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Geometric Figures in Maths Education

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1.गणित शिक्षा में ज्यामितीय चित्र (Geometric Figures in Maths Education),गणित शिक्षण में सहायक सामग्रियां (Aids in Mathematics Teaching):

  • गणित शिक्षा में ज्यामितीय चित्रों (Geometric Figures in Maths Education),लेखाचित्र चार्ट आदि का प्रयोग शिक्षक की सहायक सामग्री के अंतर्गत आते हैं।शिक्षा को प्रभावी तथा उत्कृष्ट बनाने के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।सामान्यतः शिक्षण में पाठ्यक्रम,पाठ्यचर्या,अनुदेशन,मूल्यांकन और प्रतिपुष्टि (Feedback) सम्मिलित है।शिक्षा की सभी विमाओं (Dimensions) में शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उपयोग इसकी नियति बन चुकी है।यदि कहें की प्रौद्योगिकी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
  • गणित शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु सामान्यतः रेडियो,ऑडियो,कैसेट्स (श्रव्य),चाॅकबोर्ड,प्रतिरूप,नमूने,ज्यामितीय चित्र,लेखा चित्र एवं सांख्यिकीय चित्र,चार्ट,स्लाइड,फिल्म स्ट्रिप,ट्रांसपेरेंसी,टीचिंग मशीन,कंप्यूटर आदि (दृश्य),फिल्म प्रोजेक्टर,टीवी,वीडियो,कैसेट (श्रव्य-दृश्य) तथा आधुनिक तकनीकी में इंटरनेट,विभिन्न वेबसाइट्स,यूट्यूब वीडियो का न्यूनाधिक उपयोग होता रहा है।इस आर्टिकल में ज्यामितीय चित्र,चित्र,रेखाचित्र आदि के बारे में बताया गया है।
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2.गणित शिक्षण में चित्र (Drawings in Math Teaching):

  • गणित शिक्षण में रेखाचित्रों,स्केचों,नक्शों,चित्रों,ज्यामितीय चित्रों,त्रिविमीय  चित्रों की भूमिका सर्वविदित है।इनके द्वारा विचारों,तथ्यों,आंकड़ों,सिद्धांतों,प्रमेयों,परिभाषाओं आदि को अधिक सरलतापूर्वक समझा जा सकता है।
  • गणित शिक्षण में प्रमुख चित्रों की श्रेणी में ज्यामितीय चित्र और लेखाचित्र आते हैं।अन्य चित्रों में इन्हीं की प्रयुक्ति (Application) है,यथा-स्थिर (Statics),गतिशील (Dynamics) आदि प्रमेयों एवं समस्याओं के समाधान के लिए बनाए जाने वाले चित्र में मेंसुरेशन (mensuration) में भी द्वि-विमीय (Two dimensional) और त्रि-विमीय (Three dimensional) वस्तुओं (objects) की मापों से संबंधित सूत्रों के निरूपण (Derivation formulae) तथा समस्याओं के समाधान में भी ज्यामिति एवं लेखाचित्र के मूल सिद्धांत ही सम्मिलित है।अलग-अलग विषय एवं समस्या और सूत्र निरूपण में इन चित्रों एवं लेखाचित्रों के अलग-अलग कार्य और महत्त्व हैं।गणित शिक्षण में इनके महत्त्व का आकलन इनके अंग्राकित कार्यों के द्वारा स्पष्ट है।

3.ज्यामितीय एवं अन्य चित्रों का महत्त्व (Importance of Geometric and Other Diagrams):

  • (1.)मूल वस्तु का प्रतिनिधित्व (Representation of original object):
    वास्तविक वस्तु जिसको कक्षा में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता,रेखाचित्र इस मूल वस्तु का प्रभावी प्रतिनिधित्व करता है,यथा-कमरे की दी गई मापों के लिए,उसकी दीवारों एवं रंग करने का खर्च ज्ञात करने के लिए,दीवारों का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए उनका रेखाचित्र ही दीवारों का प्रतिनिधित्व करता है।इसी प्रकार त्रिकोणमिति में किसी मीनार,पहाड़ी,नदी आदि को रेखाचित्र द्वारा ही स्पष्ट किया जा सकता है,मूल वस्तु को कक्षा में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।
  • (2.)समस्या में सम्मिलित वस्तुओं/बिंदुओं की सापेक्ष स्थितियों का निर्धारण (Determination of the relative places of different objects):
    गणित की अनेक शाखाओं में वस्तुओं/बिंदुओं की स्थितियों से संबंधित प्रमेयों/समस्याओं के हल के लिए इनको ज्यामितीय चित्रों के द्वारा प्रदर्शित करना जरूरी है,यथा-ऊंचाई और दूरी (Height and distance) से संबंधित प्रमेय और समस्याएं।
  • (3.)सूक्ष्म वस्तुओं की प्रस्तुति (Presentation of abstract objects):
    गणित में सूक्ष्म वस्तुओं का भंडार है।चित्रों के माध्यम से उनकी जटिलता को कम किया जा सकता है।साथ ही इनसे संबंधित प्रश्नों के हल और समस्याओं के समाधान की प्रक्रियाएं भी आसान हो जाती हैं।अनुदेशन में इनको सीखने की प्रभावी स्थिति के सृजन हेतु उपयोग में लाया जाता है,यथा-समुच्चय को वेन आरेखों द्वारा प्रस्तुत करना।इन आरेखों में आयत और बंद वक्र सामान्यतः वृत्त होते हैं।किसी सार्वत्रिक समुच्चय को प्रायः एक आयत द्वारा और उसके उपसमुच्चयों को एक वृत्त द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
  • (4.)आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Data):
    प्रेक्षणों (observations) से प्राप्त आंकड़ों को सहज समझने योग्य बनाने हेतु इनको विभिन्न प्रकार के चित्रों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है,यथा:सांख्यिकीय हिस्टोग्राम (Histogram) आदि।
  • (5.)तुलना को स्पष्ट करना (To make vivid comparison):
  • सजातीय प्रेक्षण समूहों से संबंधित आंकड़ों में चित्रों के द्वारा तुलना आसान,सहज और मूर्त हो जाती है,यथा- विभिन्न प्रकार के लेखाचित्र।
  • (6.)जटिल और वृहद आंकड़ों का संक्षिप्तीकरण (Summarization of large data):
    आंकड़े कितने ही जटिल और बड़े समूह में हों,चित्रों में इनको सूक्ष्म (condensed) स्वरूप प्रदान किया जाता है।इससे आंकड़ों का प्रयोग समझने योग्य हो जाते हैं।
  • (7.)ज्यामितीय प्रमेयों एवं समस्याओं को चित्रों के बिना हल नहीं किया जा सकता।
  • (8.)गणित की विभिन्न शाखाओं,यथा-निर्देशांक ज्यामिति (coordinate geometry),त्रिकोणमिति (Trigonometry),विश्लेषण (analysis),हाइड्रोस्टेटिक्स (Hydro statics),हाइड्रो डाइनाॅमिक्स (Hydro Dynamics) आदि में चित्रों की भूमिका से सभी परिचित है।
  • (9.)वास्तविक वस्तु,प्रतिरूप,फोटो आदि उपलब्ध न हों,तो वस्तु का प्रतिनिधित्व उसका चित्र ही करता है।
  • (10.)ये कथनों एवं अंकों की अपेक्षा आकर्षक और सहज रूप में बोधगम्य होते हैं।
  • (11.)विषयवस्तु के प्रस्तुतीकरण और उसके अधिगम में समय और श्रम दोनों की बचत होती है।इस प्रकार अनुदेशन अधिगम को प्रभावी (effective) और दक्ष (Efficient) बताते हैं।

4.चार्ट के प्रकार और अन्य बातें (Types of Charts and Other Considerations):

  • प्रमुख रूप से टाइम,मुक्त (free),फ्लोर (flow-organizational) तुलना और विपर्यास (comparison and contrast) चार प्रकार के चार्ट हैं।समय सारणियाँ,पंचांग (calender) टाइम चार्ट के उदाहरण हैं।मुक्त चार्ट के अंतर्गत ऐसे चार्ट आते हैं जैसे की गणित को एक वृक्ष के रूप में प्रदर्शित कर उसकी विभिन्न शाखाओं को वृक्ष की शाखाओं में दर्शाया जाय।इस वृक्ष में पत्तों के रूप में गणित की उस शाखा की विषयवस्तु को समूहों में प्रस्तुत किया जाय।गणित प्रोग्राम की प्रस्तुति अभिक्रमित अधिगम (programmed learning) के रेखाचित्र फ्लो-चार्ट के उदाहरण हैं।
  • तुलना और वैषम्य चार्ट में दो या अधिक नमूनों (samples) से प्राप्त आंकिक आंकड़े की प्रस्तुति से उनकी परस्पर तुलना/विषमता प्रदर्शित की जाती है।चार्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीयाँ इस प्रकार हैं: ड्राइंग शीट,पेंसिल,रबर,स्केच,पैन,ज्यामितीय बॉक्स,पोस्टर कलर पारदर्शी रंग,वाटर कलर,ब्रश (1,3,5,7,10) रंगीन और प्रिंटेड कागज।
  • लेखाचित्र द्वारा बड़े आंकिक आंकड़ों को संक्षिप्त रूप में अधिक से अधिक स्पष्टता,सरलता एवं समय की मितव्ययता से प्रस्तुत किया जाता है।इसमें विहंगम दृष्टि से आंकड़ों को समझने और परस्पर तुलना करने का स्वाभाविक गुण है।ये रेखा (line),दंड (bar),वक्र (curve),चित्रमय (pictorial),पाई (pie) संवर्गों में रखे गए हैं।

5.चित्रों को प्रदर्शित करने में ध्यान रखने योग्य बातें (Things to Keep in Mind While Displaying Pictures):

  • (1.)चित्र का आकार ऐसा होना चाहिए ताकि वह कक्षा में सभी छात्र-छात्राओं को दिखाई दे सके।
  • (2.)चित्र स्पष्ट तथा चमकीले रंगों से बनाने चाहिए।
  • (3.)चित्रों को कक्षा में प्रदर्शन हेतु उचित स्थान होना चाहिए।
  • (4.)दिखाई जाने वाली वस्तु,आकृति या रंग में वास्तविक वस्तु के अनुपात में बराबर होनी चाहिए।
  • (5.)चित्रों को सही प्रकार से बनाना चाहिए।
  • (6.)चित्रों के द्वारा तथ्य सही रूप से स्पष्ट होना चाहिए।
  • (7.)एक चित्र से एक ही तथ्य का निरूपण किया जाए।
  • (8.)चित्र विषयवस्तु को सुबोध एवं सरल बनाने में सहायक हो।
  • (9.)इनको सही ढंग से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
  • (10.)छात्र-छात्राओं को भी उत्तरपुस्तिका में जहां आवश्यक हो वहाँ चित्र का निर्माण करना चाहिए।चित्र बनाने का निर्देश हो वहां तो चित्र बनाना ही चाहिए परंतु यदि आपको लगता है कि किसी भी विषयवस्तु को चित्र के द्वारा अधिक स्पष्ट किया जा सकता है तो वहां भी चित्र बनाना चाहिए।चित्रों के द्वारा दिए गए उत्तर ठीक से समझ में आ जाता है और आपको अंक प्राप्त करने में भी मदद मिलती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित शिक्षा में ज्यामितीय चित्र (Geometric Figures in Maths Education),गणित शिक्षण में सहायक सामग्रियां (Aids in Mathematics Teaching) के बारे में बताया गया है।

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6.शिक्षक और पहलवान में कौन बड़ा है? (हास्य-व्यंग्य) (Who is Elder Between Teacher and Wrestler?) (Humour-Satire):

  • शिक्षक:शिक्षक और पहलवान में कौन बड़ा है?
  • छात्र:जी,पहलवान।
  • शिक्षक:बेवकूफ बुद्धि तो शिक्षक में अधिक होती है।
  • छात्र:तो क्या हुआ सर,आप एक शिक्षक से और पहलवान से बारी-बारी से घूँसा खाकर तो देखिए।

7.गणित शिक्षा में ज्यामितीय चित्र (Frequently Asked Questions Related to Geometric Figures in Maths Education),गणित शिक्षण में सहायक सामग्रियां (Aids in Mathematics Teaching) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.चित्र बनाते समय क्या सावधानी रखें? (What to Be Careful About When Drawing a Picture?):

उत्तर:(1.)शिक्षण के समय बोर्ड पर अधिक समय चित्र,रेखाचित्र अथवा स्केच बनाने में व्यतीत नहीं करना चाहिए।जितना संभव हो शिक्षक को लेखन एवं चित्रांकन में समय की बचत करनी चाहिए।इससे पठन समय में वृद्धि के फलस्वरूप विद्यार्थियों द्वारा अनुशासनहीनता की आशंका से बचा जा सकता है।
(2.)बॉर्ड पर लिखे गए अक्षर (letters),रेखाचित्र (diagram),स्केच (sketch),अंक (digits) आदि का आकार इतना बड़ा होना चाहिए कि विद्यार्थी को इसे भलीभाँति पढ़ सके।बोर्ड पर एक साथ अनेक रेखाचित्र दर्शाने से विशिष्टता के तत्त्व का लोप हो जाता है,इसके लिए रंगीन चाॅकों का उपयोग किया जाए। साथ ही इन चित्रों को नामांकित (lebelling) भी किया जाना चाहिए।

प्रश्न:2.चित्र बनाने में समय की बचत कैसे करें? (How to Save Time Making Drawings?):

उत्तर:शिक्षण में यदि कोई जटिल चित्रांकन करना है तो उसे पहले ही बोर्ड पर बना दिया जाए तथा उसे प्रश्नकाल के समय इसको उलटकर दीर्घा की ओर कर दिया जाय,जिससे कि अन्य शिक्षक दूसरी सतह का उपयोग कर सकें।आजकल इस कार्य के लिए लपेटफलक का उपयोग अधिक सुविधाजनक और आसान है।

प्रश्न:3.गणित में चित्र का छात्र पर क्या प्रभाव पड़ता है? (What Effect Does the Picture Have on the Student in Mathematics?):

उत्तर:प्रत्येक अध्यापक के समक्ष आज यह समस्या है कि तथ्यों को इस प्रकार कैसे प्रस्तुत किया जाए जिससे छात्र स्वयं लालायित होकर उनको समझें।हम एक घिसा-पिटा कथन जल्दी ही भूल जाते हैं।स्पष्ट डायग्राम लंबे समय तक याद रहता है।इतिहास की कोई पुस्तक पढ़ने तथा इतिहास की कोई फिल्म देखने में अंतर होता है।फिल्म के माध्यम से हम घटनाओं को आत्मसात करते हैं तथा इन्हें अधिक समय तक याद भी रखते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित शिक्षा में ज्यामितीय चित्र (Geometric Figures in Maths Education),गणित शिक्षण में सहायक सामग्रियां (Aids in Mathematics Teaching) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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