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KarlPearson Correlation Coefficient

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1 1.कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method):

1.कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method):

कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient) के परिकलन की रीति का प्रतिपादन उन्नीसवीं शताब्दी में किया गया।यह रीति सहसम्बन्ध ज्ञात करने की पूर्व रीतियों से अच्छी मानी जाती है क्योंकि इससे सहसम्बन्ध की दिशा एवं परिणाम का सन्तोषजनक संख्यात्मक माप प्राप्त हो जाता है।
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2.कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक के साधित उदाहरण (KarlPearson Correlation Coefficient Solved Examples):

Example:23.X तथा Y चरों के समान्तर माध्य क्रमशः 52 तथा 44 से विचलन लेकर कार्ल पियर्सन के सहसम्बन्ध गुणांक की परिगणना कीजिएः
(Calculate Karl Pearson’s coefficient of correlation taking deviations from actual mean of X 52 and that of Y 44):

X Y
44 36
46 40
46 42
48 40
52 42
54 44
54 46
? ?
60 50
60 52

Solution:Missing Value of X

Xˉ=ΣXN52=464+x10520=464+xx=520464=56\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N} \\ \Rightarrow 52=\frac{464+x}{10} \Rightarrow 520=464+x \\ \Rightarrow x=520-464=56
Missing Value of Y

Yˉ=ΣYN44=392+y10440=392+yy=440392=48\bar{Y}=\frac{\Sigma Y}{N} \\ \Rightarrow 44=\frac{392+y}{10} \\ \Rightarrow 440=392+y \\ \Rightarrow y=440-392=48
Calculation Table of Karl Pearson’s Coefficient of Correlation

  Deviation from square of   Deviation from square of Product of 
X mean(dx) deviation Y  mean(dY) deviation Deviation
  Xˉ\bar{X} =52 d2xd^2x   Xˉ\bar{X}=44 d2yd^2y dxdy
44 -8 64 36 -8 64 64
46 -6 36 40 -4 16 24
46 -6 36 42 -2 4 12
48 -4 16 40 -4 16 16
52 0 0 42 -2 4 0
54 2 4 44 0 0 0
54 2 4 46 2 4 4
56 4 16 48 4 16 16
60 8 64 50 6 36 48
60 8 64 52 8 64 64
Total 0 304   0 224 248

r=ΣdxdyΣd2x×Σd2y=248304×224=24868096=248260.9521=0.950365r+0.9504r=\frac{\Sigma d x d y}{\sqrt{\Sigma d^2 x \times \Sigma d^2 y}} \\ =\frac{248}{\sqrt{304 \times 224}} \\ =\frac{248}{\sqrt{68096}} \\ =\frac{248}{260.9521} \\ =0.950365 \\ r \approx+0.9504
Example:24.दो श्रेणियों ‘एक्स’ तथा ‘वाई’ के उनके समान्तर माध्यों से विचरण प्रस्तुत है।कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिएः
(The deviations from their means of two series x and y are respectively gives below.Find out the Karl Pearson’s coefficient of correlation):

X Y
-4 3
-3 -3
-2 -4
-1 0
0 4
1 1
2 2
3 -2
4 -1

Solution:Calculation Table of Karl Pearson’s Coefficient of Correlation

  square of   square of product of
deviation deviation Deviation deviation deviation 
dx d2xd^2x dy d2xd^2x dxdy
-4 16 3 9 -12
-3 9 -3 9 9
-2 4 -4 16 8
-1 1 0 0 0
0 0 4 16 0
1 1 1 1 1
2 4 2 4 4
3 9 -2 4 -6
4 16 -1 1 -4
Total=0 60 0 60 0
r=ΣdxdyΣd2x×Σd2y=060×60r=0r=\frac{\Sigma dx dy}{\sqrt{\Sigma d^2x \times \Sigma d^2y}} \\ =\frac{0}{\sqrt{60 \times 60}} \\ \Rightarrow r=0

Example:25.एक्स तथा वाई श्रेणी के वास्तविक माध्य क्रमशः 8 व 11 से विचलन लेते हुए निम्नलिखित श्रेणियों के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिए:
(Calculate coefficient of correlation between x and y series taking deviations from their respective actual means 8 and 11):

Marks in Economics(X) Marks in Statistics(Y)
11 20
10 18
9 ?
? 8
7 10
6 5
5 4

Solution: Missing Value of x

Xˉ=ΣXN8=48+x756=48+XX=5648=8\bar{X}=\frac{\Sigma X}{N}\\ \Rightarrow 8=\frac{48+x}{7} \\ \Rightarrow 56=48+X \Rightarrow X=56-48=8
Missing Value of y

Yˉ=YN11=65+y777=65+yy=7765=12\bar{Y}=\frac{\sum Y}{N} \\ \Rightarrow 11=\frac{65+y}{7} \Rightarrow 77=65+y \\ \Rightarrow y=77-65=12
Calculation Table of Karl Pearson’s Coefficient of Correlation

Marks Deviations Square Marks Deviations Square product
in from of in from of of
Eco. mean (dx) Deviations stat. mean(dy) Deviations Deviations
(X) Xˉ\bar{X} =8 d2xd^2x (Y) Yˉ\bar{Y} =11 d2yd^2y dxdy
11 3 9 20 9 81 27
10 2 4 18 7 49 14
9 1 1 ? 1 1 1
? 0 0 8 -3 9 0
7 -1 1 10 -1 1 1
6 -2 4 5 -6 36 12
5 -3 9 4 -7 49 21
Total 0 28   0 226 76

r=ΣdxdyΣd2x×Σd2y=7628×226r=766328=7679.548727=0.9553r+0.96r =\frac{\Sigma d x d y}{\sqrt{\Sigma d^2 x \times \Sigma d^2 y}} \\ =\frac{76}{\sqrt{28 \times 226}} \\ r =\frac{76}{\sqrt{6328}} \\ =\frac{76}{79.548727} \\ =0.9553 \\ r \approx+0.96
Example:26.निम्नलिखित A तथा B श्रेणियों में सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिएः
(Find out coefficient of correlation between A and B series

A B
15 22
18 25
? 20
22 ?
? 14
? 12
16 ?
25 ?

अतिरिक्त सूचनाएं (Additional information): Σxy=38.4,σA=2,σB=3\Sigma x y=38.4, \sigma_A=2, \sigma_B=3
Solution: Σxy=38.4,σA=2,σB=3,N=8r=ΣxyNσAσB=38.48×2×3=38.448r=0.8\Sigma x y=38.4, \sigma_A=2, \sigma_B=3, N=8 \\ r =\frac{\Sigma x y}{N \cdot \sigma_A \cdot \sigma_B} \\ =\frac{38.4}{8 \times 2 \times 3} \\ =\frac{38.4}{48} \\ \Rightarrow r=0.8
Example:27.निम्नलिखित सूचनाओं से एक्स तथा वाई श्रेणियों में कार्ल पियर्सन के सहसम्बन्ध गुणांक की परिगणना कीजिएः
(Calculate Karl Pearson’s coefficient of correlation between x and y series from the information given below):

X Y
48 36
50 ?
? 33
49 38
51 ?
? ?
53 55
49 30

अतिरिक्त सूचनाएं (Addtitional Information) Σxy=16,σx=2.3,σy=2.7\Sigma xy=-16, \quad \sigma_x=2.3, \sigma_y=2.7
Solution: Σxy=16,σx=2.3,σy=2.7,N=8r=ΣxyNσxσyr=168×2.3×2.7=1649.68=0.3220r0.32\Sigma xy=-16, \sigma_x=2.3, \sigma_y=2.7,N=8 \\ r=\frac{\Sigma x y}{N \cdot \sigma_x \cdot \sigma_y} \\ \Rightarrow r =\frac{-16}{8 \times 2.3 \times 2.7} \\ =\frac{-16}{49.68} \\ =-0.3220 \\ \Rightarrow r \approx -0.32
Example:28.अग्रलिखित सारणी कुल जनसंख्या एवं पूर्णरूप से अथवा आंशिक रूप से अन्धे व्यक्तियों का वितरण प्रदर्शित करती है।क्या आयु एवं अन्धेपन के मध्य किसी प्रकार का सम्बन्ध है,ज्ञात कीजिए।
(The following table shows the distribution of total population and those who are wholly or partially blind among them.Find if there is any relation between age and blindness):

Age in Years Polpulation(000) No. of Blinds
0-10 100 55
10-20 60 40
20-30 40 40
30-40 36 40
40-50 24 36
50-60 11 22
60-70 6 18
70-80 3 15

Solution:अन्धों की संख्या को प्रति एक लाख जनसंख्या दर का परिकलन निम्न प्रकार किया गया है, दशमलव को छोड़ दिया गया है।
प्रति लाख अन्धों की संख्या=अन्धों की संख्याजनसंख्या=55100000×200000=554060000×100000=674040000×100000=1004036,000×100000=1113624,000×100000=1502211000×100000=200186000×100000=300153000×100000=500\frac{\text{अन्धों की संख्या}}{\text{जनसंख्या}} \\ =\frac{55}{100000} \times 200000=55 \\ \frac{40}{60000} \times 100000=67 \\ \frac{40}{40000} \times 100000=100 \\ \frac{40}{36,000} \times 100000=111 \\ \frac{36}{24,000} \times 100000=150 \\ \frac{22}{11000} \times 100000=200 \\ \frac{18}{6000} \times 100000=300 \\ \frac{15}{3000} \times 100000=500
Calculation Table of Karl Pearson’s Coefficient of Correlation

Age in M.V. dx d2xd^2 x Blind per dy d2yd^2 y  
Years (X) A=35 Lakh (Y) A=111 dxdy
0-10 5 -30 900 55 -56 3136 1680
10-20 15 -20 400 67 -44 1936 880
20-30 25 -10 100 100 -11 121 110
30-40 35 0 0 111 0 0 0
40-50 45 10 100 150 39 1521 390
50-60 55 20 400 200 89 7921 1780
60-70 65 30 900 300 189 35721 5670
70-80 75 40 1600 500 389 151321 15560
Total   40 4400   595 201677 26070

I=ΣdxdyN(Σdx)(Σdy)Σd2xN(Σdx)2Σd2yN(Σdy)2=26070×8(40)(595)4400×8(40)2261677×8(595)2=20856023800(352001600)(1613416354025)=18476033600×1259391=184760183.303×1122.2259=184760205707.3741=0.898169r40.898I=\frac{\Sigma dx d y N-\left(\Sigma dx\right)(\Sigma d y)}{\sqrt{\Sigma d^2 x \cdot N-\left(\Sigma d x\right)^2} \sqrt{\Sigma d^2 y \cdot N-(\Sigma d y)^2}} \\ =\frac{26070 \times 8-(40)(595)}{\sqrt{4400 \times 8-(40)^2} \sqrt{261677 \times 8-(595)^2}} \\ =\frac{208560-23800}{\sqrt{(35200-1600)} \sqrt{ (1613416-354025)}} \\ =\frac{184760}{\sqrt{33600 \times \sqrt{1259391}}} \\ =\frac{184760}{183.303 \times 1122.2259} \\ =\frac{184760}{205707.3741} \\ =0.898169 \\ r \approx 40.898
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method) को समझ सकते हैं।

3.कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक पर आधारित सवाल (Questions Based on KarlPearson Correlation Coefficient):

(1.)दस विद्यार्थियों के एक समूह द्वारा इतिहास व भूगोल में प्राप्त अंक निम्नलिखित सारणी में लिए गए हैं।अंकों के औसत ज्ञात कीजिए व सहसम्बन्ध गुणांक (कार्ल पियर्सन) की गणना कीजिए:
(The following table shows the marks obtained by a batch of 10 students in History and Geography.Find the mean of the marks and calculate the coefficient of correlation given by Karl Pearson):

History Geography
77 35
54 58
27 60
52 40
14 50
35 40
90 35
25 56
56 34
60 24

(2.)निम्न सारणी में 10 विद्यार्थियों के लेखाकर्म तथा सांख्यिकी विषयों पर प्राप्तांकों को दर्शाया गया है।सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिए (दोनों श्रेणियों के लिए क्रमशः 60 और 65 को कल्पित माध्य मानिए।सम्भाव्य विभम्र भी ज्ञात कीजिए):
(The following table shows the marks obtained by 10 students in Accountancy and Statistics.Find the coefficient of correlation.(Assume 60 and 65 as arbitrary origins in both series.Also determine the probable error):

Students Accountancy statistics
1 45 35
2 70 90
3 65 70
4 30 40
5 90 95
6 40 40
7 50 60
8 75 80
9 85 80
10 60 50

उत्तर (Answers):(1.)Xˉ=49,Yˉ=55\bar{X}=49, \bar{Y}=55,r=-0.6659 (2.)r=+0.993,p.e.=0.04
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method) को ठीक से समझ सकते हैं।

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4.कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (Frequently Asked Questions Related to KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कार्ल पियर्सन के सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात करने की लघु रीति की क्रियाविधि लिखिए। (Write Short-cut Method for Determining the Correlation Coefficient of Karl Pearson):

उत्तरःसहसम्बन्ध की रीति में हमने देखा कि विभिन्न चर मूल्यों के विचलन (Deviations) वास्तविक समांतर माध्यों (Actual Arithmetic Mean or Xˉ\bar{X}) के निकाले जाते हैं।समांतर माध्य यदि पूर्णांक में हो तो उसमें कोई असुविधा नहीं होती लेकिन यह सदा संभव विचलन नहीं होता।जब समांतर माध्य भिन्न में हो तो ऐसी स्थिति में उससे विचलन निकालने तथा विचलनों के वर्ग ज्ञात करने में बड़ी असुविधा होती है।इस असुविधा से बचने के लिए लघु रीति का प्रयोग किया जाता है।लघु रीति में चर मूल्यों के विचलन वास्तविक समान्तर माध्य से न लेकर श्रेणियों के कल्पित माध्यों (Assumed Arithmetic Means) से लिए जाते हैं।सूत्र में Σdxdy,Σd2y\Sigma dx dy,\Sigma d^{2}yतथा Σd2y\Sigma d^{2}yमें वास्तविक एवं कल्पित माध्यों के अंतर के कारण हुई त्रुटि के लिए आवश्यक संशोधन कर दिया जाता है।लघुरीति से सहसम्बन्ध ज्ञात करने की प्रक्रिया निम्न प्रकार है:
(1.)X तथा Y श्रेणियों में से सबसे सुविधाजनक एवं उपयुक्त मूल्य को कल्पित माध्य Ax मान लिया जाता है।ऐसे मूल्यों को कल्पित माध्य AxA_{x} मानना सुविधाजनक रहता है जिजसे विचलनों का योग कम से कम आए।कभी-कभी समंक श्रेणी में एक मूल्य कई बार आता है ऐसी स्थिति में उस मूल्य को कल्पित माध्य मानना सुविधाजनक रहता है।
(2.)दोनों श्रेणियों के कल्पित माध्यों से मूल्यों के विचलन अर्थात् dx एवं dy ज्ञात कर लिए जाते हैं।यहाँ dx से तात्पर्य X-Ax तथा dy से तात्पर्य Y-Ay से है।
(3.)उपर्युक्त विचलनों के योग अर्थात् Σdx\Sigma dx एवं Σdy\Sigma dy ज्ञात कर लेते हैं।
(4.)विचलनों को आपस में गुणा करके उनका योग अर्थात् Σdxdy\Sigma dx dy ज्ञात कर लिया जाता है।
(5.)विचलनों के वर्ग करके उनका योग अर्थात् Σd2x\Sigma d^{2}x तथा Σd2y\Sigma d^{2}y ज्ञात कर लिए जाते हैं।
(6.)अंत में सहसंबंध गुणांक ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।प्रथम सूत्र निम्न प्रकार हैः
r=ΣdxdyN(XˉAx)(YˉAy)Nσxσyr=\frac{\Sigma d x d y-N(\bar{X}-A_{x})(\bar{Y}-A_{y})}{N \sigma_{x} \sigma_{y}}
सूत्र में प्रयुक्त
Xˉ\bar{X}Yˉ\bar{Y}=Actual means of X and Y series
AxA_{x}AyA_{y} =Assumed meams of X and Y series
Σdxdy\Sigma dx dy=Sum of products of deviations from assumed means (कल्पित माध्यों से विचलनों के गुणनफलों का योग)
σx\sigma_{x}σy\sigma_{y}=Standard deviations of X and Y series
N=Number of pairs of items (पदयुग्मों की संख्या)
उपर्युक्त सूत्र के अनुसार सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात करने के लिए दोनों श्रेणियों के वास्तविक समांतर माध्य एवं प्रमाप विचलन की गणना करनी होती है जिसके कारण गणन-क्रिया जटिल हो जाती है।अतः सूत्र में वास्तविक एवं काल्पनिक समांतर माध्य में अंतर तथा प्रमाप विचलन के स्थान पर उनके सूत्रों का प्रयोग कर गणन क्रिया को सरल बना लिया जाता है जिससे वास्तविक समांतर माध्य एवं प्रमाप विचलन की गणना नहीं करनी पड़ती है।इससे सूत्र की आधारभूत विशेषता में कोई अंतर नहीं आता तथा गणन-क्रिया काफी सरल हो जाती है।सूत्र के विभिन्न रूप निम्न प्रकार होंगे:
r=ΣdxdyN×(ΣdxN)(ΣdyN)[Σd2xN(ΣdxN)2][Σd2yN(ΣdyN)2]r=\frac{\Sigma d x d y-N \times\left(\frac{\Sigma d x}{N}\right) \left( \frac{\Sigma d y}{N}\right)}{\sqrt{\left[\frac{\Sigma d^2 x}{N}-\left(\frac{\Sigma d x}{N}\right)^2\right]} \sqrt{\left[\frac{\Sigma d^2 y}{N}-\left(\frac{\Sigma d y}{N}\right)^2\right]}}
इसको ओर भी सरल रूप में व्यक्त किया जा सकता हैः
तृतीय सूत्रः r=ΣdxdyΣdxΣdyN[Σd2x(Σdx)2N][Σd2y(Σdy)2N]r=\frac{\Sigma d x d y-\frac{\Sigma d x \Sigma d y}{N}}{\sqrt{\left[\Sigma d^2 x-\frac{(\Sigma d x)^2}{N}\right]\left[\Sigma d^2 y-\frac{(\Sigma d y)^2}{N}\right]}}
चतुर्थ सूत्रः r=ΣdxdyN(ΣdxΣdy)[N×Σd2x(Σdx)2][N×Σd2y(Σdy)2]r=\frac{\Sigma d x d y \cdot N-(\Sigma d x \cdot \Sigma d y)}{\sqrt{\left[N \times \Sigma d^2 x-(\Sigma d x)^2\right]\left[N \times \Sigma d^2 y-(\Sigma d y)^{2}\right]}}

प्रश्न:2.कार्ल-पियर्सन सहसम्बन्ध गुणांक की मान्यताएं क्या-क्या हैं? (What are the Assumptions of Karl Pearson’s Coefficient of Correlation?):

उत्तर:कार्ल-पियर्सन सहसम्बन्ध गुणांक की निम्न मान्यताएं हैंः
(1.)प्रसामान्यता (Normality):सह-सम्बिन्धित श्रेणियों विभिन्न कारणों से प्रभावित होती है जिससे उनमें सामान्यता आ जाती है।
(2.)कार्य-कारण संबंध (Causal Relationship):दो श्रेणियां या विभिन्न श्रेणियां जिनमें सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात किया जा रहा है,परस्पर कारण व परिणाम का संबंध रखती है। कार्य-कारण संबंध न होने पर सहसम्बन्ध निरर्थक होगा।
(3.)रेखीय प्रकृति (Linear Nature):इस सहसंबंध की यह भी मान्यता है कि दोनों श्रेणियों में रेखीय संबंध है अर्थात् दोनों श्रेणियों को रेखाचित्र पर अंकित किया जाय तो हमें एक रेखा प्राप्त होगी।

