10 Spells to Improve Leadership Skills
1.नेतृत्व कौशल को इंप्रूव करने के 10 मंत्र (10 Spells to Improve Leadership Skills),लीडरशिप स्किल को इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Leadership Skills?):
- नेतृत्व कौशल को इंप्रूव करने के 10 मंत्र (10 Spells to Improve Leadership Skills) के आधार पर आप जान सकेंगे कि लीडरशिप का गुण आपके लिए महत्वपूर्ण क्यों है और इसे विकसित करने के लिए क्या-क्या फंडे हो सकते हैं।लीडरशिप की आवश्यकता इंटरव्यू में,किसी व्यावसायिक व गैर-व्यावसायिक मीटिंग के दौरान,टीमवर्क के दौरान तथा स्वयं का स्टार्टअप खड़ा करने आदि के दौरान जरूरत पड़ती है।
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2.चुनिंदा सदस्यों की बातें ध्यान से सुनें (Listen carefully to select people):
- करियर में ग्रोथ करने,टीम को आगे बढ़ाने के लिए,इंटरव्यू के दौरान ग्रुप डिस्कशन में लीडरशिप का गुण होने की जरूरत होती है।टीमवर्क में जब बहुत अधिक मेंबर्स हों तो सबकी बात नहीं सुनी जा सकती है क्योंकि इतना समय नहीं होता है।परंतु जो सदस्य काम के पारखी हैं,जिनको जॉब के बारे में गहरा ज्ञान व अनुभव है,ऐसे सदस्यों की बात को ध्यान से सुनें।लीडरशिप का तात्पर्य यह नहीं है कि आप अपनी हाँकते रहें और दूसरों की ना सुनें।लीडर से अधिक अनुभवी टीम का कोई सदस्य भी हो सकता है।
- किसी भी टीम के मेंबर को कार्य करने में कोई अड़चन या समस्या आ रही हो तो उसे सुने और विचार-विमर्श करके उसका समाधान बताएं।किसी भी कंपनी को नेतृत्व क्षमता वाला एम्प्लाॅई मिलना मुश्किल होता है।अन्य गुणों से युक्त लीडर तो मिल जाएंगे परंतु लीडरशिप क्वालिटी वाला एम्प्लॉई बड़ी मुश्किल से मिलता है।यदि आप अपना खुद का स्टार्टअप भी खड़ा कर रहे हैं तो उसके लिए भी लीडरशिप का गुण होना जरूरी है।
- अक्सर कंपनी जिसे टीम का नेतृत्व करने को देती है तो वह पक्षपात करने वाला नेता,नेता की झूठी प्रशंसा करने वाले का पक्ष लेने लग जाता है तो नेता टीम को आगे नहीं बढ़ा सकता है।नेता को निष्पक्ष रहकर गुणवत्तापूर्ण सुझाव देने वाले मेंबर की बात को अवश्य सुनना चाहिए।टीम मेंबर्स के गुणों को पहचानें और उनकी क्षमता का सही सदुपयोग करें।सबकी बात सुनने के बाद अपनी बात स्पष्टता के साथ कहें और टीम को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें।आपकी आवाज स्पष्ट,बुलंद हों और भाषा में विनम्रता होनी चाहिए।टीम मेंबर्स में आपस में मनमुटाव की स्थिति पैदा न होने दें।जिस सदस्य की बात आपने मानी है उसके पक्ष में तर्क,तथ्य और प्रमाण प्रस्तुत करें ताकि अन्य सदस्य जिसकी बात नहीं मानी गई है,उसके मन में ईर्ष्या पैदा ना हो।हो सके तो सब की बातों का सार लेकर उस पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।आपके खुद के विचार अलग हटकर हैं तो उसे भी स्पष्ट रूप से कहें।
3.लक्ष्य से न भटकें (Don’t deviate from the goal):
- टीम में विभिन्न विचारधाराओं,धारणाओं और मान्यताओं वाले सदस्य होते हैं।अतः आपस में मतभेद होना स्वाभाविक है।टीम,ऑफिस,संगठन का लक्ष्य क्या है इसे ध्यान रखें और सदस्यों की विभिन्न विचारधाराओं,धारणाओं और मान्यताओं में तालमेल बिठाते हुए टीम को लक्ष्य की ओर प्रेरित करें।
- मसलन कोई सदस्य कहता है कि अमुक कार्य मैन्युअल करना चाहिए जबकि कोई अन्य सदस्य कहता है कि इसे टेक्नोलॉजी,कंप्यूटर या लैपटॉप से किया जाना चाहिए।जाहिर सी बात है कि मैनुअल वर्क करने में समय अधिक लगता है और त्रुटि होने की संभावना भी रहती है।मैन्युअल करने का सुझाव देने वाला अपने पक्ष में तथा ऑनलाइन का सुझाव देने वाला अपने पक्ष में तर्क दे सकता है।यहां पर लीडर को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या ऑनलाइन करने के संसाधन टीम के पास है या उपलब्ध करने की सामर्थ्य है तथा ऑनलाइन करने के जानकार सदस्य हैं तो फिर ऑनलाइन टास्क को करने का निर्देश दे देना चाहिए।मैन्युअल करने का सुझाव देने वाले को समझाना चाहिए कि उसके तर्क अपनी जगह हैं परंतु प्रतियोगिता के इस दौर में इसे अपनाना जरूरी है।इस तरह से लीडर निष्पक्षता के साथ अपनी बात को रखेगा और टीम को लक्ष्य से भटकने नहीं देगा तो वही सफल लीडर कहलाएगा।सभी सदस्यों पर लीडर के व्यक्तित्व का प्रभाव होना चाहिए ताकि सही और उचित बात को मनवा सके।
- सदस्यों की महत्वाकांक्षाओं का लक्ष्य प्राप्त करने में बाधा बनने से रोकना चाहिए।लीडर में धैर्य,विनम्रता,विवेक,प्रभावी वक्तृत्व कला,जुझारूपन आदि गुण होंगे तो वह टीम को सही लक्ष्य तक पहुंचा सकता है।टीम को अपनी बात को सुनने और समझने में सफल हो सकता है।समय-समय पर टीम का निरीक्षण करता रहे,टीम के सदस्य टास्क को पूरा करने में दिलचस्पी ले रहे हैं या नहीं,यदि नहीं ले रहे हैं तो क्या करना है,उसको दूर करें।लापरवाही तो नहीं बरत रहे हैं,यह ध्यान रखें।
4.कठिन परिस्थिति में अविचल रहना (Staying Steadfast in Difficult Situations):
- किसी भी टास्क की योजना और क्रियान्वयन में जमीन आसमान का फर्क होता है।नेता कितना ही दूरदर्शी और कल्पनाशील हो लेकिन टास्क को पूरा करने में क्या-क्या व्यवधान,रुकावटें एवं मुश्किलें आती हैं इसका सटीक पता लगाना बहुत मुश्किल है।कठिन परिस्थिति में ही किसी व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता की परख होती है।कठिन परिस्थिति और मुश्किलों से टीम को बाहर निकालने की आप में खूबी होनी चाहिए तभी आपकी नेतृत्व क्षमता निखर कर बाहर आएगी।कठिन परिस्थिति में टीम के मनोबल को बनाए रखना और टीम के सदस्यों में जुझारूपन पैदा करना बहुत जरूरी है।
- कठिन परिस्थिति में टीम के सदस्यों के भरोसे छोड़कर निष्फिक्र नहीं हो जाना चाहिए।यदि ऐसी स्थिति में साथ छोड़ दिया तो टीम के सदस्य भाग छूटेंगे और टीम में भटकाव,बिखराब पैदा होगा और उसकी जिम्मेदारी लीडर पर ही डाली जाएगी।कठिन परिस्थिति में धैर्य और साहस के साथ समझदारी जरूरी है तभी टीम बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।कठिन परिस्थिति में लगातार फीडबैक लेते रहें और जहाँ अड़चन आए वहां उससे बाहर निकालने के गुर बताएं।कई बार लीडर के विरोधी होते हैं जो बाहर से विरोधी दिखाई नहीं देते हैं लेकिन मन में उनके अंदर दुर्भावना रहती है।वे ऐसे मौके की तलाश में ही रहते हैं और वार करते हैं।यदि ऐसे मौके पर लीडर सतर्क और सावधान नहीं रहता है तो चोट खा बैठता है।
5.समन्वय की कला सीखें (Learn the Art of Coordination):
- टीम में विभिन्न महत्त्वाकांक्षाओं के लोग विद्यमान रहते हैं वे अपनी-अपनी बात को मनवाने के लिए दबाव डालते हैं।एक लीडर के लिए ऐसे लोग चुनौती बनकर उभरते हैं,लेकिन इनसे पार पाना और निबटना ही आपको एक कुशल लीडर बनाता है।विभिन्न गुटों,विचारधाराओं,कार्यशैलियों में कैसे समन्वय और सामंजस्य बिठाया जाए इसकी कला आपको आनी चाहिए।आपको इसके लिए सीखते रहने की आदत डालनी चाहिए।प्रेशर ग्रुपों को कैसे हैंडिल करें,नई-नई टेक्नोलॉजी का ज्ञान प्राप्त करें,आपके क्षेत्र में जो पहले से ही मौजूद हैं ऐसे लीडर्स और प्रोफेशनल्स से जुड़कर उनके अनुभव जाने और उनसे सीखें,टीम मेंबर्स की खूबियों को जाने और उनका इस्तेमाल कब और कहां करना है इसे समझें,उनकी भावनाओं को समझें,किसी भी सदस्य को अपने ऊपर हावी न होने दें,टीम ट्रैक से भटक रही हो तो उसे वापस सही रास्ते पर कैसे लाएं आदि में आप अपने आप को पारंगत करें।
- विभिन्न प्रेशर ग्रुप या मेंबर आपके लिए चुनौती नहीं है बल्कि इसे अवसर के रूप में देखें और ऐसी स्ट्रेटजी अपनाएं जिससे उन्हें यह न लगे कि वे हार गए हैं।सबके सामने स्पष्ट करें कि टीम को जो टास्क दिया गया है सबसे महत्वपूर्ण है उसे प्राप्त करना है,न कि अपनी महत्वाकांक्षाओं को थोपना,मनवाना।यदि आपकी बात टास्क को पूरा करने में सहयोगी है तो उसका स्वागत है।यानी कठोरता और कोमलता का सम्मिश्रण रखते हुए समन्वय और सामंजस्य की कला सीखें।यदि आप एक बार उनकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सरेन्डर हो गए तो फिर आपका व्यक्तित्व दब जाएगा,आप उभरकर नहीं आ सकेंगे।
6.विवादों को सुलझाएं (Resolve disputes):
- जहां विभिन्न विचारधारा और दृष्टिकोण वाले लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं,वहां विवाद होना स्वाभाविक है।आप विवादों को सुलझाएं और उन्हें समझाएं की विवादों की वजह से टीम की प्रोडक्टिविटी पर नकारात्मक असर पड़ता है।तय समय पर टीम यदि टास्क पूरा नहीं कर पाएगी तो फिर उसका दंड सभी को मिलेगा और समय पर पूरा हो गया तो सभी पुरस्कार के भागीदार होंगे।
- सभी पक्षों में क्रिएटिव समाधान प्रस्तुत करें ताकि कोई भी पक्ष नाराज ना हो तथा जो समाधान प्रस्तुत करें वह सभी पक्षों को मान्य हो।हालाँकि सभी पक्षों को खुश करना और ऐसा आईडिया प्रस्तुत करना तो मुश्किल काम है क्योंकि इसमें मेंबर्स की आदतें,संस्कार और विचारधाराएं अवरोधक बन जाती है परंतु ऐसा समाधान अवश्य निकाला जा सकता है जिससे अधिकांश मेंबर्स संतुष्ट हों।
