तुम कृपा करके वासनामयी वृकी तथा पापमय वृक को अलग करो।काम आदि तस्कर समुदाय को भी दूर हटाओ।तदंतर हमारे लिए सुखपूर्वक करने योग्य बन जाओ।मोक्षदायिनी एवं कल्याणकारिणी बन जाओ।
  • ये स्वर हैं उन महासाधकों के,जो निद्रा को अपनी साधना बनाने के लिए साहसपूर्ण कदम बढ़ाते हैं,जड़तापूर्ण तमस और वासनाओं के रजस को शुद्ध सत्व में रूपांतरित करते हैं और निद्रा को आलस्य और विलास की शक्ति के रूप में नहीं,जगन्माता भगवती आदिशक्ति के रूप में अपना प्रणाम निवेदित करते हुए कहते हैं! जो महादेवी सब प्राणियों में निद्रारूप में स्थित है,उनको नमस्कार,उनको नमस्कार,उनको बारंबार नमस्कार है।
  • निरंतर अभ्यास के फलस्वरूप मन के संकल्प-विकल्प शून्य तथा कर्मबंधन के क्षय हो जाने पर योगीजनों में योगनिद्रा का आविर्भाव होता है।
  • त्रिकालातीत विश्व की आद्यावस्था तुरीयावस्था में सर्वकालवादिनी संवित्-स्वरूपिणी निद्रा प्रकाशित होती है,जहां योगी विश्रांति प्राप्त कर विचरण करते हैं।अतः निर्विकल्प स्वरूपिणी उसी निद्रा की आराधना करो।
  • यह आराधना कैसे हो? सोना भी एक कला है।सोते तो प्रायः सभी मनुष्य हैं,परंतु सही कला बहुत कम लोगों को पता है।इसी वजह से वे सही ढंग से आराम भी नहीं कर पाते।ज्यादातर लोग जिंदगी की चिताओं और तनावों का बोझ लिए बिस्तर पर जाते हैं और अपनी परेशानियों की उधेड़बुन में लगे रहते हैं।बिस्तर पर पड़े हुए सोचते-सोचते थक जाते हैं और अर्द्धचेतन अवस्था में सो जाते हैं।इसी वजह से वे सही ढंग से आराम भी नहीं कर पाते।उन्हें खुद भी पता नहीं लगता कि हम सोच रहे हैं या सोने जा रहे हैं।इसी वजह से नींद में मानसिक उलझनें विभिन्न दृश्यों तथा रूपों में स्वप्न बनकर उभरती हैं।इस तरह भले ही शरीर कुछ भी नहीं करता हो,फिर भी मानसिक तनावों के कारण शारीरिक थकान दूर नहीं हो पाती।इस स्थिति से उबरने के लिए जरूरी है कि जब हम सोने के लिए बिस्तर में जाएं तो हमारी शारीरिक एवं मानसिक दशा वैसी ही हो,जैसी की उपासना के आसन पर बैठते समय होती है।यानी कि हाथ-पांव धोकर पवित्र भावदशा में बिछौने पर लेटे।आराम से लेटकर सरस्वती मंत्र का मन-ही-मन उच्चारण करते हुए कम से कम 10 बार गहरी श्वास लें।फिर मन-ही-मन अपने गुरु अथवा इष्ट की छवि का संपूर्ण प्रगाढ़ता से चिंतन करें।अपने मन को धीरे-धीरे किंतु संपूर्ण संकल्प के साथ इष्ट की छवि से भर दें।साथ ही भाव यह रहे कि अपनी संपूर्ण चेतन,प्रत्येक वृत्ति गुरु में विलीन हो रही है।यहां तक कि समूचा अस्तित्व गुरु में खो रहा है।सोचते समय मन को भटकने न दें।मन जब जहाँ जिधर भटके,उसे गुरु की छवि पर ला टिकाएँ।इस तरह करते हुए सो जाएं।
  • इस अभ्यास के परिणाम दो चरणों में प्रकट होंगे।इसमें से पहले चरण में आपके स्वप्न बदलेंगे।सपनों के झरोखे से आपको गुरु की झाँकी मिलेगी।उनके संदेश आपके अंतःकरण में उतरेंगे।इसके दूसरे चरण में योगनिद्रा की स्थिति बनेगी,क्योंकि अभ्यास की जागरूक अवस्था में जब आप नींद में प्रवेश करेंगे तो यह जागरूकता नींद में भी रहेगी।आप एक ऐसी निद्रा का अनुभव करेंगे जिसमें शरीर तो पूरी तरह से विश्राम की अवस्था में होगा,पर मन पूरी तरह से जागरूक बना रहेगा।यही योगनिद्रा है,जिसकी उच्चतर अनुभूति में साधक समाधि का सुख उठाता है।इस भावदशा की अनुभूति आप भी अभ्यास की प्रगाढ़ता में कर सकते हैं।

4.योगनिद्रा कैसे करें? (How to Do Yoga Nidra?):

  • योगनिद्रा को आध्यात्मिक निद्रा भी कहा जा सकता है।योगनिद्रा सोते व जागते हुए करने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मानसिक व शारीरिक विश्रांति का अनुभव कर पाते हैं तथा पुनः ऊर्जावान बन जाते हैं।इसके करने से आप शांति का अनुभव करते हैं।कुछ समय की योगनिद्रा आपकी घंटों की नींद से प्राप्त हुए आराम के समान ही होती है।योगनिद्रा को करने से आप पहले की अपेक्षा अधिक जागरूक,सक्रिय तथा तरोताजा महसूस कर सकते हैं।योगासन करने के बाद आप योगनिद्रा करते हैं तो शरीर थकान रहित हो जाता है।
  • योग निद्रा करने के लिए किसी योग्य योग प्रशिक्षक की सहायता ले सकते हैं।योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में आपको जल्दी तथा अधिक लाभ मिल सकता है परंतु आप स्वयं भी इसे कर सकते हैं।
  • जमीन या फर्श पर चटाई,मेट,दरी या कंबल बिछाकर श्वासन की मुद्रा (पीठ के बल लेटना) में लेट जाएं।एक तरह से योगनिद्रा श्वासन की मुद्रा की तरह होती है।आँखों को बंद करके शुरू में धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें।मन और मस्तिष्क को बिल्कुल शांत,विचारहीन और स्थिर करना होगा।मन में कोई विचार आएं तो उनको कंपनी न दें।मन में विचार आएं तो उनको भगा दें।शुरू-शुरू में मन इधर-उधर भटकता है परंतु धीरे-धीरे अभ्यास से तथा मन को श्वास पर अथवा भ्रू-मध्य पर केंद्रित करने से एकाग्रता सधने लगती है।धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाते हुए इसे आसनों के पश्चात तथा रात्रि की नींद लेते हुए योगनिद्रा को कर सकते हैं।
  • हथेलियां बगल में ऊपर की ओर खुली हुई होनी चाहिए।एड़ियां मिली हुई हो तथा शरीर को बिल्कुल मुर्दे की तरह शिथिल कर देना है।योग निद्रा को 3 मिनट से लेकर घंटों तक किया जा सकता है।योगासन करने से उत्पन्न थकान योगनिद्रा करने से मिट जाती है।ध्यान रहे इसे सभी योगासन करने के अंत में करना है।रात्रि को योगनिद्रा की अवस्था में सोने का अभ्यास करें।धीरे-धीरे अभ्यास करने से योगनिद्रा में आप सिद्धहस्त हो जाएंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में योगनिद्रा की बेहतरीन 4 टिप्स (4 Best Tips for Yoga Nidra),योगनिद्रा की 4 टाॅप टिप्स (4 Top Tips for Sleep Caused by Yogic Meditation) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित शिक्षक के बारे में रिपोर्ट (हास्य-व्यंग्य) (Report About Math Teacher) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक (डॉक्टर से):मेरी रिपोर्ट मेरी भाषा में बोलकर सुनाइए।
  • डाॅक्टर:गणित पढ़ाने का व्यवसाय घोटाले की तरह बढ़ गया है और अब आप छात्र-छात्राओं को उत्तीर्ण होने का झूठा आश्वासन देकर कोचिंग करने के लिए प्रेरित करते हैं।आपका कोचिंग उद्योग घोटाले की तरह बढ़ता जा रहा है।और अब ऐसा लगता है कि आपका दिमाग काम करना बंद कर दिया है इसलिए कोचिंग सेंटरों से आप इस्तीफा देने वाले हैं।

6.योगनिद्रा की बेहतरीन 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Best Tips for Yoga Nidra),योगनिद्रा की 4 टाॅप टिप्स (4 Top Tips for Sleep Caused by Yogic Meditation) संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.शिथिलीकरण से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Relaxation?):

उत्तर:प्रतिदिन योगासन करने तथा रात्रि को विश्राम करते समय योगनिद्रा का अभ्यास करना शिथिलीकरण है।ध्यान रहे योगनिद्रा अथवा श्वासन का अभ्यास योगासन करने के अंत में अथवा रात्रि को सोते समय करना चाहिए।

