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9 Spells of Working Style for Freshers

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1.फ्रेशर्स के लिए कार्यशैली के 9 मंत्र (9 Spells of Working Style for Freshers),फ्रेशर्स एम्प्लाॅईज कार्यशैली इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Freshers Employees Working Style?):

  • फ्रेशर्स के लिए कार्यशैली के 9 मंत्र (9 Spells of Working Style for Freshers) के आधार पर आप अपनी वर्किंग स्टाइल में सुधार करते हुए आगे बढ़ सकते हैं।फ्रेशर्स के साथ सबसे बड़ी समस्या अनुभव की होती है परंतु सैद्धांतिक ज्ञान का उसके पास भंडार होता है।उस सैद्धान्तिक ज्ञान को प्रैक्टिकल में कैसे बदलें,आइए जानते हैं।
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2.कनेक्टिविटी बढ़ाएं (Enhance connectivity):

  • फ्रेशर्स एंप्लॉई को अपने ज्ञान को प्रैक्टिकल में बदलने के लिए कनेक्टिविटी बढ़ानी चाहिए।कनेक्टिविटी ऐसे एम्प्लाॅईज,सीनियर्स या बाॅस से बढ़ानी चाहिए जो आपके जॉब के बारे में प्रेक्टिकल अनुभव रखते हैं।साथ ही कनेक्टिविटी बढ़ाने में यह ध्यान भी रखें कि वे आपके गुण,कर्म,स्वभाव के अनुकूल हों।यदि अक्खड़,अहंकारी एम्प्लाॅई से कनेक्टिविटी बढ़ाएंगे तो कभी ना कभी वे आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।कनेक्टिविटी बढ़ाने से एक लाभ तो यह है कि उनके अनुभव का फायदा मिलेगा,जिस काम को आप स्वयं सीखकर,गलतियां करके कई दिनों में कर सकते हैं वे पलभर में आपकी समस्या को सुलझा देंगे।लेकिन ऐसे एम्प्लाॅईज से जाॅब की तकनीक सीखते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे अपना काम आपसे करवाएँ तो आनाकानी ना करें,मना न करें,यह कहकर पल्ला न झाड़े कि मेरे पास वर्कलोड है।किसी भी तरह से समय निकालकर उनके काम को करें।
  • कनेक्टिविटी बढ़ाने से दूसरा फायदा यह होता है कि उनसे फीडबैक मिलता है,आपकी परफॉर्मेंस कितनी सही है,कितनी गलत है इसके बारे में पता लगता है।तीसरा लाभ यह है कि कई बार डिस्कस करने से भी समस्या का समाधान संभव होता है,कई गुत्थियाँ सुलझती हैं,कई नई जानकारियां प्राप्त होती है।डिस्कस अपने भरोसेमंद एम्प्लाॅई या सीनियर के साथ ही की जा सकती है।चौथा लाभ यह है कि कई नई स्किल के बारे में पता चलता है।आप जिस ढंग से कार्य कर रहे हैं वह लंबा और कठिन हो लेकिन वे कोई सरल और नई तकनीक बताकर उसका शीघ्र समाधान बता सकते हैं।मार्केट में किसकी डिमांड है,कहां-कहां जॉब के अवसर है इसके बारे में भी पता चलता है।

3.अपने जॉब पर फोकस जरूरी (It’s important to focus on your job):

  • अनुभवी एंप्लॉईज,सीनियर्स और बॉस की वर्किंग स्टाइल को देखकर उसकी नकल करने की कोशिश ना करें।वे बातचीत करते हुए भी अपना कार्य करते रहते हैं क्योंकि उनका इतना अभ्यास हो चुका होता है कि वे ऐसा कर सकते हैं।इसका अर्थ यह नहीं है कि अनुभवी होने पर बातचीत करते हुए जाॅब को कुशलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है।आप नए हैं आपको तो विशेष रूप से काम पर ही अपना ध्यान फोकस करना चाहिए।यदि आप भी वार्तालाप करते हुए जाॅब करेंगे तो आपकी एकाग्रता भंग होगी और काम में त्रुटि होने की संभावना रहेगी जिससे काम को दुबारा से करना पड़ेगा।इसके अलावा वार्तालाप करते हुए जाॅब को करने से काम धीरे होता है।धीरे-धीरे काम होगा तो आप काम को समय पर नहीं निपटा पाएंगे।इसके अलावा बाॅस की नजर में आप एक सुस्त और अकुशल एम्प्लाॅई के रूप में समझे जाएंगे।आपके काम में निखार तभी आएगा जब आप काम को पूर्ण निष्ठा,समर्पण,एकाग्रता के साथ करेंगे।बातचीत करते हुए हम कोई काम करते हैं तो काम का मेथड भी याद नहीं रहता है।भूल जाते हैं और बार-बार दूसरे एम्प्लाॅई से पूछते हैं,आपकी सीखने की प्रक्रिया कमजोर पड़ती है।आप सीखने के बारे में जागरूक नहीं है।यदि आपको आगे बढ़ना है,तरक्की करना है तो काम पूरी ईमानदारी से करें।

4.नोटबुक में लिखने की आदत डालें (Get into the habit of writing in a notebook):

  • कहीं से सीखें,चाहे यूट्यूब पर वीडियो देखकर,वेबसाइट पर कोई लेख पढ़ कर,अपने साथी एम्प्लाॅईज,सीनियर्स या बाॅस से तो मुख्य-मुख्य बातों को नोटबुक में अवश्य लिखें।सुनी हुई,डिस्कस की हुई,पूछी हुई,पढ़ी हुई सभी बातें याद नहीं रहती है अतः उसका सार अवश्य लिखें और समय-समय पर उसकी पुनरावृत्ति करते रहें इससे आपके ज्ञान और अनुभव में वृद्धि होती जाएगी।पुस्तकों से नई तकनीक पढ़ी है तो उसकी मुख्य-मुख्य बातों के नोट्स बना लें।इससे किसी भी नई टेक्नोलॉजी,नई बातों को लंबे समय तक याद रखना आसान हो जाता है।
  • आधुनिक युग में सीखने के अनेक माध्यम हैं,जहां भी सीखें,जहां भी जाएं वहाँ सीखने को क्या मिला है,कहां से सीखने को मिल सकता है,ऐसा दृष्टिकोण रखने से आप लगातार सीखते जाएंगे।जो सीखा है उसको जॉब में एप्लाई भी करें ताकि आपको उसका प्रेक्टिकल ज्ञान हो सके।
  • मीटिंग में जाएँ तो अपनी समस्याओं को डायरी में लिखकर ले जाएं और अवसर मिलते ही पूछें।मीटिंग में जो भी जानकारी दी जाती है,कोई नई बात है या ऐसी बात है जिसकी आपको जानकारी नहीं है उसे डायरी में नोट कर लें।अपने प्रश्नों का मीटिंग में जो भी समाधान बताया हो उससे भी नोट करें।
  • मीटिंग में कोई नया टास्क दिया गया है तो उसे किस-किस के सहयोग से करना है,कैसे करना है,कितना समय देना है,कब से कब देना है आदि सभी जरूरी बातों को डायरी में नोट कर लें।
  • इससे आपको बार-बार किसी से पूछना नहीं पड़ेगा,नए टास्क की तैयारी डायरी में देखकर और अन्य स्रोतों से जानकारी जुटाकर शुरू कर सकते हैं।हर बात स्वयं अनुभव करके ही नहीं सीखी जाती है,दूसरों के अनुभवों का लाभ उठाकर भी काम को किया जा सकता है,शर्त यही है कि आप में सीखने की ललक व तड़प हो।

5.अपनी खूबी को पहचानें (Identify your strengths):

  • हर एम्पलाई में कुछ ना कुछ खूबी होती है,उस खूबी को पहचान कर तराशने पर वह उसकी ताकत बन जाती है।जैसे किसी को रिलेशनशिप करना,नए-नए मित्र बनाना पसंद है तो उनसे यह जानने की कोशिश करें कि वे आपके जॉब के बारे में किस प्रकार मददगार साबित हो सकते हैं।कोई एम्प्लाॅई बातचीत करना पसंद करता है,एकाकी नहीं रह सकता है तो इस खूबी को अपने जॉब के बारे में जानकारी जुटाने,अपनी समस्या का समाधान ढूंढने में कर सकते हैं।
  • किसी एम्प्लॉई की अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट) प्रवृत्ति होती है।ऐसा एम्प्लाॅई अपने जॉब को पूर्ण एकाग्रता के साथ कर सकता है,जाॅब को करते-करते ही उसे अपनी समस्याओं को अपने जाॅब से ही समाधान मिल सकता है।अंतर्मुखी प्रवृत्ति को पुस्तकें पढ़ने या ऑनलाइन सर्फिंग में काम ले सकता है और अपने जाॅब से संबंधित नई-नई बातें जुटा सकता है।आप इंट्रोवर्ट हैं या एक्सट्रोवर्ट हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।दोनों ही प्रवृत्ति आपको अपनी मंजिल पर पहुंचा सकती है।
  • आपको अपनी खूबी को पहचान कर उसे अपने जॉब के लिए कैसे इस्तेमाल करना है,इस पर विचार करें और आगे बढ़ते रहें।कभी भी यह न सोचें कि मेरी आदत अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट) है,मैं कैसे सीख सकता हूं।हर एम्प्लाॅई अपनी खूबियों को इंप्रूव करते हुए आगे बढ़ सकता है।उसे अपना टारगेट ध्यान में रखना चाहिए और उस टारगेट में उसकी खूबी का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है,इसकी कला सीखना चाहिए।अनावश्यक बातों को दिमाग में भरने का कोई फायदा नहीं है।

6.ऑफिस के किसी विवाद में ना फँसे (Don’t get involved in any office disputes):

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों,राष्ट्रीय कंपनियों और बड़े-बड़े संगठनों में अक्सर ग्रुप बन जाते हैं और आपस में मौका मिलने पर एकदूसरे को गिराने,टांग खींचने की कोशिश करते हैं।आप किसी भी गुट का हिस्सा बनने की कोशिश ना करें क्योंकि आपकी अभी जॉब पर पकड़ मजबूत नहीं है और ऑफिस के इन विवादों-झगड़ों की समझ भी आपको नहीं होगी।ऐसी स्थिति में किसी भी गुट का समर्थन या विरोध करना आपके करियर को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • ऐसे विवादों में अक्सर ऑफिसर्स कमजोर और निर्बल एंप्लॉई के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हैं।लोगों को,एम्प्लाॅईज,सीनियर्स को और बॉस को पहचानने की समझ बढ़ाएं।अपनी प्रोफेशनल इमेज बनाएं।अपनी उपलब्धियों,नई स्किल का रिकॉर्ड रखें और समय-समय पर प्रस्तुत करें।बढ़िया काम ही जरूरी नहीं है,उसका रिकॉर्ड रखें और समय पर उसे अपने सीनियर्स व बॉस को बताना भी जरूरी है।अनावश्यक वाद-विवाद में अपने आप को फँसाना आपको कमजोर करता है अतः विवादों से दूरी बनाकर रखें।
  • विभिन्न गुटों से तटस्थता रखें।किसी वाद-विवाद को व्यक्तिगत प्रेस्टीज प्वाइंट ना बनाएं।इस प्रकार की कार्य प्रणाली आपको,आपके करियर को सुरक्षित रखती है।अक्सर फ्रेशर्स वाद-विवाद के हिस्सा बन जाते हैं और जब तक उस बात को समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।आपके करियर को नुकसान पहुंचा चुकी होती है।सभी गुटों से तटस्थता रखते हुए संतुलित व्यवहार रखें।पर्सनल झगड़ों में अपने आपको न फँसाएँ।
  • कोई भी गुट या एम्प्लाॅई किसी दूसरे गुट या एम्प्लाॅई की निंदा करता है तो उसे न सुने और सुननी ही पड़े तो एक कान से सुने और दूसरे कान से निकाल दें।इसकी बात उसको और उसकी बात इसको या एक-दूसरे की आलोचना करना कभी ना कभी आपके लिए घातक हो सकता है।विवाद में बोलना ही पड़े तो किसी भी गुट का पक्ष ना लें तटस्थतापूर्वक अपनी बात रखें।इससे अनावश्यक वाद-विवादों में नहीं फसेंगे।
  • आपका नाम विवादों से नहीं जुड़ना चाहिए बल्कि काम करने वाले,समस्याओं को सुलझाने वाले और काम को सफलता तक पहुंचाने वाले एंप्लॉई के रूप में जुड़ना चाहिए।इस प्रकार की कार्यशैली से कोई भी गुट या एम्प्लाॅई आपको अपने साथ नहीं जोड़ पाएगा।

7.अपने हुनर को प्रकट करें (Reveal your skills):

  • फ्रेशर्स को अधिक से अधिक जाॅब को करने में रुचि लेनी चाहिए तभी उसके अंदर अंतर्निहित प्रतिभा उभर कर बाहर आएगी।अपनी प्रतिभा को सुप्त न रहने दें बल्कि क्रियात्मक रूप से ऐसी एक्टिविटी करते रहना चाहिए ताकि व्यक्तित्व निखरे,उभरे।कुछ एम्प्लाॅईज की यह धारणा होती है कि वह अधिक से अधिक काम करेगा तो उससे अधिक काम लिया जाएगा और उसका इस्तेमाल किया जाएगा।एम्प्लॉईज को शुरुआत में तो कड़ी मेहनत करके जाॅब सीखना होता है,अतः कुछ समय के लिए उसे अपने आत्मसम्मान को आड़े नहीं आने देना चाहिए।फेशर्स से शुरुआत में ऐसे-ऐसे काम करवाए जा सकते हैं जो एक फोर्थ क्लास (चतुर्थ श्रेणी) एम्प्लाॅई करता है।यदि आप आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकते तो खुद का स्टार्टअप खड़ा करना चाहिए लेकिन ध्यान रखें स्टार्टअप में भी विभिन्न कैटेगरी के कस्टमर से साबिका पड़ता है।
  • थोड़ा-बहुत समझौता करना पड़ता ही है।ज्यों-ज्यों आप अनुभव प्राप्त करते जाते हैं त्यों-त्यों आप जॉब करने की कला भी अपने अंदर विकसित करते जाते हैं।जो कंपनी का निदेशक या संचालक गुणों का पारखी नहीं होता है वही आपसे ऐसे छोटे-छोटे कार्य करवाता है या आप पर अनावश्यक वर्कलोड डाल देता है जिसे करने में आपको अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।आप कुछ अनुभव प्राप्त कर लेंगे,आपकी मार्केट में कुछ पहचान या इमेज बन जाएगी तो फिर आपके साथ कोई भी दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं कर पाएगा।काम की,कर्म की कद्र करने वाले ऑफिसर्स भी इस दुनिया में मौजूद हैं।अतः पहले आप अपने काम से मार्केट में इमेज बनाएं।इमेज बन जाएगी तो स्वतः आपकी डिमांड बढ़ जाएगी,फिर कोई भी आपके साथ बारगेनिंग (मोलभाव) करने से बचेगा।अतः अपने हुनर को उभारें,उसे सुप्त न रहने दें।

8.जाॅब सीखते समय फ्रेशर्स कुछ बातें ध्यान रखें (Freshers keep a few things in mind while learning a job):

  • आज हर चीज मोबाइल और इंटरनेट पर उपलब्ध है इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई भी समस्या का सामना होते ही आप इंटरनेट पर सर्च करने लग जाएं।मोबाइल और इंटरनेट का एक सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।सीमा से अधिक प्रयोग करना हमारी क्रिएटिविटी,सोचने तथा समझने की क्षमता खत्म करता है।कई बार इंटरनेट की लत की वजह से हम अनावश्यक व बेजरूरी बातों को भी खंगालते रहते हैं।फ्रैशर्स में जिज्ञासा का होना शुभ लक्षण है और जिज्ञासा को शांत करना जरूरी भी है परंतु अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु ही,अपने जॉब या व्यक्तिगत समस्याओं हेतु ही,जिसकी एक सीमा निर्धारित कर लेनी चाहिए।
  • इसके अलावा आज जमाना सोशल मीडिया और एआई का है।दूसरों की जिंदगी में ताक झाँक करना बहुत से एम्प्लाॅईज का शगल बन गया है।सब जानना है,भले वह काम का हो,ना हो।कभी सोचा है कि ऐसा कर हम अपना सिरदर्द बढ़ा रहे हैं।क्योंकि एक तरफ पर्सनल लाइफ,तो दूसरी तरफ वर्कलाइफ में बैलेंस करने के लिए वैसे ही फ्रेशर्स को इन दोनों से जुड़ी हर जानकारी को लेकर अपडेट रहना होता है,उस पर दूसरे एम्प्लाॅईज की जिंदगी में घुसने का शौक एम्प्लाॅई के दिमाग को टाॅक्सिक बना देता है और इसका असर पड़ रहा है फ्रेशर्स की प्रोडक्टिविटी पर,जिंदगी की गुणवत्ता पर।
  • दूसरे एम्प्लाॅई की जिंदगी में घुसपैठ के कारण घबराहट और चिंता बढ़ती है।असुरक्षा और डर की भावना पैदा होती है।अत्यधिक जानकारी के कारण एम्प्लॉई की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।कई बार ऐसा महसूस होता है कि सब कुछ संभाल नहीं पा रहे हैं।वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर समझ में नहीं आता।
  • एंप्लॉई के पास इतनी अधिक जानकारी हो जाती है कि उसे सही तरीके से समझना,प्राथमिकता देना और निर्णय लेना कठिन हो जाता है।इसके चलते एम्प्लाॅई तनाव का शिकार हो जाता है।उसकी काम करने की क्षमता में कमी आती है और गलतियां होने लगती है क्योंकि इतनी अधिक जानकारी को अच्छी तरह से मैनेज नहीं किया जा सकता,यह फ्रेशर्स के लिए एक बड़ी मुसीबत है।अनुभव के साथ परिपक्वता आती है तो वह सीख जाता है कि कौन सी बातें उसके काम की है,कौन सी नहीं,कहां पर क्या निर्णय लेना चाहिए और दूसरे की जिंदगी में कहां तक दखल देना चाहिए।सोशल मीडिया तथा इंटरनेट में जितना सर्फिंग करना जरूरी है उतना ही करें,जानकारी व ज्ञान को दिमाग में उतना ही संचित करें जितना आपके जाॅब व पर्सनल लाइफ के लिए जरूरी है।एक समय पर एक ही काम करें।अन्यथा कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी:मसलन जाॅब में कार्य की प्राथमिकता तय नहीं कर पाएंगे,आपकी जॉब करने की कार्यक्षमता घटेगी,निर्णय लेने में दिक्कत आएगी,जाॅब पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे आदि।रील लाइफ के बजाय रीयल लाइफ को महत्त्व दें।परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं।अपनी किसी समस्या के समाधान के लिए जानकार और शुभचिंतकों के साथ शेयर करें।आज का काम कल पर न टालें।अनुशासित जीवन जिएं। समय प्रबंधन को जाॅब और जीवन में लागू करें।परिवार व जॉब में संतुलन रखें।सतर्क और सावधान होकर,ज्ञान और टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए आगे बढ़ते रहें,जॉब करते रहें।एक न एक दिन आप पर प्रेशर्स या नौसिखिए का टैग हट जाएगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में फ्रेशर्स के लिए कार्यशैली के 9 मंत्र (9 Spells of Working Style for Freshers),फ्रेशर्स एम्प्लाॅईज कार्यशैली इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Freshers Employees Working Style?) के बारे में बताया गया है।

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9.फ्रैशर्स की कनेक्टिविटी (हास्य-व्यंग्य) (Freshers’ Connectivity with Employees) (Humour-Satire):

  • फ्रेशर:बाॅस,मुझे जॉब की तकनीक नहीं पता है,मेरी मदद कीजिए।
  • बाॅस:साथी एंप्लॉईज के साथ कनेक्टिविटी रखो,तालमेल बिठाओ,वार्तालाप करो।
  • फ्रेशर एम्प्लाॅई ने बाॅस की बात सीनियर एम्प्लाॅई से कही।
  • सीनियर एम्प्लाॅई:बाॅस तो ऐसे ही कहते रहते हैं,उस तरफ ध्यान मत दो।गपशप किया करो और लाइफ को एंजॉय करो।ज्यादा काम करने से कौनसा टैग हासिल कर लोगे।

10.फ्रेशर्स के लिए कार्यशैली के 9 मंत्र (Frequently Asked Questions Related to 9 Spells of Working Style for Freshers),फ्रेशर्स एम्प्लाॅईज कार्यशैली इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Freshers Employees Working Style?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.जॉब में प्राथमिकता कैसे तय करें? (How to set priorities in a job?):

उत्तर:जब हम अनावश्यक बातों को दिमाग में ठूँसते रहते हैं तो हमारा विवेक इस कचरे से दब जाता है,काम नहीं करता है।अपने विवेक,सद्बुद्धि को प्रांजल रखें और यह प्रांजल होता है सत्संगति,स्वाध्याय से।

प्रश्न:2.दिमाग को डिटॉक्स कैसे करें? (How to detox the brain?):

उत्तर:स्वाध्याय सत्संग के अलावा ध्यान-योग (मेडिटेशन) और फिजिकल एक्सरसाइज करें।अच्छे लोगों,अच्छे संगठन से जुड़े।इससे हमारा दिमाग सकारात्मक होगा और टॉक्सिक बातें दिमाग से निकल जाएंगी,ब्रैनवाश होगा।

प्रश्न:3.अपनी गलतियों को कैसे पहचानें? (How to identify your mistakes?):

उत्तर:रोजाना सोते समय दिनभर के कार्यकलाप पर नजर डालें,क्या सही था,क्या गलत था।जो गलत था उसे आगे न करने का संकल्प लें।रोजाना आत्मनिरक्षण के लिए कुछ समय अवश्य निकालें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा फ्रेशर्स के लिए कार्यशैली के 9 मंत्र (9 Spells of Working Style for Freshers),फ्रेशर्स एम्प्लाॅईज कार्यशैली इम्प्रूव कैसे करें? (How to Improve Freshers Employees Working Style?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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