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9 Important Elements of Reading Habits

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1.पढ़ने की आदत के 9 महत्त्वपूर्ण तत्त्व (9 Important Elements of Reading Habits),पढ़ने की अच्छी आदत कैसे विकसित करें? (How to Develop a Good Reading Habit?):

  • पढ़ने की आदत के 9 महत्त्वपूर्ण तत्त्व (9 Important Elements of Reading Habits) के द्वारा आप पढ़ने का महत्त्व समझ सकेंगे।पहले किसी लड़के-लड़की की शादी के लिए यह देखा जाता था कि उसके माता-पिता के पास कितनी जमीन-जायदाद और संपत्ति है परंतु आज यह देखा जाता है कि लड़का-लड़की कितना पढ़ा-लिखा है और पढ़-लिखकर अच्छा जॉब कर रहा है या नहीं या आवारा ही घूमता है। आज लड़के-लड़की की शादी के लिए पढ़ा-लिखा होना और जॉब करना एक गोत्र हो गया है।
  • सभी प्रकार की परीक्षाओं यथा बोर्ड,काॅलेज,प्रवेश परीक्षा और काॅम्पीटिशन परीक्षाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी
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2.पढ़ने की अच्छी आदतों में क्या सम्मिलित है? (What do good reading habits include?):

  • जो भी,जिस तरह भी अध्ययन (काम) हम बार-बार करते हैं वह आदत बन जाती है।हर चीज की शुरुआत एक विचार से होती है।यह विचार कार्य में तब्दील किया जाता है।बार-बार अध्ययन (कार्य) करने पर यह आदत बन जाती हैं।आदतें हमारे स्वभाव और संस्कार बन जाती हैं।आदत अच्छी और बुरी दोनों हो सकती है।अगर हम परीक्षा में अच्छा करना चाहते हैं तो पढ़ने की अच्छी आदत होना जरूरी है।लेकिन पहले यह जानना जरूरी है की अच्छी पढ़ने की आदत में क्या समाहित है।
    आइए,इन प्रश्नों का उत्तर देकर हम अपनी क्षमताओं के बारे में जानने की कोशिश करें:
  • (1.)क्या मैं सीधा बैठता हूं और आराम से पढ़ता हूं? हां/नहीं
  • (2.)क्या मुझे पढ़ने में आनंद की अनुभूति होती है? हां/नहीं
  • (3.)क्या मैं अपने विषयों पर ध्यान केंद्रित कर पाता हूं? हां/नहीं
  • (4.)क्या मैं सिर्फ याद करने के बजाय विषय को समझने की भी कोशिश करता हूं? हां/नहीं
  • (5.)क्या मैं आसानी से बोर हो जाता हूं? हां/नहीं
  • (6.)क्या मैं अध्ययन को पूजा,आराधना और कर्त्तव्य समझकर करता हूं? हां/नहीं
  • (7.)क्या अध्ययन करने से मुझे आत्म-संतुष्टि मिलती है? हां/नहीं
  • (8.)क्या मुझ में अध्ययन करने के प्रति जुनून है? हां/नहीं
  • अगर इनमें से किसी का भी उत्तर ‘नहीं’ है तो आपकी पढ़ने की आदत अनुचित है।सारे प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ में आए,इसके लिए आपको उचित कदम उठाने चाहिए।

3.सुविधाजनक ढंग से पढ़ना (Reading conveniently):

  • जब तक पढ़ने के दौरान सुविधा न हो,पढ़ाई ढ़ंग से नहीं होती है।जोर-जोर से पढ़ते हुए कई छात्र-छात्रा चलते हैं और याद करने की कोशिश करते हैं।कुछ पलंग पर पसरकर पढ़ते हैं।कुछ को बिस्तर पर लेट कर पढ़ने में मजा आता है।लेकिन इनमें से कोई भी तरीका प्रभावी नहीं है।इन तरीकों का प्रयोग करने पर अगर आपने सफलता प्राप्त की भी हो तो आप पढ़ने के लिए और बेहतर ढंग की खोज कर सकते हैं।स्टूल या कुर्सी पर पीठ सीधी रखते हुए उचित ऊंचाई वाली मेज पर बैठना ही सही तरीका है।अब आप आराम से लिख भी सकते हैं।अगर संबंधित सामग्री की आवश्यकता हो तो आप उसे पास में भी रख सकते हैं।पढ़ते समय बिल्कुल वैसे ही बैठें,जैसे कि परीक्षा के दौरान बैठते हैं।इस तरह याद करना आसान होगा।
  • पढ़ा हुआ समझ में आ जाए और याद हो जाए इसके लिए आपकी फिजिकल बैठकर पढ़ने की आदत होना बहुत जरूरी है।जिस प्रकार मन का सधा हुआ (एकाग्रता) होना जरूरी है उसी प्रकार शरीर का सधा हुआ रहना भी अध्ययन,जाॅब या किसी भी कार्य के लिए निहायत जरूरी है।

4.पढ़ने का आनंद (Reading Joy):

  • अगर आपको पढ़ना पसंद नहीं है,तो आप सीख नहीं सकते।अगर आप सीखेंगे नहीं,तो परीक्षा में भी अच्छा नहीं कर पाएंगे।आपकी क्षमता का सीधा संबंध आपकी विषय में रुचि होने से है।जब विषय में दिलचस्पी होती है,तो आपका पढ़ने में आनंद आता है।इसलिए दिलचस्पी सबसे जरूरी है और वह आपको पढ़ने के लिए प्रेरित करने में मदद करेगी।
  • हाईस्कूल के स्तर तक विभिन्न विषयों को पढ़ना पड़ता है,इसलिए सभी विषयों में रुचि रखना जरूरी है।आप अपने मनपसंद विषयों में अव्वल आएं पर बाकी विषयों में भी अच्छे अंक लाने होंगे,अन्यथा पूरा परिणाम खराब हो जाएगा।बाद में,जब सीनियर स्कूल या कॉलेज में पहुंचेंगे तो रुचि बनाए रखना मुश्किल नहीं होगा,क्योंकि आप जो पढ़ना चाहते हैं उसे चुनने के लिए आप स्वतंत्र होंगे।
  • यदि आपकी किसी विषय में अरुचि है तो न तो आप उसे पढ़ेंगे और न ही आप आनंदित हो सकते हैं।कोई भी पढ़ना-लिखना मां के पेट से सीख कर नहीं आता है,सब कुछ इस कर्मभूमि पर आकर सीखना और अध्ययन करना होता है।हमारे सुप्त संस्कार होते हैं उन्हें भी जगाना पड़ता है।संघर्ष करने से हमारी सोई हुई शक्तियाँ जाग जाती हैं लेकिन कुछ विद्यार्थियों की फितरत होती है कि वे सस्ते में ही अपना काम सिद्ध करना चाहते हैं,संघर्ष से कतराते हैं।उन्हें बिना अध्ययन किये सिद्धियां नहीं मिल सकती हैं।
  • प्रारंभ में अध्ययन की आदत डालने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,क्योंकि मन की आदत अध्ययन न करने की पड़ी हुई होती है।मन को साधने और अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करने के लिए मन के विरुद्ध खड़ा होना पड़ता है।शुरू में कठिनाई आती है परंतु ज्यों-ज्यों पढ़ते हुए हमें विषय समझ में आने लगता है,विषय याद होने लगता है त्यों-त्यों हमारी पढ़ने के प्रति रुचि बढ़ती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब हमें कठिनाइयों का समाधान करने में आनंद आने लगता है।अतः अध्ययन को पूजा और आराधना समझकर करें,कर्त्तव्य समझकर करें इसके लिए हमें धैर्यपूर्वक सतत अध्ययन करते रहना होगा।

5.मन की एकाग्रता (Concentration of the mind):

  • सही ढंग से सीख न पाने के पीछे एकाग्रता की कमी होना सबसे मुख्य कारण है।कई छात्र-छात्राओं की यह शिकायत होती है कि वे पढ़ने तो बैठते हैं,पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं।जिस वजह से वे विषय को ठीक से समझ नहीं पाते।इस समस्या से बचने का पहला उपाय है कि पढ़ने के लिए उचित स्थान हो,जिससे आपको पढ़ने की प्रेरणा मिले।एक निश्चित जगह से हमारा दिमाग एक क्रिया से जुड़ा होता है,इसलिए उचित पढ़ने की जगह होने से एकाग्र रहना आसान होगा।
  • एकाग्रता बढ़ाने का दूसरा उपाय है विषय में दिलचस्पी पैदा करना।जितनी ज्यादा रुचि पैदा होगी उतना ध्यान बढ़ेगा।अपने पसंद के विषयों में दिलचस्पी रखना आसान है।पर ऐसा हर विषय के साथ नहीं हो सकता है।ऐसा होने पर,आप विषय की उपयोगिता को देख मन में तय करें कि यह विषय आपके लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है।और कुछ नहीं तो आप कैसा करते हैं,इसी पर आपका परिणाम निर्भर करता है।निजी प्रेरणा,एकाग्रता विकसित करने में मदद करती है।
  • जब आपकी किसी विषय पर एकाग्रता न हो पाए तो उसे पढ़ें,सोचें और उसके बारे में नोट्स लें।आप जितने लंबे समय के लिए अपनी स्मरणशक्ति को टटोलेंगे,उतने ही बेहतर ढंग से इसे समझने लगेंगे।आपके नोट्स विषय को याद करने में मदद करेंगे,जो परीक्षाओं के दौरान बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।
  • अपनी आत्मिकशक्ति को अनुभव करना और मन को एकाग्र करना ही सबसे मुश्किल कार्य है।परंतु अध्ययन,मनन-चिंतन करते रहे,लगातार अभ्यास और प्रयास करते रहेंगे तो आप अपनी आत्मिक शक्ति को भी अनुभव कर लेंगे और मन की एकाग्रता भी सधने लगेगी।अध्ययन में जरा सी कठिनाई आते ही हमारा धैर्य जवाब दे देता है,हिम्मत टूट जाती है और हम एकाग्रता को साधने से वंचित हो जाते हैं।यदि आपका लक्ष्य आत्मिक शक्तियों के जागरण और उसको उपयोगी कार्यों (अध्ययन) में लगाने पर रहेगा तो सफलता अवश्य मिलेगी।एकाग्रता को साधने के लिए हमने कई लेख लिखे हैं,आपको उन लेखों को पढ़ना चाहिए और एकाग्रता साधने के उपाय करने चाहिए।

6.विषयवस्तु को समझें (Understand the Subject Matter):

  • जब कोई विषय को समझने में असमर्थ होता है,तो उसे याद करना ही दूसरा विकल्प होता है।वे जोर-जोर से उसे पढ़ते हैं और दोहराकर उसे याद करने की कोशिश करते हैं।कुछ परीक्षा के दौरान ऐसा करने में सफल हो जाते हैं और सावधानीपूर्वक लिख लेते हैं।पर इन छात्रों को कभी विषय समझ नहीं आता या याद करने से कोई फायदा नहीं होता।परीक्षा के तुरंत बाद जो उन्होंने याद किया था,वे भूल जाते हैं।
  • विषय को समझने में ही सही समाधान निहित है।यह क्यों जरूरी है,इसे समझना चाहिए।अगर आप पढ़ाई की सही तकनीक का पालन करेंगे,तो विषय को समझना मुश्किल नहीं होगा।पर आप ऐसा जल्दबाजी में नहीं कर सकते हैं।इसलिए आराम से करें।धीरे-धीरे हर चीज को अपने दिमाग में आने दें।अगर आप असहनशील हैं तो कभी नहीं पढ़ पाएंगे।सभी अच्छे छात्रों द्वारा पालन की जाती तकनीकों में आपको भी धीरे-धीरे विद्वता हासिल करनी होगी।हम इसके बारे में विचार करेंगे।
  • रटने या केवल याद करने से मस्तिष्क पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और हम तनावग्रस्त हो जाते हैं।तनाव से समझ कर याद किया हुआ भी भूलने लगते हैं।अतः कम पढ़े,परंतु उसे समझ कर दिमाग में सँजो लें।समझ कर याद किया हुआ लंबे समय तक स्मृति में रहता है।जबकि रटने से मस्तिष्क और मन का फिगर बिगड़ता है।यदि आप स्वयं प्रयत्न करके नहीं समझ पा रहे हैं तो अपने सहपाठियों,मित्रों तथा शिक्षकों से या कोचिंग में शिक्षकों से समझें।एक बार समझ में नहीं आता है,तो दुबारा समझें।बार-बार अभ्यास से,संदर्भ पुस्तकों,शब्दकोश,शिक्षकों,सहपाठियों आदि की सहायता से जटिल से जटिल विषयवस्तु को समझा जा सकता है और इस प्रकार समझा हुआ आत्मसात हो जाता है।

7.बोरियत महसूस ना करें (Don’t feel bored):

  • जिस छात्र-छात्रा को अपने काम (अध्ययन) में कोई दिलचस्पी न हो,वह आसानी से ऊब जाता है।विद्यार्थी अक्सर कहते हैं कि उनका मूड अच्छा नहीं है।क्या ऐसा विद्यार्थी जो कुछ पाना चाहता है,अपने मूड के ठीक होने का इंतजार करेगा? मूड किसी की मानसिक स्थिति को प्रदर्शित करता है।सकारात्मक ढंग से विद्यार्थी को विकास करना चाहिए।नकारात्मक ढंग से वह निराश हो सकता है।दोनों ही तरह से मूडी होने से काम (अध्ययन) नहीं छोड़ा जा सकता है।
  • बोरियत केवल सोचने की बात है।अगर हम कुछ पाना चाहते हैं,तो हमें इस बोरियत को छोड़ अध्ययन (काम) में जुट जाना चाहिए।सही कार्य सही परिणाम दिखाते हैं।जब आपके सामने लक्ष्य होता है और एक निश्चित चर्या भी,तब किसी प्रेरणा का इंतजार नहीं कर सकते हैं।यह आपके अंदर से ही उत्पन्न होना चाहिए।आपको स्वयं को कैसे प्रेरित रहना है,यह सीखना होगा।यह हमेशा आपको ऊर्जावान बनाए रखेगा।
  • आप विचार करें कि जब आप अच्छे प्राप्तांकों से उत्तीर्ण होंगे तो आपके परिवार में,आपके समाज,आपके विद्यालय में क्या इमेज बनेगी? आप एकदम से आम विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएंगे।यहां दुनिया में चमत्कार को ही नमस्कार करते हैं।चमत्कार किसी पेड़ का फल नहीं है,जो तोड़ कर ले आएं।चमत्कार हमारे कठिन परिश्रम,लगन,सही रणनीति का पालन करने,तप और साधना में ही निहित है।इसलिए बोरियत,ऊब को छोड़कर अपने अध्ययन में जुट जाएं और हमेशा अपने आप को ऊर्जावान बनाएं रखें,प्रयास जारी रखें,सफलता अवश्य मिलेगी।

8.अध्ययन में श्रद्धा कैसे हो? (How to have faith in study?),अध्ययन में रुचि कैसे हो? (How do you get interested in studying?):

  • प्रतिभाशाली विद्यार्थी तो अध्ययन में श्रद्धा रखते हैं इसीलिए वे अच्छे अंक भी प्राप्त करते हैं और सफलता प्राप्त करते जाते हैं।परंतु जिन विद्यार्थियों को अध्ययन समझ में नहीं आता है,अध्ययन की विषय-वस्तु समझ में नहीं आती,उनकी अध्ययन में कैसे श्रद्धा हो? इसका उपाय यह है कि विद्यार्थी यह कल्पना करें कि पढ़ाई करने से उसे क्या-क्या लाभ हो सकते हैं? जाॅब मिल सकता है,समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है,आत्मिक संतुष्टि मिलती है आदि।इस प्रकार के लाभों का ज्ञान होने से विद्यार्थी के मन में इन लाभों के प्रति आकर्षण उत्पन्न होता है।उस आकर्षण से युक्त होकर अत्यंत स्नेह और प्रसन्नतापूर्वक उसका मन उन लाभों से बँध जाता है जिसके परिणामस्वरूप उस विद्यार्थी की अध्ययन करने के प्रति अरुचि समाप्त होकर रुचि (श्रद्धा) उत्पन्न होती है।उस रुचि के परिणामस्वरूप “मुझे पढ़ना चाहिए” ऐसी मन में उत्पन्न होती है।
  • जब विद्यार्थी इस अड़चन या रुकावट को हटाकर अपने किसी विषय को पढ़ने का लगातार लंबे काल तक अभ्यास करता है तो इससे उस विद्यार्थी की उस विषय को पढ़ने के प्रति रुचि उत्पन्न हो जाती है,फिर उसे रुचि उत्पन्न करने के लिए किसी अन्य उपाय की आवश्यकता नहीं पड़ती और जिससे अंततः वह अपने विषय में मन को लगाने में सफलता प्राप्त कर लेता है।
    छोटी कक्षाओं में तो पाठ्यक्रम कम होने पर विद्यार्थी अपने को किताबी कीड़ा बनाकर उस विषय को रट लेते हैं परंतु बड़ी कक्षाओं में रटना संभव नहीं होता और समझ उसे आता नहीं जिससे उस विद्यार्थी की रुचि पढ़ाई में समाप्त हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप एकाग्रता समाप्त होकर पढ़ाई के क्षेत्र में उसे असफलता ही मिलती है।
  • पढ़ा हुआ समझ में आने के लिए तीव्र बुद्धि का होना अथवा बुद्धि के प्रयोग की योग्यता होना आवश्यक है अन्यथा विद्यार्थी के मन में देखी,सुनी,पढ़ी हुई विषयवस्तु के स्वरूप के विषय में मिथ्या (असत्य) ज्ञान,अज्ञान या संशय बना रहता है।इसलिए विद्यार्थी को अध्ययन समझ में आए इसके लिए बुद्धि की वृद्धि और बुद्धि के प्रयोग की योग्यता उत्पन्न करने की विधि की कुशलता प्राप्त कर ले ताकि विद्यार्थी कठिन से कठिन विषयों को भी सरलता से अच्छी प्रकार से समझने की क्षमता प्राप्त कर सके।
  • किसी भी विषय के ज्ञान के लिए दो चीजें आवश्यक हैं: पहली सद्बुद्धि और दूसरी स्मरणशक्ति।किसी भी विषय का सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए,समझने के लिए,यथार्थ अर्थ जानने के लिए सद्बुद्धि की जरूरत होती है।ध्यान रखें यह सद्बुद्धि चालाकी,ठगने वाली,दूसरों को मूर्ख या उल्लू बनाने वाली,छल,कपट करने वाली नहीं है बल्कि सतोगुण वाली बुद्धि है,इसे ऋतंभरा प्रज्ञा भी कहते हैं।आपने किसी भी विषय की विषयवस्तु को समझ लिया और पढ़ लिया।अब उसे जरूरत के समय प्रकट करना भी जरूरी है,इसके लिए स्मरणशक्ति अच्छी होनी चाहिए।बुद्धि को तीव्र करने और स्मरणशक्ति को बढ़ाने के लिए हमने कई लेख पोस्ट किए हुए हैं,उनको पढ़कर आप जान सकते हैं कि बुद्धि को तीव्र कैसे किया जाए और स्मरणशक्ति कैसे बढ़ाई जाए?
  • उपर्युक्त आर्टिकल में पढ़ने की आदत के 9 महत्त्वपूर्ण तत्त्व (9 Important Elements of Reading Habits),पढ़ने की अच्छी आदत कैसे विकसित करें? (How to Develop a Good Reading Habit?) के बारे में बताया गया है।

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9.पढ़ने की अच्छी आदत का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (Way to Good Reading Habit) (Humour-Satire):

  • छत्तीस (गोपी से):तुम्हें पता है,मेरा भतीजा इतना खराब है कि दिन में एक-दो पुस्तकें तो फाड़ ही देता है।
  • गोपी:ऐसा क्यों,क्या उसे पुस्तकें फाड़ने में मजा आता है?
  • छत्तीस:नहीं नहीं,वह छोटी क्लास नर्सरी में पढ़ता है।पुस्तक को पढ़ने के बाद कहता है कि यह पुरानी हो गई है और पुरानी पुस्तकों को पढ़ने की आदत खराब है और नई पुस्तक को पढ़ने की अच्छी आदत है।

10.पढ़ने की आदत के 9 महत्त्वपूर्ण तत्त्व (Frequently Asked Questions Related to 9 Important Elements of Reading Habits),पढ़ने की अच्छी आदत कैसे विकसित करें? (How to Develop a Good Reading Habit?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.पढ़ने की आदत के लिए विचारणीय प्रश्न क्या है? (What are the questions to consider for the habit of reading?):

उत्तर:अपनी अच्छी और बुरी आदतों की सूची बनाएं।आप अपने पढ़ने की आदत को किस वर्ग में डालेंगे? आप कैसे अपनी बुरी आदत को अच्छी आदत में बदलने की योजना बनाएंगे?

प्रश्न:2.पढ़ने के लिए कुछ फुटकर बातें बताएं। (Tell me a few things to read):

उत्तर:पढ़ाई के बेहतर माहौल के लिए अपनी कॉपी,पेन,पेंसिल,किताबें आदि को व्यवस्थित करें।अपनी पढ़ाई की आदतों को सुधारने के लिए एक समय सीमा निश्चित निश्चित करें।

प्रश्न:3.पढ़ने की आदत का सारांश लिखो। (Write a summary of the reading habit):

उत्तरः(1.)सफलता और हार दोनों के लिए आदत निर्माण की ईंट है।
(2.)पढ़ाई की अच्छी आदत से बेहतर परिणाम मिलता है।
(3.)पढ़ने का सुविधाजनक स्थान पढ़ने का मूड बनाता है।
(4.)एकाग्रता प्रभावी ढंग से पढ़ने में मदद करती है।(5.)जीतने की इच्छा रखने वाले किसी प्रेरणा का इंतजार नहीं करते।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा पढ़ने की आदत के 9 महत्त्वपूर्ण तत्त्व (9 Important Elements of Reading Habits),पढ़ने की अच्छी आदत कैसे विकसित करें? (How to Develop a Good Reading Habit?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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