प्रश्न:2.योगनिद्रा से क्या लाभ है? (What Are the Benefits of Yoganidra?):

उत्तर:(1.)भूतकाल तथा बचपन के पूर्ववर्ती अनुभव व्यक्तित्व की अनेक अंतर्निहित जटिलताओं तथा विचारों को जन्म देते हैं।मन में अनेक ग्रंथियां घर कर जाती हैं। इस अभ्यास से छात्र-छात्राओं तथा व्यक्ति को इन सब जटिलताओं को साक्षीभाव से देखने में सहायता मिलती है।योगनिद्रा से इन ग्रंथियों को खोलने तथा जटिलताओं को सुलझाने में सहायता मिलती है।
(2.)योगनिद्रा के अभ्यास से शरीरस्थ समस्त नाड़ी-जाल प्रभावित होकर सक्रिय बन जाते हैं।मांसपेशियां पुष्ट व दृढ़ हो जाती हैं।संपूर्ण शरीर में रुधिराभिसरण (Blood Circulation) कार्य ठीक रूप में होने लगता है।
(3.)प्राण के वशित्व से शरीर विकास पाता है और दृढ़ बन जाता है।
(4.)योग निद्रा से मस्तिष्क तरोताजा, सक्रिय,जागरूक होता है।मन की एकाग्रता सधती है।छात्र-छात्राओं की स्मरणशक्ति में अप्रत्याशित वृद्धि होती है।स्मरणशक्ति की वृद्धि के लिए भ्रामरी प्राणायाम,योगनिद्रा तथा ओम् का जप करना चाहिए।
(5.)शरीर तनावरहित,शांत तथा मन विकाररहित हो जाता है तथा अवसाद,निराशा,कुंठा से मुक्ति मिलती है।
(6.)योगनिद्रा जाग्रत अवस्था की निद्रा है।अच्छा अभ्यास करने से समाधि के लाभ मिलते हैं।
(7.)शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है।भय,चिंता क्रोध आदि मनोविकारों से मुक्ति मिलती है।योगनिद्रा से मन की एकाग्रता बढ़ती है।छात्र-छात्राओं तथा व्यक्तियों की कार्य क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।यह मन को एकाग्र करने तथा ध्यान करने का सरल उपाय है।
(8.)योगनिद्रा से बुरी आदतें,दुष्प्रवृत्तियां छूट जाती हैं। जीवन अनुशासित होता है।
(9.)योगनिद्रा से शरीर व मस्तिष्क पूर्णतः रिलैक्स हो जाता है।

प्रश्न:3.योगनिद्रा को करने में क्या सावधानी बरतें? (What Precautions Should be Taken While Doing Yoga Nidra?):

उत्तर:(1.)स्वच्छ और हवादार स्थान में,समतल भूमि पर चटाई,दरी,मेट या कंबल बिछाकर करें।
(2.)केवल योगनिद्रा को अपनाकर अन्य आसनों को छोड़ देना बिल्कुल गलत है।इससे शायद शारीरिक शिथिलता साध्य हो जाएगी।लेकिन योग-साधना की ओर सकारात्मक मार्ग-क्रमण नहीं हो सकता।यानी हर रोज के काम और तनाव का बोझ पड़े हुए शरीर के लिए योगनिद्रा के शिथलीकरण के कारण शायद वह उपकारक सिद्ध होगा।लेकिन योग-साधना की दृष्टि से उसका कोई लाभ नहीं होगा।अतः योग के सभी अंगों का पालन करें।
(3.)शरीर पर कम से कम कपड़े तथा ढीले-ढाले वस्त्र धारण करें।
(4.)धूम्रपान एवं गरिष्ठ भोजन बंद कर दें।
(5.)अत्यधिक चिंता से बचें एवं दिनचर्या नियंत्रित कर लें।
(6.)मानसिक एवं भावनात्मक उद्वेग से बचें; क्योंकि ये योगनिद्रा में अवरोधक हैं।
सकारात्मक चिंतन एवं ध्यान,सरस्वती मंत्र के जप आदि से योगनिद्रा में सहायता मिलती है।अतः इनका नियमित अभ्यास करें।इस प्रकार उपर्युक्त अभ्यास एवं संयमित-संतुलित आहार-विहार को अपनाया जाए तो योगनिद्रा से स्थायी रूप से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा योगनिद्रा की बेहतरीन 4 टिप्स (4 Best Tips for Yoga Nidra),योगनिद्रा की 4 टाॅप टिप्स (4 Top Tips for Sleep Caused by Yogic Meditation) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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