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5 Tips for Learning Computer Languages

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1 1.कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (5 Tips for Learning Computer Languages),छात्र-छात्राओं के लिए प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखने की 5 तकनीक (5 Techniques for Students to Learn Computer Languages):

1.कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (5 Tips for Learning Computer Languages),छात्र-छात्राओं के लिए प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखने की 5 तकनीक (5 Techniques for Students to Learn Computer Languages):

  • कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (5 Tips for Learning Computer Languages) के आधार पर आप कंप्यूटर भाषाओं के उपयोग के बारे में जान सकेंगे।कंप्यूटर भाषा को मानव और कंप्यूटर,दोनों ही समझने में सक्षम होते हैं।हम कंप्यूटर भाषा में निर्देश देकर कंप्यूटर से विभिन्न कार्य करवा सकते हैं।कंप्यूटर भाषाओं के निरंतर विकास से आज लगभग 200 से अधिक कंप्यूटर भाषाएँ प्रचलन में हैं।प्रत्येक कंप्यूटर भाषा के निर्देशों को लिखने के अपने नियम होते हैं।कंप्यूटर भाषा को प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) भी कहते हैं।
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2.प्रोग्राम को लिखने के लिए मुख्य भाषाएँ (The main languages for writing the program):

  • कंप्यूटर को जानकारी का इंजन कहा जाता है।हालांकि इस इंजन के पास अपनी कोई बुद्धि नहीं होती,पर इसे प्रोग्राम द्वारा बुद्धि प्रदान की जाती है।इस प्रोग्राम को लिखने के लिए मुख्यतः तीन प्रकार की भाषाएँ प्रयोग में लायी जाती हैं:

(1.)मशीन भाषा (Machine Language):

  • यह कंप्यूटर की मौलिक भाषा है जो सिर्फ 1 व 0 के समूहों से बनी होती है,जिसे कंप्यूटर सीधे समझ सकता है।इस भाषा को समझने के लिए कंप्यूटर के अनुवाद प्रोग्राम (Translation Programme) की आवश्यकता नहीं पड़ती है।प्रारंभ में कंप्यूटर प्रोग्रामर मशीन भाषा में ही प्रोग्राम लिखते थे,जिसे कंप्यूटर आसानी से समझ कर वांछित कार्य (required work) कर देता था।लेकिन आदेशों (codes) को 0 व 1 में लिखा जाना अत्यंत कठिन था,इसलिए अन्य भाषाओं की आवश्यकता महसूस की जाने लगी।इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए असेंबली भाषा (Assembly language) तथा अन्य उच्च स्तरीय भाषाओं की खोज की गई।

(2.)असेंबली भाषा (Assembly Language):

  • मशीन भाषा में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए असेंबली भाषा का प्रयोग आरंभ हुआ,जिसमें मशीन कोड (0 व 1) के स्थान पर नेमोनिक कोड (Mnemonic code) का प्रयोग किया गया।इसे मशीनी भाषा की तुलना में आसानी से समझा जा सकता था।उदाहरण के लिए ADD (Addition),COM (Comparison),JMP (JUMP) आदि।असेंबली भाषा को मशीन भाषा (जिसे कंप्यूटर समझता है) में परिवर्तित करने के लिए एक अनुवादक प्रोग्राम (Translation programme) की आवश्यकता होती है,जिसे असेंबलर (Assembler) कहते हैं।

(3.)उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language):

  • मशीन भाषा और असेंबली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए कंप्यूटर की आंतरिक संरचना को जानना आवश्यक होता है।अतः जब कंप्यूटर का प्रयोग अधिक बढ़ गया,तो एक ऐसी भाषा की आवश्यकता महसूस हुई,जो प्राकृतिक भाषाओं (जैसे-अंग्रेजी) के निकट हो और जिसको लिखने के लिए कंप्यूटर की आतंरिक संरचना को जानना आवश्यक न हो ताकि एक सामान्य व्यक्ति भी कंप्यूटर का प्रयोग कर सके।ऐसा प्रयास किया गया कि भाषाएँ मशीन पर आधारित होने के बजाय समस्या पर आधारित हों।इन भाषाओं में आदेशों को लिखते समय प्रोग्रामर प्राकृतिक भाषा (अंग्रेजी) और गणित (Mathematics) के स्वीकृत संकेतों (symble) का प्रयोग कर सकता है।उच्च स्तरीय भाषा को लिखने के लिए प्रथम प्रयास आई.बी.एम ने 1957 में किया और इसका परिणाम फोरट्रान (Fortran) के रूप में सामने आया।इसके पश्चात कंप्यूटर की सैकड़ो उच्च स्तरीय भाषाओं का विकास हुआ।अनेक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कंप्यूटर भाषाएं हैं।बच्चों के लिए कंप्यूटर भाषाएं अलग होती है जबकि व्यापारिक कार्यों (Business Purpose) के लिए अलग कंप्यूटर भाषाएँ हैं इसी प्रकार अभियांत्रिकी (Engineering),इंटरनेट वेब डिजाइनिंग (Internet Web Design),रोबोटिक्स (ROBOTICS),कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) आदि क्षेत्रों के लिए आज कंप्यूटर भाषाएं प्रचलन में है।
  • BASIC,FORTRAN,C++ आदि प्रोसीजर (कार्य प्रणाली) पर आधारित भाषाओं (Procedure Oriented Language) की श्रेणी की भाषाएं हैं।दूसरे शब्दों में इन भाषाओं में प्रोग्रामर (Programmer) समस्या को किस प्रकार हल किया जा जाए,इसका ब्यौरा देता है।ORACLE,Ms-SQL आदि भाषाएँ समस्या पर आधारित भाषाओं Problem Oriented Language की श्रेणी में आती है।इन भाषाओं में समस्याओं के हल की पूर्वनिर्मित (Raddymade) विधियां (Procedure) संग्रहीत रहती हैं।कार्य प्रणाली पर आधारित भाषाएँ समस्या को हल करने की विधि (procedure) को विस्तृत रूप से व्यक्त करती हैं जबकि समस्या पर आधारित भाषाएँ जिनमें समस्या हल करने की विधि (procedure) का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया जाता है अपितु,’हमें क्या आउटपुट चाहिए’, इसका ब्यौरा दिया जाता है।इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण भाषाओं की जानकारी नीचे दी जा रही हैः

3.महत्त्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएँ (Important Programming Languages):

(1.)फोरट्रान (Fortran):

  • फोरट्रान विश्व की सबसे पुरानी और लोकप्रिय उच्च स्तरीय भाषा है,जिसका विकास अमेरिका की आई.बी.एम. (International Business Machine Corporation) कंपनी द्वारा वैज्ञानिक तथा अभियांत्रिक समस्या के समाधान के लिए 1957 में किया गया था।यह अंग्रेजी के फार्मूला ट्रांसलेशन (Formula Translation) का संक्षिप्त रूपांतरण है।फोरट्रान में उन स्वरूपों का व्यापक प्रयोग किया गया है,जो बीजगणितीय सूत्रों से मिलते हैं,जैसे:A=B+C-D

(2.)कोबोल (Cobol):

  • कोबोल अंग्रेजी के शब्दों-काॅमन बिजनेस ओरिएंटेड लैंग्वेज (Common Business Oriented Language) का संक्षिप्त रूपांतर है।इसका विकास विशेषकर व्यापारिक आंकड़ों को संसाधित (Business data processes) करने के लिए किया जाता है।इसका मानक विकास ANSI COBOL के रूप में 1968 में किया गया।कोबोल प्रोग्राम की रचना विभिन्न प्रकार के वाक्यों (sentences),पैराग्राफों (Paragraphs),सेक्शनों (sections) तथा डिविजनों (divisions) से की जाती है।कोबोल में आंकड़ों (Datas) पर की जाने वाली संबंधित संख्याओं के लिए वाक्य लिखकर आदेश दिए जाते हैं।एक प्रकार की संक्रिया के लिए लिखे गए वाक्यों के समूहों को पैराग्राफ (paragraph) कहा जाता है।सभी संबंधित पैराग्राफों को मिलाकर एक सेक्शन (section) बनता है,जिसे मिलाकर एक डिवीजन (division) बनता है।डिवीजन चार प्रकार के होते हैं:(i)परिचय विभाग (identification division) (ii)वातावरण विभाग (Environment division) (iii)डाटा विभाग (Data division) (iv)विधि विभाग (production division)

(3.)बेसिक (Basic):

  • बेसिक अंग्रेजी के शब्दों,बिगनर्स ऑल पर्पज सिंबॉलिक इंस्ट्रक्शन कोड (Beginners All-purpose symbolic instruction code) का संक्षिप्त रूपांतर है।इस भाषा का विकास डरमाउथ कॉलेज,अमेरिका के प्रोफेसर जाॅन किमनी और थॉमस कुर्ज द्वारा 1964 में किया गया था।बेसिक,असेंबलर की बजाय इंटरप्रेटर के रूप में बनाया जाता है,जिसकी सहायता से प्रोग्राम में निहित आदेशों को लाइन-दर-लाइन निष्पादित किया जा सकता है।इस भाषा का उपयोग लगभग सभी क्षेत्रों में किया जाता है।

(4.)पास्कल (Pascal):

  • पास्कल के विकास के लिए प्रथम प्रयास फेडलर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी,स्विट्जरलैंड के निकलस वर्थ (Niklaus Wirth) के द्वारा किया गया।इस भाषा का नाम फ्रांस के महान गणितज्ञ प्लेज पास्कल के नाम पर पास्कल पड़ा।इसमें संरचनात्मक प्रोग्रामिंग (structure programming) पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है,जिससे प्रोग्रामिंग सरल हो सके।पास्कल में सभी चरों (Variables) को पहले ही परिभाषित किया जाना जरूरी है।पास्कल का प्रयोग अधिकांशतः माइक्रो कंप्यूटर में किया जाता है।

(5.)अल्गोल (Algol):

  • अल्गोल अंग्रेजी के शब्दों अल्गोरिथनिक लैंग्वेज (Algorithnic language) का संक्षिप्त रूपांतर है।फोरट्रान के समान इसका उपयोग भी वैज्ञानिक गणनाओं के लिए किया जाता है।इसका संबंध डिजाइन (design) इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ मैथमेटिशियन द्वारा और विकास,यूरोप और अमेरिका के विशेष समूहों द्वारा 1958 में किया गया।यह पहले ALGOL-58 के रूप में था।अब यह ALGOL-68 के रूप में उपलब्ध है,जो ALGOL-58 की तुलना में कहीं ज्यादा कार्य करता है।

  • छोटी कक्षा (class) के विद्यार्थियों को ग्राफिक रेखानुकृतियां आदि सिखाने के लिए ‘लोगो’ का प्रयोग किया जाता है।इसके द्वारा बहुत ही सरल अंग्रेजी शब्दों,जैसे MOVE,TUSU की सहायता से एक कछुए जैसी आकृति को स्क्रीन पर घुमाकर कई प्रकार की त्रिकोणीय आकृतियाँ बनाई जा सकती हैं।

(7.)सी (C):

  • सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का विकास अमेरिका के एटी एंड टी (AT & T) की बेल लेबोरेट्री में 1972 में किया गया। इसका नमूना डेनीस रिची (Dennis Retche) के द्वारा किया गया।यह संरचनात्मक प्रोग्रामिंग भाषा (Structural programming language) है,जिसका उपयोग सिस्टम प्रोग्रामिंग जैसे कंपाइलर और ऑपरेटिंग सिस्टम डिजाइन बनाने में किया जाता है।’सी’ की सहायता से प्रोग्रामर प्रायोगिक प्रोग्राम (Application programme) भी बना सकते हैं।

(8.)लिस्प (Lisp):

  • यह लिस्ट प्रोसेसिंग (List processing) का संक्षिप्त रूपांतर है।1960 के दशक में जाॅन मेकाॅर्थी ने एम. आई. टी. के सानिध्य में कृत्रिम बुद्धि संबंधी कार्यों के लिए लिस्प का आविष्कार किया था।इसके साथ ही प्रतीकात्मक शब्द संसाधन (symbolic processing) भाषाओं के विकास का द्वार खुल गया।’लिस्प’ प्रोग्रामर को अपने प्रोग्राम स्वयं विकसित करने के लिए लिस्ट के माध्यम से सहायता करती है।यह बेसिक के समान इंटरएक्टिव भी है।

(9.)सी++ (C++):

  • सी प्लस प्लस का विकास एटी एंड टी लेबोरेट्री के ‘जार्ने स्ट्रैस्ट्रप’ द्वारा किया गया।यह ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड शैली में प्रोग्रामिंग लिखने या समझने के लिए परंपरागत शैली (proceusral language) से हट कर काम करना पड़ता है।सी प्लस प्लस की ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड शैली की प्रोग्रामिंग में ऑब्जेक्ट विभिन्न क्लास पर आधारित होते हैं।इसमें अलग-अलग क्लास को आधार मानकर प्रोग्रामिंग की शुरुआत करनी पड़ती है और ओओपी (OOP) का प्रयोग कर अलग-अलग वर्गों से प्रोग्राम को आकृति केंद्रित बना दिया जाता है।क्लास,डेटा व फंक्शन से मिलकर बनते हैं।डेटा व फंक्शन को ‘एक्सेस’ (access) करने के लिए पब्लिक व प्राइवेट कीवर्ड का प्रयोग किया जाता है।सी प्लस प्लस को सी की तुलना में आसानी से व्यवस्थित और विस्तारित किया जा सकता है।

(10.)एचटीएमएल (HTML):

  • HTML,Markup Language का संक्षिप्त रूप है।HTML एक ऐसी भाषा है जो वेब पेज बनाने में सहायक होती है या इस भाषा के प्रयोग से वेब पेज बनता है।मार्कअप लैंग्वेज शब्द,किताब छापने वाली इंडस्ट्री से उत्पन्न हुआ है।किसी किताब को छापने से पूर्व कॉपी एडीटर,मुख्य स्क्रिप्ट को पढ़ता है व उस पर कई चिन्ह (मार्क) लगाता है।यह मार्क डिजाइनर को यह बताते हैं कि टेक्स्ट के फॉर्मेट का प्रारूप कैसा होना चाहिए।उदाहरणार्थ हम वेब पेज पर डाटा को बोल्डफेस में करना चाहते हैं तो हमें दो tag टैग व <(/B)> का प्रयोग करना होगा।यह ब्राउज़र को सूचित करेंगे,जब ब्राउज़र सूचना प्राप्त करेगा,तो वह टेक्स्ट को बोल्डफेस में कर देगा।एचटीएमएल एक प्रोग्रामिंग भाषा नहीं है।यह टेक्स्ट को चिन्हित या मार्कअप (markup) करने वाली कंप्यूटर भाषा है।

(11.)पायथन (Python Language):

  • इसका इस्तेमाल वेब डेवलपमेंट,डाटा साइंस और एआइ (Artificial Intelligence) में किया जाता है।यह एक सरल लैंग्वेज है।

(12.)जावा (JAVA):

  • यह भी एक आसान लैंग्वेज है।इसका इस्तेमाल ऐप (app) तैयार करने,गेम्स और सॉफ्टवेयर बनाने में होता है।
    (13.)जावा स्क्रिप्ट (JAVA SCRIPT):
    जावा स्क्रिप्ट एक स्क्रप्टिंग भाषा है।वेब पेज की गुणवत्ता में वृद्धि करने के कार्य में स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज,नॉन प्रोग्रामर्स को सरलता प्रदान करती है।जावा स्क्रिप्ट को ‘नेटस्कैप नेविगेटर’ ब्राउज़र में प्रयुक्त करने के लिए ‘नेटस्कैप कॉरपोरेशन’ ने विकसित किया था।जावास्क्रिप्ट की सहायता से कोई भी व्यक्ति वेब पेज डिजाइनिंग का कार्य सरलता से कर सकता है,इसके लिए उसे प्रोग्रामिंग में पारंगत होने की आवश्यकता नहीं है।एक सामान्य कंप्यूटर ऑपरेटर भी जावास्क्रिप्ट की सहायता से वेब पेज कंपोज कर सकता है।जावास्क्रिप्ट की सहायता से परिष्कृत किया गया वेब पेज एक तेज चलने वाले 3D कंप्यूटर गेम के समान दिखाई देने लगता है।वेब पेज में जावास्क्रिप्ट की सहायता से अच्छे एनीमेशन प्रभाव दिए जा सकते हैं।

4.कंप्यूटर लैंग्वेज का निष्कर्ष (Conclusion of Computer Language):

  • पौराणिक आख्यानों में जब दुनिया की एक बड़ी अकल्पनीय-सी तस्वीर खींची जाती थी तो सहसा किसी को यकीन नहीं होता था।हम देखते थे कि हमारे ऋषि-मुनि पलक झपकते ही इस लोक से किसी और लोक में जा पहुंचते थे और मनचाही वस्तुएं न जाने कहां से लाकर हाजिर कर देते थे।तर्क और विज्ञान की कसौटी पर महज कपोल-कल्पना लगने वाली ये सारी बातें आज सच होती दीख रही हैं।साइबर क्रांति के इस दौर ने दुनिया की तस्वीर ही बदलकर रख दी है।इंटरनेट के मकड़-जाल में दुनिया इस तरह जकड़ती जा रही है कि इसकी पल-पल बदलती तस्वीर ने मानव सभ्यता को अचम्भे में डाल दिया है।परिवर्तन तो खैर उसी दिन से ही होते रहे हैं जिस दिन से सृष्टि का प्रारंभ हुआ है,मगर आज उन परिवर्तनों की गति इतनी तेज है कि यह हमारी कल्पना की सारी सीमाओं को लांघ गया है।
  • आज साइबर क्रांति ने एक तरफ जहां हमारे रहन-सहन,आचार-विचार को प्रभावित किया है,वही हमारे रोजगार के तमाम आयाम भी बदल दिए हैं।प्राचीन काल में आग और पहिए के आविष्कार ने आदमी के जीने की दिशा ही बदल दी थी।आज एक बार फिर आदमी के जीने की दिशा बदलने जा रही है।उसके खाने-पीने का अंदाज बदल रहा है।उसके काम करने का तरीका बदल रहा है।आज मनुष्यों के बीच ऐसे अनगिनत माध्यम हैं जिनके जरिए बदलावों को बढ़ावा मिला है।इन्हीं में एक सशक्त माध्यम कंप्यूटर लैंग्वेज और प्रोग्रामिंग भाषाएं रोजगार के नए अवसर लेकर आया है।
  • जिन छात्र-छात्राओं को इस क्षेत्र में संभावनाएं दिखाई दे रही हैं,जिन्हें इस माध्यम की पूरी जानकारी है,जो इस जानकारी का रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं और जो आज के मार्केट की इस डिमांड को समझ रहे हैं,उन्हें भविष्य में कंप्यूटर लैंग्वेज सीखने से निश्चित रूप से फायदा होगा।इसके लिए छात्र-छात्राओं को तर्कसंगत रणनीति बनाकर कंप्यूटर लैंग्वेज को सीखने का मानस बनाना चाहिए।टेक्नोलॉजी में दिन-प्रतिदिन रोजगार के अवसर बढ़ते जा रहे हैं।आज दूसरे स्ट्रीम से पढ़ाई करने वाले भी अपनी लगन और स्किल्स के साथ कंप्यूटर लैंग्वेज सीख रहे हैं और करियर के नए ऑप्शन बना रहे हैं।आप भी कंप्यूटर लैंग्वेज सीखना चाहते हैं तो पूरी जानकारी हासिल कर शुरुआत कर सकते हैं।अपनी रुचि और योग्यता की पहचान कर इसमें करियर बना सकते हैं।
    उपर्युक्त आर्टिकल में कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (5 Tips for Learning Computer Languages),छात्र-छात्राओं के लिए प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखने की 5 तकनीक (5 Techniques for Students to Learn Computer Languages) के बारे में बताया गया है।

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5.कंप्यूटर भाषा सीखने में कमजोर (हास्य-व्यंग्य) (Weak in Computer Language Learning) (Humour-Satire):

  • पिताजी (कंप्यूटर भाषा का सर्टिफिकेट देखने के बाद):इतने कम मार्क्स,पिटाई होनी चाहिए।
    जसपाल:हां पापा,मैं भी यही सोचता हूं।चलिए मैं,उन कंप्यूटर क्लासेज के शिक्षक का घर जानता हूं।

6.कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5 Tips for Learning Computer Languages),छात्र-छात्राओं के लिए प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखने की 5 तकनीक (5 Techniques for Students to Learn Computer Languages) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.पीएचपी का क्या अर्थ है? (What does PHP mean?):

उत्तर:पीएचपी एक कोडिंग भाषा है,जो कि इंटरनेशनल वेब पेजों को बनाने के काम आती है।इसका नाम हाइपरटेक्स्ट प्रीप्रोसेसर है।

प्रश्न:2.लैंग्वेज प्रोसेसर क्या होता है? (What is a language processor?):

उत्तर:इन सॉफ्टवेयर्स के द्वारा किसी भी अन्य भाषा में लिखें प्रोग्रामों को मशीनी भाषा में परिवर्तित किया जाता है;जैसे:कम्पाइलर,इन्टरप्रेटर आदि।

प्रश्न:3.हाइ लेवल लैंग्वेज को स्पष्ट करो। (Explain the high level language):

उत्तर:यह कम्प्यूटर की वह भाषा है,जो अंग्रेजी भाषा के सबसे करीब है।आधुनिक कम्प्यूटरों में High Level Language का ही प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न:4.एक्सएचटीएमएल का फुल फॉर्म क्या है? (What is the full form of XHTML?):

उत्तर:इसका फुल फॉर्म हैःएक्सटेंशिबल हाइपरटेक्सट मार्क अप लैंग्वेज (Extensible Hypertext Markup Language)।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा कंप्यूटर भाषाएँ सीखने की 5 टिप्स (5 Tips for Learning Computer Languages),छात्र-छात्राओं के लिए प्रोग्रामिंग भाषाएँ सीखने की 5 तकनीक (5 Techniques for Students to Learn Computer Languages) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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