Achieve Success with Determination
1.दृढ़ निश्चय से सफलता प्राप्त करें (Achieve Success with Determination),दृढ़ निश्चय से सफलता कैसे प्राप्त करें? (How to Achieve Success with Determination?):
- दृढ़ निश्चय से सफलता प्राप्त करें (Achieve Success with Determination),इसमें दृढ़ निश्चय,दृढ़ इच्छाशक्ति,संकल्प शक्ति,दृढ़ता आदि एक जैसे अर्थात् समानार्थक शब्द लगते हैं परंतु इनमें मूलभूत अंतर है।सफलता प्राप्त करने के लिए किसी एक गुण से काम नहीं चलता है बल्कि कुछ मौलिक गुणों की आवश्यकता है जैसे दृढ़ निश्चय,दृश्य इच्छाशक्ति,दृढ़ संकल्प शक्ति,लक्ष्य पर नजर,कठिन परिश्रम,एकाग्रता आदि।
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2.अटूट निश्चय से सफलता (Success with unwavering determination):
- जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल मंत्र व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति,अटूट विश्वास एवं एक निश्चित प्रयास है।अन्य बातें समान होने पर भी अनेक व्यक्तियों में से वही सफल होता है,जिसकी इच्छाशक्ति सबसे प्रबल और अधिक पूर्ण होती है।सफलता का इतिहास लिखने वाले सभी व्यक्तियों ने इसी गुण के बल पर महान सफलताएं अर्जित कीं।उनमें भले ही अन्य गुण न रहे हों,चाहे उनमें कुछ दुर्बलताएं भी क्यों ना रही हों,परंतु अटूट निश्चय एवं दृढ़ इच्छाशक्ति द्वारा वे भीष्ण बाधाओं के बीच भी निरंतर संघर्ष करते रहे और अंततः उन्नति के महान् शिखरों पर आरूढ़ हुए।
- बहुत से गणितज्ञों और वैज्ञानिकों तथा महापुरुषों का ऐसा इतिहास रहा है जो बचपन या युवावस्था तक सामान्य से भी न्यूनस्थिति में पड़े रहे,परंतु समय के साथ जब उन्होंने होश संभाला तो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं ध्येयनिष्ठा के आधार पर अद्भुत गति से सफलता के मार्ग पर आगे बढ़े।यूनान के महान वक्ता डेमोस्थनीज अपने शुरुआती दौर में बहुत ही संकोची व तुतलाकर बोलने वाले बालक थे,जिनसे कोई बड़े काम की आशा नहीं की जा सकती थी।सुविख्यात वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ न्यूटन को भौतिकी एवं गणित बहुत कठिन विषय लगते थे।चार्ल्स डार्विन को पिता के ताने इसलिए सुनने पड़ते थे कि उसे शिकार एवं आवारागर्दी के सिवा और कुछ नहीं आता।मनोवैज्ञानिक जेम्सवाॅट और गणितज्ञ कार्ल गाॅस स्कूल में नालायक विद्यार्थियों की श्रेणी में गिने जाते थे।किंतु इन सभी व्यक्तियों ने अपने अध्यवसाय के बल पर दुर्बलताओं,अक्षमताओं को तोड़-मरोड़कर रख दिया और अपने-अपने क्षेत्र में स्वयं के व्यक्तित्व एवं प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ते हुए ऐसा कृतित्व कर गए कि जिससे हमेशा स्मरणीय रहेंगे।
- यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जिस भी वस्तु की इच्छा हम मन में करते हैं,उसकी ओर हमारी समूची शारीरिक एवं मानसिक शक्तियाँ लग जाती हैं।मन में संकल्प के रूप में उभरी आशा-आकांक्षाएं ही समय के साथ जीवन में मूर्तरूप लेती हैं।आपके हृदय में जब किसी पदार्थ के प्रति तीव्र इच्छा जागृत होती है,तो समझ लीजिए कि परमात्मा ने आपके लिए विशेषतौर पर उसे सुरक्षित रखा हुआ है।फिर भले ही आप निराशा के झूले में झूलते रहें या अंधकार में भटकते रहे-इस बात की कोई चिंता नहीं।यदि आपमें ध्येय के प्रति अटूट निष्ठा और दृढ़ संकल्प है,तो आपको इसमें अवश्य सफलता मिलेगी।
