Effects of Mind and Body on Each Other
1.मन और शरीर का एक-दूसरे पर प्रभाव (Effects of Mind and Body on Each Other),मन और शरीर एक-दूसरे से प्रभावित (Mind and Body Are Influence by Each Other):
- मन और शरीर का एक-दूसरे पर प्रभाव (Effects of Mind and Body on Each Other) पड़ता है।यदि मन में शुभ विचार होते हैं तो शरीर भी स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त रहता है और यदि मन में अशुभ विचार हों तो शरीर भी रोगग्रस्त हुए बिना नहीं रहता है।अतः शरीर और मन एक-दूसरे से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते।
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2.मन और शरीर को संतुलित रखें (Keep mind and body balanced):
- स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर में ही रह सकता है।शरीर और मन का स्वस्थ संतुलन होने पर ही व्यक्ति सुख और शांति से रहता है।यदि इनके संतुलन में कुछ त्रुटि आ जाए तो एक की अवस्था दूसरे को रोगग्रस्त कर देती है।भला अस्वस्थ शरीर वाला व्यक्ति शुद्ध,स्वस्थ,सशक्त चिंतन कैसे कर सकता है? रोगी व्यक्ति के विचार भी रोगग्रस्त ही तो होते हैं:रोगी व्यक्ति के विचार हमेशा निराशावादी और अंधकारमय होते हैं।इसी प्रकार रोगी मन वाला व्यक्ति भी शरीर को स्वस्थ नहीं रख सकता।मन का रोग शीघ्र ही शरीर पर भी अपना कुप्रभाव डालता है और व्यक्ति का शरीर भी रोगी हो जाता है।इसलिए स्वस्थ,सुखी और शांतमय जीवन की पहली आवश्यकता है-शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन।
- मनुष्य का शरीर और मन दो स्थितियों में रहता है-एक स्थिति को हम जागृत स्थिति कहते हैं,दूसरी को सुषुप्ति।जागृति की स्थिति में व्यक्ति सचेत अवस्था में रहता है।इस स्थिति में उसकी ज्ञानेंद्रियाँ और कर्मेंद्रियाँ सक्रिय रहती है।उसका संबंध बाहरी जगत से बराबर बना रहता है।इसी चेतन स्थिति में हम अपने रोज के काम करते हैं।इसके विपरीत सुषुप्ति की स्थिति में हमारी ज्ञानेंद्रियां और कर्मेंद्रियां दोनों ही लगभग निष्क्रिय रहती हैं।यदि इनमें कुछ आंशिक सक्रियता रहती भी है तो उसकी हमें चेतना नहीं रहती।हमें बोध नहीं रहता।इस स्थिति में बाहरी जगत से हमारा संबंध समाप्त हो जाता है।इसी स्थिति को अचेतन या अवचेतन स्थिति कहते हैं।
- सुषुप्ति की स्थिति को साधारणरूप से नींद कहा जाता है।नींद प्रकृति-चक्र का एक खंड है।यह हमारे शारीरिक संतुलन की एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।यों नींद के बिना हम कुछ समय तक रह सकते हैं,लेकिन लंबे समय तक नींद के बिना रहना मुश्किल है,क्योंकि नींद के अभाव में शारीरिक व्यवस्था का संतुलन टूट जाता है।
