6 Strategies of How to Achieve Goal
1.लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें की 6 रणनीतियाँ (6 Strategies of How to Achieve Goal),लक्ष्य को भेदने की सटीक 6 रणनीतियाँ (Precise 6 Strategies to Hit Target):
- लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें की 6 रणनीतियों (6 Strategies of How to Achieve Goal) में हम जानेंगे कि सही लक्ष्य की पहचान कैसे करें? लक्ष्य की प्राप्ति किस प्रकार करें? लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किन गुणों को विकसित करें? हमारे जीवन का एक निश्चित लक्ष्य होना जरूरी है जिससे हम जीवन को आनंद के साथ जी सकें।
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2.सही लक्ष्य को कैसे जानें? (How do you know the right target?):
- लक्ष्य के अनुरूप ही जीवन की दशा और दिशा का निर्धारण होता है।यों तो मनुष्य जीवन ही श्रेष्ठता का पर्याय है।अतः प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य भी महान् एवं पवित्र होना चाहिए,फिर भी हर व्यक्ति अपने लक्ष्य के चुनाव के लिए स्वतंत्र है,वह भगवान का चुनाव करें या फिर उसके ऐश्वर्य का।लक्ष्य चाहे जैसा भी हो,उसको एकनिष्ठ भाव से पूरा करना चाहिए।अपनी समस्त शक्ति एवं प्रतिभा को उसमें होम देना चाहिए।
- लक्ष्य क्या है? यह प्रश्न सबके लिए अलग-अलग है।अपनी प्रतिभा एवं अभिरुचि के अनुरूप लक्ष्य होना चाहिए।जिस क्षेत्र के प्रति भावना हुलस उठे,जिसे प्राप्त करने के लिए मन मचल उठे उसे ही लक्ष्य बनाना चाहिए,लेकिन इसका सार्थक एवं सर्वहितकारी होना अनिवार्य है।मनोनुकूल कार्य के प्रति उत्साह एवं उमंग का स्वाभाविक संचार होता है।उसे पूरा करने के लिए मन लगता है और कठोर श्रम भी उबाऊ नहीं होता।परंतु अनिच्छापूर्वक अपनाए गए कार्य अंततः अपूर्ण होते हैं और उनसे असफलता भी हाथ लगती है।अतः जीवन में सदैव उसी लक्ष्य का चुनाव करना चाहिए,जिसके साथ हम न्याय कर सकें,ताकि वह अधूरा न छूटे एवं अंत तक उस पर डटे रह सकें।
- इस दृष्टि का हर घटक अनोखा है एवं हर व्यक्ति निराला।हरेक का अपना उद्देश्य होता है।भगवान ने उसे किसी विशिष्ट कार्य में नियोजित करने के लिए यहाँ भेजा है।अतः प्रत्येक का स्वभाव एवं प्रकृति भिन्न होती है।उसी के अनुसार उसे अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।जिस कार्य में अपनी मौलिक प्रतिभा जाग उठे,उसे ही लक्ष्य बनाना चाहिए।गीता के अनुसार यही स्वधर्म है।किसी को प्रशासनिक सेवाएं अच्छी लगती है,किसी को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य करना प्यारा लगता है,किसी को स्वयं के स्टार्टअप के साथ जीना पसंद है,किसी को कला के क्षेत्र में प्रवेश करना पसंद होता है,तो किसी को दर्शन का तत्त्वज्ञान या आध्यात्मिक क्षेत्र का चुनाव बेहतर लगता है।कोई गणितज्ञ बनना चाहता है,कोई विज्ञान जगत में पदार्थों का सूक्ष्म परीक्षण-निरीक्षण करना चाहता है,तो कोई राजनीति-कूटनीति में महारत हासिल करना चाहता है।यही अपनी अभिरुचि का क्षेत्र है।देखा जाए,तो इसी का चुनाव ही लक्ष्य है।
- लक्ष्य की पहचान के पश्चात उसकी प्राप्ति हेतु प्रारंभ होती है एक लंबी यात्रा,एक सुदीर्घ प्रयास एवं पुरुषार्थ। सफलता एवं असफलता उसकी सहचरी होती है,परंतु पुरुषार्थी अपने लक्ष्य-पथ से कभी विचलित नहीं होता।उसे अपना लक्ष्य सदैव धनुर्धर अर्जुन की भांति केवल मछली की आंखों की तरह याद रहता है।उसके विचार एवं संकल्प उस तीर के सदृश्य होते हैं,जिसे अनुभव की दहकती भट्टी में पकाया एवं गढ़ा जाता है और उसी के द्वारा इस लक्ष्य का बेधन किया जाता है।निराशा-हताशा,उदासीनता लक्ष्य के प्रति सन्नद्ध व्यक्ति के पास नहीं फटकती।उसमें अनवरत उद्दाम उमंग एवं नूतन आशा संचरित होती रहती है।ऐसे प्रचण्ड पुरुषार्थी ही लक्ष्य भेदने में समर्थ एवं सफल होते हैं।6 Strategies of How to Achieve Goal
3.लक्ष्य के लिए अटल दृढ़ता (Unwavering Perseverance to the Goal):
- लक्ष्य चाहे जितना कठिन एवं दुर्गम दिखता हो,दृढ़ संकल्प एवं अटल विश्वास से उसे सहज सरल बनाया जा सकता है।लक्ष्य के प्रति संकल्प ऐसा होना चाहिए कि जिसका कोई विकल्प न बन सके।महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त,आर्यभट्ट जैसे संकल्प के धनी होने चाहिए जिन्होंने गणित के क्षेत्र में भारत को शीर्ष पर पहुंचाया। गणितज्ञ आर्किमिडीज जैसे धुन का पक्का होना चाहिए जो सोने की शुद्धता का पता लगते ही नंगे ही सड़क पर दौड़े,इसका अर्थ यह नहीं है कि आप भी अपनी सुध-बुध होकर नंगे दौड़ पड़े।यहाँ लक्ष्य के प्रति जुनून की तरफ इशारा किया गया है।गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक ईसाक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज का पता लगाया उसके पीछे उसकी साधना और अहंकाररहित होना ही था।विनम्र व्यक्ति को ही विद्या की प्राप्ति होती है।सापेक्षता के सिद्धांत की खोज करके अल्बर्ट आइंस्टीन ने संसार को चकित कर दिया।जबकि वे बचपन में गणित में बिल्कुल फिसड्डी थे और उनके साथी उनकी मजाक उड़ाया करते थे।विश्वास के बल पर,लगनशील एवं साहसी योद्धा ही शिखर को छू पाते हैं।वीर एवं योद्धा बनकर ही लक्ष्य को भेदा जा सकता है।जहां पर व्यामोह एवं दुर्बलता का नामोनिशान न हो।साहसी और अपार साहसी ही अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।
- उच्चतर लक्ष्य के लिए दैवी कृपा भी मिलती है।जब व्यक्ति श्रेष्ठ लक्ष्य हेतु अग्रसर होता है और उसके कदम आगे बढ़ने लगते हैं,तो उसे अनायास ही साधन-सुविधाएँ मिलने लगती हैं।अंदर से प्रेरणा जागृत होने लगती है और उस कार्य को पूरा करने के लिए नवीन आशा एवं उत्साह का संचार होने लगता है।ऐसी स्थिति में मन का कुहासा छँटने लगता है और लक्ष्य का सूर्य चमकने लगता है।जिसके कारण पथ पर बढ़ते हुए वह अवश्य ही सफल होता है।फिर जीवन के समस्त क्रियाकलाप एक उसी लक्ष्य के लिए मचलने लगते हैं।शरीर का रोम-रोम,मन का हर विचार एवं हृदय की सारी भावनाएं एक उसी निर्दिष्ट लक्ष्य की ओर चल पड़ती हैं।जीवन लक्ष्यमय हो उठता है।ऐसी स्थिति में भला लक्ष्य की प्राप्ति कैसे असंभव हो? फिर तो परमात्मा का सिंहासन भी डोल जाता है और वह दौड़ा-दौड़ा अपने प्रेमी को बचाने चला आता है।उसकी कदम-कदम पर रक्षा करता है,हर जगह मार्गदर्शन देता है,हमारा सहारा बन जाता है।बस आपमें यह कला आनी चाहिए की भागवद्शक्ति का सहयोग कैसे प्राप्त करें,कैसे जानें कि उसकी सहायता किस प्रकार मिल सकती है?
- लक्ष्य के लिए इतनी लगन और निष्ठा अपरिहार्य है।ऐसी निष्ठा जिस क्षेत्र में लगा दी जाती है,उसका परिणाम सुनिश्चित हो जाता है।विद्यार्थी अपनी विद्या के लिए,अभ्यर्थी अपने जॉब के लिए,कवि अपनी कविता के लिए,चित्रकार अपने चरित्र के लिए,कृषक अपनी फसल के लिए,गणितज्ञ अपने गणित में शोध के लिए,वैज्ञानिक अपने विज्ञान के विषय के लिए एवं भक्त अपने भगवद् लक्ष्य के लिए इसी प्रकार की भक्ति एवं निष्ठापूर्वक कर्म करते हैं।कर्म के इसी सोपान से बढ़ते हुए उन्हें अपने मंजिल की प्राप्ति होती है।
- लक्ष्य को लाँघने वाला व्यक्ति सदा वर्तमान में जीता है।वर्तमान के सर्वोत्तम क्षणों को मूर्त रूप देता है।यह आज के कार्य को कल के लिए नहीं टालता।उसे नियत समय में पूर्ण करके ही दम भरता है।अतीत की असफलता से सीख लेता है और उससे कभी परेशान एवं व्यग्र नहीं होता।बल्कि भविष्य में ऐसी त्रुटि न करने का संकल्प दुहराता है एवं अपने लक्ष्य हेतु योजना गढ़ता है।वह सदैव वर्तमान में जीकर अपनी अभीप्सित लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है।वह कभी भी लक्ष्य पथ से विचलित नहीं होता है।इसी कारण बड़ी-बड़ी विघ्न-बाधाओं को भी वह आसानी से पार कर जाता है।
4.लक्ष्य के प्रति अविचल समर्पण (Unwavering dedication to the goal):
- जिसने भी महानता अर्जित की है,सफलता पाई है,अगर उनके जीवन के अंदर झाँकें तो प्रतीत होगा कि लक्ष्य ही उनका केंद्र बिंदु रहा है।उनका समस्त जीवन उनके लक्ष्य के इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आएगा।सफलता एवं कठिनाइयों के आगे वे न तो हारे,न टूटे और न बिखरे,बल्कि असीम धैर्य के साथ अपने उद्देश्य की ओर बढ़ते ही चले गए।
- जिन्होंने भी अपने जीवन में अद्भुत लेखन कार्य किया है।उसके लिए उन्हें अपार कष्ट सहना पड़ा और अनंत बाधाएँ झेलनी पड़ीं।स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उठ खड़ी होती हैं।तब कहीं जाकर जीवन के अंतिम पड़ाव में अपनी रचना के साथ न्याय कर पाते हैं,श्रेष्ठ स्तर की रचना कर पाते हैं।पाठक पढ़ने के लिए ऐसी रचनाओं की बेसब्री से इंतजार करते हैं।
- जो विख्यात पत्रकार होते हैं,संपादक होते हैं और उसके लिए लिखते हैं,प्रारंभ करते समय इतना भी अवकाश नहीं होता कि मिलने-जुलने वालों के साथ कुछ पल बैठकर विचार-विमर्श कर पाते,जब ग्राहक को किसी संस्करण की आवश्यकता होती है तो उन्हें संस्करण की प्रति देने और उसकी कीमत लेकर गिनने तक समय नहीं होता है।उन्हें प्रारंभ में अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ता है।रोज ऐसे व्यक्तियों को अठारह-अठारह घंटे काम करना पड़ता है।इस कठिन परिश्रम के बावजूद आमदनी के नाम पर गरीबी पल्ले पड़ती है।परंतु कभी हिम्मत न हारने वाले ऐसे जुझारू वीर अपने लक्ष्य को कभी नहीं भूलते।इतनी कठिन साध्य दिनचर्या और कठिन परिश्रम के पश्चात ही वे अपने काम को नूतन आयाम दे पाते हैं।गणितज्ञ और वैज्ञानिक अपने शोध कार्य में इतने व्यस्त और कठोर परिश्रम करते हैं कि वे दीन-दुनिया से कट जाते हैं।संसार में क्या कुछ हो रहा है इसका बिल्कुल ही भान नहीं रहता है।वास्तव में ये सच्चे कर्मयोगी ही होते हैं जिन्हें अपने लक्ष्य के अतिरिक्त कुछ भी दिखाई नहीं देता है।अपनी सुध-बुध भूलकर अपने मिशन में इस कदर खोए रहते हैं कि उन्हें लक्ष्य प्राप्त करने पर ही चैन मिलता है।साधारण रहन-सहन,दिनचर्या और कोई दिखावा तथा आडंबर नहीं।गेरुए वस्त्र पहनने से ही कोई साधक नहीं होता है बल्कि मन,वचन और कर्म से अपने काम में जुटे रहना ही सच्ची साधना है।यही साधना उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचाती है।बाहरी पहनावे और वेशभूषा से ऐसे गणितज्ञ व वैज्ञानिक साधारण व्यक्ति की तरह लगते हैं परंतु उनका मनोबल,उनकी दृढ़ता,लक्ष्य पर नजर,लक्ष्य के प्रति समर्पण को देखकर ऐसा लगता है कि कोई दिव्य महापुरुष हों।
- लक्ष्य के प्रति समर्पित ऐसे व्यक्तियों का जीवन अपने ध्येय के लिए नियोजित होता है।वस्तुतः जीवन में एक विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अटल संकल्प,दृढ़ विश्वास,उद्दाम साहस एवं असीम धैर्य की आवश्यकता पड़ती है।इसके द्वारा हर उस लक्ष्य को जिसके लिए संकल्प उठा हो,प्राप्त किया जा सकता है,परंतु ध्यान रहे कि अपने इष्ट के अलावा समस्त वैभव एवं संपदा नश्वर है।क्यों न जीवन के श्रेष्ठ एवं वास्तविक क्षेत्र को ही जीवन लक्ष्य बनाएं जिससे मानव जाति का कल्याण हो। क्यों ना संपूर्ण एवं समस्त जीवन को एक उसी के लिए लगा दिया जाए,जो एकमात्र सत्य है।अपना आदर्श ही एकमात्र जीवनोद्देश्य है और इसी लक्ष्य के लिए निज को सर्वस्व रूप से उत्सर्ग एवं समर्पित कर देना चाहिए।ऐसा जीवन और उसका लक्ष्य दोनों ही श्रेष्ठ एवं वरेण्य होते हैं।
5.छात्र-छात्राओं के लिए सुझाव (Suggestions for students):
- अक्सर अधिकांश छात्र-छात्राएं अपने सही लक्ष्य का चुनाव करने के बारे में भ्रमित रहते हैं।ऐसी स्थिति में उन्हें अपने माता-पिता,मित्रों,अपने शिक्षकों से विचार-विमर्श करना चाहिए।लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जिसके बारे में आपने कोई स्किल ली हुई है और उसको दिल से चाहते हैं,आपकी रुचि और उस कार्य को करने से आपको खुशी मिलती है।साथ ही मार्केट की डिमांड को भी ध्यान रखें।यह ध्यान रखें कि आज के युग में प्रतिस्पर्धा व प्रतियोगिता का हर कहीं,हर क्षेत्र में सामना करना पड़ेगा।परंतु आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहेंगे,कठोर परिश्रम करेंगे,संघर्षों और कठिनाइयों से नहीं घबराएंगे,धैर्य रखेंगे तो देर-सबेर आपको अपने लक्ष्य में सफलता मिल ही जाएगी।
- गलतियां भी होती है परंतु जो गलतियों और कमजोरियों की पहचान कर लेता है और उनमें सुधार करता रहता है वह अवश्य आगे बढ़ता जाता है।यदि आपको अपने लक्ष्य से संबंधित कोई स्किल की जरूरत है जैसे कोडिंग,प्रोग्रामिंग,कंप्यूटर भाषा,टेक्नोलॉजी आदि के ज्ञान की जरूरत है तो आप अवश्य हासिल करें,लापरवाही न बरतें।क्योंकि आज के युग में टेक्नोलॉजी का थोड़ा-बहुत ज्ञान जरूरी है चाहे आप कोई भी फील्ड का चयन करें।
- आज के युग में अपने फील्ड में महारत हासिल करने और सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए जुनूनी होना बहुत जरूरी है।लक्ष्य को आप अपना जुनून बना लें।एक ही ढर्रे पर ना चलते रहे बल्कि अपने आपको अपडेट एवं अपग्रेड करते रहें।अपडेट व अपग्रेड करने के लिए जोखिम भी उठाना पड़ सकता है।अतः जोखिम लेने से ना डरें।जोखिम लेने से आपको सीखने के नए अवसर मिलते हैं और आपका व्यक्तित्व निखरता है।हालांकि जोखिम में असफलता का डर भी रहता है लेकिन असफलता से बिल्कुल ना डरें बल्कि असफलता से सीख लें ताकि आप और अधिक दृढ़ता के साथ आगे बढ़ सकें।
- पहले से बने-बनाएं रास्तों पर न चलकर अलग हटकर और डटकर करें।जब आप कुछ हटकर और डटकर करेंगे तो आपके जॉब के प्रति लोग आकर्षित होंगे।अपने जॉब में नवीनता,परिवर्तनशीलता और प्रगतिशीलता को अपनाएं।एक ही ट्रैक पर चलते रहने से वह कार्य उबाऊ लगने लगता है,इस बात का ध्यान रखें।कोई व्यक्ति,साथी या शुभचिंतक आपको कुछ सुझाव देता है तो उस पर विचार-मनन अवश्य करें परंतु अपनी स्वतंत्र सोच,अपने जॉब के माफिक ही निर्णय लें।स्वतंत्र सोच रखने वाले ही दुनिया में परिवर्तन लाते हैं और आगे बढ़ते हैं।
- अपने अंदर सीखने की ललक रखें,सीखते रहें और आगे बढ़ते रहें।कभी भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है,सीखने के लिए हर उम्र,हर समय जरूरत रहती है,कभी खत्म नहीं होती है परंतु प्रयास परफेक्शन (पूर्णता) लाने का ही करें।दूसरों पर अत्यधिक निर्भर नहीं रहें।प्रारंभ में हो सकता है आपको दूसरों पर निर्भर रहना पड़े परंतु धीरे-धीरे अपनी सोचने-विचारने और मनन करने की क्षमता को विकसित करें और उसके आधार पर ही आगे बढ़े।दूसरों पर निर्भरता आपको आगे बढ़ने से रोक देगी,एक समय बाद ठहराव आ जाएगा।दूसरों को अच्छा लगने वाला कार्य न करके आपके लिए क्या अच्छा है,आपके जॉब,मिशन के लिए क्या अच्छा है उसी को अपनाएं।अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज करने से ना डरें,यदि अच्छी है और आपके मिशन में उपयोगी है तो उसे अपना सकते हैं।खुद को लगातार बेहतर बनाते रहें।
- उपर्युक्त आर्टिकल में लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें की 6 रणनीतियाँ (6 Strategies of How to Achieve Goal),लक्ष्य को भेदने की सटीक 6 रणनीतियाँ (Precise 6 Strategies to Hit Target) के बारे में बताया गया है।
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6.लक्ष्य को भेदने से चूकना (हास्य-व्यंग्य) (Missing Target) (Humour-Satire):
- गणित छात्र (गणित टीचर से):सर मैं हर बार परीक्षा पर सटीक निशाना लगाने से चूक जाता हूं,परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता हूं।
- गणित टीचर (छात्र से):ऐसा करो पहले तुम मेरी कोचिंग की फीस जमा करा दो ताकि फिर बाद में मैं लक्ष्य को प्राप्त करने के गुर और तकनीक बताऊँ।
7.लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें की 6 रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 6 Strategies of How to Achieve Goal),लक्ष्य को भेदने की सटीक 6 रणनीतियाँ (Precise 6 Strategies to Hit Target) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.लक्ष्य को पाने के लिए स्वयं को प्रेरित कैसे करें? (How do you motivate yourself to achieve your goal?):
उत्तर:अपने मिशन के शीर्ष पर पहुंचने और उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करें।यह सोचें कि जब आपको अपना लक्ष्य हासिल हो जाएगा तो आपकी कितनी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।आप आम व्यक्ति से खास व्यक्ति बन जाएंगे।
प्रश्न:2.लक्ष्यहीन जीवन किसके समान है? (What is aimless life like?):
उत्तर:लक्ष्यहीन जीवन जंगल में भटकने के समान है।जिस प्रकार दिशाहीन गाड़ी किसी से भी,कहीं भी जा टकराती है उसी प्रकार लक्ष्यहीन जीवन मुर्दे के समान जीवन जीना है।
प्रश्न:3.लक्ष्य की सिद्धि कैसे होती है? (How is the goal achieved?):
उत्तर:लक्ष्य की सिद्धि अन्याय,अनीति,गलत तरीके अपनाने,छल-पाखंड और धूर्तता से नहीं होती है।सच्चे लक्ष्य की सिद्धि तो नीति,न्याय,सत्य,धर्म,सद्बुद्धि और अच्छे गुणों को धारण करने से होती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें की 6 रणनीतियाँ (6 Strategies of How to Achieve Goal),लक्ष्य को भेदने की सटीक 6 रणनीतियाँ (Precise 6 Strategies to Hit Target) के बारे में बताया गया है।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.