Menu

6 Spells of How to Live in Solitude

Contents hide

1.एकांत में कैसे रहें के 6 मंत्र (6 Spells of How to Live in Solitude),छात्र-छात्राओं के लिए एकान्त का अभ्यास करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Students to Practice Solitary):

  • एकांत में कैसे रहें के 6 मंत्र (6 Spells of How to Live in Solitude) के आधार पर छात्र-छात्राएं जान सकेंगे कि एकांत का सेवन करना उनके लिए कितना लाभदायक है।एकांत का अभ्यास करने से वे अपनी प्रतिभा को विकसित करके अपनी उन्नति के द्वार खोल सकते हैं।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:How Do Students Get Rid of Loneliness?

2.एकांत और एकाकीपन (Solitude and feeling of loneliness):

  • एकांत का अर्थ है कि एक ही लक्ष्य को साधने के लिए अकेला रहना,साधना करना।जबकि एकाकीपन,अकेलापन का अर्थ है सबसे अलग-थलग पड़ जाना,विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में संबंधों रहित होने का बोध।इस प्रकार एकांत सकारात्मक पक्ष है तो एकाकीपन नकारात्मक पक्ष है।
  • एकांत एक वरदान है,तो एकाकीपन एक अभिशाप। एकांत मन की प्रकृति के अनुसार परिभाषित और परिलक्षित होता है।एक साधक एवं योगी के लिए एकांत के क्षण ध्यान एवं समाधि का सोपान हैं,एक भक्त के लिए भगवान से मिलन का मधुर अनुभव और एक वैज्ञानिक एवं चिंतक के लिए ये ही शोध एवं विचार के क्षण हैं,तो एक विद्यार्थी के लिए विद्या ग्रहण करने,लक्ष्य की रणनीति पर अमल करने,अध्ययन,मनन-चिंतन करने के लिए यह (एकांत) बेहतरीन अवसर है।परंतु कुछ लोगों के लिए वही समय एकाकीपन,अकेलेपन में बोझ की तरह हो जाते हैं।
  • एकांत हमें आनंदित करता है जबकि एकाकीपन डराता है।एकांत में अकेला होकर कोई हर्षविभोर होकर कीर्तन करता है तो एकाकीपन में कोई इससे भागकर किसी अन्य साथी-सहचर की भीड़ तलाश करता है।आखिर ऐसा क्यों है? क्या इसका मनोविज्ञान है कि अकेला होने का अनुभव अलग-अलग लोगों को अलग-अलग प्रतीत होता है? दरअसल हमारा मन ही है इसके केंद्र में।यदि मन स्वस्थ,सुदृढ़ एवं शांत होता है तो एकांत हमारा सबसे बड़ा मित्र एवं शुभेच्छु बन जाता है,परंतु रुग्ण एवं दुर्बल मन के लिए अकेलापन किसी दुःस्वप्न के समान भीषण एवं डरावना लगता है।ऐसे में हम एकाकीपन से डरते-घबराते और भीड़ की ओर भागते हैं और भीड़ में सुकून प्राप्त करते हैं।
  • मनोवैज्ञानिकों की मानें तो एकाकीपन में हमारे अचेतन में दबी कड़ुई यादें एकाएक उजागर हो जाती हैं-प्रकट हो जाती हैं,जिनको हम कभी याद नहीं करना चाहते और न ही उनका सामना करना चाहते हैं।जिन कड़ुई एवं कटु यादों से हम बचना एवं भागना चाहते हैं,वे हमारे अचेतन में दबी-छिपी रहती हैं और अकेलापन मिलते ही अपने अस्तित्व का आभास करा देती हैं।
  • दरअसल जिससे हम डर रहे हैं और जो हमें डरा रहा है,वह कोई और नहीं,बल्कि हमारे अतीत के नकारात्मक कर्मों का परिणाम अर्थात् हमारा प्रारब्ध है।हम अकेले में किसी और से नहीं,बल्कि स्वयं से डरते हैं।इस डर से बचने के लिए हम अपने मित्र,साथी,सहपाठी की ओर दौड़ते हैं।समाज या परिवार की भीड़ में ये यादें दब जाती हैं,परंतु समाप्त नहीं होती हैं।मनोवैज्ञानिक इसी खालीपन के पक्ष की ओर संकेत करते हैं।इनके अनुसार हम अधिकतर गलतियां और अपराध इसी अवस्था में करते हैं।इस संदर्भ में उनका कहना है कि अकेलेपन में बुरी आदतें अपने पूरे वेग से हमें आक्रांत कर देती हैं और हम पूरी तरह आदतों के मकड़जाल में फंस जाते हैं।
  • दुर्बल मन खालीपन में नकारात्मक चिंतन,आभासी भय,शंका-कुशंका,संशय-संदेह से भर जाता है और फिर उसके अनुरूप मानसिक वृत्तियाँ बनने लगती हैं।दीर्घकाल तक चलने वाला यह मानसिक व्यापार मानसिक रोगों को जन्म देता है।इससे बचने एवं निकलने के लिए सकारात्मक सोच,रचनात्मक चिंतन एवं सदाचरण की आवश्यकता है।सकारात्मक सोच से हम सदा स्वयं के प्रति सावधान एवं जागरूक बने रह सकते हैं।जागरूक बने रहने से चोर दरवाजे से नकारात्मक विचार प्रवेश नहीं कर सकते और हम सकारात्मक विचारों को बनाए रख सकते हैं।इसके लिए हमें स्वाध्याय करना चाहिए।स्वाध्याय मन का स्नान है,जिससे नकारात्मक विचार गल-गलकर मिटते रहते हैं।

3.एकांत वरदान है (Solitude is a blessing):

  • एकांत में भी हम अकेले होते हैं।अकेलेपन का साथी है-अच्छी पुस्तकें।जिनकी मित्रता अच्छी किताबों से हो गई,समझो वे कभी अकेले हो ही नहीं सकते;क्योंकि उनका मन सदा सद्विचारों से प्रेरित रहता है।अकेलेपन से जन्मी समस्याओं से बचने के लिए हमें स्वयं को रचनात्मक एवं अच्छे कार्यों में नियोजित करना चाहिए। मन को अधिक समय तक व्यस्त रखना मुश्किल है,इसलिए मन को उस कार्य में व्यस्त रखना चाहिए,जिसे वह पसंद करे,उसमें रम जाए।इसके लिए अच्छे एवं रचनात्मक कार्यों की सूची रहनी चाहिए; ताकि मन को अनियंत्रित होने का अवसर न मिले।
  • मन यदि मजबूत हो तो अकेलेपन में ही सर्वश्रेष्ठ कार्य का संपादन किया जा सकता है।इतिहास गवाह है कि विश्व के श्रेष्ठतम कार्य एकांत में संपन्न हुए हैं,जिस एकांत से लोग भागते रहे,उसी एकांत में महान विचारकों ने दुनिया को भी विस्मित करने वाले आविष्कार एवं अनुसंधान संपन्न किए हैं।जीवन के प्रति गंभीर दृष्टि रखने वाले संत,महात्मा जीवन को सर्वोच्च ग्रंथ मानते हैं,जिसके पन्नों में रहस्य-रोमांच के अद्भुत सूत्र समाहित हैं।इन जीवन-सूत्रों की विवेचना,विश्लेषण एवं व्याख्या जनसंकुल में संभव नहीं है,केवल एकांत में ही की जा सकती है।
  • योगी,महात्मा एवं संत अपने जीवन में कभी अकेलेपन का एहसास नहीं करते।वे अकेले हो ही नहीं सकते।एक बार एक महात्मा घोर जंगल के सन्नाटे में एक वटवृक्ष के नीचे शांत,मौन एवं एकांकी बैठे हुए थे।वहां से गुजरने वाला एक यात्री भी एकाकी वहां से गुजर रहा था।वह अपने अकेलेपन से परेशान एवं चिंतित था।वह अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए किसी की तलाश में अपनी नज़रें घुमा रहा था कि उसे वे महात्मा दीख गए।वह भागा-भागा गया और महात्मा को झकझोरकर कहा-“मैं कब से किसी की तलाश कर रहा था कि उससे कुछ बातचीत करूं।” महात्मा ने धीरे से आंखें खोलकर उसकी दीनता पर दयार्द्र होकर कहा-“वत्स! मैं कहां अकेला था।मैं तो अपने परमप्रिय भगवान के साथ मिलन के मधुर आनंद का अनुभव कर रहा था।भगवान के साथ अनुभव हो तो मनुष्य अपने को अकेला कहां अनुभव करता है।”
  • जो एकांत में रहता है,ना तो वह दूसरों को परेशान करता है और न दूसरों से परेशान रहता है।जीवन में एकांत एक वरदान है।अतः हमें श्रेष्ठ विचार,पवित्र भाव एवं सदाचरण के द्वारा अकेलेपन को दूर कर उसे मूल्यवान क्षण में परिवर्तित करना चाहिए।जिन क्षणों में सामान्य व्यक्ति घबराए और चिंतातुर हो,उन क्षणों को प्रभु का वरदान मानकर उन्हें साधना की अनुभूति में बदल लेने का कार्य महान तपस्वियों द्वारा ही संभव है।
  • लौकिक जगत में किए गए वैज्ञानिक आविष्कार हों अथवा अलौकिक जगत में संपन्न की गई साधनाएं,ये सभी एकांत के दुर्लभ क्षणों में सम्भव हैं।यदि एकांत के क्षणों का सम्यक उपयोग किया जा सके तो उन्हें जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण क्षणों में परिवर्तित किया जा सकता है,अन्यथा वे मात्र हृदयविदारक स्मृतियों को उभारने वाले अभिशाप की तरह हमें संतप्त करते रहते हैं। आवश्यक है कि मनुष्य एकांत के इन बहुमूल्य क्षणों का मूल्य समझे और उन्हें सौभाग्य में बदलने के लिए प्रयत्नशील हो।