- कोई भी गणितज्ञ,वैज्ञानिक या महापुरुष ने कार्य प्रारंभ किया तो लोगों का कहना रहता है कि वह कभी ऐसा नहीं कर सकेगा।लेकिन वे अपने निश्चय पर अटल थे।वे बराबर अपने क्षेत्र में काम करते रहे,सुधार करते रहे,निरंतर अपने काम में निखार लाते रहे और एक दिन अपने क्षेत्र में स्टार बन गए,शीर्ष पर जा विराजे।उनकी सफलता का रहस्य केवल इतना था कि उन्होंने अपनी समस्त शक्तियों को अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर दिया था।जब तक व्यक्ति अपने जीवन की समूची शक्ति किसी कार्य में नहीं लगा देता,तब तक वह किसी ठोस सफलता की आशा नहीं कर सकता।सफलता प्राप्त करने वालों की सफलता का मंत्र यही था कि ये संपूर्ण जीवनीशक्ति को दृढ़ संकल्प के साथ लक्ष्य पर लगा देते थे।जिस भी काम को वे हाथ में लेते थे,उसमें अपनी पूर्ण सामर्थ्य संगठित करके झोंक देते थे।
3.सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारण और एकाग्रता भी जरूरी (Goal setting and concentration are also important for success):
- दृढ़ संकल्प में अद्भुत शक्ति है,उससे प्रेरित व्यक्ति दृढ़ता और लगन के साथ आगे बढ़ता है।दृढ़ संकल्प पीछे लौटने के सभी रास्तों को बंद कर देता है और आगे की बाधाओं को रौंद डालता है।भगवान को याद रखें और अपने काम में अपने आप को पूरी तरह लगा दें।यह तकनीक उन्हें सामर्थ्य देती है,जिसके आधार पर आप अपने काम को पूरा कर सकते हो और यदि टीम भी है तो उसे सफल नेतृत्व देने में समर्थ हो सकते हो।
- अपना लक्ष्य निर्धारण-निश्चित होने पर ही मन-मस्तिष्क की समस्त शक्तियां एवं योग्यताएं एक बिंदु पर केंद्रित हो जाती है और तभी अभीष्ट सफलता का मार्ग सरल व सुनिश्चित होता है।युद्ध में सैनिक की सफलता का सबसे बड़ा कारण यही होता है कि उसका लक्ष्य निश्चित होता है और वह सीधा निशाने पर वार करता है।अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर ही सैनिक मोर्चा फतह करता है।
- ग्लैडस्टन का मस्तिष्क बहुत ही तीव्र था,फिर भी उसका कहना था कि वह एक समय में दो काम नहीं कर सकता।वह जिस भी काम को करता था,एकाग्रचित्त होकर करता था और उसी में अपनी सारी शक्ति लगा देता था।हाथ में लिए हुए काम में उसकी लगन व शक्ति साफ दिखने लगती थी।यहाँ तक कि जब वह किसी मनोविनोद के सामान्य से प्रसंग में लीन होता था,तब भी वह एकाग्रचित्त,तन्मय और तल्लीन हो जाता था।
- सफलता के अभीप्सु व्यक्ति के लिए चित्त की एकाग्रता अनिवार्य शर्त है।यदि शक्तियों को एक ही समय में कई बातों में बिखेर दिया जाए,तो सफलता प्रायः संदिग्ध हो जाती है।सभी महान् व्यक्तियों में चित्त की एकाग्रता बहुत अधिक थी।वे अपने उद्देश्य से बाहर की बातों को ध्यान से ही निकाल देते थे।हिचकिचाहट या दुविधा व्यक्तित्व की कमजोरी की निशानी है।व्यक्ति की असफलता एवं दुःखी होने के वे दो कारण हैं:एक है अपनी योजनाओं के लिए पक्के निश्चय की कमी और दूसरा इन पर काम करते समय बार-बार की दुविधा में रहना।