- मसलन टीम के टास्क को समय पर पूरा करने के लिए निर्धारित समय 7 घंटे में पूरा नहीं किया जा सकता है।अब यदि एक-दो घंटे बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है तो कई मेंबर्स तर्क देंगे कि उनके कुछ पारिवारिक दायित्व भी हैं,उन्हें भी पूरा करना जरूरी है।इस तर्क में दम भी है परंतु एक विशेष समय के लिए 7 घंटे की बजाय 8 या 9 घंटे काम करने में कोई हर्ज नहीं है,इतना सैक्रिफाइस (त्याग) करने के लिए तो उन्हें तैयार करना ही चाहिए।उन्हें समझाना चाहिए कि यह टाइम हमेशा के लिए लागू नहीं किया जा रहा है और इस ओवरटाइम का पारिश्रमिक भी दिलवाने का प्रयास किया जाएगा।
- ऐसे ही अनेक विवाद के बिंदु हो सकते हैं परंतु अपने व्यक्तित्व और संवाद करने की कला से आप विवादों को विराम दे सकते हैं।यह कला धीरे-धीरे अनुभव और ज्ञान तथा सीखते रहने की आदत से आएगी।मानसिक संतुलन बनाए रखें और अपने लक्ष्य पर नजर रखें।
7.बदलाव का स्वागत करें (Welcome the change):
- टीम लीडर के लिए यह जरूरी है कि अपनी वर्किंग स्टाइल में बदलाव करते रहें।एक ही तरीके और ढर्रे से काम करते रहने से मेंबर्स सुस्त और बोरियत महसूस करते हैं।यों भी आज टेक्नोलॉजी का युग है और इस युग में हर चीज में तेजी से बदलाव हो रहा है।रहन-सहन,खान-पीन,बोलचाल,भाषा,काम करने के तौर तरीके,रिलेशन निभाने के तरीके आदि में तेजी से बदलाव होता जा रहा है।पहले जहाँ लोग पत्र के द्वारा अपने विचारों,भावों को प्रकट करते थे और रिलेशनशिप को निभाते थे।आज ईमेल,एसएमएस,फोन तथा वीडियो कॉल के द्वारा आपसी संबंधों और भावों को प्रकट करने का माध्यम बन गए हैं।पहले बैलगाड़ी से आते-जाते थे अब बस,ट्रेन,कार,एयरप्लेन आदि आने जाने के माध्यम बन गए हैं।
- जब वर्किंग स्टाइल एक ही तरह की हो रही होती है,दुहराव हो रहा हो तो वर्किंग करने में टीम मेंबर्स का उत्साह नहीं रहता है।यदि आपको बदलाव करने से डर लगे तो समझ लें कि आप लीडर के काबिल नहीं है।इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आप एकदम से आमूलचूल परिवर्तन कर दें।धीरे-धीरे,छोटे-छोटे परिवर्तन करते रहें ताकि काम में सरसता भी बनी रहे और आपको डर भी ना लगे।इससे आप में सकारात्मक चिंतन शैली बढ़ेगी।
- जैसे आपके ऑफिस में मैन्युअल काम होता रहा है तो पहले मेंबर्स को ऑनलाइन ट्रेनिंग दें (सभी को एक साथ नहीं,कुछ को)।जब सभी ट्रेनिंग ले लें तो कुछ मेंबर्स जिन्होंने ऑनलाइन में दक्षता हासिल कर ली हैं उनको कंप्यूटर उपलब्ध कराएं।इस प्रकार धीरे-धीरे बदलाव करते रहने से आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और आप समय के साथ अपने आप को चलने के आदी बना लेंगे।
8.दृष्टिकोण में परिपक्वता हो (Have maturity in approach):
- कोई भी नियम बनाएं या कार्य सौंपे तो व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए करें।ऐसा ना हो कि किसी नियम को लागू करने से पहले विचार-विमर्श न किया हो,या ठीक से मनन-चिंतन न किया हो तो वापस ना लेना पड़ जाए।नियम लागू किया हो या कार्य सौंपा हो तो वह कितना ही बढ़िया हो अचानक लागू करना या सौंपना,विरोध का कारण बन जाता है।
- सकारात्मक चिंतन और पॉजिटिव एटीट्यूड रखें और आपस में विचार करके ही किसी नियम और व्यवस्था को लागू करें।अतिरिक्त टास्क देना हो तो भी पूछताछ जरूरी है हालांकि विचार-विमर्श और पूछताछ में संभावना यही रहती है कि वे मना कर दें।परंतु समझाइश से,कुछ दाब-दबाव से उन्हें इसके लिए राजी करें।दरअसल आम एम्प्लाॅई या मेंबर की विचारधारा एक ही ढर्रे से काम करते रहने की होती है।वे नई जिम्मेदारी लेने या बदलाव से डरते हैं।अब यह आपमें खूबी होनी चाहिए कि आप उन्हें किस तरकीब से राजी करते हैं।लीडर बनना तलवार की धार पर चलने के समान है।लीडर को खतरों से खेलना पड़ता है,कठिनाइयों से जूझना पड़ता है।
- दरअसल दुनिया में दो तरह के लीडर होते हैं।पहले वे लोग जो अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों,अपने प्रयासों,अपने समर्पण,अपनी आस्था,अनुशासन का पालन करने,अपने आपको आदर्शों का पालन करने आदि में अपने आपको ढाल लेते हैं।इस किस्म के लीडर पर आप कोई उंगली नहीं उठा सकते।दूसरी किस्म के ऐसे लीडर होते हैं जो अपने व्यक्तिगत प्रयासों और कार्यक्षेत्र के मामले में तो जीनियस होते ही हैं लेकिन साथ ही ये लोग अपने साथ या संरक्षण अथवा संगठन में काम करने वाले लोगों को भी लीडर में तब्दील करने की क्षमता रखते हैं।
- टीम या संगठन को दूसरे किस्म के लीडर की आवश्यकता होती है जो टीम को भी उच्च आदर्शो पर चला सके।आप भी इस फर्क को महसूस करेंगे,आप अपने चारों ओर नजर दौड़ाएंगे तो मूलतः इन दो प्रकार के लीडर्स को देख सकेंगे।एक वे जो स्वयं को उच्च आदर्शों,नियमों,अनुशासन को फॉलो करते हैं परंतु अन्यों को लीडर में परिवर्तित करने की क्षमता नहीं रखते हैं।ऐसे व्यक्ति को टीम की बागडोर सँभला दी जाती है तो टीम के मेंबर्स या तो बेबस होकर (खुशी-खुशी से नहीं) टारगेट को फॉलो करती है या टीम लक्ष्य से भटक जाती है।
9.लीडर बनना है तो तप करें (If you want to become a leader, then do penance):
- लीडर बनना कोई हंसी-खेल नहीं है,जो विपत्तियों की आग में तप सकता है वही कुंदन (लीडर) बनता है।उसके द्वारा स्थापित आदर्शों और मानदंडों पर जो मेंबर्स को चला सकता है,तैयार करता है वही लीडर करियर या जीवन में सक्सेस होता है।आदर्शों और मानदंडों को पालन करने के लिए वह अपने साथियों,मेंबर्स को प्रोत्साहित करता है।ऐसे लीडर्स न केवल अपनी टीम के बल्कि समाज,परिवार और राष्ट्र के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं।उनमें फौलाद जैसा साहस होता है,संघर्षों और कठिनाइयों से टक्कर लेते हैं।वे कठिनाइयों और विपत्तियों को एक अवसर के रूप में देखते हैं और उनसे अठखेलियाँ खेलते हुए विपत्तियों से बाहर निकल जाते हैं।
- उनके दमखम को देखकर अच्छे-अच्छे सूरमां दांतो तले उंगली दबा लेते हैं।विपत्तियां उनसे टकराकर फुस्स हो जाती है।शुरू से ही उनके जीवन में कठिनाईयाँ आती हैं।शिक्षा प्राप्त करने,दैनिक जीवन में आर्थिक कठिनाइयों,विषमताओं,विपत्तियों से जूझते हुए आगे बढ़ते हैं।वे स्वयं रास्ता बनाते हैं,किसी के बने बनाए रास्ते पर चलने के आदी नहीं होते हैं,हालांकि उनसे सीखते जरूर हैं।जो भी उनसे टकराता है,मुंह के बल गिरता है।विपत्तियों और समस्याओं की बिल्कुल परवाह नहीं करते हैं।ऐसे लीडर ही राष्ट्र की सुदृढ़ नींव रखते हैं।फॉलोअर्स उसके नक्शे कदम पर चलकर गौरव का अनुभव करते हैं।वे ऐसी मिट्टी के बने होते हैं जो हार से विचलित नहीं होते हैं और सफलता पाकर इतराते नहीं हैं।लीडरशिप के लिए और भी लेख पोस्ट किए हैं उनमें अतिरिक्त जानकारी मिलेगी।
- उपर्युक्त आर्टिकल में नेतृत्व कौशल को इंप्रूव करने के 10 मंत्र (10 Spells to Improve Leadership Skills),लीडरशिप स्किल को इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Leadership Skills?) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:लीडरशिप विकसित करने की 5 तकनीक
10.छात्र में लीडरशिप स्किल (हास्य-व्यंग्य) (Leadership Skills in Student) (Humour-Satire):
- एक छात्र काउंसलर के पास गया और बोला आपने तो कहा था कि आप किसी भी स्किल को विकसित करने का प्रयास करोगे तो लीडरशिप विकसित होगी,पर मेरे में तो बिल्कुल भी लीडरशिप स्किल विकसित नहीं हुई।
- काउंसलर:आपने कौनसी स्किल के लिए प्रयास किया था?
- छात्र:मैंने अपनी उंगली के इशारे से अपनी गर्लफ्रेंड को अपने पास आने के लिए कई बार इशारा किया पर असफल रहा।उल्टा उसने मुझे उंगली से इशारा किया तो मुझे उसके पास दौड़ कर जाना पड़ा।
11.नेतृत्व कौशल को इंप्रूव करने के 10 मंत्र (Frequently Asked Questions Related to 10 Spells to Improve Leadership Skills),लीडरशिप स्किल को इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Leadership Skills?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.टीम को आगे बढ़ाने के लिए क्या करें? (What to do to move the team forward?):
उत्तर:टास्क का समय-समय पर मूल्यांकन करते रहें और आवश्यक हो तो स्ट्रेटजी में बदलाव करते रहें और टीम के मेंबर्स को प्रोत्साहित करते रहें।कोई समस्या सामने आए तो व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करें।
प्रश्न:2.लीडर का मुख्य कार्य क्या है? (What is the main function of a leader?)
उत्तर:टीम को आने वाली समस्याओं के प्रति सजग करना,टीम को मार्गदर्शन प्रदान करना और टीम को कठिन परिस्थिति से निकलने के उपाय बताना,टीम को यह महसूस कराना कि वह हमेशा उनके साथ खड़ा है।
प्रश्न:3.टीम के मेंबर्स के गुणों व अवगुणों को कैसे पहचानें? (How to identify the qualities and demerits of team members?):
उत्तर:लीडर को स्वयं को मन के विकारों से मुक्त करते रहना होगा क्योंकि स्वच्छ काँच में सही अक्स दिखाई देता है।मेंबर्स के व्यवहार,बोलचाल तथा अन्य मेंबर्स से फीडबैक लेकर पहचान कर सकते हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा नेतृत्व कौशल को इंप्रूव करने के 10 मंत्र (10 Spells to Improve Leadership Skills),लीडरशिप स्किल को इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Leadership Skills?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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