Menu

Team Teaching in Mathematics 2025

Contents hide

1.गणित में टीम शिक्षण 2025 (Team Teaching in Mathematics 2025),गणित में टीम शिक्षण (Team Teaching in Mathematics):

  • गणित में टीम शिक्षण 2025 (Team Teaching in Mathematics 2025) के द्वारा गणित के विद्यार्थियों की कमजोरी को दूर किया जा सकता है।आज के युग में एक कक्षा में अनेक विद्यार्थी होते हैं।उन सभी को एक शिक्षक द्वारा पढ़ाना थोड़ा मुश्किल कार्य है अतः शिक्षकों की टीम एक साथ विद्यार्थियों को पढ़ाए तो उनकी अनेक शंकाओं और समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:गणित हेतु कक्षा शिक्षण की 5 तकनीक

2.टीम शिक्षण का कार्यक्रम (Team Teaching Program):

  • टीम शिक्षण के कार्यक्रम का संगठन बहुत-कुछ अगवानी पाठ (Lead Lesson) पर निर्भर होता है।अगवानी पाठ विद्यार्थियों की एक बड़ी संख्या को दिया जाता है।इस पाठ के देने के पश्चात छोटे समूहों के साथ अनुसरण कार्य किया जाता है जो टीम के एक सदस्य के निरीक्षण में होता है।अगवानी पाठ और अनुसरण कार्य (Follow-up work) दो मूल अवधारणाएं टीम-शिक्षण में शामिल है।

(1.)अगवानी पाठ (Lead Lesson):

  • इसमें मूल विचार यह है कि यह रुचि को बढ़ाएगा और कल्पना को प्रोत्साहन देगा।अगवानी पाठ के ऊपर ही हफ्तेभर का सारा कार्य निर्भर रहता है।इस कारण इस पाठ में प्रभावशीलता,प्रेरणा और विभिन्नता होनी चाहिए।इन्हें प्राप्त करने के लिए अनेक प्रविधियों एवं सहायक सामग्रियों का प्रयोग करना पड़ता है जिनमें चित्र,स्लाइड,टेपरिकार्डर,प्रोजेक्टर,नुमायशी वस्तुएं,मेहमान वक्ता इत्यादि हो सकते हैं।अगवानी पाठ एक आधारभूत प्रस्तुतीकरण है जो सारी कक्षा अथवा उसके एक बड़े भाग के सामने दिया जाता है।
  • अगवानी पाठ दो या दो से अधिक शिक्षक मिलकर दे सकते हैं।यह आपस में तय कर सकते हैं कि प्रत्येक पाठ के एक भाग को उनमें से एक प्रस्तुत करेगा अथवा यह निर्णय लेंगे कि वह मिलकर साथ-साथ ही स्पष्टीकरण करते जाएंगे।इस संबंध में भी अपने अनुभव द्वारा निर्णय ले सकते हैं कि टीम में भाग लेने वाले शिक्षक विभिन्न विचार-धाराओं को सामने रखें अथवा विचारधारा वही हो उसके लिए विभिन्न पहलुओं का प्रस्तुतीकरण वह अलग-अलग करें।टीम-शिक्षण में यह भी किया जा सकता है जबकि एक शिक्षक श्यामपट्ट,व्हाइट बोर्ड पर कार्य कर रहा हो,दूसरा प्रोजेक्ट पर चला रहा हो और एक तीसरा पाठ का प्रस्तुतीकरण कर रहा हो।
    यहां ध्यान देने की बात है कि अगवानी पाठ देते समय विद्यार्थियों को निष्क्रिय श्रोता न बना दिया जाए।उनको पाठ में सक्रिय रूप से शामिल किया जाए।यह प्रश्न पूछकर अथवा समस्याओं को प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • अगवानी पाठ लगभग एक 40 मिनट के घंटे में दिए जाने चाहिए।यह समय बालकों की आयु और ध्यान लगाने की क्षमता के अनुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है।किंतु अच्छा होता है यदि 2 घंटे एक साथ इसके लिए समय-चक्र में दिए जाएं।दूसरे घंटे में पाठ के तुरंत बाद अनुसरण कार्य प्रारंभ किया जा सकता है।हफ्ते में एक बार अगवानी पाठ दिया जा सकता है और विद्यार्थियों की संख्या 200 तक हो सकती है।

(2.)अनुसरण कार्य (Follow up work):

  • टीम शिक्षण में अनुसरण कार्य का बहुत महत्त्व है।इसके लिए प्रत्येक शिक्षक जो टीम का सदस्य है वह बालकों के एक समूह का उत्तरदायित्व लेता है।इसमें लगभग 36 या 40 विद्यार्थी हो सकते हैं।बहुधा वह अगवानी पाठ में प्रस्तुतीकरण में शामिल होता है जिससे कि उसे उस पाठ्य-वस्तु का गहराई से पता होता है जो प्रस्तुत की गई है।जब अगवानी पाठ चल रहा है तो यह शिक्षक अपने समूह के साथ उपस्थित होता है,अपने नोट लेता है।उन पाठ्य-पुस्तकों की सूची प्राप्त करता है जो अगवानी पाठ के अनुसरण के लिए प्रस्तावित की गई है तथा उन सुझावों को समझ लेता है जो कि अगवानी पाठ के अनुसरण के लिए आवश्यक है।
    एक अन्य विधि अनुसरण कार्य की यह है कि विद्यार्थी रुचियों और अभिरुचियों के अनुसार छोटे-छोटे समूह में बँट जाएं और जो अगवानी पाठ प्रस्तुत किया गया है उससे संबंधित प्रोजेक्ट ले लें।फिर इन प्रोजेक्ट पर पूरे सप्ताह कार्य करें जब तक दूसरा अगवानी पाठ नहीं दिया जाए।एक शिक्षक कई छोटे समूहों का उत्तरदायित्व ले सकता है।
  • टीम शिक्षण हमारे देश के विद्यालयों में बहुत अच्छे ढंग से अपनाया जा सकता है।जैसे एक कक्षा के चार सेक्शन हैं।इन सबको मिलाकर एक विषय के अनेक अध्यापक प्रत्येक सप्ताह एक अगवानी पाठ पढ़ा सकते हैं और फिर विद्यार्थियों को छोटे समूहों में उनकी रुचि इत्यादि के अनुसार उस पाठ संबंधी प्रोजेक्ट दिए जा सकते हैं।एक शिक्षक कई समूहों का पर्यवेक्षण कर सकता है।इस विधि में न तो अधिक अध्यापकों की आवश्यकता है,न बहुत से उपकरणों की।एक प्रोजेक्टर का या फिर स्लाइडों इत्यादि का प्रयोग लगभग 200 बालकों के लिए एक साथ किया जा सकता है।यह विधि प्रत्येक सेक्शन को वही पाठ बार-बार दोहराने से शिक्षकों को स्वतंत्रता देती है और जो समय उनके पास बचता है उसका उपयोग व्यक्तिगत शिक्षण,निरीक्षण एवं अनुसरण में लगा देने की प्रेरणा देती है।

3.टीम शिक्षण से लाभ (Benefit from Team Teaching):

  • टीम-शिक्षण की परिभाषा एक ऐसी व्यवस्था के रूप में दी जा सकती है जिसमें दो या अधिक अनुभवी शिक्षक एक ही विद्यार्थियों के समूह को शिक्षण देने का उत्तरदायित्व ले लेते हैं तथा समूह के आकार तथा शिक्षण विधि में शिक्षण कार्य के उस समय के उद्देश्य तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तन ले आते हैं।इस प्रकार की शिक्षण व्यवस्था में जो लाभ हैं,उनका वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता हैः
  • (1.)टीम-शिक्षण बालकों को बड़े समूहों में,छोटे कक्षा विभागों में या व्यक्तिगत रूप से शिक्षण देना पाठ्य-विषय के लिए क्या अच्छा है उसके अनुरूप संभव बना देती है।
  • (2.)टीम शिक्षक उन्हीं बालको से लंबे समय तक संबंध बनाए रख सकते हैं।यदि टीम के शिक्षकों के बीच कार्य विभाजन हो जाता है तो जो शिक्षक बालकों के एक विशेष समूह से मिलते हैं उससे मिलते रहते हैं जब तक कि पाठ के उद्देश्य प्राप्त न हो जाएं।
  • (3.)विद्यार्थी बड़े या छोटे समूहों में विशेषज्ञ अध्यापकों के मिलने के अवसर पा जाते हैं।
  • (4.)शिक्षक अपनी व्यावसायिक कुशलता बढ़ा सकते हैं और अपनी योग्यता का लाभ विद्यार्थियों को दे सकते हैं।वह अपने सहयोगी शिक्षकों को भी परामर्श दे सकते हैं।
  • (5.)विभिन्न दशाओं में व्यावसायिक योग्यताओं वाले शिक्षक टीम के सदस्य एक साथ इकट्ठे होकर विद्यार्थियों की कमजोरियों एवं मजबूरियों का निदान कर सकते हैं और व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक विद्यार्थी के लिए जो उसके लिए उचित है,कार्यक्रम विकसित कर सकते हैं।
  • (6.)टेलीविजन या रेडियो द्वारा जो पाठ पढ़ाए जाते हैं,उनका पूर्ण उपयोग टीम-शिक्षण द्वारा किया जा सकता है।बड़े समूह में उन्हें इन शैक्षिक साधनों से पाठ पढ़ाया जा सकता है।फिर टीम के सदस्यों द्वारा छोटे-छोटे समूह में उनका अनुसरण किया जा सकता है।
  • (7.)विद्यार्थियों के समूह को अपनी रुचियों,शिक्षण आवश्यकताओं,विशिष्ट योग्यताओं इत्यादि के अनुसार कार्य करने के अधिक अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।
    शिक्षक को टीम शिक्षण से जो लाभ हैं,वे निम्न हैं:
  • (1.)शिक्षक अपनी विशिष्ट शिक्षण योग्यताओं का अधिक से अधिक उपयोग कर सकता है।
  • (2.)सूचना इकट्ठा करने के,योजना बनाने के और मूल्यांकन करने के कार्यों में एक-दूसरे को सहयोग दे सकते हैं।
  • (3.)पाठ की तैयारी करने को उन्हें और अधिक समय मिल जाता है।
  • (4.)शिक्षक को एक ही पाठ को दिन में कई बार कक्षा के अनेक भागों में दोहराना नहीं पड़ता।
  • (5.)पाठ्यक्रम में नवीनता लाने की ओर उसके प्रयास होने लगते हैं।
  • (6.)उच्च शिक्षण योग्यताओं को मान्यता मिल जाती है।

4.भारतीय संदर्भ में टीम शिक्षण (Team Teaching in the Indian Context):

  • भारत में जनसंख्या वृद्धि जिस गति से बढ़ रही है उस अनुपात में गणित शिक्षकों में वृद्धि नहीं हो रही है।इसलिए सभी बालकों को शिक्षण उपलब्ध कराने के लिए कक्षा में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ा दी जाती है।साथ ही परंपरागत तरीके से शिक्षण कराया जाता है जिससे शिक्षण उबाऊ और नीरस लगने लगता है। छात्र-छात्राएं शिक्षण को मजबूरीवश करते हैं।
  • कुछ उत्कृष्ट शिक्षण संस्थाओं और कोचिंग सेंटर्स में जरूर उम्दा शिक्षण उपलब्ध कराया जाता है जो कि नाकाफी है।गणित जैसे जटिल विषयों को रुचिकर और आनन्ददायक बनाने के लिए टीम शिक्षण में नई तकनीक का उपयोग करना चाहिए।उदाहरणार्थ डिजिटल बोर्ड से शिक्षण में शिक्षक का व्यक्तिगत रूप से लाभ तो मिलता ही है साथ ही यदि यूट्यूब से कोई वीडियो के द्वारा कोई बात समझानी हो,कोई 3D डायग्राम या अन्य डायग्राम समझाना हो तो उसके द्वारा आसानी से समझाया जा सकता है।हालांकि डिजिटल बोर्ड की व्यवस्था करना हर स्कूल में संभव नहीं है क्योंकि यह उपकरण थोड़ा महंगा सौदा है।परंतु जो सक्षम है वे इसे लागू कर सकते हैं।दूसरा इसका साइड इफेक्ट यह है कि केवल डिजिटल बोर्ड से समझाने पर गणित शिक्षक मैन्युअल डायग्राम की कला भूल जाता है और जो श्यामपट्ट का प्रयोग नहीं करके सीधे डिजिटल बोर्ड पर पढ़ाता है वह तो मैन्युअल डायग्राम बना ही नहीं सकता है,यदि बनायेगा भी तो टूटा-फूटा डायग्राम बनाएगा।डिजिटल बोर्ड के अपने फायदे हैं तो नुकसान भी हैं।
  • बहुत अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं हों तो उन्हें अकेला गणित का टीचर ठीक से नहीं समझा पाएगा क्योंकि व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान नहीं हो पाएगा।इसलिए छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार दो या दो से अधिक टीचर लगाये जाएँ तो शिक्षण को रुचिकर बनाया जा सकता है।
  • एक शिक्षक बोर्ड पर विषयवस्तु को समझाएं तथा दूसरा शिक्षक छात्र-छात्राओं की छोटी-छोटी समस्याओं को समझाए।यदि कोई सवाल हल करवाया जा रहा है हो तो बालकों को बीच में समस्या उत्पन्न हो तो दूसरा शिक्षक उन्हें कुछ बताकर आगे हल करने के लिए प्रेरित करे।
  • एक ही शिक्षक होने पर पीछे बैठे हुए बालक-बालिका या कमजोर बालक-बालिका झिझक व संकोचवश अपनी समस्या का समाधान करने के लिए कुछ पूछ नहीं पाते हैं।उनकी जिज्ञासा मन में ही दबी हुई रह जाती है।यदि उनके पास ही शिक्षक खड़ा हो तो उससे वे अपनी जिज्ञासा शांत कर सकते हैं।दरअसल गणित,भौतिकी जैसे जटिल विषयों में प्रॉब्लम्स का फेस विद्यार्थी करते हैं अतः उनकी जिज्ञासा को शांत कर दिया जाए तो आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे।साथ ही बालक-बालिका कुछ प्रश्न पूछते हैं तो गणित शिक्षक के तत्काल दिमाग में उसका समाधान सूझ जाता है कि बालकों को सवाल,प्रमेय आदि को किस ढंग से पढ़ाया जाए ताकि उनको ठीक से समझ में आ सके।अथवा बाद में कक्षा के टीचर्स विचार-विमर्श करके उसका समाधान ढूंढ सकते हैं कि बालक-बालिका को किस ढंग से,किस युक्ति से पढ़ाया जाए ताकि वे गणित में रुचि ले सकें।
  • उपर्युक्त विवरण का यह तात्पर्य नहीं है कि बालक-बालिका की हर समस्या का हल कर देना चाहिए।यदि ऐसा किया जाएगा तो उनके दिमाग का विकास,उनकी कल्पना शक्ति और बुद्धि का विकास कैसे होगा? गणित शिक्षक को स्वयं निर्णय लेना चाहिए कि बालक-बालिका को कहां और कितनी हेल्प करनी है जिससे वह आगे बढ़ सके और अपने दिमाग का उपयोग कर सके।यदि सारी समस्याओं का समाधान किया जाएगा तो एक तो बालक बिल्कुल क्रियाशील नहीं रहेगा,ऐसी स्थिति में अधिक टीचर्स लगाने का भी फायदा नहीं होगा? बालक-बालिका को क्रियाशील भी रखना है और समस्या खड़ी होने पर बालक-बालिका निराश भी ना हो,हताश व उदास ना हो,गणित में अरुचि न हो इसका भी ध्यान रखना होगा तभी टीम शिक्षण प्रभावी,सरस और आनंददायक बन सकती है।
  • इस लेख के प्रारम्भ में टीम शिक्षण पाश्चात्य देशों में किस प्रकार अपनायी जा रही है उसका विवरण दिया गया है।परंतु भारतीय बालक-बालिका के लिए टीम शिक्षण हूबहू लागू नहीं की जा सकती है।परिस्थिति और भारत के वातावरण के अनुसार इसमें कुछ फेरबदल करके इसे लागू किया जाना चाहिए।इसके लिए ऊपर फुटकर रूप में कुछ सुझाव दिए गए हैं।
  • टीम शिक्षण को सरस,उपयोगी और आनंददायक बनाने का उत्तरदायित्व केवल शिक्षकों का नहीं है।हां शिक्षकों का उत्तरदायित्व अधिक है।परंतु बच्चे भी यदि क्रियाशील रहें,घर से पढ़कर चैप्टर को पढ़कर आएं,माता-पिता भी उनको कुछ सुझाव दें,समय दें तो टीम शिक्षण को सफल बनाया जा सकता है।गणित शिक्षकों को गणित का कोई भी चैप्टर पढ़ाने से पहले छात्र-छात्राओं को कुछ सुझाव अवश्य देना चाहिए।घर से क्या-क्या पढ़ कर आना है,क्या-क्या समस्याएं उनके सामने आती हैं उन्हें नोट करके आना है,पढ़ाने के बाद बचे हुए सवालों और प्रमेयों को कैसे सॉल्व करना है।यदि घर पर समस्या आए तो उसके समाधान के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं।
  • शिक्षक और बालक-बालिका दोनों का क्रियाशील होना जरूरी है।इनमें से कोई भी अधिक क्रियाशील रहेगा तो उसका विकास तो हो पाएगा परंतु जो क्रियाशील नहीं रहेगा या कम क्रियाशील रहेगा उसका विकास नहीं हो पाएगा फलतः वह पढ़ने-पढ़ाने में रुचि नहीं ले पाएगा।भारत में अधिक बच्चों को एक साथ पढ़ाकर योग्य बनाने के लिए टीम शिक्षण एक अच्छा माध्यम है।आर्थिक रूप से छात्र-छात्रा तो व्यक्तिगत ट्यूशन या कोचिंग के द्वारा अपनी कमजोरी को दूर कर लेते हैं।परंतु भारत में अधिकांश छात्र-छात्राओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है अतः अधिकांश छात्र-छात्राएं केवल विद्यालय में टीचर द्वारा पढ़ाए जाने पर निर्भर हैं।अब वह अच्छा पढ़ाता है लेकिन बच्चे अधिक हैं तो उसका शिक्षण सफल नहीं हो सकता है ऐसी स्थिति में टीचर्स की संख्या को बढ़ाकर इस कमी को दूर किया जा सकता है।
  • गणित शिक्षण के लिए मॉडल्स,चार्ट,प्रोजेक्टर आदि तथा थोड़ा-बहुत अपनी सामर्थ्य के अनुसार तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके भी टीम शिक्षण को प्रभावी बनाया जा सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में टीम शिक्षण 2025 (Team Teaching in Mathematics 2025),गणित में टीम शिक्षण (Team Teaching in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:गणित में वैयक्तिक शिक्षण

5.गणित शिक्षक की फीस (हास्य-व्यंग्य) (Teacher’s Fees) (Humour-Satire):

  • निदेशक (अभिभावक से):शिक्षण संस्थान की फीस तो ₹15000 है फिर ₹10000 क्यों टिका रहे हो? जबकि हमने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए हर कक्षा में टीचर्स की संख्या बढ़ा दी है विशेषकर गणित जैसे विषयों को पढ़ाने के लिए।
  • अभिभावक:महीने में चार संडे नहीं पढ़ाते हो,इसके अलावा अन्य कई जयंतियां वगैरा की छुट्टी कर देते हो।शीतकालीन और ग्रीष्मकाल की छुट्टी कर देते हो।उन दिनों की फीस तो काटनी पड़ेगी ना।

6.गणित में टीम शिक्षण 2025 (Frequently Asked Questions Related to Team Teaching in Mathematics 2025),गणित में टीम शिक्षण (Team Teaching in Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.टीम टीचिंग में अधिक शिक्षकों की आवश्यकता क्यों है? (Why is there a need for more teachers in team teaching?):

उत्तर:हर छात्र-छात्रा की रुचि,योग्यता,क्षमता भिन्न-भिन्न होती है अतः एक ही शिक्षक इस कमी को दूर नहीं कर पाता है।इसलिए एक से अधिक टीचर्स की व्यवस्था करना आवश्यक है।

प्रश्न:2.टीम शिक्षण की सफलता किस पर निर्भर है? (What is the success of team teaching dependent on?):

उत्तर:टीचर्स में आपस में समन्वय,विचार-विमर्श,विषय का गहरा ज्ञान,छात्र-छात्राओं के मनोविज्ञान की समझ तथा छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा वृत्ति पर टीम शिक्षण की सफलता निर्भर है।

प्रश्न:3.टीम शिक्षण भारत के अनुकूल कैसे है? (How is team teaching adapted to India?):

उत्तर:भारत में बालक-बालिकाओं की संख्या अधिक होने के कारण व्यक्तिगत शिक्षण उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में टीम शिक्षण 2025 (Team Teaching in Mathematics 2025),गणित में टीम शिक्षण (Team Teaching in Mathematics) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here
7. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *