6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom
Contents
hide
1.व्यवहारकुशलता के 6 अनमोल मोती (6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom),व्यवहारकुशलता के 6 दिव्य सूत्र (6 Divine Principles of Resourcefulness):
- व्यवहारकुशलता के 6 अनमोल मोती (6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom) के आधार पर आप जान सकेंगे कि विद्यार्थी के लिए व्यवहारकुशल होना कितना जरूरी है।जो कार्य आप रुपए-पैसों से नहीं करा सकते उन्हें आप व्यवहारकुशलता के बल पर सहज ही करा सकते हैं।
- आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article:5 Golden Tips on How to Be Wordly Wise
2.व्यवहारकुशलता चरित्र का आभूषण है (Tactfulness is the ornament of character):
- सद्व्यवहार उस पुष्प के समान होता है,जो धवल एवं दृढ़ चरित्ररूपी वृक्ष पर खिलता है।चिंतन के सुरम्य वातावरण में सुगंध बिखेरता है तथा सजल भावनाओं से पोषित होता है।इसलिए तो दिव्य जीवन के प्रणेता एवं महान योगी के मन का विचार निस्सृत हो कह उठता है कि इनर रेगुलेट्स आउटर बीइंग अर्थात् जीवन के समस्त बाहरी क्रिया-व्यापार अंदर से नियंत्रित एवं संचालित होते हैं।निःसंदेह बाह्य व्यवहार आंतरिक चिंतन एवं भावनाओं के गर्भ से ही जन्म लेता है,पल्लवित एवं विकसित होता है।व्यवहार विज्ञान इसी सत्य को घोषित करता है।
- व्यवहार-शिष्टता,शालीनता,विनम्रता आदि अनेक गुणों का समुच्चय है।जिसमें भी यह अनमोल संपदा होगी,उसका लोक-व्यवहार अवश्य ही उत्कृष्ट होगा।ऐसे व्यवहारकुशल व्यक्ति की सफलता असंदिग्ध होती है। सफलता उसके चरण चूमती है और उसके लिए तो असफलता भी एक सीख होती है,क्योंकि इसी से वह अपनी व्यावहारिक कमियों एवं खामियों के प्रति सजग-सतर्क होता है।व्यवहार ही तो है,जो अपने को पराया और पराये को अपना कर दिखाने का चमत्कार करता है।मधुर व्यवहार से पशु-पक्षी तक प्रभावित हो जाते हैं,तो फिर इंसान का दिल क्यों नहीं जीता जा सकता।
- अंतर की भावना जब प्रस्फुटित होती है,तो हृदय मक्खन-सा कोमल हो उठता है और वाणी एवं व्यवहार में अमृत झरने लगता है।ऐसी संवेदनशीलता भला कैसे किसी के प्रति कठोर होगी,वह तो औरों के हृदय में उतर जाती है और अपना बनाकर छोड़ती है।ऐसा शालीन व्यवहार मृदु मंद पवन के झोंके के समान सभी को प्रिय होता है और जब यह ठंडी बयार चलती है तो नदी-नल,झील-सरोवर,खेत-खलियान झूम उठते हैं। कोंपल एवं कलियाँ चटखने लगती हैं।फूलों की मादकता इठलाने लगती है।पक्षी चहचहाने लगते हैं और सभी ओर हरियाली और खुशहाली का दिव्य संगीत झरने लगता है,परंतु अभद्र और अशिष्ट व्यवहार उस भीषण अंधड़ की तरह होता है,जिससे लोग कतराते एवं घबराते हैं।वह तिरस्कृत होता है और अपमान सहता है।
- अशिष्टता अनगढ़ता एवं रूखेपन का परिचायक है।इस तरह का व्यक्ति चाहे कितना ही प्रतिभासंपन्न क्यों ना हो,लोक सम्मान अर्जित नहीं कर सकता।लोग उसकी अव्यावहारिकता के कारण उसके पास आने में कतराते हैं।उसके अपने परिजन भी उससे पराये जैसा बर्ताव करते हैं।अपने उद्धत एवं उद्दंड व्यवहार से वह अपने और औरों के लिए ऐसे आत्मघाती विष दंश का निर्माण करता है,जिसमें वह खुद जलता है और दूसरों को जलाता है।इससे कड़ुवाहट ही फैलती है।अतः बुद्धिमानी इसी में है कि ऐसे व्यवहार से परहेज किया जाए और शालीन व्यवहार को अपनाया एवं विकसित किया जाए।
- व्यवहार की शालीनता न केवल औरों को प्रसन्न करती है,उसके अधरों में मुस्कान की स्मित रेखा खींचती हैं,बल्कि स्वयं को भी आनंदित करती है।पारसमणि के अस्तित्व को स्वीकार करें या ना करें,परंतु अपने पास उपलब्ध व्यवहाररूपी पारसमणि से आसपास के सभी लोगों को स्वर्णमंडित किया जा सकता है अर्थात् अपना बनाया जा सकता है।लौकिक लोक-व्यवहार का यह गुप्त रहस्य है,दिव्य मंत्र है,जिसे हृदयंगम कर सफलता एवं महानता अर्जित की जा सकती है।
3.सभी के साथ सद्व्यवहार करें (Be kind to everyone):
- ज्यों-ज्यों अंतर परिष्कृत होता जाता है,उसी के अनुरूप व्यवहार भी उत्कृष्ट होता रहता है।यह तो सीप के मोती के सदृश्य है,जो सागर की गहराई में अवस्थित होता है।गहराई में डुबकी लगाकर ही यह हस्तगत होता है।इसी प्रकार व्यवहार की सच्चाई उन छोटी-छोटी आदतों-वृत्तियों की सीपियों में बंद पड़ी रहती है,जिसे स्वयं के अंदर प्रवेश करके और साहस के साथ तोड़कर निकाला जाता है।अतः इन छोटी मगर महत्त्वपूर्ण बातों का सतत ध्यान रखना चाहिए।
- आदतों एवं वृत्तियों के प्रति सदैव जागरूक रहना चाहिए ताकि,व्यावहारिक धरातल पर कोई व्यक्ति भ्रम न फैला सके।इसमें व्यवहारकुशलता का बड़ा घनिष्ठ संबंध होता है।ये वृत्तियाँ हमारे व्यवहार को प्रभावित करती हैं।ये बड़ी हठीली होती है,परंतु इन्हें जीता जा सकता है।हालांकि ये न चाहते हुए भी अपने व्यवहार में आ धमकती हैं और अनचाहे एवं आदतन हम भूल कर बैठते हैं।इसलिए आवश्यक है कि धैर्य एवं संकल्पपूर्वक अपने व्यवहार को शिष्ट एवं शालीन बनाए रखा जाए।हर पल,हर क्षण इसमें सुधार लाते रहना चाहिए।व्यवहार को मधुर एवं श्रेष्ठ बनाकर सभी बाधाओं एवं कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
- अच्छा यह है कि हमारे व्यवहार में सदैव बड़ों के प्रति आदर एवं सम्मान का भाव तथा छोटों के प्रति सम्मान झलके।हर व्यक्ति का अपना आत्मसम्मान होता है,जो समुचित सम्मान दे सका वही सच्चा व्यवहारकुशल है।जरा-सी भी व्यावहारिक त्रुटि अर्थ का अनर्थ कर सकती है।अतः ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि सभी को उसके अनुरूप शिष्टतापूर्वक आदर दिया जाए।अपनी व्यावहारिक भूल को विनम्रता के साथ स्वीकार कर उसके प्रति सजग रहा जाए।