4.छात्र-छात्राएं एकांत में अध्ययन करें (Students should study in solitude):

  • छात्र-छात्राओं के लिए विद्यालय में अपने सहपाठियों के साथ बैठकर अध्ययन करना,अपने सहपाठियों से वार्तालाप करना,आपसी मेलजोल रखना,संवाद करने,बोलने-चालने और सांसारिक बातें सीखने के तौर-तरीके सीखना तथा सबसे घुलमिलकर रहना जितना जरूरी है उतना ही जरुरी एकांत में अध्ययन करने,मनन-चिंतन करने,आत्म-विश्लेषण करने,आन्तरिक शक्तियों को पहचानने का है।वस्तुतः एकांत में आप अध्ययन,मनन-चिंतन,स्वाध्याय आदि करते हैं वह एक दिशासूचक यंत्र का कार्य करता है।उसी के द्वारा आपको बोध होता है कि सांसारिक क्रियाकलाप आप सही दिशा में कर रहे हैं या नहीं।एकांत में आप द्वारा किया गया चिंतन-मनन और अध्ययन ही आपके जीवन की सुदृढ़ नींव लगाता है।
  • यदि आप किसी एक पक्ष को अधिक महत्त्व देने लग जाएंगे तो जीवन में असंतुलन पैदा हो जाएगा। दुनियादारी के तौर-तरीके नहीं सीखेंगे तो सबसे अलग-थलग पड़ जाएंगे और आप व्यावहारिक व्यक्ति नहीं बन पाएंगे।सांसारिक व्यवहार को अधिक महत्त्व देंगे तो आप अपने आपका आत्म-विश्लेषण नहीं कर पाएंगे,कहां-क्या त्रुटियां कर रहे हैं इसका पता नहीं चलेगा,स्कूल में पढ़ा हुआ पाठ बिना एकांत के याद नहीं कर पाएंगे और न ही मनन-चिंतन कर पाएंगे जिससे आपके व्यक्तित्व का सही विकास नहीं हो पाएगा।प्रतिभा का विकास एकांत में ही होता है और चरित्र का विकास संसार के तेज प्रवाह में होता है।
  • मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान-योग एकांत और शांत वातावरण में भी करना पड़ता है।गणितज्ञ और वैज्ञानिक बिल्कुल दुनिया से कटकर एकांत में अपनी प्रयोगशाला या अध्ययन कक्ष में ही शोध करते रहते हैं।जो छात्र-छात्राएं एकांत के महत्त्व को समझते हैं वे एकांत में रहकर परीक्षा की तैयारी,प्रवेश परीक्षा की तैयारी या किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं और सफल होते हैं।कोलाहल,शोर-शराबे में एकाग्रता पूर्वक अध्ययन नहीं किया जा सकता है।
  • एकांत या अकेले से वे विद्यार्थी ही डरते हैं जिनको अध्ययन करने की कला का ज्ञान नहीं है।जिनको मनन-चिंतन नहीं करना है,अपना जीवन साधारण तरीके से ही गुजारना है,कुछ अलग हटकर और डटकर कोई विशेष या महान कार्य नहीं करना है,जो जीवन को असाधारण तरीके से नहीं जीना चाहते हैं।जो विद्यार्थी अपने जीवन का मकसद रास-रंग,नाचने-गाने,ऐशोआराम करने,मौजमस्ती करने आदि को ही मानते हैं वे अपने साधारण लक्ष्य को भी प्राप्त नहीं कर पाते हैं।वे पढ़ाई-लिखाई में भी फिसड्डी रहते हैं,तो अपने करियर में भी फिसड्डी बने रहते हैं,उन्हें दुनिया से शिकायत ही रहती है।
  • एकांत में योग साधना,ध्यान,स्वाध्याय,मनन-चिंतन,आत्म-निरीक्षण करेंगे तो आप अपने अनंत शक्ति के भंडार का खजाना पा सकेंगे।उस शक्ति के भंडार की चाबी हाथ लगते ही आपकी अनेक समस्याएं हल हो जाएंगी।इसके बाद आपको बार-बार,हर कहीं,दूसरे के पास भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

5.एकांत का दृष्टांत (The Example of Solitude):

  • विद्यार्थी अपने अंतर्जगत की यात्रा करें,अंतर्यात्रा करे तो बहुत कुछ पाया जा सकता है।अपने को भूलकर,अपने आपको खोकर कितना भी प्राप्त कर लिया जाए तो उसका क्या अर्थ व मूल्य है?
  • एक विद्यार्थी अपनी जिज्ञासा लेकर गुरुजी के पास पहुंचा और उनसे आग्रह करने लगा कि आप मुझे इस बात का रहस्य (कुंजी) बताएं कि आप हर सवाल व समस्या का हल ढूंढ लेते हैं और हम कोशिश करने पर भी,रात-दिन कठिन परिश्रम करने पर भी हल नहीं कर पाते हैं।या तो संदर्भ पुस्तकों की मदद से या आपको पूछने पर ही हल कर पाते हैं।गुरुजी बोले-प्रिय शिष्य!इन दिनों मैं थोड़ा व्यस्त हूं।तुम ऐसा करना की तीन माह बाद मुझसे मिलने के लिए आना,तब मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे पाऊंगा।तब तक तुम ऐसा करना कि एकांत सेवन करना,मन को एकाग्र करने का अभ्यास करना,स्वाध्याय करना और जो भी पढ़ो उसके बारे में और जो समस्या हल नहीं हो उसके समाधन के बारे में चिंतन-मनन करना।
  • विद्यार्थी के मन में तीव्र उत्कण्ठा थी,इसलिए उसने गुरुजी के निर्देशों का ठीक-ठाक पालन किया।इस प्रकार तीन माह व्यतीत हो गए।समय गुजरने के बाद वह गुरुजी से मिलने पहुंचा तो उनको प्रणाम करके उनका बहुत आभार प्रकट करने लगा और बोला-गुरुदेव! आपने मेरी आंखें खोल दीं।मैं जब से एकांतवासी हुआ हूं,स्वाध्याय,अध्ययन,मनन-चिंतन करने लगा हूं तब से ही अनेक समस्याओं के हल खुद-ब-खुद करने लगा हूं और ऐसा करने से मुझे अत्यंत आनंद का अनुभव होता है।अब तो मुझे स्वाध्याय,अध्ययन,मनन-चिंतन,मन को एकाग्र करने के सिवाय और कुछ दिखाई नहीं देता और इसके फलस्वरूप जो आनंद अनुभव होता है उसका तो मैं वर्णन कर ही नहीं सकता हूं।अब मैं रोज अपना आत्म-निरीक्षण करता हूं और यह पता लगाता हूं कि मुझमें क्या त्रुटियाँ हैं और उनका सुधार किस तरह से किया जा सकता है।उस पर अमल करता हूं और अपने आप में सुधार करता रहता हूं।
  • गुरुजी मुस्कराकर बोले तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मैं उपदेश और प्रवचन देकर भी दे सकता था और इस तरह उत्तर देना मेरा लिए बहुत आसान था।परंतु जो ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है,वही उन्नति,प्रगति,विकास,प्रतिभा को निखारने और आत्मोन्नति तथा सच्चे आनंद की अनुभूति का स्रोत है।
  • स्वाध्याय से आत्म-निरीक्षण की प्रवृत्ति जागृत होती है।अच्छी पुस्तकों में उपस्थित आदर्श से जब विद्यार्थी अपनी तुलना करता है,तभी वह समझ पाता है कि ज्ञान प्राप्ति की असली कुंजी उसके भीतर ही है।उसके अंदर कितनी मात्रा में क्या-क्या दोष-दुर्गुण भरे पड़े हैं? उन्नतिशील बनने के लिए जिन आवश्यक गुणों की कमी जब अपने में दिखाई पड़ने लगती है,तभी वह उसकी पूर्ति की बात सोचता है।यही उन्नतिशील होने की प्रक्रिया है।
  • जब विद्यार्थी स्वयं अपनी त्रुटियाँ न देख पाएगा और उन्हें छोड़कर सद्गुणों को अपनाने के लिए तत्पर न होगा,तब तक उसकी वर्तमान कमजोरी में कोई परिवर्तन भी संभव न होगा।जिसके मस्तिष्क में प्रगतिशील और प्रकाशवान विचारों का नया जल नहीं पहुंचता,उसका अंतःप्रदेश गंदे नाले की तरह अवरुद्ध पड़ा हुआ दिन-दिन अधिक दुर्गंधित बनता जाता है।मन की शक्ति विचारों पर ही निर्भर है।जिसके जितने उच्चकोटि के विचार होंगे,वह उतना ही महान,उतना ही उन्नत माना जाएगा।प्रगति तभी होती है,जब विद्यार्थी कुछ भूलता है और कुछ सीखता है,कुछ छोड़ता है और कुछ ग्रहण करता है।साधारण विद्यार्थी अपने को निर्दोष मानते हैं और अपनी समस्याओं,कठिनाइयों,असफलताओं का दोष दूसरों पर मढ़ते रहते हैं,पर जब जीवन तथ्यों का मनन और चिंतन करने पर अपने सुधार और प्रशिक्षण की बात समझ में आती है,तो अनेक समस्याएं हल हो जाती हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में एकांत में कैसे रहें के 6 मंत्र (6 Spells of How to Live in Solitude),छात्र-छात्राओं के लिए एकान्त का अभ्यास करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Students to Practice Solitary) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Students Should Not Condemn Anyone

