9Top Tips of How to Read in Atmosphere
1.कैसे वातावरण में पढ़ें की 9 टॉप टिप्स (9Top Tips of How to Read in Atmosphere),पढ़ने के लिए वातावरण कैसा हो? (What is Environment Like for Reading?):
- कैसे वातावरण में पढ़ें की 9 टॉप टिप्स (9Top Tips of How to Read in Atmosphere) में आप पढ़ेंगे कि पढ़ने की अच्छी आदत के साथ वातावरण भी अच्छा हो तो प्रभावी ढंग से पढ़ाई की जा सकती है।वातावरण में क्या-क्या बातें शामिल होती है,इसके बारे में भी अध्ययन करेंगे।परीक्षा में अब कुछ समय ही बचा है।अतः परीक्षा को दृष्टिगत रखते हुए ’13 Strategies for Study of Mathematics,How to Crack JEE-Main Exam 2026?,How to Write Essay for Competition,6 Techniques of How to Write Articles,14 Time Management Spells for Students,9 Techniques of Board Exam Preparation,Secrete Tips to Score 100 Marks in Math,10 Ways of How to Boost Memory Power आदि लेख इन दिनों लिखें गए हैं।इन लेखों को पढ़कर आप परीक्षा की तैयारी हेतु रणनीति बना सकते हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- सभी प्रकार की परीक्षाओं यथा बोर्ड,काॅलेज,प्रवेश परीक्षा और काॅम्पीटिशन परीक्षाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी
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2.पढ़ने की अच्छी आदत अपनाएँ (Develop a good reading habit):
- किसी भी विद्यार्थी का व्यक्तित्व उसकी आदत पर निर्भर करता है,जो अच्छी व बुरी दोनों हो सकती हैं।अच्छी आदत विद्यार्थी की मदद करती है,तो बुरी आदत उसे नीचा देखने पर मजबूर करती है।यह वैसा ही है जैसे किसी का परीक्षा देने जाना।
एक बार जब निश्चित लक्ष्य हो जाए तो विद्यार्थी को यह समझना जरूरी है कि सीखने की प्रक्रिया कैसे काम करती है और लक्ष्य प्राप्त करते हुए उनकी क्या स्थिति है।अगर लक्ष्य बड़ा हो तो अच्छी आदत रखना अगला चरण है,क्योंकि वह विद्यार्थी के ज्ञान को प्रभावित करती है।प्रभावी ढंग से पढ़ने और सफलता पाने के लिए हमारे अंदर पढ़ने की अच्छी आदत होनी चाहिए।इन आदतों का पालन करने के बाद हम पढ़ाई की बेहतर दिनचर्या विकसित करने में कामयाब हो जाएंगे।यह हमें परीक्षा में उत्तीर्ण करने के हमारे लक्ष्य के करीब ले जाएगा।
3.पढ़ने का प्रभावी ढंग (Reading Effectively):
- स्कूलों और कॉलेजों में विविध विषय पढ़ाए जाते हैं।दुर्भाग्यवश,छात्र-छात्राओं को कोई भी यह नहीं बताता कि वे प्रभावी ढंग से कैसे पढ़ें।अगर इसी पहलू को समझ लिया जाए तो छात्रों की पढ़ाई में सुधार हो सकता है।जिनका बौद्धिक स्तर औसतन है,वे भी बेहतर कर पाएं।
- इस प्रतियोगी दुनिया में,जहां हमें कई चीजों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है,हमें यह समझना जरूरी है कि कठिन मेहनत करना ही बात काफी नहीं है।सही तरीके से अध्ययन करना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।प्रभावी ढंग से पढ़ने के लिए हमें पता होना चाहिए कि कम समय और कम प्रयास से कैसे सफलता प्राप्त की जा सकती है।जानने से पहले कि हम कैसे अपने ज्ञान को प्रभावी बना सकते हैं,यह जाने की हमारी स्थिति क्या है।एक विकल्प पर निशान लगाकर इन प्रश्नों के उत्तर दें:
- (1.)क्या मैंने अपनी पढ़ाई की समय सारणी बना रखी है? हां/नहीं (2.)क्या मेरा पढ़ने का स्थान सुविधाजनक है? हाँ/नहीं (3.)क्या मेरे पास बैठने और अध्ययन करने के लिए सुविधाजनक मेज व कुर्सी है? हां/नहीं है (4.)क्या मेरे पढ़ने वाली जगह में पर्याप्त रोशनी है? हां/नहीं (5.)क्या मेरी पढ़ाई का स्थान बाधारहित है? हां/नहीं (6.)क्या मैं पढ़ने की समय सारणी और रणनीति का पालन करता हूं? हां/नहीं (7.)क्या मेरा लक्ष्य सामने रहता है? हाँ/नहीं
- अगर इनमें से किसी का भी उत्तर ‘नहीं’ है तो आपके पढ़ने का स्थान और ढंग सही नहीं है।सारे प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ में हों,इसके लिए आपको तुरंत उचित कदम उठाने होंगे।
4.पढ़ाई के लिए समय सारणी (Schedule for studies):
- पढ़ाई के लिए उचित समय-सारणी होना बहुत जरूरी है।जब हम एक समय-सारणी अपनाते हैं तो हम अपने सामने एक निश्चित दिनचर्या रखते हैं।उसे पूरा करने के लिए हम मानसिक रूप से अपने को तैयार करते हैं।हमें क्या करना है और क्या नहीं,समय सारणी इस अवरोध को दूर कर देती है।हमारे पास आपके लिए एक योजना है,पर आपको उसका पालन करना होगा।चूँकि विविधता जीवन का हिस्सा है,इन विविधताओं को अपनाने के लिए योजना लचीली होनी चाहिए।किसी भी दिनचर्या में एक निश्चित समय या छूट होना अनिवार्य है।
- पढ़ाई के लिए हम कैसे समय-सारणी बनाएं? यह स्कूल और कॉलेज की समय-सारणी जैसा ही है।आपका उस समय-सारणी पर कोई नियंत्रण नहीं होता है,क्योंकि स्कूल और कॉलेज के अधिकारी उसे बनाते हैं।लेकिन आपका अपनी समय-सारणी पर नियंत्रण हो सकता है,जो योजनाबद्ध हो ताकि जो आपने पढ़ा है उसे आप दुबारा पढ़ सकें।जो आपने पढ़ा है उसके अतिरिक्त आप और अधिक नोट्स बना सकते हैं।विषय से संबंधित गृहकार्य करने में भी आप समय का सदुपयोग कर सकते हैं।अगर एक से ज्यादा विषय पढ़े गए हैं तो आप अपने समय को बांट सकते हैं।
5.पढ़ने का स्थान (Reading Space):
- सीखने और पढ़ने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए पढ़ने का सुविधाजनक स्थान होना जरूरी है।क्या आपने देखा है कि उच्च प्रबंधकों के दो दफ्तरों में कितनी सुविधाएं होती हैं? सारे उच्च प्रबंधक अपने ज्ञान और अनुभव से गंभीरता से कार्य में सुधार और प्रगति करने के लिए मेहनत करते हैं।एक सुविधाजनक परिवेश बेहतर अध्ययन (कार्य) करने में मदद करता है।
एक छात्र के रूप में आपके पास पढ़ने के लिए कोई विशिष्ट कमरा नहीं भी हो सकता है।अगर ऐसा कमरा है,तो यह एक लाभ है।हालांकि,घर में जो भी स्थान उपलब्ध हो और जहां आप सुविधा महसूस करें,वही ठीक रहता है।लेटकर पढ़ने को सुविधाजनक स्थिति मानने की गलती कभी ना करें।बिस्तर सोने के लिए सुविधाजनक स्थान है,पढ़ने के लिए नहीं।सुविधा का संबंध परिवेश से है।जब भी आप पढ़ने की जगह में जाते हैं,आपका दिमाग स्वतः ही पढ़ने की ओर चला जाना चाहिए।फिर आपको दिमाग उस ओर लगाने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। - यदि आपके आस-पास शोरगुल,हो-हल्ला,डिस्ट्रेक्शन ज्यादा हो तो सुबह जल्दी उठकर भी पढ़ सकते हैं परंतु इसके लिए आपको रात को जल्दी सो जाना चाहिए।परीक्षा के दिनों में आपके आसपास माइक,लाउडस्पीकर या अन्य तरीके का शोरगुल हो तो आप जिलाधीश से शिकायत करके बंद भी करवा सकते हैं लेकिन पहले आपको शोरगुल या लाउडस्पीकर चलाने वाले से मिलकर समझाना चाहिए कि उसकी परीक्षा है।शोरगुल में वह पढ़ नहीं सकता है अतः माइक,लाउडस्पीकर का प्रयोग बंद कर दें।यदि वे आपकी बात को नहीं मानते हैं तब उच्चाधिकारी को शिकायत करनी चाहिए।
- घर में टीवी वगैराह का शोरगुल है और अध्ययन कक्ष की अलग से व्यवस्था नहीं है तो घर में ऐसे स्थान का चयन चुनाव करना चाहिए जहां आपको पढ़ने में किसी प्रकार का डिस्टरबेंस ना हो।हो सके तो इस प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक,इलेक्ट्रिक उपकरणों को बंद कर देना चाहिए।
6.सुविधाजनक फर्नीचर (Convenient furniture):
- यह बहुत आश्चर्य की बात है कि ऐसे अनेक छात्र हैं,जिनके पास न तो सुविधाजनक कुर्सी है,न मेज।कई छात्र-छात्रा बिस्तर पर लेटकर,सोफे पर बैठकर किसी दीवार,स्टूल या नीची मेज पर बैठकर पढ़ते दिखाई देते हैं।तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है कि वे जितना अच्छा कर सकते हैं,उतना नहीं कर पाते हैं।
- सुविधाजनक स्टूल या कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठना बहुत जरूरी है।क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि जब आप एकाग्र होना चाहते हैं तो आप बैठकर अपनी रीढ़ को एकदम सीधा कर लेते हैं? इससे एकाग्रता बढ़ती है।जब आप एकाग्र नहीं होते तो आप झुक जाते हैं और रीढ़ मुड़ जाती है।इससे एकाग्रता कम होती है।पढ़ते समय आपका एकाग्र होना बहुत जरूरी है।सीधी पीठ वाली सुविधाजनक कुर्सी पर बैठें।अगर आप नहीं खरीद सकते हैं तो स्टूल या फर्श पर चटाई बिछाकर रीढ़ सीधी करके बैठें।
- आपके अध्ययन के लिए टेबल का सही होना भी जरूरी है।एक सामान्य मेज जमीन से 30 इंच ऊंची होती है।इस स्तर पर आराम से पढ़ा और लिखा जा सकता है।अगर आपके पास अपनी मेज है तो ठीक है वरना डाइनिंग टेबल का प्रयोग करें।हालांकि आपको अपने पढ़ने के समय को देखना पड़ेगा कि वे खाने के समय से न मिलें।
- यदि मेज (टेबल) तथा स्टूल नहीं होती है तो अक्सर छात्र-छात्राएं बिस्तर पर लेट कर पढ़ते हैं या जमीन पर दरी या चटाई बिछाकर उस पर लेटकर पढ़ते हैं,जो कि गलत है।लेट कर पढ़ने से शरीर एक्टिव नहीं होता है,ढीला-ढाला रहता है,कई बार तो लेटे-लेटे नींद आ जाती है और लेट कर पढ़ने से एकाग्रता का सधना तो बहुत मुश्किल है।लेट कर पढ़ने का मतलब है कि आप आरामतलब पसंद है और पढ़ने के लिए शरीर को आरामतलबी की नहीं सक्रिय रखने की जरूरत होती है।
- यदि आपके पास फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है और ना आप व्यवस्था कर सकते हैं तो फर्श पर चटाई बिछाकर रीढ़ को सीधा रखकर पढ़ें हालांकि बिना फर्नीचर के नोट्स बनाना या लिखना,सवालों का अभ्यास करना थोड़ा मुश्किल है।इसके लिए आप तख्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं।बड़ी तख्ती पर नोटबुक को पेपर क्लिप से अटैच करके फिर लिख और पढ़ सकते हैं।
7.प्रकाश व्यवस्था (lighting):
- पढ़ने की जगह पर उचित रोशनी का होना बहुत जरूरी है।जैसे आप अंधेरा होने पर रसोई में खाना नहीं बना सकते हैं,वैसे ही सही रोशनी ना होने पर आप पढ़ नहीं सकते हैं।कहीं छात्र सिरदर्द और आंखों में दर्द होने की शिकायत करते हैं।दोनों चीजें खराब प्रकाश व्यवस्था के कारण होती है।दुर्भाग्यवश,स्कूलों और कॉलेजों में कई कक्षाओं में उचित रोशनी नहीं होती है।उसके लिए बेशक आप तुरंत कुछ ना कुछ कर सकें,पर अपने घर में तो उचित प्रकाश व्यवस्था कर सकते हैं।
- जो किताब आप पढ़ रहे हैं या कुछ लिख रहे हैं,रोशनी सीधी वहीं पड़नी चाहिए।इतनी रोशनी होनी चाहिए कि आप किताब को देख सकें और साथ-साथ उसमें देखकर लिख भी सकें।इसके अतिरिक्त,पढ़ते समय रोशनी आपके चेहरे पर नहीं पड़नी चाहिए।इससे आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और सिरदर्द हो सकता है।इससे एकाग्रता में भी कमी आती है।
- यदि आप दाएं हाथ से लिखते हैं तो बायीं ओर से रोशनी आनी चाहिए,यदि आप बाएं हाथ से लिखते हैं तो रोशनी दाईं ओर से आपकी पुस्तक या नोटबुक पर पड़नी चाहिए।पुस्तक या नोटबुक तथा आंखों के बीच लगभग 25 सेमी का फासला होना चाहिए;इससे आंखों पर दबाव नहीं पड़ता है और आंखों में छवि भी इतनी दूरी पर सही और साफ बनती है।कमरा साफ और स्वच्छ होना चाहिए।जाले,मकड़ी वगैराह नहीं रहने चाहिए।नियमित रूप से कमरे की सफाई करते रहें।घर के सदस्य सफाई नहीं करते हैं तो आपको स्वयं सफाई करनी चाहिए।पुस्तकों पर मिट्टी,धूल या दीमक लगी हुई ना रहे,इसके लिए नियमित रूप से सफाई करें।आस-पास में कचरा,कूड़ा-करकट हो तो रविवार या छुट्टी के दिन आप स्वयं सफाई करें।क्योंकि कूड़े-करकट,कचरे से निकली दुर्गंध वातावरण को भी विषाक्त कर देती है और पढ़ाई से ध्यान को भटका देता है।अपने शरीर की सफाई भी नियमित रूप से करते रहें। साफ-सफाई करने से न केवल आप एकाग्रतापूर्वक पढ़ सकते हैं,बल्कि आपकी कठिन परिश्रम करने के प्रति निष्ठा,स्वयं का काम स्वयं करने से दूसरों पर निर्भरता खत्म होती है।
8.पढ़ाई में बाधाएं (Many obstacles to studies):
- अगर आप पढ़ने के समय को सीखने का समय भी बनाना चाहते हैं तो बाधा नहीं होनी चाहिए।आपकी समय-सारणी इस तरह बनी हुई हो कि कम बाधाओं का सामना करना पड़े।अगर आप अक्सर दरवाजा खोलते या फोन सुनते हैं,तो पढ़ने के समय परिवार के अन्य सदस्य को वह काम करने को कहें।पढ़ने का वक्त खाने से बर्बाद ना हो।एक साथ पढ़ना और खाना संभव नहीं है।
- उपर्युक्त विवरण में पढ़ने के लिए आदर्श वातावरण बनाने के बारे में बताया गया है।परंतु प्रयास करने पर भी कुछ बाधाएं छात्र-छात्रा के सामने रहती हैं और उन बाधाओं के रहते हुए अध्ययन करना पड़ता है।मसलन आप एकांत में पढ़ रहे हैं परंतु छोटे बालक शोर-शराबा कर रहे हैं।छोटे बालकों को आप चुप रहने या शांति से बैठने के लिए कहा जाता है तो वे और ज्यादा उत्पात करते हैं।अब न तो उनको मारपीट कर सकते हैं और शांति से कहने पर ज्यादा शोर करते हैं।ऐसी स्थिति में उन्हें प्रेम से समझाकर या दूर कहीं खेलने के लिए भेजने पर इस स्थिति से बचा जा सकता है अथवा शोरगुल में ऐसे सब्जेक्ट को पढ़ना चाहिए जिसमें प्रैक्टिकल अभ्यास किया जा सकता हो जैसे गणित के सवाल हल करना।
- मोहल्ले,आस-पड़ोस में कई उद्दण्डी,उत्पाती युवा भी होते हैं जो लड़कियों पर फब्तियाँ कसते हैं,चौराहे पर खड़े होकर अश्लील हरकतें करते हैं,उत्पात करते हैं।ऐसे उद्दण्डी युवाओं को सहना ही पड़ता है।शिकायत करने पर उनसे दुश्मनी हो जाती है।रोज-रोज उनसे झगड़ा भी नहीं किया जा सकता है।झगड़ा करने पर हमारी शांति भंग होती है।माता-पिता की डांट सुननी पड़ती है।वे कहते हैं कि उन्हें सुधारने का ठेका तुमने ही ले रखा है।और इस तरह की सहनशीलता से ही वे हमारी कमजोरी समझ कर ज्यादा उत्पात करते हैं,अश्लील हरकतें करते हैं।आप लाउडस्पीकर बजाने वाले को मना करेंगे तो वे और ज्यादा जोर से बजाना चालू करेंगे।
- अतः प्रेमपूर्वक उन्हें समझाना चाहिए,यदि नहीं समझते हैं तो उनको सहने के अलावा कोई चारा नहीं है।यदि आप ज्यादा ही परेशान हैं और उनसे आपके,आपके परिवार,समाज की शांति भंग हो रही है तो ऐसे लोगों की पुलिस में या जिलाधिकारी से शिकायत करनी चाहिए क्योंकि सहन करने की भी एक सीमा होती है।ऐसे माहौल में पढ़ाई करना भी मुश्किल हो जाता है अतः उसका समाधान साम,दाम,दंड,भेद से कर लेना चाहिए।
- यदि आपका मकान कच्ची बस्ती या पिछड़े इलाके में है तो वहां जो भी साधन-सुविधाएँ आपको उपलब्ध हैं तो उन्हीं में अध्ययन करना पड़ता है।यदि संभव हो तो ऐसी स्थिति में नगर के वाचनालय में जाकर पढ़ना चाहिए।तात्पर्य यह है कि व्यवधान कम से कम हो ऐसे माहौल में पढ़ना चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में कैसे वातावरण में पढ़ें की 9 टॉप टिप्स (9Top Tips of How to Read in Atmosphere),पढ़ने के लिए वातावरण कैसा हो? (What is Environment Like for Reading?) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स
9.पढ़ने का कमाल (हास्य-व्यंग्य) (Amazing Reading) (Humour-Satire):
- पिता ने पुत्र से कहा:जब मैं तुम्हारी उम्र का था,तो पढ़ते-पढ़ते ही काम करने लग गया था।और एक तुम हो जो दर-धर की ठोकरे खा रहे हो।
- पुत्र ने कहाःअल्बर्ट आइंस्टीन जब आपकी उम्र के थे तो वैज्ञानिक और गणितज्ञ बन गए थे और एक आप हो जो पढ़-लिखकर भी मजदूरी कर रहे हो।घर में पढ़ने का एनवायरनमेंट है क्या?
10.कैसे वातावरण में पढ़ें की 9 टॉप टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 9Top Tips of How to Read in Atmosphere),पढ़ने के लिए वातावरण कैसा हो? (What is Environment Like for Reading?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न प्रश्न:
प्रश्न:1.पढ़ने के लिए विचारणीय बात क्या है? (What is something to consider to read?):
उत्तर:प्रत्येक दिन एक ही समय में पढ़ें।आपके शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक वैसी ही बन जाएगी और इससे बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
प्रश्न:2.पढ़ने के लिए करने योग्य मुख्य बात क्या है? (What is the main thing to do to read?):
उत्तर:(1.)घर में अपनी पढ़ाई के लिए एक समय सारणी बनाएं।अपनी सुविधा के अनुसार कुछ दिनों में बदलाव करें।
(2.)अपने पढ़ने के स्थान को रोशनी की व्यवस्था से जांचे।अगर रोशनी पढ़ने के लिए अपर्याप्त है तो या तो स्रोत बदलें या एक टेबल लैंप खरीदें।
प्रश्न:3.पढ़ने के वातावरण का सारांश बताइए। (Summarize the reading environment):
उत्तर:(1.) अगर प्रभावी रूप से पढ़ा जाए तो एक औसत छात्र भी बेहतर कर सकता है।अपने अध्ययन (कार्य) को प्रभावी बनाएं।
(2.)समय सारणी आपके सामने एक निश्चित चर्या रखती है।
(3.)पढ़ने का स्थान किसी का पढ़ने का मूड बनाता है। अपने पढ़ने के स्थान को सुविधाजनक बनाएं।
(4.)बेहतर ढंग से पढ़ने के लिए सुविधाजनक कुर्सी और मेज जरूरी है।
(5.)पढ़ने के स्थान पर पर्याप्त रोशनी होने से सिरदर्द,आंखों पर जोर पड़ने और तनाव से बचा जा सकता है।
(6.)पढ़ने के समय किसी भी तरह की बाधाओं से बचें।ये सबसे ज्यादा समय बर्बाद करती हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा कैसे वातावरण में पढ़ें की 9 टॉप टिप्स (9Top Tips of How to Read in Atmosphere),पढ़ने के लिए वातावरण कैसा हो? (What is Environment Like for Reading?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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