How Should Students Diagnose Fatigue?
1.छात्र-छात्राएँ थकान का निदान कैसे करें? (How Should Students Diagnose Fatigue?),छात्र-छात्राएँ थकान से मुक्त हों (Students Should be Free From Fatigue):
- छात्र-छात्राएँ थकान का निदान कैसे करें? (How Should Students Diagnose Fatigue?) क्योंकि थकान से अध्ययन प्रभावित होता है तथा अक्सर छात्र-छात्राएं थकान का अनुभव करते हैं।थकान से कई विकृतियां पैदा हो जाती हैं अतः इसका निदान आवश्यक है।
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- परीक्षार्थी पढ़ने के दौरान थकान महसूस करते हैं अतः उनके लिए थकान का यह आर्टिकल विशेष रूप से उपयोगी है।
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2.थकान से बड़े और बूढ़े सभी प्रभावित (Fatigue affects all the old and the elderly):
- अनवरत श्रम एवं भाग-दौड़ के इस जमाने में थकान बड़ा ही स्वाभाविक सत्य बन गया है।हालाँकि कुछ देर के विश्राम के बाद इससे छुटकारा पाया जा सकता है,किंतु थोड़े काम के बाद ही थक जाना,शरीर का शिथिल हो जाना व मन का भारीपन आज के जीवन का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है।कुछ लोग तो विश्राम एवं नींद के बाद भी तन-मन का हल्कापन एवं ताजगी अनुभव नहीं कर पाते और स्थायी या जीर्ण थकान की गंभीर समस्या का शिकार हो जाते हैं।थकान की इस गहराती समस्या से स्कूली बच्चों से लेकर युवा,वृद्ध व श्रमिक से लेकर बुद्धिजीवी-व्यापारी तक और सामान्य गृहणी से लेकर कामकाजी महिला तक सभी न्यूनाधिक रूप से प्रभावित हैं।अमेरिका जैसे विकसित देशों में तो यह समस्या और गंभीर रूप लेती जा रही है।जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिसिन एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार वहाँ चिकित्सकों के पास आने वाले रोगियों में 24 प्रतिशत स्थायी थकान से पीड़ित होते हैं।इनमें 28 प्रतिशत महिलाएँ व 19 प्रतिशत पुरुष होते हैं।
- आश्चर्य होता है कि धरती का सबसे बुद्धिमान एवं विकसित प्राणी ही क्यों जड़ता के इस अँधेरे में खोता जा रहा है,जबकि मनुष्येतर प्राणी अन्य जीव-जन्तु,वनस्पति-जगत यहाँ तक कि तथाकथित जड़प्रकृति तक ऊर्जा से भरपूर एवं सतत गतिशील हैं।पक्षी प्रातः उठते हैं,चहकते-गाते हैं।अथक श्रम से अपना घोंसला बनाते हैं व अपने बच्चों के लिए आहार जुटा लेते हैं।गिलहरी एक पेड़ से दूसरे पेड़ में व एक टहनी से दूसरी में उछल-कूद करती रहती है।वनस्पति-जगत तो वसंत में जैसे अपनी चरम जीवंतता व उल्लास से अर्जित होकर प्रकट होता है।प्रकृति स्वयं भी ऊर्जा से भरी-पूरी है।लहरें समुद्री किनारे से टकरा रही हैं,नदियां अविरल सागर की ओर गतिशील हैं।हवा बहती हुई सबको अपने साथ झुलाती है।यह पृथ्वी अपनी धुरी पर सक्रिय है और सूर्य के इर्द-गिर्द निर्धारित गति से घूम रही है।सूर्य स्वयं भी हर पल कल्पनातीत गर्मी व प्रकाश बिखेर रहा है।
3.थकान के कारण (Causes of fatigue):
- इंसान यदि थका-हारा और परेशान है,तो सिर्फ अपनी भोगवादी जीवन-पद्धति के कारण।इसी वजह से वह ऊर्जा के नैसर्गिक स्रोत से कटता जा रहा है।खान-पान की बिगड़ी आदतें,आहार-विहार का असंयम,निषेधात्मक चिंतन,अव्यवस्थित कार्यपद्धति व भावनात्मक जटिलताएँ उसकी जीवन-शक्ति को निचोड़कर थकान के सघन तमस में धकेल रही है।
- स्वाभाविक रूप से मनुष्य में शक्ति की सीमित मात्रा ही होती है।इसी से उसका जीवन-व्यापार चलता रहता है। वह कुशलतापूर्वक तभी तक कार्य करता रह सकता है,जबकि यह शक्ति बनी रहे।शक्ति के क्षय के साथ ही उसकी कार्य-कुशलता में निरंतर ह्रास होने लगता है।इसी से कार्य में अरुचि होने लगती है,कामों में त्रुटि होने लगती है।रह-रहकर ध्यान उचटने लगता है,चेतना में भारीपन आने लगता है।मस्तिष्क की नसें तन-सी जाती हैं,कभी-कभी सरदर्द भी होने लगता है,आंखें पथरा-सी जाती हैं,स्वभाव में चिड़चिड़ापन एवं खीज आदि आने लगते हैं।ये सब-के-सब थकान के लक्षण हैं।
- शारीरिक ऊर्जा का प्रमुख स्रोत आहार है।प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सुपाच्य एवं पौष्टिक आहार से शरीर को प्रचुर मात्रा में ऊर्जा मिलती है।आहार नियत समय पर उचित मात्रा में लिया जाए,तो ही ठीक है अन्यथा पाचनतंत्र पर बोझ डालने से वह थकान को ही बढ़ावा देता है।सफेद चीनी की जगह प्राकृतिक शर्करा,डिब्बा बंद,फास्टफूड व कोलापेय की जगह हरी सब्जी,दूध-फल,अंकुरित अन्न आदि स्वस्थ विकल्प हैं।
- थकान के कुछ स्पष्ट कारण शरीर के गम्भीर रोग जैसे-एनीमिया,थायराइड समस्या,कृमिज्वर,मधुमेह,गुर्दारोग,टी०बी० या अन्य जीर्ण रोग हो सकते हैं,जिनमें ऊर्जा व जीवनीशक्ति का तीव्रगति से ह्रास होता है।इनका चिकित्सीय परामर्श द्वारा उपचार आवश्यक है।सामान्यक्रम में थकान का शरीर से अधिक मन से गहरा संबंध है।भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं से उपजा तनाव वस्तुतः शरीर को बुरी तरह थका देता है।एक अध्ययन के अनुसार,स्थायी थकान से पीड़ित 80% रोगी अवसाद या तनावजन्य मानसिक रोगों से ग्रसित थे।
- तनाव में शरीर के अंदर ‘लड़ो या भागो’ की स्थिति से निपटने में ऊर्जा खर्च होती है।यदि तनाव की स्थिति दीर्घकाल तक बनी रहे,तो ऊर्जा का अतिशय क्षय होता है।तनाव की,भय या उदासीनताजन्य स्थिति में मस्तिष्क से ऐसे न्यूरोरसायनों का स्राव होता है,जो शरीर के ऊर्जा-उत्पादन तंत्र यथा पाचनतंत्र और प्रतिरक्षातंत्र दुर्बल बनाते हैं।शरीर के पाचनतंत्र की क्षति होने से आहार से मिलने वाली ऊर्जा नहीं मिल पाती।इसके अलावा मस्तिष्क से स्रवित न्यूरो रसायन इम्यनोमोडुलेटर प्रतिरक्षा-तंत्र को दुर्बल बनाते हैं।
- मानसिक तनाव से उत्पन्न थकान में मुख्य कारण व्यक्ति का निषेधात्मक चिंतन ही होता है।जीवन में सार्थक कार्य के अभाव में खाली व निठल्ला व्यक्ति इससे अधिक ग्रसित पाया जाता है।ऐसा व्यक्ति जीवन को भार की तरह ढोता फिरता है और अपनी ही कुंठाओं के कारण उसे स्थायी थकान की शिकायत बनी रहती है।ऐसी थकान का अनिद्रा या नींद की कमी के रोग से अभिन्न रिश्ता है।नींद की कमी पूरी करने के लिए नींद की गोली खाने से तात्कालिक राहत तो मिलती है,किंतु थकावट यथावत बनी रहती है।नींद ना आने से उतना नुकसान नहीं होता,जितना नींद की गोलियां खाने से होता है।ऐसा व्यक्ति चाहे तो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आहार-विहार के परिवर्तन द्वारा अनिद्रा रोग पर काबू पा सकता है।
4.थकान से मुक्त होने के उपाय (Ways to get rid of fatigue):
- जीवन को सार्थक उद्देश्य के निमित्त खपाकर व अपनी अभिरुचियों को व्यापक आधार देकर व्यक्ति बहुत कुछ थकान की समस्या से मुक्ति पा सकता है।जहां आरामतलब एवं उद्देश्यहीन व्यक्ति थोड़े-से काम से ही थक जाते हैं,वही उद्देश्यनिष्ठ व्यक्ति दीर्घकाल तक बिना थके श्रम कर सकता है।थकान का शरीर से अधिक मन से संबंध होने के कारण इससे प्रभावित व्यक्ति को अपनी समूची जीवनशैली का अवलोकन करना चाहिए और तनाव के कारक तत्त्वों को दूर करने का यथायोग्य प्रयास करना चाहिए।वैसे थकान का तात्कालिक एवं सबसे महत्त्वपूर्ण उपचार विश्राम है।थके हुए शरीर व मन को पूर्ण विश्राम देने से थकान से राहत पायी जा सकती है।अल्पकालीन विश्राम के अतिरिक्त पूर्ण विश्राम का अचूक उपाय नींद है,जो थके-हारे व्यक्ति के लिए टॉनिक का काम करती है।अत्यधिक श्रम व मानसिक तनाव से खर्च ऊर्जा की भरपायी अच्छी व गहरी नींद से बखूबी हो जाती है।
- कार्य को सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से करने पर भी व्यक्ति अनावश्यक तनाव एवं थकान से बच सकता है।रुचिकर कार्य करने से भी व्यक्ति कम थकता है और एक साथ देर तक कार्य कर सकता है।अतः कार्यों में रुचि का समावेश थकान को दूर करता है।कार्य करने के समय को यदि अपेक्षाकृत छोटे-छोटे खण्डों में बांट दिया जाए,तो कार्य करने वाला शीघ्र नहीं थकता।कार्य करते समय बीच-बीच में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए विश्राम कर लेने से थकान शीघ्र नहीं आती।विश्राम की थोड़ी-सी अवधि व्यय-शक्ति को वापस लौटा देती है।कार्य के बीच-बीच में मनोरंजन व्यवस्था भी थकान को पास फटकने नहीं देती।
- कार्य की एकरसता भी थकान का कारण बनती है।ऐसे में कार्य में परिवर्तन करने से थकान दूर हो जाती है।शारीरिक कार्य के बाद मानसिक कार्य और मानसिक कार्य के बाद शारीरिक कार्य अदलते-बदलते रहने से थकान दूर होती रहती है।इसमें शीघ्र कार्य निपटाने की प्रवृत्ति भी अच्छी होती है।दीर्घसूत्री व्यक्ति कार्य करने की योजना पर ही विचार करते रह जाते हैं।इस सोचने से ही उनको थकान घेर लेती है।अतः योजना को व्यावहारिक रूप देकर उसे छोटे-छोटे खण्डों में क्रियान्वित किया जाना चाहिए।छोटी-छोटी सफलताएं मन को उत्साहित बनाए रखती हैं और थकान पास तक नहीं फटकने पाती,बीच-बीच में विगत उपलब्धियों का स्मरण भी थके-हारे मन को उत्साह से भरने का प्रभावशाली उपाय है।
- कोई भी व्यक्ति शक्ति भर ही कार्य कर सकता है।अतः अपनी शारीरिक एवं मानसिक शक्ति के अनुरूप कार्य करने से भी थकान की समस्या असाधारण नहीं होने पाती।अपनी पुस्तक ‘बाउंडलेस एनर्जी’ में सुप्रसिद्ध लेखक दीपक चोपड़ा लिखते हैं कि किसी भी क्षण व्यक्ति का ऊर्जा स्तर कई चीजों पर निर्भर करता है,जैसे- आहार व उसकी पाचन क्रिया,वातावरण,ताप,विचार व भाव।लेकिन दैनिक जीवन में मूल जीवनीशक्ति का भी निर्धारण चारों ओर संव्याप्त घनीभूत ऊर्जा का भंडार करता है।जिसके एक अंश मात्र से सारी प्रकृति चैतन्य एवं गतिशील है।इसी ऊर्जा भंडार का संपर्क हमारे शरीर में ऊर्जा व जीवनीशक्ति के प्रवाह को निर्धारित व नियंत्रित करता है।जिस अंधकार का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं है,बल्कि प्रकाश का अभाव ही अंधकार मात्र है।वैसे ही थकान स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है,वह मात्र ऊर्जा का अभाव है।
- सही कहें तो आज की गंभीर होती जा रही थकान की समस्या का एकमात्र निदान जीवन की जीवनीशक्ति के स्रोत की ओर विमुखता के त्याग में निहित है।अपनी प्रकृति के अनुरूप सार्थक उद्देश्य से जुड़कर रुचिपूर्ण कार्य में जुट जाएँ।अपनी शक्ति एवं क्षमता भर कार्य करते हुए सतत सक्रिय रहें।आहार-विहार के संयम व विधेयात्मक चिंतन को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं।इस तरह स्वयं ही स्फूर्ति एवं आनंद के साथ प्रगतिशील एवं विकसित होता रहेगा।
5.छात्र-छात्राओं के थकने के अन्य कारण (Other reasons why students are tired):
- ऊपर थकान के सामान्य कारण तो बताए ही गए हैं।इसके अलावा भी कुछ विशिष्ट कारण हैं जिनकी वजह से छात्र-छात्राएं थकान महसूस करते हैं।अध्ययन करने वाले व्यक्तियों और शिक्षार्थियों में शारीरिक के बजाय मानसिक थकान अधिक होती है क्योंकि अध्ययन,जाॅब आदि में बुद्धि व मस्तिष्क कार्य करता है।लगातार अध्ययन करते रहने से शिक्षार्थी थकान महसूस करते हैं। परीक्षा की तैयारी,कोर्स को पूरा करने का दबाव आदि के कारण तनावग्रस्त होने से मानसिक थकान होती है।जीवन में अत्यधिक व्यस्तता,आगे निकलने की होड़,असफलता का डर आदि के कारण भी विद्यार्थी थकान महसूस करते हैं।जीवन में बिल्कुल शारीरिक श्रम न करना,क्षमता से अधिक अध्ययन,मनन-चिंतन करने से मस्तिष्क तनावग्रस्त हो जाता है और विद्यार्थी थकान का अनुभव करते हैं।
- आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्र-छात्राओं को बिल्कुल भी व्यायाम नहीं कराया जाता है और अध्ययन का दबाव अधिक रहता है।माता-पिता,शिक्षकों का अध्ययन पर दबाव आदि से छात्र-छात्रा थकान महसूस करता है। अनिच्छा से विषय का चुनाव करना,अध्ययन या जॉब में दिलचस्पी न होने से विद्यार्थी या अभ्यर्थी काम (अध्ययन) को बोझ समझकर करता है और जब किसी कार्य को दिल से नहीं करते हैं,बोझ समझकर करते हैं तो उसको करने से जल्दी थकान महसूस करने लगते हैं।छात्र-छात्राएं अनावश्यक कार्य जैसे बेवजह वार्तालाप करना,गप्पे हाँकना आदि को करते हैं तो ऊर्जा खर्च होती है और ऊर्जा खर्च होने से थकान महसूस करते हैं।
- जितनी ऊर्जा संचित होती है और उससे अधिक खर्च करने से भी थकान महसूस करते हैं।पौष्टिक आहार के बजाय फास्टफूड,जंकफूड,चाय,कॉफी,शराब,ड्रग्स का सेवन,सेक्सी कार्य करने (सेक्स का चिन्तन) से भी थकान महसूस होती है।फास्टफूड और जंकफूड का सेवन करने से ऊर्जा का निर्माण तो होता नहीं है परंतु ऊर्जा खर्च होती रहती है।शराब,ड्रग्स का सेवन करने,सेक्सी कार्य करने से ऊर्जा का बेवजह क्षय होता रहता है और वे थकान महसूस करने लगते हैं।
- पर्याप्त विश्राम न करने,गहरी नींद ना लेने और अध्ययन ही अध्ययन करते रहने से थकान हो जाती है।क्षमता से अधिक कार्यों को हाथ में लेना जैसे प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी करना,शैक्षिक अध्ययन भी करना,पार्टटाइम जॉब करना,घर-परिवार के काम भी निपटाना,अपने दैनिक नित्यकर्मों को निपटाना आदि से छात्र-छात्राएं अधिक व्यस्त हो जाते हैं,उनके पास शरीर को विश्राम देने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचता है फलतः वे थकान महसूस करने लगते हैं।
6.छात्र-छात्राओं के लिए थकान को दूर करने के उपाय (Ways to overcome fatigue for Students):
- एक साथ लगातार न पढ़ें बल्कि बीच-बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक अवश्य दें।यदि थकान महसूस हो रही हो तो अध्ययन को रोककर थोड़ी-सी झपकी ले लें।इससे आपको राहत महसूस होगी और आप अपने आप को तरोताजा महसूस करेंगे।रोजाना नियमित रूप से 6-7 घंटे की गहरी नींद अवश्य लें ताकि थके हुए शरीर को आराम मिल सके और पुनः आप सक्रिय हो सकें।उसी ऐच्छिक विषय या व्यावसायिक क्षेत्र का चुनाव करें जिससे आप आनंद महसूस करें,जिसकी आप में मौलिक प्रतिभा है।
- सहपाठियों,मित्रों के देखा-देखी या माता-पिता के दाब-दबाव से किसी विषय का चुनाव न करें।क्योंकि कई बार माता-पिता स्टेट्स मेंटेन करने के चक्कर में वे किसी विषय का चुनाव करने के लिए दबाव डालते हैं,अतः इसे समझें और सही निर्णय लें।