6.एकांत का अभ्यास (हास्य-व्यंग्य) (Practice of Solitary) (Humour-Satire):

6 Spells of How to Live in Solitude

  • छात्र नेता (संत से):मुझे प्रभावी भाषण देने का मंत्र बताओ।
  • संत:तुम कुछ समय एकांत का सेवन किया करो।
  • छात्र नेता (संत से):मैंने एकांत का अभ्यास किया,तो अंदर से बेचैनी,घबराहट होती है,दिल धड़कने लगता है।
  • संत (छात्र नेता से):घबराने की बात नहीं है,जो छात्र-छात्राओं से झूठे वादे करते हैं,झूठ बोलते हैं,इसकी टोपी उसके सिर पर रखते हैं और अपनी झूठी नेतागिरी चमकाने लगते हैं उनके साथ ऐसा ही होता है,एकांत में उनके पाप चमकने लगते हैं।

7.एकांत में कैसे रहें के 6 मंत्र (Frequently Asked Questions Related to 6 Spells of How to Live in Solitude),छात्र-छात्राओं के लिए एकान्त का अभ्यास करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Students to Practice Solitary) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्रतिभा का विकास कैसे होता है? (How does talent develop?):

उत्तर:वार्तालाप,सत्संग बुद्धि को मूल्यवान बना देता है,परंतु प्रतिभा का विकास एकांत रूपी विद्यालय में ही होता है।एकांत से ही हमें पता चलता है कि हममें क्या प्रतिभा छिपी हुई है जबकि लोगों के साथ व्यवहार करने पर वे हमें बताते हैं कि हम क्या हैं?

प्रश्न:2.क्या शोक को एकांत मुक्त कर सकता है? (Can solitude liberate grief?):

उत्तर:एकांतवास ठंडी-ठंडी वायु,शीतल और मन को मधुर लगने वाली वायु के झोंके के समान है जो हमारे सभी शोक व पीड़ाओं को हर लेता है।

प्रश्न:3.एकांत में रहना कैसे संभव है? (How is it possible to live in solitude?):

उत्तर:एकांत का सेवन करना भी एक कला है।जो दुनियादारी के प्रपंचों में फंसे रहते हैं उनके लिए एकांत का सेवन करना मुश्किल है परंतु धीरे-धीरे अभ्यास करने से एकांत में रहना संभव हो जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा एकांत में कैसे रहें के 6 मंत्र (6 Spells of How to Live in Solitude),छात्र-छात्राओं के लिए एकान्त का अभ्यास करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Students to Practice Solitary) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here
7. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *