Excuses Interruption in Studying
1.अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Excuses Interruption in Studying),जाॅब में उन्नति करने में सबसे बड़ी रुकावट बहानेबाजी (Biggest Obstacle to Job Advancement is Excuses):
- अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Excuses Interruption in Studying) होती है।छात्र-छात्राएं आलस्यवश या अरुचि होने के कारण अध्ययन करने में बहानेबाजी करते हैं।वे अध्ययन करने के लिए रोज नए-नए बहाने गढ़ लेते हैं और बहाने असलियत जैसे लगते हैं परंतु असलियत में होते नहीं।
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2.छात्र-छात्राओं द्वारा बहानेबाजी (Excuses by students):
- जिन छात्र-छात्राओं की अध्ययन में रुचि नहीं या आलस करते हैं वे अक्सर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं।शिक्षक पूछते हैं कि आपने होमवर्क क्यों नहीं किया? सर मेरी तबीयत ठीक नहीं है (भले वे बिल्कुल भले चंगे हो,100% स्वस्थ हों)।सर मेरा मूड नहीं था या सिरदर्द हो रहा था।सर मेरा अकेले का पढ़ने के लिए मन नहीं कर रहा था।यदि मेरे साथ कोई होमवर्क करने वाला मिल जाता है तो मैं काम कर देता।सर आज अपशकुन हो रहा था,मेरी आंख फड़क रही है आज होमवर्क नहीं करूं तो अच्छा है।
- यदि उनको गणित की प्रश्नावली की थ्योरी समझा दी जाए और प्रश्नावली के सवालों को घर पर हल करने के लिए कहा जाए क्योंकि प्रत्येक सवाल को शिक्षा संस्थान में हल करवाना तो संभव है नहीं,ऐसी स्थिति में उनके बहाने होते हैं।सर मुझे प्रश्नावली ठीक से समझ में नहीं आई,इसलिए मैं सवाल हल नहीं कर सका।सर,मैंने प्रयास तो बहुत किया परंतु कोई सवाल पूरा हल नहीं कर पाया।सर,प्रश्नावली बहुत कठिन है,इसलिए इसे दुबारा से समझना पड़ेगा।सर,मैं लेट आया था इसलिए प्रश्नावली की थ्योरी नहीं समझ सका था।सर,मैंने मित्रों,माता-पिता की मदद से हल करने की कोशिश की परंतु वे भी मेरी मदद नहीं कर सके।
- ऐसे विद्यार्थियों का गणित के सवाल अथवा किसी विषय का होमवर्क ही पूरा नहीं होता बल्कि हर विषय का हर काम पूरा नहीं होता है।उन्हें पाठ याद करने के लिए कहा जाए तो कहेंगे सर हमने पूरी कोशिश करी थी पर पाठ याद ही नहीं हुआ।कोई कहेगा सर लैंग्वेज थोड़ी कठिन भाषा में थी इसलिए याद नहीं हो पाया।कोई कहेगा सर,पाठ समझ में ही नहीं आया तो याद कैसे करते।कोई कहेगा सर,याद तो किया था और याद हो भी गया था परंतु बाद में भूल गया।इस तरह अनेक अजीबोगरीब भिन्न-भिन्न तरीके की बहानेबाजी देखने और सुनने को मिलती है।
- कॉलेज और विश्वविद्यालय में जहां सेमेस्टर प्रणाली लागू है वहाँ भी नए-नए और बहुत रोचक बहाने सुनने को मिलते हैं।विशेषतः उस दिन जिस दिन साइंस वालों को अपना प्रैक्टिकल रजिस्टर दिखाना होता है।अक्सर उनके बहाने होते हैं:सर चित्र बनाना बाकी रह गया,सर निष्कर्ष लिखना बाकी रह गया।सर,मेरे प्रैक्टिकल समझ में नहीं आया अतः दुबारा से करूंगा।सर मेरी प्रैक्टिकल की किताब कहीं रखकर भूल गया।
- शोध और प्रोजेक्ट कार्य को जमा करवाने की अंतिम तिथि होती है तो उनके बहाने होते हैं:सर मुझे प्रोजेक्ट समझ में नहीं आया,मेरा इंटरनेट नहीं चल रहा था,मुझे इस विषय पर कोई किताब नहीं मिली,मेरे कंप्यूटर में वायरस आ गया था और सारा मैटर चल गया,मेरे पार्टनर (group member) ने कोई काम नहीं किया,सर फोटोस्टेट वाले की दुकान बंद थी,सर शोध लिखना थोड़ा सा बाकी रह गया,सर आप थोड़ी हेल्प कर दें तो अभी कंप्लीट कर देता हूं।ये बहानेबाजी तीन तरह के विद्यार्थी करते हैं:एक निकम्मे और आलसी,दूसरे जिनकी पढ़ाई में रुचि न हो,तीससे वास्तव में किसी कारणवश जैसे बीमार हो गए,घर में कोई दुर्घटना घट गई (लेकिन जेनुइन कारण वाले बहुत ही कम विद्यार्थी होते हैं)।
3.बहानेबाजी के कारण (Reasons for Excuses):
- जो विद्यार्थी निकम्मे और आलसी होते हैं उन्हें तो कुछ करना ही नहीं होता है।वे समय को बर्बाद करते रहते हैं और किसी काम में दिलचस्पी नहीं लेते हैं।जिन छात्र-छात्राओं की रुचि नहीं होती है,वास्तव में उनके लिए ये बहाने नहीं होते हैं।ये सब दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव के प्रमाण हैं।जब इच्छाशक्ति ही नहीं होगी,चाहत ही नहीं होगी तो अध्ययन क्यों करेंगे,गणित के सवाल हल क्यों करेंगे? ऐसे विद्यार्थियों की रुचि,चाहत और इच्छाशक्ति अन्य कार्यों को करने में होती है।जैसे किसी विद्यार्थी खेल में यथा टेबल टेनिस,क्रिकेट,बैडमिंटन आदि में होती है तो वे उन खेलों में रुचिपूर्वक भाग लेते हैं और कई तो बहुत उत्कृष्ट योगदान देते हैं।राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन जाते हैं।
- कुछ विद्यार्थियों की रुचि भजन,संगीत,गाना गाने,डांस,मोनो एक्टिंग,लेख लिखने,ट्रैवलिंग आदि में होती है या शिक्षा संस्थान के किन्हीं सांस्कृतिक कार्यक्रम में होती है।उन कार्यों को ठीक समय पर करते हैं।कोई प्रतियोगिता परीक्षा होती है तो उसकी पूरी तैयारी करते हैं और भाग लेते हैं अथक परिश्रम करते हैं।समय से पहले अपनी रुचि के क्षेत्र में पार्ट प्ले करने के लिए प्रस्तुत हो जाते हैं।किसी प्रश्नावली के सवालों को हल करना याद रहे या नहीं,कोई पाठ याद करना हो तो इसकी जानकारी लें या नहीं लेकिन यदि पार्टी/मौज-मस्ती का नोटिस है या अपने रुचि के क्षेत्र का आयोजन किया जा रहा है तो उसके विषय में उनको समय पर पता लग जाता है।
- इसका बड़ा ही सीधा सा अर्थ है:हमारी इच्छाशक्ति उसी काम के प्रति होती है जो काम हमें अच्छा लगता है,परंतु यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जीवन में सफल होने के लिए हमें ऐसे काम भी करने पड़ते हैं जिनमें कई बार हमारा मन नहीं लगता।इनमें से ही अध्ययन भी एक कार्य है।अध्ययन हर क्षेत्र में हमारा सहयोग देता है।यदि आप पढ़े लिखे नहीं है लेकिन अच्छे खिलाड़ी हैं तब भी नई-नई तकनीक सीखने के लिए आपको अध्ययन करना पड़ता है।अपनी चिंतन शक्ति को बढ़ाने के लिए अध्ययन करना पड़ता है।आज कोई भी खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ और शीर्ष पर तभी पहुंच सकता है जो नई-नई बातों का अध्ययन करके सीखता रहता है।अपने खेल के दाव-पेंच के बारे में चिंतन करता है।विपक्षी टीम या प्रतिद्वन्द्वी खिलाड़ी को किस युक्ति से मात देना है इसके बारे में सोच-विचार करता है।
- तात्पर्य यह है कि आपकी रुचि किसी भी क्षेत्र में हो,आप अपना अधिकतर समय उसी में व्यतीत करें,उसी क्षेत्र में पारंगत होने का प्रयास करें,लेकिन अध्ययन के प्रति उपेक्षा भाव ना रखें।आपको अपने क्षेत्र में कदम-कदम पर अध्ययन करने का सहयोग मिलेगा,आप आगे बढ़ सकेंगे।इसलिए यदि आपकी रुचि नहीं भी है तो भी व्यापक दायरे की सोच रखते हुए,अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचने के लिए अध्ययन अवश्य करना चाहिए भले अध्ययन में आपकी रुचि ना हो।हाँ,यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र में आपकी रुचि है,उस क्षेत्र का प्रशिक्षण लेने,उसका अभ्यास करने में आपका अधिकांश समय व्यतीत होता है तो भी सामान्य स्तर का अध्ययन तो आपको करना ही चाहिए अन्यथा कदम-कदम पर आपको ठोकरे खानी पड़ेगी,दूसरों का सहारा लेना पड़ेगा,हो सकता है अध्ययन की कमी से आप अपने रुचि कर क्षेत्र में शीर्ष पर न पहुंच पाएं।विद्यार्थी को जीवन में सफल होने के लिए कुछ व्यावहारिक बातों को सीखना चाहिए और इसका माध्यम है अध्ययन।
4.एम्पलाॅइज द्वारा बहानेबाजी (Excuses by Employees):
- विद्यार्थियों को तो कोई वेतन नहीं मिलता,उन्हें तो पढ़ने की एवज में फीस चुकानी पड़ती है अतः वे पढ़ने के लिए बहानेबाजी करते हैं तो उन्हें डाँट-डपट के अलावा कोई ज्यादा भारी दंड नहीं मिलता है।
- परंतु व्यावसायिक जगत में बहानेबाजी को कोई भी स्वीकार नहीं करता।वहां आप मैनेजर या बॉस को लाख समझाएं कि उसने कड़ी मेहनत की थी परंतु काम नहीं हो सका।वैसे व्यावसायिक जगत में भी मुफ्तखोर एंप्लॉईज मिल जाएंगे।जो काम कम बातें अधिक करते हैं,गपशप करते रहते हैं, इधर-उधर की बातें करके कार्यालय का समय पूरा होते ही घर के लिए रवाना हो जाते हैं।काम न करने के लिए वे भी इसी तरह की बहानेबाजी करते हैं:समय कम था,कंप्यूटर काम नहीं कर रहा था,इंटरनेट की स्पीड धीमी थी,वर्क लोड ज्यादा था,काम को समझने में समय लग गया,मेरी कोई मदद नहीं करता है,मुझे बिल्कुल नया काम दिया गया है,मेरे पास पब्लिक डीलिंग अधिक है,मुझे फोन कॉल्स अटेंड करनी पड़ी,मुझे ईमेल के उत्तर देने पड़े आदि।
- ऐसे मुफ्तखोर एम्प्लॉइज को कुछ समय के लिए बर्दाश्त किया जाता है,समय पर वार्निंग भी दी जाती है,डांटना-फटकारना भी पड़ता है लेकिन फिर भी यदि वे सुधरने के लिए तैयार नहीं होते हैं और जब बहानेबाजी किसी एंप्लॉई की आदत बनने लगती है तो उसका संस्थान उसकी छुट्टी कर देता है।
- आज का युग तकनीकी युग है।आज हर कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं,जो लगातार आपकी निगरानी करते रहते हैं।आपके सहकर्मियों से भी फीडबैक मिलता रहता है,बाॅस वर्क एक्सपीरियंस से भी आपका झट पता लगा लेते हैं।
तात्पर्य यह है कि तकनीकी युग में आप बहाने नहीं बना सकते कि आपको किसी चीज का पता न था या आप सूचना नहीं दे सके या जानकारी प्राप्त नहीं कर सके।आपके बाॅस और सहकर्मी एक मिनट में पता लगा लेते हैं कि आप सही कह रहे हैं या बहाना बना रहे हैं।इसलिए काम करें,बहाना न बनाएं।
- जरा सोचिए किसी भी कम्पनी का बाॅस बैठे-ठाले आपको वेतन क्यों देगा,क्या कम्पनी में आलसी और मुफ्तखोर एम्प्लाॅईज नहीं हो जाएंगे,तो क्या कम्पनी या विभाग का दिवाला नहीं निकल जाएगा? कम्पनी बन्द हो जाएगी तो आपको भी बेरोजगार होना पड़ेगा,आप कहेंगे दूसरी जगह जाॅब मिल जाएगा।लेकिन नई कम्पनी में भी आपके पहले के जाॅब की परफार्मेंस देखी जाएगी और एक न दिन आपको अपनी करतूतों के कारण खाने के लाले पड़ जाएंगे।इसके लिए आप भले ही दूसरों को दोषी ठहराये परंतु सही कारण आपके द्वारा की गई बहानेबाजी है,आप द्वारा की गई लापरवाही है,आप द्वारा काम को रुचिपूर्वक न करना है,आपके द्वारा आज के काम को कल पर टालना है।
- जबकि हम जानते हैं कि हमें समय पर काम करना चाहिए,परंतु हम नहीं करते या हमसे हो नहीं पाता।हमारी गलत आदतें हैं।इस समस्या का हल हमारे पास ही है बस यह सोचने की जरूरत है कि यह मेरा काम है और मुझे इस काम को निपटाना है।केवल व्यावसायिक जगत में ही नहीं बल्कि स्कूल,कॉलेज,विश्वविद्यालय,घर,परिवार और समाज में भी जो लोग कठिन परिश्रम करते हैं उन्हें अपार सफलता मिलती है और जो केवल योजना बनाते हैं,उस पर अमल नहीं करते हैं वो वर्षों तक गरीबी की खाक छानते रहते हैं।हर कहीं,हर जगह व्यक्ति का काम प्यारा होता है चाम प्यारा नहीं होता है।काम करने वालों की ही पूँछ रहती है और मार्केट की डिमांड में काम करने वालों की बराबर मांग बनी रहती है।
5.बहानेबाजी की आदत को दूर कैसे करें? (How to overcome the habit of making excuses?):
(1.)इच्छाशक्ति को जागृत करें (Awaken the Willpower):
- हम कई बार किसी काम को करने में इसलिए देरी करते हैं कि हमें सभी और मन के अनुरूप संसाधन और परिस्थितियों की प्रतीक्षा रहती है।अधिकांशतः यह संभव नहीं हो पाता और हम बहानेबाजी करके काम को टालते रहते हैं।अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि ‘बस मुझे ये काम मिल जाए,फिर तो मैं ऐसा कर दूंगा वैसा कर दूंगा।किसी भी कार्य को करने के लिए दृढ़ मनोबल और इच्छाशक्ति की दरकार होती है।यदि आपके अंदर इच्छाशक्ति है और जो मन में ठान लेते हैं वे बिना किसी लंबी-चौड़ी योजना के सफलता प्राप्त कर लेते हैं।इच्छाशक्ति के बल पर हम वह कर सकते हैं जिसको हम सपने में सोच भी नहीं सकते।
(2.)काम स्वयं करने की आदत डालें (Get into the habit of doing the work yourself):
- चाहे होमवर्क करना हो या प्रश्नावली हल करनी हो अथवा अन्य कोई काम हो,काम स्वयं करने की आदत डालें।हालांकि समयाभाव में कुछ काम अपने सहयोगियों से करवा सकते हैं जैसे ईमेल चेक करना,फोन अटेंड करना,मैसेज चेक करना,कोई फाइल डाउनलोड करना,ई-मेलल्स की छँटनी करना,फोटो स्टेट करना,मेल टाइप करना,एसएमएस करना,फाइल निकालना,पुरानी मेल सर्च करना आदि छोटे-छोटे कार्य आप सहायक से करवा सकते हैं परन्तु तभी जब आप अत्यन्त व्यस्त हैं और जरूरी और अति महत्त्वपूर्ण और महत्त्वपूर्ण कामों को निपटा रहे हों।
(3.)संसाधनों को अपने नियंत्रण में रखें (Keep resources under your control):
- जरूरी संसाधनों को अपने पास एकत्रित करने और अपने नियंत्रण में रखने में आलस ना करें।जब आपके संसाधन आपके पास होंगे तो आपका काम निरंतर प्रगति करता चला जाएगा।यह सोचकर खाली ना बैठ जाएं कि यह चीज मैं यहां से ले लूंगा,वह चीज मैं वहां से ले लूंगा,क्योंकि कई बार हम जब किसी पर बहुत अधिक विश्वास करते हैं तो हम यह मान लेते हैं कि आवश्यकता के समय हम उससे वह चीज प्राप्त कर लेंगे,परन्तु समय पड़ने पर वह व्यक्ति उपलब्ध न हो या फिर उसके पास वह वस्तु उपलब्ध न हो तो हमारी पूरी की पूरी योजना खटाई में पड़ सकती है।अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Excuses Interruption in Studying) होती है।छात्र-छात्राएं आलस्यवश या अरुचि होने के कारण अध्ययन करने में बहानेबाजी करते हैं।वे अध्ययन करने के लिए रोज नए-नए बहाने गढ़ लेते हैं और
(4.)आज का काम कल पर न छोड़ें (Don’t leave today’s work for tomorrow):
- टीचर ने जो भी टास्क दिया है उसको किसी भी हालत में समय पर पूरा करें।समय पर अध्ययन कार्य,नोट्स बनाना,होमवर्क करना आदि को नहीं करेंगे तो टास्क इकट्ठा होता जाएगा।अंत में वह इतना अधिक हो जाता है कि या तो हम तनावस्त हो जाते हैं या फिर रात-दिन लगकर अपनी भूख-प्यास की परवाह किए बिना वह काम पूरा करना पड़ता है,जल्दबाजी में ना तो काम अच्छा होता है और न ही परिणाम अच्छे मिलते हैं।मस्ती,मनोरंजन,घूमना-फिरना तभी अच्छे लगते हैं जब काम निपटा दिया जाए।
(5.)कठिन परिश्रम और स्मार्ट वर्क करें (Work hard and work smart):
- हार्ड वर्क का अर्थ है सामान्य या परंपरागत ढंग से कार्य करना और एक भी पल व्यर्थ न गँवाना।स्मार्ट वर्क का अर्थ है,नए और बेहतरीन तरीके से कार्य करना ताकि समय,धन और परिश्रम बच सके।असाधारण सफलता के लिए हमें स्मार्ट और हार्ड दोनों ही प्रकार के गुणों की आवश्यकता है।हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क तथा असाधारण कार्य करने वालों को कभी व्यर्थ के दिखावे की आवश्यकता नहीं रहती है।वे हमेशा अपने काम में इतने व्यस्त और तल्लीन रहते हैं कि उन्हें काम के अतिरिक्त कुछ दिखाई नहीं देता।
- एक बार विश्व के महान लोगों,गणितज्ञों,वैज्ञानिकों के जीवन को देखिए।दृढ़ इच्छाशक्ति,कठिन परिश्रम,मनोबल के आधार पर वह सब करके दिखाया भले उन्हें किसी की मदद मिली हो या नहीं,उन्होंने कभी हार नहीं मानी और संसार में अद्वितीय कार्य करके दिखाया।
- उपर्युक्त आर्टिकल में अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Excuses Interruption in Studying),जाॅब में उन्नति करने में सबसे बड़ी रुकावट बहानेबाजी (Biggest Obstacle to Job Advancement is Excuses) के बारे में बताया गया है।
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6.बहानेबाज छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Excused Student) (Humour-Satire):
- एक बार एक बहानेबाज छात्र स्कूल जा रहा था।रास्ते में उसके बैग की डोरी टूट गई और बैग गिर गया।बहानेबाज छात्र (खुश होते हुए) अच्छा हुआ आज टीचर से डाँट-डपट और पिटाई नहीं खानी पड़ेगी,वरना बैग और किताबें होती तो आज मेरी खैर नहीं थी।
- टीचरःगणित के सवाल हल करके लाए।
- बहानेबाज छात्रःसर मेरा बैग चोरी हो गया।
- टीचर:रोज नए-नए बहाना बनाना तो कोई तुमसे सीखें।कभी किताब खो जाती है,कभी बैग चोरी हो जाता है,कभी स्कूल में लेट आए थे,कभी घर में मेहमान आए हुए थे,कभी पेन और नोटबुक नहीं रहती है,आखिर तुम कब सुधरोगे?
7.अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Frequently Asked Questions Related to Excuses Interruption in Studying),जाॅब में उन्नति करने में सबसे बड़ी रुकावट बहानेबाजी (Biggest Obstacle to Job Advancement is Excuses) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.हमारा जीवन कैसे बदल सकता है? (How can our lives change?):
उत्तर:यदि हम चतुर (smart) तरीके से कठिन परिश्रम (hard work) करें तो हमारे जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल सकती है।
प्रश्न:2.कार्य संपन्न कैसे हों? (How to get the work done?):
उत्तर:यदि आप बहानेबाजी छोड़ दें,काम को समय पर करने की आदत डालें।काम को रुचिपूर्वक करें तो कठिन से कठिन कार्य को संपन्न कर सकते हैं।
प्रश्न:3.बहानेबाजी से कैसे बचें? (How to avoid excuses?):
उत्तर:अपने अध्ययन कार्य को पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करें,अध्ययन से प्यार करो।कभी हार मत मानो,अब कष्ट झेल लो।फिर पूरा जीवन विजेता बनकर जियो।
- उपर्युक्त आर्टिकल में अध्ययन करने में बहानेबाजी रुकावट (Excuses Interruption in Studying),जाॅब में उन्नति करने में सबसे बड़ी रुकावट बहानेबाजी (Biggest Obstacle to Job Advancement is Excuses) के बारे में बताया गया है।
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Satyam
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