प्रश्न:3.सम्भाव्य विभ्रम से क्या तात्पर्य है? (What do You Mean by Probable Error?):

उत्तरःसांख्यिकीय तथ्यों में संग्रहण से लेकर विश्लेषण तक अनुमानों एवं संभावनाओं का सहारा लेना पड़ता है,अतः उनमें विभ्रम रहना स्वाभाविक ही है।सहसंबंध के संबंध में संभाव्य विभ्रम से अभिप्राय उस अंक से हैं जो यदि औसत या सामान्य सहसंबंध गुणांक में से घटा दिया तो हमें दो ऐसी सीमाएं प्राप्त होंगी जिनके शुद्ध सहसंबंध गुणांक का मान होने की संभावनाएं हैं।
होरेस सेक्राइस्ट के मतानुसार, “कार्ल पियर्सन के सहसंबंध गुणांक का सम्भाव्य विभम्र वह राशि है जिसे यदि औसत सहसम्बन्ध गुणांक में जोड़ दिया जाय या घटा दिया जाय तो ऐसी संख्याएँ ज्ञात हो जाती है जिसके अंतर्गत दैव प्रतिचयन के आधार पर छाँटे गये मूल्यों के सहसम्बन्ध गुणांक पाये जाने की समान संभावनाएं होती है।”उदाहरणार्थ हमें किसी विश्वविद्यालय के 500 विद्यार्थियों की लम्बाई एवं भार के मध्य सहसम्बन्धन का अध्ययन करना है।इन 500 विद्यार्थियों में से दैव प्रतिचयन के आधार पर 100 को चुन लिया जाता है तथा सभी 500 विद्यार्थियों को लंबाई एवं भार का सहसंबंध गुणांक (r) +0.70 तथा उसका संभाव्य विभ्रम (P.E.) 0.051 आता है।अब यदि 500 विद्यार्थियों के उस समग्र में से 100 विद्यार्थियों का एक ओर दैव -प्रतिदर्श चुनकर उनकी लंबाई एवं भार का सहसंबंध गुणांक ज्ञात किया जाय तो इस बात की 50% संभावना है कि सहसंबंध गुणांक (r) 0.70+0.051=0.751 तथा 0.70-0.051=0.649 के मध्य ही होगा अर्थात् वह 0.649 से कम नहीं होगा तथा 0.751 से अधिक नहीं होगा।
अतः दैव प्रतिचयन के आधार पर चुने गए प्रतिदर्श के सहसम्बन्ध गुणांक की औसत या सामान्य सहसम्बन्ध गुणांक में सम्भाव्य विभ्रम में जोड़ने व घटाने पर (r ±\pm P.E. ) प्राप्त सीमाओं के मध्य ही आने की 50% संभावना होती है।
सम्भाव्य विभम्र की परिगणना निम्न सूत्र से की जाती हैः
सूत्रः P.E. of r=0.6745×1r2N0.6745 \times \frac{1-r^{2}}{\sqrt{N}}
सूत्र में प्रयुक्त r=कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (Karl Pearson’s Coefficient of Correlation),N=पद युग्मों की संख्या (Number of pairs of items)
सम्भाव्य विभ्रम की उपयोगिता या कार्य (Usefulness or Functions of Probable Error):
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient),कार्ल पियर्सन की रीति द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation by Karl Pearson Method) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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KarlPearson Correlation Coefficient

कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक
(KarlPearson Correlation Coefficient)

KarlPearson Correlation Coefficient

कार्ल पियर्सन का सहसम्बन्ध गुणांक (KarlPearson Correlation Coefficient) के परिकलन
की रीति का प्रतिपादन उन्नीसवीं शताब्दी में किया गया।यह रीति सहसम्बन्ध ज्ञात करने की
पूर्व रीतियों से अच्छी मानी जाती है

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