Death of Sun and Plasma Theory
1.सूर्य की मृत्यु और प्लाज्मा थ्योरी (Death of Sun and Plasma Theory),सूर्य की मृत्यु निश्चित है (Death of Sun is Certain):
- सूर्य की मृत्यु और प्लाज्मा थ्योरी (Death of Sun and Plasma Theory) के आधार पर आप जान सकेंगे कि सूर्य की आयु कितनी है और प्लाज्मा थ्योरी क्या है? प्लाज्मा थ्योरी की खोज किसकी देन है।
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2.हमारी आकाशगंगा का परिचय (Introduction to our galaxy):
- डॉक्टर चंद्रशेखर का खोज कार्य तारों की रचना और उनके भौतिक गुणधर्मों से संबंधित है।आकाश में अनगिनत तारे दिखाई देते हैं।ये सभी तारे आकाशगंगा-मंदाकिनी के सदस्य हैं।हमारी आकाशगंगा में करीब डेढ़ अरब तारे हैं।हमारा सूर्य इनमें से एक सामान्य तारा है।विश्व में हमारी आकाशगंगा की तरह की करोड़ों मंदाकिनियाँ हैं।और उनकी दूरियां? ये इतनी अधिक दूर हैं कि इन मंदाकिनियों से हम तक प्रकाश पहुंचने में करोड़ों साल लगते हैं।यहाँ हमें जान लेना चाहिए कि प्रकाश की किरणें एक सेकंड में 3 लाख किलोमीटर दूरी तय करती हैं।
- इन सब बातों की खोज आधुनिक काल में ही हुई है।आदमी चांद पर पहुंच गया है।कुछ दिनों के बाद आदमी सौरमंडल के दूसरे ग्रहों पर भी पहुंचेगा।किंतु तारे और मंदाकिनियाँ हमसे बहुत दूर हैं।हम तक पहुंचने वाले विकिरण का अध्ययन करके ही हम उनके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- विश्व के तारे और ग्रह उन्हीं पदार्थों से बने हैं,जिन पदार्थों से हमारी पृथ्वी और हमारा सूर्य बना है।इसलिए भौतिकी के बहुत-से नियम तारों की गतिविधियों पर भी लागू होते हैं।इन्हीं नियमों की सहायता से डॉक्टर चंद्रशेखर ने तारों के जीवन के बारे में नई-नई बातें खोज निकाली हैं।
- हां,तारों का भी अपना जीवन होता है।उनका जन्म होता है और उनकी मृत्यु होती है।संसार में कोई भी चीज स्थिर नहीं रहती।डॉक्टर चंद्रशेखर ने तारों के इसी जीवन,विकास और मृत्यु के बारे में खोज कार्य किया है।
- तारों को यह जीवन कैसे मिलता है? हमारा सूर्य एक तारा है।यह सतत जलता रहता है।इतना तेज जलता है कि इसके भीतर का तापमान 1,50,00,000° सेंटीग्रेड पर पहुंच जाता है।सूर्य में कौन-सा ईंधन जलता है।हम अपनी धरती पर देखते हैं कि कोयला,तेल आदि को जलाने पर उष्मा मिलती है।पर सूर्य में कोयला या तेल नहीं जलता।यदि यह कोयला या तेल से जलता तो कभी का जलकर राख हो जाता।हमारी धरती की आयु कम से कम पांच अरब साल आँकी गई है।कम से कम इतने समय से सूर्य जलता आया है और आगे अरबों साल तक जलता रहेगा।दूसरे तारों का हाल भी ऐसा ही है।
3.सूर्य में ऊर्जा का रहस्य (The Secret of Energy in the Sun):
- पिछली सदी में हमने परमाणु ऊर्जा की खोज की।एटम बम और हाइड्रोजन बम में कितनी शक्ति होती है,यह सभी ने सुना होगा।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भी 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध में देख लिया।अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जिससे वहाँ लाखों लोग मारे गए और आज भी वहां वनस्पति का नामो-निशान नहीं है।यह सब परमाणु शक्ति से बर्बादी का उदाहरण है।परमाणु शक्ति से बिजली भी बनाई जाती है यह सब परमाणु की शक्ति का कमाल है।तारों में भी परमाणुओं का ईंधन जलता है। तारे बहुत बड़े होते हैं।उनकी द्रव्यराशि इतनी अधिक होती है कि उसके दाब से तारों के भीतर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है।इस ऊँचे तापमान के कारण तारों के एक प्रकार के परमाणु दूसरे प्रकार के परमाणुओं में बदल जाते हैं।इस रद्दोबदल में बहुत सारी ऊर्जा बाहर निकल आती है।तारों की यही ऊर्जा ताप या विकिरण के रूप में हम तक पहुंचती है।
- तारों में हाइड्रोजन सबसे अधिक मात्रा में होता है।भीषण दाब और ऊँचे तापमान के कारण यह हाइड्रोजन राशि हीलियम में बदलती रहती है।हाइड्रोजन बम जब फटता है तो यही बात होती है।सूर्य और तारों में भी यही होता है।सूर्य और तारों को करोड़ों-अरबों हाइड्रोजन बमों के बराबर समझ लीजिए।
- चूँकि तारे निरंतर अपने परमाणु-ईंधन को जलाते रहते हैं,इसलिए वह एक जैसे नहीं रहते।समय के साथ उनके स्वरूप में बदल होता रहता है।प्राणियों की तरह तारों का भी विकास और अंत होता है।तारों का विकास और अन्त किस प्रकार होता है,यही डॉक्टर चंद्रशेखर के शोध कार्य का विषय है।
- डॉक्टर चंद्रशेखर ने सिद्ध किया कि हमारा सूर्य अनन्तकाल तक ऐसा ही बना नहीं रहेगा।इसका जलनेवाला ईंधन घट जाएगा तो इसका रूप बदल जाएगा।तब इसका आकार बड़ा होता जाएगा।यह अपने पास के बुध ग्रह को हड़प लेगा।फिर शुक्र ग्रह की बारी आएगी और अंत में यह हमारी पृथ्वी को भी निगल जाएगा।वह दिन हमारी पृथ्वी के लिए सचमुच ही ‘प्रलय’ का दिन होगा।पर उस दिन के लिए अभी बहुत देर है।हमारी पृथ्वी की आयु 5 अरब साल है।इस पर मानव जीवन को जन्म लिए मुश्किल से 10 लाख साल हुए हैं।पर वह ‘प्रलय’ का दिन आने के लिए अभी कम से कम पांच अरब साल बाकी है।लेकिन वह दिन आएगा जरूर।
- लेकिन सूर्य या तारों की स्थिति बनी नहीं रहती।उसके बाद वह फूला हुआ तारा दूसरे प्रकार के परमाणु-ईंधन का इस्तेमाल करने लगेगा।तब हमारा सूर्य सिकुड़ने लगेगा।इसके परमाणु खंडित होकर प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन बन जाएंगे।इस स्थिति वाली द्रव्यराशि को ‘प्लाज्मा’ कहते हैं।प्लाज्मा की स्थिति में द्रव्य बहुत कम जगह घेरता है।प्लाज्मा की स्थिति में कई टन द्रव्यराशि दियासलाई की डिबिया जितनी जगह घेरती है।ऐसी सघन स्थितिवाले तारे को ‘सफेद-बौना’ तारा कहते हैं।हमारी आकाशगंगा में इस प्रकार के अनेक तारे हैं।हमारा सूर्य भी एक दिन सफेद-बौना तारा बन जाएगा।
- पर तारे की यह स्थिति भी कायम नहीं रहती।कुछ तारों में भयानक विस्फोट हो जाता है।ऐसे तारों को ‘सुपरनोवा’ तारा कहते हैं।विस्फोट होने पर इन तारों की द्रव्यराशि अंतरिक्ष में फैल जाती है।
- डॉ चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया कि तारे के द्रव्यमान का 12% हाइड्रोजन द्रव्य जब हीलियम की ‘राख’ में बदल जाता है,तब उस तारे का सुस्थिर जीवनकाल समाप्त हो जाता है।खगोल विज्ञान में तारे के विकासक्रम के इस संधिकाल को चंद्रशेखर-सीमा का नाम दिया गया है।
- डॉक्टर चंद्रशेखर ने इन्हीं सब बातों पर शोधकार्य किया है।तारों की रचना के बारे में उन्होंने एक उत्तम ग्रंथ भी लिखा है।इस ग्रंथ को खूब प्रसिद्धि मिली है।इस विषय में खोजकार्य करने के लिए गणितशास्त्र और भौतिकी का बहुत अच्छा ज्ञान होना जरूरी है।इसलिए डॉक्टर चंद्रशेखर न केवल खगोलविद,बल्कि उच्चकोटि के गणितज्ञ और भौतिकवेत्ता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।गणित में महत्त्वपूर्ण खोज के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय की ओर से ‘एडम्स पुरस्कार’ दिया जाता है।डॉक्टर चंद्रशेखर ने यह पदक एवं पुरस्कार प्राप्त किया है।वह इंग्लैंड की रॉयल सोसाइटी के भी सदस्य रहे हैं।भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म विभूषण’ के अलंकरण से भी सम्मानित किया है।
4.आकाश पिंडों के लिए गणित का ज्ञान भी आवश्यक (Knowledge of mathematics is also necessary for the study of celestial bodies):
- किसी समय हमारा देश ज्योतिशास्त्र में बहुत आगे था।हमारे देश में आर्यभट,ब्रह्मगुप्त,भास्कराचार्य जैसे महान ज्योतिषी एवं गणितज्ञ हुए।पर यह उस जमाने की बात है जब दूरबीन का आविष्कार नहीं हुआ था।सन 1960 में गैलीलियो ने पहली दूरबीन बनाई।आगे बड़ी-बड़ी दूरबीनें बनने लगी।आकाश के तारों का अध्ययन करने के लिए दूसरे कई प्रकार के यंत्रों का आविष्कार हुआ।पिछली सदी में फोटोग्राफी का आविष्कार हुआ इन सब साधनों के कारण पिछले कुछ सदियों में खगोल विज्ञान ने खूब उन्नति की।
- यूरोप में खगोल-विज्ञान की उन्नति होने का एक और कारण है।पुराने जमाने में यूनान और भारत के ज्योतिषियों ने ग्रहों और नक्षत्रों की गतियों को जानने के लिए काम चलाऊ गणित की खोज की थी।पुराने ज्योतिषों का ख्याल था कि पृथ्वी विश्व के केंद्र में स्थिर है।पुराने जमाने में ज्योतिषियों को ग्रहों और नक्षत्रों के सही आकार-प्रकार और इनकी सही दूरियों का भी अंदाजा नहीं था।
- यूरोप के कॉपरनिकस,केप्लर,न्यूटन,गैलीलियो,लाप्लास आदि वैज्ञानिकों ने आकाश में पिंडों की गतियों के बारे में नए सिद्धांत स्थापित किए।इसलिए भी यूरोप में खगोल विज्ञान की बहुत उन्नति हुई।हमारा देश प्रगति से बेखबर था।अंग्रेजी शिक्षा प्रारंभ हुई तभी हमारे विद्यार्थियों को इस प्रगति का परिचय मिला।पिछली सदी के प्रारंभ में परमाणु शक्ति की खोज हुई।महान वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने अपने आपेक्षिकता सिद्धांत की स्थापना की।इस सिद्धांत से विश्व की भौतिक गतिविधियों को समझने में अधिक सहायता मिली।उसके बाद में एक नए क्वांटम सिद्धांत की स्थापना हुई।इस सिद्धांत ने परमाणु और तारों को समझने में और भी अधिक सहायता दी।अब खगोल विज्ञान बहुत आगे बढ़ गया है।
- आकाश का अध्ययन करने के लिए अब,न केवल गणितशास्त्र,बल्कि रसायन और भौतिकी को जानना भी जरूरी हो गया है।
- गणित,ज्योतिष और भौतिक विज्ञान पर समान रूप से अधिकार रखनेवाले ऐसे ही एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक हैं डॉक्टर चंद्रशेखर।जो वैज्ञानिक गणित और भौतिकशास्त्र की सहायता से आकाश की ज्योतियों का अध्ययन करते हैं,उन्हें ज्योतिर्भौतिकवेत्ता कहते हैं।
- डॉक्टर चंद्रशेखर ऐसे ही चोटि के ज्योतिर्भौतिकवेत्ता हैं।वह अमेरिका में रहे हैं।ज्योतिर्भौतिक विज्ञान में उन्होंने कई नई बातें खोजी हैं।इस विषय पर लिखे गए उसके कुछ ग्रंथ सारे संसार में पढ़ाएं जाते हैं।वह ज्योतिर्भौतिकी की एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका के संपादक भी रहे हैं।एक महान ज्योतिर्भौतिकविद के रूप में संसार में प्रसिद्ध हो चुके हैं।डॉक्टर चंद्रशेखर को 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला।
5.डॉक्टर सुब्रमण्यम चंद्रशेखर का परिचय और शिक्षा (Introduction and Education of Dr. Subrahmanyan Chandrasekhar):
- डॉक्टर चंद्रशेखर का परिवार वैज्ञानिकों के परिवार के रूप में प्रसिद्ध है।उनके पिता सी. सुब्रमण्यम अय्यर गणितशास्त्र के ग्रेजुएट थे।वह जब रेलवे-विभाग में अकाउंटेंट जनरल नियुक्त होकर लाहौर गए,तो वहीं पर 19 अक्टूबर 1910 के दिन सुब्रमण्यम चंद्रशेखर का जन्म हुआ था।नोबेल पुरस्कार विजेता प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकटरामन डॉक्टर चंद्रशेखर के पिता के छोटे भाई थे।डॉक्टर चंद्रशेखर के दूसरे चाचा डॉक्टर सी. रामास्वामी भी वैज्ञानिक रहे हैं और मौसम विज्ञान में शोधकार्य करके उन्होंने नाम कमाया है।डॉ. चंद्रशेखर के तीन भाई वैज्ञानिक रहे हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में शोध कार्य किया है।ऐसे वैज्ञानिक परिवार का सदस्य होना सचमुच ही सौभाग्य एवं गौरव की बात है।
- चंद्रशेखर की आरम्भिक पढ़ाई लाहौर में हुई।आगे पढ़ाई के लिए वे मद्रास गए और वहां के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में नाम लिखवाया।गणितशास्त्र में उनकी गहरी रुची थी।पर पिता की इच्छा के अनुसार उन्होंने ‘ऑनर्स’ के लिए भौतिक विज्ञान विषय लिया।इससे गणितशास्त्र में उनकी रुचि कम नहीं हुई।अनुमति लेकर वह गणित के क्लास में भी जाते थे।उसी समय मद्रास विश्वविद्यालय में जर्मन भाषा की पढ़ाई शुरू हुई थी।चंद्रशेखर ने जर्मन का कोर्स भी पूरा किया।
- चंद्रशेखर अभी विद्यार्थी थे तो उन्होंने एक शोध-निबंध तैयार किया।उस समय डॉक्टर रामन के सभापतित्व में मद्रास में भारतीय विज्ञान परिषद का अधिवेशन हुआ था।चंद्रशेखर ने अपने उस निबंध को उस अधिवेशन में पढ़ा।वैज्ञानिकों के ऐसे सम्मेलन में एक विद्यार्थी द्वारा शोध-निबंध पढ़ा जाना सचमुच ही बहुत बड़ी बात थी।
- चंद्रशेखर ने सर्वोच्च स्थान पाकर मद्रास विश्वविद्यालय से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।आगे इंग्लैंड में पढ़ाई करने के लिए उन्हें भारत सरकार की छात्रवृत्ति मिली।वहाँ कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर राल्फ और प्रोफेसर डिराक जैसे चोटी के वैज्ञानिकों की देखरेख में उन्होंने शोध कार्य शुरू कर दिया।अपनी प्रतिभा से उन्होंने सबको चकित कर दिया।कैंब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने,न केवल पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त की,बल्कि उन्हें ट्रिनिटी काॅलेज का फैलो भी बनाया गया।फैलो चुना जाना एक भारतीय के लिए बड़े सम्मान की बात थी।चंद्रशेखर 1930 से 1936 ईस्वी तक कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रहे।
- इसके बाद डॉक्टर चंद्रशेखर भारत लौटे।उन्होंने बहुत कोशिश की कि उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद मिल जाए,किंतु उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई।इसलिए उन्होंने पुनः विदेश जाने का निश्चय कर लिया।इस समय उन्हें अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय की ओर से निमंत्रण मिला।देश छोड़ने के पहले उन्होंने एक भारतीय तरुणी के साथ विवाह कर लिया।श्रीमती ललिता चंद्रशेखर पहले उनके साथ मद्रास विश्वविद्यालय में पढ़ती थी।
- डॉ चंद्रशेखर 1936 में शिकागो गए।वहां उन्होंने येर्क-वेधशाला में भाषण दिए।अमेरिका के प्रख्यात खगोलविद डॉक्टर ओटो स्ट्रुवे ने उन्हें व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था।वहां डॉक्टर चंद्रशेखर की प्रतिभा की पहचान हुई।उन्हें येर्क-वेधशाला में प्राध्यापक का पद मिला।तब से डॉ चंद्रशेखर ने वहीं पर कार्य किया।तरक्की करते-करते वहाँ वह बहुत ऊंचे पद पर पहुंचे।1952 ईस्वी से वह वहाँ से प्रकाशित होने वाले प्रसिद्ध ज्योतिर्भौतिकी जर्नल का भी संपादन करते आ रहे हैं।वहाँ रहते हुए उन्होंने ज्योतिर्भौतिकी के क्षेत्र में कई नई बातें खोजी और वैज्ञानिक जगत में ख्याति अर्जित की।आज डाॅक्टर सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके कृतित्व से हमेशा याद रहेंगे।
6.प्लाज्मा थ्योरी का निष्कर्ष (Conclusion of Plasma Theory):
- प्लाज्मा थ्योरी की खोज ऐसे वैज्ञानिक ने की है जो भारतीय है और जिनकी आत्मा भारत में बसती थी।उन्होंने अथक प्रयास किया कि भारत में जाॅब मिल जाए।लेकिन मनमाफिक जाॅब न मिलने पर वे अमेरिका गए और प्लाज्मा थ्योरी पर उन्हें नोबल पुरस्कार मिला।ऐसी अनेक प्रतिभाएँ हैं जो भारत से पलायन कर गई हैं और उन्होंने विदेश में जाकर उल्लेखनीय कार्य किया तथा उस देश का नाम रोशन किया।गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का भी उदाहरण है।इसके अलावा डाॅक्टर हरगोविन्द खुराना।हालाँकि कई वैज्ञानिकों ने यहाँ भारत को छोड़ना उचित नहीं समझा तथा घोर असुविधाओं के बावजूद यहाँ रहकर ही कार्य किया परन्तु ऐसी मिट्टी के बने हुए बहुत कम लोग होते हैं।जैसे डाॅक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरामन,डाॅ. शान्ति स्वरूप भटनागर,डाॅ. होमी जहाँगीर भाभा,जगदीश चन्द्र बसु,मेघनाथ साहा,अब्दुल कलाम आजाद आदि।
- राष्ट्र के विकास के लिए प्रतिभाओं का पलायन को रोकना अतिआवश्यक है और इसके लिए ठोस रणनीति बनाकर कार्य करना होगा ताकि भारत की उत्कृष्ट प्रतिभाओं का लाभ भारत को ही मिल सके।एक अनुमान के अनुसार अमेरिका के विभिन्न विभागों,बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की टाॅप लीडरशिप में भारतीय प्रतिभाएँ नियुक्त हैं और काम कर रही हैं।इन प्रतिभाओं के पलायन के अनेक कारण हैं।जैसे रुचि के अनुसार काम न मिलना,काम के बदले उचित पारिश्रमिक न मिलना, बढ़िया काम करने के बावजूद सम्मान न मिलना,काम करने के लिए अच्छा माहौल न मिलना,काम करने के लिए पर्याप्त साधन-सुविधा न मिलना,अपने स्तर के अनुरूप काम न मिलना तथा राजनैतिक व प्रशासनिक हस्तक्षेप आदि।इनका समाधान करना होगा।
उपर्युक्त आर्टिकल में सूर्य की मृत्यु और प्लाज्मा थ्योरी (Death of Sun and Plasma Theory),सूर्य की मृत्यु निश्चित है (Death of Sun is Certain) के बारे में बताया गया है।
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7.प्लाज्मा थ्योरी की कहानी (हास्य-व्यंग्य) (Story of Plasma Theory) (Humour-Satire):
- रामू (छात्र):शिक्षक से,सर आपने जो प्लाज्मा थ्योरी की पुस्तक लिखी है,वह बहुत रोचक लगी।’सूर्य का अंत’ वाला भाग तो मुझे बहुत पसन्द आया।
- शिक्षक:शुरुआत वाला भाग कैसा है?
- रामू:वह तो मैंने पढ़ा ही नहीं।
- शिक्षक:फिर प्लाज्मा थ्योरी समझ में कैसे आयी और रोचक कैसे लगी?
8.सूर्य की मृत्यु और प्लाज्मा थ्योरी (Frequently Asked Questions Related to Death of Sun and Plasma Theory),सूर्य की मृत्यु निश्चित है (Death of Sun is Certain) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.तारे का जन्म किससे होता है? (What is the origin of the star?):
उत्तर:निहारिका के द्रव्य से तारे का जन्म होता है।
प्रश्न:2.चन्द्रशेखर सीमा लांघने पर तारे का क्या होता है? (What happens to a star when Chandrasekhar crosses the line?):
उत्तर:’चन्द्रशेखर सीमा’ लाघंने पर तारा फूलकर लाल दानव बन जाता है (4),फिर धीरे-धीरे सिकुड़कर श्वेत वामन बन जाता है (5 और 6)।जिस तारे की द्रव्यराशि सूर्य की द्रव्यराशि से 1.2 गुना तक होती है,वह अन्त में श्वेत वामन बन जाता है।
प्रश्न:3.चन्द्रशेखर सीमा से क्या आशय है? (What do you mean by Chandrasekhar limit?):
उत्तर:जिस तारे की द्रव्यराशि सूर्य की द्रव्यराशि के 1.4 गुना से अधिक है वह अन्ततः अधिकाधिक सिकुड़ जाता है।सूर्य के 1.4 गुना द्रव्यराशि को ‘चन्द्रशेखर-सीमा’ का नाम दिया गया है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सूर्य की मृत्यु और प्लाज्मा थ्योरी (Death of Sun and Plasma Theory),सूर्य की मृत्यु निश्चित है (Death of Sun is Certain) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.