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What Will Be Scenario of 21st Century?

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1.21वीं सदी का परिदृश्य क्या होगा? (What Will Be Scenario of 21st Century?),21वीं सदी के पश्चात का परिदृश्य (Post-21st Century Scenario):

  • 21वीं सदी का परिदृश्य क्या होगा? (What Will Be Scenario of 21st Century?) तथा 21वीं सदी के पश्चात का परिदृश्य को लेकर यह प्रश्न हर चिंतनशील व्यक्ति को मथ रहा है।यह हमारे समक्ष एक ज्वलंत प्रश्न व एक अत्यंत विचारणीय मुद्दे के रूप में उपस्थित है।
  • वर्तमान 21वीं सदी के बाद अर्थात् 22वीं शताब्दी ही वर्तमान शताब्दी की उत्तराधिकारिणी और हमारी संभावनाओं का मुख्य केंद्र बिंदु होगा।इन संभावनाओं को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं:(1.)अनुकूल संभावनाएं,(2.)प्रतिकूल संभावनाएं।
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2.अनुकूल संभावनाएं (Favorable Prospects):

  • (1.)सारा विश्व वर्तमान शताब्दी और गत शताब्दी में युद्ध की विभीषिका को भुगत चुका है।20वीं शताब्दी में प्रथम विश्व युद्ध,द्वितीय विश्व युद्ध,यूगोस्लाविया पर अमेरिका (नाटो) का आक्रमण,वियतनाम और लीबिया पर अमेरिका की दादागिरी तथा अब 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में रूस द्वारा यूक्रेन के हमले में 50000 रूसी सैनिक तथा यूक्रेन के 31000 सैनिक व हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं।रूस ने यूक्रेन के 18% हिस्से पर कब्जा कर लिया है।इस्रराइल व हमास (आतंकवादी संगठन) के बीच युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं।
  • पूरा विश्व कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का परिणाम भुगत रहा है।पर ऊपरी तौर पर ही सही आज लगभग सभी राष्ट्र शांति और आपसी प्रेम की चाह में है।चारों ओर शांति का वातावरण उत्पन्न करने का प्रयास चल रहा है।20वीं शताब्दी में खतरनाक अस्त्र-शस्त्रों को नष्ट करने के लिए भी समझौते हो चुके हैं।हो सकता है कि अगली शताब्दी में इन महत्त्वपूर्ण प्रयासों का अमृतमय सुफल प्राप्त हो सकेगा और विश्व में सर्वत्र शांति का साम्राज्य स्थापित होगा।जहां तक भारत का प्रश्न है उसने रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।अतः 21वीं शताब्दी में नवनिर्मित शांतिपूर्ण विश्व-परिवार का मुखिया (भारत) होगा।
  • (2.)आज विज्ञान और तकनीकी अपनी उन्नति के चरम शिखर पर है।इस विज्ञान और तकनीकी के विकास ने हमें आराम,सुख-सुविधा तथा जरूरतों की पूर्ति के लिए असीमित साधन दिए हैं।विज्ञान की सहायता से ही मानव आज परमाण्विक व अंतरिक्ष संबंधी अन्वेषण कार्य कर रहा है।परमाण्विक ऊर्जा का यदि सदुपयोग किया जाए तो यह मानव के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। अंतरिक्ष-अनुसंधान भी मानव समाज के लिए हितकारी साबित हो सकता है।ये समस्त वैज्ञानिक कार्य 21वीं शताब्दी में तीव्रतर गति प्राप्त कर रहे हैं और इस प्रकार हम सभी 21वीं सदी में एक उज्जवल भविष्य की परिकल्पना कर सकते हैं।इस क्षेत्र में भारत भी सकारात्मक आशाएं कर सकता है।कंप्यूटरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।21वीं शताब्दी में आगे भी और अधिक हमारा जीवन अधिकाधिक कंप्यूटरीकृत हो जाएगा।
  • (3.)आज भारत में सभी जगह नौकरशाही व लोक प्रशासन में व्याप्त कमजोरियों व खामियों को दूर करके उन्हें स्वच्छ व पारदर्शी तथा खामियों से रहित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।सरकारी कार्यालय व अदालतों में व्याप्त लालफीताशाही पर अंकुश लगाया जा रहा है।इसी कारण नागरिकों के अधिकांश कार्य ऑनलाइन किए जा रहे हैं।अदालतों में सुनवाई ऑनलाइन की जा रही है।संसार के अन्य राष्ट्र भी इन सब प्रक्रमों से गुजर रहे हैं जिससे नागरिक प्रशासन अधिक सुधारवादी होकर विकासोन्मुखी हो सका है।फलस्वरूप आगामी सदी में नागरिक सुखद दैनिक जीवन के स्वप्न को साकार कर सकते हैं।इस प्रकार हमारा जीवन भ्रष्टाचार आदि अभिशापों से मुक्त हो सकेगा।मानव ऊर्जा की बचत होगी,दूसरी ओर बेरोजगारी कम होगी।
  • (4.)वर्तमान युग में हरिजनों व दलितों तथा औरतों को सरकार द्वारा विशेष आरक्षण दिए जाने के फलस्वरूप,ये 21वीं सदी में अधिक उन्नति करके समाज में बराबरी का स्थान प्राप्त कर सकेंगे।कुरीति विरोधी अभियानों द्वारा कुरीतियों का भी सफाया हो जाएगा जिससे वर्तमान तथा अगली सदी में सारा सामाजिक परिदृश्य विशेष कर भारतीय सामाजिक परिदृश्य अधिक स्वच्छ व अनुकूल रूप धारण करेगा।संक्षेप में सामाजिक जागरूकता में वृद्धि होगी।
  • (5.)20वीं शताब्दी के अंतिम वर्ष में पूर्वी व दक्षिणी-पूर्वी एशियाई आर्थिक संकट तथा जापान जैसी मजबूत अर्थव्यवस्थाओं के रुक जाने के बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी स्थिरता बनाए हुए है और विकास दर में लगातार सुधार जारी है।कोरोना संकट के कारण पूरे विश्व पर आर्थिक मंदी का जो संकट मंडराया हुआ था उससे विश्व मुक्त होता जा रहा है।विकास की यह गति 21वीं सदी में और भी श्रेष्ठ रूप धारण करेगी।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में ‘यूरो’ का पदार्पण भी आर्थिक उथल-पुथल लाएगा जो आगामी शताब्दी में लाभकारी आर्थिक परिणामों की उपलब्धि करेगा।
  • (7.)अंतरिक्ष विज्ञान की उन्नति के फलस्वरूप अंतरिक्ष यात्रा आदि में वृद्धि होने की पूरी संभावना है।
  • (8.)ओजोन परत के क्षरण को रोकने के प्रयास तो आरम्भ हो ही गए हैं।इनमें वृद्धि होगी और तदनुसार पर्यावरण की समस्या कम होगी।
  • (9.)औद्योगिकरण,वैश्वीकरण में वृद्धि नगरीकरण में कमी होगी।क्योंकि पंचायती राज की स्थापना के प्रति हमारे कर्णधार पर्याप्त गंभीर हैं।
  • (10.)मानव की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निराकरण होगा।
  • (11.)सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी फलतः नग्नवाद में कमी आएगी।

3.प्रतिकूल संभावनाएँ (Unfavorable Prospects):

  • (1.)21वीं सदी में मानव की कुत्सित विचारधारा और भी अधिक कुत्सित होकर शोषण,हत्या,कालाबाजारी,चोरी,डकैती आदि के रूप में सर्वत्र दुर्गंधमयी वातावरण उत्पन्न करेगी जो संपूर्ण मानव समाज को पतनरूपी महामारी से ग्रस्त करके सदा-सदा के लिए मौत की नींद सुला देगी।आतंकवादी ओसामा बिन लादेन,उत्तरप्रदेश में आतंक के पर्याय विकास दुबे,अतीक अहमद,मुख्तार अंसारी,राजस्थान में आनंदपाल सिंह,कुख्यात ददुआ,कुख्यात दारा सिंह को खत्म करने का यह अर्थ नहीं है कि आतंक फैलाने वाले पैदा नहीं होंगे क्योंकि राजनेता ऐसे लोगों को संरक्षण देते हैं इसीलिए ये पनपते हैं।
  • हमारे संविधान के निर्माताओं ने मूलतः संसदीय प्रजातंत्र की ब्रिटिश प्रणाली को अपनाने के साथ-साथ अन्य देशों के संविधानों के प्रमुख उत्तम प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए देश को एक आदर्श संविधान देने का प्रयास किया था।किंतु संविधान सभा के सदस्य राष्ट्र प्रेम की भावना से प्रेरित तथा स्वयं बहुत ऊंचे कद के गणमान्य व्यक्ति होने के कारण उस समय भावी स्थिति का कदाचित अनुमान नहीं लगा सके।वे यह सोच भी नहीं सके कि शीघ्र ही ‘आया राम गया राम’ का युग आएगा,कि संविधान में जाति,मजहब के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध स्पष्ट निषेध के बावजूद वोट बैंक की राजनीति का उपयोग समाज में जाति एवं मजहब आदि के नाम पर विभाजनों को और सुदृढ़ तथा बढ़ाने के लिए किया जाएगा,यह कि अपराधी एवं असामाजिक तत्व संसद तथा राज्य विधान मंडलों की शोभा बढ़ाने के लिए चुने जाएंगे यह है कि देश एवं जनता की सेवा का माध्यम के बजाय राजनीति का उपयोग समाज के निकृष्ट तत्वों द्वारा अल्प समय में कई पुश्तों के लिए धन संचय के लिए किया जाएगा और सर्वोपरि यह है कि संविधान के रक्षक ही अपने निहित स्वार्थ एवं सुविधा की पूर्ति के लिए इसके शब्दार्थ एवं भावना का उल्लंघन करने में नहीं हिचकिचायेंगे।
  • हमारे संविधान की नींव जनता की बेवकूफी,राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचार,अपराधी तत्वों के चुनकर लोकसभा व राज्य विधानसभा में पहुंचने तथा बुद्धिजीवियों की लापरवाही के कारण हिल गई है।केवल लगभग 75 वर्षों में ही संविधान की उत्तम प्रक्रियाओं को हमने कायरता,बकवास तथा स्वांग के तमाशे के स्तर पर ला दिया है।तत्पश्चात स्थिति बद से बदतर ही होती गई है।यह 21वीं सदी तथा 21वीं सदी के पश्चात हमारे विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा होगी।
  • (2.)20वीं शताब्दी के पश्चात,21वीं शताब्दी में जनसंख्या वृद्धि की समस्या सारे विश्व को,खासकर भारत को संकटों के मकड़जाल में फंसा देगी फलस्वरूप,अपराधीकरण,बेरोजगारी,गरीबी,पर्यावरण-प्रदूषण,विकास की गति का अवरुद्ध होना,अराजकता की स्थिति आदि जटिल समस्याएं उत्पन्न होंगी।इस परिप्रेक्ष्य में वर्तमान सदी हमारे लिए संकटों का पर्याय सिद्ध होगी।अन्य राष्ट्रों को भी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • (3.)जनसंख्या-वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाला प्राकृतिक संकट हमारे अस्तित्व को आगामी सदी में नष्ट कर देगा।मानवों की लगातार बिना सोचे-समझे उन्नति करने का लोभ भी ऐसी समस्याएं उत्पन्न करेगा।गरीबी बढ़ेगी और वस्तुओं की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयत्न किए जाएंगे।
  • (4.)वर्तमान शताब्दी में सिनेमा,विज्ञापन आदि के कुप्रभाव द्वारा हमारे युवा पीढ़ी पथभ्रष्ट होकर राष्ट्र और समूचे विश्व को पतन के गहरे गड्ढे में गिरा देगी।ईमानदारी व सहृदयता का लोप हो जाएगा तथा भ्रष्टाचार,घोटालीबाजी और कदाचार का सर्वत्र बोलबाला हो जाएगा।यह हमारे लिए 21वीं शताब्दी की एक और त्रासदी है।
  • (5.)लगातार की जा रही शांति संधियों के बावजूद यह सुनिश्चित नहीं है कि 21वीं सदी में तृतीय विश्व युद्ध नहीं होगा तथा पृथ्वी विनाश से बच जाएगी।वस्तुतः शांति संधियों का महत्त्व तब होता है,जब इनके द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन ईमानदारीपूर्वक हो।पर जब इस समय संसार से ईमानदारी का लगातार लोप हो रहा है।आज पृथ्वी परमाणु अस्त्र-शस्त्रों पर टिकी हुई है,जिनकी संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।अतः यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि 21वीं शताब्दी के दौरान तथा उसके बाद हमारे अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
  • (6.)वातावरण में ग्रीन हाउस गैसें बढ़ रही हैं,जिनमें कार्बन डाइऑक्साइड मुख्य है।कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने की यह रफ्तार अमूमन एक प्रतिशत है।इसके बढ़ने की मुख्य वजह हमारी औद्योगिक गतिविधियां हैं।पिछले कुछ सालों से कार्बन डाइऑक्साइड को बढ़ाने में विकासशील देशों की आर्थिक गतिविधियों का भी अच्छा खासा योगदान रहा है,खासकर जब से बहुराष्ट्रीय निगमों ने अपनी उत्पादक गतिविधियां इन देशों में बढ़ाई है यहां तक कि उसमें चीन भी शामिल है।जहां तक पश्चिमी यानी,औद्योगिक दृष्टि से विकसित देशों की बात है,तो वहां की तो सारी जीवन शैली ही ऐसी है,जिससे वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति बढ़ रही है।
  • इन ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने के कारण ‘ग्लोबल वार्मिंग’ (पृथ्वी के वातावरण में ताप की बढ़ोतरी) बढ़ रही है और इस ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारण ही मौसमों में अप्रत्याशित बदलाव आ रहे हैं।इस पूरे परिदृश्य में बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में सबसे मुख्य भूमिका आदमी की है।

(7.)क्या है ग्लोबल वार्मिंग? (What is global warming?):

  • सूर्य की विकिरणों को धरती मुख्यतः अपनी सतह पर ही सोख लेती है और इसके बाद ऊर्जा उत्सर्जित करती है,जो समुद्र और वायुमंडल में वितरित हो जाती है।इसके बाद विकिरण पुनः वायुमंडल में ऊंचाई में जाकर फैल जाते हैं।लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कम तरंगदैर्ध्य वाले विकिरण तो वायुमंडल में आसानी से गुजर जाते हैं,लेकिन व्यापक तरंग दैर्ध्यवाले विकिरण अटक जाते हैं।इनके अटकने की वजह यह है कि पृथ्वी के चारों ओर उष्मरोधी गैसों की एक घनी दीवार बन गयी है; जिसे हम ‘ग्रीन हाउस’ कहते हैं।
  • ग्रीन हाउस गैसें इसलिए बनती है,क्योंकि जो व्यापक तरंग दैर्ध्यवाले ग्रहीय विकिरण वायुमंडल को पार करके वापस नहीं जा पाते,धरती उन्हें अपनी सतह पर पुनः सोखती है और इसके कारण ही कुछ गैसें पैदा होती है,जिनमें मुख्य हैं कार्बन डाइऑक्साइड,मीथेन,नाइट्रस ऑक्साइड तथा क्लोरो फ्लोरो कार्बन इत्यादि।ये सारी गैसे मिलकर धरती के चारों तरफ एक घना आवरण बना लेती हैं,जिसके कारण पृथ्वी गर्म होने लगती हैं।
  • इस प्रक्रिया को ग्रीन हाउस प्रयोगशालाओं के कार्य-व्यवहार से और अच्छी तरह से समझा जा सकता है।ग्रीन हाउस प्रयोगशालाएं आखिर किस तरह काम करती हैं? दरअसल,ग्रीन हाउस प्रयोगशालाएं उष्मारोधी दीवारों से बंद कमरे होते हैं।इन कमरों की छतें कांच अथवा पारदर्शी प्लास्टिक की बनी होती है।सूर्य का प्रकाश इन छतों को पार करके कमरों के अंदर पहुंच जाता है।लेकिन उष्मारोधी दीवारों के चलते इन कमरों में प्रकाश के रूप में अंतर आयी उष्मा बहुत कम बाहर निकाल पाती है।इससे कमरे के तापमान में खासी वृद्धि बनी रहती है,जिससे कांच की छत के भीतर स्थित पौधा बाहर तमाम ठंड के बावजूद पर्याप्त गर्मी हासिल कर लेता है और इस प्रकार घनघोर बर्फीले इलाकों में भी ऐसी सब्जियां उगायी जा सकती है,जो गर्मी में पैदा होने वाली होती है।
  • लगभग यही प्रक्रिया धरती के साथ संपन्न हो रही है।चूँकि धरती के चारों तरफ जो उष्मारोधी परतें बनी हैं,उन्हें हम बनाकर नहीं लगाते,बल्कि ये हमारी औद्योगिक और तमाम उन गतिविधियों के चलते बनी हैं,जिनमें कार्बन डाइऑक्साइड समेत वे गैसें निकलती हैं,जो उष्मारोधी होती हैं।

4.21वीं सदी का परिदृश्य का निष्कर्ष (Conclusion to 21st Century Scenario):

  • इस तरह हमें 21वीं सदी और 21वीं सदी के पश्चात का युग अनुकूल और प्रतिकूल संभावनाओं से भरा दिखाई पड़ता है।विपुल प्रतिकूल संभावनाओं को अनुकूल बनाने के लिए हमें अभी से अधिक प्रयास करने पड़ेंगे।उदाहरणस्वरूप:हमें अपने कुत्सित मनोवृत्तियों को परिवर्तित व परिष्कृत करना होगा,जनसंख्या-वृद्धि पर नियंत्रण स्थापित करना होगा।विनाशकारी उन्नति को रोकना होगा,सिनेमा और विज्ञापनों के प्रचार-प्रसार पर कड़ी निगाह रखनी होगी,अश्लील मनोरंजनों पर अंकुश लगाना पड़ेगा इत्यादि।यदि हम इन प्रकर्मों से उचित ढंग से गुजरे और 21वीं सदी की संभावनाओं के प्रति आशावान बने रहे तो 21वीं सदी तथा उसके बाद का समय निश्चित रूप से संपूर्ण मानव-जाति के लिए अति अनुकूल तथा चिरस्मरणीय और चिरवंदनीय सिद्ध होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ सदृश्य संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित संश्लेषणपरक प्रयास सफल होंगे और विग्रह एवं विघटन की प्रवृत्तियां बाधित होंगी।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में 21वीं सदी का परिदृश्य क्या होगा? (What Will Be Scenario of 21st Century?),21वीं सदी के पश्चात का परिदृश्य (Post-21st Century Scenario) के बारे में बताया गया है।

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5.प्रश्नावली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं है (हास्य-व्यंग्य) (The Question is Not Included in Syllabus) (Humour-Satire):

  • दो विद्यार्थी गणित की एक प्रश्नावली हल कर रहे थे।वे दोनों आपस में झगड़ा कर रहे थे की प्रश्नावली का सवाल पहले वह,अध्यापक जी से पूछेगा।आपस की लड़ाई जूतम-पैजार पर आ गई तब पास बैठे विद्यार्थी ने कहा तुम क्यों लड़ रहे हो,यह प्रश्नावली पाठ्यक्रम में शामिल है ही नहीं।

6.21वीं सदी का परिदृश्य क्या होगा? (Frequently Asked Questions Related to What Will Be Scenario of 21st Century?),21वीं सदी के पश्चात का परिदृश्य (Post-21st Century Scenario) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.ग्लोबल वार्मिंम को कैसे रोकें? (How to prevent global warming?):

उत्तर:इसको रोकने का एक ही तरीका है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम से कम किया जाए।इनमें मुख्य गैसें हैं:कार्बन डाइऑक्साइड,मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड।ये तीनों गैसें प्रकृति में पाई जाती हैं।चौथी गैस,जो औद्योगिक गतिविधियों का उत्पाद होता है,क्लोरो फ्लोरो कार्बन।क्लोरो फ्लोरो कार्बन का मुख्य प्रभाव ओजोन परत पर पड़ रहा है।

प्रश्न:2.क्या सीएफसी की वैकल्पिक तकनीक बाजार में मौजूद है? (Does CFC’s alternative technology exist in the market?):

उत्तर:पश्चिमी देशों में इसका विकल्प विकसित कर लिया है और एक करार के मुताबिक पश्चिमी जगत को यह सीएफसी रहित तकनीक भारत को भी मुहैया करानी थी।

प्रश्न:3.वातावरण का तापमान बढ़ने के क्या दुष्परिणाम हैं? (What are the side effects of increasing the temperature of the environment?):

उत्तर:(1.)वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर तापमान में 3 डिग्री तक की वृद्धि हो गयी तो भारत और अफ्रीका के तमाम देशों में जहां गर्मी पड़ती है,बड़े पैमाने पर वनस्पतियों का नाश हो जाएगा।
(2.)धरती के नीचे जल का स्तर घट जाएगा और ग्लेशियर पिघलकर बह जाएंगे जिससे इलाकों में बड़ी मात्रा में जल संकट पैदा हो सकता है।
(3.)भीषण गर्मी के चलते लोगों में जल की कमी के तमाम रोग पैदा हो सकते हैं,त्वचा कैंसर और आंखों के तमाम रोग पैदा हो जाएंगे।
(4.)अगर तापमान बढ़ गया तो हमारी अब तक की जो भी भवन व्यवस्था है वह उस स्तर की गर्मी को झेल पाने में नाकाम रहेगी और बड़ी मात्रा में बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे  फिर से बनानी पड़ेगी क्योंकि ज्यादा गर्मी से सीमेंट से आग लगने का खतरा पैदा हो जाएगा।
(5.)इस बढ़ी हुई गर्मी का सबसे ज्यादा असर हमारे फसल चक्र पर पड़ेगा और भारत जैसा देश जहां आज भी दो-तिहाई आबादी कृषि से ही अपना पेट पाल रही है,उसके सामने जीवन-मरण का सवाल पैदा हो जाएगा। अगर तापमान बढ़ा और यह निश्चित बढ़ेगा यदि दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए तैयार किए गए उपायों को अमल में न लाया गया तो वैज्ञानिकों का अनुमान है की 70% से ज्यादा ग्लेशियर पिघल जाएंगे और उस स्थिति में समुद्र का जलस्तर ढाई से तीन फीट तक बढ़ेगा।जिससे दुनिया के तमाम हिस्से डूब सकते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा 21वीं सदी का परिदृश्य क्या होगा? (What Will Be Scenario of 21st Century?),21वीं सदी के पश्चात का परिदृश्य (Post-21st Century Scenario) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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