- प्रत्येक व्यक्ति के नाम के साथ उसका आत्मसम्मान जुड़ा रहता है।व्यक्ति अपने नाम में स्वबोध का अनुभव करता है।इसमें आत्मीयता तरंगित होती है।यह अंतर का ऐसा तार है जो मन को गुदगुदाता है,इसे झंकृत करता है और यही वजह है कि किसी प्रतिष्ठित एवं महान व्यक्ति को नाम लेकर बुलाने से गहन आत्मीयता का बोध होता है।इसलिए प्रयास यह होना चाहिए कि जिसका नाम लिया जा रहा हो उसके साथ जी का प्रयोग हो।इन्हीं व्यावहारिक सूत्रों में जीवन का मर्म छुपा हुआ है।
- संयमित एवं कल्याणकारी वाणी व्यवहार की रीढ़ है।यह मुख्य आधार है।वाणी ब्रह्मास्त्र के समान होती है।यह तरकस से छूटते ही लक्ष्य को भेद जाती है।व्यवहार के समस्त ताने-बाने इसी के इर्द-गिर्द बुने जाते हैं।वाणी द्वारा ही व्यवहार बनता-बिगड़ता है।संयमित वाणी से व्यक्तित्व निखरता है।ऐसे व्यक्तित्व सम्पन्न मनस्वी में महान् आकर्षण होता है।चेतना की परमोच्च अवस्था में जीने वाले गणितज्ञों और वैज्ञानिकों का लोक-व्यवहार भी उनकी ही तरह आकर्षक था।हालाँकि ऐसे तपस्वी,प्रसिद्ध साधक लोक-व्यवहार से काफी ऊँचे उठे हुए रहते हैं,परन्तु वे व्यवहार के धनी थे।किसी से न मिलते हुए भी उन्होंने ऐसी मिशाल कायम की कि देखने वाले दंग रह जाते थे।वे सभी से आत्मीयतापूर्ण बातें करते थे और इसी व्यवहार का ही परिणाम था कि लोगों का ऐसे गणितज्ञों एवं वैज्ञानिकों के प्रति अपार सम्मान था।उन्होंने अपने व्यवहार से लोगों में व्यापक परिवर्तन किया और उसके पश्चात ही वे जनश्रद्धा के केंद्र बन गए।ऐसे गणितज्ञों में अल्बर्ट आइंस्टीन हों,इसाक न्यूटन हों,आर्किमीडिज हो,आर्यभट हो,ब्रह्मगुप्त हो अथवा अन्य कोई गणितज्ञ हों।उनका व्यवहार भी बड़ा ही शिष्ट,शालीन एवं सभ्य था।
4.सद्व्यवहार ही लोकप्रिय बनाता है (It is good behavior that makes you popular):
- प्रसिद्ध उपन्यासकार चार्ल्स डिकेंस अपने मधुर,शालीन व्यवहार के कारण अत्यंत लोकप्रिय थे।वे किसी से भी खुले दिल से मिलते थे और जहां कहीं भी जाते अपने व्यवहार से सभी को मुग्ध कर देते थे।इसी तरह जर्मनी के महाकवि गेटे अपने व्यवहार के लिए विख्यात थे। उनके शिष्ट,शालीन व्यवहार से लोग बरबस खींचे चले आते थे।नेपोलियन की धर्मपत्नी जोसेफीन अति व्यवहारकुशल थीं।नेपोलियन योद्धाओं के दिलों में बसते थे तो उसकी पत्नी लोगों के हृदय में।
- यही संपूर्ण सच है कि सद्व्यवहार हृदय को विशाल बनाता है।जिसमें संवेदना और भावना उफनती रहती है,उसमें ईर्ष्या-द्वेष नहीं होते।यह उमड़ते-घुमड़ते बादल-सा होता है।प्यासा देखा कि बरष उठा।जीवन इसी का पर्याय होना चाहिए और व्यवहार इसी के अनुसार।सद्व्यवहार से श्रेय-सम्मान,मान-प्रतिष्ठा सभी कुछ मिलते हैं।हमें भी चरित्र,चिंतन को परिष्कृत एवं उन्नत कर सबसे सद्व्यवहार बनाए रखना चाहिए।ऐसा करके हम अपने आप ही सर्वोच्च लोक-सम्मान के अधिकारी बन जाएंगे।
- भलाई और बुराई भी व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।भलाई से आप दूसरों को अपना बना सकते हो जबकि बुराई से अपने भी दूर हो जाते हैं।भलाई जितनी अधिक की जाती है उतनी ही अधिक फैलती है।जो दूसरों की भलाई करता है अपनी भलाई अपने आप कर लेता है।भलाई फल में नहीं अपितु कर्म में ही है।क्योंकि शुभ कर्म करने का भाव ही अच्छा पुरस्कार है।मनुष्य की भलाई के अलावा और अन्य किसी कार्य द्वारा मनुष्य भगवान के इतने समीप नहीं पहुंच सकता।जो भलाई में अतिशय लीन है,उसको भला होने का समय नहीं मिलता।भलाई के अतिरिक्त सब वस्तुएं नष्ट हो जाती हैं।
- भलाई का मार्ग भय से पूर्ण परंतु परिणाम अति उत्तम है।बुराई का अभाव भलाई नहीं है,अपितु उस पर विजय है।जो भलाई से प्रेम करता है वह देवताओं की पूजा करता है,आदरणीयों का सम्मान करता है और भगवान के पास रहता है।भलाई करना कर्त्तव्य नहीं आनंद है क्योंकि वह आपके स्वास्थ्य और सुख की वृद्धि करता है।यदि आप चाहते हैं कि दूसरे लोग आपको भला कहें,तो स्वयं को भला न कहें।पुरुष कितना बुरा क्यों ना हो,वह भला बन सकता है,मगर स्त्री के लिए भले बनने के सब रास्ते उसी क्षण बंद हो जाते हैं,जब समाज उस पर लगे कलंक की बात पर विश्वास कर लेता है।दुर्जनों के साथ भलाई करना सज्जनों के साथ बुराई करने के समान है।भलाई करना मनुष्य का सबसे शानदार कर्त्तव्य है।
- तो देखा आपने कि भलाई से हमारा व्यवहार कैसे सुधरता है।भलाई वही व्यक्ति कर सकता है जिसका व्यवहार शिष्ट,मधुर हो।जिसके अंदर मानवता रग-रग में बसी हुई है।परंतु भलाई यश बटोरने,वाहवाही लूटने के लिए या स्वार्थ से प्रेरित होकर नहीं की जानी चाहिए।ऐसी की गई भलाई को लोग व्यवहार से ताड़ लेते हैं।ऐसी भलाई,भलाई नहीं बल्कि अपने अहंकार का प्रदर्शन करने का प्रयास है।निःस्वार्थ भाव से की गई भलाई को ही लोग पसंद करते हैं।ऐसी भलाई वही व्यक्ति कर सकता है जो छल-कपट से दूर हो,जिसके मन में मान-प्रतिष्ठा पाने की लालसा ना हो,जिसमें लोभ-लालच की वृत्ति न हो।इस प्रकार व्यवहारकुशलता में अनेक गुण समाहित होते हैं,धीरे-धीरे उन गुणों को अपने अंदर धारण करना चाहिए।सतत अभ्यास और जागरूक रहकर हम अपने अंदर इन गुणों को धारण कर सकते हैं।
5.छात्र-छात्राएं व्यवहारकुशाल बनें (Students should be tactful):
- क्या आप जानते हैं जीवन में आगे बढ़ने व सफलता के शिखर पर पहुंचने का रहस्य स्वयं आपके अंदर छुपा है।यदि आप व्यवहारकुशल,दृढ़ निश्चयी व आत्मविश्वासी हैं तथा मेहनत करने से नहीं घबराते तो यकीन मानिए आप प्रगति की राह के हर बंद दरवाजे को खोल सकते हैं।
- जीवन में सुख,सफलता व संपन्नता प्राप्त करने के अनेक मंत्रों का मूलमंत्र है हमारा व्यवहारकुशल होना।
व्यवहारकुशलता वह अनमोल रत्न है जिसके सामने अन्य सभी रत्न फीके पड़ जाते हैं।लेकिन प्रायः देखने में आता है कि बहुत से छात्र-छात्राएँ हर तरह से योग्य होते हैं,फिर भी सफलता हाथ नहीं लगती।कारण? व्यवहारकुशलता का अभाव! नौकरी के लिए इंटरव्यू में,घर में स्वजनों से,अड़ोस-पड़ोस में आदि-आदि अर्थात् किसी भी क्षेत्र में सफल व लोकप्रिय बनने का अचूक उपाय है व्यवहारकुशल होना।इसके अभाव में जीवनरूपी गाड़ी का पटरियों से उतरना तय है। - अवसर तो हर क्षण हमारे चारों ओर उपस्थित रहता है।यदि हम निरंतर प्रयत्न करेंगे,निरंतर चेष्टा करेंगे तो निश्चित ही अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे।सुख,स्वास्थ्य,प्रसन्नता व संपदा का विशाल सागर आपके सामने बहता चला आ रहा है।यदि आपके पास दृढ़ इच्छाशक्ति,अटूट विश्वास के साथ-साथ व्यवहारकुशलता रूपी अमूल्य रत्न है तो आप भी आगे बढ़कर उसमें गोता लगा सकते हैं।
- अपनी असफलताओं का दोष भाग्य के सिर मढ़ देने के बजाय यदि आप दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के साथ कठिनाइयों का मुकाबला करें तो आप अपनी असफलता को सफलता में बदलकर जीवन में सभी प्रकार की खुशियां भरने में कामयाब हो सकते हैं।
- व्यवहारकुशलता से अपने भीतर छिपी हुई शक्तियों के भंडार का दोहन करने में सहायता मिलती है।अनेक व्यक्तियों के जीवन में इसे अत्यंत आश्चर्यजनक ढंग से असर करते हुए देखा गया है।इसके फलस्वरूप यह विश्वास और दृढ़ हो जाता है कि जो व्यक्ति स्वतंत्र रूप से उपलब्ध इस शक्ति का इस्तेमाल नहीं करता,वह उसी व्यक्ति के समान मूर्ख है,जो जानता है कि उसके पिछवाड़े में तेल मौजूद है और वह इसके दोहन के लिए कुआं खोदे बिना फाकों के साथ गुजारा करता है।वे छात्र-छात्राएं बिल्कुल यही करते हैं,जो व्यवहारकुशलता के महत्त्व को जानने-समझने के बावजूद इसे अपनाने से कतराते हैं।
- व्यवहारकुशलता तो वह धन है,जिसके सामने अन्य सभी चीजें नगण्य हो जाती हैं।अधिकांश व्यक्ति धन-संपदा,स्वास्थ्य,शक्ति,प्रेम या उस समय मन में पल रही किसी आकांक्षा या लक्ष्य को मूर्त रूप देने की कामना रखते हैं,परंतु जो व्यवहारकुशल छात्र-छात्रा होता है,उसे ये सब कुछ बिना मांगे ही मिल जाता है।
- कठिनाइयों के बावजूद जीवन एक अद्भुत संतोष प्रदान करता है।अनेक दुश्वारियों के बावजूद जीवन शानदार है।इसलिए जीवन के मूल्यों और इसके अपरिमित महत्त्व में विश्वास रखिए।जो विश्वास करते हैं तथा डटे रहते हैं,उनके लिए अलौकिक आनंद,शांति और उपलब्धि इसमें ही अंतर्निहित है।यही वह राह है जिस पर चलकर आप अपने जीवन में कुछ पाना चाहते हैं,सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
- जो छात्र-छात्रा व्यवहारकुशल होते हैं उसकी मदद करने के लिए अन्य सभी छात्र-छात्राएं तैयार रहते हैं।उससे हर छात्र-छात्रा मित्रता करना पसंद करते हैं।उसके साथ बोलना,चलना,बैठना,अध्ययन करना पसंद करते हैं।परंतु जो छात्र-छात्रा व्यवहारकुशल नहीं है उस छात्र-छात्रा से अन्य छात्र-छात्रा दूरी बनाकर रखते हैं,ना कोई उसकी मदद करना चाहता है,यहां तक कि उसके साथ बातचीत करना भी कोई भी पसंद नहीं करता,भले ही वह पढ़ने में कितना ही मेधावी व प्रखर बुद्धि का हो।
- व्यवहारकुशलता से आप न केवल सबके प्रिय बने रहते हैं बल्कि साक्षात्कार,अनौपचारिक बातचीत,आपके जॉब का दायरा बढ़ाने,आपकी कनेक्टिविटी बढ़ाने,आपको लोकप्रिय बनाने,आपकी प्रगति में,आपको खुश व प्रसन्न जीवन जीने आदि सभी में काम आती है।अतः छात्र-छात्राओं को केवल पढ़ाकू,होशियार बनने,कोर्स की पुस्तकें पढ़ने में संलग्न ना होना चाहिए बल्कि व्यवहारकुशल बनने की तकनीक भी सीखनी चाहिए।व्यवहारकुशलता आपकी प्रतिभा में चार चाँद लगा देती है।बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी के चयन में न केवल आपकी प्रतिभा ही जाँची जाती है बल्कि आपकी व्यवहारकुशलता की परख भी की जाती है।अतः छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक बनने के गुर भी सीखने चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में व्यवहारकुशलता के 6 अनमोल मोती (6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom),व्यवहारकुशलता के 6 दिव्य सूत्र (6 Divine Principles of Resourcefulness) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:5 Top Tips to Develop Art of Dealing
6.व्यवहारकुशलता का दंड (हास्य-व्यंग्य) (Punishment of Tactfulness) (Humour-Satire):
6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom
- गोपेश (हरीश से):तुम्हारे दांत क्यों टूट गए?
- हरीश:हँसने से।
- गोपेश:हँसने से कैसे?
- हरीश:मैं मोटी टीचर को देखकर हंसा,तो उसने कहा कि तुममें जरा भी व्यावहारिकता नहीं,शिष्टाचार नहीं।
तब मैं और जोर से हँसा।उसने मेरे एक जोरदार मुक्का मारा और मेरे दांत टूट गए।
7.व्यवहारकुशलता के 6 अनमोल मोती (Frequently Asked Questions Related to 6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom),व्यवहारकुशलता के 6 दिव्य सूत्र (6 Divine Principles of Resourcefulness) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.व्यवहार करने का सूत्र क्या है? (What is the formula for behavior?):
उत्तर:अपने साथ जो जैसा बर्ताव करता है उसके साथ वैसा ही बर्ताव करना धर्मनीति है,मायावी पुरुष के साथ मायावीपन और साधु पुरुष के साथ साधुता का व्यवहार करना चाहिए।
प्रश्न:2.व्यक्ति की पहचान किससे होती है? (What is a person identified with?):
उत्तर:मनुष्य का व्यवहार वह दर्पण है जिसमें अपना चित्र दिखता है।व्यक्ति की पहचान चरित्र और व्यवहार से हो जाती है।
प्रश्न:3.शिष्टता का क्या प्रभाव पड़ता है? (What is the effect of chivalry?):
उत्तर:शिष्टता का प्रभाव दूर तक जाता है,पर उसमें कुछ व्यय नहीं होता।सभ्य और सुंदर व्यवहार हर जगह आदर पाने के लिए प्रवेश पत्र हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा व्यवहारकुशलता के 6 अनमोल मोती (6 Priceless Pearls of Worldly Wisdom),व्यवहारकुशलता के 6 दिव्य सूत्र (6 Divine Principles of Resourcefulness) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here | |
5. | Facebook Page | click here |
6. | click here | |
7. | click here |