- सफलता का रहस्य है कि कभी दुविधा में न रहना।किसी भी टेढ़े सवाल को देखकर फौरन हल कर देना।तुरंत निर्णय लेना।साहस,वीरता और अद्भुत प्रतिभा से अधिक इन्हीं गुणों की बदौलत विजय पायी जा सकती है।यदि व्यक्ति में दृढ़ निश्चय हो तो उसे सीधा लक्ष्य पर चल पड़ना चाहिए।चाहे कुछ भी हो,लोग कितनी भी निंदा करें,परंतु उसे निराशा को हावी नहीं होने देना चाहिए।
- लक्ष्य एवं आदर्श की एकनिष्ठा में बहुत शक्ति है:यदि जीवन में अभीष्ट सफलता चाहते हो तो एक आदर्श को लो,उसका चिंतन-मनन करो,उसी को अपने सपने में पा लो और उसी को अपना जीवन बना लो।अपने मस्तिष्क,मांसपेशियों,स्नायुतंत्र व समूचे अंग-प्रत्यङ्गो को इसी आदर्श के विचार से ओतप्रोत कर दो और अन्य विचारों को एक तरफ हटा दो।फिर देखो सफलता कैसे तुम्हारे कदम चूमती है।यदि तुम अपना जीवन सफल बनाना चाहते हो व समूची मानवजाति के लिए वरदान बनना चाहते हो तो तुम्हें गहराई में जाना होगा।दृढ़ निश्चयी व्यक्ति को उसका लक्ष्य रूपी ध्रुवतारा बड़ी-से-बड़ी बाधाओं को पार करने की शक्ति देता है।परिस्थितियों के ज्वारभाटों व आंधी तूफानों के बीच भी वह हिम्मत नहीं हारता और निरंतर अपने ध्येय की ओर बढ़ता रहता है।
- परिस्थितियाँ सम्भवतः कभी व्यक्तियों की सहायता नहीं करतीं।जिन लोगों ने विजय के लिए घोर संघर्ष किया,अपने मार्ग की बाधाओं से लड़ाई लड़ी,वे ही सफलता के दरवाजे तक पहुंच पाए।परिस्थितियों पर विजय का सच्चा मार्ग यही है कि हम परिस्थितियों से अधिक प्रबल एवं महान बन जाए।परिस्थितियों का दास नहीं होना चाहिए,बल्कि उसे परिस्थितियों को अपने अधीन रखना चाहिए।
- जिनका कोई उद्देश्य नहीं होता,उनका जीवन बिना पतवार के नाव की तरह होता है।ऐसे व्यक्ति एक बिंदु पर ध्यान एकाग्र नहीं कर पाते।उनमें उद्देश्य,साहस व चरित्र की कमी होती है।वे जीवन को जैसे-तैसे काटते रहते हैं।उद्देश्य के अभाव में उनको न दिशाबोध होता है, ना कोई योजना होती है और वे परिस्थितियों के दास होते हैं।वे बिना रीढ़ के व्यक्ति की तरह होते हैं,जो अपनी शक्ति व क्षमताओं को संगठित नहीं कर पाते।स्थिर उद्देश्य के अभाव में जीवन विचारों की झोंक के अनुसार चलता है।बिना पतवार की नाव की तरह हवा अनुकूल हुई तो शायद वह बंदरगाह तक पहुंच भी जाए और यदि उल्टी हो तो नाव चट्टान से टकराकर चूर-चूर हो सकती है।
4.अदम्य विश्वास और अटूट निष्ठा भी जरूरी (Indomitable faith and unwavering loyalty are also necessary):
- दृढ़ निश्चयी व उद्देश्यनिष्ठ व्यक्ति जीवन की विषम परिस्थितियों के बीच भी अपना मार्ग खोज लेते हैं।साधन-सहयोग का अभाव या प्रतिकूल परिस्थितियाँ उन्हें नहीं रोक सकतीं।चरम शिखर पर पहुंचने वाले अनिवार्य रूप से प्राकृतिक प्रतिभासंपन्न नहीं होते। बल्कि वे दृढ़ निश्चयी व्यक्ति होते हैं,जो अथक श्रम एवं अध्यवसाय से निरंतर लक्ष्य की ओर गतिशील रहते हैं।
- जॉन लीडन इसी तरह के एक उदाहरण हैं:जो गड़रिये के घर में पैदा हुए।उनकी स्कूली शिक्षा प्राइमरी तक ही सीमित रही,किंतु उनकी ज्ञानपिपासा अदम्य थी।सारी बाधाओं का सामना करते हुए उन्होंने अंततः पुस्तकों की एक दुकान खोजी और यहीं आकर किताबें पढ़ने लगे। इस क्रम में उन्हें अन्न-जल तक की सुधि ना रहती।इस रास्ते में तमाम बाधाएँ आईं,लेकिन उनके ज्ञानपिपासा के संकल्प को हतोत्साहित ना कर सकीं और अंततः एक समय वह भी आया जब उन्होंने मात्र 11 वर्ष की अवस्था में अपने ग्रीक एवं लैटिन के ज्ञान से समूचे यूरोप को आश्चर्यचकित कर दिया।दीर्घकालीन चिंतन-मनन के बाद मनीषी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि निश्चित उद्देश्य वाले व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं और कोई भी व्यक्ति इच्छाशक्ति को नहीं रोक सकती।जो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने समूचे अस्तित्व को दाँव पर लगाने को तैयार है,उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं।
- नेल्सन नामक महान् अंग्रेज योद्धा द्वितीय विश्वयुद्ध में अपने अद्वितीय रणकौशल व सफलताओं की लंबी श्रृंखला के लिए चिरस्मरणीय बने हुए हैं।उनकी नीति थी कि वह प्रत्येक कार्य को सफलता के अटल निश्चय,अदम्य विश्वास और अटूट निष्ठा के साथ करते थे,जिसमें असफलता की कोई गुंजाइश शेष नहीं रहती थी।एक बार मोर्चे पर उनके एक सहयोगी कैप्टेन ने जब उनकी योजना की सफलता पर संदेह व्यक्त किया,तो नेल्सन का आत्मविश्वास खौल उठा और उन्होंने पूरे निश्चय से कहा-जीत निश्चय ही हमारी होगी।विजय की कहानी कहने वाला कोई बचेगा या नहीं,यह पता नहीं।कल इस समय से पहले या तो मुझे विजय मिलेगी या वेस्ट मिन्स्टर में मेरी कब्र तैयार होगी।जिसके पास इस तरह का दृढ़ निश्चय,अडिग आत्मविश्वास और साहस है,उसे आगे बढ़ने से भला कौन रोक सकता है।
- परिस्थितियों के अत्याचारी हाथ ऐसे संकल्पवान को अधिक देर तक अपनी मुट्ठी में दबोच कर नहीं रख सकते।ऐसे व्यक्ति के लिए समूचा संसार भी एक ओर हटकर मार्ग दे देता है।जिसकी इच्छाशक्ति अटल व अटूट है,वह विश्व को अपनी इच्छा के साँचे में ढाल लेता है।एक विशाल सेना के सेनापति को हटाया जा सकता है,किंतु एक मनुष्य की दृढ़ इच्छाशक्ति को कोई नहीं हटा या झुका सकता।
- आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार किसी भी क्षेत्र में,किसी भी विषय के प्रति आपकी सच्ची लगन ही आपकी सफलता के मार्ग को प्रशस्त करती है।यदि आप लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं,आप उसे अवश्य पा जाएँगे।आप इस जीवन में धन,बल,विद्या,श्रेष्ठता,सफलता जो भी चाहते हैं,वह आपको अवश्य मिलेगी।आवश्यकता इतने भर की है कि आपको सही मायने में उस वस्तु की इच्छा करनी होगी और उसे पूर्णरूपेण चाहना होगा,ना कि एक समय में सैकड़ो अन्य चीजों को उतनी तीव्रता से चाहें।
5.विद्यार्थी क्या करें? (What should students do?):
- एक कहावत सुप्रचलित है:भगवान उसी की सहायता करता है,जो अपनी सहायता आप करते हैं।इसका आशय यह है कि भगवान अकर्मण्य,निठल्ले और आलसी की नहीं,पुरुषार्थी की सहायता करता है क्योंकि भगवान की शक्ति (आत्मिक शक्ति) का उपयोग ही तब होता है जब विद्यार्थी (हम) पुरुषार्थ करते हैं,कर्म (अध्ययन) करते हैं अन्यथा नहीं होता।इसे यूं समझें कि आपके मोबाइल में विभिन्न एप्लीकेशन इंस्टाग्राम,लिंक्डइन,ट्विटर,फेसबुक,यूट्यूब चैनल आदि इंस्टॉल किए हुए हैं ऐसी और भी एप्लीकेशन इंस्टॉल की हुई हो सकती है,इन सबमें इंटरनेट का कनेक्शन है लेकिन जब आप डाटा को ऑन (चालू) नहीं करेंगे तब तक इंटरनेट डाटा से चलने वाली कोई भी एप्लीकेशन काम नहीं करेगा।सर्वव्यापक भगवान की तरह इंटरनेट डाटा भी मौजूद है पर इंटरनेट डाटा की कोई गरज नहीं है कि आपके हाथ पैर हिलाए बिना वह एप्लीकेशन को चालू कर दें यानी अपनी मदद आप करें तो इंटरनेट चालू होगा यानी एप्लीकेशन चालू हो जाएगी।एक बात और ध्यान रख लें कि एप्लीकेशन तभी चालू होगी जब इंटरनेट डाटा मौजूद हो।आपने इंटरनेट डाटा का शुल्क चुकाया ही नहीं है तो इंटरनेट डाटा अवेलेबल ही नहीं होगा फिर इंटरनेट डाटा का स्विच को ऑन करने की लाख कोशिश कर लें कोई एप्लीकेशन चालू ना हो सकेगी।ऐसे ही भगवान ना होता कहीं ऊर्जा (आत्मिक ऊर्जा) न होती,हमारे अंदर कोई गतिविधि नहीं होती।
- यों संसार में अपने भाग्य का रोना रोने वालों की कमी नहीं है,जो अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देते रहते हैं या परिस्थितियों का हवाला देकर स्वयं को झूठी सांत्वना देते हैं।कुछ तो नास्तिक बनकर भगवान को कोसते रहते हैं,किंतु दृढ़ निश्चयी एवं उत्साही विद्यार्थी (व्यक्ति) को किसी भी तरह से निराश या हताश होने की आवश्यकता नहीं पड़ती।उसका निश्चित उद्देश्य एवं लक्ष्य आदर्श के प्रति अदम्य उत्साह एवं अनन्य लगन उसकी सफलता एवं उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करते हैं,क्योंकि ये ही सफलता,प्रगति एवं उन्नति के मार्ग की प्रथम आवश्यकताएँ हैं।बाकी गुण तो स्वयं ही इनका अनुसरण करते हैं और लक्ष्य की प्राप्ति को सुनिश्चित करते हैं।
- तात्पर्य यह है कि विद्यार्थी अपनी आत्मिक शक्ति को पहचानें और उसको अपनी इच्छा की पूर्ति में लगा दें तो वह इच्छाशक्ति,दृढ़ इच्छाशक्ति का रूप ले लेती है।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि आपकी हर कामना,हर इच्छा पूरी हो जाएगी।कामनाएँ अनंत है और अनंत कामनाओं के पीछे आत्मिक शक्ति को लगा देंगे तो हमारी ऊर्जा खंडित हो जाएगी,एकजुट नहीं रहेगी।हमारी आत्मिक शक्ति जब किसी एक इच्छा के पीछे लगती है तभी वह दृढ़ इच्छाशक्ति का रूप लेती है,किसी एक लक्ष्य के पीछे लगने वाली इच्छाशक्ति ही दृढ़ इच्छाशक्ति का रूप लेती है।हमारा मन एक ही लक्ष्य पर केंद्रित रहता है।इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो-जो करना होता है उसमें हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति सहयोग करती है।
- अतः छात्र-छात्राओं को पहले अपनी मौलिक प्रतिभा,योग्यता,सामर्थ्य,रुचि और लगन को पहचान कर लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए।उसके पश्चात उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी संपूर्ण शक्ति को लगा देना चाहिए,बीच में कोई भी प्रलोभन आए तो उनकी तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।प्रलोभनों में फँस जाने के कारण हमारा मन डाँवालोड हो जाता है और हम लक्ष्य से भटक जाते हैं।फिर उसका ठीकरा अन्य लोगों पर,परिस्थितियों पर फोड़ते हैं।
- वस्तुतः कमजोरी हमारी होती है,मनोबल हमारा कमजोर होता है और दोषारोपण दूसरों पर करते हैं।ऐसे छात्र-छात्रा अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाते हैं।सही लक्ष्य का निर्धारण करने के बाद समस्त शक्तियों को उसमें लगा देने वाला विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है।वस्तुतः ऐसे विद्यार्थी बहुत कम होते हैं जो अपने लक्ष्य के प्रति अटूट धैर्य,मनोबल,इच्छाशक्ति को लगाए रहते हैं,अधिकांश छात्र-छात्राएं मार्ग की बाधाओं,प्रलोभनों में फँस जाते हैं,विचलित हो जाते हैं और लक्ष्य को त्याग देते हैं।अतः संकल्प शक्ति,दृढ़ निश्चय,इच्छाशक्ति के साथ पुरुषार्थ करें तो सफलता निश्चित है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में दृढ़ निश्चय से सफलता प्राप्त करें (Achieve Success with Determination),दृढ़ निश्चय से सफलता कैसे प्राप्त करें? (How to Achieve Success with Determination?) के बारे में बताया गया है।
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6.छात्र का दृढ़ निश्चय (हास्य-व्यंग्य) (Determination of Student) (Humour-Satire):
- एक छात्र (दूसरे छात्र से):मेरा दृढ़ निश्चय है कि आज मैं इस प्रश्नावली के सवालों को हल करके ही उठूँगा।
- दूसरा छात्र (पहले छात्र से):यार आज तो मौसम अच्छा है,वर्षा हो गई है,चलो गरम-गरम पकोड़े खाते हैं।
- पहला छात्र:जल्दी चलो यार,पकोड़े खाने का तो मेरा भी मन कर रहा है।
7.दृढ़ निश्चय से सफलता प्राप्त करें (Frequently Asked Questions Related to Achieve Success with Determination),दृढ़ निश्चय से सफलता कैसे प्राप्त करें? (How to Achieve Success with Determination?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.दृढ़ता क्यों आवश्यक है? (Why is perseverance necessary?):
उत्तर:आपके मजबूत होने से आपकी समस्याएँ निर्बल हो जाती हैं और कठिन से कठिन लक्ष्य भी सरल लगने लगता है।आज की गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में दृढ़ता अर्थात् मजबूती किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
प्रश्न:2.दृढ़ता के रूप बताएं। (Describe the forms of perseverance):
उत्तर:कठिन से कठिन परिस्थिति में डटे रहकर अपने लक्ष्य को न छोड़ना।अपने विरुद्ध हो रहे षड्यंत्र को जड़ से समाप्त कर देना।कोई अपने स्वार्थ के लिए जब आपका दुरुपयोग कर रहा हो तो उसे हिम्मत करके वही रोक देना।
प्रश्न:3.दृढ़ कैसे बनें? (How to be determined?):
उत्तर:नियमों (अनुशासन) का पालन करें।सही बात पर अड़ना सीखें।अपना काम समय पर पूरा करें और दूसरों से भी समय पर काम करवाएं।कम बोले और संबंधों में दूरी का विशेष ध्यान रखें।कठिनाइयों का डटकर सामना करें और अपने दम पर उनका समाधान करें।अपने-आपको दबने न दें,तुरन्त ‘ना’ कहें,तुरन्त जबाव दें।अपना लक्ष्य बार-बार न बदलें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा दृढ़ निश्चय से सफलता प्राप्त करें (Achieve Success with Determination),दृढ़ निश्चय से सफलता कैसे प्राप्त करें? (How to Achieve Success with Determination?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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