Be Expert in Vocational Communication
1.व्यावसायिक संप्रेषण में कुशल बनें (Be Expert in Vocational Communication),व्यावसायिक सम्प्रेषण में कुशल कैसे बनें? (How to Become Proficient in Professional Communication?):
- व्यावसायिक संप्रेषण में कुशल बनें (Be Expert in Vocational Communication) क्योंकि संप्रेषण कुशलता की अधिकाधिक आवश्यकता साक्षात्कार (interview),समूह चर्चा (Group Discussion),जन-सम्बोधन (Public Speaking) इत्यादि के लिए होती है।संप्रेषण के सभी माध्यमों का कुशलता से प्रयोग करते हुए और अपने संप्रेषण को नियंत्रण में रखते हुए इन सभी से अधिकतम लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
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2.साक्षात्कार में संप्रेषण कुशलता (Communication Skills in Interviews):
- वर्तमान व्यावसायिक जगत में साक्षात्कार जाॅब पाने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी माना जाता है।बहुत बार यह देखा गया है कि या तो आवेदनकर्ता (Applicant) साक्षात्कार के लिए बहुत गंभीर हो जाता है या फिर वह साक्षात्कार को बहुत हल्के में लेता है और ये दोनों बातें ही उसके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं।चूँकि यह लेख संप्रेषण के विषय में है तो हम यहाँ केवल साक्षात्कार में संप्रेषण के महत्त्व की चर्चा करेंगे।साक्षात्कार में न केवल शब्दों के प्रयोग का विशेष महत्त्व है,अपितु आपकी बॉडी लैंग्वेज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।किसी भी उम्मीदवार को साक्षात्कार का सामना करते हुए निम्न तैयारियां पहले ही कर लेनी चाहिए:
- (1.)अपना संक्षिप्त (Brief) एवं विस्तृत (Detailed) परिचय:लगभग हर साक्षात्कार में आपसे सबसे पहले यही पूछा जाता है।इसमें प्रयास करें कि किसी एक विषय पर अधिक न बोलें जैसे:नाम,स्थान,परिवार,आपकी योग्यता,विशेष उल्लेख (आपकी हाॅबी,पुरस्कार आदि) इन सब पर थोड़ा-थोड़ा बोलें।उस विषय के बारे में थोड़ा अधिक बोल सकते हैं जो इस जॉब को पाने के लिए उपयोगी है।
- (2.)कुछ ऐसे प्रश्नों के उत्तर जिनके पूछे जाने की बहुत अधिक संभावना है:जैसे आप इस जॉब के लिए कैसे एक योग्य उम्मीदवार हैं? आपकी वो मुख्य शक्तियां (strength) क्या हैं जो कंपनी के काम आ सकती हैं? आपने अपने कार्यानुभव में क्या सीखा? आप पुरानी कंपनी को क्यों छोड़ना चाहते हैं? आप 5 या 10 वर्ष बाद स्वयं को कहां देखने हैं? यदि आपका चयन किया जाता है तो क्या आप तुरंत ज्वाइन कर लेंगे? आप यहां कैसे रहेंगे और आप कितने वेतन की उम्मीद रखते हैं?
इन तैयारियों के साथ यदि आप एक साक्षात्कार में प्रवेश करते हैं तो आपका संप्रेषण बहुत प्रभावशाली होगा।
- (3.)प्रश्नों के उत्तर कैसे दें?:हर प्रश्न को ध्यान से सुनें। प्रश्नों के उत्तर देते समय सटीक रहें,इधर-उधर न भटकें,एक ही चीज पर न अटके रहें।साक्षात्कार पैनल के सभी लोगों से आई-कांटेक्ट (eye contact) करते हुए उत्तर दें।कभी भी किसी प्रश्न के विषय में जिद्द ना करें,अपने ज्ञान का घमंड ना दिखाएं।हां! यदि आपको लगता है कि किसी चीज का विशेष रूप से उल्लेख करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है तो बहुत ही विनम्रता के साथ आप यह बता सकते हैं।
- (4.)शारीरिक भाषा (Body Language):साक्षात्कार में शारीरिक भाषा का बहुत महत्त्व है।संप्रेषण में हम इसे Non-verbal communication कहते हैं,अर्थात् बिना शब्दों के बातचीत।साक्षात्कार में आपको न तो बहुत ही उदास और गम्भीर रहना है और न ही बहुत प्रसन्न और लापरवाह।चेहरे पर एक शांत भाव और होठों पर हल्की-सी मुस्कान साक्षात्कार के लिए एक आवश्यक शारीरिक भाषा है।आपके साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करने का ढंग,बैठने और उठने का ढंग आदि सब ऐसे हों कि उनमें सादगी और साक्षात्कारकर्ताओं के लिए सम्मान झलके।आपकी ढीठता (Arrogance) किसी भी समय आपके चयन के अवसर शून्य कर सकती है।
3.समूह चर्चा में सम्प्रेषण कुशलता (Communication Skills in Group Discussion):
- प्रबंध और तकनीकी शिक्षा में विद्यार्थियों के लिए समूह चर्चा का बहुत महत्त्व है।आज एम.बी.ए. के पाठ्यक्रम में प्रवेश और व्यावसायिक जगत में चयन के लिए समूह चर्चा एक आवश्यक पड़ाव है।कंपनियों में भी किसी विषय के बारे में अक्सर समूह चर्चा कराई जाती है,खुलकर सभी के लिए विचार जानने के लिए।समूह चर्चा के लिए प्रतिभागियों को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- (1.)केवल स्वयं ही न बोलते रहें दूसरों को भी बोलने का अवसर दें।
- (2.)संतुलित बोलें,बिल्कुल चुप भी न बैठे रहें और चर्चा को किसी परिणाम तक पहुंचने में अपना योगदान दें।
- (3.)चर्चा जब कभी भी भटके तो उसे सही रास्ते पर डालें-ऐसा करने से आपको अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
- (4.)कुछ लोग अतार्किक (illogical) बातों को चिल्ला-चिल्लाकर कहने को समूह चर्चा में अच्छा मानते हैं,परन्तु यह उनके ज्ञान की कमी को दर्शाता है।चिल्लाकर बोलना आपके लिए नकारात्मक (negative) भी हो सकता है।
- (5.)समूह चर्चा को कभी भी वाद-विवाद (debate) न बनाएं।
- (6.)किसी भी प्रतिभागी की बात काटते समय अपमानजन शब्दों का प्रयोग न करें,उसे नीचा दिखाने का प्रयास न करें,अपितु तार्किक (logical) ढंग से अपनी बात के महत्त्व को समझाएं।
- (7.)हमेशा परिणाम केंद्रित रहें और चर्चा से कुछ निष्कर्ष निकालने का प्रयत्न करें।
- (8.)अच्छे और मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें।आपकी भाषा आपके ज्ञान का आईना होती है।आपके शब्दों से पता चलता है कि आप किस प्रकार के व्यक्तित्व के धनी हैं,यह कुशलता आपको दीर्घकाल में बहुत लाभ देती है।
4.जन-सम्बोधन में संप्रेषण कुशलता (Communication Skills in Public Speaking):
- ‘पब्लिक स्पीकिंग’ बातचीत की सबसे कठिन शैली मानी जाती है।आपने बहुत से लोगों में मंच का डर (stage fear) देखा होगा।मंच पर आपने बहुत से लोगों के पाँव कांपते हुए देखे होंगे।कुछ लोग बैठकों,समूह चर्चा और साक्षात्कार में अच्छा बोल लेते हैं,लेकिन पब्लिक स्पीकिंग के लिए मंच पर चढ़ते ही उनकी आवाज और पैर कांपने लगते हैं।वे वक्तव्य भूलने लगते हैं,सही शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाते और अंततः हंसी का पात्र बन जाते हैं।संप्रेषण में पब्लिक स्पीकिंग को हर किसी के लिए कभी भी आवश्यक नहीं समझा गया,परंतु आज के प्रतियोगी युग में गुण आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है।
- हालांकि श्रोताओं में बैठे लोगों की संख्या के आधार पर पब्लिक स्पीकिंग की कोई परिभाषा नहीं है परंतु ‘जहाँ आपको मंच पर आकर या एक समूह के सामने आपके अपने विचार उन्हें समझाने हों,उसे हम पब्लिक स्पीकिंग कह सकते हैं।’ मंच पर आकर लोगों को प्रभावशाली ढंग से संबोधित करने के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएः
(1.)वक्तव्य से पहले (Before the uttered):
- (1.)किसी ऐसे विषय पर वक्तव्य के लिए ‘हाँ’ न करें या प्रयास न करें जो आपके अपने क्षेत्र या ज्ञान के दायरे से बाहर हो।
- (2.)अपने वक्तव्य का विषय,श्रोताओं की संख्या,मुख्य अतिथि,विशेष अतिथि,अन्य वक्ताओं एवं कार्यक्रम के आयोजक के विषय में भली-भाँति जान लें।
- (3.)श्रोताओं के विषय में भी कुछ बातें आपके लिए आवश्यक है जैसे:वो किस भाषा में आपका वक्तव्य सुनना पसंद करेंगे,वो किस क्षेत्र से संबंध रखते हैं,कितने शिक्षक हैं इत्यादि।
(2.)कार्यक्रम के समय (Timings of the event):
- (1.)जब आप वक्तव्य के लिए बैठे हों या श्रोताओं में अग्रिम पंक्ति में बैठकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहें हों तो कार्यक्रम के विषय,प्रस्तोता (Anchor) की टिप्पणियों और अन्य वक्ताओं को ध्यान से सुनें,इससे आपको अपने वक्तव्य के लिए बढ़िया सामग्री तो मिलेगी ही आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।आप महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को नोट भी कर सकते हैं।
- (2.)जब अन्य वक्ता बोल रहे हों तो सभागार से बाहर जाकर गप्पे ना लगाएं कि कहीं ऐसा ना हो जो बात आप कहना चाहते हैं वह अन्य कोई वक्ता आपसे पहले कह दे और आपका वक्तव्य प्रभावहीन हो जाए।
- (3.)सभागार में अन्य वक्ताओं को सुनते समय अपने मोबाइल,किसी पत्रिका या बातचीत में व्यस्त ना रहें,यह उस समय बोल रहे वक्ता का अपमान होगा।
(3.)अपने वक्तव्य के समय (At the time of your uttered):
- सम्प्रेषण के सामान्य नियमों का पालन करें,जैसे:भाषा की मधुरता,किसी के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न करना,विषय से न भटकना इत्यादि।
- (2.)श्रोताओं एवं अन्य वक्ताओं,सभी से निरंतर दृष्टि संपर्क (eye contact) बनाएं।
- (3.)समय का विशेष ध्यान रखें।निर्धारित समय से बहुत अधिक समय लेकर आयोजकों के लिए समस्या खड़ी ना करें।कई बार हम भाषण की निरंतरता में समय को भूल जाते हैं,क्योंकि हमारे पास बोलने के लिए बहुत अधिक होता है,लेकिन अधिक बोलने से अच्छा है हम महत्त्वपूर्ण बातों को कम समय में बोलकर अपनी दक्षता का परिचय दें।
- (4.)समय प्रबंधन के लिए हम अपनी कलाई घड़ी (wrist watch) या मोबाइल फोन का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- (5.)भावनाओं पर नियंत्रण रखें और बिना तथ्य के किसी भी चीज के अच्छे या बुरे होने का दावा न करें।
- (6.)आलोचना से बचें,लेकिन तथ्य के साथ बात करने से ना चूके जो उस विषय के लिए महत्त्वपूर्ण हो।
- (7.)उन वक्ताओं की प्रशंसा अवश्य करें या प्रोत्साहन दें जिन्होंने अच्छी बात कही हो।
(4.)वक्तव्य के बाद (After the uttered):
- अपने वक्तव्य के बाद आप पूरी तरह तनावमुक्त हो जाते हैं।ऐसी स्थिति में भी आप बाकी बचे हुए वक्ताओं को सुनें,यह बहुत महत्त्वपूर्ण है।कुछ लोग अपने वक्तव्य के बाद इधर-उधर खिसक जाते हैं परंतु यह मर्यादा की श्रेणी में नहीं आता।आप सोचिए यदि ऐसा सभी वक्ता करेंगे तो अंतिम वक्ता लगभग उत्साहीन हो जाएगा। कार्यक्रम के अंत तक रुके और आयोजकों को धन्यवाद और कार्यक्रम की सफलता पर बधाई दें।
(5.)किसी की प्रशंसा कैसे करें? (How to praise someone?):
- हर किसी का तारीफ करने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग बहुत खुलकर प्रशंसा करते हैं तो कुछ लोग केवल ‘बहुत अच्छा’ या धीरे से ‘शाबाश’ कहकर प्रशंसा करते हैं।आप जब भी किसी की प्रशंसा करें,केवल सच्ची प्रशंसा करें,अन्यथा प्रशंसित व्यक्ति या अन्य लोग इसे महज एक ‘औपचारिकता’ समझ सकते हैं।उसके गुणों,गतिविधियों और उपलब्धियों के आधार पर और उनको याद दिलाते हुए प्रशंसा करें।यदि आप किसी वक्ता की प्रशंसा करना चाहते हैं तो उसने जो अपने भाषण में बोला है उस विषयवस्तु का कोई वाक्य/वाक्यांश या उदाहरण बताते हुए उसकी प्रशंसा करें ताकि उसे लगे कि आपने सचमुच उसके भाषण को सुना है।किसी के ड्रेस (पोशाक/वेशभूषा) की प्रशंसा करनी हो तो आप शर्ट,पैंट या सूट के रंग की प्रशंसा कर सकते हैं।जब हम किसी की प्रशंसा सामान्य रूप से ना करके किसी विशेष गुण पर ध्यान दिलाते हुए करते हैं तो वह अधिक प्रभावशाली होती है और केवल औपचारिकता नहीं लगती।
- अधिक प्रशंसा करने से हमें बचना चाहिए।कई बार हम किसी के व्यक्तित्व या उसके गुणों से इतने प्रभावित होते हैं कि हम हर महफिल में,हर जगह,कार्यक्षेत्र आदि पर जहां भी वो मिलता है उसकी प्रशंसा के पुल बांधना प्रारंभ कर देते हैं।हालांकि हम ऐसा दिल से करते हैं और उसके पीछे कोई अन्य भावना नहीं होती परंतु दूसरे लोग या प्रशंसित व्यक्ति उसे ‘चमचागिरी’ समझ लेते हैं,इसलिए किसी की भी आवश्यकता से अधिक प्रशंसा करने से बचना चाहिए।
5.प्रभावशाली संप्रेषण कैसे बनाएं? (How to create effective communication?):
- विषय वस्तु के बिना कोई प्रस्तुति हो ही नहीं सकती।विषय वस्तु के लिए अधिकाधिक स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए जैसे:इंटरनेट,पुस्तकें,पत्र-पत्रिकाएं इत्यादि।किसी एक ही स्रोत के आधार पर विषय वस्तु को तैयार न करें।
- इंटरनेट से सामग्री लेते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि वह सामग्री आप किसी विश्वसनीय वेबसाइट से ले रहे हैं,क्योंकि आजकल बहुत-सी वेबसाइट और ब्लॉग ऐसे हैं जिन पर चर्चा करके लोग खाली समय व्यतीत करते हैं।ऐसी जानकारी की विश्वसनीयता संदिग्ध (doubtful) होती है।
- प्रस्तुति मुख्य विषय पर बिल्कुल केंद्रित होनी चाहिए। आप प्रारंभ में क्रमानुसार संप्रेषण की विषय सूची बना सकते हैं जिससे सुनने वाले को स्पष्ट हो जाए कि इस प्रस्तुति में क्या-क्या सुनने वाले हैं?
- जहां भी आवश्यक हो आंकड़ों,उक्तियों,मुहावरों का प्रयोग अवश्य करें,इससे प्रस्तुति अधिक प्रभावशाली बन जाती है।जब आप किसी जानकारी के लिए संदर्भ प्रस्तुत नहीं करते तो उस जानकारी पर विश्वास करना कठिन हो जाता है।
- संप्रेषण की मुख्य विषय वस्तु को समय के आधार पर सीमित रखें।संप्रेषण में प्रस्तुतकर्ता सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे विषय वस्तु को रट लेते हैं और हूबहू बोलना प्रारंभ कर देते हैं।यह संप्रेषण करने का सबसे बुरा ढंग है।विषय वस्तु संप्रेषक की मदद के लिए है परंतु विषय वस्तु को ज्यों का त्यों कहना,बोल देना कतई सही नहीं है।
- वस्तुतः संप्रेषण की कला एक दिन में नहीं सीखी जा सकती है बल्कि इसके लिए सतत अभ्यास करना पड़ता है।परंतु हमें इसकी आवश्यकता का अनुभव साक्षात्कार,समूह चर्चा आदि के समय ही होती है,तब हमें संप्रेषण का महत्त्व समझ में आता है।
- अतः विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों,वार्षिकोत्सव या जयन्तियों आदि के समय जब भी मौके मिले अपनी संप्रेषण की कला का उपयोग करना चाहिए और इसे विकसित करना चाहिए।अक्सर हम झिझक,शर्म,संकोच आदि के कारण ऐसे मौकों का फायदा नहीं उठा पाते हैं और इन अवसरों को खो देते हैं।जब जरूरत होती है तो फिर कोचिंग के द्वारा,मित्रों के द्वारा डिस्कस करके इसे इंप्रूव करने का प्रयास करते हैं।
- कई विद्यार्थियों को देखा होगा की बहुत अधिक बोलते हैं परंतु बोलने में गलती नहीं करते,लेकिन कुछ विद्यार्थी बहुत कम बोलते हैं परंतु वे जब भी मुंह खोलते हैं तो उनके मुंह से कुछ ना कुछ ऊटपटांग ही सुनने को मिलता है या वे ढंग से बोल नहीं पाते हैं।कारण स्पष्ट है कि जो धाराप्रवाह बिना गलती के बोलते हैं वे शुरू से ही संप्रेषण का अभ्यास करते हैं परंतु कुछ विद्यार्थी इसे अनावश्यक समझते हैं।
- यदि आप एम्प्लाॅई हैं तो अपने जूनियर से या अपने बॉस से बात करते समय ध्यान रखें कि किससे बात कर रहे हैं और किस तरह बात करें।हमें अपने शब्दों,बॉडी लैंग्वेज और लहजे का चयन उसी हिसाब से करना होगा।
- साक्षात्कार और समूह में चर्चा जैसी परीक्षाओं में विशेष रूप से सावधान रहे,क्योंकि अक्सर जोश में वे ऐसी बात बोल जाते हैं जिस पर सफाई देना तो मुश्किल हो ही जाता है अपितु आप परीक्षा में चयन होने से वंचित भी हो जाते हैं।इनमें की गई जरा-सी लापरवाही भी आपके लिए परेशानी और असफलता का कारण बन सकती है।प्राध्यापक संप्रेषण कला में बहुत माहिर होते हैं क्योंकि उन्हें रोजाना छात्र-छात्राओं के समक्ष खड़े होकर बोलना ही नहीं होता है बल्कि टॉपिक को ठीक से समझाना भी होता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में व्यावसायिक संप्रेषण में कुशल बनें (Be Expert in Vocational Communication),व्यावसायिक सम्प्रेषण में कुशल कैसे बनें? (How to Become Proficient in Professional Communication?) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:Career in Telecommunication in 2021-22
6.क्या कर रहे हों? (हास्य-व्यंग्य) (What Are You Doing?) (Humour-Satire):
- पहला छात्र (दूसरे छात्र से):क्या कर रहे हो?
- दूसरा छात्र:बोलने का रिहर्सल कर रहा हूं।
- पहला छात्र:परंतु तुम तो हिचकियाँ ले रहे हो और ऐसा लग रहा है हड़बड़ा भी रहे हो।
- दूसरा छात्र:क्या करूं जल्दी ही इंटरव्यू की तारीख निकट आती जा रही है,घबराहट हो रही है।इसलिए जल्दबाजी में ऐसा ही हो रहा है,पहले तैयारी की नहीं।
7.व्यावसायिक संप्रेषण में कुशल बनें (Frequently Asked Questions Related to Be Expert in Vocational Communication),व्यावसायिक सम्प्रेषण में कुशल कैसे बनें? (How to Become Proficient in Professional Communication?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.संप्रेषण में क्या महत्त्वपूर्ण है? (What is important in communication?):
उत्तर:अपने आप पर आत्मविश्वास करना और सतत अभ्यास करना तथा लगातार सुधार करते रहना।
प्रश्न:2.संप्रेषण का क्या महत्व है? (What is the importance of communication?):
उत्तर:छात्र-छात्राओं के लिए विभिन्न साक्षात्कार और ग्रुप चर्चा तथा प्रजेन्टेशन में अत्यधिक महत्त्व है।कुछ छात्र-छात्राएँ संप्रेषण को लापरवाही से लेते हैं जबकि कैरियर निर्माण तथा जाॅब करने में संप्रेषण नींव का पत्थर साबित होता है,तरक्की के रास्ते खुलते हैं।
प्रश्न:3.संप्रेषण की तैयारी कैसे करें? (How to prepare for communication?):
उत्तर:विषय वस्तु को तैयार करके उसे समझें और हृदयंगम कर लें तथा दर्पण के सामने खड़े होकर बोलें।अपने मित्रों के साथ बातचीत करते हुए इसे विकसित करने का प्रयास करते रहें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा व्यावसायिक संप्रेषण में कुशल बनें (Be Expert in Vocational Communication),व्यावसायिक सम्प्रेषण में कुशल कैसे बनें? (How to Become Proficient in Professional Communication?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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