उद्देश्यहीन कार्य,गप्पशप्प आदि न करें क्योंकि इन कार्यों में अनावश्यक ऊर्जा खर्च होती है।दूसरों से प्रतिस्पर्धा ना करें,स्वयं से प्रतिस्पर्धा करें यदि दूसरों से प्रतिस्पर्धा करनी हो तो स्वस्थ प्रतियोगिता करें जिससे आपमें उत्साह का संसार होता है,आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।परंतु अधिकतर दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने से मन में कुण्ठा,तनाव,निराशा,ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती है जिससे आप थकान महसूस करने लगते हैं।पिछली मिली हुई सफलता का स्मरण करें जिससे आप उत्साहित रहें और थकान महसूस ना करें।अपनी क्षमता के अनुसार ही अध्ययन व अन्य कार्य करें ताकि आपको पर्याप्त विश्राम मिल सके। - जंकफूड,फास्ट फूड का सेवन न करें बल्कि पौष्टिक और सात्त्विक आहार का सेवन करें जिससे शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा का निर्माण हो सके।दरअसल हम स्वाद के फेर में फास्टफूड व जंकफूड का इस्तेमाल करते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदायक है।ड्रग्स,शराब आदि भूलकर भी सेवन न करें।ब्रह्मचर्य व्रत का सख्ती से पालन करें।दैनिक जीवन में ध्यान,योग आदि को शामिल करें।ध्यान व योग साधना से ऊर्जा का संचय होता है।मानसिक शांति मिलती है।तनाव से मुक्ति मिलती है।थोड़ा सा मनोरंजन करने से भी थकान महसूस नहीं होती है।हंसने,खुश रहने से मन की ग्रंथियां खत्म होती है और थकान मिटती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएँ थकान का निदान कैसे करें? (How Should Students Diagnose Fatigue?),छात्र-छात्राएँ थकान से मुक्त हों (Students Should be Free From Fatigue) के बारे में बताया गया है।
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7.छात्र थका नहीं (हास्य-व्यंग्य) (Student is Not Tired) (Humour-Satire):
- एक कक्षा के सभी छात्र गणित का अध्ययन करते-करते थक गए परंतु उमराव (छात्र) थका नहीं।कक्षा समाप्त होने के बाद एक व्यक्ति ने पूछा।
- व्यक्ति:क्या बात है,सभी छात्र चार-पांच घंटे गणित का अध्ययन करते-करते थक गए,आप नहीं।
उमराव:मैं कक्षा में आखिरी पंक्ति में बैठा था और आराम से सो रहा था।
8.छात्र-छात्राएँ थकान का निदान कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How Should Students Diagnose Fatigue?),छात्र-छात्राएँ थकान से मुक्त हों (Students Should be Free From Fatigue) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.विश्राम क्यों आवश्यक है? (Why is relaxation necessary?):
उत्तर:कार्य के लिए विश्राम वैसा ही है जैसा नेत्रों के लिए पलकों का होना।प्लूटार्क के अनुसार विश्राम परिश्रम की चटनी है।
प्रश्न:2.विश्राम से थकान कैसे मिट जाती है? (How does relaxation relieve fatigue?):
उत्तर:विश्राम या नींद के समय जीवात्मा परमात्मा की गोद में चला जाता है और परमात्मा की गोद से उसे परम शांति मिलती है,परमात्मा की थपकी उसकी थकान को दूर कर देती है।
प्रश्न:3.आराम किनके लिए जरूरी है? (Who needs rest?):
उत्तर:जो व्यवसाय करते हैं,उत्पादक कार्य करते हैं,सार्थक रूप से बुद्धि का प्रयोग करते हैं,नेक कार्य करते हैं उनके लिए विश्राम परमाश्यक है परंतु अत्यधिक विश्राम भी स्वयं के लिए दर्द बन जाता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएँ थकान का निदान कैसे करें? (How Should Students Diagnose Fatigue?),छात्र-छात्राएँ थकान से मुक्त हों (Students Should be Free From Fatigue) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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