- नींद की स्थिति के बारे में डॉक्टरों का यह मत है कि जो लोग यह कहते हैं कि नींद में हम सर्वथा अचेतन रहते हैं और शरीर तथा मन पूरी तरह निष्क्रिय हो जाते हैं,वे लोग गलत हैं।वास्तव में हमारा शरीर तो नींद के समय भी उसी प्रकार बढ़ता रहता है,जिस तरह जागृति की अवस्था में।हमारे बाल और नाखून नींद में भी बढ़ते या बदलते रहते हैं।इसी तरह हमारे चेहरे की झुर्रियां और आंखों के नीचे दिखने वाली काली रेखाएं भी नींद में बनती रहती हैं।कई लोगों को नींद में बोलते रहने की आदत होती है।इसी तरह कुछ लोगों को नींद में चलने की आदत होती है।वे लोग अचेतन अवस्था में ही नींद से उठते हैं और घर से बाहर की ओर चल पड़ते हैं।इससे सिद्ध होता है कि नींद की स्थिति में शरीर या मन की क्रियाएं बिल्कुल ही बंद नहीं हो जातीं,चलती रहती हैं; सिर्फ हमें इनका ज्ञान नहीं रहता मन,नींद में भी शरीर को अद्भुत रूप से नियंत्रित करता है।
- कुछ लोगों की,जो दिन-भर अपने व्यवसाय या व्यापार के कारण अत्यंत तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं,रात के समय बड़बड़ाने की आदत होती है।इसी तरह कुछ औरतें नींद में भी कुढ़ती और किलसती रहती है।
3.पूर्ण विश्राम न लेने का प्रभाव (Effects of not taking complete rest):
- कोई व्यक्ति यदि रात को उन सब बातों को दुहराता रहता है जो वह दिन-भर बोला करता है तो नींद में ऐसे व्यक्ति को कुछ भी ध्यान नहीं रहता है कि वह क्या बोल रहा है।ऐसा इसलिए होता है कि वे लोग दिनभर अत्यंत कृत्रिम जीवन जिया करते हैं।उनकी मनःस्थिति हमेशा तनावपूर्ण बनी रहती है।उनका मन दिन-भर चिंता से भारी रहता है।वे भीतर-ही-भीतर कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं।रात के समय नींद में भी वही बातें उनके मन में घूमती रहती हैं।इस कारण रात को भी वह उन्हीं बातों को अनजाने ही दुहराते रहते हैं।दिन भर के लेन-देन,झगड़े,मन-मुटाव उनके मस्तिष्क में ज्यों-के-त्यों बने रहते हैं और रात में भी वह उन्हें चैन से सोने नहीं देते।
- कई लोगों का जीवन इतना तनावपूर्ण होता है कि उन्हें रात के समय या तो नींद आती ही नहीं या आती भी है तो इतनी हल्की और कच्ची की जरा सी आहट या झटके से टूट जाती है,और फिर उसके बाद रात भर वह सो ही नहीं पाते।रात के अंधेरे में बिस्तर पर करवटें बदलते हुए वे अनेक चिन्ताओं और भयावह विचारों से ग्रस्त हो जाते हैं।इससे धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला जाता है और वे क्रमशः अनिद्रा-रोगी हो जाते हैं।ऐसे भी लोग आपने देखे होंगे जिन्हें नींद ही नहीं आती।वे रात को नींद लाने वाले इंजेक्शन लगाते हैं या अफीम आदि कोई नशीला तत्व प्रयोग करते हैं जिससे उन्हें कृत्रिम नींद आ जाए।कई लोगों को तो इंजेक्शनों आदि से भी कोई लाभ नहीं पहुंचता और वे आखिर अनिद्रा से तंग आकर आत्मघात कर लेते हैं।अनिद्रा के रोग का रोगी बहुत जल्द कमजोर हो जाता है।इससे शरीर और मन दोनों ही नष्ट हो जाते हैं।क्योंकि प्रकृति ने शरीर और मन की आवश्यकता के लिए जो कोई भी चीज बनाई है उसमें यदि कमी या ज्यादती होगी,तो उससे निःसंदेह मन और शरीर दोनों ही आहत होंगे।
- नींद वस्तुतः प्रकृति द्वारा नियोजित और निर्धारित विश्राम की स्थिति है।दिन-भर काम करने से व्यक्ति का शरीर और मन थक जाता है।डॉक्टरों का कहना है कि कार्यरत रहने से शरीर से कुछ तत्वों के अणु विखंडित हो जाते हैं।इसी प्रकार मन भी दिन-भर विचार और मनन करते रहने से थक जाता है,इसलिए इन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है।रात के समय नींद के द्वारा शरीर और मन दोनों विश्राम करते हैं।इस विश्राम से उनकी थकावट दूर हो जाती है और वे सुबह के समय एक बार फिर तरोताजा होकर विश्राम करने को तैयार हो जाते हैं।
- जिन व्यक्तियों को अच्छी तरह नींद नहीं आती या फिर जिन्हें नींद बिल्कुल ही नहीं आती,उनके शरीर और मस्तिष्क को विश्राम नहीं मिलता।उनका शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है।वे शिथिल और सुस्त हो जाते हैं।उनके चिन्तन और मनन की शक्तियां भी कमजोर होने लगती हैं।इसका प्रभाव उनके व्यवसाय या व्यापार पर पड़ता है।कार्यक्षमता की क्षति से व्यापार या व्यवसाय में वे पूरी शक्ति या ध्यान नहीं दे पाते।इस तरह क्रमशः वे अपनी समृद्धि और सुख-शांति खो बैठते हैं।इससे स्पष्ट होता है कि हमारी सुख-शांति और समृद्धि में नींद का भी अप्रत्यक्ष रूप से काफी योगदान होता है।
- नींद न आने या हल्की नींद आने का प्रमुख कारण है मानसिक चिंता या उद्वेग।जो लोग हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं,उनके मस्तिष्क को विश्राम करने का समय ही नहीं मिलता।तनाव के कारण उनका शरीर और मन कभी विश्राम की स्थिति में नहीं आ पाता।कुछ लोगों की आदत ऐसी होती है कि वे दफ्तर या दुकान से लौटने के बाद भी घर पर आकर फिर काम करने लगते हैं।रात भोजन करते हुए भी वे व्यवसाय या व्यापार की ही चिंता में लीन रहते हैं।बिस्तर पर सोने के लिए जाते समय भी वे कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं।यहां तक कि बिस्तर पर लेटकर भी वे अपने दिन के कामों के बारे में सोचते रहते हैं।भला ऐसी स्थिति में उन्हें नींद कैसे आ सकती है? ऐसे लोग यह समझते हैं कि इस प्रकार रात-दिन काम में लगे रहने से वे अपने व्यापार या व्यवसाय में उन्नति कर लेंगे।लेकिन वे यह नहीं सोचते कि इस प्रकार अपना स्वास्थ्य नष्ट करके यदि समृद्धि पाई भी तो वह किस काम की? इस तरह स्वास्थ्य नष्ट करके कमाया हुआ धन जिस प्रकार कष्ट से पैदा होता है,उसी प्रकार कष्ट से चला भी जाता है।
4.मन के विचारों का शरीर पर प्रभाव (Effects of Thoughts of the Mind on the Body):
- झगड़ते,झींकते,खीझते या सोचते हुए बिस्तर पर जाने का अर्थ है कि आप नींद को भगा रहे हैं।कुछ लोग रात को सोने से पहले किसी बात पर अपनी पत्नी से झगड़ा कर लेते हैं।इसी तरह कुछ औरतें रात तक झींकती-खीझती हुई सोने के लिए जाती है।यदि ऐसी स्थिति में उन्हें नींद ना आए तो किसी का क्या दोष! फिर,तनावपूर्ण स्थिति में बिस्तर पर जाने के बाद यदि उन्हें नींद आ भी जाए तो भी उससे कोई लाभ नहीं होता।क्योंकि सुप्तावस्था में भी मस्तिष्क में भी वही सब बातें उथल-पुथल मचाती रहती हैं।इसी अवस्था में यदि उन्हें कुछ समय के लिए नींद आ भी जाए तो सुबह उठने पर उनका सिर भारी रहता है।शरीर निढाल और शिथिल रहता है।स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहेगा।उसे दूसरे की मीठी बात भी कड़वी लगेगी।जबकि रात को उन्मुक्त सोने से हम सुबह के समय तरोताजा होकर उठते हैं।मन प्रफुल्लित रहता है।सभी का बोलना और अपनी बात कहना अच्छा लगता है।मन और शरीर हल्का-फुल्का महसूस करते हैं।
- कुछ लोग चिन्ताओं और भय का बोझ सिर पर रखे-रखे सोने चले जाते हैं।इससे उन्हें रातभर भ्रम रहता है,नींद कच्ची आती है।कभी-कभी बहुत भयावह और डरावने स्वप्न भी आते हैं।उनकी नींद अचानक टूट जाती है और फिर वे सो नहीं पाते।सपने क्यों आते हैं? यदि इस प्रश्न पर वैज्ञानिकों की राय ली जाए,तो वे बताएंगे कि इसके दो कारण हैं-एक शारीरिक और दूसरा मानसिक।
शारीरिक कारण है बदहजमी आदि पेटों के रोग,और मानसिक कारण है मन की अतृप्त इच्छाएं आदि।प्रायः जिन लोगों की पाचनशक्ति और पाचनप्रणाली ठीक नहीं होती,वे रात को ठीक तरह सो नहीं पाते।जब कभी उन्हें नींद नहीं आती है तो स्वप्न उन्हें घेर लेते हैं।इसी प्रकार हमारे मन की कुछ अतृप्त इच्छाएँ होती हैं जो दबकर हमारे अवचेतन मन में चली जाती हैं।यही इच्छाएँ नींद के समय हमारे चेतन मन की पकड़ ढ़ीली होने पर अवचेतन मन से ऊपर उठकर चेतन मन में आ जाती है और फिर इन अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति हम स्वप्नों द्वारा करते हैं।
- स्वप्न भले भी होते हैं और भयानक तथा भयावह भी।किंतु स्वप्न कैसे भी हों,वे किसी भी रूप में हमारे अनिष्ट के संकेत नहीं होते।कुछ लोगों को रात के समय जब कोई दु:स्वप्न आता है तो उनकी नींद टूट जाती है।फिर वे सो भी नहीं पाते और रात-भर जगे रहकर उन स्वप्नों का अर्थ निकालते रहते हैं।वे अपने-आप ही कई अनिष्टों और संकटों की कल्पना कर लेते हैं।बस,उनकी रात की रही-सही नींद भी इसी चिंता में खराब हो जाती है।
- एक विद्यार्थी था।उसे रात के समय नींद या तो आती ही न थी या आती भी थी तो बहुत हल्की।उसका स्वास्थ्य क्षीण होने लगा।उसने किसी से इस बारे में सलाह ली तो उसे सुझाव दिया गया कि बिस्तर पर जाने पर वह अपने साथ अपने अध्ययन,कोर्स आदि की चिंताएं लेकर न जाए।उसका जो कुछ भी अपना अध्ययन बाकी रह गया हो उसे वह या तो पढ़ते समय छोड़ दे या उसे पूरा करके बिस्तर पर जाए और बिस्तर पर जाने के बाद अपने अध्ययन के बारे में किसी प्रकार की चिंता ना करें।उसने इस सुझाव को मान लिया,हालांकि यह सुझाव मानना उसके लिए सरल नहीं था।लेकिन अब जब भी वह बिस्तर पर सोने के लिए जाता तो बिल्कुल मुक्त और स्वच्छंद रहता।अब वह अध्ययन के बाद माता-पिता,भाई-बहन के साथ बैठता और रात हँसी-खुशी से बिस्तर पर जाता।कहते हैं कि कुछ दिन बाद उसकी शिकायत दूर हो गई।वह सुख चैन से नींद सोने लगा।
5.सोने से पहले कुछ अच्छा करें (Do something nice before you go to bed):
- बात दरअसल यह है कि कुछ लोग विश्राम करना ही नहीं जानते।विश्राम करना एक कला है।यह नहीं कि जहां और जब भी आया लेट गए और सोच लिया कि हमने आराम कर लिया।इस तरह विश्राम नहीं होता,बल्कि समय भी नष्ट होता है और उद्विग्नता बढ़ती है।विश्राम करने के लिए आवश्यक है कि शरीर स्वच्छ हो।जिस स्थान पर आपको विश्राम करना या सोना है,वह मलिन ना हो।और सबसे आवश्यक बात तो यह है कि आपका मन भय,चिन्ताओं और सोच-विचार से मुक्त हो।यदि आपको रात के समय अच्छी तरह नींद नहीं आती तो आपको चाहिए कि सबसे पहले अपने को चिन्ताओं के रोग से मुक्त करें।शाम को लौटते हुए अपने कोचिंग,शिक्षा संस्थान,व्यवसाय या कारोबार संबंधी सभी पूरी या अधूरी समस्याएं वहीं पर छोड़ आएं।फिर लौटकर माता-पिता,भाई-बहन,पत्नी या बच्चों के साथ हँसे-खेलें।इससे आपका मन हल्का होगा।रात भोजन करने से पहले कुछ देर एक एकांत स्थान पर बैठकर थोड़े समय के लिए एकाग्रचित्त होकर प्रभु का ध्यान करें।प्रार्थना करने से मन शुद्ध,निर्मल और पावन बनता है।
- रात को सोने से पहले कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें।किसी महान् लेखक की पुस्तक के दो-चार पृष्ठ पढ़ लेने से आपके मन में शुद्ध और निर्मल विचार आएंगे।कुछ लोगों को सोते समय अखबार पढ़ने की आदत होती है।अखबारों में क्या होता है? हत्याओं,चोरियों,डकैतियों,लूटमार और युद्ध की घटनाओं का वर्णन।इनको पढ़कर मन मुक्त नहीं,बल्कि चिंताग्रस्त होता है।इसलिए अखबार की बजाय रोचक,प्रेरणादायक पवित्र ग्रन्थों को ही पढ़ना श्रेयस्कर होता है।अपने सिरहाने हमेशा एक-दो श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाएं रखिए।जैसे ही बिस्तर पर आएं,एक-दो पृष्ठ पढ़ने लगें।इससे मन विश्राम के लिए तत्पर हो जाता है।
- नींद और स्वस्थ नींद लाने का एक और भी मनोहर ढंग है।बिस्तर पर लेटकर अंधेरा कर लीजिए और लेटे-लेटे ही अपने जीवन की पिछली सुखद घटनाओं को मन-ही-मन दुहराइये।उन मनोहर स्थानों के चित्र खींचिए जो आपने देखे हैं।अपने चित्रों पर हंसी-मजाक की घटनाएं दुहराइये।पिछली यादें बहुत मनोहर और प्रिय होती हैं।उन्हें दुहराते-दुहराते ही आपको नींद आ जाएगी और पता ही नहीं चलेगा कि आप कब सो गए।नींद लाने का यह बहुत सरल और साफ-सुथरा तरीका है।नींद लाने के अन्य उपाय भी हैं।बिस्तर पर सीधे लेट जाएं।हाथ खुले तथा घुटनों के पास रखें।मन में अपने प्रभु का स्मरण करें।इस प्रकार जो नींद आएगी,उसकी आप कभी कल्पना भी नहीं कर पाएंगे।
- डॉक्टरों का कहना है कि नींद लाने में जितना उपयोगी उपाय आत्म-चिंतन है,उतना और कोई नहीं।यदि आपको नींद नहीं आती तो यह सोचते हुए बिस्तर पर न जाइए कि आपको आज भी नींद नहीं आएगी।इस घबराहट के साथ आप सोने के लिए जाएंगे तो भला आपको नींद कैसे आ सकती है? बिस्तर पर जाने से पहले अपने से कहिए, ‘आज तो मैं खूब सोऊंगा।आज तो मैं बहुत थका हुआ हूं,आज मुझे बहुत नींद आएगी।’बस,कोई कारण नहीं कि आपको नींद ना आए।
- स्वस्थ नींद और उचित विश्राम हमारे शरीर व मन के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।यदि रात को नींद अच्छी तरह आए और व्यक्ति किसी तरह की चिन्ताओं से ग्रस्त ना हो तो सुबह के समय बिस्तर से निकलने पर वह अपने आपको तरोताजा और शक्तिवान महसूस करता है।उसके शरीर में स्फूर्ति और ताजगी होती है।उसका मस्तिष्क भी ताजा और सशक्त होता है।शरीर और मन दोनों की कार्यक्षमता तीव्र और अधिक हो जाती है।
- सच तो यह है कि सुख-शांति और समृद्धि के लिए कल्पना-प्रवणता,परिश्रम,अध्यवसाय और चिंतन-मनन की जितनी आवश्यकता है,उतनी ही उचित और स्वस्थ विश्राम की भी।स्वस्थ नींद का एक और लाभ है।नींद के समय जब मन बाह्य जगत की चिन्ताओं से युक्त होता है तो अनेक ऐसी समस्याएँ,जिन पर व्यक्ति दिन-भर विचार करता रहता है,नींद के समय अवचेतन मन से उठकर चेतन में चली जाती है।मन स्वयं ही उन पर विचार करने लगता है और अक्सर नींद में वे समस्याएं हल हो जाती हैं।कई विद्वानों का अनुभव है कि अनेक ऐसे प्रश्न,जिन्हें वे दिन के समय कितना ही प्रयास करने पर भी नहीं सुलझा पाते,रात के समय नींद में स्वयमेव हल हो जाते हैं।ज्योमेट्री का जन्म सपने में ही हुआ था।
- उपर्युक्त आर्टिकल में मन और शरीर का एक-दूसरे पर प्रभाव (Effects of Mind and Body on Each Other),मन और शरीर एक-दूसरे से प्रभावित (Mind and Body Are Influence by Each Other) के बारे में बताया गया है।
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6.कुछ भी पढ़ा दो (हास्य-व्यंग्य) (Teach Anything) (Humour-Satire):
- छात्र (कोचिंग में टीचर से):जल्दी से मुझे पुस्तक पढ़ा दो।
- टीचर:गणित,विज्ञान,अंग्रेजी या कौन-सी पुस्तक पढ़ाऊँ?
- छात्र:कोई सी भी पढ़ा दो,मुझे पढ़ना है कोई डॉक्टर,इंजीनियर या लेक्चरार नहीं बनना है।
7.मन और शरीर का एक-दूसरे पर प्रभाव (Frequently Asked Questions Related to Effects of Mind and Body on Each Other),मन और शरीर एक-दूसरे से प्रभावित (Mind and Body Are Influence by Each Other) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.अवसादग्रस्त मुक्त होने और नींद आने का सरल उपाय क्या है? (What is the simple way to get depressed free and sleepy?):
उत्तर:आप अपने आपको सुझाव दें।आत्म-सुझावों से बढ़कर और कोई दवा कारगर नहीं होती।अपने से कहिए कि मैं स्वस्थ हूं,मुझे भलीभांति नींद आएगी।बिस्तर पर लेटने के बाद भी अपने को स्वस्थ सुझाव देते रहिए।अपने अंगों को स्वस्थ और नींद से मदमाता महसूस कीजिए।कोई कारण नहीं की आपको गहरी नींद ना आए।
प्रश्न:2.बालकों पर आत्म-सुझाव का क्या प्रभाव पड़ता है? (What is the effect of auto-suggestion on children?):
उत्तर:आत्म-सुझावों (auto suggestion) का प्रभाव बालकों पर बहुत शीघ्र और स्वस्थ रूप से पड़ता है।बालक सुझावों को बहुत शीघ्र और तीव्रगति से सीखते हैं।कई समझदार माताएं अपने बालकों को हमेशा स्वस्थ सुझाव देती है।बालक के मन पर उन सुझावों का प्रभाव पड़ता है और वह प्रोत्साहित और प्रेरित होकर बहुत शीघ्रता से प्रगति करता है।
प्रश्न:3.बालकों को कैसी बातें न कहें? (What things not to say to children?):
उत्तर:कुछ माताएं हमेशा अपने बच्चों से कहती रहती हैं कि तू तो बुद्धू है,तू तो मूर्ख है,तुझे कुछ अक्ल नहीं,फेल हो जाएगा आदि-आदि।ऐसे बच्चों के मन में यह बात बैठ जाती है कि वह सचमुच योग्य नहीं,वह कभी सफल नहीं हो सकता और देखिए सचमुच वह असफल हो जाता है।अतः अपने बालकों को स्वस्थ और प्रेरणादायक सुझाव दें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मन और शरीर का एक-दूसरे पर प्रभाव (Effects of Mind and Body on Each Other),मन और शरीर एक-दूसरे से प्रभावित (Mind and Body Are Influence by Each Other) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.