Menu

Tips for weak students in mathematics in hindi

1.छात्रों के गणित में कमजोर होने के कारण और समाधान (Tips for weak students in mathematics):

  • छात्रों के गणित में कमजोर होने के कारण और समाधान (Tips for weak students in mathematics) के बारे में बताया गया है ताकि छात्र-छात्राएं गणित में अपनी कमजोरी दूर कर सकें।यह आवश्यक नहीं कि गणित में होशियार छात्र-छात्राएं कमजोर नहीं रह सकते हैं।यदि अध्यापक होशियार छात्र-छात्राओं पर ध्यान न दे तो वे भी कमजोर रह सकते हैं।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें ।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके ।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article-What are the Shortcomings and Suggestions in the Current Mathematics Exams

2.छात्रों के गणित में कमजोर होने के कारण और समाधान (Tips for weak students in mathematics):

  • (1.)कक्षा में तीन स्तर के बालक होते हैं – उच्च, मध्यम व निम्न स्तर। जो छात्र उच्च बुद्धिमान व निम्न स्तर के होते हैं वे कक्षा में पिछड़ जाते हैं क्योंकि उच्च बुद्धिमान छात्र-छात्राओं को उनके अनुरूप अध्ययन हेतु विषय सामग्री नहीं मिलती है। जिससे उनका मन कक्षा में नहीं लगता है, वे सोचते हैं कि शिक्षक जो जो बातें बता रहे हैं वे सब उन्हें आती है परिणामस्वरूप वे पिछड़ने लगते हैं। इसी प्रकार मन्दबुद्धि बालक-बालिकाएं अध्यापक की बातों को इसलिए समझ नहीं पाते हैं क्योंकि उनका मानसिक स्तर निम्न होता है। उनको छोटी-छोटी बातें हल पहलू को समझाने पर ही कुछ समझ में आता है। इसलिए अध्यापक को उच्च बुद्धियुक्त तथा मन्दबुद्धि छात्र-छात्राओं पर व्यक्तिगत ध्यान देकर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति भी करते रहना चाहिए जिससे अध्ययन में उनकी रूचि बनी रहे।
  • (2.)कुछ छात्र-छात्राएं झगड़े, बीमारी, पारिवारिक अशांति, अशिक्षित परिवार, गरीबी, गणित से भय इत्यादि कारणों से अध्ययन में रूचि नहीं लेते हैं। गणित के शिक्षक को छात्र-छात्राओं से औपचारिक सम्बन्ध ही नहीं रखना चाहिए बल्कि अनोपचारिक सम्बन्ध भी बनाने चाहिए और छात्र-छात्राओं की व्यक्तिगत समस्याओं के प्रति सहानुभूति रखकर उसका समाधान करने का प्रयास करना चाहिए अध्यापक को समर्पण व निष्ठापूर्वक अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए क्योंकि व्यक्तिगत समस्याओं को पूर्णतया हल करना अत्यंत कठिन कार्य है, उनका समाधान छात्र-छात्राओं से व्यक्तिगत सम्बन्ध रखकर ही किया जा सकता है।
  • (3.)छात्र-छात्राएं गणित में इसलिए भी कमजोर होते हैं कि उनकी पिछली कक्षाओं की कमजोरी जोड़, गुणा, भाग, बाकी, वर्गमूल, घनमूल, दशमलव संख्याओं के गुणा, भाग, बाकी बाधक होती है। इसके लिए अध्यापक को कमजोर छात्र-छात्राओं को अतिरिक्त कक्षा में उनकी कमजोरी दूर की जानी चाहिए अथवा पाठ्यक्रम के साथ-साथ कुछ पिछली कक्षाओं के अभ्यास भी हल करवाने चाहिए।
  • (4.)कुछ छात्र-छात्राएं कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते हैं जिससे वे कक्षा में पिछड़ जाते हैं। इसके लिए अध्यापक को उसका कारण जानकर उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
  • (5.)कुछ छात्र-छात्राओं की शारीरिक कमजोरी भी गणित सीखने में बाधाएं उपस्थित करती है। ऐसे में गणित के अध्यापक की विशेष जिम्मेदारी होती है, उन्हें नियमित रूप से ध्यान, योग, आसन, प्राणायाम करने हेतु कुछ प्राथमिक जानकारी दी जानी चाहिए ताकि उनकी शारीरिक कमजोरी गणित सीखने में बाधक न बन सके।
  • (6.)वस्तुतः अध्यापक को छात्र-छात्राओं के बारे में निम्न जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया करना चाहिए –
  • (1.)छात्र-छात्राएं किस प्रकार की त्रुटियां करते हैं?
  • (2.)इन त्रुटियों को करने के क्या कारण हैं तथा इनको किस प्रकार दूर किया जा सकता है?
  • (3.)कौनसी त्रुटियों का सम्बन्ध पिछली कक्षाओं से है तथा उनका वर्तमान कक्षा से कितना सम्बन्ध है?
  • (4.)कौनसी त्रुटियाँ बार बार हो रही है?
    (5.)सामूहिक रूप से कौनसी त्रुटियाँ छात्र-छात्राएं सामूहिक रूप से करते हैं जिनका समाधान एक साथ किया जा सकता है तथा कौनसी त्रुटियाँ व्यक्तिगत रूप से करते हैं जिनको व्यक्तिगत स्तर पर दूर किया जा सकता है?

Also Read This Article:Children Who Enjoy Math Come out Ahead,Get High Academic Achievements

3.समाधान(Solution For weak students in mathematics) :-

  • (1.)वस्तुतः गणित विषय के अध्यापक को केवल गणित विषय में ही पारंगत न होकर उसमें चारित्रिक गुण भी होने चाहिए। विनम्रता, दया, करुणा, ईमानदारी, समर्पण, निष्ठा जैसे होने चाहिए तभी वास्तविक रूप से वह छात्र-छात्राओं में गणित की कमजोरी को दूर कर सकेगा।
  • (2.)समय समय मासिक व पाक्षिक टैस्ट भी लेते रहना चाहिए जिससे उनकी कमजोरी दूर होती रहे।
  • (3.)आज की शिक्षा प्रणाली में बोर्ड की परीक्षाएं एक बार ही आयोजित होती है जिसके कारण छात्र-छात्राएं वर्षभर तैयारी नहीं करते हैं। ज्योंही ही परीक्षा निकट आती है, परीक्षा के दिनों में छात्र-छात्राएं रात-रातभर जागकर, भूखे रहकर और सारे खेलकूद छोड़कर परीक्षा में लग जाते हैं। परिणाम यह होता है कि परीक्षार्थी बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए अध्यापक को पूरे वर्ष समय समय पर टैस्ट लेते रहना चाहिए जिससे छात्र-छात्राओं में असफल होने का भय दूर हो जाए।
  • (4.)गणित के अध्यापक को छात्र-छात्राओं को रटने पर जोर न देकर समझकर याद करने पर जोर देना चाहिए।
  • (5.)कुछ छात्र नकल करके पास होने का प्रयास करते हैं। नकल करने से छात्र-छात्राएं कमजोर रह जाते हैं और नकल करते जाने पर पकड़े जाने पर भविष्य भी खराब हो सकता है। यदि छात्र-छात्राओं को शुरू से ही ठीक तरह से तैयारी करवा दी जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी।
  • (6.)अध्यापक को टैस्ट लेते समय केवल गणित के ज्ञान की ही जाँच नहीं करनी चाहिए बल्कि परीक्षार्थी के भाषा, लिखावट व स्वच्छता की जाँच भी करनी चाहिए। 
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्रों के गणित में कमजोर होने के कारण और समाधान (Tips for weak students in mathematics) के बारे में बताया गया है।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *